Thursday, January 31, 2013

कुँवारी छबीली -2

कुँवारी छबीली -2

गतान्क से आगे..................
मैं रात का छबीली को चोदने की योजना बनाने लग गया था। आज मैं भी स्वस्थ
था और छैबीली भी तरोताजा नजर आ रही थी। बार हम एक दूसरे को इशारे कर कर
के खुश हो रहे थे... रात होने का इन्तजार कर रहे थे।
रात को फिर वही छबीली की गालियों की आवाज आई... उसका पति निढाल पड़ा था...
और खर्राटे ले रहा था। धुत्त हो चुका था। मैं कमरे में छबीली का इन्तजार
कर रहा था...

कुच्छ ही देर मे मेरे सामने चबिली खड़ी थी मैं जनता था की वो क्यू आई है
पर फिर भी मैने उसे देखते हुए कहा "क्या बात है चबिलि बहुत आवाज़ें आ रही
थी"
"बो मेरो ख़सम मर ग्यो, सालो रोज ही पी की आजयवे है. रॅंड का ने ना लुगाई
सू मतलब है ना घर बार सू. अब पॅडीओ है गांद उँची करियाँ जी तो करे है की
गांद मे बंबू रोप दयू, खुद को तो बंबू कम करे कोनिया, आइज़ो मर्द के कम
को"
तो टेंसटीओं क्यू लेती है मेरी रानी तू यहाँ आजा. मैने उसे प्यार से अपने
पास बुलाया ओर अपने आगोश मे ले लिया.
वो कटे हुए वृक्ष के समान मेरी गोदी मे आ गई. मैने उसे अपने कंधे ले सागा
लिया इस समय वो सच मे दुखी थी वो मुझसे चूड़ना तो चाहती थी पर उसे साथ ही
इस बात का भी दुख था की उसका परमाणेंट जुगाड़ किसी कम का नही है ओर इसी
कारण वो दुखी थी.
तू फ़िक़र ना कर मेरी रानी तेरे पति के लॅंड का भी इलगज करवाएँगे ओर वो
ठीक भी हो जाएगा पर तुझे उसजी नशे की आदत का कुच्छ करना पड़ेगा.
"पर ऊँका लान्द तो खड़ा ही कोनी होवे" सब होगा कुच्छ सब्र कर.
सांत्वना देते देते मेरे हाथ उसकी पीठ का मुआयना कर रहे थे.
उसने देहाती ओरतो की तरह कानचली पहन रखी थी जिसके पीछे की तरफ केवल एक
धागा होता है मैने पीठ पर हाथ फिराते फिराते उसकी दोनो डोर खोल दी. जिस
कारण उसकी कानचली खुल गई ओर आयेज को आ गई. कानचली के नीचे ब्रा नही पहनी
जाती तो वो उपर से एकदम नंगी हो गई थी उसकी दोनो चूंचियाँ मेरे सामने खुल
गई थी तो मैने देर ना करते हुए उसकी एक चूंची को अपने मूह के हवाले कर
दिया ओर दूसरी को अपने हाथों से मसलना शुरू कर दिया

मैने छबिलि की दोनो चूंचियों को काम मे लेना सुरू कर दिया था एक चूंची
मेरे मूह मे थी एक दम गोल चूंची थी उसकी जैसे संगेमरमर से तराशि हुई.
पर्फेक्ट बनाई हुई. हाथ लगाने पर जैसे मैली हो जाए इस तरह की. मेरा हाथ
उस पर चल रहा था ओर दूसरी चूंची मेरे मूह मे थी ओर मैं लगातार उसे चूसे
जा रहा था जैसे मुझे दोबारा ये चूंचिया चूसने को नही मिलेगा. आज पहली बार
मैं छबिलि की चूंचियों को चूस रहा था पिच्छली बार ना तो मुझे इतना होश था
की उसकी चूंचियों को चुसून ओर ना ही उसे इस बात की परवाह की मुझसे
चूंचियाँ चुस्वाए. दोनो को ही चुदाई की लगी पड़ी थी ओर दोनो का ध्यान भी
उस ऑर ही था ओर दूसरे मुझे ओर उसे पहली बार चुदाई का मौका लगा था इस कारण
भूखे शेर की तरह टूट पड़े थे पर आज दोनो ही फ़ुरसत मे थे. ना तो वो
जल्दबाज़ी करना चाहती थी ना ही मैं जल्दबाज़ी करना चाहता था. मैने उसे
लिटा दिया ओर अब आराम से उसके नज़दीक लेट कर उसकी चोंछियों को चूसने लगा.
