Saturday, January 30, 2016

FUN-MAZA-MASTI इतना बड़ा कैसे घुसेगा..?

FUN-MAZA-MASTI

इतना बड़ा कैसे घुसेगा..?


दोस्तो.. मेरा नाम कविर है। मेरी उमर 28 साल है.. मैं जयपुर में रहता हूँ।
दो साल पहले मैं अपने बड़े भाई की साली की शादी में मध्यप्रदेश गया था जो कि एक छोटे गाँव में हो रही थी.. उधर काफ़ी लड़कियाँ रिश्तेदारी में थीं, वहाँ मैंने भाई की रिश्तेदारी में एक साली को चोद दिया।
यही मेरी कहानी है जिसका आनन्द लीजिए..
हुआ कुछ ऐसे कि लड़की की वरमाला के बाद मैं सोने के लिए एक कमरे में चला गया।
मुझे पता नहीं था कि वो लड़कियों के तैयार होने का कमरा था।
मेरी अभी नींद लगी ही थी कि लड़कियाँ वहाँ आ गईं। ग़लती से एक लड़की ने मेरे पाँव पर पाँव रख दिया। मेरी हल्की सी ‘आह्ह..’ निकल गई..
उसे पता चल गया कि मैं जाग चुका हूँ। चारों लड़कियाँ सोफे पर बैठ कर बात करने में लगी हुई थीं कि मैंने अपने पाँव के अंगूठे से उस लड़की को छुआ। मेरा पाँव सोफे के अन्दर जा रहा था.. तो किसी को दिखा नहीं।
मुझे लगा कि लड़की को कोई दिक्कत नहीं है.. तो मैंने अपनी हिम्मत बढ़ाई और पाँव के अंगूठे और एक उंगली से उसके पैर में च्यूंटी भर ली।
लड़की ने मेरा पाँव दबा दिया। कमरे में हल्की रोशनी थी। जब लड़कियाँ जाने लगीं तो वह लड़की उन सब में सबसे पीछे जा रही थी।
मैंने उसके पाँव को हाथ से पकड़ लिया। उसने आँख मारी.. और चली गई.. पर मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था।
मैंने सोचा कि आज चुदाई हो सकती है।
जब लड़की के फेरे पड़ रहे थे.. तब वह लड़की मेरे पास आ गई।
पता चला कि उसका नाम कोमल है और वह दुल्हन के मामा की लड़की है। वह बहुत सुंदर लड़की थी.. इतनी कामुक थी कि उसे देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए।
उसने बताया- जब से उसने मुझे देखा है.. तभी से वह मुझे पसंद करने लगी है।
मुझे लगा कि अब तो काम और भी आसान हो जाएगा। उसके मम्मे बड़े मस्त थे और चूतड़ भी 36 इंच की रही होगी।
वह बोली- इधर कोई आ जाएगा.. छत पर चलते हैं।
हम बिस्तर लेकर छत पर चले गए। उसने सीढ़ियों के किवाड़ अन्दर से बंद कर लिए।
फ़रवरी का महीना था और हल्की चाँदनी थी। मैंने बिस्तर पर पटक कर कोमल को बाँहों में भर लिया।
कोमल एक बहुत ही मस्त माल थी। साली को मैंने पकड़ कर खूब मसला और मस्त चुम्बन किए। मैंने चुंबनों की बरसात कर दी।
वो भी पक्की राण्ड थी.. साली मेरे होंठों को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी।
मैंने चूमते-चूमते उसके कपड़े निकालना शुरू कर दिए।
बाप रे क्या कयामत थी.. 18 साल की लड़की और वो भी एकदम नंगी.. कोमल मुझसे चिपक गई और मुझे नंगा करने लगी।
कोमल के मम्मे 34 साइज़ के होंगे। एकदम गोरी माल मेरे लौड़े से चुदने के लिए तैयार दिख रहा था.. मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर कर मेरे लौड़े से चुदने आ गई हो।
मैं कोमल के मोटे मम्मों को दबाने लगा।
कोमल ‘उह्ह.. आहह.. आ.. आहा आह आह आहा आह’ की आवाज़ें निकाल रही थी।
मैंने कोमल को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पाँवों को चूमने लगा। मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। कोमल की चूत अब मेरे होंठों से कुछ ही दूरी पर थी।
मैंने देखा और मन ही मन खुश हो गया- अरे वाह.. कोमल तुमने तो चूत को साफ किया हुआ है।
मैं पागलों की तरह उसकी चूत को चाटने लगा। मैंने उसके पाँवों को पूरी तरह फैला दिया।
अब चाँदनी रात की दूधिया रोशनी में मुझे कोमल की चूत मस्त फूली सी दिख रही थी। कोमल की चूत से पानी निकलने लगा और मैंने सारा पानी चाट लिया। कोमल सिसकारियाँ भर रही थी।
कोमल मादकता भरे स्वर में बोली- कविर मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगी हूँ।
मैंने कहा- मेरी जान.. मैं भी तुमसे प्यार करने लगा हूँ।
कोमल ने मेरा लंड पकड़ रखा था और बोली- ये क्या है.. इतना बड़ा..!
मैंने कहा- यही तो तुम्हारी चूत का यार है..
कोमल ने इठलाते हुए कहा- यार है.. तो अभी तक चूत से मिला क्यों नहीं..!
मैंने कहा- तुम छोड़ो.. तो चूत से मिले..
 
कोमल ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। अब उसके नरम-नरम होंठों के बीच मेरा लंड फंसा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। कुछ ही देर में उसने मेरा रस निकाल दिया और खुद कोमल ने उसे चाट कर साफ कर दिया।
अब हम एक-दूसरे को किस कर रहे थे और कोमल का हाथ मेरे लंड को सहला रहा था। इससे मेरा लंड जल्दी ही कड़क हो गया.. अब वो एकदम लोहे की छड़ जैसा हो गया था।
मेरे 8 इंच के लंड ने कोमल को थोड़ा डरा दिया था, वह बोली- इतना बड़ा कैसे घुसेगा..? इससे तो मेरी चूत ही फट जाएगी.. मैं नहीं ले पाऊँगी।
मैंने उससे प्यार से कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा.. देखना कितने मजे से चूत इसको खा लेगी..
कोमल की चूत गीली हो रही थी और उसका आकार भी बड़ गया था.. फिर क्या था.. मैंने अपने लंड का सुपारा कोमल की चूत के मुँह पर रखा।
जैसे ही मैंने हल्का सा धक्का दिया.. तो मेरे लंड का सुपारा कोमल की चूत में धंस गया।
कोमल की ‘आहह..’ निकल गई और उसकी आँखों में आँसू आ गए। मैंने कुछ समय यथा स्थिति रहने के बाद लंड को कुछ हिलाया.. तो थोड़ा और अन्दर घुसेड़ डाला।
कुछ पल दर्द सहने के बाद कोमल को अब अच्छा लगने लगा। मैं धीरे-धीरे लंड को कोमल की चूत में भीतर-बाहर चलाने लगा, कोमल को इससे मज़ा आने लगा- आआआहह.. आ आ आहा.. मजा आ रहा है.. और जोर से चोदो ना कविर चोदो.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.. फाड़ डालो.. मेरी चूत को.. आहह.. उई माँ.. मार डाला.. तुम कहाँ थे इतने दिनों से.. चुद गई आज तो… आह्ह.. मेरी तड़प मिटा दो..
मैंने अपने लंड की रफ़्तार बढ़ा दी.. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। उसकी चूत कई बार पानी छोड़ चुकी थी.. पर मेरा लंड अभी बहुत प्यासा था। मैं पसीने से तर हो रहा था।
मैंने कोमल को बहुत तक चोद कर उसे संतुष्ट कर दिया। अब कुछ देर बाद मेरी दुबारा चोदने की मनसा हो उठी.. पर उसकी पहली चुदाई थी और वह बहुत थक गई थी।
फिर हमने कपड़े पहने और मीठी बातें की..








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FUN-MAZA-MASTI लाल कर दिया चूस-चूस कर

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लाल कर दिया चूस-चूस कर

आप सभी पाठकों को मेरा नमस्कार ! मेरा नाम अभिषेक है,   बात उस समय की है जब मैं इंजीनियरिंग कर रहा था और तीसरे वर्ष में था। तो मुझे अपनी जूनियर लड़की से इकतरफा प्यार हो गया था। उसका नाम माया है.. अच्छा है ना…!
मैं उसे बस देखता ही रहता था, पर कभी हिम्मत नहीं हुई। देखती तो वो भी थी, पर मैंने उसको बोलने की एक दिन हिम्मत कर दी, फिर क्या था उसने तो देखना भी बंद कर दिया।
एक दिन की बात है, हम सभी दोस्त गाड़ी से घूम रहे थे, तो मैंने देखा कि कुछ लड़के माया को, जो कि अपनी 4 सहेलियों के साथ घूम रही थी, छेड़ रहे थे।
तो फिर क्या था हम दस लोग थे, हम सबने उन लड़कों की बैंड बजा दी।
मेरी लव-स्टोरी मेरे सारे दोस्त जानते थे, फिर क्या था माया अब मुझे बात करने के बहाने ढूँढने लगी।
मैंने भी उससे खुल कर बात करना शुरू कर दिया।
हम दोनों कॉलेज में एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते, शाम को घूमते रहते थे, बस ऐसे ही दिन कट रहे थे।
एक दिन मेरे सारे रूम-मेट्स कॉलेज गए पर मैं नहीं गया।
मैंने माया को एक दिन पहले ही बता दिया था कि कल मैं कॉलेज नहीं जाऊँगा।
सुबह के दस बजे मेरे रूम की घन्टी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो देखा माया..!
एक बात आप सभी को बता दूँ कि माया मेरे घर के पास ही रहती थी, वो भी अपनी कुछ सहेलियों के साथ रूम किराए पर लेकर रह रही थी। मेरा रूम वो जानती ही थी। मैंने दरवाज़ा खोला देखा कि माया आई है।
मैंने पूछा- तुम कॉलेज नहीं गईं?
उसने कहा- नहीं..!
फिर क्या था मैं और माया मेरे रूम में आ कर मेरे बेड पर बैठ गए।
मैंने उसका हाथ पकड़ कर बोला- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।
तो उसने भी वही कहा, मैंने कहा- मैं तुमको चुम्बन कर लूँ..!
तो उसने साफ़ मना कर दिया, मैंने हिम्मत नहीं हारी।
मैं जानता था कि शाम 5 बजे तक कोई नहीं आने वाला। फिर धीरे-धीरे मैं उससे बात करते-करते कभी उसके गले में हाथ फेरता, कभी गाल पर… धीरे-धीरे वो गर्म होने लगी, उसकी साँसें पहले से ज्यादा गरम लग रही थीं।
मैंने हिम्मत करके उसको गालों को चूम लिया। उसने कुछ नहीं कहा, फिर मैंने उसके होंठों को अपनी उंगली से सहलाने लगा और मैं उसके होंठों पर अपने होंठों को लगा कर चूसने लगा।
पहले तो उसने मना किया, फिर थोड़ी देर में साथ देने लगी, हम 10-15 मिनट तक चूमते रहे।
जैसे मैंने उसके मम्मों पर हाथ रखा, वो एकदम से मचलने लगी, फिर उसने मना कर दिया।
मैंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी।
वो मेरे रूम में पहली बार आई थी तो उसने मेरे कंप्यूटर के पास कुछ सीडी देखीं तो कहा- यह क्या है?
मैंने बोला- यह फिल्म की सीडी है।
तो उसने कहा- चलो देखते हैं!
तो मैंने कहा- यह ब्लू-फिल्म की सीडी है!
उसने बोला- कोई बात नहीं… चलो ना देखते हैं!
फिर क्या था.. जैसे ही मैंने फिल्म लगाई, तो उसमें लंड चूसने का सीन आ रहा था तो उसने बोला- बहुत गंदा है!
मैंने कहा- इंडियन लड़कियों के नीचे काली ही होती है।
उसने कहा- यह ज़रूरी नहीं है.. मेरी तो नहीं है..!
मैंने कहा- दिखाओ.. मैं नहीं मानता।
उसने अपनी जीन्स उतारी, फिर अपनी चड्डी नीचे की।
मैंने देखा, उसकी चूत एकदम गोरी, चिकनी थी और थोड़ी गीली भी थी।
मैं समझ गया कि उसको भी मज़ा आ रहा है।
मैंने बोला- हाँ… सच में एकदम मस्त है!
फिर जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ, वो सिसकारियाँ लेने लगी।
फिर मैं अचानक उसको चूसने लगा।
वो ‘प्लीज़ मत करो..!’ बोल रही थी, पर अपनी कमर हिला रही थी। उसको मज़ा आ रहा था।
मैं 69 की स्थिति में उसकी चूत चाट रहा था। अचानक मुझे ऐसे लगा जैसे मेरा लण्ड उसके मुँह के पास था। मैंने अपने लण्ड को उसके मुँह में महसूस किया वो मेरा लवड़ा चूस रही थी।
यह मेरा पहला अनुभव था बहुत मज़ा आ रहा था। फिर दस मिनट के बाद मैं अपने लंड को उसकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा और साथ-साथ उसकी टी-शर्ट और ब्रा एक साथ निकाल दिए।
अय हय..क्या दुद्धू थे उसके..! एकदम गोल आकार में.. जैसा ब्लू-फिल्म में होते हैं..!
मैंने उसके मम्मों को खूब चूसा… लाल कर दिया चूस-चूस कर..!
वो सिर्फ़ मुँह से आवाज़ निकाल रही थी ‘प्लीज़ मत करो…कभी प्लीज़ करते रहो…!
मुझे भी अच्छा लग रहा था, फिर उसके पैरों को अपने कंधे पर रखा और धीरे से अपने लंड को उसकी चूत के अन्दर डाल दिया।
वो चिल्लाई- प्लीज़ मत करो… दर्द हो रहा है!
मैं बोला- पहली बार थोड़ा सह लो, फिर मज़ा आएगा!
जैसे ही उसका दर्द कम हुआ, मैं पूरे दम से उसकी चुदाई करने लगा।
मेरा भी पहला अनुभव था, तो जल्दी ही मेरा माल आने लगा, मैं तुरंत अपने लंड को बाहर निकाल कर बाथरूम में चला गया।
फिर मेरा लंड तो खड़ा ही था, मैंने उसको डॉगी स्टाइल में आने को बोला।
उसके बाद उसकी चुदाई की, मैं दस मिनट बाद फिर से झड़ गया।
अब 3 बज गए थे, अभी भी 2 घंटे बाकी थे। तो मैंने कॉफी बनाई, हम नंगे ही थे।
उसके बाद हम फिर बेड पर आ गए।
मैंने कहा- मेरे ऊपर आओ… ऐसे ही थोड़ी देर आराम करते हैं।
मैं अलग आसन में और चुदाई करना चाहता था। वो भोली सी आकर मेरे ऊपर लेट गई। मैंने धीरे से अपने लंड को उसके चूत के मुँह के पास लगा दिया।
उसके वजन से लंड आराम से उसकी चूत में समा गया। अब वो खुद कूद-कूद कर मज़े ले रही थी, मैं नाटक कर रहा था- प्लीज़ बस… बस..!
मज़ा तो मुझे ज्यादा आ रहा था, उसके बाद अचानक उसने कहा- मुझे अन्दर कुछ आता हुआ महसूस हो रहा है।
मैंने अब अपनी स्पीड बढ़ा दी।
उसके बाद मुझे भी लगा कि मेरा भी माल आने वाला है। जैसे ही माया का माल छूटा मैंने उसके तुरंत बाद अपना लंड निकाल कर हाथ से अपने लंड को दबा कर बाथरूम चला गया।
अब साढ़े चार बज रहे थे।
उसने कहा- अब मैं जा रही हूँ। कल भी कॉलेज नहीं जायेंगे, कल तुम मेरे रूम में कॉफ़ी पीने आना।
और मुस्कुराकर चली गई।










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FUN-MAZA-MASTI अभी तो खेल बाकी है

