Thursday, May 14, 2015

FUN-MAZA-MASTI आंटी की सहेली की चुदाई

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आंटी की सहेली की चुदाई

  हेलो आल रीडर्स, मै साहिल मलेगावं से हु. पहले मै अपने बारे में बताता हु. मेरी हाइट ५.८ है और मै २५ साल का हु और मेरा लंड ६.५ इंच का है और चुदाई करने में बहुत एक्सपर्ट हु. अब स्टोरी पर आता हु. ये बात आज से कुछ महीनो पहले की है. एक दिन मेरी आंटी ने मुझे शाम को कॉल किया और बोला की उनकी बेस्ट फ्रेंड की बेटी की शादी है और आज मेहँदी की रस्म है और तुम्हरे अंकल आज बाहर जा रहे है. क्या तुम मेरे साथ चलोगे, प्लीज? क्युकि शादी में जाने के लिए कोई और नहीं है. मै रेडी हो गया और शाम को अपनी बाइक पर आंटी के घर पहुच गया और आंटी को ले कर निकल पड़ा और कुछ देर बाद हम पहुच गये.
वहां पहुचने पर आंटी की बेस्ट फ्रेंड ने हमारा वेलकम किया और उनके साथ एक आंटी और थी, जो बहुत ही टाइट कपड़ो में थी और उनके बड़े-बड़े बूब्स उनके कसे हुए कपडे में उनके बूब्स का बड़ा आकार बता रहे थे और जब वो पलटी, तो उनकी बड़ी गोल, मस्त और बहुत ही ज्यादा बाहर निकली हुई गांड को देख कर मेरे मुह से निकल गया – “बाप रे बाप”! मैने आंटी से पूछा- ये कौन है, तो वो बोली – ये सपना है. मै बार-बार उनको ही देख रहा था. वो भी मुझे नोटिस कर चुकी थी. फिर वो मेरे पास आई और हम जनरल बातें करने लगे. जब बात कर रहे थे, तो तब भी मै उनके बड़े-बड़े बूब्स को ही देख रहा था. फिर हमें आंटी ने आवाज़ देकर बुलाया. क्युकि दुल्हन की मेहंदी दिखाई जा रही थी और सब एक के पीछे एक खड़े होकर देख रहे थे.
मै सपना आंटी के पीछे खड़ा था और उनकी बाहर निकली हुई बड़ी गांड देख कर दिल मचलने लगा. मैने सोचा, क्यों ना चांस मारा जाए. मैने अपना लंड जो के आधा खड़ा था को आंटी की गांड पर टच कर दिया और वो झट से पीछे पलट कर देखने लगी. मै डर गया, लेकिन आंटी ने एक नॉटी स्माइल दे कर, फिर आगे देखने लगी. मेरा डर निकल गया, लेकिन आंटी ने एक नॉटी स्माइल देकर फिर आगे देखना से ग्रीन सिग्नल दे दिया था. अब मै और आगे होकर लंड को गांड पर फील करने लगा और आंटी भी गांड को पीछे कर के लंड को प्रेस करने लगी. मैने इधर-उधर देखा. हमें कोई नहीं देख रहा था. मैने अब अपना एक हाथ आंटी की गांड पर रख कर आगे झुक कर देखने लगा और फिर धीरे-धीरे गांड को सहलाने लगा.
फिर सब वह से हटने लगे और मै थोडा दूर हट कर खड़ा हो गया. आंटी मेरे पास आई और मुस्कुराते हुए बोली – मज़ा आया. मै बोला – अभी कहाँ मज़ा आया. वो बोली जब रात में सब सो जायेंगे तो पीछे स्टोर रूम में आ जाना. मै तो बहुत खुश ही गया और सब के सोने का इंतज़ार करने लगा. फिर रात के २ बजे मै छुपते हुए स्टोर रूम में गया और कोई आधे घंटे बाद सपना आंटी स्टोर रूम में आई. वह आंटी रेड गाउन में बहुत सेक्सी लग रही थी. मैने झट से आंटी को अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपने लिप्स उनके लिप्स पर रख कर फ्रेच किस करने लगा और एक हाथ से एक बूब्स और दुसरे हाथ से उनकी गांड को दबाने लगा. उसकी सिसकारी निकलने लगी थी ऊऊओ … अह्ह्ह्हह्ह…साहिल कम ओन..और मै भी जोश में आ गया था. अब मैने आंटी के मुह में अपनी जीभ डाल दी और आंटी मेरी जीभ को किसी आइसक्रीम की तरह चूसने लगी, बहुत मज़ा आ रहा था.
मैने उनकी ड्रेस उतार दी, वो ब्लैक ब्रा और ब्लैक पेंटी में थी. में ब्रा के ऊपर से ही उनके बड़े-बड़े बूब्स दबाने लगा. वो मेरा लंड पेंट से निकल कर सहलाने लगी. फिर मैने उनकी ब्रा उतार दी और ज़मीनपर लिटा कर बूब्स के एक निप्पल को मुह में भर लिया. वो मेरा हेड अपने बूब्स पर दबाने लगी. मैने दोनों बूब्स चूस-चूस कर निचोड़ डाला. फिर मैने किस करते हुए नीचे सरकने लगा..वो मोअन कर रही थी, फिर मैने पेंटी के ऊपर से ही किस कर ने लगा और वो अब बहुत गरम हो चुकी थी. अब उन्होंने मुझे उठा कर एक जोरदार किस करते हुए, मेरे कपडे निकल दिए और नीचे बैठ कर मेरा लंड बड़ी कामुकता से चूसने लगी. अब मेरे मुह से सिसकारी निकल रही थी. आंटी बहुत ही अच्छा बिलोंजॉब दे रही थी. मेरा लंड एकदम कड़क हो चूका था. वो मेरे लंड के आगे वाले हिस्से पर अपनी जीभ बहुत मस्त घुमा रही थी.
फिर आंटी बोली, अब मुझे चोदो प्लीज. मैने उन्हें डौगी पोज में किया और पीछे से लंड एक बार में ही पूरा डाल दिया. वो बोली – आराम से, मै तेज-तेज चोदने लगा और दोनों हाथो से बूब्स दबा रहा था. वो भी गांड आगे-पीछे करके चुदवा रही थी. वो सेक्स में बहुत एक्सपर्ट लग रही थी. क्युकि वो लंड को बहुत अन्दर तक ले रही थी. अब उन्होंने मुझे नीचे लेता कर मेरा लंड चूत में ले लिया और दोनों हाथ मेरे पेरो पर रख कर बहुत स्पीड में गांड उछाल-उछाल कर चुद रही थी. में बहुत मज़े ले रहा था. फिर मैने उन्हें दिवार के सहारे खड़ा कर दिया और उनकी एक टांग को अपने हाथ में ले लिया और अपने लंड को उनकी चूत में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया. वो बस एस..एस…एस बोले जा रही थी. हम दोनों पसीने-पसीने हो चुके थे और बार-बार वो लंड को निकालती और फिर दुबारा चूत में डालती, जिससे और भी मज़ा आ रहा था. अब मैने उनको ज़मीनपर लिटा कर उनकी दोनों टाँगे अपने कंधो पर रखकर चोदने लगा पर अपने हाथ से बूब्स को निचोड़ भी रहा था. उनकी चूत पूरी गीली होकर बहने लगी थी. शायद वो दो बाद से ज्यादा झड़ चुकी थी, मगर अभी भी मज़े से चुदवा रही थी. मेरा लंड भी हार नहीं मान रहा था. बस जोर-जोर से धक्के मारे जा रहा था. आंटी ने फिर मुझे नीचे करके लंड पर सवार हो गया. मैने उनके बूब्स मुह में लेकर चूस भी रहा था और वो ऊपर से और मै नीचे से धक्के लगा रहा था और फिर उनका पानी निकल गया और फिर मेरा पानी भी निकल गया उनकी चूत में. वो और मै साथ में ही झड़ गये और झट से मेरा लंड मुह में लेकर चाटने लगी. वो मेरा पानी ऐसे चाट रही थी, जैसे उन्हें शहद का मज़ा मिल रहा हो और चाट-चाट लंड पूरा चिकना कर दिया और मुझे किस करके बोली, तूने आज बहुत मज़ा दिया, साहिल. मैने बोला – मज़ा तो अपने मुझे दिया आंटी जी, थैंक यू.
उसके बाद हम अपने-अपने जगह पर जाकर सो गये, तब से दोबारा कोई और आंटी नहीं मिली, जो चुदाई का मज़ा दे.

FUN-MAZA-MASTI मामी ने मुठ मार दी

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मामी ने मुठ मार दी


 मेरी मामी एक सिम्पल औरत थी ये टब की बात हे जब वो गर्मियों में हमारे घर रहने आई थी. बस टब से मेरी नजर उनके ब्रेस्ट पे थी मन करता था की उनकी कमीज फाड़ के उनके ब्रेस्ट बहार निकाल दू पता नही में एक गुड पर्सनालिटी ओ स्टडी में बी काफी इंटेलिजेंट था पता नही में क्यू उनकी तरफ अट्रेक्ट हो रहा था बहोत ज्यादा बस मुठ मार क ही काम चलाना पड रहा था मेरे घर में एक इतना सेक्सी प्रजा था उसके मस्त मस्त चुत्त्ड देख के हालत खराब ह रही थी एक दिन में बेड पे लिटा हुआ त वो मेरे पास तभी बेड पे सो गयी और मुझे देखने लगी उनको लगा में सो गया हूँ पर में जाग रहा था मेने अपना हेंड हलके से उनके ब्रेस्ट से टच कराया मन तो कर रहा था की पकड़ के मसल दू. और चीख निकाल दू साली की. इतने बड़े बड़े निपल थे साली के हद हे चुत्त्ड ओय होय उस दिन हर कुछ खास नही हुआ. ये अरमान दिल में ही रह गया था.
फिर वो परमेंनन्ट हमारे घर के पास सिफ्ट हो गये थे वो कभी कभी हमारे घर आती थी और साली की गांड तूफान मचाती थी और मेने भी अब कभी कभी उनके घर जाना सुरु किया और हल्के हल्के उनसे दोस्ती बनाई मेने बारते और जब लाइफ में सेक्स जेसा होता हे तो ये चीज एक दम होती हे. अगर आप के साथ हुआ होगा तो आप जानते होगे फिर एक दिन में उनके घर गया था वो रजाई में लेटी हुई थी साली लग तो गस्ती रही थी मुझे तो में उनके साइड में लेता हुआ था बाते कर रहा था और फिर घर आ गया अब क्या करू में यार बस उसकी गांड ही मेरी आँखों में घुमती थी. और उनके घर जाता बाते करता और आ जाता था. पर एक दिन सोच लिया कुछ करना ही हे. और मुझे पता था की वो सेक्स कर सकती हे मेरे साथ. में तो बस मजे लेने के लिए टीआरएस रहा था. शायद वो दिन भी आ गया एक दिन में घर गया उनके वो मोबाइल पकड़ के बेड पे बेठी हुई थी.
मेने उन्हें बुलाया और उनके पीछे से कंधे के निचे से हग की सिंपल हग थी. कुछ खास नही. और फिर बाते मार रहा था आज पूछ लू में उन्हें तो मेने उन्हें कह दिया मेरा दिल बहोत तेज धड़क रहा हे और मेने कहा मामी ग़ुस्सा तो नही मानते एक बात बोलू गुस्सा तो नही मानोगी. तो वो कहती साली आप बोलो तो मेने कहा प्रोमिस करो किसी को भी नही बताओगी. तो वो नही अब बता दो तो मेने कहा मामी दबा सकता हूँ क्या ? तो वो समज गयी थी फिर उन्होंने बोला क्या बड़ी साली अनजान बन रही थी तो मेने हिम्मत करी बहोत मुस्किल से और उनका ब्रेस्ट दबाया हल्के से तो वो हसी और कहती अच्छा ये बोल से था तो मेने उन्हें पीछे से हग किया हुआ हुआ था मजा आ रहा था मुझे और में उनके बूब्स दबा रहा था मजा आ गया उस दिन मेने उनके साथ हल्की सी किस की उनकी सेक्सी गोदी में बेठ के पता नही क्या होता रहा था ये बस हो गया था बॉडी बहोत कुछ करना चाहती थी उनके साथ पर दिल नही मान रहा था.
और ये सब रोज १०-१५ दिन तक चला हम हल्की किस करते थे और में उनके सेक्सी ब्रेस्ट दबा के मजे लेता था उपर से ही दबाए थे मेने वो बड़ा मजा आता हे और वो मेरा पेहली बार था मेरे को वो बहोत सॉफ्ट लगते थे यार मन कर रहा था बिच में लंड फसा दू. उसके ब्रेस्ट के बिच पर इतना गन्दा काम ज्यादा गन्दा था ये काम करने की हिम्मत नही हो रही थी और में उनके ब्रेस्ट दबाता था और एक दिन में उनके घर गया था वो टीवी देख रही थी बेड पे लेट के में पास जाके लेता और उनके हलके हल्के ब्रेस्ट दबाए और हाथ पीछे करा और मेरी बार बार कोसिस करने के बाद वो मेरा लंड दबाने के लिए मानी ये मेरा पेहला टाइम था बहोत बहोत जादा मजा आ रहा था मुठ मारते तो बड़ी अच्छी रही थी वो हमने कभी एक दुसरे से कभी गलत वोर्डिंग में बात नही की एक दुसरे को बड़ी रिसपेक्ट देते थे पर उस दिन मेने पहली बार उनसे मुठ मारी थी.
और घर आते हुए उनसे हल्की सी किस की और फिर में रोज उनसे मुठ मारता और किस करता और हम एक दुसरे से हर एक बात सेर करते थे मुठ मरता कभी कभी उनकी ब्रा और चड्डी में मुठ मरता था और में उनके बूब्स अब जोर जोर से दबाता था वो भी पुरे मजे लेती थी इसके उसके ब्रेस्ट भी तो बड़े बड़े थे. पता नही कितनो से मराई थी उसने पर मुझसे नही मारना चाहती थी वो में उसकी गांड मारना चाहता था. साल्ली किस करती थी ब्रेस्ट मसलती थी. और मेरी मुठ मारती थी. वो आगे बढना ही नही चाहती थी. उसके चुत्त्ड घर में जब हिलते थे तो मजा आ जाता था मन करता था जा के बिच में फसा दू में. पर नही कर सकता त में. अब आगे सब बढ़ता रहा और जब वो मेरी मुठ मारती थी तो म उसकी पीठ पे उसकी बोडी पे हाथ फेरता था. अन्दर हाथ डाल के साली को उसका नंगा जिस्म करना चाहता ता. और अपने लंड पे रख के गांड मारना चाहता था में उसकी. हम दोनों एक दुसरे के बहोत पास गये थे.
पर वो मानती ही नही थी फिर में ये सेक्स स्टोरीज पढने लगा तो थोडा बहोत आइडिया लगाता जा रहा था के क्या करना हे मुझे बस अब सब ट्राय करना चाहता था में. कभी जब वो न मिलती तो खुद मुठ माररके काम चलाना पड़ता था. जब मेरा लंड उसके मुलायम हाथो में होता था तो मजा ही आ जाता था उसके बूब्स तो में मसल मसल के फाड़ के रख देना चाहता था में. मजा और बढ़ता जा रहा था. सेक्स की भूख भी बढती जा रही थी. बस मामी को बोलता में आजा ना कबी यहाँ पे भी गांड रगड दे अपनी वो तैयार नही थी.