मेरा हाथ उसकी दूसरी चूंची पर चल रहा था मैं चुचि चूसने मे इतना मस्त था
की मुझे सी बात का एहसास ही नही रहा की मैं उसकी चुचि को ज़्यादा तेज़ी
से मसालने लगा था ओर उसे दर्द हो रहा है.
"सस्स्स्स्स्स्स्स्शह छैल भंवर दर्द होवे ना बोबा मे, तोड़ा धीरे दाबो नि"
मुझे लगा की उसे ज़्यादा दर्द है तो मैने उसकी चूंची से हाथ भी हटा लिए
ओर मूह भी. मेरे ऐसा करते ही उसने आँखे खोली ओर मेरी तरफ प्रस्न वाचक
नज़रों से देखा फिर बोली" रुक क्यूँ गया छैल चूसो नि"
पर तुम्हे तो दर्द हो रहा था ना.
"इत्तो कोनी थे तो चूसो जी"
अभी तो बोली थी
" थे तो नीरा गेल्ला हो" (गेल्ला=पागल)
मुझे बात समझ आ गई की वो मस्त हो रही है मैने फिर से बूब्स प्रेस करने
शुरू कर दिए. ओर साथ ही मेरा एक हाथ नीचे चल दिया ओर अब वो उसके पेट पर
था. पेट एकदम चिकना जैसे करीना का गाल. मैने चुचियों को छ्चोड़ कर पेट की
तरफ रुख़ कर लिया.
मैने अपनी जीभ निकली ओर उसकी नाभि मे डाल दी
"आ! छैल कई करो हो थे, मेरी सूंड़ी ने माटी च्छेदो मैं मार जौंगी, म्हारे
ब्स्दे मे चार्न चार्न हो है" (सूंड़ी =नेवेल)
मैने उसकी नाभि पर जीभ फिरनी जारी रखी ओर वो दर्द ओर मज़े के अहसास से
उच्छलती रही. फिर मैने थोड़ा ओर नीचे जाते हुए उसकी चूत के पास अपना मूह
ले गया. वहाँ से उसकी चूत की महक सॉफ मेरे नथुनो मे जा रही थी. वहाँ पर
मैदान सफाचट था यानी आज उसने चुदाई का पूरा प्रोग्राम बनाया था. क्यूंकी
पिच्छली बार उसकी चूत पर जंगल था ओर इस बार एक बॉल तक नही है. लगता था
जैसे हेर रिमूवर से सफाई की है.
"तेरी चूत तो मस्त है च्चबिली"
"थाने पसंद आई भंवर जी, मैं तृप्त हो गी"
पसंद क्यूँ नही आएगी इतनी मस्त चूत
'थे बठहे सू मूह हटा ल्यो, गंदी जगान है या"
गंदी कहाँ है याअर एकदम सॉफ है मुझे तो चिकनी चूत चाटने मे बड़ा मज़ा आता
है. मैं तो इसका सारा रस पी जॉवुगा.
"च्चि, चूत भी कोई चाटने की चीज़ हो है, या तो चुद्ने ओर मूतने की चीज़ हो है"
आई तू देख चूत क्या काम आती है" ये कह कर मैने उसकी चूत के होठों पर अपने
होठ रख दिए.
"आ भंवर, मैं मार जौंगी, मारे तो सरीर मे पुर मे करेंट दौड़ राइयो है"
मैने उसकी चूत का अभी तक निकला सारा पानी पी लिया था पर मेरे होठों के
प्रभाव से उसने झटके खाने सुरू कर दिए थे ओर उसकी चूत ने एक बार फिर से
पानी का फव्वारा छ्चोड़ किया ओर मैने किसी प्रकार की देरी किए बिना उसका
सारा रस पी गया. ओर फिर मेरे दिल मे आई की क्यू ना अब इसे लॅंड चुस्वाया
जाए. तो मैने अपना आंगल चेंज किए ओर अपना लंड उसके मूह के पास कर लिया ओर
फिर से उसकी चूत को चाटने लगा. वो मेरा इशारा समझ गई पर बोली. "म्हंसु
लॅंड कोनी छूसयो जा, मैं इने चूम ल्यूणगी बस"
तो कर जो तुझे ठीक लगे.