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अभी तो खेल बाकी है


सभी पाठकों को हॉट बॉय का प्यार भरा नमस्कार।
मैं रोज की तरह कॉलेज जा रहा था। मैं सुबह-सुबह निकल जाता हूँ क्योंकि रोज काफी लोग जोगिंग के लिए आते थे। उनमें काफी लड़कियाँ और भाभी भी होती थी! जब मैं उनको जोगिंग-ड्रेस में देखता तो मेरा तो खड़ा हो जाता था और कभी कभी निकल भी जाता था। क्या नजारा होता था सुबह सुबह रोज…
उस दोरान एक भाभी कभी कभी मुझे देख कर मुस्कुरा देती थी और मैं भी मुस्कुरा देता था। ऐसे ही चलता रहा एक-दो महीना !
फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके गुड मोर्निंग कहा तो उन्होंने भी गुड मोर्निंग कहा।
फिर मैंने पूछा- आपका क्या नाम है?
तो उसने कहा- मीरा !
मैंने सोचा कि चलो बात शुरु हुई तो कुछ तो होगा।
उसके बाद रोज सुबह मैं जल्दी जाता और हम लोग जोगिंग करते-करते बाते करते थे। मैं भी जोगिंग कर लिया करता था क्योंकि जबरदस्त भाभी जो मिली थी- उसका फिगर क्या कमाल का था 36-28-38, मुझसे 4-5 साल बड़ी होगी वो।
वो कोई सर्विस नहीं करती थी, उसके पति का बिज़नस जो था, कुछ एक्सपोर्ट का काम करता था जो ज्यादातर बाहर ही रहता था।
फिर बातों बातों में मैं रोज कुछ न कुछ नया पूछ लेता था। हम लोग काफी खुल गए थे। जब धीरे-धीरे मैंने सेक्स के बारे में पूछना शुरु किया तो वो खुल कर जवाब देने लगी थी।
एक बार मैंने पूछा- सेक्स में लड़की को सबसे ज्यादा कैसे मजा दे सकते हैं?
तो उसने मुझे मुस्कुराते हुए कहा- तुम तो धीरे-धीरे बहुत रुचि ले रहे हो सेक्स में !
तो मैंने कहा- बताओ ना !
तब उसने कहा- दो दिन बाद तुम मेरे घर पर आ जाना, मैं तुम्हें सब समझा दूँगी।
मुझे तुरंत दिमाग में झटका सा लगा कि अब मेरी चुदाई हो जायेगी, चिड़िया फंस गई !
जब मैं उसके घर गया तो पता चला कि वो पति पत्नी और उसकी सास भी साथ में रहती थी। उसका पति तो बाहर गया था एक हप्ते के लिए और उसके सास भी गाँव गई थी। घर में अब वो अकेली थी और मैं गया तो देखा कि बहुत बड़ा घर था। मुझे उसने ड्राइंग रूम में बैठने को कहा और मेरे लिए शरबत लाई। हम लोग शरबत पीने लगे और बातें करने लगे।
तभी मैंने पूछा- कैसे किसी लड़की या औरत को ज्यादा मजा दे सकते हैं ?
वो बोली- तुमने कभी सेक्स किया है?
मैंने कहा- नहीं !
मीरा ने कहा- तो पहले तुम को अनुभव लेना पड़ेगा !
मैंने कहा- कैसे ? मेरी तो गर्ल फ्रेंड भी नहीं है।
तो वो बोली- अरे बुद्धू ! मैंने तुम्हें यहाँ किस लिए बुलाया है !
फिर मुझे कहा- चलो, मैं तुम्हें कुछ सिखाती हूँ..
वो मुझे बेडरूम में ले गई। क्या कमाल का बेडरूम था !
उसने मुझे पास खींचते हुए कहा- लड़की तो ऐसे चूमते हैं !
और उसने मुझे चूम लिया…
क्या गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होँठ थे उसके !
उसके बाद उसने अपनी जीब मेरे मुँह में डाल दी और मैंने भी ऐसे ही अपनी जीभ उसके मुँह में डाली और वो चूसने लगी।
मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे खींचा, उसने मेरे चूतड़ों को दबा दिया। ऐसे ही हम लोग 5 से 7 मिनट तक चूमते। यह मेरा पहला चुम्बन था।
फिर उसका हाथ मेरे लण्ड पर गया और सहलाने लगी। फ़िर पैंट के बाहर निकाल कर बोली- देखो तुमको मालूम है कि इसके लिए लड़की कुछ भी कर सकती है !
मैं खड़ा था और वो मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
अरे यारो, क्या मजा था वो ! मीरा मेरा लण्ड लॉलीपोप की तरह चूस रही थी, मेरे चूतड़ों को दबा रही थी और मेरी दोनों गोटी को धीरे-धीरे दबा रही थी ! धीरे धीरे वो मुँह में अन्दर-बाहर करने लगी।
मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा था। वो तो जैसे प्यासी शेरनी के तरह चूसे ही जा रही थी। क्या स्टाइल से चूस रही थी, जैसे उसको लम्बा अनुभव हो। जैसे-जैसे वो अन्दर-बाहर करती गई, मैं उम्म्म …. आआ..ह्ह्ह्ह.. करते-करते करीब 10-12 मिनट के बाद में झड़ गया !
उसने पूछा- मजा आया ?
मैंने कहा- हाँ !
वो बोली- चल अब बताती हूँ कि लड़की को कैसे मजा आता है।
वो अपने कपड़े निकाल कर बेड पर लेट गई और मुझे कहा- इस रानी को तू खा सकता है ?
कसम से, क्या चूत थी… एकदम गुलाबी।
थोड़ी ही देर में मैं भी पूरा नंगा हो गया…।
मेरा एक हाथ उसकी चूचियों पर चल रहा था और दूसरा उसकी चूत पर। चूत भट्ठी हो रही थी और पूरी गीली हो चुकी थी…
उसकी साँसें तेज़ और गर्म थीं जो मुझे महसूस हो रही थी। सपनों में तो उसे कितनी बार चोद चुका था, पर आज सपना सच लग रहा था। उसकी गुलाबी चूत को मैं अपनी जीभ से चाट रहा था और उसके दाने को जीभ से हिला रहा था।
तब उसने कहा- जीभ को अन्दर-बाहर कर !
तो मैंने उसे जीभ से ही चोदना चालू किया और झटके मार-मार कर चूस रहा था।
थोड़ी ही देर में वो उम्म्म आःह्ह्हाम करने लगी और मैं जीभ को तेज करता गया। जैसे जीभ तेज होती गई, उसकी आवाज और जोर से आने लगी- उम्म्मम्म अल्ल उम्म्म्मा ओह्ह्ह और उसकी चूत से मस्त स्राव होने लगा जिसे मैं चाट गया और वो झड़ गई !
मैंने कहा- क्या सब लोग ऐसा ही करके मजा लेते हैं ?
उसने कहा- हाँ !
फिर मैं कपड़े पहनने लगा तो वो बोली- मेरे राजा ! अभी तो खेल बाकी है !
फिर उसने मुझे अपने पास बुलाया और मेरे लटके लण्ड को सहलाने लगी !
और मैं उसके बोबे सहलाने लगा। थोड़ी ही देर में मेरे लण्ड में फिर उफ़ान आया और उसने मुझे कहा- चल अब ऊपर आजा मेरे राज्जा !
मैं उसके दोनों पैरों के बीच में था और वो मेरे नीचे ! मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और धक्का दे दिया मगर मेरा लण्ड निशाने पर नहीं लगा। तभी वो हंस कर बोली- मेरे राजा, यही तो मजा है नए खिलाड़ी के साथ ! और उसने मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और कहा- जोर लगा दे !
और मेरे एक धक्के में लण्ड चूत में चला गया। फिर तो धक्के पर धक्के लगातार ……..
मैं ऊपर से जोर लगाता, वो नीचे से और ज्यादा जोर से मारती ! धक्के तेज होने लगे, मैं उसे चूमने लगा और उसके बोबे भी दबा कर चूस रहा था और वो मेरे चूतड़ों को अपनी और खींच रही थी।
उसके चूत में से फिर से स्राव होने लगा जिसकी वजह से कमरे में खाच्क्क खाच्च्का की आवाज आने लगी और उसके मुँह से भी उम्मम्म्म्म अह्ह्ह्ह्हा अरीईईए जोर से ……… और जोर से ! उम्म्म्मम्म्म्मम्म !
दोनों की सांसें तेज होती जा रही थी और मैं झड़ने वाला था। मैंने कहा- अरे, फिर से मेरा निकलने वाला है !
वो बोली- मेरा भी !
और दोनों ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। उसने मुझे जकड़ लिया और चूत में से पानी निकलने लगा जिसकी वजह से मेरा लण्ड फिसलने लगा और में भी उम्म्मम्म्म्मम्म कर के झड़ गया !!
और थोड़ी देर उसके ऊपर ही पड़ा रहा फिर हम दोनों बारी-बारी करके बाथरूम में फ्रेश हो गए और उसने चाय और नाश्ता लाकर मुझे कहा- चलो नाश्ता कर लो !
फिर नाश्ता करके मैंने कहा- अब मैं चलता हूँ वरना देर हो जाएगी तो घर पर सब चिंता करेंगे।
तो वो बोली- एक मिनट !
मैंने कहा- क्यों ?
तो वो बोली- यह तुम्हारा इनाम है !
और बोली- एक मोबाइल ले लेना ! जब भी मैं फ़ोन करूँ, आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है, मैं आ जाउँगा जब तुम बोलोगी !
और उस दिन के बाद मैं उसकी कई सहेलियों को मिला हूँ और मुझे भी याद नहीं कि कितनी रात मैंने बाहर बिताई हैं !
दोस्तों इस तरह से मैं एक सीधे साधे लड़के से कॉल-बॉय बन गया।









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FUN-MAZA-MASTI अनचुदी सीलबन्द लड़की

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अनचुदी सीलबन्द लड़की


मेरा नाम बिरजू सिंह राजपूत है।  मैं आप लोगों को अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ, बात 5 साल पहले की है।
मैं एक हट्टा-कट्टा लड़का हूँ पर मैं सन्कोची स्वभाव का था, लड़कियाँ अक्सर मुझे छेड़ती रहती थीं और मैं शरमा कर रह जाता था।
मैंने कभी भी किसी लड़की से सेक्स नहीं किया था, मैं सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता था कि कैसे किया जाता है… क्या होता है?
फ़िर एक दोस्त से मेरी मुलाकात होने के बाद मैं बदल गया, मेरा वो दोस्त लड़कियों को पटाने की कला खूब जानता था, उसने मुझे लड़कियों से मजे लेना सिखाया।
मैं अब लड़कियों से बातें करने में हिचकिचाता नहीं था, मैं भी अब किसी लड़की के साथ सम्भोग करने की जुगाड़ में रहने लगा।
मैं सोचता रहता था कि साली यह चूत दिखने में कैसी होती होगी? सेक्स में कैसा आनन्द आता होगा वगैरह-वगैरह.. मैं ब्लू फिल्में देखने लगा। कभी-कभी ज्यादा जोश आने पर मैंने अपना वीर्य मुठ मार निकाल लेता था पर उसमें वो मजा नहीं आता था जो मैं चाहता था, मैं किसी कुंवारी लड़की की चूत में अपना लण्ड डाल कर देखना चाहता था।
ऊपर वाले ने मेरी सुन ली और मुझे वो मौका मिल गया, जिसका मुझे बहुत दिनों से इन्तजार था।
मैं पढ़ाई करने के लिये अपनी नानी के यहाँ चला गया, वहाँ घर में बहुत से लोग रहते थे। दो मामी थीं, वो दोनों ही बड़ी जबरदस्त माल लगती थीं, पर उनसे मेरा टांका नहीं भिड़ पाया क्योंकि घर के सारे लोग बहुत सख्त थे, नाना-नानी में किसी लड़का-लड़की को ज्यादा बात नहीं करने देते थे।
यूँ ही दिन कट रहे थे, एक दिन एक रिश्तेदार की लड़की भी पढ़ाई करने के लिए नानी के यहाँ आकर रहने लगी।
यही मेरी पहली चाहत थी।
उस लड़की का नाम सोनी था, मुझे पूरा यकीन था बिल्कुल कुंवारी थी, वह बहुत ही खूबसूरत थी। उसकी खूबसूरती के बारे में क्या कहूँ। वो बहुत ही कमसिन थी। उसकी लम्बाई 5′ 2″ थी, बिल्कुल मेरे जितनी थी, गेहुआं रंग था, गाल फ़ूले हुए, होंठ तो बिल्कुल गुलाब की पंखुरियों के जैसे थे। कमर औसतन पतली थी। सीना उठा हुआ।
उसके दूध.. उफ़ क्या गजब के थे.. उफ़.. जब झाडू लगाने के लिये झुकती थी, तो उसका उसके पपीते जैसे दूध मेरे दिल में एक सुरुर सा पैदा कर देते थे..!
मन करता था कि बस उसके दूध पकड़ कर चूस ही लूँ और सारे दूध मुँह में लेकर खा जाऊँ। अपना लन्ड उसके मुँह में दे दूँ, पर मन मार कर रह जाता था। उसकी टांगें भरी-भरी थी, जांघें ..उफ़.. बहुत ही माँसल…और भरी हुई थीं। चूंकि वह मेहनत करती थी, सो उसका हर अंग कसा हुआ था।
उसकी कमर, हाय.. जब चलती थी, तो बिल्कुल मोरनी की तरह चलती थी। दोस्तों मैं जो कह रहा हूँ, बिल्कुल सत्य कह रहा हूँ, एक-एक बात सच है।
मेरा और उसका कालेज पास ही पास था, रोज कालेज जाते वक्त उससे चुपके से मजाक करके जरूर जाता था।
उसका किसी भी लड़के के साथ मेल-जोल नहीं था तो वह बिल्कुल गुलाब की कच्ची कली लगती थी। किसे पता था इस कली को फ़ूल मैं ही बनाऊँगा।
क्योंकि उसके पिता की मौत हो चुकी थी तो उसकी मां उस पर बहुत कन्ट्रोल रखती थी। उसकी भरी जवानी देखकर कईयों के दिल मचल जाते थे, पर वह किसी को भी घास नहीं डालती थी, जाने मुझसे कैसे फंस गई, यह मेरा नसीब ही था कि मुझे पहली चूत कुंवारी ही मिल रही थी।
मैं भी कुंवारा था, अब मैं मौके की ताक में रहने लगा, वह भी धीरे से इशारे किया करती थी।
एक दिन घर में हमारे आसपास कोई नहीं था, मैंने मौका पाकर अपने प्यार का इजहार कर दिया और जमानत के तौर पर उसके चिकने गाल पर चुम्मा जड़ दिया।
उफ़… पहली बार किसी लड़की का चुम्मा लिया, तो शरीर में करन्ट सा दौड़ गया।
फ़िर मिलने का वादा कर मैं वहाँ से चला गया।
मुझे तो अब उस दिन का इन्तजार था जब उसका भरा हुआ जिस्म मेरे सामने हो, कोई कपड़ा, कोई पर्दा ना हो।
ऊपर वाले ने मेरी भी सुन ही ली, एक दिन घर के सारे लोग एक विवाह में गए हुए थे, मुझे खास तौर से घर की देखभाल करने को कहा गया था।
मैं मन ही मन खुश हुआ कि आज फ़िर वह अकेले में मिलेगी और मेरा अरमान पूरा होगा। घर में बस मैं और वो और एक मामा की लड़की और थी। मामा की लड़की घर में होने से किसी को शक नहीं था कि कुछ गलत भी हो सकता है।
मैंने सोचा ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता। मैंने टीवी पर एक पिक्चर चला दी और मामा की लड़की को पिक्चर देखने को कहा और खुद अपने अरमानों की महफ़िल सजाने के लिए नीचे चला आया।
नीचे आकर मैं सोनी का इन्तजार करने लगा। जैसे ही वह कालेज से लौट कर आई, मैंने दरवाजे के पीछे दबोच लिया।
मैंने उससे कहा- आज मैं तुमसे कुछ मांग रहा हूँ, ‘ना’ मत करना।
शायद वो भी इसी पल का इन्तजार कर रही थी, उसने कहा- ठीक है, जो माँगना चाहते हो ले लो।
इतना सुनकर मैं तो खुशी के मारे फ़ूला ना समा रहा था, मेरा लन्ड मेरे अन्डरवियर में समा ना रहा था।
मैंने उसे कमरे में चलने का इशारा किया तो उसने कहा- क्या करोगे… कमरे में जाकर.. कोई देख लेगा तो क्या कहेगा..!
मैंने कहा- आज घर में कोई नहीं है, आज मैं ‘वो’ सब कुछ करूँगा।
मैं उसे खींच कर उसे कमरे में ले गया और झट से अपनी पैन्ट उतार कर, उससे भी कपड़े उतारने को कहा।
तो वो शरमाने लगी, बोली- मुझे शर्म लग रही है।
मैंने उसे समझाया- मेरी छम्मकछल्लो… आज मैं तुम्हें ऐसा मजा दूँगा कि तुम रोज ही मेरे पास आया करोगी।
वह बोली- कहीं कुछ हो गया तो.. मैं मर जाऊँगी… मेरे घर वाले मुझे काट डालेंगे… नहीं मैं ऐसा नहीं करूँगी।
मैंने सोचा- मुर्गी फंस कर जाल से निकली जा रही है।
मैंने झट से अपना अन्डरवियर भी उतार दिया, अब मैं सिर्फ़ बनियान पहने था, मेरा लन्ड ऐंठा जा रहा था, बिल्कुल केले की तरह सीधा हो गया था।
मैंने अपना लन्ड उसके हाथ में पकड़ा दिया, पहले तो वह पकड़ नहीं रही थी, फ़िर मैंने जबरदस्ती उसका हाथ पकड़ कर अपने लन्ड पर कस दिया।
‘आह…!’ मेरे मुँह से आनन्द की आवाजें आने लगीं। पहली बार किसी लड़की ने मेरा लन्ड हाथ में पकड़ा था। मैंने उसे अपना लन्ड चूसने को कहा।
वह कहने लगी- मैं ऐसा गन्दा काम नहीं करूँगी।
मैंने उसे ताकत लगा कर नीचे जमीन पर बिठा दिया और अपना लन्ड उसके मुँह में दे दिया, लन्ड को आगे-पीछे करने लगा।
मेरे अंडकोष उसकी ठुड्डी से टकरा रहे थे। आनन्द के मारे मेरी आँखें बन्द हो गई थीं। मैं तो जैसे स्वर्ग में विचरण कर रहा था।
मेरे दोस्त ने बताया था कि लड़कियाँ कभी भी अपनी तरफ़ से पहल नहीं करती हैं। करीब 2-3 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा, फ़िर मुझे ध्यान आया कि मैं तो मजे ले रहा हूँ, पर वह नहीं..!
अब तक वो भी पूरे जोश में आ गई थी, बस अब हथौड़ा मारने की देर थी।
मैंने उससे कहा- मैं सेक्स करना नहीं जानता, कहाँ से शुरुआत की जाती है।
वो बोली- मैंने भी कभी नहीं किया।
मैं सोच रहा था, अगर मैं इसे सन्तुष्ट न कर पाया, तो मेरी बेइज्जती हो जाएगी, मैं पहले सम्भोग में ही नाकामी नहीं चाहता था।
फ़िर मुझे अपने दोस्त के टिप्स याद आए, सो मैंने उसी के अनुसार काम करना चालू कर दिया, मैंने उसे पास पड़ी खटिया पर लिटा दिया और उसकी कुर्ती उतार दी, उसके चिकने ठोस दूध समीज मे से झांक रहे थे।
मुझे कुछ-कुछ डर लग रहा था, जिससे मेरा दिल जोर से धड़क रहा था। इतनी जोर से कि वो भी मेरी धड़कन की आवाज सुन रही थी।
मैं तो पूरे जोश में था ही, उसके दूध कस कर दबा दिए, वो चिल्ला पड़ी… ‘अई…आई… दर्द हो रहा है..!
मैंने कहा- थोड़ा रुको, यही दर्द तुम्हें जन्नत की सैर कराएगा।
मैंने उसके गालों, होंठों के बीस-पच्चीस चुम्बन लिए। फ़िर उसकी शमीज भी उतार दी।
उफ़… उसके गोरे चिकने कबूतर के जैसे, पपीते के आकार के मम्मे मेरी नजरों के सामने थे। वो मम्मे जिन्हें मैं झाडू लगाते समय दूर से ही देखा करता था आज वो साक्षात मेरी आँखों के सामने थे। मैं उन्हें खाने के लिये भूखे शेर की तरह झपट पड़ा।
उसका बोबा जितना मेरे मुँह में आ सका उतना लेकर मैं जोरों से चूसने लगा, वो ‘आह…आह’ करने लगी, ‘उम्ह उम्ह’ की आवाजें निकालने लगी।वह अपनी दोनों टांगें जोर से आपस में रगड़ रही थी।
उफ़.. उस कमरे के अन्दर क्या तूफ़ान चल रहा था..!
उसके दूध चूसने के बाद मेरी जीभ उसके नंगे बदन पर दौड़ लगाने लगी। पहले उसका पेट उसकी, गर्दन सब कुछ मैंने कुछ ही मिनट के अन्दर जाने कितनी बार चूम डाला।
वो लगातार आँखें बन्द करके ‘उम्ह्…उम्ह’ कर रही थी। मेरा हाथ सरकता हुआ उसकी सलवार के अन्दर होता हुआ उसकी चड्डी में मुख्य गुफ़ा को तलाशने लगा।
वो गुलाबी छेद मिलते ही मेरी उंगली उसमें घुस कर गहराई का अन्दाजा लगाने लगी।
क्या चिकनी थी… उसकी चूत..!
मुझसे रहा न गया मैंने झटका देकर सलवार को नाड़े से आजाद कर दिया। हालांकि उसने इसका विरोध भी किया, लेकिन जब तन में आग लगी हो, तो सारी रुकावटें फ़ना हो जाती हैं।
मैं रोमांचित हो रहा था, जो चीज सपनों में फिल्मों में देखी थी, वो आज मेरे सामने आने वाली है। मैंने उसकी टांगें ऊपर उठा कर उसकी चिकनी माँसल जांघों को सलवार की कैद से आजाद कर दिया।
हाय.. वो कुआं जिसमें मेरा लण्ड गोते लगाने वाला था.. अब बस एक ही परदे के अन्दर रह गया था।
उसने लाल रंग की चड्डी पहन रखी थी।
मैं उसके ऊपर लेट गया, मेरा लन्ड उसकी चड्डी के अन्दर के कुएँ में घुसने की चेष्टा करने लगा।
मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था पर मैं इस अनमोल घड़ी का पूरा आनन्द लेना चाहता था तो हर काम धीरे-धीरे कर रहा था।
वो जोर से कसमसाने लगी और बोली- अब और क्या करोगे अपना सामान मेरी चूत में डालते क्यों नहीं..!
मारे जोश के हम दोनों के चेहरे लाल हो गए थे, मेरी जीभ ने एक बार फ़िर से उसके कसे हुए बदन पर दौड़ लगाई।
मैंने उससे कहा- सब मैं ही करता रहूँगा कि तुम भी कुछ करोगी।
उसने मेरी बात सुन मेरे बदन पर 10-15 ‘पुच्ची’ जड़ दीं, फ़िर लेट गई।
मैंने उससे कहा- और कुछ नहीं आता क्या..!
मैं समझ गया कि यग कुछ नहीं करेगी, मैंने ही आगे की रासलीला चालू कर दी। मेरा हाथ उसकी चूत को मसल कर, सहला कर, उंगलियों से उसकी गहराई का अन्दाजा लगा रहा था।
फ़िर मैंने उसकी मैंने टाँगें ऊपर उठाईं और चूत के ऊपर से पर्दा हटा दिया। अब उसके बदन के ऊपर एक कपड़े के नाम पर एक धागा भी नहीं था।
उफ़.. मेरा मन मस्ती से डोलने लगा।
जिन्दगी में पहली बार चूत के दर्शन पाकर मैं तो धन्य हो गया, ऐसा लग रहा था कि दो झिल्लीदार सन्तरे की फाँकें आपस में चिपका दी गई हों या डबलरोटी के दो टुकड़े काट कर चिपका दिए हों।
मैं भी अपने बचे-खुचे कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो गया। मैंने अपना लन्ड हाथों से सहलाया और फ़िर उसकी चूत पर फ़िराया जो जोश के मारे टेड़ा हुआ जा रहा था।
वो जोर से कहने लगी- डालते क्यों नहीं..अन्दर..!
वो अपनी कमर ऊपर उठा-उठा कर संकेत दे रही थी कि अब और इन्तजार नहीं कर सकती।
मैंने उसकी मंशा समझ अपना लन्ड उसकी मखमली चूत में पेल दिया, वह दर्द के मारे ‘आंह…आंह’ करने लगी।
मेरी तो आन्न्द की वजह से आँखें ही नहीं खुल रही थीं, मेरा लन्ड उसकी चूत में बराबर आगे-पीछे जा रहा था। जाने मैं ये सब कलायें कैसे और कब सीख गया..!
कमरे के अन्दर ‘ऊह…आह’ की आवाजें निकल रही थीं। मेरा तो बदन ऐसे तप रहा था, जैसे बुखार आ गया हो। मेरे लन्ड में तो जैसे गुदगुदी हो रही थी, मैं बता नहीं सकता, उस वक़्त मुझे क्या महसूस हो रहा था..!
सारी दुनिया का मजा इसी काम है जैसे ऐसा लग रहा था, मन कर रहा था कि पूरा लन्ड घूसेड़ दूँ। उसकी चूत काफ़ी टाईट थी क्योंकि मेरा औसत मोटाई का लन्ड उसकी चूत में फ़िट हो रहा था और मुझे ताकत लगानी पड़ रही थी।
मैंने जो सोचा था वो नहीं हुआ, मेरा वीर्य 5 मिनट के बाद ही निकल गया। जैसे ही मेरा वीर्य निकला, मुझे लगा कि सारा वीर्य इसमें ही निकाल दूँ और यह वीर्य निकलता ही रहे।
‘उफ़… ओह… ओह..!’ मेरे मुँह से निकल रहा था।
मैंने पूरी ताकत लगा दी और जितना हो सका अपना लन्ड उसकी चूत में धकेल दिया।
‘ऊऊऊह…!’ वो चिल्लाने लगी- क्या कर रहे हो… दर्द हो रहा है..!
लेकिन मैं यह साफ़ महसूस कर रहा था कि वो अभी भी प्यासी है इसलिए मैं अपनी इज्जत बचाने को अभी लन्ड को हांक रहा था, पर वीर्य निकल जाने के कारण मैं ज्यादा देर तक नहीं टिक सका।
उसे पता नहीं चला, मैं दोबारा से तैयार होने के इरादे से उसके बिल्कुल नंगे बदन पर फ़िर से अपनी जीभ से सफ़ाई करने लगा।
कुछ ही मिनट के बाद जैसे ही मुझे लगा कि मेरा टैंक फ़िर से भर गया है, मैंने फ़िर से अपना लन्ड उसकी चूत की गहराइयों में धकेल दिया। फ़िर से मैं अपनी मथनी लेकर उसकी चूत रूपी घड़े की दही को मथ रहा था।
हमारे बदन पसीने से नहा रहे थे।
इस बार मेरे लन्ड ने मुझे निराश नहीं किया, उसकी प्यास बुझ गई, उसकी चूत में से पानी के जैसा कुछ निकल रहा था। उसने मुझे दूर हटाना चाहा, लेकिन मैं अब कहाँ मानने वाला था, जब तक मैं ठंडा नहीं हो जाता, 5 मिनट तक मेरे लन्ड की जोर जबरदस्ती चलती रही।
आखिर में मेरा वीर्य निकल गया। काफ़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही नंगे चिपटे लेटे रहे, फ़िर कपड़े पहन लिए।
चारपाई पर खून देख कर वह रोने लगी कि अब मेरे पेट में कुछ हो जाएगा, मैं मर जाऊँगी।
मैंने उसे समझाया और अनवान्टेड-72 लेने सीधा बाजार चला गया। मैंने अखबार में पढ़ा था कि इससे गर्भ नहीं रुकता है।
इस तरह मैंने पहली बार सेक्स का मजा चखकर देखा और वो मजा आया जो जन्नत में भी नहीं मिल सकता।
दोस्तो, यह थी मेरी पहली सुहागरात.. बोले तो सुहागदिन..!
कहानी कैसी लगी प्लीज मुझे बताना जरूर..!