FUN-MAZA-MASTI भाभी का टाईट फिगर

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भाभी का टाईट फिगर
मेरी तरफ से सब भाभियों आंटियो और सभी प्यारे दोस्तों को नमस्कार मेरा नाम अमन हे और में पंजाब के जलंधर डिस्ट में रहता हूँ. और मेरी हाइट ५’८ हे और में काफी एथलेटिक हूँ बिकज में बहोत फुटबॉल और क्रिकेट खेलता हूँ. और ये मेरी पहली भाभी की चुदाई की स्टोरी हैं.
चलो अब स्टोरी पे आता हूँ मेरी उम्र २५ साल हे और में चंडीगढ़ में कोचिंग ले रहा हूँ और मेने चंडीगढ़ में रूम रेंट पे लिया हुआ हे मेरे को यहाँ रहते हुए २ मंथ हो चुके हे. और ये घटना २० दिन पुरानी हे. में सारा दिन की पढाई और कोचिंग के बाद कुछ टाइम जिम के लिए निकाल लेता हूँ. शाम को मेरे टाइम में जिम में काफी लडकिया आंटिय और भाभिया भी आती थी और स्टार्टिंग के कुछ दिन मेरा ध्यान सिर्फ अपनी एक्सरसाईज पे होता था और एक्सरसाइज कम्प्लेट होते ही में रूम पे आ जाता था.
और कुछ दिन बाद जिम में एक और न्यू भाभी ने जॉइन किया वो मेरिड थी बट उनका फिगर गजब का था आप अंदाज लगा लो किसी पोर्न स्टार जेसा और भाभी थी भी गोरी चिट्टी पंजाबी अभी उन्हें जिम आये दो तिन दिन हुए थे की में अपनी एक्सरसाइज लगा रहा था और वो भी पास खड़ी अपनी एक्सरसाइज लगा रही थी. बिकज वो जिम में न्यू थी तो उनसे एक्सरसाइज ठीक से नही लग रही थी. और डम्बल को गलत तरीके से उठा के एक्सरसाइज लगा रही थी में थोडा हेल्पिंग नेचर का हूँ इसी लिए मेने उन्हें बता दिया की आप गलत लगा रही हे. और ठीक से केसे लगनी हे तो उन्होंने मुझे थैंक्स कहा और प्यारी सी स्माइल दे दी. और टब तक मेरे मन में कुछ भी गलत नही चल रहा था.अगले दिन भी भाभी मेरे को जिम में मिली और और हल्की सी स्माइल के साथ हेलो कहा तो मेने भी रिप्लाई में हेलो कह दिया और फिर अपनी एक्सरसाइज लगाने लगा और एसे करीब २-४ दिन तक चलता रहा. में जिम के बाद अक्सर ही ज्यूस पिता हूँ तो ज्यूस वाली शॉप बिलकुल जिम के साथ में ही हे.
तो मोस्टली सारा जिम मेम्बेर्स वही से ज्यूस पिटे हे में भी रोज़ की तरह जिम लगा के ज्यूस पि रहा था की तभी जिम वाली भाभी भी ज्यूस पिने आ गयी. तो मेने स्माइल के साथ हेल्लो कहा और उन्होंने भी स्माइल दे के रिप्लाई दिया और फिर उन्होंने कहा आई एम् पूनम मेने भी अपना नाम बताया और ज्यूस पिने लगा मेने फिर भाभी से पूछा की वो काहा रहती हे तो उन्होंने बताया की वो ३५ सेक में रहती हे और मेने उन्हें मजाक में ही कह दिया भाभी आप को जिम का क्या जरूरत हे आप तो पेहले ही फिट हो काफी तो इस्पे उन्होंने हस के कहा की वे अक्सर घर पे फ्री होती हे तो थोडा टाइम बहार जिम के लिए निकालती हे.फिर मेने उन्हें बाय कहा और बाइक पे रूम में आ गया और मेरे को उस डन बहोत अच्छा लग रहा था. और मेरे दिमाग में भाभी की स्माइल गम रही थी. तो अब में रोज़ भाभी की जिम में हेल्प करने लगा एक्सरसाइज के लिए ओत धीरे धीरे हम फ्रेंड्स बन गये. और हमने नम्बर भी एक्स्चंज कर लिए.
में अब तक उनकी फेमिली के बारे में ज्यादा कुछ पूछा नही था. तो फिर एक दिन पूनम भाभी का रात को व्हात्सप्प पे मेसेज आया तो मेने पूछा की क्या हुआ तो वो कहती की बस वेसे ही मेसेज किया हे बिकज वो बोर हो रही थी. तो मेने पूछा की क्या अप के होबी आप को बोर करते देते हे तो उन्होंने कहा की वो कुछ दिन के लिए डेल्ही गये हुए हे. सो वो अकेली बोर हो रही थी तो मेने पूछा की घरमे और कोई नही हे तो उन्होंने बताया की सिर्फ उनकी सास ही हे घर पे और उनकी ससुर की काफी साल पहले डेथ हो चुकी हे. जिस टाइम भाभी का मेसेज आया में लेप पे पोर्न देख रहा था और में काफी गरम था तो जब भाभी ने मुझसे पूछा की में क्या कर रहा हूँ तो मेने क्ष की में मूवी देख रहा हूँ. तो उन्होंने पूछा की कोंसी तो मेने सोचा की क्या बोलू तो तभी उनका मेसेज आया की पोरब देख रहे हो क्या…? तो मेने कहा हां रो उन्होंने कहा तो फिर शर्मा क्यू रहे हो. बता देते सीधा ही में तुम्हारी दोस्त हूँ.
फिर मेने उन्हें पूछा की आप की केसी चल रही हे लाइफ अपने हसबंड के स्थ तो उनका मेसेज आया की ठीक हे बट वो बहोत बीजी रहते हे और मेरे को बहोत कम टाइम देते हे और उन्होंने मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा तो मेने बताया की मेरा ब्रेकअप हो गया हे. अब सिंगल हूँ तो उन्होंने पूछा की उसके साथ कभी सेक्स किया था तो में बोला हां १-२ बार बट वो बहोत डर डर के सेक्स करती थी. तो उन्होंने मुझे कहा की कल जिम के लिए में उन्हें पिक करलू घर से तो मेने भी खुसी खुसी हां करदी और मेरे को उस दिन एसा लगा जेसे मेरे को भाभी से प्यार हो गया हे और मेने उस रात उनको सोच के मुठ मारी अगले दिन में उनके घर पहोच गया शाम को.
वो अभी साडी में ही थी तो मेने कहा जिम नही जाना तो उन्होंने बताया की वो अपनी सास को पास में ही रिलेटिव के यहाँ छोड़ के आई हे कार में सो थोडा लेट हो गयी फिर उसने मेरे को अन्दर बुलाया और कहा की तुम बेठो में कोक लेके आती हूँ. और जब तक तुम पियोगे में तैयार हो जाउंगी. तो तभी पूनम भाभी कोक लेके आई और खुद रेडी होने अपने रूम में चली गयी और २ मिनट बाद वो ट्रेक सूट में आ गयी और वो क्या लग रही थी. उनके बूब्स उनकी टी-शर्ट को फाड़ने की कोसिस कर रहे थे.
में उन्हें देखता ही रह गया और तभी भाभी ने बोला की क्या हुआ कुछ गरबड हे क्या …? तो मेने कहा नही भाभी आप गजब लग रही हो. तो उन्होंने नौटी स्माइल दी और और मेरे पास आके बेठ गयी और सूज पहनने लगी उनके उनका जिस्म मेरे को टच कर रहा था. और उनकी खुसबू मुझे मदहोस कर रही थी. मेरा लंड भी खड़ा हो गया मेने जल्दी से हाथ से उसको अडजस्ट किया बट भाभी ने देख लिया और बोली क्या कर रहे हो तो मेने कहा मेरा लंड खड़ा हो गया हे उसे अडजस्ट कर रहा हूँ ये सुनके वो जोर से हसने लगी और उन्होंने मेरे को कहा की मुझसे छुपाने की कोई जरूरत नही हे और ये केहते ही उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड पे रख दिया और में बिलकुल सोक्ड हो गया. भाभी की चुदाई की लालसा दिलो दिमाग में छाई हुई थी.
और तब उन्होंने बताया की वो मुझसे चुदना चाहती थी आज तभी मेरे को घर पे बुलाया और बताया की उनका पति उन्हें बिलकुल भी खुस नही कर पाता तो मेने भी हिम्मत करते हुए भाभी को लिप्स किस कर दिया और हम ५ मिनट तक समुच करते रहे और उसके बाद भाभी ने जल्दी से मेरी पेंट की जिप खोली और लंड पकड़ के आगे पीछे करने लगी और केहने लगी की आज वो मेरे को सेक्स का असली मज़ा देगी तो में भी बहोत खुस था इससे और भाभी को सोफ पे लिटा दिया और उनका ट्रेक सूट उतार दिया और जोर जोर से बूब्स चूसने लगा भाभी उम्म्म आम्म्म्म अम्मम्म अम्म्म आःह्ह की आवाज़े निकाल रही थी तो फिर मेने उनकी पेंटी उतार दी और उनकी चूत पे एक भी बाल नही था और पिंक कलर की चूत देख के में पागल सा हो गया और तभी अपनी जीभ उनकी चूत में घुसा दी. और कुत्तो की तरह चाटने लगा वो उम्म्म्म अह्ह्ह्ह ऊउम्मम्म आह्ह्ह्हह्ह आह्ह्हह्ह ऊऊह्ह्ह्ह की आवाज़े निकाल रही थी और तभी उनका पानी निकल गया और में उसे पि गया और अब वो मेरे लंड को रंडियों की तरह चूसने लगी.
और मेरे को एसा लगा जेसे में जन्नत में हूँ और २ मिनट बाद उनके मुह में ही झड़ गया और वो मेरा सारा माल पि गयी थोड़ी देर और हम एसे ही एक दुसरे को चुमते रहे और अब मेरे से रहा नहीं जा रहा था और में अपना लंड उसकी चूत के पास ले गया और उसकी टाँगे उठा के अपना लंड अंदर डालने लगा अभी थोडा ही अन्दर डाला था की वो चीखने लगी. आआययययययययीईई आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मर गयी तो मेने फिर पूरा जोर लगा के अपना ६.५’ का लंड पूरा अंदर डाल दिया और उसकी तेज़ चीख निकल गयी और थोडा आँखों से पानी भी निकल गया. में उसको समुच करने लगा साथ इ और जेसे ही दर्द थोडा कम हुआ वो खुद ही आगे पीछे होने लगी और मेने भी स्पीड पकड ली.और जोर जोर से चूत मरने लगा और वो २ बार झड चुकी थी. बट मेने बिलकुल स्पीड कम नही की और १५ मिनट बड में भी जड़ने वाला था तो में उसके अंदर ही झड़ गया और उसके उपर लेट गया.
हमने फिर एक दुसरे को बहोत चूमा चाटा और फिर उसने कहा की इससे अच्छा वो पेहले कभी नही चुदाई. और मेने भी उसे कहा की आगे से में तुम्हे इससे भी अच्छा चोदुंगा और उसे समोच की और हमने जल्दी से अपने कपडे वापिस पेहने और बाइक पे निकल गये और उस दिन हम जिम नही गये और ज्यूस पि के बाइक पे घूमते रहे.
दोस्तों आप को यह भाभी की चुदाई की कहानी कैसी लगी?