उसने मेरे लॅंड को अपने नाज़ुक हाथों से पकड़ा ओर धीरे से उस पर अपने
कोमल होठ रख दिए फिर हटा लिए. मेरा लॅंड तो उसके होठों का एहसास पाते ही
उच्छलने लगा. उसने अपने होठों का प्रभाव मेरे लॅंड पर देख लिया ओर साथ ही
सोचा की ये मेरी चूत चट रहा है तो मुझे इतना अनानद आ रहा है तो मुझे भी
इसे मज़ा देना चाहिए ये सोच कर उसने लॅंड को मूह मे ले लिए ओर धीरे चूसने
लगी.
मेरा लॅंड पहली बार चूसा जा रहा था इस कारण मैं ज़्यादा देर तक जब्त ना
कर सका ओर उसके मूह मे ही अपना सारा विर्य छ्चोड़ दिया.


मेरे विर्य की धार जैसे ही उसके हलाक मे गई वो एकदम से बोखला गई. ओर उसने
अपना मूह मेरे लंड पर से हटाने की कोशिश की पर मुझे इतना मज़ा आ रहा था
जिसमे मैं किसी तरह का व्यवधान नही चाहता था इस कारण मैने उसका सर पकड़
कर अपने लंड पर कस दिया अब मेरा विर्य पीना उसकी मजबूरी हो गई थी. जब
मेरे लंड किर एक एक बूँद उसके मूह मे चली गई तब मैने उसे आज़ाद किया.
उसने गुस्से मेरी तरफ देखते हुए कहा " ओ कई तरीक़ो है, म्हारे मूह मे थे
लंड को पानी छ्चोड़ डियो".
क्यू मज़ा नही आया क्या.
"मजो तो आयो पर यो पानी पीबा को थोड़ी होवे है"
तू सोच मत यार मज़ा ले. कैसा लगा.
"भोत स्वाद हो, जी करे है की ओर पीउ, ओर निकली काईं"
अब तो कुच्छ देर रुकना पड़ेगा. तू मेरे पास आजा आगे की कार्यवाही करें.
"रूको छैल मैं थारे वास्ते मलाई वालो दूध ले कर आउन, नही तो अगर थे भी
मारे नामरद पति की जियाँ होगया तो मैं कथे जाऊंगी चूदबा ने" ये कह कर वो
नंगी ही बाहर निकल गई. घर बंद होल की वजह से उसे किसी के द्वारा देख लिए
जाने का दर तो था नही ओर उसका पति तो दारू के नशे मे बेसूध पड़ा हुआ था.
उसकी मटकती हुई नंगी गांद को देख कर मुझे फिर से जोश आने लगा था. मैं भी
नंगा ही उठा ओर उसके पीच्चे पीच्चे किचन मे चला गया. वो मेरे लिए दूध
बनाने लगी ओर मैं नीचे झुका ओर उसकी चूत पर अपनी जीभ रख कर चाटने लगा.