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FUN-MAZA-MASTI भाभी का छोटा भाई

FUN-MAZA-MASTI

भाभी का छोटा भाई

यह उन दिनों की बात है जब मेरा पहला बॉय फ्रेन्ड बना था, उसका नाम रवि था, वो मेरी भाभी का छोटा भाई था, वो अक्सर मेरे गांव में आया करता था। उसके और मेरे प्यार को दो साल बीत चुके थे, पर हमें कभी सैक्स करने का मौका नहीं मिला था।
मैंने भी कभी सैक्स नहीं किया था। मेरा दिल करता था कि मैं भी चुदूँ और रवि भी मुझे चोदने के लिए कहता था। मैं हाँ तो कर देती थी, पर मौका नहीं मिलता था।
हमारे प्यार के बारे में मेरे घर वालों को पता चल चुका था। इसलिए चुदाई की बात तो छोड़िये, हम सबके सामने बात भी नहीं कर सकते थे।
एक बार में गांव में जागरण था और जागरण में रवि घूमने आया हुआ था। उसने मुझे फोन करके चोदने की इच्छा जताई। मैंने भी हामी भर दी।
मैंने जगह पूछी तो उसने एक गन्ने के खेत में मिलने को कहा, तो मैंने मना कर दिया।
उसका पूछा- क्यों?
मैंने कहा- मैं बिस्तर में दूँगी, गन्ने के खेत में नहीं।
तो उसने आधे घण्टे बाद फोन करने को कहा। मैं इन्तजार करने लगी। उसने फिर फोन किया और मुझसे कहा कि मेरा एक दोस्त है उसके घर पर चलते हैं।
मैं राजी हो गई।
मेरे घर वाले सब जागरण में थे। मैं भी अपनी सहलियों के साथ जागरण में थी तो घर वालों का डर नहीं था।
मैंने अपनी सहलियों से कहा कि मैं रवि के साथ जा रही हूँ अगर मेरे घर वाले पूछें तो सम्भाल लेना।
मैं रवि के साथ चली गई। हम उसके दोस्त के घर पहुँच गए। रवि कमरे में घुसते ही मुझे किस करने लगा, मैं ऐसा पहली बार कर रही थी तो मुझे शर्म आ रही थी।
मैंने रवि को लाईट बंद करने को कहा पर उसने मना किया। 
मैंने कहा- अगर तुम लाईट बंद नहीं करोगे तो मैं चूत नहीं दूँगी।
इस पर रवि ने लाईट बंद कर दी। इससे पहले रवि ने भी किसी लड़की के साथ चुदाई नहीं की थी। हम दोनों अनाड़ी ही थे।
उसने मेरे कपड़े उतारे और मुझे सीधा लिटा कर मेरी दोनों टाँगों के बीच आकर बैठ गया और मेरी चूत में लंड डालने की कोशिश करने लगा, पर उससे मेरी चूत में लंड नहीं डाला जा रहा था। उसे चुदाई करना नहीं आता था।
उसने मुझसे कहा कि मैं उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद में रख दूँ।
मैंने मना कर दिया और कहा- तुम्हें लेनी है तो खुद छेद ढूंढ लो।
उसने कहा- यार ऐसा नहीं चलेगा। अगर हमें एक-दूसरे की चीजों से मजा लेना है तो एक दूसरे का साथ देना पड़ेगा।
उसने लाईट जला दी। मैंने तुरन्त खुद को एक चादर से ढक लिया।
रवि मेरे सामने नंगा खड़ा था और उसका लण्ड भी मेरे सामने था। मैंने उसका लण्ड देख कर दंग रह गई कम से कम 6-7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लण्ड था।
मैंने उससे कहा- तुमने लाईट क्यों जलाई?
तो उसने पूछा- तुम्हें सैक्स करना आता है?
तो मैंने मना कर दिया तो उसने कहा कि मुझे भी नहीं आता है। अब एक सैक्सी फिल्म देखते हैं और उसी की तरह करेंगे।
मैं मान गई और उसने अपने मोबाईल पर सैक्सी फिल्म चालू कर दी। उस देखकर हम दोनों गर्म होने लगे।
रवि ने मुझे उठाया और अपनी गोद में इस तरह बिठाया कि उसका लण्ड ठीक मेरी गाण्ड के नीचे था।
पहले पूरी फिल्म देखी और उसके बाद चालू हो गए। फिल्म में पहले लड़का-लड़की की चूत को चाटता है तो रवि भी मेरी चूत चाटने लगा और यह मेरा पहला अनुभव था। उसके मेरी चूत पर मुँह रखते ही, मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ पड़ी, मेरी कमर अपने आप ही बल खाने लगी।
रवि मेरी चूत को ऐसे चाट रहा था, जैसे वो इसे खा जायेगा।
फिर फिल्म की तरह उसने अपनी एक उंगली में चूत में डाली मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ, पर मैंने सह लिया।
वो उंगली को आगे पीछे करते हुए मेरी चूत चाट रहा था। अचानक मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं अपने जीवन में पहली बार झड़ी।
उस पल ऐसा लगा कि मानो जन्नत का नजारा दिख गया हो।
मैंने रवि को हटने के लिए कहा, तो वो मान गया और अपना लण्ड मेरे मुँह के सामने रखकर बोला- लो अब तुम्हारी बारी।
उसका लण्ड इतना बड़ा था कि मेरे मुँह में ही नहीं आ रहा था, मैं उसे ऐसे ही बाहर से चाटने लगी।
पहले तो मुझे अजीब सा लगा पर बाद में मजा आने लगा, मेरे चूसने से उसका लण्ड और ज्यादा कड़क और फूल गया।
उसने मुझे फिल्म की तरह बैड पर घोड़ी बनने को कहा और मैं बन गई।
अब लाईट जल रही थी, इसलिए उसने सीधे मेरी चूत के छेद में ही लण्ड को रखा और धीरे से धक्का दिया।
मुझे लगा कि जैसे कोई लोहे की रॉड डाल रहा हो, मैंने तुरन्त उसके लण्ड से अपनी चूत हटा दी।
उसने कहा- क्या हुआ?
मैंने कहा- दर्द हो रहा है।
उसने कहा- तो चलो ठीक है, सीधे लेट कर दे दो उसमें कम दर्द होगा।
वो तेल भी ले आया। पहले उसने मेरी चूत में अच्छी तरह से तेल लगाया और फिर अपने लण्ड में मुझसे तेल लगाने कहा।
मैंने भी उसके लण्ड में जम कर तेल लगा दिया ताकि मुझे दर्द न हो और सीधा लेट गई।
उसने मेरी टाँगें अपने दोनों कन्धों पर रखी, लण्ड को मेरी चूत की दरार में रखा और फिर मेरे दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर धक्का देने लगा।
उसका लण्ड मेरी चूत में जाने लगा और मुझे बहुत दर्द होने लगा, मैं चिल्लाने लगी, और उससे छोड़ने को कहने लगी पर वो तो शायद मेरी बात सुन ही नहीं रहा था।
मैंने देखा कि अभी उसके लण्ड का ऊपर वाला भाग ही मेरी चूत में गया है। मुझे रोना आ गया और मैं रोने लगी।
मुझे रोता देख कर, वो रूका और अपना लण्ड उसने बाहर निकाला तो उसमें खून लगा था, मेरी चूत से भी खून निकल रहा था।
उसने मुझे फिर से किस किया और मेरे होंठों पर अपने होंठ को रखकर चूसने लगा। मैं फिर से अपने दर्द को भुला बैठी थी।
उसके बाद उसने बिना अपने हाथ से पकड़े, अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा और डालने लगा। मुझे फिर से दर्द होने लगा पर वो नहीं मान रहा था।
इस बार उसने मेरा मुँह भी अपने मुँह से बंद कर दिया था। इस बार वो झटके के साथ डाल रहा था। उसने अभी 3 झटके ही लगाये थे और मुझे मानों 3 गोलियाँ लग गई हों।
फिर वो रूका और मेरी चूत की तरफ देखने लगा। मैंने भी देखा अभी उसका आधा लण्ड ही मेरी चूत में गया था। मैंने उससे अब न करने को कहा, पर वो नहीं माना।
मैंने कहा- आज इतना ही डाल कर काम चला लो और बाकी बाद में कर लेंगे।
“चुदाई भी कहीं किश्तों में होती है?” उसने कहा।
वो नहीं माना, उसके ऊपर तो जैसे चुदाई का भूत सवार था, वो तो मानो जल्लाद बन गया था। उसने फिर से मेरी चूत में लण्ड डालना शुरू कर दिया। मैं फिर से रोने लगी और मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे, पर उसके ऊपर कोई असर नहीं हुआ।
उसने मेरी चूत में अपना पूरा लण्ड डाल कर ही दम लिया। मेरी हालत अधमरी सी हो गई थी।
मैंने उससे पानी मांगा तो उसने कहा- अभी मैं एक बार तेरी चूत तो ले लूँ। इतनी मुश्किल से तो गया है, और अब तू इसे निकालने को कह रही है।
इतना कह कर वो मुझे चोदने लगा और मुझे फिर से दर्द होने लगा।
थोड़ी देर बाद मेरी चूत ने उसके लण्ड के बराबर जगह बना ली, फिर मुझे मजा आने लगा।
वो कभी छोटे शॉट मारता, कभी लम्बे झटके देता। चुदाई करते हुए हमें 10 मिनट हुए होंगे कि मैं झड़ने लगी।
मेरे झड़ने के बाद मैंने उसे रूकने को कहा, पर वो नहीं माना और मुझे घोड़ी बनने को कहा।
मैं घोड़ी बनी और वो मेरे पीछे से मेरी चूत में लण्ड डालने लगा। उसके लण्ड डालते समय मुझे थोड़ा दर्द हुआ। बाद में इस पोजीशन में भी मुझे मजा आने लगा।
15 मिनट बाद मैं फिर से झड़ गई पर वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था, तो मैंने उसे छोड़ने को कहा।
तो वो कहने लगा- तेरी माँ की चूत… साली पिछले दो सालों से तेरी चूत के सपने देख कर मुठ मार रहा हूँ। तू आज मिली है, तो कहती है छोड़ दे?! आज तो मैं तुझे रात भर चोदूँगा।
यह कर उसने अपनी स्पीड और तेज कर दी। लगभग 15 मिनट बाद उसने अचानक अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला। मैंने राहत की सांस ली ही थी कि उसने अपना लण्ड मेरे होंठों पर रखकर मुठ मारने लगा।
मैं तो भूल ही गई भी फिल्म में लड़का अपना माल लड़की के मुँह में गिराता है और लड़की उसे खा जाती है।
उसी तरह उसने मुझसे भी माल को खाने के लिए कहा, मैं खा गई, और वो हट गया। उसके हटने के बाद मैंने उठने की कोशिश की, पर उठ ना सकी।
मेरी चूत अभी दर्द कर रही थी। यह बात मैंने उसे बताई तो उसने एक दवाई मेरी चूत पर लगा दी और मेरे लिए दर्द की एक गोली ले आया, मैंने वो गोली खाई और पानी पिया।










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FUN-MAZA-MASTI बस थोड़ा और करने दो