FUN-MAZA-MASTI भाभी जी ने चूत दी

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भाभी जी ने चूत दी


  हाय में आरिस आज आप लोगो को एक न्यू स्टोरी सुनाता हु बात एक सीधी साडी भाभी जी की हे जो मेरे उपर वाले फ्लेट में रहती हे उसका पति बेंक में जॉब करता हे और एक बेटा हे तिन साल का और भाभी जी की हाउस वाइफ हे बहोत ही सुन्दर सुसील भारतीय नारी लेकिन इस घटना के बाद मुझे पता चला की फेमेल्स चाहती हे की कोई उनसे सेक्सी बाते करे. मेल्स कहकर उनसे बाते करे वो भी बहोत कुछ सेर करना चाहती हे बट हिचक होती हे और उनको समज का इस लिए वो नही करती और मन ही मन घुटती रहती हे. और उनको भरोसा नही होता जल्दी किसी पे. और एक बात भी सही कुछ लोगो ने गलत किया भी हे और मेल्स को बदनाम किया हुआ हे. एनी वे अब स्टोरी पे आता हु तो वो भाभी जी की में काफी इज्ज़त करता था और अभी भी करता हूँ हमारी कई बार लिफ्ट में या पार्किंग एरिया में मुलाकात होती थी. बस हेलो नमस्ते ही तक सिमित था. और मेरे घर भी उनका आना जाना रहता था. एक दिन भाभी जी लिफ्ट में थी और लिफ्ट अचानक ख़राब हो गयी और उस दिन गार्ड भी नही था.
लिफ्ट आधे में रुकी हुई थी. और भाभी परेशां थी और मेने देखा एपार्टमेंट से कोई भी बहार नही नकला और भाभी जी का रो रो कर बुरा हाल था. वोर्किंग दे होने के कारण ज्यादा मेल्स भी नही थे बिल्डिंग में में किसी काम से जा रहा था तो देखा की भाभी जी शोर मचा रही हे. फिर मेने काफी मेहनत से भाभी जी को बहार निकाला लिफ्ट उपर होने के कारन वो जम्प भी नही कर सकती थी. तो मेरे कंधे पे पैर रख के वो निचे आई. और मेरे पुरे शारीर को टच करते हुए उतरी एंड दोड कर अपने फ्लेट में चली गयी में भी पीछे पीछे गया वो बिलकुल दरी हुई थी और मेरे को देखते ही मुझसे लिपट गयी और रोने लगी बोली में तो समजी थी की आज में मर जाउंगी तुम न होते तो पता नही क्या होता कबी नाहर निकलती. मेरे पास मोबाइल भी नही थी. की उनको फोन करती. और भी कई तरह की बाते बोलने लगी और उनका दिल जोर जोर से धड़क रहा था और वो मेरे से बिलकुल चिपकी हुई थी जेसे कोई छोटा बच्चा हो और फिर वो बोली तुम अभी नही जाना प्लीज्
और मुझे जोर से पकड़ो में डरतेa डरते उन्हें हल्का सा पकड़ा तो वो और भी जोर से मुझे हग करली. और मुझे किस करने लगी और मेरे नेक को फिर चेस्ट को फिर लिप्स को फिर मेरे चेस्ट के घने बालो से खेलने लगी और मेरे इनर को निचे करके मेरे निपल को चूसने चाटने लगी अब तो मेरा भी सबर का बांध टूट चूका तय और में भी पूरा साथ देने लगा और में भी उसके लिप्स आईज नैक चेस्ट सभी जगहों पे केस करने लगा और वो मोन करने लगी. आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआअह्ह्ह्ह्ह् आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आःह्ह्ह ऊउम्मम्म प्लीज् आरिश डू ईट डू ईट आःह्ह्ह आआह्ह्ह तुम्हारे टच ने मुझे पागल कर दिया. हे आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह आह्ह्हह्ह यीह्ह्हह्ह येह्ह्हह्ह एस येस्स्स्स आरिश फिर मेने उनके टॉप को खोला अब वो सिर्फ ब्रा में थी वाइट् कलर की टाइट ब्रा थी बूब्स तो जेसे मुझे बोल रहे थे प्लीज् मुझे आज़ाद करो में तुम्हे बहोत मज़ा दूंगी. मेने थोड़ी देर ब्रा के उपर से ही किसिंग की और ब्रा उसने खुद ही खोल दी और मुझे बोली अब करो और मेने बूब्स की पूरी सकिंग किसिंग की मस्त बूब्स थे.
उसके बूब्स नादे बन्दे टाइट टाइट कोई बोल नही सकता की एक बच्चे की माँ हे वो और जब में सकिंग करता मेरे मुह में दूध भर जाता मीठा मीठा तो फिर मेने लोअर भी डाउन कर दिया पेंटी बिलकुल गीली थी. में पेंटी के उपर से ही चाटने लगा तो वो मुझे मन करने लगी वो बोली ये क्या कर रहे हो ये गन्दी चीज हे में ने कहा भाभी जी आप बस देखती जाओ. और मेने पेंटी उतार दी उनको बेड पे लिटाया और चूत पे जीभ डाल दी और फिंगर से चूत को ओपन किया और चाटने लगा और थोड़ी ही देर में वो पागल सी हो गई और आःह्ह्ह आःह्ह्ह आःह्ह्ह आह्ह्हह्ह आःह्ह्ह उम्म्मम्म उम्म्मम्म आरिश ये क्या कर रहे हो. आःह्ह आह्ह्हह्ह तुम्हारे भैया ने आज तक कभी एसा नही किया. आःह्ह आःह्ह्ह आह्ह्ह्हह्ह आःह्ह उम्म्मम्म उम्म्ह्हह्ह और झड़ गयी तो मेने सारा पानी पि लिया अब वो थोडा शांत हो गई तो अब मेने अपने कपडे उतारे और बिलकुल नंगा हो गया और मेरा लंड देख कर वो बोली इतना बड़ा में नही ले पाउंगी सोनू के पापा का तो काफी छोटा और पतला हे प्लीज् तुम आधा ही डालने नही तो में मेर जाउंगी.
मेने बोला कुछ नही होगा कोई बात नही आधा ही डालूँगा तो फिर मेने उसे लिप किस किया बूब्स प्रेस किया सकिंग की वो फिर से हॉट हो गयी और बोली जल्दी करो भैया के आने का टाइम हो गया हे और मुझसे भी रहा नही जा रहा हे तो फिर मेने उनकी चूत को दुबारा चाटने लगा लिकिल्किंग की जिव्ह से चूत चुदाई की और अब फिर तडपने लगी तो में समज गया जी अब वो फिर झड़ने वाली हे तो अब मेने अपना लंड धीरे से चूत में डाल दिया वो चीख उठी बोली प्लीज् निकाल लो फिर कभी आज नही. मेने बोला एक बार का ही मामला हे फिर कुछ नही होगा और मेने फिर एक और झटका प्यार से दिया करीब आधा लंड अंदर जा चूका था और अब में धीरे धीरे अंदर बहार करने लग और अब उन्हें भी मज़ा आ रहा था और अब वो भी आःह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह कर रही थी और मेरे चेस्ट के बालो को नोच रही थी थोड़ी देर के बाद बोली डाल दो आज जो भी होगा देखा जाएगा तुम बहोत ही अच्छा सेक्स करते हो कही से ट्रेनिंग लिए हो क्या.
आःह्ह अहाह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह ऊउम्मम्म प्लीज् फक मी डाल दो पूरा आःह अह्ह्ह अह्ह्ह्ह बहोत बढ़िया चुदाई करते हो आह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह फक फक हार्डर यह और वो भी निचे से झटके लगाने लगी और फिर हमने डौगी स्टाइल में भी किया और एक साथ झड गये. भाभी जी की चुदाई का सिलसिला काफी दिनों तक चला पर अब उनके हसबंड की पोस्टिंग कही और हो गयी हे दुसरे स्टेट में.