उसकी तो जैसे सांश ही बंद हो गई उसने एक लंबी सांस खेंची फिर मेरे सर को
चूत पर दबा लिया. ओर बोली "छैल भंवर रोकूऊऊऊऊओ तो डूऊऊऊऊऊऊओध
पीईईईईईईईईईईलओ"
मैं अब उसकी बात नही सुन रहा था क्यूंकी अब मैं उसे जल्द से जल्द गरम
करके छोड़ना चाह रहा था. जब उसकी चूत चूने लगी तो वो बोली "छैल कमरा मा
चलन, आते रसोई मे ठीक कोनी"
"तू आज तक कभी रसोई मे चूड़ी है"
"मैं तो एक ही बार चूड़ी हू छैल, बी दिन थे चोदि थी बस अब तो दुबारा
चूदबा की गहरी जी मे आई हुई है"
तो छबिलि आज किचन मे चुदाई करेंगे
"आठे काइयां होसी खाट कथे है"
खाट किस कम के लिए
"तो चोदोग काइयां बिना खाट"
आज देख तू कैसे चोद्त हू तुझे. ये कह कर मैने उसे अपनी एक टाँग शेल्फ पर
रखने को कहा. ऐसा करते ही उसकी चूत खुल गई ओर साइड मे जगाहा हो गई. मैं
उसके पास गया ओर अपने लंड को उसकी चूत पर रखा ओर धक्का दिया पर चूत अंदर
नही गई. तो मैने एक जोरदार झटका मारा. आधा लॅंड अंदर हो गया. "आआअहह
मर्गि छैल, मेरी चूत फाट गी, मानने छ्चोड़ द्यो, मानने कोड़ी मर्वानी"
क्यू क्या हुआ
थे देखो तो हो कोनी के चूत काइयां मारया करे है, पूरो लंड घुसा दियो वो
भी एयाडी खड़ी करकी"
मैने अपनी चुदाई की स्पीड थोड़ी कम आर दी. पर लंड को बाहर नही
निकाला.कुच्छ ही देर मे च्चबिली ने अपनी गांद आगे को करनी सुरू कर दी. ओर
वो हर झटके का मज़ा लेने लगी. इस पोज़िशन मे लंड पानी जल्दी छ्चोड़ता है
पर अभी कुच्छ ही देर पहले छबिलि ने लंड को चूस चूस कर उसका सारा रस निकल
दिया था इस कारण मैं आराम से चोद पा रहा था. अब छबिलि को र से आवाज़ें
करने लगी ओर कहने लगी "छोड़ भैवर छोड़, मारी चूत कई दीना सू तरस रही थी,
ईं को सारो रस निकल दे साली बहुत फड़के है इनकी रदक निकल दे मार दे मेरी
चूत मार मार के भोसड़ो बना दे, ओर ज़ोर सू मार ओर ज़ोर सू एकदम जड़ तक
घाल दे पूरो लॅंड अंदर जाने दे. मेरी छूट की परवाह ना कर बस तो तू मानने
रत दिन छोड़यान जा"
उसकी इस तरह की बातें सुन कर मेरे लॅंड को जोश आ गया ओर अब मैं दे दनादन
झटके मार रहा तो ओर कुच्छ ही देर मे मेरे आंडों मे फिर से विर्य उत्पादन
सुरू हो गया ओर सीधी सप्लाइ लंड देवता को हो गई. मेरे लंड ने सारा विर्य
छबिलि की चूत को अर्पण कर दिया. उसकी सारी चूत विर्य से भर गई. ओर हम
दोनो ही निढाल हो गये. तूफ़ानी चुदाई से.
फिर वो उठी ओर उसने कोई कपड़ा ढूँढा ओर पहले अपनी चूत को सॉफ किया. सॉफ
करने पर जब कपड़े पर विर्य आ गया तो उसका मान मचल गया उर उसने कपड़े पर
लगा विर्य पानी उंगली पर लगा कर अपने मूह मे दाल लिया ओर उंगली चूसने लगी
फिर उसने इस तरह सारा विर्य चट कर दिया. पर उसकी प्यास नही भारी थी तो
उसने मेरे लंड पर लगे विर्य को सॉफ करने की गरज से लंड पर ज़ुबान फेरनी
सुरू कर दी. मेरी हालत खराब थी क्यूंकी चोद्ने के बाद लंड एकदम सेन्सिटिव
हो जाता है. पर मैने उसे कुच्छ नही कहा. उसे विर्य चाट लेने दिया.
उसका चेहरा अब एकदम खिला हुआ था. उसने खड़े हो कर दूध का गिलास उठाया ओर
उसे मेरे मूह से लगा दिया. मैने उसके हाथों से दूध पीना सुरू किया. आधा
ग्लास होते ही उसने दूध मेरे होठों से अलग करते हुए उसे अपने होठों से
लगा लिया ओर बाकी दूध पी गई.
मैने उससे पूचछा ये क्या था.
"छैल कुच्छ नई है, अइयाँ करबा सू प्यार बढ़े है"
मैं केवल उसे देखा कर मुश्कूराता रहा.
फिर मैने उसे उठाया ओर अपने कनरे मे ले गया ओर बेड पर लिटा दिया ओर उसके
पास ही मैं भी लेट गया.