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बस थोड़ा और करने दो

मेरी उम्र इस समय 30 साल की है, मैं यह कहानी तब की लिख रहा हूँ जब मैं 18 साल की उम्र में था।
मैं लखनऊ से हूँ और मेरी लम्बाई 5 फुट 10 इंच की है। मेरा जिस्म भी ठीक-ठाक है और मैं पढ़ाई में भी अच्छा स्टूडेंट था। लेकिन मेरी किसी लड़की से दोस्ती नहीं थी और मैं हमेशा से ही लड़कियों के साथ चुदाई करने की इच्छा रखता था।
मेरे मन में बहुत ही डर लगा रहता था कि किसी से मैं कुछ कहूँ और वो डांट न दे।
एक दिन मेरे साथ ही पढ़ने वाली एक लड़की जिसका नाम कामिनी (बदला नाम) था, वो देखने में तो कयामत थी।
उसकी भी उम्र 18 की थी, उसका रंग गोरा था और जिस्म का माप 30-32-30 का था।
मैं उसे बहुत चाहता था लेकिन डर के मारे कभी कुछ कह न सका।
वैसे मेरे घर वाले और उसके घर वाले काफी करीब थे, लेकिन हम दोनों की जातियां अलग थीं।
मैं ब्राह्मण परिवार से हूँ और वो राजपूत है।
उसका घर मेरे घर के पास में था, मैं उसके घर कुछ काम से गया तो वो अकेली घर में बैठी थी।
मैंने देखा घर में कोई नहीं है, मैंने उससे हिम्मत करके कहा- मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।
उसने कुछ भी नहीं कहा, मैं डर गया… कहीं किसी को बता ना दे।
फिर मैंने कहा- तुमने कोई जबाव नहीं दिया?
तो उसने कहा- ये तो सभी लड़के कहते हैं।
मैंने कहा- मैं तो करता भी हूँ।
मैं उसके पास बैठ गया, इधर-उधर की बातें करने लगा।
उसको भी मेरी बातों में मजा आ रहा था।
फिर मैंने उसके हाथ पकड़ कर चूम लिए, तो उसने कहा- इन्हीं सब बातों के कारण मैं तुमसे कभी अपने प्यार का इजहार नहीं किया.. मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ।
तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई और हम अपनी प्यार-मुहब्बत की बातें शुरू की, कुछ देर बाद मैंने उससे चुम्बन करने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया।
वो चाय लेने के लिए कह कर रसोई में चली गई।
मैंने उससे पूछा- बाकी लोग कहाँ हैं?
तो उसने कहा- शादी में फैजाबाद गए हैं।
तो मैंने पूछा- कब आएंगे?
तो वो बोली- दो दिन बाद..
फिर क्या था मेरे मन में मोर नाचने लगा।
मैं उसके पीछे रसोई में चला गया और उसको पीछे से अपनी बाहों में भर कर उसके मम्मे दबा दिए।
उसने कहा- छोड़ो..
लेकिन मैं उसे दबाता ही रहा और वो छुड़ा रही थी।
कुछ देर बाद वो मस्त होने लगी और मैं उसे चूमने लगा.. अब वो भी साथ देने लगी।
फिर क्या था दोस्तो.. मैंने अपना हाथ नीचे किया और उसकी चूत को ऊपर से ही मसलने लगा.. वो सिसकारियाँ भरने लगी।
वो मुझे अपनी बाहों में भर कर दबाने लगी।
मैंने उससे बिस्तर पर चलने के लिए कहा, तो उसने कहा- नहीं.. ऊपर से जो करना है.. कर लो.. अन्दर से नहीं कुछ करने दूँगी।
मैं भी मान गया, लेकिन मैंने कहा- बिस्तर पर चलते हैं।
वो मान गई, फिर कुछ देर तक हम चुम्बन करते रहे।
मैंने उसके मम्मे खूब दबाए और चूत रगड़ता रहा।
वो एकदम गरम हो गई लेकिन चुदाई के लिए राजी नहीं हुई।
मेरे दिमाग में एक आइडिया आया, मैंने अपना 8 इंच का असलहा निकाल कर उसके हाथ में दे दिया।
वो देख कर चौंक गई और बोली- हाय इतना बड़ा.. मैं तो मर जाऊँगी।
मैंने कहा- तुम्हारे अन्दर तो करना नहीं है.. तो डरने की कोई बात नहीं है.. तुम अपने हाथ से मुठ मारो।
वो राजी हो गई।
फिर मैंने कहा- यार आज तक मैंने चूत नहीं देखी है.. प्लीज़ एक बार दिखा दो.. कुछ करूँगा नहीं।
मेरे बहुत कहने पर वो तैयार हो गई।
फिर मैंने उसकी सलवार और कमीज निकाली। उसके अन्दर काले रंग की ब्रा और पैंटी देख कर मेरा तो हाल ही बेहाल हो गया।
मैं उसे ऊपर से ही दबाता रहा, वह भी पागल सी हो गई थी।
फिर मैंने ब्रा का हुक खोला तो क्या मस्त नजारा था.. सख्त मम्मे थे.. मुँह में मम्मों को भर कर पीने लगा।
वो सिसकारियाँ भरती रही.. पूरा कमरा सिसकारियों से गूंज रहा था।
फिर एक हाथ से उसकी पैंटी उतारी और दोनों टांगों के बीच में जाकर देखा तो क्या फूली हुई चिकनी चूत थी जो मेरी कल्पनाओं से भी परे थी।
मेरा मन तो किया कि मैं उसे चाटूँ.. लेकिन उसने मना कर दिया।
फिर मैंने उससे लंड मुँह में लेने के लिए कहा.. तो वो बोली- छी.. गंदा लगेगा।
मैंने भी जोर नहीं दिया।
मैं उसकी दोनों जांघों के बीच बैठ कर चूत की फांकों में ऊँगली से रगड़ रहा था, उससे पानी निकल रहा था।
वह बोली- छोड़ो.. नहीं तो मर जाऊँगी।
मैंने कहा- बस थोड़ा और करने दो.. मजा आ रहा है।
वो आखें बंद करके सिस्कारियां ले रही थी।
इतने में मैं अपना पैंट उतार कर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.. और उसके विरोध को न देख कर मैं लंड उसके छेद पर लगा कर रगड़ने लगा।
वह पूरी पानी-पानी हो गई थी।
उसने जोर से सिसकारी भरी और ‘ऊई ऊई’ करके अपनी शरीर को आगे की तरफ खींचा और उसकी बुर से पानी निकलने लगा।
मुझे लगा कि उसका काम हो गया, मैंने भी उसके ऊपर झुक कर एक झटका लगा दिया।
मेरा लंड उसके पानी से चिकना तो हो ही गया था और एक झटके में आधा अन्दर चला गया।
वो जोर से चिल्लाई…
मैंने अपने हाथ से उसका मुँह बंद कर दिया उसकी आँखों में आँसू आ गए थे।
वो मुझे जबरदस्ती अपने ऊपर से हटाने लगी थी.. वो कह रही थी- मैंने तुमसे कहा था ना कि ये सब नहीं करना?
मैंने कहा- कामिनी मेरी जान.. सॉरी.. बस अब कुछ नहीं करूँगा.. दर्द बस अभी खत्म हो जाएगा प्लीज़..
मैं उसके मम्मे चूसता रहा.. कुछ देर बाद वह फिर सिसकारियाँ लेने लगी और मैंने फिर एक झटका लगाया तो लौड़ा पूरा अन्दर चला गया।
मैंने फिर उसे चूमने लगा और फिर वो भी साथ देने लगी।
उसके बाद क्या था.. अब असली महासंग्राम शुरू हुआ.. ले धकम पेल.. ले राजा ले.. चालू हो गया।
वो ‘ऊई मेरे राजा.. पेल कस के.. पेल.. और अन्दर पेल.. इसकी चूलें हिला के.. रख दे.. बहुत परेशान कर रही थी.. मेरे जानू और अन्दर डालो…’
पांच मिनट तक ऐसे ही चला फिर मुझे कस कर पकड़ कर बांहों में भर लिया और सिसकारियों के साथ झड़ गई।
मैं भी दो-तीन झटकों के साथ अन्दर ही झड़ गया।
कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे.. फिर उठ कर देखा तो बिस्तर की चादर खून से गीली थी।
हमने उसे हटा कर खुद को भी साफ किया।
फिर वो चाय बना कर लाई.. हम दोनों ने एक साथ चाय पी।
उसके बाद फिर से दो बार और चुदाई हुई। दूसरी बार की चुदाई काफी लंबी चली और उसके बाद मैंने उसको मेडिकल स्टोर से दवा लाकर दी।
अब हमें जब भी मौका मिलता है, हम अपना कार्यक्रम चालू कर देते हैं।
फिर 6 साल बाद उसकी शादी हो गई वो अपने ससुराल चली गई।
मैं आज भी उसकी याद में मुठ मार लेता हूँ।
तब से वैसी लड़की नहीं मिली, जो जोरदार चुदाई कर सके।










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FUN-MAZA-MASTI उसकी हँसी का दीवाना

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उसकी हँसी का दीवाना 


मेरा नाम दिनेश है.. मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ और वर्तमान समय में गुड़गाँव में रहता हूँ। मेरी उम्र 34 साल है और मैं 6 फीट 2 इंच का हूँ.. मेरी शादी हो चुकी है। मैं एक चुदक्कड़ किस्म का इंसान हूँ और मुझे दुनिया में सबसे अच्छा काम चूत को अच्छे तरीके से बजाना लगता है।
इस संसार में चूत चुदाई से बढ़कर और कोई सुख नहीं है। मैं अधिकाँशतः परिवार से दूर रहता हूँ.. तो चूत का नाम सुनते ही चुदाई की इच्छा होने लगती है।

वर्ष 1996 में बारहवीं की परीक्षा पास करके मैं सिविल सेवा की परीक्षाओं की तैयारी के लिए इलाहाबाद आ गया। यहाँ पर रहने का इंतज़ाम मेरे एक दूर के रिश्तेदार ने अपने घर में किया था। दरअसल उनकी बेटी की शादी मेरे पड़ोस में हुई है और उनकी बेटी रिश्ते में मेरी भाभी लगती हैं।
मैं सितंबर 1996 में इलाहाबाद आ गया। वो एक किराए के मकान में रहते थे और वो एक कमरे का छोटा सा घर था.. जिसमें वो पहले से ही पाँच लोग रहते थे.. मुझे मिलाकर अब कुल 6 लोग हो गए थे।
भाभी के चार बच्चे थे। भाभी जिनका नाम शीला है.. सबसे बड़ी हैं जो मुझसे करीब 3 साल बड़ी हैं, उनके बाद ममता थी.. जिसकी उम्र उस समय करीब 18 साल की थी.. जो कि मेरी हमउम्र भी थी।
उसके बाद नीलम.. जो उस समय दसवीं में थी।
उनका एक बेटा भी था.. वो आठवीं में था। मैं जब उनके घर पहुँचा.. तो वे लोग मुझसे काफ़ी अच्छे से मिले और मैं 3-4 दिनों में ही उनसे काफ़ी घुल-मिल गया।
सबसे ज़्यादा ममता मुझसे बात करती थी और मैं भी उससे काफ़ी घुल-मिल गया था। ममता जो कि अभी-अभी जवान हुई थी उसका फिगर ऐसा था कि जो भी उसे देखता तो बस देखता रह जाता।
वो किसी परी से कम नहीं दिखती थी। उसका फिगर उस समय 36-26-34, लंबाई 5 फीट 6 इंच.. बदन छरहरा.. दूध सा गोरा चेहरा.. उसमें काली और बड़ी-बड़ी आँखें तीखी नाक.. होंठ एकदम पतले-पतले.. गुलाब की पंखुड़ियों जैसे.. और जैसे ये कह रहे हों.. कि आओ और मुझे चूस लो।
उसके मस्त हुस्न का.. मैं धीरे-धीरे दीवाना हो गया था। वो इतना सुंदर थी कि मैं कई बार उसको देखते हुए ये भी भूल जाता था कि आस-पास में कोई और भी बैठा हुआ है।
मेरे दिल की हालत उससे ज़्यादा दिनों तक नहीं रह सकी। अब मैं जब भी उसे घूरता रहता.. तो जैसे ही हमारी नजरें आपस में मिलतीं.. तो वो हँस देती थी।
मुझे उसकी हँसी बहुत प्यारी लगती थी। मैं तो उसकी हँसी का दीवाना था.. वो हँसती थी तो ऐसा लगता था कि मेरे दिल में कहीं सितार बज रहे हों।
मुझे उसके बिना एक पल भी अच्छा नहीं लगता था और दिन भर उससे बात करने के बहाने ढूंढता रहता था, अब मुझे महसूस होने लगा था कि मैं उससे प्यार करने लगा हूँ।
धीरे-धीरे समय बीतता गया.. लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पा रही थी.. क्योंकि न तो मैंने प्यार का इज़हार किया.. न तो उसने..
लेकिन एक दिन किस्मत ने मेरा साथ दिया।
हम सभी खाना खाकर पैरों पर रज़ाई डाले हुए हिन्दी फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ देख रहे थे और वो मेरे पास में बैठी हुई थी कि अचानक से बिजली गुल हो गई।
सभी को बहुत बुरा लगा.. क्योंकि वो फिल्म सबको बहुत अच्छी लग रही थी।
फिर हम लोग बातें करने लग गए कि यार इतनी अच्छी फिल्म आ रही थी और बिजली को अभी कटना था।
तो ममता ने बोला- काश बिजली आ जाती तो मज़ा आ जाता..
तो मैंने बोला- तुम इतना बोल रही हो तो अभी आ जाएगी..
मेरा इतना बोलना था कि बिजली आ गई और वो खुशी से मुझसे लिपट गई.. फिर जब उसे होश आया.. तो मुझसे तुरंत अलग हो गई।
मैंने पहली बार उसके जिस्म को महसूस किया था। उसके जिस्म में एक अजीब सी खुश्बू थी.. जो कि मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। उसके अलग होने के बाद भी मैं उसी को बार-बार देख रहा था और वो बार-बार झेंपे जा रही थी।
फिर सभी लोग फिल्म देखने लगे.. लेकिन मेरा मन फिल्म में नहीं लग रहा था तो मैं उठकर बाहर आ गया और टहलने लगा।
ठंड में भी मुझे गर्मी लग रही थी और मेरे माथे पर पसीना आ रहा था। कुछ देर बाद ममता भी बाहर आ गई। उसने पूछा- क्या हो गया.. तुम बाहर क्यों आ गए.. फिल्म अच्छी नहीं लग रही है क्या?
मैंने बोला- ऐसी बात नहीं है.. फिल्म तो अच्छी है.. लेकिन मेरा मन नहीं लग रहा था.. इसलिए बाहर आ गया।
उसने पूछा- ऐसा क्या हो गया कि तुम्हारा मन नहीं लग रहा है?
मैंने बोला- एक बात कहूँ.. नाराज़ तो नहीं होगी तुम?
उसने बोला- नहीं होऊँगी।
मैंने बोला- पहले मेरी कसम लो।
उसने बोला- माँ की कसम.. बोलो कुछ नहीं बोलूँगी.. अब बोलो भी।
मैंने बोला- क्या तुम फिर से मेरे गले लगोगी?
उसने अन्दर घर की तरफ देखा और सीधे मुझसे लिपट गई और मैंने उसे अपनी बाँहों में कसकर भर लिया और मुझे पहली बार उसकी चूचियों का आभास हुआ जो कि हमारे बीच में दबी हुई थीं।
मेरी इच्छा हुई कि उनको छूकर देखूं लेकिन हिम्मत नहीं हुई।
कुछ देर बाद वह मुझसे अलग होने लगी तो मैंने फिर से उसे अपनी बाँहों में भर लिया।
उसने बोला- चलो.. अन्दर चलते हैं.. नहीं तो कोई बाहर आ जाएगा।
फिर हम अन्दर आ गए और अपनी जगह पर बैठकर फिल्म देखने लगे। फिर मैंने अपना एक हाथ रज़ाई के अन्दर डाल लिया और धीरे से उसके हाथ को पकड़ लिया।
उसने कोई विरोध नहीं किया.. तो मैं उसके हाथ को धीरे-धीरे सहलाने लगा। कुछ देर बाद मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखा.. तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे हाथ को अपने पेट पर रख दिया।
मैंने कई बार उसकी चूचियों को पकड़ना चाहा.. लेकिन हर बार उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। फिर मैंने अपना हाथ रज़ाई से बाहर खींच लिया। उस दिन मेरी गाड़ी इतना ही आगे बढ़ पाई।
अगले दिन जब नीलम और पिंटू स्कूल चले गए और अंकल अपने ऑफिस चले गए.. तब घर में केवल मैं.. ममता और उसकी मम्मी ही बचे।
जब आंटी दोपहर का खाना बनाने में लग गईं.. तब ममता मेरे पास आई और बोली- नाराज़ हो क्या?
मैंने बोला- नहीं..
तो उसने बोला- फिर सुबह से बात क्यों नहीं कर रहे हो?
मैंने बोला- मुझे लगा कि रात वाली बात से तुम कहीं नाराज़ तो नहीं हो..
तो उसने बोला- इसमें नाराज़गी की क्या बात है.. मुझे भी तो अच्छा लग रहा था।
मैंने बोला- फिर तुमने मुझे अपनी चूचियों को क्यूँ छूने नहीं दिया?
उसने बोला- वहाँ पर सब बैठे हुए थे.. इसलिए मुझे डर लग रहा था।
फिर मैंने देखा.. आंटी रसोई में खाना बनाने में मशगूल हैं.. तो मैंने मौका देखकर उसे अपने पास खींच लिया और उसकी चूचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा।
वो भी मजे ले रही थी.. फिर मैंने धीरे से उसके गालों पर एक चुम्बन किया।
हम दोनों को डर भी लगा हुआ था कि कहीं रसोई में से उसकी मम्मी न आ जाएं.. इसलिए हम अलग हो गए।
अब हमें जब भी मौका लगता तो हम लोग इस प्रकार की हरकतें कर लिया करते थे।
भगवान ने फिर मेरा साथ दिया और ममता के नानाजी बीमार पड़ गए और आंटी उनको देखने के लिए आज़मगढ़ जाने वाली थीं.. लेकिन अंकल का ऑफिस चालू था.. इसलिए आंटी ने फ़ैसला लिया कि वो नीलम और पिंटू को लेकर आज़मगढ़ जाएँगी और ममता यहीं रहेगी.. ताकि अंकल को खाना मिलता रहे।
फिर अगले दिन सुबह ही आंटी दोनों बच्चों के साथ आज़मगढ़ निकल गईं।
मैंने और अंकल ने नाश्ता किया और फिर अंकल ऑफिस चले गए और मैं पेट में दर्द का बहाना बना कर घर पर ही रुक गया।
आज मेरे पास अच्छा मौका था कि मैं ममता को चोद सकूँ।
फिर मैं और ममता बातें करने लगे। हम दोनों ने प्यार का इकरार किया और मैंने जोश में यहाँ तक बोल दिया कि मैं तुमसे ही शादी करूँगा।
तो ममता ने बोला- आज से तुम ही मेरे पति हो।
मैंने बोला- यदि मुझे अपना पति मानती हो.. तो तो मुझे अपने शरीर को पूरा दिखाओ..
फिर हम दोनों बिस्तर पर बैठकर एक-दूसरे के शरीर को छूने लगे। धीरे-धीरे मैंने उसकी टी-शर्ट को निकाल दिया और अन्दर का नज़ारा देखते ही मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं।
उसने अन्दर महरून रंग की ब्रा पहनी हुई थी.. जिसमें उसकी चूचियाँ क़ैद थीं और मुझे दावत दे रही थीं कि आओ और मुझे इस क़ैद से निजात दिलवाओ।
मैंने ऊपर से ही उसकी चूचियों को रगड़ना शुरू किया तो कुछ ही देर में उसकी सिसकारियाँ निकलने लगीं। कुछ देर की मसक्कत के बाद मैंने उसकी चूचियों को ब्रा की क़ैद से मुक्ति दिलवा दिया।
उसका गोरा बदन देखते ही बन रहा था। उसकी दोनों चूचियों को भगवान ने फ़ुर्सत में बनाया होगा। उसके दोनों सुडौल उभार जिन पर मटर के दाने जितनी बड़े निप्पल.. जैसे अहंकार में डूबे हुए मुझे ये जता रहे हों कि देखी है.. ऐसी खूबसूरती.. किसी और के पास..
मैंने अपने दोनों हाथों में उनको थाम लिया और बड़े ही प्यार से सहलाने लगा। मेरी ये हरकत ममता को बहुत अच्छी लग रही थी। वो आँखें बंद किए हुए बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसने उस समय चिहुंक कर अपनी दोनों आँखें खोल दीं.. जब मैंने उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया।
अब धीरे-धीरे वह मदहोश होती जा रही थी और बार-बार मुझसे लिपट रही थी। उसकी सिसकारियाँ तेज होती जा रही थीं। कुछ देर बाद उसने मुझे बताया कि उसको ये सब बहुत ही अच्छा लग रहा है.. लेकिन नीचे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा है।
अब मुझे लगा कि यह अब चुदाई के लिए तैयार हो रही है। मैंने बोला- अपना लोवर निकाल दो.. तो मैं देखूं कि क्या हो रहा है?
तो उसने पहले तो मना कर दिया.. लेकिन कई बार कहने पर उसने अपना लोवर निकाल दिया.. अब वह केवल महरून रंग की जालीदार पैंटी में थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मेरे सामने जन्नत की कोई हूर बैठी हो। मैं ज़्यादा देर न करते हुए उसके ऊपर आ गया और अपने लंड को अंडरवियर के अन्दर से ही उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
वो लंड का अहसास पाते ही जोर-ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी और उसकी चूत से पानी का रिसाव होने लगा।
इसी बीच मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया और उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा। उसने मेरा कोई विरोध नहीं किया तो मुझे समझ में आ गया कि उसे भी मज़ा आ रहा है।
मौका देख कर मैंने उसके पैंटी को भी धीरे से नीचे खिसका दिया। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी और मैं उसकी चिकनी चूत को ही एकटक निहार रहा था।
मैंने कई ब्लू-फ़िल्म देखी थीं.. पर आज पहली बार चूत चोदने का मौका हाथ लगा था। मैंने धीरे से अपने मुँह को उसकी बुर पर रख दिया तो वह तुरंत ही उठकर बैठ गई और बोली- नहीं.. ये गंदी जगह है.. इसमें मुँह मत लगाओ।
लेकिन मैं नहीं माना और अपनी ज़िद पर अड़ा रहा.. तो उसने अपने हथियार डाल दिए। मैंने अपना लंड उसको चूसने के लिए बोला तो उसने बिल्कुल मना कर दिया।
मैंने ज़्यादा ज़ोर नहीं डाला और उसकी चूत को चूसने लगा। करीब दो मिनट की चुसाई में ही उसने अपना माल मेरे मुँह पर ही छोड़ दिया। मैं इसके बाद भी नहीं रुका और लगातार उसकी चूत को चूसता रहा।
कुछ देर बाद ही वो चिल्लाने लगी- कुछ करो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी..
मैंने मौके की नज़ाकत को भाँपते हुए अपने कपड़ों को अपने शरीर से अलग कर दिया और उसके बगल में बिल्कुल नंगा होकर लेट गया।
मैं उसके शरीर को धीरे-धीरे सहला रहा था। लेकिन उसका ध्यान केवल मेरे 6 इंच लंबे और अपेक्षाकृत मोटे लंड पर टिका हुआ था।
वो उसे बहुत आश्चर्य से देख रही थी तो मैंने पूछा- क्या देख रही हो?
तो उसने बोला- ये मेरे इतने से छोटे छेद में कैसे जाएगा?
मैंने बोला- अगर तुम मेरा साथ दोगी.. तो आराम से घुस जाएगा।
बोली- तुम जो कहोगे.. वो मैं करूँगी।
फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रगड़ना शुरू कर दिया और वो फिर से सिसकारियाँ भरने लगी और बीच-बीच में अपने चूतड़ को उचकाने लगी।
जब वो मुझे ज़्यादा ही मदहोश होने लगी.. तब मैंने अच्छा मौका देखकर अपने लण्ड के सुपारे पर ढेर सारा थूक लगाकर चूत के मुँह पर लण्ड टिका दिया और रगड़ने लगा।
इसके साथ ही मैं उसके रसीले होंठों का भी रसपान कर रहा था और वो भी खूब मजे से मेरा साथ दे रही थी।
लेकिन उसे यह नहीं पता था कि अगले पल उसके साथ क्या होने वाला था।
मैंने मौका देखकर एक तगड़ा झटका दिया और मेरा आधा लंड उसकी कुँवारी चूत की सील को चीरता हुआ अन्दर घुस गया।
‘ऊईईईईई…’
उसकी चीख उसके गले में ही घुट गई। वो मुझे घूर रही थी और उसकी आँखें मुझसे सवाल कर रही थीं.. किंतु इस समय मैं किसी भी सवाल का जबाब देने के मूड में नहीं था।
कुछ देर में ममता थोड़ा सामान्य हुई तो मैंने दूसरा जोरदार झटका मारा और लंड सीधा उसकी चूत की गहराइयों में समा गया।
ममता की दोनों आँखों से आँसू निकल रहे थे और मेरी गिरफ़्त से वो छूट जाना चाहती थी.. लेकिन वो चाहकर भी मेरी मजबूत पकड़ से नहीं छूट पाई। मैं उसको चूम रहा रहा था और धीरे-धीरे लण्ड को भी उसकी चूत में आगे-पीछे कर रहा था। अब धीरे-धीरे उसको भी मज़ा आने लगा और वो मेरा साथ देने लगी। ठंड में भी हम दोनों पसीने से भीग गए।
ममता की ‘आहों’ से पूरा कमरा गरम हो गया था और मेरा भी जोश बढ़ता जा रहा था। मेरी चोदने की रफ़्तार बहुत तेज हो गई थी और ममता भी लिपट-चिपट कर मेरा उत्साह दोगुना कर रही थी। करीब 15 से 20 मिनट की चुदाई के बाद अचानक ममता ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ों को मटकाते हुए झड़ गई।
अब मैंने अपनी रफ्तार और तेज कर दी और कुछ देर बाद ही मेरे लण्ड ने फुंफ़कार मारते हुए उसकी चूत मे वीर्य की पिचकारी मार दी। जैसे ही मेरे लण्ड ने अपनी पिचकारी मारनी शुरू किया उसकी चूत में एक खिंचाव सा महसूस हुआ और मैं झड़ते चला गया।
हम काफ़ी देर तक वैसे ही एक-दूसरे से चिपके पड़े रहे, वो मुझे बार-बार चुम्बन किए जा रही थी।
उसकी इस हरकत से मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया और फिर से हमने चुदाई का एक नया दौर शुरू कर दिया।
उस दिन जब तक अंकल नहीं आ गए तब तक हमने कुल 4 बार चुदाई की।
इसके बाद हमने अगले 7-8 दिनों तक जब तक कि आंटी वापस नहीं आ गईं और हमें जब भी मौका मिला.. हमने कम से कम कुल मिलकर 20 से 25 बार चुदाई के मजे लिए।
अगले चार महीनों तक तो हमारे बीच सब कुछ ठीक-ठाक चला.. फिर मुझे लगा क़ि यहाँ रहा तो मैं अपनी पढ़ाई नहीं कर पाऊँगा.. इसलिए मैंने उनका घर छोड़ दिया और एक लॉज में एक कमरा लेकर अपनी पढ़ाई में जुट गया।
अब मेरा उनके घर आना-जाना काफ़ी कम हो गया.. लेकिन हमें जब भी मौका मिलता था.. तो हम चुदाई कर लिया करते थे। जब मैं किसी सप्ताह उनके घर नहीं जाता था तो ममता मुझसे मिलने आ जाया करती थी और मौका देखकर हम चुदाई कर लिया करते थे।
सन् 1999 में उसकी शादी हो गई और उसके बाद हमने फिर कभी चुदाई नहीं की.. सन् 2000 मे मेरा शारीरिक संबंध उसकी छोटी बहन नीलम से हो गया जो 2006 तक कायम रहा।
उसके बाद मेरा चयन हो गया और मैं अपने जॉब में व्यस्त हो गया। फिर शादी हो जाने के कारण अब मेरा इलाहाबाद जाना काफ़ी कम हो गया है किंतु जब भी जाता हूँ तो नीलम की चुदाई अवश्य ही करता हूँ।