FUN-MAZA-MASTI शादी के बाद चुदाई का स्वाद

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शादी के बाद चुदाई का स्वाद


  मेरा नाम समर है ओर मेरी पत्नी का नाम सीमा. हमारी शादी को 16 साल हो चुके है मगर चुदाई मे अभी भी उतनी ही गर्मी है जो शादी के टाइम पर थी. इस का कारण है हमारा एक दूसरे के लिये प्यार ओर इज़्ज़त. शादी के वक़्त मेरी उमर 24 ओर सीमा की 22 साल थी. सीमा बिल्कुल भोली ओर कुवारी थी पर मैं शादी के पहले 5 लड़कियों को चोद चुका था पर. 5 लड़कियों को चोदने का एक फायदा यह हुआ था की मुझे समझ आ गयी थी की तुम अगर लड़की को प्यार ओर इज़्ज़त दोगे तो वो तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार होगी.
जैसे कि सब को पता है Indian शादी मे रात को कितनी देर हो जाती है. अगर उसके के बाद तुम यह सोच कर “कि आज तो मेरी सुहाग रात है ओर बीवी की चुदाई मेरा हक़ है” जा कर बीवी पे चढ़ जाओ तो उसमे कोई बहादुरी या समझदारी नही है. सुहागरात को मैने सीमा को प्यार से अपनी बाहों मे ले कर कहा “आज बहुत थक गयी हो ना” तो उसने शरमाते हुए सिर हिला के हामी भरी. मैने कहा “तो आज आराम करते है ओर जो आज रात को करना था वो कल करलेंगे”. सीमा को यह सुन कर बहुत हैरानी हुई ओर वो बोली “सच! तुम मेरे लिए कल तक का इंतज़ार करोगे”. मैंने कहा इस मैं हैरान होने की क्या बात है. सुहाग रात जितनी मेरे लिए मायने रखती है उतनी ही तुम्हारे लिए भी तो रखती है. मैं चाहता हूँ की तुम्हारी सुहाग रात की याद तुम्हारे लिए भी उतनी ही खूबसूरत हो जितनी मेरे लिए. यह सुन कर उसने मुझे ज़ोर से अपनी बाहों मे भर लिया ओर कहा “ओह समर तुम्हे बिल्कुल भी अंदाज़ा नही है कि तुम्हारे लिए मेरे दिल मे कितनी इज़्ज़त ओर प्यार बढ़ गया है. I Love you sooooo soooooo much”. ओर यह कह कर वो मेरी बाहों मे सिमॅट गयी. हम एक दूसरे की बाहों मे बातें करते करते ना जाने कब सो गये पता ही नही चला. अगले दिन सुबह सब लोग हमे देख कर मुस्करा रहे थे पर हमने किसी पर कोई ध्यान नही दिया. दोपहर कि फ्लाइट से हम दोनो अपने honeymoon के लिए रवाना हो गये. होटेल मे पहुँच कर हम लोगों ने चेंज किया ओर घूमने निकल गये. रात को सीमा ने मुझ से कहा “मुझ को सुहाग रात के बारे मैं पता तो है पर मैं आज तक किसी लड़के के साथ नही गयी हूँ.” मैंने कहा कि “तुम बिकुल भी चिंता ना करो. बस अगर कोई चीज़ ठीक ना लगे तो मुसझे बोल देना” ओर उसने सिर हिला कर हामी भर दी.
हम दोनो होटेल के शानदार डबल बेड पे लेट कर बाते कर रहे थे जब सीमा ने बताया कि चाहे वह बिलकुल कुवांरी है, पर शादी के २ महीने पहले से उसने डॉक्टर से सलह कर के बर्थ कंट्रोल कि पिल्स लेना शुरू कर दिया था. मैंने पूछा “सीमा तुम्हे पता है कि लड़के ओर लड़की के अंगो क्यो क्या कहते हैं. सीमा ने कहा “क्यों नही. लड़की की vagina होती है ओर लड़को का penis”. मैं हस पड़ा ओर बोला हिन्दी मे क्या कहते हैं. वो शर्मा गयी ओर बोली “धत!” मेरे ज़ोर देने पर बोली “लड़की की चूत ओर लड़के का लंड”. फिर मैंने पूछा की breasts को क्या कहते है तो बोली “छातियां”. मैंने कहा हां पर इन सब के कई नाम हैं. लंड को लौड़ा, चूत को फुददी, छातियों को चूचियाँ ओर म्मे भी कहते है. फिर मैंने कहा “तुम ने कभी किसी लड़के का लंड देखा है” तो उसने शर्मा के कहा नही. मैं यह सुन के हल्के से हस दिया ओर उसे अपने ओर भी करीब खींच लिया. उस की ठोड़ी से सिर थोड़ा ऊँचा कर के हल्के से उस के गुलाबी होट्टों को अपने होट्टों मैं ले लिया ओर उसने अपनी आंखे बंद कर ली. मैंने कहा “आँखे खोलो ओर बताओ कि क्या अच्छा लगा” ओर उसने आहिस्ते से कहा “हाँ”. उसके गुलाबी गालों का रंग उसके गुलाबी होटों से मिल रहा था ओर उसका गोरा बदन गुलाबी nighty मे कहर ढा रहा था. मैंने उस की आँखो मे देखते हुए उस की nighty की डोरी खोल दी ओर उसके हसीन म्मे कमरे की रोशनी मे जगमगा उठे. उसने nighty के नीचे bra नही पहनी थी सिर्फ़ गुलाबी रंग की panty पहन रखी थी. मैंने अपना एक हाथ उसके एक म्मे पर रख दिया ओर एकदम से उस के जिस्म मे हुई झुरझुरी को महसूस किया. फिर मैंने कहा अब तुम्हारी बारी है मुझे kiss करने की. उसने धीरे से मेरा नीचे का होंट अपने होटों मे ले कर हल्के से चूसना शूरू कर दिया.
मैंने आहिस्ते से उस के दोनो म्मे nighty मे से बाहर निकाल दिए ओर धीरे से उसके nipples को सहलाने लगा जिस से उसके nipples सख़्त हो कर खड़े हो गये. सीमा के म्मे एक दम सख़्त ओर सीधे खड़े थे कोई झोल या ढीलापन नही था. मेरा लंड तन कर खड़ा था पर मैंने अपना सारा ध्यान सीमा को आहिस्ता आहिस्ता गर्म करने मे लगाया था ताकि उसे ऐसा मज़ा आए की वी पहली चुदाई को हमेशा याद रखे. मैं सीमा के होठों को चूमते हुए उस के गालों से होता हुआ उसके कानो तक अपना मुँह ले गया ओर उसके कान की लो को धीरे से अपने होठों मे ले कर जीभ से हल्के से मसलने लगा. आप को शायद मालूम हो की चूत के दाने (clitoris) ओर म्मो के nipples की तरह कानो की लो भी बहुत sensitive होती है. चुंबन उसके कानो की लो का ले रहा था पर पानी उसके चूत छोड़ रही थी क्यो की अबतक मेरा दूसरा हाथ सीमा की दोनो टाँगो के बीच मे पहुँच चुका था. उस की गुलाबी panty जो की एक thong था (thong सिर्फ़ चूत को थोड़ा सा ढक्ता है पीछे से एक पतली सी डोरी चूतरो की दरार मे से जाती है तो ऐसा लगता है की चूतर बिल्कुल नंगे हैं) ओर उसकी नाज़ुक चूत को ढकने मे बिल्कुल ही नाकामयाब था. मेरे होंट अपना काम कर रहे थे ओर मेरे हाथ बता रहे थे की सीमा की चूत कितनी गीली हो रही थी. मैने धीरे धीरे अपने होट उसके कान से नीचे लाने शूरू किए ओर उसकी गर्दन से होते हुए नीचे उसकी चुचियों तक पहुँचे ओर फिर उसके nipples को चूसते हुए नीचे पेट तक पहुँच गये. सीमा का पूरा बदन हल्के से कांप रहा था ओर मुँह से हल्की हल्की सिसकारियों के बीच “ओह जानू, आह जानू” की आवाज़े निकल रही थी.
उसके गीली panty से मुझे इतना पता चल चुका था की उसने चूत के बाल कटे तो थे मगर बिल्कुल साफ नही थे. पेट से नीचे आते आते मेरा मुँह अब उसके चूत तक आ पहुँचा था. मैंने धीरे से उसके चूतर उठा कर उसकी panty भी उतार दी. सीमा खूबसूरत थी यह तो ज़ाहिर था मगर उसका बदन ऐसा होगा मुझे भी तभी पता चला. बदन क्या था जेसे सोने का बना था. उसका एक एक अंग जेसे खुदा ने खुद तराशा था. गोरा रंग, सख्त चुचीयाँ, गुलाबी चूत करीने से तराशी हुई काली झांटो के बीच मे से झाँक रही थी. मैं तो बस पागल हुआ जा रहा था. सीमा के सामने वो 5 लड़किया जिन्हे मैं अब तक चोद चुका था मिल कर भी मुकाबला नही कर सकती थी. सीमा की साँस अब काफ़ी तेज हो चुकी थी. मैंने अपना मुँह ओर नीचे लेजा कर उसकी चूत पर रख दिया ओर अपनी जीभ से उसकी चूत के दोनो होंट खोल दिए. जीभ को थोड़ा सा उसकी चूत मैं डाला तो सीमा तड़प उठी. मैं अपनी जीभ से कभी उसकी चूत के दाने को सहला रहा था ओर कभी उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था. सीमा की सिसकारियाँ तेज हो रही थी ओर वो बार बार “ओह जानू ओ जानू यह क्या कर दिया मेरे तो सारे जिस्म मे आग लगी हुई है.” कह रही थी ओर अपने चूतर उठा उठा कर मेरे मुँह पे लगा रही थी.
मैंने अपना मुँह उसकी चूत से हटा कर अपनी बीच की उंगली थोड़ी सी उसकी चूत मैं डाल दी ओर अपना मुँह उसके कान के पास ला कर कहा, “रानी, क्योंकि आज तुम्हारे लिए पहली बार है तो जब मेरा लंड तुम्हारी चूत मैं जाएगा तो थोड़ा दर्द होगा. तुम्हारे दर्द को कम करने के लिए मैंने तुम्हे इतना गरम किया है की तुम्हारी चूत पानी पानी हो रही है. पर फिर भी अगर तुम्हे दर्द ज़्यादा हो तो एक दम से बोल देना मैं अपना लॅंड बाहर निकल लूँगा. तो क्या लॅंड लेने को तयार हो?” सीमा की हालत खराब हो रही थी. वो बोली “हाँ जानू मेरे पूरे बदन मे ओर खास कर के मेरी चूत मे जेसे आग लगी हुई है. अगर लॅंड डालने से ये आग बुझ जाएगी तो मैं दर्द बर्दाश्त कर लूँगी. बस तुम अपना लॅंड डाल दो अब मेरी चूत मैं.” मैंने अपनी उंगली उसकी चूत से निकाली, सीमा की चूतड़ो के नीचे तकिया रखा ओर उस की टाँगो के बीच मे बैठ कर अपने लॅंड को सीमा की चूत के मुँह पे रख दिया ओर हल्का सा दबाव डाला. लॅंड का सुपाड़ा चूत मे घुस गया. मैंने सीमा का चेहरा अपने हाथो मैं ले कर पूछा “कुछ महसूस हुआ” तो उसने सिर हिला कर कहा की हाँ अंदर गया है.
मैंने पूछा की दर्द हो रहा हा तो उसने कहा नही अभी नही. मैंने लॅंड को थोड़ा ओर धक्का दिया तो लॅंड ओर अंदर तो गया पर उसे थोड़ी रुकावट महसूस हुई. मैं समझ गया की लॅंड सीमा की चूत की झिल्ली तक आ पहुँचा था. मैने सीमा को कहा की अगला धक्का तुम्हारी झिल्ली को तोड़ेगा ओर दर्द होगा. सीमा ने अपने आप को दर्द के लिए तयार कर लिया ओर मैने अपने लॅंड को थोड़ा ओर धक्का लगाया ओर वो झिल्ली को तोड़ कर चूत मे ओर आगे घुस गया. सीमा के मुँह से हल्की सी दर्द की सिसकारी निकली जिसे उसने अपने होटों को दांतो मैं दबा कर सहन कर लिया. लेकिन साथ ही साथ अपनी चूत को भी सिकोड लिया जिस से मेरे लॅंड पर चूत का दबाव ओर बड़ गया ओर मुझे लगा की मैं जन्नत मैं पहुँच गया हूँ.
कुछ सेकेंड्स तक हम दोनो ऐसे ही लेट कर पडे रहे. फिर सीमा का दर्द कम होना शूरू हो गया तो उसने अपनी टाँगे ओर चूत का दबाव कम किया. मैने एक बार फिर सीमा से पूछा “तुम ठीक हो या लॅंड बाहर निकाल दूं.” सीमा ने कहा “नही अब ठीक है. लॅंड अंदर ही रहने दो” मैने धीरे धीरे लॅंड के धक्के लगाने शूरू कर दिए. हर धक्के के साथ लॅंड ओर भी आसानी के साथ चूत के अंदर बाहर होने लगा. सीमा को भी अब मज़ा आने लगा था. मैने उसे कहा की जब मैं नीचे धक्का लगाता हूँ तो उस वक़्त तुम अपने चूतड़ो को उठा कर उपर की तरफ़ धक्का दो. इससे लॅंड पूरा चूत की गहराई तक जाएगा तो उसने हामी भर दी. उसके बाद तो जेसे हमारा ताल मेल जम गया. मैं उपर से लॅंड को धक्का मारता था ओर सीमा नीचे से चूत को. हर धक्के के साथ सीमा की मदहोशी बढ़ती ही जा रही थी.
उसके मुंह से तरह तरह की आवाजे निकल रही थी. उसकी बाँहों ने मुझे जकड रखा था और उसकी उँगलियों के नाखून मेरी पीठ मैं घुसे जा रहे थे. मेरे धक्को की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी और सीमा बार बार कह रही थी “जानू जानू यह मुझे क्या हो रहा है” और अपनी टाँगे और ऊपर उठा रही थी. मैंने उसकी टाँगे अपने कंधो पर रख ली और और उसे थोड़ा और करीब खींच लिया. मेरा लंड जैसे पिस्टन बन गया था. सीमा कि गीली चूत में से लंड बिलकुल एक पिस्टन की तरह ही अंदर बाहर हो रहा था. सीमा का जिस्म एकदम से ऐसे कांपा और उसने मुझे इतनी जोर से जकड़ा की मैं समझ गया की उसका पानी झड़ गया है.
कुछ ही सेकण्ड्स के बाद मेरे लॅंड ने भी अपना फवारा छोड़ दिया और हम दोनों पसीने से तर एक दूसरे की बाहों में लिपटे यूँही पड़े रहे. थोड़ी देर यूँही लेटे रहने के बाद हमें बिस्तर कुछ गीला सा लगा. देखा तो सीमा की चूत के पानी से जिसमे थोड़ा सा लाल खून भी नजर आ रहा था बिस्तर गीला हो गया था. मैंने कहा कि हाउसकीपिंग को फ़ोन कर के चादर बदलवा लेते हैं तो सीमा बोली ” बुद्धू हो क्या! हाउसकीपिंग वाले क्या समझेगें.” मैंने कहा कि “यही के हम ने अभी अभी जम के की है” सीमा ने शर्मा के कहा “धत बदमाश कंही के” और बाथरूम से २ तोलिये ला कर गीली जगह पर बिछा दिए और मेरी बाँहों में सिमट कर लेट गयी.
मैंने पूछा कि उसे कैसा लगा. दर्द हुआ था क्या. तो सीमा ने कहा नहीं बहुत मामूली सा दर्द हुआ था और मुझे होटों पर किस कर के बोली थैंक यू. मैंने कहा वह किस लिए तो बोली मुझे इतने प्यार से और आराम से चोदने के लिए. मेरी एक सहेली ने बताया था कि उस के पति ने सुहागरात को इतनी जोर से चोदा था कि वो दर्द से चिल्ला रही थी पर उसके पति को कोई परवाह ही नहीं थी. वह तो सिर्फ अपनी भूख मिटा रहा था.
सच्ची कहूँ तो मेरे दिल मैं भी थोड़ा सा डर था कि अगर तुम भी वैसे निकले तो. पर तुमने पहली रात से ही मेरा दिल जीत लीया. अगर कोई कसर रह गई थी तो आज तुमने जिस पेशेंस के साथ मुझे तय्यार किया तो वह भी सब दूर हो गयी. “हम तो जनाब आप के गुलाम हो गए हैं.” सीमा ने हँसते हुए कहा. मैंने प्यार से सीमा को एक हल्का सा चुम्बन दिया और कहा “हम भी आप के गुलाम हो गए हैं. पर क्या आप हमारे लिए एक काम करोगी” सीमा ने कहा “बिलकुल जो बोलोगे” कहा कि तुम अपनी चूत के बाल छोटे तो करती हो पर क्या तुम इन्हे बिलकुल ही साफ़ कर सकती हो. मुझे बिकुल साफ चूत बहुत अच्छी लगती हा. “बस इतनी सी बात. समझ लो हो गया” और मेरी बाहों मैं और भी सिमट गयी और हम दोनों यूं ही एक दुसरे कि बाहों मैं लिपटे हुए सो गए.