फिर मैने उसे उठाया ओर अपने कनरे मे ले गया ओर बेड पर लिटा दिया ओर उसके
पास ही मैं भी लेट गया.
मैने छबिलि को ले जा कर अपने बेड पर लिटा दिया ओर पूचछा कैसी लगी चुदाई.
"आज तो जिंदगी को स्वाद ही ग्यो. मैं तो सोची ही कोनी थी के चुदाई मे
इत्तो भी मजो आ सके है के, म्हरी भाईली बताई थी के चुदाई मे भोत मजो आवे
है पन इम्मे तो उसे भी ज़्यादा मजो आयो जिततो बा बताई"
बहुत देर तक हम आपस मे ऐसे ही नंगे लेते हुए बातें करते रहे. इसी बीच
मैने उसे बताया की मेरा एक दोस्त है कारण जिसे हम सब रसिया कहते है वो
आने वाला है. तो वो नाराज़ हो गई की ये क्या बात हुई अपने दोस्त को क्यू
बुला रहे हो. फिर हम दोनो चुदाई कैसे करेंगे.
कुच्छ फ़र्क़ नही आएगा. वो समझदार है ओर हम कौनसा उसके सामने चुदाई
करेंगे. (मैने उसे पाटने की गरज से कहा) वो कौन सा हमेशा यहाँ पर रहने
वाला है.
"ना, मैं कोनी आन दयू. यो कोई तरीक़ो कोनी होयो. छैल थे म्हरी चूत की तो
सोच ही कोनी राइया हो, बो आज़ाई तो मैं के मोमबत्ती घालूंगी"
यार तू नाराज़ क्यू हो रही है अगर तुझे आदमी ठीक ना लगे तो वापस भेज
देना. मैं जनता था की जीतने दीनो से वो नही चूड़ी है उस सूरत मे वो मुझसे
भी चुद्वयेगि ओर रसिया से भी चुद्वयेगि.
बहुत देर तक माह ऐसे ही नंगे पड़े रहे फिर छबिलि उठी ओर कपड़े पहनने लगी
तो मैने उसे कहा कहाँ जा रही हो आज यही सो जाओ.
"ना भंवर आठे ना सो साकु हुओर कोई काम हो तो बताओ, बो हिज़डो है ना दारू
पी की पदयो है बो देख ना ले"
मैने भी ज़्यादा फोर्स नही किया क्यूंकी हक़ीकत मैं भी जनता था की उसका
इस तरह मेरे साथ सोना ख़तरे से खाली नही है. मैने उसे जाने दिया ओर उसके
मधुर सपनो मे खो गया.
अगले दिन सुबह उसका पति. उठा ओर मेरे पास आया ओर बोला "मैं हफ़्ता भर के
लिए बारे जौ हू थे घर ओर म्हरी बिंदानी को ख़याल रखज्यो"
"जी ज़रूर". मैं इतना ही बोल पाया (दिल मे तो लादू फुट रहे थे की अब एक
हफ्ते तक दिन रात उसे छोड़ सकता था) तभी उधर से छबिलि निकली तो उसके पति
ने उसे बुलाया ओर कहा मैं एक हफ्ते के लिए बाहर जा रहा हू उसकी ये बात
सुन कर च्चबिली के चेहरे पर एक चमक आ गई ओर उसने मेरी तरफ देखा ओर मेरे
चेरे पर मुस्कान देख कर वो अस्वस्त हो गई की अब हफ्ते भर उसे चड्डी चोली
घग्रा कुच्छ भी नही पहनना है.
कुच्छ ड्र बाद उसका पति चला गया. उसके जाते ही हम दोनो बेताब प्रेमियों
की तरह मिले. पर हमारा जश्न कुच्छ ही देर चला. दरवाजे पर ड़सतक हुई तो
छबिलि ने दरवाजा खोला. बाहर खड़े आदमी ने पूचछा. परवेज़ है क्या.
जी है बोलो
उनसे मिलना है मेरा नाम रसिया है.
"अरे तू है के रसिया" ये कहते हुए वो अलग ह गई ओर रसिया अंदर आ गया. अंदर
आते हुए भी वो छबिलि की कमसिन काया को देख रहा था ओर उसे नज़रों से नाप
रहा था. वो अब तक नाप चुका था की च्चबिली की कमर 26" गांद 36"इंच ओर
चूंचियाँ 38" की है ओर पुर सरीर पर ढूँढने पर भी कहीं थोड़ी भी चर्बी नही
मिल रही थी.