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FUN-MAZA-MASTI चुदाई का खेल

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चुदाई का खेल


हैलो साथियो.. मेरा नाम तबस्सुम है.. मैं कश्मीर की रहने वाली हूँ, मेरी उम्र 24 वर्ष है और वर्तमान समय में मैं दिल्ली में किराए पर रहती हूँ।
मेरी शादी असफल रही और मैं परित्यक्ता का जीवन बिता रही हूँ।
चूंकि मैं MA पास हूँ.. सो दिल्ली आकर टीचर की नौकरी करने लगी.. पर टीचर की नौकरी से ज्यादा पैसे कोचिंग से कमा लेती थी। अतः मैंने एक फुल टाईम कोचिंग खोल ली।
एक दिन एक आंटी मेरे पास एक 19 वर्ष के लड़के को ट्यूशन के लिए लाईं। मैंने उस मस्त लौंडे को देखकर अपनी वर्षों से शांत पड़ी वासना को उफान लेते हुए महसूस किया।
अब मैं उसको शाम को अकेले में पढ़ाती थी। मैं उसे कभी-कभी शाबासी देने के बहाने चूम लेती.. अपने गले से भी लगा लेती थी।
उसे मेरे जिस्म से आती हुई सेंट की सुगंध बहुत पसंद थी।
एक दिन मैंने अपनी सलवार की मियानी (बुर के ठीक ऊपर लगने वाला तिकोना कपड़ा) की सिलाई इस तरह फाड़ दी.. कि टाँगें फैला कर बैठने से बुर साफ़ साफ़ दिखाई दे।

अब मैं उसको पढ़ाने के लिए कुर्सी पर एक पाँव से उकड़ू हो कर बैठ गई। थोड़ी देर बाद मेरी चाल कामयाब होते दिखाई दी, वो चोर निगाहों से मेरी टाँगों के बीच में झांकने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा- क्या देख रहे हो?
वो कुछ नहीं बोला.. मैंने कहा- अगर नहीं बताओगे.. तो मैं तुमसे बात नहीं करूँगी।
वो बोला- आपकी सलवार फट गई है।
मैंने नाटक करते हुए हाथ नीचे लगाया तो अनायास ही मेरी ऊँगली बुर की फाँकों से टकरा गई।
मैंने कहा- किसी से मत बताना।
वो बोला- अगर आप मुझे अपनी खुशबू सूँघने देगी.. तभी मैं किसी को नहीं बताऊँगा।
मैंने उन्मुक्त होते हुए कहा- सूँघ लो.. किसने रोका है।
वो मुझे सूँघने लगा.. उसकी गर्म साँसें मेरे बदन से टकराने लगीं और मेरी वर्षों की सोई हुई वासना फूट पड़ी, मैं उसके होंठों को चूसने लगी और उसके हाथ को पकड़कर अपनी चूचियों पर रख कर दबा दिया।
वो ऊपर से उनको दबाते हुए मसलने लगा, फिर उसने मेरे कुर्ते के गले में हाथ डाल कर चूची को पकड़ने की कोशिश की.. पर वो असफल रहा।
मैंने पीठ की तरफ से कुरते के हुक खोल दिए, अब उसके हाथ और मेरी चूची का मिलन हो चुका था।
वो बोला- मैडम.. आपके संतरे बहुत अच्छे हैं.. इन्हें खोल कर दिखाईए न…
मैं बोली- तुमने तो मेरी बुर पहले ही देख ली.. पर चूची तभी दिखाऊँगी.. जब तुम अपना लंड दिखाओगे।
वो शर्माने लगा.. मैंने उसके पेट पर हाथ रखकर सरकाते हुए उसके पैंट में घुसेड़ कर उसके कड़क होते हुए लंड को पकड़ लिया।
वो पूरी तरह उत्तेजित अवस्था में था, उसका लंड मेरी जैसी शादीशुदा औरत के हिसाब से छोटा और पतला था.. पर कड़क बहुत था।
मैंने उसके पैंट के बटन खोलकर उतार दिया। उसका लंड 120 डिग्री के अंश का कोण बनाते हुए छत की ओर था।
उसका लंड अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुआ था, लंड के शिश्नमुंड से चमड़ा पूरी तरह हटा नहीं था।
मैंने चमड़े को पीछे किया, उसके लंड की गर्दन के गढ्ढे पर सफेद पदार्थ लगा था.. जो बहुत बदबू कर रहा था।
मैंने उसको बाथरूम में ले जाकर अच्छे से साबुन लगाकर साफ किया, अब मैं उसके लंड को चूसने लगी।
उसने उंगली दिखाकर कर बोला- मैडम मैं आपका छेद चखूँगा।
मैंने कहा- अभी रुक.. बाद में!
मैं उसके लंड को बुरी तरह चूसने लगी लेकिन क्षण भर में ही उसने ऐंठते हुए लंड से पिचकारी छोड़ दी।
मैंने उसके वीर्य को अपने गले के अन्दर उतार लिया।
उसने कहा- यह क्या हुआ.. मैडम?
स्पष्ट था कि यह उसका पहला स्खलन था।
मैं बोली- इस खेल में ऐसा ही होता है।
वो बोला- बहुत मजा आया.. क्या ये खेल इसी तरह खेला जाता है?
मैंने कहा- नहीं.. असली मजा लेने का तरीका कल समझाऊँगी।
वो बोला- अब अपना स्वाद चखाइए।
मैं बिस्तर पर अपनी सलवार खोल कर चित्त लेट गई और अपने घुटने पेट की ओर मोड़ लिए।
उसने मेरी बाल रहित बुर के होंठ से अपने होंठ भिड़ा दिए और चूत की पुत्तीयों को अपने मुँह में भरकर बुरी तरह चूसने लगा।
उसके चूसने के ढंग से उसके अनाड़ीपन झलक रहा था.. पर उसकी हरकत ने मुझे पूरी तरह उत्तेजित कर दिया।
मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
वो मुँह हटाकर बोला- दर्द हो रहा है क्या मैडम?
मैंने कहा- नहीं.. दर्द नहीं हो रहा.. मजा रहा है।
मेरी बात सुनकर वो फिर से बुर पर गर्म जीभ फिराने लगा। थोड़ी देर बाद उसने अपना मुँह बुर से हटा लिया।
शायद उसके होंठ थक चुके थे। मैं उसे परेशान नहीं करना चाहती थी। मैं तो उसके लंड-रस को पीकर संतुष्ट हो गई थी।
अगर उसे मैं अपनी बुर का स्वाद लेने से रोकती.. तो उसका ‘किशोर-मन’ आहत होता। मैंने उसको अपने ऊपर खींच कर कसकर चिपका लिया।
फिर मैं बोली- अब तुम्हें देर हो रही है.. घर जाओ.. नहीं तो तुम्हारी मम्मी चिंता करेंगी.. कल आना.. आगे का खेल कल बताऊँगी।
मैं अगले दिन बड़े बेताबी से उसका इंतजार करने लगी।
आज उसकी हिचक दूर हो चुकी थी.. वो पूरी तरहा नंगा हो गया।
काफी देर तक काम-क्रीड़ा करने के बाद मैंने चोदने का पूरा तरीका उसे समझा दिया।
उसने लंड को मेरी बुर में डाल दिया और आगे-पीछे करने लगा।
मेरी जैसी शादी-शुदा के लिए उसका लंड अपर्याप्त था.. पर ऊँगली से और मोमबत्ती से तो बहुत ज्यादा आनन्द आ रहा था।
वो पूरी ताकत लगाकर घर्षण कर रहा था, मैं भी उसे जोश दिलाने के लिए कभी-कभी ‘आह.. ऊह..’ की आवाज निकाल देती।
वो पूरे मन लगाकर मुझे ऐसे चोद रहा था.. जैसे उसे नई बुर मिली हो। वो बेचारा क्या जाने कि नई पुरानी बुर में और पुरानी बुर में क्या अंतर होता है.. उसे पहली बार तो बुर मिली थी।
कुछ देर बाद उसका वीर्य छरछरा कर बाहर निकलने लगा।
वो बोला- मैडम इस खेल में पहले वाले खेल से ज्यादा मजा आया।
अब हम रोज चुदाई करते.. मैं MC (माहवारी) के दौरान उसके लंड को चूसकर वीर्य पान करती।
दो साल तक हम चुदाई का खेल खेलते रहे।
अब वो बड़ा हो चुका था, एक दिन अपने मित्र को लेकर आया।
बोला- मैडम, मेरा यह दोस्त भी आपके साथ वही खेल खेलना चाहता है।
मैंने गुस्से में उसको जोर से थप्पड़ मारा और बोला- चल निकल.. रंडी समझ रखा है.. मैं तो तुमसे प्यार करती थी और तुम मुझे बाजार में चुदवाने की सोच रहे हो।
वो और उसके दोस्त चले गए.. पर मैं वहाँ से हरियाणा चली गई और वहीं सैट हो गई हूँ।
बस यही मेरी सच्ची कहानी है।









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FUN-MAZA-MASTI वो हसीन पल

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वो हसीन पल


बात उस समय की है.. जब मेरी उम्र 21 वर्ष की थी और मैं कॉलेज में था। मैं शुरू से ही पढ़ने में होशियार था.. और अपनी क्लास में सबसे आगे रहता था। इसलिए अक्सर जब भी किसी को पढ़ाई से सम्बन्धित कोई काम होता तो वो मुझे बोलता था।
मेरी ही क्लास में एक लड़की थी.. जिसका नाम शिवानी था। वो दिखने में एकदम खूबसूरत अप्सरा सी थी,सारा कॉलेज उस पर लाइन मारता था, जब वो मटक-मटक कर चलती थी तो हर कोई उस पर फ़िदा हो जाता था। उसका फिगर 34-30-36 रहा होगा।
जब भी मैं उसे देखता तो मैं उसे देखता ही रह जाता था और मैं मन ही मन उसे प्यार करने लगा था.. पर उसे अपने दिल की बात बताने की कभी हिम्मत नहीं कर पाया।
शायद भगवान को कुछ और मंजूर था वो दिन मुझे आज भी याद है। उस दिन मेरा जन्मदिन था और मैं अपनी बाइक से कॉलेज जा रहा था।
तभी मैंने देखा कि शिवानी अकेली कॉलेज के लिए जा रही थी, मैंने सोचा मौका सही है.. क्यों ना आज अपना दिल की बात बोल दी जाए।
मैंने उसके पास जाकर उससे कहा- क्या मैं तुम्हें कॉलेज तक छोड़ सकता हूँ?
तो उसना कहा- ठीक है।
वो मेरे साथ चल पड़ी.. वो मुझसे चिपक कर बैठी थी.. और मैं उसके सीने के उभारों को महसूस कर सकता था।
मुझे खुद पर काबू करना मुश्किल हो गया था.. पर मैंने अपना आप पर नियंत्रण रखा।
उसने बात करनी शुरू की.. बातों-बातों में मैंने उसे बताया कि आज मेरा जन्मदिन है.. तब उसने मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।
मैंने उससे कहा- मैं आज तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ।
‘कहो?’
मैंने अपने दिल की बात बोल दी कि मैं उसे पसंद करता हूँ और उससे प्यार करता हूँ.. पर उसने कुछ नहीं कहा और चली गई।
एक पल के लिए मुझे लगा कि मैंने गलत कर दिया.. पर कुछ देर बाद जब हमारी क्लास लगी.. तो उसने मुझे एक ख़त दिया.. जिसमें लिखा था कि मैं कब से तुम्हारे इस प्रपोजल इंतजार कर रही थी.. मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ।
मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई।
इस तरह हम एक-दूसरे के करीब आ गए और बातों का सिलसिला शुरू हो गया। अब अक्सर हम कॉलेज से कहीं ना कहीं निकल जाते और खूब मस्ती करते।
एक दिन उसने मुझे अपने घर बुलाया.. उस दिन उसके घर कोई नहीं था.. सब किसी रिश्तदार की शादी में गए थे।
जैसे ही मैं उसके घर गया तो उसने दरवाजा खोला.. उस दिन क्या लग रही थी.. उसने मिनी स्कर्ट और गुलाबी रंग का टॉप पहना हुआ था।
मैं तो उसे देखता रह गया.. आज वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
मैंने जाते ही उसे गले से लगा लिया और चूमने लगा। हमारा ये चुम्बन 10 मिनट चला होगा.. उसके होंठ पूरी तरह से लाल हो चुके थे।
हम अब भी एक-दूसरे से चिपके हुए थे.. और हमारी साँस से साँस मिल रही थी।
तब मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ..
वो कुछ नहीं बोली और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं मुझे ये उसकी मौन स्वीकृति लगी.. अब मैंने उसे सहलाना शुरू किया और उसका टॉप निकाल दिया उसने कुछ नहीं कहा और मैं उसके उभारों को ब्रा के ऊपर से चूसने लगा।
उसके मुँह से सिर्फ सिसकारियाँ ही निकल रही थीं ‘आहह.. आह्ह..’
मैंने उसकी ब्रा खोल दी और उसके चूचों को चूसने लगा। उसने मुझे गले लगा लिया और मेरी पैन्ट में हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया।
कुछ देर में हम दोनों पूरी तरह नंगे हो चुके थे, वो मेरे लंड से खेल रही थी और मैं उसकी चूत को चूस रहा था।
उसका पानी निकल चुका था।
वो मुझसे कहने लगी- जान.. अब और नहीं सहा जाता.. मुझे जल्दी से चोद दो।
मैंने उसे सीधा करके लिटाया और उसकी चूत पर अपना लंड लगा कर जोर देने लगा.. पर उसकी चूत टाइट होने की वजह से लंड फिसल रहा था।
तब उसने उसे सही निशाने पर मेरा लवड़ा लिया और जोर लगाने को कहा।
थोड़ा से जोर से लंड उसकी चूत को चीरता हुआ घुस गया और उसके मुँह से चीख निकल गई, वो रो रही थी और बोल रही थी- दर्द हो रहा.. निकाल लो..
पर मैंने नहीं निकाला और उसे चूमने लगा। थोड़ी देर में जब उसका दर्द कम हुआ। तब मैंने पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया।
कुछ देर की पीड़ा के बाद उसे भी मजा आ रहा था और पूरा कमरा उसकी सिसकारियों से गूंज रहा था ‘आह.. आह.. और तेज.. फाड़ दो.. आज इसे.. आह्ह.. कब से तड़प रही थी!’
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज-तेज चुदाई करने लगा। दस मिनट के बाद उसका बदन ढीला पड़ गया और वो सुस्त हो गई.. शायद वो झड़ चुकी थी.. पर मेरा अभी नहीं हुआ था।
मैं अब भी तेज-तेज धक्के मार रहा था। वो फिर गरम हो गई और इस तरह वो अब तक 3 बार झड़ चुकी थी।
अब मैं भी चरम सीमा पर था.. और मैं एकदम से उसकी चूत में झड़ गया साथ ही वो भी झड़ कर मुझसे लिपट गई.. उसके बगल में लेट गया।
थोड़ी देर बाद उसने फिर से मेरे लंड को खड़ा किया और हमारा दूसरा राउंड शुरू हो गया। करीब 30 मिनट के बाद हम फिर से मजा लेकर सुस्ताने लगे थे।
उस दिन हमने चार बार चुदाई की.. और यह सिलसिला कई साल तक चला.. पर अब उसकी शादी हो चुकी है। उसके संग बिताए वो हसीन पल आज मुझे याद आते हैं।