FUN-MAZA-MASTI ससुर और नौकर ने गांड मारी

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ससुर और नौकर ने गांड मारी
रामू का लंड मेरी चूत में था और वो धक्को के ऊपर धक्के लगा रहा था. मैंने अपने दोनों हाथ पीछे रखे थे अपनी गांड पर और अपने कुल्हें खोल दिए थे ताकि उसका मोटा लंड मेरी चूत में समा सकें. रामू हांफने लगा था क्यूंकि उसकी उम्र अब ४० के करीब की थी. उसके दोनों हाथ मेरी गांड पर ही थे और वो मेरी गांड को आगे पीछे कर के जोर जोर से धक्के ठोक रहा था. और तभी मेरे जीवन का सब से बड़ा झटका लगा. खिड़की के ऊपर नजर पड़ते ही मुझे वो छेद दिखा जिसमे मेरे ससुर जी के चश्मों की फ्रेम चमक रही थी. ससुर जी मुझे नौकर से चुद्वाते हुए खिड़की से छिप के देख रहे थे. मेरे दिल में एक धक्का लगा और डर की वजह से मेरी गांड ही फट गई.
अरे मैं आप लोगों को अपना परिचय देना तो भूल ही गई. मेरा नाम ट्विंकल शर्मा हैं और मैं दिल्ली की रहनेवाली हूँ. मेरी शादी केप्टन अजय के साथ हुई हैं. मेरे डेड और ससुर आर्मी में साथ में थे और उन दोनों ने बचपन से ही मेरी शादी अजय के साथ तय की थी. मैं भी अजय से बहुत प्यार करती हूँ लेकिन उसकी दड्यूटी ने मेरी सेक्स जिन्दगी को तहसनहस कर दिया था. वो ९ महीने सरहद पर और तिन महीने मेरे करीब होता था. ना चाहते हुए भी मैंने घर के नौकर रामू को अपनी चुदाई के लिए रेडी कर रखा था. रामू मुझ से १० साल बड़ा हैं लेकिन कमाल का चुदाई रसिक हैं. अब वापस अभी की घटना पर आते हैं!
ससुर जी ने भी देख लिया की मैं उन्हें देख चुकी थी. दरवाजे को लात मार के उन्होंने रामू को आवाज दी, रामू दरवाजा खोल वरना तेरी गांड को गोलियों से भुन के रख दूंगा!
बाप रे यह डायलोग सुन के तो मैं और भी डर गई. रामू ने अपनी लंगोट और पेंट पहनी तब तक तो ससुर ने दरवाजे को १० लातें मार दी थी.
रामू ने दरवाजा खोला और सामने ससुर जी बन्दुक ले के खड़े हुए थे.
बेन्चोद हमारे घर की बहु बेटी पर नजर डालता हैं.
साहब जी, ऐसा नहीं हैं…रामू ने दोनों हाथ जोड़े हुए थे और दोनों हाथ के साथ साथ उसका पूरा बदन कांप रहा था. हाथ में बन्दुक देख के उसकी भी मेरी तरह फट के हाथ में आ चुकी थी!
साले मैं तुम दोनों को १० मिनिट से देख रहा था!
बीबी जी के कहने पर ही मैं मजबूर हुआ था. मैंने बीबी जी को बहुत बार कहा की यह सब उचित नहीं हैं लेकिन वो नहीं मानती हैं!
तो बीबी जी की चूत में गोली मार के मुहं से निकालूँगा.
ट्विंकल यह सच हैं क्या?
मैंने रामू की और देखा, वो अभी भी कांप रहा था. उसके बदन को देख के मैं ससुर की और देखा. लेकिन मैं कुछ नहीं बोली.
जवाब दो मुझे वरना दोनों को भुन दूंगा.
ससुर जी एक औरत की प्यास आप समजते हो? ८ महीने से अजय ड्यूटी पर हैं, क्या मैं अपनी प्यास को बुझाने के लिए कुछ नहीं कर सकती? रामू काका को मैंने ही मजबूर किया था मेरे साथ सोने के लिए.
बहु, बकवास बंध करो! क्या सभी आर्मी वालो की बीवियां ऐसा करती हैं. तुम्हारे अकेले के पति तो आर्मी में नहीं हैं. मैंने भी आर्मी में अपनी जिन्दगी निकाली हैं तुम्हारे बाबु जी की तरह.
तो आप को यह भी पता होंगा की मेरी माँ मेरे डेड को २० साल पहले ही छोड़ चुकी हैं. और माता जी को तो पेरालिसिस था इसलिए उन्हें बिना सहवास के जीवन की आदत थी.
बहु, तुम बदतमीजी कर रही हो मेरे सामने.
बाबु जी यह बदतमीजी नहीं हकीकत हैं. अगर आप को अपनी घर की इज्जत इतनी ही प्यारी हैं तो अजय को नौकरी छुडवा दें या फिर ममुझे आजादी दे दे.
आज मैं तेरी चूत का सारा रस निकलवा देता हूँ रुक बेन्चोद!
ससुर जी मेरे ऊपर आप खा गए थे. उन्होंने बन्दुक रामू की और तानी और बोले, इधर आ बे भोसड़ी के. ये ले जा पड़ोस के मेडिकल से दो विगोरा टेबलेट ले के आ.
रामू ससुर जी के पास गया और उनके हाथ से पैसे ले लिए. मैं समझ गई की अब ससुर जी रामू को गोली खिला के मुझे चोदने के लिए कहेंगे. लेकिन मैं समझ नहीं पा रही थी की यह कैसी सजा! इसमें तो मुझे ऊपर से मजा आनेवाली थी की रामू का लंड टाईट रहेगा लगातार.
मैं इसी सब ख्यालो में थी की रामू आ गया. उसने गोली ससुर को दी. ससुर ने जी कहा, जा दो ग्लास दूध ले आ.
मैं सोच रही थी की क्या अब यह बूढ़ा मुझे घुंघट ओढने के लिए कहेगा! रामू दो ग्लास ले के आया. ससुर ने एक टेबलेट उसे निकाल के दी और कहा, ये ले खा के गोली दूध के साथ. रामू ने गोली खाई और वो मेरी और देखने लगा. ससुर ने मुझे कहा, आज तुझे ऐसी चुद्वाऊंगा की तू लंड से त्रस्त हो जायेगी. रामू की और देख के ससुर जी ने कहा, चल चोद इसे.
रामू का लंड विगोरा खाने के बाद भी खड़ा नही हो रहा था. उसने मुश्किल से उसे हिला हिला के टाईट किया. लेकिन कुछ देर में ही टेबलेट की असर दिखने लगी थी. अब लंड में धीरे धीरे कडापन दिखने लगा था. रामू मेरे ऊपर चढ़ने के लिए रेडी था लेकिन ससुर जी बोले, ऐसे नहीं मादरचोद, तू निचे लेट और इसे ऊपर ले!
रामू निचे लेटा और मैं ऊपर आ गई. ससुर जी वही खड़े थे. रामू का लंड मेरी चूत में आ गया और वो मुझे पकड के अपने बदन को झटके देने लगा था. तभी मेरी गांड के उपर किसी धातु का स्पर्श हुआ. मैंने चौंक के पीछे देखा तो ससुर ने बन्दुक की दोनाली को मेरी गुदा के ऊपर रख दिया था. वो जोर से झटका लगा के बन्दुक को मेरी गांड में घुसाने का प्रयास कर रहे थे. लेकिन मेरी गांड इतनी भी ढीली थोड़ी थी की बन्दुक घुसवा लूँ. ससुर जी ने दो तिन व्यर्थ प्रयत्न किये और फिर थक के बन्दुक को हटा लिया. रामू मेरी चूत में हौले हौले ठोकन जारी रखे हुए था.
तभी मैंने देखा की ससुर जी ने विगोरा की गोली खाई और ऊपर दूध पी लिया. मेरे पेट में गुदगुदी हो रही थी की क्या आज ससुर जी भी मुझे चोदेंगे?
ससुर ने पांच मिनिट तक गोली के असर को होने दिया आर फिर वो मेरे ऊपर झुके. उन्होंने मेरी गांड में थूंक लगाया और बोले, आज तुझे आर्मी स्टाइल में सेक्स का मजा दूंगा रंडी साली!
मैंने पीछे मूड के कहा. दे मैं भी देखूं की तेरे लान में कोई दम हैं भी या ऐसे ही मेजर साहब बना हुआ था.
ससुर ने मेरी गांड पर जोर से एक तमाचा लगाया और बोला, भोसड़ी वाली खोल अपने कुल्हे!
मैंने हाथ पीछे किया और अपनी गांड को चौड़ा कर दिया. ससुर जी ने फिर से गांड में थूंक दिया और फिर अपने लोडे को छेद पर रख के बिना किसी फॉरप्ले के एक ही झटके में आधा लंड मेरी गांड में घुसा दिया. दर्द के मारे मेरी जान ही निकल गई. मैं छटपटा उठी और ससुर ने मुझे गर्दन से दबोच लिया.
फिर वो ऊपर की और उठे और रामू को देख के बोले, रामू चोद ईद मादरचोद को. तू इसे पेशाब करवा दे और मैं इसका गू निकाल दूंगा. और फिर ससुर जी ने दोनों हाथ से मेरी चुंचियां पकड के ऐसे दबाया जैसे कोई पक्के आम को रस निकालने के लिए गुन्दता हैं. मेरी छाती में दर्द हो रहा था लेकिन मैं भी बड़ी चुदासी हुई थी. ससुर जी का लोडा जोर जोर से गांड के अंदर बहार हो रहा था और रामू चूत की छावनी संभाले हुए था. ससुर बिना रुके हुए अपना लोडा जोर जोर से मेरी गांड में ठोकते ही जा रहे थे. रामू भी थक थक की आवाज से चूत पेले जा रहा था.
१० मिनिट मैं ऐसे ही सेंडविच बन के ठुकती रही लेकिन दोनों में से एक बूढा भी खाली होने का नाम नहीं ले रहा था. मेरे बदन में बहुत पसीना हो रहा था और अब तो छेद भी दुखने लगे थे. ससुर जी ने अपनी थकान को मिटाने के लिए गांड में लोडा पार्क किया और वो मेरे ऊपर लेट गए. लेकिन उन्होंने बेचारे रामू को रुकने नहीं दिया. जैसे ही वो स्लो होता ससुर गालियाँ दे के उसे ठोकने के लिए कहते थे. मेरी गांड का छेद पूरा लाल हो गया था और उसके अन्दर हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था.
अब की ससुर ने और थूंक लगा के और भी जोर जोर से झटके लगाना चालु किया. वो अपना पूरा वजन मेरे ऊपर डाल के मेरी गांड को फाड़ रहे थे. ५ मिनिट गांड पेलने के बाद उन्होंने अपना वीर्य मेरी गांड में ही निकाल दिया. एक एक बूंद झाड़ने के बाद वो लंड निकाल के खड़े हुए.
बन्दुक हाथ में लेते हुए उन्होंने रामू को कहा, छोड़ चूत को और आजा पीछे तू भी!
रामू ने लंड चूत से निकाला और व मेरे पीछे आ गया. मेरे घुटनों को मोड़ के रामू ने मुझे सही तरह घोड़ी बना दिया. और अब वो पीछे से मेरी गांड को पेलने लगा. उसका लंड तो ससुर जी से भी मोटा था इसलिए गांड और भी दुःख रही थी.
उसने मुझे १० मिनिट तक गांड में चोदा और फिर वो भी झड़ गया. ससुर जी ने मेरी चिकनी गांड में बन्दुक डाली और बोले, बहु अब हम तुम्हारी गांड रोज ऐसे ही मारेंगे जब तक तुम सुधरने का वादा नहीं कर लेती.
एक पल के लिए मैंने सोचा की यह बूढा मुझे सजा दे रहा हैं या बुढापे में अपने लिए चूत और गांड का जुगाड़ कर रहा हैं!