मेरी हालत खराब थी एक तरफ तो छबिलि को छोड़ने के लिए लॅंड देवता खड़े हो
चुके थे ओर उद्सरी तरफ सेयेल रसिया ने एकदम ग़लत एंट्री मारी थी. ओर साला
मेरे ही माल को घूर भी रहा था. आज पहली बार मुझे रसिया अच्छा नही लग रहा
था. कारण क्या था पता नही.

साले कहाँ था इतने दिन. मैने रसिया को आते ही घुड़की पिलानी सुरू की.
अरे परवेज़ भाई आप तो जानते हो मेरी आदत. वो मूड कर छबिलि को देख रहा था
ओर उसके वहाँ होने के कारण खुल कर बता नही पा रहा था.
तो साले इतने दिन लगते है छोरि चोद्ने मे. पूरे 6 दिन से आया है. पता है
तुझे. मैने छॅबिली का लिहाज ना करते हुए कहा. शायद मैं छॅबिली को उसकी
असलियत बता देना चाहता था. सायड मैं समझ रहा था की छॅबिली को अगर उसकी
सच्चाई पता चलेगी तो वो उसकी तरफ अकरास्ट नही होगी वरना साला हर कही हाथ
मार लेता है. कई बार तो साले ने मेरे ही माल पर हाथ मरने की कोशिश की है.
परवेज़ यार ज़रा देख कर बात कर.
क्या देखु बता. साले देखता तो तू है जहाँ भी कोई अबला नारी दिखी नही तेरा
लॅंड खड़ा हो जाता है उसकी हेल्प करने के लिए.
अब च्चबिली ने वहाँ से जाने मे ही भलाई समझी. मुझे उसके चेहरे पर रसिया
के लिए वितिशणा के भाव नज़र आ रहे थे. ओर मुझे स बात से खुशी भी थी की
मैं कुच्छ हद तक अपने इरादों मे कामयाब भी हो गया था.
च्चबिली अब कुच्छ कुच्छ रसिया से घबराने लगी थी.
रसिया मेरे साथ मेरे रूम मे आ गया ओर अपनी चुदाई के किससे सुनने लगा जो
वो हर बार सुनता था की किस तरह उसने एक जवान आंटी को 6 दिन तक रात दिन
चोद है ओर वो सीधा वहीं से आ रहा है. उसने देखा की हमेशा मैं उसकी चुदाई
की बातों मे इंटेरेस्ट लिया करता था पर इस बार मैने ज़रा भी इंटेरेस्ट
नही दिखाया. वो कुच्छ हैरान था की एक हफ्ते मे ऐसा क्या हो गया जो मेरा
इन बातों से इंटेरेस्ट ख़त्म ह गया है.
वो मेरे पास आया ओर बोला परवेज़ तेरी तबीयत तो खराब है.
क्यू बे साले मेरी तबीयत को क्या होना है.
नही मुझे कुच्छ गड़बड़ लग रही है.
सेयेल तबीयत तो तेरी खराब होने वाली है. बिना कॉंडम के यहाँ वहाँ छोड़ता रहता है.
अबे तुझे भी इन बातों का ज्ञान हो गया. उसने अचंभा किया.
क्यू साले चूत तेरी ही किस्मत मे है क्या हम नही चोद सकते क्या किसी छोरि को.
क्यू नही चोद सकते पर तुझे चूत मिली कहाँ.
हमारे लिए तो चूत खुद चल कर आती है.
चल चल हांक मत. अच्छा चल एक बात बता. मैं इस मकान के लिए कई बार चक्कर
लगा चुका हू पर मुझे ये मकान नही मिला ओर तेरे जैसे बुधहू को मिल गया.
साले ज़्यादा स्याना समझता है अपने आपको. देख मैने ले लिया मकान भी ओर
बाकी भी बहुत कुच्छ.
आबे ओर क्या है यहाँ लेने को.
यहाँ वहाँ देख हो सकता है तुझे कुच्छ नज़र आ जाए वैसे भी तू तो कहता है
की तेरी नज़र बड़ी परखी है.