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FUN-MAZA-MASTI पॉर्न मूवी देख कर मस्ती

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पॉर्न मूवी देख कर मस्ती

बात उन दिनों की है जब मैंने बीसीए के लिए कॉलेज जॉइन किया। मेरी कॉलेज में जहाँ देखो वहाँ मस्त लड़कियाँ थी लेकिन मैं अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता था, मुझे किसी से कुछ लेना देना नहीं था।
जब मैं फ्रेशर पार्टी दे रहा था, तब मेरी मुलाकात वर्षा से हुई।
वो बीएससी प्रथम वर्ष में थी।
क्योंकि मैं कॉलेज में ज्यादातर बुरी हरकतों में घुसा रहता था तो मुझे कोई कोई ही जनता था।
हमारी दोस्ती हुई, अब वो हमेशा ब्रेक टाइम और छुट्टी में मेरे ग्रुप में रहती थी।
वो बहुत हॉट और सेक्सी थी लेकिन मैं कभी उसके बारे ऐसा सोचता नहीं था, मैं ज्यादातर ग्रुप में रहता था तो वो मुझसे ज्यादा बात नहीं कर पाती थी।
एक दिन उसने मेरा सेल नंबर माँगा, मैंने उसे अपना नंबर दिया और घर के लिए निकलने लगा।
तभी वर्षा बोली- आज मैं अपनी दीदी के साथ आई थी लेकिन वो कहीं बिज़ी होने के कारण रिसीव करने नहीं आ पाएँगी… तो क्या तुम मुझे घर ड्रॉप कर दोगे?
मैंने कहा- ठीक है।
वो मेरी बाइक पर बैठ गई।
रास्ते में हम बात करते जा रहे थे, वो मेरे बारे में जानना चाहती थी, मैंने हर चीज़ बता दी।
रास्ते में उसके बूब्स मुझे टच हो रहे थे, मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था, मन कर रहा था कि यहीं पर उसकी टीशर्ट फाड़ दूँ लेकिन खुद पर कंट्रोल करना पड़ा।
मैंने वर्षा को उसके घर ड्रॉप किया तो बोली- अंदर आओ…
लेकिन मुझे जल्दी थी तो मैं वहाँ से चला आया।
उसने कुछ देर बाद कॉल किया, थैंक्स कहा और यहाँ वहाँ की बात करने लगी।
उसने पूछा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
तो मैंने कहा- कोई नहीं है, और होगी भी कैसे? कोई बैड बॉय को अपना बायफ़्रेंड थोड़ी ना बनाएगी।
तो उसने कहा- नहीं, तुम गंदे लड़के नहीं हो… जहाँ तक मुझे पता है, तुम ओपन माइंड हो।
मैंने पूछा- तुम्हारा कोई बाय्फ्रेंड है?
तो उसने कहा- था, लेकिन मैंने उसे छोड़ दिया।
मैंने कहा- क्यों?
तो बोली- वो मेरे साथ चीट कर रहा था।
मैंने कहा- चल अछा है, बिंदास रहने का अलग ही मज़ा है।
उसके बाद मेरे मन में उसको चोदने का ख्याल आया।
उस दिन मैंने उसकी याद में मूठ मारी।
अब हम ज्यादातर साथ में रहने लगे।
मुझे उसके बूब्स देख कर चूसने का मन करता था!
अब हम दोनों एक दूसरे के यहाँ आते जाते थे।
एक बार मेरे पेरेंट्स 1 हफ़्ते के लिए पुणे गये थे, मैं घर में अकेला था तो मैंने सभी को अपने घर इन्वाइट किया।
हम सब लोग एंजाय कर रहे थे, मेरे फ्रेंड्स ड्रिंक करते थे तो वो 3 बॉटल ले आए।
चूंकि मेरी ग्रूप में लड़कियाँ थी तो मैंने बॉटल छुपा दी।
लेकिन एक ने देख लिया तो बोली- शरमा मत, हम लोग भी ट्राई करेंगी।
तो मैं बॉटल ले आया।
सबने ड्रिंक्स की लेकिन मैंने नहीं की।
वर्षा ने भी ड्रिंक किया।
हम सब उसके बाद यहाँ वहाँ की बात करने लगे, फिर सब अपने घर चले गये!
वर्षा को पीने के कारण सर में दर्द हो रहा था तो वो रुक गई और मेरे रूम में सो गई क्यूंकि उसने शायद पहली बार ड्रिंक किया था।
मैंने उसके घर में कॉल करके कहा- वर्षा अपनी फ्रेंड के यहाँ चली गई है, शाम तक आ जाएगी।
जब वो सो रही तो उसके बूब्स बाहर को निकल आये थे, मैं पागलों जैसे उसे देखने लगा, मैंने वहीं पर मूठ मार ली क्यूंकि इससे पहले मैंने कभी किसी के बूब्स नहीं देखे थे तो मैंने उसे चूसने के लिए पकड़ लिए और चूसने लगा।
मुझे मज़ा आने लगा।
शायद वो जागने वाली थी तो मैंने जल्दी से वहाँ से चला आया।
मैं आकर पीसी पे पॉर्न मूवी देखने लगा।
मुझे पता ही नहीं चला कि कब वो आकर मेरे पीछे खड़ी हो गई!
उसने गुस्से में कहा- ये क्या देख रहे हो?
मैंने जल्दी से पीसी ऑफ कर दिया और कहा- हॉलीवुड मूवी देख रहा था।
वो शायद सब जानती थी लेकिन मुझसे ऐसे बर्ताव कर रही थी जैसे कुछ जानती नहीं हो।
मैंने कहा- तूने कभी किस किया है?
तो वो बोली- नहीं, मैंने कभी नहीं किया है।
मैंने कहा- करना चाहती हो?
तो वो बोली- नहीं मैं नहीं करना चाहती।
मैं ज़बरदस्ती उसे किस करने लगा।
पहले उसने मुझे धक्का दिया लेकिन मैंने उसे कस के पकड़ लिया और किस करने लगा।
अब वो मेरा साथ देने लगी, हम दोनों 10 मिनट तक किस करते रहे।
वो पूरी गर्म हो गई थी।
मैंने कहा- पॉर्न मूवी देखोगी?
वो बोली- हाँ… मैं बहुत बार देखती हूँ।
तो मैंने जल्दी से पॉर्न मूवी लगा दी, वो देखने लगी और मैं उसे किस करने लगा।
मैं उसकी सलवार उतारने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा, वो ‘आआहह उऊहह…’ आवाज़ निकालने लगी, उसने मेरा लंड पकड़ लिया और दबाने लगी।
मैं उसके बूब्स चूसने लगा और दबा रहा था।
वो पूरी गर्म हो गई थी, उसने मेरा लंड बाहर निकाला और कहा- इतना बड़ा है तेरा?
मैंने कहा- मैं वर्जिन हूँ, आज तक मैंने किसी के साथ नहीं किया है।
तो उसने कहा- मैंने भी बस मूवी में देखा था!
मैंने कहा- इसे मुँह में डालो…
वो मना करने लगी लेकिन बाद में चाटने लगी, वो पागलों के जैसे चूस रही थी।
मैं उसके मुँह में ही झड़ गया, उसने मेरा पूरा पानी पी लिया।
मैंने उसकी पैंटी खोल दी अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी, मैं पागलों की तरह उसकी चूत चाटने लगा।
क्या खुशबू थी उसकी चूत में…
हम दोनों 69 की पोज़िशन में आकर एक दूसरे को चाट रहे थे।
मैं अब जल्दी से जल्दी उसकी चूत मारना चाहता था लेकिन वो मुझे छोड़ नहीं रही थी।
वो 15 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही थी।
मैंने अब उसको बेड पे लिटाया और अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ने लगा।
वो पागलों के जैसे आवाज़ कर रही थी।
मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालने के लिए कोशिश की लेकिन उसकी चूत ज्यादा ही कसी थी, मेरा लंड अंदर जा नहीं पा रहा था!
मैं उसे किस कर रहा था और झटके से अपना आधा लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वो चिल्लाने लगी, मैं उसे किस करने लगा और थोड़ी देर तक उसे किस करने के बाद जब वो नॉर्मल हो गई, मैंने फिर झटके से अपना पूरा लंड डाल दिया।
उसकी चूत से खून आने लगा, वो डर गई और मुझे लंड बाहर निकालने के लिए बोली।
मैंने कहा- थोड़ा सा दर्द होगा, और कुछ नहीं…
और मैं उसके बूब्स चूसने लगा।
मैं अब धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे करने लगा!
वो चिल्ला रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद मेरा साथ देने लगी, हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे, मैं अब जल्दी जल्दी शॉट मारने लगा।
मैं दस मिनट में ही उसकी चूत में झड़ गया और वो भी मेरे साथ झड़ गई।
मैं उसके बूब्स चूसने लगा।
उसका चेहरा पूरा लाल हो गया था, मेरा लंड खून से लाल हो गया था और उसकी चूत भी खून से लाल थी।
वो मेरा लंड चूसने लगी, मेरा लंड मुँह से साफ कर दिया उसने।
मैं उसके बूब्स चूसने लगा। मैं अब उसकी चूत को चाट रहा था, वो कांपने लगी, वो आगे पीछे होने लगी, उसे मज़ा आ रहा था।
हम दोनों फिर से चुदाई करने लगे।
हमने उस दिन तीन बार सेक्स किया।
अब उसे घर जाना था लेकिन चूत में दर्द होने के कारण वो ठीक से चल नहीं पा रही थी।
मैंने कहा- यहीं रुक जाओ।
तो उसने अपने घर में फ़ोन करके कहा कि वो आज रात अपनी फ्रेंड के यहाँ स्टडी के लिए रुक रही है।
फ़िर हम दोनों ने साथ में पॉर्न मूवी देखी और एक दूसरे को किस करने लगे।
मैं उसे अपनी गोद में बिठा कर सेक्स करने लगा, हम दोनों सेक्स करते रहे, फिर हम दोनों पूरे नंगे हो कर टीवी देखने लगे।
रात को हम दोनों ने ड्रिंक किया, मुझे ड्रिंक का असर होने लगा तो मैंने कोल्ड ड्रिंक्स पी ली लेकिन वर्षा ज्यादा पी गई।
हम फिर से किस करने लगे।
मैंने कहा- मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ।
तो बोली- जो करना है, करो !
मैंने अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया, वो चिल्लाने लगी लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और अपनी स्पीड बढ़ा दी।
हम दोनो एक साथ ही झड़ गये।
हम सुबह साथ में नहाने गये और वहाँ भी सेक्स किया।
और उसके बाद हमें जब भी मौका मिलता था, हम सेक्स करते थे!
फिर उसके पापा का ट्रान्स्फर हो गया और वो आगरा चले गये।










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FUN-MAZA-MASTI सोयी वासना जाग उठी

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सोयी वासना जाग उठी

मेरा नाम सुदर्शन है.. मैं उत्तर-प्रदेश में रहता हूँ। मेरा लंड 17 सेंटीमीटर लम्बा है.. आप हंसिए मत मैंने नाप कर लिखा है।
वैसे तो यह घटना पुरानी है.. पर जब भी मैंने फन मज़ा मस्ती पर कहानियां पढ़ीं तो मुझे भी लगता था कि मैं भी अपनी सत्य घटना आप सबसे साझा करूँ।
जब मेरी बड़ी बहन की शादी हुई तो मैं पहली बार उनको उनकी ससुराल लिवाने गया।
उस समय मेरी उम्र किशोर वय की थी।
बाद में बहन की ससुराल में मेरा जाना-आना होने लगा और एक बार जब मेरी स्कूल की छुट्टियाँ हुईं तो मेरे जीजाजी ने मुझे उधर ही रोक लिया और मैंने पूरे दो महीने की गर्मी की छुट्टियाँ वहीं बिताईं।
मेरे जीजा जी की चार बहनें थीं.. वहाँ उनकी चार बहनों के साथ खेलने के दौरान कृति से.. मेरी सबसे ज्यादा पटती थी..
वो चारों बहनों में सबसे छोटी थी पर मुझसे 8 माह बड़ी थी.. उससे मेरी अच्छी दोस्ती हो गई।
अब मैं हर साल गर्मी की छुट्टियाँ वहीं बिताता।
धीरे-धीरे उसके साथ मेरी दोस्ती.. प्यार में बदलने लगी।
अब वो 19 की हो गई थी। हम एक-दूसरे से मजाक करते थे।
अकेले में एक-दूसरे के अंगों से छेड़-छाड़ भी करते.. पर चुदाई का मौका नहीं मिला।
समय यूँ ही गुजरता गया.. उसने बीए करने के बाद बीटीसी करने के लिए फार्म भरा और मेरे शहर में परीक्षा देने के लिए सेंटर चुना।
अब वो मेरे घर पर रह कर पढ़ाई करने लगी।
मैं भी आरआरबी और एसएससी की तैयारी करने लगा।
मेरा पढ़ाई का कमरा ऊपर था.. वो भी वहाँ दिन में पढ़ने आती थी। कमरे में एक पट्टे से बुनी हुई खटिया थी।
उस जमाने में मस्तराम की किताबें ही हम लोगों की कामेच्छा की पूर्ति करती थीं.. आजकल की तरह मोबाइल का जमाना नहीं था।
मैं अक्सर चुदाई की किताब पढ़ते समय खटिया के पट्टे को सरका कर छेद में अपना लंड डाल कर खटिया-चोदन करता।
यह हस्तमैथुन से ज्यादा मजा देता था।
एक दिन मैं मस्तराम की नई किताब ले आया और हमेशा की तरह पढ़ते समय खटिया के छेद में लिंग डाल कर आगे-पीछे करने लगा..
कुछ समय बाद वीर्यपात हुआ।
तभी खटिया के नीचे से किसी की कसमसाहट की आवाज हुई।
मैंने देखा वो कृति थी।
वो नीचे लेटी थी और सोने का नाटक कर रही थी।
मैंने उसे खटिया के नीचे लेटा देख कर उससे शर्मिंदगी से देखा।
मेरा वीर्य गिरने से वो गीली हो कर उठ गई।
वो बोली- वाशिंग मशीन घर में है.. और तुम पत्थर पर कपड़े धो रहे हो।
उसकी बात सुन कर मैं हतप्रभ रह गया.. मेरी सोयी ही वासना जाग उठी।
वो भी मस्त होकर मेरी तरफ देख रही थी।
मैंने उसकी ओर प्यार से देख कर उसकी तरफ अपनी बाँहें फैला दीं और कृति आगे बढ़ कर मेरे बाहुपाश में बंध गई।
फिर हमारे होंठ एक हो गए.. धीरे-धीरे हम दोनों के जिस्म एक-दूसरे में समा गए।
उसने फुसफुसा कर कहा- दरवाजे बन्द कर लो।
मैंने दरवाजे बन्द किए और उस पर टूट पड़ा.. कब उसके वस्त्रों को मैंने उतार दिया पता ही नहीं चला।
उसके नग्न सौन्दर्य को मैं अपलक देखता ही रह गया। जबरदस्त कटीली छमिया लग रही थी.. उसके 32 नाप की रस भरी मुसम्मियाँ बिल्कुल उठी हुई थीं.. एकदम गोल.. हय.. मुझे तो नशा सा हो गया था।
नीचे सफाचट मैदान.. काम-छिद्र को मानो आज पूर्णरूप से छिदवाने की तैयारी थी..
तभी उसने आगे बढ़ कर मेरी लुँगी खींच दी.. और मेरा 17 नम्बर का औजार अपने हाथों में ले लिया।
मैं चौंक गया।
पूर्णरूप से उत्तेजित लण्ड अपने फौलादी रूप में आ चुका था।
मैंने उसको अपनी बाँहों में ले लिया और खटिया पर धकेल दिया।
कृति चित्त होकर मेरे लिए बिल्कुल खुली पड़ी थी।
हम दोनों का ही पहली बार था.. बहुत देर तक प्रणय लीला करने के बाद मैंने अपना लिंग उसकी योनि में पेवस्त कर दिया.. हाँ.. यह सत्य है कि उसको बहुत दर्द हुआ.. पर उसकी बहुत जोर से चीखें निकली हों.. ऐसा नहीं हुआ।
करीब दस मिनट तक हम दोनों का मिलन हुआ मैंने उसको बहुत दम से चोदा.. और चरम पर पहुँच कर मैंने उसको शिथिल होते हुए महसूस किया.. तभी मेरे लवड़े ने भी अपना लावा उगल दिया।
हम दोनों एक हो चुके थे.. कुछ पलों के बाद जब हम अलग हुए तो मुझे उससे निकले हुए रक्त के बारे में जानकारी हुई।
एक प्रसन्नता हुई कि वो कुँवारी थी और मैंने ही उसका कौमार्य भंग किया था।
फिर जब मौका मिलता हम चुदाई करते.. पर मैं इस बात का ध्यान रखता कि कहीं उसको बच्चा न ठहर जाए।
फिर उसका चयन टीचर हेतु हो गया।
मैंने दीदी और जीजाजी से बात की- मैं और आपकी बहन कृति शादी करना चाहते हैं।
वो तैयार नहीं हुए।
मैंने कृति को कोर्ट मैरिज करने के लिए कहा।
वो बोली- मैं भइया के खिलाफ नहीं जा सकती।
मैंने एक ट्रिक चली।
अब मैं बिना कंडोम के संबंध बनाता था।
इससे वो गर्भवती हो गई.. उसे पता चलने पर उसने मुझसे गर्भपात की दवा लाने को कहा।
मैं मेडिकल स्टोर से विटामिन की गोलियां रैपर से फाड़ कर उसको दे देता था।
उसने बाद में बोला- दवा असर नहीं कर रही है।
मैं हर बार अलग कंपनी की विटामिन की दवा रैपर फाड़ कर देता रहा।
इस तरह दो माह बीत गए।
वो नर्स से गर्भपात करवाने के लिए बोली।
मैंने कहा- ठीक है।
मैंने एक सरकारी हस्पताल की नर्स से पूछा- सिस्टर गर्भपात का खर्च कितना आता है?
वो मुझे घूरते हुए बोली- 2000.. क्यों?
मैंने उसको अपनी व्यथा बताई और कहा- मैं 3000 दूँगा.. बस तुम कहना गर्भपात कराने पर माँ की जान जा सकती है।
उसकी ललचाई आँखों को देख कर मुझे लगने लगा कि काम बन सकता है.. और यही हुआ।
उसने कहा- काम हो जाएगा।
मैं कृति को लेकर नर्स के पास गया।
नर्स ने अल्ट्रासाऊन्ड करवाने को बोला।
हम दोनों दो दिन बाद अल्ट्रासाऊन्ड रिपोर्ट लेकर पहुँचे।
नर्स ने कहा- गर्भ में दो बच्चे हैं.. गर्भपात करवाने पर तुम्हारी जान को बहुत खतरा है।
वो डर गई.. और हम घर चले आए।
वो रोने लगी.. मैंने उसे समझाया- अभी तीन माह बाद जीजाजी से बात करके मैं उन्हें शादी करवाने के लिए राजी कर लूँगा।
फिर मैंने उसकी बड़ी बहन से ये बात जीजाजी तक पहुँचाई।
अंत में थोड़ी मच-मच के बाद वो राजी हो गए।
मैं और कृति शादी के पवित्र बंधन में बंध गए। कुछ समय बाद हम दोनों को जुड़वां बच्चे लड़का+लड़की हुए।
अब वो मेरी पत्नी हो चुकी थी तो उसने नियमों के आधार पर मेरे शहर के एक सरकारी विद्यालय में अपना स्थानातरण करवा लिया।
मैं भी एक प्राइवेट कोचिंग चला रहा हूँ।
आज हम और हमारे परिवार वाले, जीजाजी आदि सब खुश हैं।
मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी पसन्द आई होगी।