FUN-MAZA-MASTI इतना मोटा कैसे जाएगा?

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 इतना मोटा कैसे जाएगा?

मेरा नाम रौनक है, मैं 24 साल का हूँ, दिल्ली का रहने वाला हूँ।
यह घटना तब की है जब मैं 21 का था।
मई का महीना था, दोपहर का समय था मैं सो रहा था कि तभी मेरा फ़ोन बजा।
मैंने हेलो कहा तो उधर से किसी लड़की की आवाज सुनाई पड़ी, मैंने पूछा- किससे बात करनी है?
तो उसने मेरा नाम लिया।
मैंने कहा- हाँ, मैं ही बोल रहा हूँ, कहिये क्या काम है और आप कहाँ से बोल रही हैं?
तो उसने जबाब दिया- मैं चंडीगढ़ से बोल रही हूँ।
और उसने भी पूछा- आप कहाँ से बोल रहे हो?
मैंने बताया- मैं दिल्ली से बोल रहा हूँ।
तो यह सुन कर उसने कहा- रोंग नंबर है सॉरी!
इतना बोल कर फ़ोन काट दिया।
मेरे मन में आया कि यह कौन थी जिसे मेरा नाम पता है सही नंबर पे कॉल किया। इसलिए मैंने दोबारा उसे कॉल किया, मैंने उससे पूछा- आपको मेरा नंबर कहाँ से मिला?
तो उसने कहा- मेरे पापा का फ़ोन है, उसमें ये नंबर सेव था लेकिन मुझे जिससे बात करनी है वो चंडीगढ़ में रहता है।
जबकि मैं कभी चंडीगढ़ गया नहीं, तो सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ यह कैसे हो सकता है।
फिर मैंने कहा- कोई बात नहीं, आप से बात करके अच्छा लगा… क्या मैं आप से फिर कभी बात कर पाऊँगा?
बोली- ठीक है, बात कर सकते हो।
फिर इसी प्रकार से हमारी बातें शुरू हो गई।
अगले दिन जब मैंने कॉल किया तो उससे मैंने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम सीमा बताया और फिर मैंने पूछा- आप क्या करती हो?
उसने कहा- मैं जॉब करती हूँ, टीचर हूँ प्राइवेट स्कूल में।
और भी बहुत सारी बातें होती रही।
उस दिन के बाद तो दिन में 3-4 बार बातें कर लिया करते थे।
एक सप्ताह बाद मैंने उसे प्रपोज़ किया तो उसने जबाब दिया कि मैं तुमसे 5 साल बड़ी हूँ।
तो मैंने कहा- कोई बात नहीं।
एक दिन रात में उसने फ़ोन किया और कहा- मन नहीं लगा रहा था तो आपको कॉल किया।
मैंने कहा- अच्छी बात है।
बात ही बात में मैंने उसे ‘आई लव यू’ I Love You कह दिया तो बोली- ठीक है, कल सोच कर बताऊँगी।
उसके अगले दिन रात में उसके कॉल का इंतजार कर ही रहा था कि उसका कॉल आ गया फिर अंत में जब गुड नाईट कह कर कॉल काट करने से पहले उसने कहा- ‘लव यू टू’ Love You Too यह कल का जवाब है।
उस रात तो मिं सो नहीं पाया।
एक दिन बात ही बात में मैंने उससे मिलने के लिए कहा तो बोली- ठीक है, लेकिन कहाँ मिलेंगे?
तो उसने मैंने कहा- मेर घर आ जाओ।
तो बोली- ये ठीक है, आपके घर में सब से मिल भी लूँगी।
फिर जुलाई में उसका प्रोग्राम बना मिलने का। मैं उसे रिसीव करने रेलवे स्टेशन गया जहाँ मैं उससे पहली बार मिला… 5’5″ कद की एक खूबसूरत लड़की जिसके नयन नक्श तीखे थे, बाल लम्बे लम्बे उसके नितम्बों तक आ रहे थे जो उसकी खूबसूरती पर चार चाँद लगा रहे थे। उसके नितम्ब गोल, जांघें सुडौल थी।
मिलते ही हमने हाय हेलो किया, फिर स्टेशन से बाहर निकले, टैक्सी ली और अपने घर की ओर चल दिए।
वो चुप थी इसलिए मैं भी उससे कुछ बोल नहीं पा रहा था, उसे देख कर मैं स्तब्ध था।
हम रास्ते भर चुप ही रहे, जब घर पहुँचे तो घर में कोई नहीं था मेरे अलावा क्यूंकि मॉम-डैड ऑफिस गए थे, छोटा भाई स्कूल गया था।
उसने अपनी चुप्पी तोड़ी, बोली- घर पे कोई नहीं है?
मैंने कहा- नहीं, भाई स्कूल से 4 बजे तक आएगा, मॉम डैड शाम के 7 बजे तक आएंगे।
बोली- ठीक है, बाथरूम कहाँ है, फ्रेश होना है।
वो फ्रेश होने चली गई, तब तक मैंने उसके लिए कॉफ़ी तैयार की, ब्रेक फ़ास्ट मम्मी तैयार करके गई थी, उसे गरम किया और टेबल पे लाकर रखा ही था कि वो बाहर आई और बोली- क्या बात है… ये सब तुमने किया?
तो मैंने भी जवाब दिया- कोई और यहाँ दिख रहा है?
फिर बोली- ठीक है, मैं अभी आती हूँ कपड़े बदल कर…
मैंने कहा- क्या जरूरत है, ऐसे हो ठीक हो।
क्यूंकि वो मैक्सी में थी और शायद उसने ब्रा नहीं पहनी थी, इसलिए उसके निप्पल उभरे हुए दिख रहे थे जिसे देखते हुए उसने देख लिया था।
मैंने कहा- कोई नहीं, ब्रेक फ़ास्ट कर लो, फिर चेंज कर लेना क्यूंकि कोई नहीं है यहाँ अभी मेरे अलावा।
वो मान गई, हमने मिल कर नाश्ता किया और फिर बातें करने लगे।
मैंने उसकी उसकी खूबसूरती की काफी तारीफ की तो वो पीछे नहीं रही, उसने भी मेरी तारीफ की जिसमें उसने एक बात विशेष रूप से कही वो यह कि मेरी आँखें बहुत नशीली हैं।
तो मैंने कहा- आँखें नशीली तो लड़कियों की होती हैं और मैं लड़की नहीं।
वो हंसने लगी, हंसते हुए बहुत प्यारी लग रही थी वो। ऐसे ही बात करते करते एक घंटा बीत गया, उसने कहा- मेरे होंठ सूख रहे हैं।
मैंने कहा- मैं गीला कर दूँ?
बोली- कैसे?
‘आप बुरा तो नहीं मानोगी?’
बोली- नहीं…
फिर क्या था, मैंने उसके होठों पे होंठ रख दिए, उसे बोलने का मौका तक नहीं दिया, करीब 4-5 मिनट तक किस करने के बाद जब हटा तो मैंने कहा- ऐसे।
फिर मैंने कहा- मैं अभी आता हूँ।
और मैं बाहर गेट बंद करने चला गया, जब आया तो बोली- कहाँ गए थे?
तो मैं बोला- गेट बंद करने…
तो बोली- क्यों?
मैंने कहा- ऐसे ही।
फिर मैंने कहा- एक बार और किस कर लूँ?
तो बोली- कर लो।
मैंने फिर से उसे किस किया, इस बार मेरा लन्ड खड़ा हो गया जो उसके जांघों के बीच धंसता जा रहा था, जब उसे अहसास हुआ इसका तो वो पीछे हो गई, बोली- यह ठीक नहीं है।
मैंने कहा- क्यों? सब ठीक तो है।
फिर वो कुछ नहीं बोली। मैंने फिर से बाँहों में भर लिया और किस करने लगा, उसकी चूची मेरे सीने से टकराई, मुझे बहुत अच्छा लगा क्यूंकि यह पहली बार था जब मैं किसी लड़की के साथ कुछ कर रहा था।
मेरा एक हाथ उसके पीठ को सहला रहा था और दूसरा उसकी मैक्सी को उठाने में व्यस्त था जो उठ नहीं रही थी।
फिर मैंने उसकी चूत को ऊपर से ही सहलाना शुरू किया जिससे उसकी सांसें तेज हो गई और अजीब सी आवाजें भी निकलने लगी- उम्म्म…! हम्म्म… सी!…! सि…! उफ़…
फिर मैंने उसकी मैक्सी को उठा दिया, उसने नीचे पैंटी पहन रखी थी, मैं उसे उतारने लगा तो उसने अपने जांघें भींच ली लेकिन मैंने फिर भी उतार दी, जब मैंने उसकी पैंटी उतार दी तो उसने अपने हाथों से अपनी चूत को छुपा लिया।
फिर मैंने उसका हाथ हटाने की कोशिश की और सफल भी रहा।
उसकी चूत पर काले काले और रेशमी बाल उगे थे जो काफी छोटे थे, ऐसा लग रहा था कि कुछ दिन पहले ही उसने अपनी झाँटें साफ़ की थी।
उसकी चूत पर मैं अपना हाथ फिराने लगा, जैसे ही हाथ लगे उसका शरीर सिहर उठा।
मैंने उसे सोफे पे लिटा दिया और उसकी चूत पर हाथ फिराने लगाम हाथ फिराते फिराते मैंने उसकी चूत की पंखुरियों को खोला तो वो अंदर से सुर्ख गुलाबी थी और एक छोटा सा छेद था, ऊपर मटर के दाने जैसा क्लाइटोरिस…
जब मैं उसकी क्लाइटोरिस को छूता था, तब वो अपनी नितम्बों को उचकाती थी और जोर ‘सी सीई सी स्स्सीईई’ करती थी।
मैं उस समय टी शर्ट और हाफ पैंट पहने हुए था, उसने मेरा हाफ पेंट खोल दिया और मैंने टी शर्ट उतार दी, अब मैंने सिर्फ चड्डी पहन रखी थी, उसने कहा- इसे उतार दो।
मैंने कहा- तुम इसे उतारो।
उसने मेरी चड्डी उतार दी, मेरा लंड तन कर खड़ा था, जो 6″ लम्बा था, देख कर बोली- इतना मोटा कैसे जाएगा?
मैंने कहा- चला जाएगा।
फिर उसे सोफे से उतार कर वहीं फर्श पर आ गया, मैंने उसकी टांगों को फैलाया और उसकी चूत पर लौड़ा रख कर हल्का सा धक्का लगाया लेकिन नहीं गया, 2-3 बार तो असफल रहा, फिर उसने खुद ही वहाँ पकड़ कर रखा और कहा- अब अंदर करो।
मैंने फ़िर धक्का लगाया तो वो थोड़ा सा अंदर गया और वो तड़प उठी, बोली- बस अब रहने दो।
लेकिन मैंने फिर थोड़ा सा धक्का दिया तो आधा चला गया और उसकी चूत में से खून निकलने लगा और वो दर्द से तड़पने लगी।
थोड़ी देर मैं भी शांत रहा और फिर मैंने एक ही झटके में उसे अंदर कर दिया और वो बहुत तेज चिल्लाई, मैंने उसके होठों पर होंठ रख दिए और उसके रसीले होठों का रसपान करने लगा।
5 मिनट बाद वो नीचे से अपने नितम्बों को हिलाने लगी तो मैं भी अंदर बाहर झटके लगाने लगा।
अब उसके मुख से ‘आआह्ह उह्ह्ह उफ्फ सीईई स्सीईईई आह्ह्हा… की आवाज आने लगी।
दस मिनट बाद वो झड़ गई और उसके साथ मैं भी झड़ गया।
मैं उसे किस कर रहा था और उसके ऊपर लेटा हुआ था और हम ऐसे ही कुछ देर तक लेटे रहे।
फिर जब मैंने उसकी चूत को देखा तो वो पूरी तरह से खून से लाल हो गई थी, मैंने उसे साफ किया और उसने अपने तौलिये से मेरे लौड़े को साफ किया।
साफ़ करते करते फिर से मेरा लण्ड खड़ा हो गया और एक बार फिर से हम कामवासना में लिप्त हो गए।