सेयेल वो तो लड़की मे मामले मे है……….. आबे साले तो उस लड़की के बारे मे
तो नही कह रहा है जिसने दरवाजा खोला था ओर जिसके सामने तो लॅंड चूत की
बाते कर रहा था.
मैने गर्व से गर्दन हिलाई.
आबे साले क्या मस्त माल पटाया है तूने तो. इसका बाप क्या करता है.
आबे बाप नही उसका पति. सादी सुदा है वो.
अबे तो पति के होते हुए वो तुझसे चुद रही है. दिन मे तो तू रहता नही है
रात मे उसका पति भी रहता होगा तो चुद्ति कब है.
जब दिल करता है चुद लेती है. उसके पति की ना उसे परवाह है ना मुझे.
यार ये तो बहुत मस्त माल है ऐसा माल तो मैने आज तक नही देखा है ये तो
करीना कपूर की कमर ओर प्रियंका की गांद को भिमात देती है. यार प्लीज़
मुझे भी दिलवा दे इसकी.
चूप साले. तेरे लिए अतैई है क्या. इते दिन हो गये तुझे लड़कियाँ चोद्ते
हुए आज तक भाई की याद आई तुझे. आज कहता है की चुद्व दे. चल भाग यहाँ से.
यार तू कहेगा उसे चुद्व दूँगा तो मेरा काम कर्दे मैं तेरा काम कर दूँगा.
अब तो बेटा तू ज़मीन पर नाक भी रगड़ेगे. पर साले जब मेरे पास छॅबिली है
तो मुझे उन दो चार रुपेये के माल की तरफ देखने की ज़रूरत भी क्या है.
साले मान जा ना.
अबे तू मेरा जुगाड़ भी खराब करेगा.
अरे कुच्छ नही होगा. तो हन तो कर
साले मुझे थोड़ी छोड़ेगा जो मेरी हन का इंतजार कर रहा है. जिसे छोड़ना है
उससे पूच्छ.
आबे ये मुश्किल है पहले अगर मैं अकेला आया होता तो मैं उसे छोड़ लेता पर
अब तो उसे लॅंड मिल रहा है तो वो तय्यार नही होगी. तुझे ही ट्राइ करनी
होगी.
पर देख ले केवल एक बार ही दील्वौनगा.
ओक.

मुझसे हन करवाने के लिए उसने एक बार की खातिर हन तो कर दी पर उसकी आँखों
म सॉफ लिखा था की वो एक बार मे मानने वाला नही है वो ये चाहता है की मैं
एक बार उसे छोड़ने डू फिर तो वो खुद की रह खुद बना ही लेगा. खैर अगर
च्चबिली उससे चूड़ना चाहेगी तो मैं रोकने वाला होता भी कौन हू ओर मेरे
रोके च्चबिली रुकेगी भी नही. पर सबसे बड़ी स्मास्या ये टिकी रसिया को
च्चबिली की दिलाई कैसे जाए.
मैं इसी उधेड़बुन मे था की मैने देखा की रसिया बाहर खड़ा मूट रहा है. आबे
सेयेल ये क्या कर रहा है ये मरवाएगा. ये सोचते हुए मैं उसे रोकने के लिए
बाहर की तरफ भगा. क्यूंकी मुझे पता था की जहाँ वो मूट रहा था वहाँ पर
च्चबिली ने लॉन लगा रखा था वो रोज वो डूब मे घंटो बैठती थी.
मैं जैसे ही बाहर आया तो मैने देखा की च्चबिली तो बाहर ही है ओर साला
रसिया उसकी तरफ मूह करके ही लॅंड बाहर निकले मूट रहा है. उसका लॅंड बाहर
से ही नज़र आ रहा था. मैने सोचा की शायदच्छबिली ने उसे देखा नही है इस
कारण कुच्छ कहा नही है. पर जब मैं बाहर आया तो देखा की च्चबिली तो रसिया
के लॅंड को ही देख रही है. ओर उसकी आँखे सेक्स से भारी हुई थी. वो बड़ी
ही ललचाई नज़रों से रसिया के लॅंड को देख रही थी ओर साला रसिया जान बुझ
कर लॉन मे मूट रहा था अब उसका मूट ख़त्म हो गया था पर अभी भी साला लॅंड
पकड़े खड़ा था. ओर च्चबिली भी उसके लॅंड पर नज़रें गड़ाए खड़ी थी दोनो मे
से किसी को भी इस बात का गुमान नही हुआ की टंकी खाली हो गई है अब
पाइप्लाइन समेत लेनी चाहिए.