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FUN-MAZA-MASTI वंदना की सील तोड़ी

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वंदना की सील तोड़ी

दोस्तो, मेरा नाम विशाल है और मैं फन मज़ा मस्ती का लगातार पाँच सालों से पाठक हूँ।

मैं फन मज़ा मस्ती की कोई भी कहानी पढ़े बिना नहीं छोड़ता हूँ।

तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी अपनी कहानी फन मज़ा मस्ती पर साझा करूँ।

 मैं हरयाणा के जींद का रहने वाला हूँ मेरी उम्र बीस साल और एक अच्छे हट्टे-कट्टे शरीर का मालिक हूँ।

मैं अब आपको मेरे साथ घटी सच्ची घटना बताता हूँ।

बात उस समय की है जब मैं अपने गाँव से शहर में एक प्राइवेट हस्पताल में लगा था।

वहाँ पर मैं और मेरे ही गाँव का लड़का काम करता था और एक लड़की वहीं जीन्द से थी.. उसका नाम वन्दना था।

उस हॉस्पिटल में मैं हेड के पद पर लगा हुआ था तो आप समझ ही सकते हैं कि वहाँ का बड़ा अधिकारी मैं ही हुआ..
और सब कुछ मेरे ही हाथ में था।

मैं अब आपको उस लड़की के बारे में बताता हूँ। उसकी उम्र भी बीस साल की थी और दिखने में क्या बताऊँ आपको एकदम गोरी थी और उसका फिगर 36-34-38 का रहा होगा।

मुझे वो भा गई थी और धीरे-धीरे मैं उससे बात करने लगा।

हम दोनों में अच्छी बनने लगी और इस तरह से हमारा मेलजोल बढ़ने लगा।
अब हम दोनों एक-दूसरे को चाहने लगे थे..
लेकिन हम दोनों में से कोई भी अपने दिल की बात कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।
फिर ऐसे ही बातों में कई दिन निकल गए और एक दिन मैंने हिम्मत करके उसको ‘आई लव यू’ बोल दिया।

उसने मुझे कोई जवाब नहीं दिया और अगले दिन वो नहीं आई.. मैंने सोचा शायद वो नाराज हो गई।

दूसरे दिन जब वो आई तो मैंने उससे वही बात फिर से की और कहा- अगर तुम्हें मेरी बात बुरी लगी तो आप मेरे को बोल देतीं।

तो उसने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है.. मैं तो कल बस ऐसे ही नहीं आई थी।

फिर मैंने उससे कहा- मुझे तुमसे लंच टाइम में बात करनी है।

तो उसने ‘हाँ’ कर दी और लंच होते ही मैंने उसको पीछे बने एक खाली ‘प्राइवेट रूम’ में बुलाया.. वो आ गई।

मैंने उसको वहीं पर पकड़ कर होंठों पर चुम्बन किया.. उसने अपने आप को मुझसे छुड़ा लिया।

फिर मैंने उसको पकड़ कर बिस्तर पर गिरा दिया।

अब मैं उसके ऊपर चढ़ कर उसे चूमने लगा, वो गर्म होने लगी थी और मेरा साथ भी देने लगी।

फिर वो एकदम से मुझसे छूट कर भाग गई।

अब मेरे अन्दर का जानवर जाग चुका था और मुझसे रहा नहीं जा रहा था।

मैं बाथरूम में घुसा और मूठ मार कर अपने आप को शान्त किया।

मेरा मन अब उधर नहीं लग रहा था तो मैंने अपनी बाइक उठाई और घर पर आ गया।

फिर मैं वहाँ पर दो दिन बाद गया, उसने मुझे जाते ही कहा- क्या आप मुझसे नाराज हो गए?

मैंने बेरुखी से अपना सर हिला दिया।

फिर वो अपने आप लंच टाइम में मेरे पास आ गई और उसने मुझसे कहा- कल मुझे कुछ होने लगा था.. इसलिए मैं भाग गई थी।

वो मुझसे प्यार जताने लगी थी।

मैं उसको वहीं बिस्तर पर लेटा कर चुम्बन करने लगा.. उसकी चूचियों को दबाने लगा।

अब वो पूरी तरह से मेरा साथ देने लगी.. मेरा लंड पूरा दस अंगुल का और पूरा मोटा हो गया था।


मुझसे रुका ना जा रहा था, अब मैं अपना हाथ उसके चूतड़ों पर फिराने लग गया..

मैं धीरे-धीरे अपने हाथ को उसकी चूत पर ले गया तो अचानक उसने मेरा हाथ हटा दिया और अपने आप को छुटा लिया।

मैंने उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा तो उसने कहा- आगे नहीं…

तो मैंने पूछा- क्या हुआ?

उसने कहा- आज नहीं.. फिर कभी देखेंगे.. अभी मेरी माहवारी चल रही है।

इस तरह से उसने मुझे अपनी चूत तक नहीं पहुँचने दिया।

एक दिन मैंने चुम्बन करते समय उसके हाथ में अपना लंड दे दिया और वो उसको हिलाने लगी।

इस तरह मैं थोड़ा-थोड़ा करके आगे बढ़ता गया और आख़िरकार वो दिन आ ही गया जिसका मुझे इंतजार था।

नये साल वाले दिन हमारा डॉक्टर बाहर गया हुआ था तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

मैंने उसको जाते ही पकड़ लिया और कमरे में ले गया।

मैंने कमरे को अन्दर से बन्द कर लिया और एसी को चालू कर दिया।

कमरे में उसको लाने के पहले ही मैंने अपने गाँव के उस लड़के को बोल दिया था कि किसी को भी ऊपर मत आने देना।

वैसे उसने पहले भी मेरी काफी मदद की है।

अब कमरे में मैंने वन्दना को बिस्तर पर जबरदस्ती गिरा दिया और वो मुझ पर गुस्सा करने लगी ताकि मैं उसको छोड़ दूँ लेकिन आज मैं कहाँ मानने वाला था क्योंकि मेरे लिए इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता था।

मैं उसके होंठों और गालों पर चुम्बन करने लगा।

थोड़ी देर बाद वो भी मुझे चूमने लग गई और मुझे अपनी बाँहों में जकड़ने लगी।

फिर मैं उसकी चूत पर सलवार के ऊपर से ही हाथ फिराने लगा और उसकी सनी लियोनी जैसी चूचियों को भी दबा रहा था।

फिर मैंने उसके कपड़े जबरदस्ती से निकाल कर फेंक दिए.. वो रोने लगी।

मैंने उसको समझाया कि कुछ नहीं होगा।

तो वो कहने लगी- मुझे सेक्स नहीं करना है क्योंकि मेरा रिश्ता होने वाला है और मैं अपने घर वाले को क्या मुँह दिखाऊँगी….

तो मैंने कहा- कुछ नहीं होगा।

लेकिन वो फिर भी मना करने लगी।

मैं फिर उसके चूचे दबाने लगा और उसकी चूत पर हाथ फिराने लगा। उसको भी चुदास तो थी सो अब वो थोड़ा बहुत मेरा साथ देने लगी।

कुछ देर बाद मुझसे रुका नहीं जा रहा था..
मैंने एकदम से उसकी टाँगें उठाईं और अपना लंड उसकी चूत पर रख कर जोर का धक्का मारा..
मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया।

वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी।

पर उसके ऊपर ‘विशाल जाट’ था वो भी उसे क्यों उठने देगा।

मैंने लगातार एक बार जोर और लगाया.. मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया।

वो चिल्लाने लगी कमरा बंद होने से आवाज बाहर नहीं जा सकती थी।

फिर मुझे कुछ गीला-गीला सा लगा.. मैंने कुछ नहीं देखा मैं तो बस हरियाणा वालों की तरह जुटा रहा।

थोड़ी देर बाद वो अपने चूतड़ों को ऊपर उठाने लगी..
मैं भी उसे धकापेल चोदने में लगा हुआ था।

तभी उसने मुझे क़स कर पकड़ लिया और एकदम से निढाल हो कर लेट गई।

मैं अभी भी चुदाई में लगा हुआ था।

करीब 15-20 मिनट उसको चोदने के बाद मेरा पानी छूटने वाला था और मैंने धक्के मारने तेज कर दिए।

एक तेज ऐंठन के साथ मैंने उसकी चूत में ही अपना सारा माल छोड़ दिया और उसके ऊपर ही लेट गया।
जब थोड़ी देर बाद उठा तो चकित रह गया क्योंकि जो मुझे गीला सा लग रहा था वो उसकी चूत से निकला हुए खून था जिससे सारी चादर ख़राब हो चुकी थी।

वो उसको देख कर रोने लगी..

मैंने उसे समझाया और कपड़े पहना कर खड़ा किया तो वो चल नहीं पा रही थी.. उसको बहुत दर्द हो रहा था।

मैंने वो चादर बदली और उसको दर्द की गोली दी।

तो दोस्तो, इस तरह मैंने नए साल पर वन्दना की सील तोड़ कर मेरी पहली चुदाई की और फिर मैंने उसको कई बार चोदा..

मैं शुरुआत में जबरदस्ती करता पर फिर वो भी अपनी चूत की खुजली मिटवाने के लिए टाँगें खोल देती थी।

उसकी एक महीने पहले शादी हो गई है.. वो मुझे बहुत याद आती है।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी मैं आपके मेल का इंतजार करूँगा।

लिखने में अगर थोड़ी बहुत गलती हो गई हो तो माफ़ करना।










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बदनाम रिश्ते-- हमारा छोटा सा परिवार--37

बदनाम रिश्ते--
 हमारा छोटा सा परिवार--37

मैं सुबक रही थी फिर भी मैं हार नहीं मानने वाली थी। आखिर सालियों के सम्मान का सवाल भी तो था , उसके सामने मेरे दर्द की कुझे

फ़िक्र नहीं थी।

आदिल भैया ने भी सारी दुनिया के जिजाओं का पक्ष और सम्मान का बीड़ा उठा लिया।

आदिल भैया ने अपना लंड मेरी दुखती गांड से इंच इंच कर सुपाड़े तक बाहर निकल लिया और फिर ज़ोरदार धक्कों से जड़ तक मेरी गांड में ठूंस दिया। मेरी

चीखें उनके हर धक्के के प्रभाव की घंटी बन गयीं। । मेरी गांड में दर्द की लहरें उपज गयीं। मुझे लगा की मेरी गांड फट कर चिथड़े चिथड़े गयी थी और

उससे खून के धाराएं बह रहीं होगीं।

अब आदिल भैया बिना रहम से मेरी गांडमारने लगे। उनका लंड मेरी बिलबिलाती गांड से निकलता और फिर जड़ तक मेरे गहरे अँधेरे रेशमी मलाशय में

समां जाता।

मेरी चीखे सुबकियों में बदल गयीं। आदिल भैया का लंड, धीरे धीरे मेरी गांड में उनके महालण्ड के रगड़ाई से उपजे रस, से लिस कर कुछ आसानी से मेरी

गांड के अंदर बाहर आने जाने लगा।

शानू की साँसे ऊँची और भारी हो गयीं थीं।

आदिल भैया मेरी गांड को बेरहमी से अपने महाकाय लंड से चोद नहीं बल्कि कूट रहे थे। अब उनके मेरी उसी बेरहमी से मसल रहे थे। मेरी सुबकियां

सिस्कारियों में रूपांतरित हो चलीं।

मेरी प्रचंड गांड चुदाई के मंथन से मंथन से सौंधी सुगंध सब तरफ फ़ैल गयी।

" जीजू अब मर लीजिये अपनी साली की गांड। हाय कितना मोटा लंड आपका। अब मारिये और ज़ोर से। "मैं काम-आनंद के अतिरेक में अंट्शंट बोलने

लगी। जो दर्द थोड़ी देर पहले मेरी जान निकाल रहा था अब मेरे शरीर में उसी दर्द ने वासना से भरे कामसुख की बाढ़ पैदा कर दी।

"साली जी और ज़ोर से मारूँ आपकी गांड। अब तो आप रो भी नहीं रहीं हैं ? " आदिल भैया ने एक और प्रचंड धक्के से मेरी गांड महाकाय लंड से भर

दिया।

"जीजू और ज़ोर से मारिये। मैं अब झड़ने वाली हूँ। ह्हाअन्न्न्न्न्न उउउन्न्न्न्न्न्न्ग्ग्ग्ग्ग्ग ऊऊऊओ माआआं मर्र्र्र्र गयीईई मैईईईईइं आआऐईईईन्न्न्न्न्न ," मेरी

सिस्कारियां मेरे कामोन्माद के प्रभाव से और भी ऊँची हो गयीं।

अब जीजू उर्फ़ आदिल भैया विजय-पथ पर बेलगाम दौड़ रहे थे। उनका वृहत लंड मेरी गांड की भयंकर शक्तिशाली और बेहद तेज़ धक्कों से दनादन

चुदाई कर रहा था।

फ़च -फ़च -फ़च -फ़च -फ़च की आवाज़ मेरी गांड के मंथन का संगीत थीं। मैं अब वासना के ज्वर से बिलबिला उठी। मैं अब लगभग लगातार झड़ रही

थी। आदिल भैया मेरे उरोज़ों को जितनी बेदर्दी से मड़ोड़ते मसलते उतना ही विचित्र आनंद मुझे एक नए चरम आनंद के द्वार पर ला पटकता।

आदिल भैया मेरे हर कामोन्माद को और भी परवान चढ़ाने के लिए दोनों चुचूकों को बेरहमी से खींच कर मड़ोड़ देते और मैं हलके से चीख उठती। मेरी चीखें

अब आनंद के आवेश से उपज रहीं थीं। मेरी गांड की चुदाई का दर्द बस मेरे आनंद को बढ़ावा दे रहा था दे रहा था। 




आदिल भैया हचक हचक कर चोद रहे थे। उनके धुआँदार धक्के मेरे अस्थिपंजर तक हिला देते। अब वो मेरी गांड की चुदाई वहशी

अंदाज़ और रफ़्तार से करने लगे। जब उनके हाथ मेरे उरोज़ों को मुक्त कर मेरी चूत और भाग-शिश्न से खेलते तो उनके धक्कों से मेरे

गुदाज़ मोटी चूचियाँ आगे पीछे भरी गेंदों की तरह डोलतीं। मैं वासना और भीषण चुदाई के अतिरेक से हांफने लगी। पर जीजू की चुदाई

की भीषणता और उत्तेजना में कोई धीमापन आने की गुंजाईश नहीं होती दीखती थी।

" जीईईइ ....... जूऊऊऊ ……… हाआआन ………….. उउउन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं फिर …….. झड़ रही हूँ……. आआन्न्न्न्न्न्न्न

………….. मर ……………. गईईईईई …………….. आआअन्न्न्न्न्न्न ,"मेरे हलक से सिस्कारियों की बौछार से स्नानगृह गूँज उठा। गांड

महक मेरी कामोत्तेजना को और भी परवान चढ़ा रही थी।

जीजू ने दनादन धक्कों से मेरी गांड की तौबा बुला दी , "साली रानी क्या अब टैं बोली या नहीं ? मैं तुम्हारी गांड अपने लंड की

मलाई से भरने वाला हूँ। "

जीजू के झड़ने की घोषणा से मेरी गांड चुदाई के आनंद चार चाँद लग गए, ," जीजू अपने मुझे झाड़-झाड़ कर मार ही डाला।

भर दीजिये अपनी छोटी बहन और साली की गांड अपने लंड की मलाई से। "

मैं वासना के अतिरेक में बेशर्मी से बुदबुदाई। आदिल भैया ने मेरे दोनों चूचियों को निर्ममता मड़ोड़ मसल कर मेरी गांड में बेरहमी से

अपना लंड और भी ताकत से ठोकने लगे। उनके हलक से गुरगुरहटों जैसी आवाज़ें निकलने लगीं। कोई नासमझ भीषण गांड चुदाई को

देखता तो इसे बलात्कार समझता।

मैं तो जीजू की निर्मम चुदाई से उन्गिनत बार झड़ कर बिलकुल शिथिल हो रही थी।

अचानक जीजू का लंड मेरी गांड में और भी मोटा लगने लगा। उनके लंड ने मेरी गांड में मानों अंगड़ाइयां लेनी शुरू कर दी। उनके लंड से

मेरी गांड में गरम गरम उर्वर वीर्य बौछार होने लगी। मैं उस गरमाहट के आनंद से तड़प उठी और हलके से चीख झड़ने लगी।

जीजू का लंड बिना रुके गांड की तड़पती कोमल दीवारों को अपनी मलाई की बारिश कर रहा था। लगा की जीजू का लंड

से वीर्य की फुहारें कभी भी नहीं रुकेंगी।

जीजू भी अब हांफने लगे चार्म-आनंद के प्रभाव से। उन्होंने मुझे ना थामा होता तो मैं फिसल कर फर्श पर ढेर हो जाती।

घंटे भर की भीषण चुदाई से मेरे शरीर का हर एक अंग मीठे दर्द से भर उठा था।

जीजू और मैं उसी अंदाज़ में एक चुपके रहे और कामोन्माद के शिखर आने का इंतज़ार रहे थे। हूँ दोनों बिलकुल भूल गए की बेचारी