FUN-MAZA-MASTI शायद वो सब समझती थी

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 शायद वो सब समझती थी

मेरा नाम समीर है.. मैं दिल्ली में अकेला ही रहता हूँ, मेरी उम्र 22 साल है।
मेरी प्रमुख आदतें हैं- कहानियाँ पढ़ना.. और मुठ्ठ मारते हुए किसी चूत का सपना देखना।
इसके अतिरिक्त फेसबुक चलाना भी मेरे शगल में शामिल है।
अब बात करते हैं कहानी की.. चूत चुदाई यह मेरा पहला अनुभव है.. लगभग एक महीने पहले यह घटना घटी।
इससे पहले मैं कई सालों तक चूत के लिए तड़पता रहा और मुठ्ठ मारता रहा।
फेसबुक पर बहुत सारी लड़कियाँ मेरी दोस्त हैं.. जिनमें से कुछ से ही बातचीत हो पाती है। लेकिन इनमें से भी किसी के साथ मेरी बात नहीं बन पाई।
लगभग डेढ़ महीने पहले दिल्ली की ही एक लड़की को फ्रेण्ड रिक्वेस्ट भेजी और उसने एक्सेप्ट कर ली.. उसका नाम आरुषि था.. उसने अपनी उम्र 20 साल बताई थी।
फिर बातों का सिलसिला शुरू हुआ.. दो दिन में ही हम अच्छे दोस्त बन गए, हम देर रात तक बातें करने लगे और धीरे-धीरे हमारी बातें बदलने लगी।
मैंने पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है?
तो उसने कहा- नहीं..
फिर उसने भी मुझसे यही सवाल किया।
मैंने भी ‘न’ में उत्तर दिया।
मैंने उससे उसकी फिगर के बारे में पूछा.. तो उसका जवाब था- तुम खुद ही देखकर पता लगा लेना।
उसने प्रोफाईल फोटो नहीं लगा रखी थी.. तो माँगने पर उसने अपनी फोटो मुझे भेज दी।
क्या बला की खूबसूरती थी.. फिगर एकदम कयामत ढहाने वाला.. जहाँ उभारना चाहिए वहाँ मस्त उठा हुआ.. मम्मों ने तो जैसे कसम खाई थी कि किसी न किसी की जान लेना ही है।
उसने मुझसे पूछा- कैसी लगी?
मैंने बिंदास लिख दिया- लण्ड खड़ा हो गया..
फिर उसने हंसते हुए मेरे लण्ड की फोटो माँगी तो मैंने फटाफट अपने सात इन्च के लण्ड की फोटो खींचकर भेज दी।
उसने मेरे लण्ड की तारीफ की.. तो मैंने कहा- कोरी तारीफ़ से क्या होगा.. आजमा के देखो तो याद रखोगी..
बोली- हाँ हाँ.. आजमा भी लूँगी..
मैंने कहा- जब भी चाहो मेरे लण्ड के नीचे तुम्हारा स्वागत है.. पर अब अपनी चूत की फोटो भेजो।
उसने तुरंत भेज दी.. जैसे वो इस बात का इन्तजार ही कर रही थी।
क्या चूत थी.. साली पकौड़ा सी फूली हुई गुलाबी बुर देख कर दिमाग भन्ना गया।
चूत का दोनों मुँह बिल्कुल चिपका हुआ था और थोड़े से बाल ऊपर की तरफ डिजायन में बने हुए थे।
फिर मैंने कहा- अपनी इस चूत को अपने कपड़े में छुपा ले.. हम गुस्ताख लोग हैं.. खुली चूत चोद दिया करते हैं।
उसने जवाब दिया- तो चोद दो.. हम क्या किसी खड़े लण्ड को यूं ही छोड़ देते हैं?
हम दोनों एक ही मिजाज के निकले.. मेरे मन में ख्याल आया कि अब गाड़ी पटरी पर आ गई है तो अब देर नहीं करना चाहिए।
फिर क्या था हमने चुदाई करने का प्लान बनाया।
मैंने उसको नजदिकी मैट्रो स्टेशन बुला लिया.. जब उसे देखा तो देखता ही रह गया।
साली.. क्या माल लग रही थी.. मन कर रहा था.. वहीं पटक कर चोद दूँ.. पर मैंने अपने जज्बातों पर काबू किया और हम दोनों सीधे मेरे घर पर आ गए।
कमरे में आने के बाद हमने कॉफ़ी पी। इसी बीच मैंने लैपटॉप पर एक सनी लियोने Sunny Leone की चुदाई वाली पोर्न-फिल्म Porn Film चला दी।
मैं और मेरा लण्ड तो पहले से ही तैयार थे.. वो भी नंगी सनी लियोने Sunny Leone को देख कर भड़क उठी।
अब वो मेरी गोद में थी.. मैं उसकी गरदन चूम रहा था और मेरे हाथ उसके मम्मों को दबा रहे थे.. जो बिल्कुल छोटे-छोटे संतरे जैसे गोल और एकदम टाइट थे।
एकदम से हम सीधे हुए और एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे।
ऐसा एहसास पहले कभी नहीं हुआ था.. हम एक-दूसरे में खो चुके थे, मेरा लण्ड इतना टाइट हो चुका था कि लग रहा था.. अब फट जाएगा।
मैंने देर न करते हुए उसे बिस्तर पर चित्त लिटा दिया और मैं नीचे खड़ा था.. उसकी कसी हुई चूत मेरे लण्ड के सामने थी।
मैंने एक उंगली चूत की दरार पर फिराई.. वो सिहर उठी..
फिर मैंने उसकी टांगें चौड़ी की और चूत पर लण्ड टिका दिया, अब मैंने हल्का सा जोर डाला.. तो कुछ नहीं हुआ.. मैंने फिर से जोर डाला और मेरा आंवला जैसा फूला हुआ सुपारा चूत में फंस गया था।
उसकी आँखें फ़ैल गईं पर अभी वो अपना दर्द दबाने की कोशिश कर रही थी।
मैं धीरे-धीरे दबाव बनाता रहा और वो मुँह दबा कर चिल्ला रही थी.. पर शायद वो सब समझती थी कि दर्द बहुत होगा तो वो मुझे झेल रही थी।
फिर मेरा पूरा लण्ड उसकी बुर में जड़ तक अन्दर जा चुका था और वो थोड़ा छटपटा कर अपनी तकलीफ भी जाहिर कर रही थी.. पर मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया।
मैं 2-3 मिनट तक लौड़े को चूत में अन्दर-बाहर करने के बाद मैं झड़ गया, इसका कारण यह था कि मेरा लवड़ा बहुत उत्तेजित था और वो उत्तेजना में नहीं.. दर्द में थी उसको मेरे जल्द झड़ जाने से कोई दिक्कत नहीं हुई।
मेरी साँसें फूल चुकी थीं और मैं पसीने में भीग चुका था.. लेकिन वो अभी भी संतुष्ट नहीं लग रही थी।
हम उसी हालत में बैठ कर बातें करने लगे.. लगभग एक घण्टे बाद हम फिर शुरू हो गए।
इस बार मैं तेज धक्के लगा रहा था और वो भी मेरा साथ दे रही थी और मजे ले रही थी।
करीब 8-10 मिनट के बाद वो झड़ गई लेकिन मैं लगातार उसे चोदता रहा.. पांच मिनट बाद मैं भी झड़ गया।
इस बार वो बहुत खुश थी, फिर हमने अपने आपको ठीक किया.. उसके बाद उसने वापस जाने को कहा।
फिर हमने दीर्घ-चुम्बन किया और मैं उसे मैट्रो स्टेशन छोड़ कर वापस आ गया।
उसके बाद से मैंने आज तक चुदाई नहीं की है.. अब वो भी मुझे नहीं मिलती है क्योंकि वो दिल्ली से बाहर चली गई है।
अब एक बार फिर चूत का इन्तजार कर रहा हूँ।

FUN-MAZA-MASTI पत्नी की कमी नौकरानी ने पूरी की

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पत्नी की कमी नौकरानी ने पूरी की