मैने बाहर जा कर खांसने की आक्टिंग की तो दोनो अपने अपने को दुरुस्त करने
मे लग गये. मैने रसिया को अंदर बुलाया ओर पूछा क्या प्रोग्रेस है.
एक दम मस्त है भाई. ये तो बड़े आराम से पाट जाएगी. इसने शायद ज़्यादा
लॅंड खाए नही है मेरे लॅंड को बड़ी ललचाई नजरन से देख रही थी.
मैने भी देखा. पर लॅंड को देखना एक बात है पर छुड़वा लेना अलग बात.
तो क्या करें हम
सोचता हू. फिर मैने उसे अपने पास बुलाया ओर कहा तू एक काम कर इसका
हज़्बेंड तो है नही तो हम इसको सेक्स पवर वाली गोली दे देते है फिर ये
चूड़ने के लिए तडपेगी तो पाने आप हमारे पास आएगी.
पर क्या वो हमसे गोली लेगी.
ऑफ कोर्स नोट. नही लेगी पर क्या किसी ओर तरीके से उसे गोली नही दी जा सकती.
"गोली तो मैं खिला दूँगा" मैने कहा "पर सुके बाद का काम तेरे ज़िम्मे है"
बाकी मैं संभाल लूँगा. वो तुझसे तो चुड्ती है ना. तो एक काम करेंगे की जब
वो गोली के असर मे आ कर लॅंड ढूँढती हुई यहाँ वहाँ घमेगी तो तुम उसे पकड़
लेना ओर उसे ओर गरम कर देना.
ओके
मेरा एक पर्सेंट भी मान नही था की मैं रसिया के साथ छबिलि को शेर करू पर
यहाँ दो बातें थी जो मुझे ये सब करने को मजबूर कर रही थी. पहली बात ये की
रसिया मेरा जिगरी दोस्त था ओर आज तक उसने या मैने किसी चीज़ पर हाथ रख
दिया तो दूसरे ने माना नही किया की मैं इस चीज़ को नही दूँगा या शेर नही
करूँगा. हन च्चबिली च्छेज नही थी पर आज रसिया उसे भी शेर करने की ज़िद कर
बैठा था ओर मुझे उसकी ज़िद मन्नानी पद रही थी. दूसरी बात ये की जब रसिया
अपने लॅंड को बाहर निकल कर प्रदर्शनी लगा कर मूत रहा था तो छबिलि उसके
लॅंड को बार बार ललचाई नज़रों से देख रही थी. छॅबिली को इतने सालो से लंड
नही मिला था इस कारण अब वो हर दिखने वाला लंड अपनी चूत मे लेना चाह रही
थी. ओर अगर मैने रसिया को माना कर दिया ओर छॅबिली खुद उसके सामने नंगी
खड़ी हो गई की लो छोड़ दो या रसिया ने उसे फिर से जलवे दिखा कर चोद्ने को
मजबूर कर दिया तो मेरी क्या इमेज रह जाएगी. माशूका भी जाएगी ओर दोस्ती
भी. इससे अच्छा है की माशुका को जाने दू जो की लग रहा था की जाएगी ही. पर
दोस्त पर माशुका को कुर्बान करके दोस्ती तो बचाई जा सकती है.
यही सब सोच कर मैने रसिया को दीपिका की दिलाने का वादा कर लिया था. पर अब
मैं ये सोच रहा था की उसे किस प्रकार चुद्ने के लिए तय्यार किया जाए.
मेरे सामने तो वो सयद ही रसिया से चुड़े ओर मुझे रसिया पर कोई भरोसा नही
था वो उसे बेरहमी से छोड़ सकता था इस कारण मैं चाहता था की जिस टाइम
छबिलि चुदे मैं भी वहाँ पर मोजोद रहू. छबिलि के होश मे रहते हुए ये
मुमकिन नही था.
क्रमशः....................

कुँवारी छबीली -1
कुँवारी छबीली -2
कुँवारी छबीली -3
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raj sharma

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