शानू इस बलात्कारी चुदाई के उत्तेजना की वजह से हांफ रही थी।

काफी देर बाद जीजू और मैं अपने वातावरण से फिर से सलंग्न हो गए।

"हाय जीजू आप कितने बेदर्द हैं। मैं आप और बुआ से आपकी शिकायत लगाऊंगी। कितनी बेरहमी से मारी है अपने हमारी नेहा की

गांड। मैं तो दर लगी थी। " शानू ने उलहना तो दिया पर उसकी आँखे कुछ और ही कह रहीं थी।

"साली जी जब आपकी चूत की कुटाई भी इसी बेरहमी से कर दूँ तब शिकायत लगन अपनी अपप और अम्मी से। "जीजू का लंड बड़ी

ढीला हो चला था उस से मरे गांड को थोड़ी रहत राहत महसूस हुई। पर अभी भी मुझे जीजू का लंड अपनी गांड में रखने में आनंद आ

रहा था।

"अरे शानू जब तुम्हारी चूत को जीजू के लंड से फ़ड़वाएंगे तब तुम साडी शिकायतों को भूल जाएगी। और नसीम आपा क्या नहीं

जानती की आदिल भैया जैसे सांड जीजू के होते तेरी चूत कैसे कुंवारी रह सकती है। अब तक तो तेरी चूत ही नहीं गांड के दरवाज़े भी

पूरे खुल जाने चाहिए थे। " मैंने भी जीजू के स्वर से स्वर मिलाया।

" शानू साली साहिबा तुम भूल गयीं दो हफ्ते पहले की बात। अम्मी और नसीम दोनों ने कितना तुम्हें समझाया था की अपने जीजू को

अपनी चुदाई के लिए राज़ी कर लो। भाई हमने तो तय कर रखा था की जब तक तुम रज़ामंद नहीं होगी हम तुम्हे चुम्मा भी नहीं देंगे।"

जीजू की बातों से साफ़ साफ़ ज़ाहिर था कि शब्बो बुआ और नसीम आपा शानू के केस पर थीं। बस शानू ही नासमझी कर रही थी।

" चलो देर आयद दुरुस्त आयद। आज तो तेरी चूत के उद्घाटन की हर शर्त पूरी हो गयी। लेकिन मेरी बात सुन। जीजू का लंड जब भी

चुदाई खतम करे तो उसे चूस चुम कर शुक्रिया अदा ज़रूर करना। वरना लंड महाराज नाराज़ हो जाते हैं। जीजू शानू की शुरुआत कर

दीजिये। शानू आपके लंड को बेहिचक प्यार से मेरी गांड की चुदाई के लिए शुक्रिया अदा करेगी। " मुझे शानू को मेरी गांड के बेरहम

मंथन से लसे जीजू के लंड को चूसने के ख्याल से ही रोमांच हो गया। 


शानू के फटी फटी आँखें और भरी सांसों में वासना का बुखार साफ़ ज़ाहिर हो रहा था। अब वो जीजू चुदने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती।

आदिल भैया ने धीरे धीरे अपना भरी से बाहर निकला। मैंने उन्हें मन ही मन धन्यवाद दिया। मेरी गांड की बेरहम चुदाई के दर्द की लहरें अभी भी पेंगें ले रहीं

थीं।

जीजू का लंड ममेरी गांड के माथे रस और उनके गाढ़े मलाई जैसे सफ़ेद वीर्य के मिश्रण से सजा था। शानू ने थोड़ा हिचकते हुए जीजू का लंड सुपाड़ा अपने

मुंह में ले लिया। बेचारी को अपना मुंह जितना खुल सकता था खोलने पड़ा। जीजू के लंड का सुपाड़ा बड़े मामा जैसे ही विशाल था। शानू ने पहले धीरे धीरे

फिर बेताबी से जीजू के लंड से मेरी गांड और उनके वीर्य की मलाई के मिश्रण को चूसने चाटने लगी।

मुझे बड़े मामा और सुरेश चाचू से गांड उनके लंड को साफ़ करने का आनंद फिर ताज़ा हो गया, "शानू जीजू के लंड की मलाई मेरी गांड में भरी हुई है। चल

नीचे बैठ जा। तू भी क्या याद करेगी की मैं कितनी दरियादिल हूँ। वरना मैं खुद साडी मलाई चाट कर जाती। "

शानू ने चटकारे लेते हुए कहा , "नेहा, त्तेरी गांड और जीजू की मलाई तो बहुत स्वाद है। "

मैंने शानू खुले मुंह के ऊपर अपनी दुखती गांड के छेद को रख दिया जो अभी भी जीजू के महाकाय लंड से चुदने के बाद मुंह बाये हुए था। जीजू के लंड की

मलाई और मेरी गांड के रस की घुट्टी शानू के मुंह में धार की तरह बह चली।

मैंने शानू को अपनी गांड के रस से लिसे जीजू की मलाई सटकने के बाद उसको उनके मेरी गांड से निकले ताज़े लंड की ओर झुका दिया। शानू ने बिना

हिचक आदिल भैया के लंड को चूस चाट कर अपने थूक से चमका दिया। जीजू बोले, " मेरा लंड थोड़ी देर के लिए वापस कर दीजिये साली साहिबा मुझे बहुत

ज़ोर से मूतना है।”

मैं झट से शानू के पास घुटनों पर बैठ गयी, "वाह जीजू दो दो सालियों के होते कहाँ मूतने जायेंगे आप। कर दीजिये यहीं पर। आखिर में आपकी कुंवारी

साली को कभी तो अपने जीजू का नमकीन शरबत पीने का मौका मिलना ही है।"

आदिल भैया ने अपने मूत्र की बौछार हमारे चेहरों के ऊपर खोल दी। मैंने शानू के गाल दबा कर उसका मुंह खुलवा दिया दिया। जीजू के मूत्र स्नान साथ साथ

दोनों सालियों ने मूत्र पान भी कर लिया।

शानू अब बिना शर्म के जीजू का नमकीन मूट मुंह भर कर सतक रही थी। कुछ देर तो तो दोनों मानो होड़ लगा रहीं थी कि कौन जीजू के गरम गरम नमकीन

शरबत का बड़ा हिस्सा हिस्सा सतक लेगी लेगी।

उसके बाद हम तीनों अच्छे नहाये। जीजू के साथ छेड़-खानी से उनका लंड फिर से खम्बे की तरह प्रचंड हो गया। शानू भी चूचियाँ मसलवा कर और चूत

सहलवा कर उत्तेजित हो चली थी।  


हम तीनों ने सुखाने के बाद कोई कपडे पहनने का झंझट का ख्याल ही छोड़ दिया। मेरे हलके इशारे पर जीजू ने शानू अपनी बालिष्ठ

भुजाओं में जकड़ कर बिस्तर पर दिया। जब तक शानू कुछ कर पाती जीजू उसकी मांसल झांगों को खींच कर उसके चूतड़ों को बिस्तर के

किनारे तक खींच कर उसकी झांगों की पकड़ से स्थिर कर उंसकी कमसिन अल्पव्यस्क चूत ऊपर वहशियों की तरह टूट पड़े। जैसे ही

जीजू का मुंह शानू की चूत पर पहुंचा उसकी सिसकारी निकली तब सबको ज़ाहिर हो गया की आज शानू की कुंवारी चूत पर जीजू के लंड

की विजय का झंडा लहरा कर ही रहेगा।

जीजू ने मुश्किल से नवीं कक्षा में दाखिल हुई नाज़ुक अधपकी अपनी बहन और साली की चूत में तूफ़ान उठा दिया। जीजू ने अपनी जीभ

शानू -शिश्न को लपलपा कर चाटने के साथ साथ उसकी चूत के उनखुले द्वार में धकेल कर उसे वासना के आनंद से उद्वेलित कर दिया।

बेचारी कामवासना के खेल में पूरी अनाड़ी थी। जीजू की अनुभवी जीभ में उसकी कुंवारी चूत में आग लगा दी।

" हाय जीजू आप क्या कर रहे हो मेरे साथ। मेरी चूत जल रही है जीजू। मुझे झड़ दीजिये। " शानू की गुहार सुन कर जीजू ने उसकी चूत

को कस कर चाटने लगे। शानू भरभरा कर झड़ गयी। उसकी सिस्कारियां कमरे में गूँज उठीं।

जीजू ने उसके दोनों उरोज़ो को कास कर मसलते हुए उसकी चूत से लेकर गांड तक लम्बी जीभ निकल कर चूसने लगे। शानू अपने चूतड़

बिस्तर से उठा उठा कर अपनई चूत और गांड जीजू के मुंह में ठूंसने लगी।

मैंने उसके खुले हफ्ते मुंह को अपने होंठों से धक लिया और अपनी जीभ से उसके मीठे मुंह में मीठे तलाशने लगी।

उधर जीजू ने उसकी गुदा द्वार में अपनी जीभ की नोक घुसा कर उसे गोल गोल घूमने लगे। शानू बेचारी के ऊपर हर तरफ से वासनामयी

हमला हो रहा था। उसकी चूचियाँ जीजी मसल रहे थे। मैं उसके मीठे होंठों को चूस रही थी। जीजी उसकी गांड और चूत चूस चूस कर उसके

अल्पव्यस्क शरीर में कामाग्नि प्रज्जवलित कर रहे थे।

शानू अनेकों बार कपकपा के झड़ चुकी थी। जीजू ने एक बार फिर से उसकी चूत पर अपने मुंह और जीभ से मीठा हमला बोल दिया। जीजू

ने उसके भग-शिश्न को चुभलाते, चूसते ,और हलके से अपने होंठो में भीचते हुए जैसे ही शानू एक बार फिर से झड़ी तो उसकी गांड में

अपनी तर्जनी दाल दी. शानू थोड़ी से चहकी पर उसके चरमानंद ने जीजू की ऊँगली से पैदा अपनी गांड के दर्द को भुला दिया।

" आअन्न्न्न्न्न्न जईईई जूऊऊऊ मैं फिर से झड़ रहीं हुँ। हाय अम्मी मुझे बचाओ। कितनी बार झड़ दिया है आपने मुझे। अब बस कीजिये।

मेरी चूत अब और नहीं सह सकती। " शानू कमसिन नासमझी में बड़बड़ाई।

बेचारी को अब पता चलेगा की कितनी सौभगयशाली थी जीजू उसकी चूत का लंड से मंथन करले से पहले उसे भाग-चूषण का परम आनंद

दे रहे थे।

जीजू ने उसे बिस्तर पर दबा कर उसकी चूत को चूस कर उसकी गांड को उंगली से मारते हुए फिर से झड़ दिया। अब बेचारी की सहनशक्ति

जवाब दे गयी। शनय मचल कर पलट कर पेट के बल हो गयी। उसके पैर कालीन पर जमे थे।

जीजू ने इस मौके का पूरा िसयतेमल कियस। मैं समझ गयी जीजू अपने छोटी साली की कुंवारी चूत पीछे से मारने की सोच रहे थे। नन्ही

कुंवारी लड़की के लिए पीठ पर लेट के पूरी चौड़ा करने के बाद भी जीजू के भीमकाय लंड से चुदवाने में हालत ख़राब हो जाती। पर शानू

जिसने मुश्किल से किशोरावस्था के दो साल पूरे किये थे उसकी तो चूत फटने का पुअर इंतिज़ाम था। मैं तो ऐसे कह रहीं हूँ जैसेमैं बहुत

सालों से चुदाई के खेल की खिलाडन हुँ। शानू मुझसे सिर्फ एक साल छोटी थी। मैं भी कुछ हफ़्तों पहले शानू की तरह नासमझ कुंवारी

थी।

मैंने शानू का मुंह अपनी चूत के ऊपर दबा लिया। जीजू ने अपने दानवीय लंड के मोटे सेब जैसे सुपाड़े को शानू की कुंवारी चूत टिका कर

आंसू निकालने वाला धक्का मारा।

जैसा जीजू ने मुझसे वायदा किया था वो अपनी साली के कौमार्य भंग की घोषणा उसकी चीखों से करने का पूरा प्रयास करने वाले थे। शानू

दर्द से बिलबिला उठी। जीजू का अत्यंत मोटा सुपाड़ा उसकी चूत में प्रविष्ट हो गया। उसके कौमार्य के अल्पजीवन की कहानी बदलने वाली

थी।

जीजू ने उसकी कमल बिस्तर पे दबा कर एक और दर्दीला ढाका मारा। शानू की चीख ने मेरी चूत के ऊपर बंसरी बजा दी। 


""नहीईईईए जीजूऊऊऊ मर गयी मैं हाय रब्बा आअन्न्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह ," शानू चीख कर कसमसाई पर जीजू ने उसे अपने नीचे नन्ही हिरणी

की तरह जकड़ रखा था। अब उसके पास बस एक रास्ता था। जीजू के महाकाय लंड से चुदवाना।

" जीजू, यह क्या? इसको कोई चीख निकलवाना कहतें है? जब बड़े मामा ने मेरी कुंवारी चूत मारी थी तो मैंने तो घर की छत उड़ा दी

थी अपनी र्दद भरी चीखों से," मैंने जीजू को और बढ़ावा दिया।

जीजू ने दांत भींच कर एक और भयंकर धक्का लगाया और उनका लंड की काम से काम तीन इंचे शानू की चरमराती चूत में घूंस गयी।

शानू बिलबिला कर रोई और चीखी पर जीजू ने बिना तरस खाए एक के बाद एक तूफानी धक्कों से अपना लंड जड़ तक शानू की चूत

में ठूंस दिया।

मेरी चूत सौभाग्यशाली बेचारी शानू के आंसुओं से भीग गयी। जीजू ने अपना लंड जब बाहर खींचा तो शानू के कौमार्यभंग के घोषणा

करता उसका लाल खून बिस्तर पर फ़ैल गया। जीजू का लंड मानों विजय के तिलक से शोभित हो गया था।

जीजू ने इस बार सिर्फ तीन धक्कों से अपना पूरा वृहत लंड फिर से शानू की चूत में जड़ तक डाल दिया।

अब जीजू के लंड के ऊपर शानू के कुंवारी चूत के विध्वंस की लाल निशानी की चिकनाहट थी। जीजू ने बिना रहम किये दनादन शानू

की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगे।

ना जाने कितनी देर तक शानू बिलबिलाई, चीखी चिल्लायी। उसके चीखों और सुबकने के स्पंदन से मेरी चूत भरभरा कर झड़ गयी।

जीजू ने शानू की चूत के द्वार पूरे खोल दिए थे और उनका लंड विजय की पताका फहराता हुआ उसकी चूत का लतमर्दन करने लगा।

" हाआंन्नणणन् जेजूऊऊऊ ऊओईईए अब दर्द नहीं हो रहा। जीजूऊऊ चोदिये अब। ऊन्न्न्न्न्न कितना लम्बा मोटा लंड है आपका। अल्लाह

मेरी चूत फैट गयी पर मुझे चोदिये और," शानू अब और चुदने की गुहार लगा रही थी।

उसके प्यारे जीजू ने अपने लंड के शॉट्स और भी ताकत से लगाने लगे। उनके मोटे लम्बे लंड के प्रहार से शानू हिल उठती पर उसकी

सिस्कारियां ऊंची ऊंची उड़न भर रहीं थीं।

" अम्मीई झड़ गयी मैं फिर से, " शानू सुबक उठे इस बार कामोन्माद के।

शानू की चूत उसके रति रस से भर गयी। जीजू का लंड अब तूफ़ान मेल जैसी रफ़्तार से शानू की चुदाई करने लगा।

उसकी चूत से 'पचक पचक पचक' के संगीत की लहरें गूंजने लगीं।

मेरी चूत फिर से भरभरा कर झड़ गयी। जीजू ने बिना धीरे और होल हुए शानू की चूत उसी बेरहमी से कर रहे थे। पर अब वो

अल्पव्यस्क कमसिन कुंवारी उनके लंड की पुजारिन बन गए और गुहार लगाने लगी, " जीजू और चोदिये मुझे। पहले क्यों नहीं चोदा

आपने मुझे। आपका लंड अमिन अब अपनी चूत से कभी भी नहीं निकलने दूंगीं। चोदिये जीजू आअन्न्न्न्न … …… आर्र्र्र्र्र

ऊओन्नन्नह्हह्हह मर गयी राबाआआआ," शानू के वासना भरी गुहारें मीठे संगीत के स्वरों की तरह कमरे में फ़ैल गयीं।

जीजू के लंड की रफ़्तार तेज़ और भी तेज़ होती जा रही थी। घंटे भर की चुदाई में शानू ना जाने कितनी बार झड़ गयी थी।

अचानक जीजू ने गुर्रा कर धक्का मारा , " साली साहिबा मैं अब आपकी चूत में झड़ने वाला हूँ। "

शानू की कच्ची चूत में जीजू के लंड ने जननक्षम वीर्य की बारिश शुरू की तो रुकने का नाम ही नहीं लिया। शानू जीजू के ग्र्रम वीर्य

की बौछार से फिर से झड़ कर लगभग निश्चेत सी हो गयी। 


मैंने जीजू के माथे से पसीने की बुँदे अपने होंठों से उठा ली, " जीजू मान गए आपको। शानू की चुदाई वाकई मेरी चुदाई के मुकाबले के

थी। "

" बड़ी साली साहिबा तो आपकी गांड मरने की कीमत चूका दी हमने?"जीजू ने मेरे मीठे होंठों को चूसा।

"जीजू बिलकुल। अब मेरी लिए हमेश खुली है। अब शानू की चूत का दूसरा दौरा हो जाये। आखिर उसकी चूत पूरे खुलनी चाहिए। " मैंने

जीजू की जीभ से अपनी जीभ भिड़ा कर उत्साहित किया।

जीजू ने अपना वीर्य, शानू के रतिरस और कुंवारी चूत के खून से लेस लंड को उसकी चूत से निकल कर मेरे मुंह में ठूंस दिया। मैंने भी

भिन्न भिन्न रसों के मिश्रण को चूस चाट कर उनके लंड को चकाचक साफ़ कर दिया. जीजू का लंड फिर से तनतना उठा।

" जीजू यह क्या ! हाय रब्बा आपका मूसल तो फिर से खड़ा हो गया !," शानू अब पलट कर पीठ पर लेती हुई थी।

जीजू ने उसके पसीने से भीगे कमसिन शरीर के ऊपर लेट कर अपने लंड को फिर उसकी ताज़ी ताज़ी चुदी कुंवारी चूत के द्वार पे टिक्का

दिया, " साली जी एक बार की चुदाई से थोड़े ही तस्सली होने वाले है हमें। "

कहते कहते जीजू ने शानू की चूत में लंड को तीन चार धक्कों से जड़ तक ठूंस दिया। इस बार भी शानू चीख उठी पर इस बार की चीख

में कामना भरे दर्द की मिठास थी।

इस बार फिर से शानू की चुदाई शुरू हुई तो जीजू ने रुकने का नाम ही नहीं लिया. मैंने जीजू के हिलते चितादों को चूमा और उनकी गांड

में अपनी उंगली डाल दी। जीजू के नितिम्बों ने जुम्बिश ई और उन्होंने हचक हचक कर शानू की चूत का मर्दन करना शुरू कर दिया।

" जीजूऊऊ …………. चोदिये ………..ज़ोर से ……… आअन्नन्नन्नन्नन्न ………. ऊओन्नन्नन्नन ,"शानू लगातार झड़ रही थी।

जीजू ने शानू को कई बार झाड़ कर उसकी चूत को अपने उर्वर वीर्य से सींच दिया।
 
 
 













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