मेरा नाम रोहन है, मैं 25 वर्ष का ऊंचे कद, चौड़ी छाती वाला एक तंदरुस्त जवान हूँ और पंचकूला में अपनी 23 वर्षीय पत्नी पूनम तथा छह माह के बेटे के साथ रहता हूँ। मैं चंडीगढ़ में एक आई टी कंपनी में काम करता हूँ जहाँ मुझे बहुत ही अच्छा पारिश्रमिक मिलता है। तीन वर्ष पहले मेरा विवाह हुआ था और तब से मैं अपनी पत्नी पूनम के साथ पंचकूला में दो बेडरूम वाले घर में ही रहता हूँ।
पंचकूला आने के बाद मेरी पत्नी ने घर के काम काज करने के लिए मालती को नौकरी पर रख लिया था। मालती को सुबह सात बजे से लेकर शाम के सात बजे तक पूरे दिन के लिए घर का सारा काम करने के लिए रखा हुआ है। इसी कारण मेरी पत्नी ने उसे घर के बाहर के दरवाज़े की एक चाबी भी दी हुई है ताकि जब भी वह आये तो दरवाज़ा खोल सके तथा जब बाहर जाए तब ताला लगा कर जाए।
मालती हरियाणा के एक छोटे से गाँव की रहने वाली है और उसकी उम्र लगभग 25 साल की होगी। वह दो बच्चों की माँ होने के बावजूद देखने में काफी खूबसूरत है, उसका रंग हल्का गेहुआँ है, चेहरा गोल है और नाक पतला है, आँखें बड़ी बड़ी हैं लेकिन बहुत ही आकर्षक व नशीली हैं !
दो बच्चे होने के बाबजूद भी सारा दिन मेहनत का काम करने के कारण उसका बदन गठा हुआ है! मालती काम पर ज्यादतर धोती तथा ब्लाउज ही पहन कर ही आती है जिसके नीचे वह पैंटी और ब्रा नहीं पहनती है। उसके महीन ब्लाउज में से उसके उठे हुए बड़े बड़े गोल और सख्त मम्मों की झलक दिखाई देती है, क्योंकि उसका ब्लाउज ढीला ढाला होता है इसलिए जब भी वह झुक कर फर्श की सफाई करती है तो उसके दोनों मम्मे और उनके ऊपर की काली डोडियां साफ़ नज़र आती हैं।
पिछले वर्ष मेरी पत्नी पूनम जब गर्भवती थी, तब वह छह माह के लिए मायके रहने चली गई थी। पूनम के जाने के बाद मालती उसके समझाए अनुसार मेरे खाने पीने और घर के दूसरे काम को बहुत ही अच्छे तरह से करती रही। दिन तो मैं ऑफिस चला जाता था और रात में थके होने के कारण जल्द ही सो जाता था।
एक सप्ताह तक तो इसी तरह निकल गया लेकिन शनिवार की शाम मुझे पूनम की कमी महसूस हुई !
रात देर तक जब नींद नहीं आई तब मैं डीवीडी प्लयेर में एक ब्लू फिल्म की डीवीडी लगा कर टीवी पर आराम से नंगा होकर देखता रहा। फिल्म देखने के दौरान मैंने दो बार मुठ भी मारी और हर बार पास रखे तौलिए से लौड़े को साफ़ भी करता रहा !
टीवी देखते देखते मुझे नींद आ गई और मैं टीवी चलता हुआ छोड़ कर नंगा ही बिस्तर पर सो गया। 
अगला दिन इतवार था फिर भी हर रोज की तरह मालती सुबह सात बजे आ गई, लेकिन उसके आने का मुझे पता ही नहीं चला और मैं अपने कमरे में नंगा ही सोता रहा !
नौ बजे के लगभग जब मालती ने मेरे कमरे का दरवाज़ा जोर से खड़काया तब मेरी नींद खुली और इससे पहले कि मैं अपने आप को संभालता, वह अचानक ही कमरे में घुस आई !
मैंने जल्दी से तौलिया उठा कर अपने बदन को ढका और मालती की ओर देखा तो पाया कि वह मुस्करा रही थी। जब मैंने उससे मुस्कराहट का कारण पूछा तो उसने बताया कि सुबह आठ बजे मेरे कमरे में आई थी तभी उसने मुझे नंगा सोते हुए देख लिया था और तब उसने कमरे की सफाई करके लाईट और टीवी बंद कर दिया था।
मैंने चारों ओर नजर दौड़ाई तो देखा कि कमरे का हर सामान करीने से रखा हुआ था तो मुझे विश्वास हो गया कि मालती कमरे की सफाई करते समय ज़रूर मुझे नंगा सोते हुए देख चुकी थी और मैं शर्म से झेंप गया।
मैं अपनी शर्म और झेंप से उभर ही नहीं पाया था कि मालती ने मुझे मेरी लुंगी देते हुए कहा कि मैं उसे पहन लूं और तौलिया उसे धोने ले लिए दे दूं क्योंकि उस पर मेरा ढेर सारा माल लगा हुआ था। मालती की वह बात सुन कर तो मैं पानी पानी हो गया और मुझे लगा कि मेरी रही सही इज्ज़त भी मिटटी में मिल गई थी। खैर मैं लुंगी पहन कर और फ्रेश होकर अपने कमरे से बाहर आया तो देखा कि मालती रसोई में आलू की सब्जी बना चुकी थी और मेरे लिए पूड़ी तल रही थी।
मैं खाने की मेज पर बैठ गया और चुपचाप मालती द्वारा दिया गया नाश्ता खाता रहा। मुझे गुमसुम देख कर मालती ने मेरी चुप्पी का कारण पूछा तो मैं टाल गया और चाय पीकर अपने कमरे में चला गया।
मैं अपने कमरे में पहले तो टीवी देखता रहा और फिर लैपटॉप कुछ काम करता रहा। उधर मालती रसोई की सफाई, कपड़ों की धुलाई और घर का बाकी काम निपटाती रही !
दोपहर को एक बजे जब मालती मेरे कमरे में खाने के लिए बुलाने आई तो मैंने उसे कह दिया कि वह खाना बना कर रख दे।
इस पर उसने कहा कि वह साथ वाले कमरे में ही सुस्ता रही है और मैंने जब भी खाना खाना हो उसे बुला लूँ वह बना कर परोस देगी। लगभग आधे घंटे के बाद जब मुझे भूख लगी तब मैंने मालती को आवाज़ दी लेकिन वह नहीं आई तो मैं उसे देखने के लिए साथ वाले कमरे में गया तो उसे जमीन पर सोया हुआ पाया। उसकी धोती का पल्लू उसके सीने पर से हटा हुआ था और उसके कसे हुए मम्में उसके झीने से ब्लाउज में से साफ़ दिखाई दे रहे थे ! उसकी एक टांग सीधी थी और दूसरी टांग ऊँची कर रखी थी जिसके कारण उसकी धोती सरक कर थोड़ा ऊपर गई थी तथा उसकी जांघें नंगी हो रही थी! उसकी नंगी जाँघों की नरम और चिकनी त्वचा देख कर मुझ से रहा नहीं गया और मैंने झुक के उसकी टांगों के बीच झाँकने लगा। अँधेरा होने की वजह मुझे कुछ ज्यादा साफ़ साफ़ तो नज़र नहीं आया लेकिन इतना जरूर पता चल गया कि मालती ने पेंटी नहीं पहनी हुई थी।
मालती को उस हालत में सोते हुए देख कर मेरे लौड़े ने सलाम करना शुरू कर दिया, मैं उत्तेजित हो गया इसलिए जल्दी से अपने बाथरूम में जा कर मुठ मारने लगा।
शायद मालती मेरे कदमों की आवाज़ सुन ली थी इस लिए वह मेरे पीछे पीछे मेरे कमरे में आ गई और बाथरूम के दरवाज़े के बाहर खड़ी हो गई। क्योंकि मैं बाथरूम का दरवाज़ा बंद करना भूल गया था इसलिए मालती को मेरे मुठ मारने का नज़ारा साफ़ दिखाई दे रहा था।
मैं उसे वहाँ खड़ा देख कर दंग रह गया और मेरे मुँह से आवाज़ नहीं निकली।
तब मालती बाथरूम के अंदर मेरे पास आई और पूछा- क्या आप बीबी जी की याद में मुठ मार रहे हैं?
मैंने कहा- हाँ !
मालती- लाओ, मैं आप की मदद कर दूँ !
मैं- नहीं, मुझे तुम्हारी मदद नहीं चाहिए !
मालती- बीबी जी भी तो आपकी मदद करती हैं ना !
मैं- तुम्हें कैसे मालूम?
मालती- मैंने कई बार आप लोगों को ऐसा करते हुए देखा है !
मैं- क्या तुम ऐसा कर पाओगी?
मालती- क्यों नहीं, मैं अपने मर्द की मदद भी तो करती हूँ !
मैं- क्या तुम्हें शर्म नहीं आएगी?
मालती- शर्म किस बात की, लौड़ा ही तो हिलाना है !
इतना कह कर मालती ने मेरा लौड़ा पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी !
उसके हाथ का स्पर्श ने जैसे जादू कर दिया और दो ही मिनट में ही में मेरे मुँह से आह्ह… आह्ह्ह… आह्ह्ह… की आवाज़ निकलने लगी। उस आह्हह्ह… की आवाज़ सुनते ही मालती अकस्मात झुकी और मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और उसमें से निकल रहे सारे रस को पी लिया !
मैंने जब उससे पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया तो उसने बताया कि वह मेरे रस का स्वाद अपने पति के रस के स्वाद के साथ तुलना करना चाहती थी !
मेरे पूछने पर कि उसे क्या अंतर महसूस हुआ तो उसने बताया कि उसके पति का रस पतला है जबकि मेरा रस बहुत गाढ़ा है। उसके पति का बहुत थोड़ा सा रस निकलता है जबकि मेरा बहुत सारा रस निकला था। उसके पति के रस का स्वाद नमकीन है जबकि मेरा रस कुछ मीठा और कुछ नमकीन है।
मेरे पूछने पर कि उसे कौन सा रस पसंद आया तो उसने बताया कि निश्चित रूप से उसे मेरा रस ज्यादा स्वादिष्ट लगा।
इसके बाद मैंने लुंगी पहनी और मालती को पकड़ कर कमरे में ले आया और उसे खींच कर अपने पास बिस्तर पर बिठाया लेकिन वह एकदम से खड़ी हो गई और कहने लगी कि यह बिस्तर तो उसकी बीबी जी का है इसलिए वह उस बिस्तर पर बिलकुल नहीं बैठेगी।
तब मैंने उसे जबरदस्ती से अपनी गोद में बिठा लिया और उसके चेहरे को अपने हाथों में ले कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख कर उसे चूमने लगा।
पहले तो मालती ने विरोध किया लेकिन फिर जैसा मैं उसके होंटों के साथ करना चाहता था उसने करने दिया !
थोड़ी देर चूमने के बाद मैंने उससे कहा- तूने तो मेरा सब कुछ देख व छू लिया है और मेरा रस भी पी लिया है, अब तू मुझे अपना बदन नहीं दिखाएगी?
तब उसने कहा- यह कमरा बीबी जी का है इसलिए इस कमरे में ना तो अपना कुछ दिखाऊँगी और ना ही कोई भी गलत काम करूँगी!
उसकी यह बात सुन कर मुझे प्रसन्ता हुई कि वह कम से कम वह मेरे साथ कुछ तो गलत काम करने को तैयार थी इसलिए मैंने उस हल्की फुल्की मालती को गोद में उठाया और दूसरे कमरे में ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया तथा पास में ही खड़ा होकर उसकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगा।
जब कुछ देर तक मालती बिना कुछ बोले और बिना हिले डुले वैसे ही बिस्तर पर लेटी रही तो मुझ से नहीं रहा गया और उससे पूछा कि क्या वह अपना बदन मुझे दिखाएगी?
मेरे प्रश्न के उतर में मालती ने अपनी धोती का पल्लू खोल कर मेरे हाथ में दे दिया और कहा कि मुझे जो कुछ भी देखना है खुद ही देख लूँ, वह कोई आपत्ति नहीं करेगी।
मैंने उसका पल्लू एक तरफ रख कर उसके पास बैठ गया और उसके ब्लाउज के बटन खोल कर उसके मस्त मम्मों को दोनों हाथों में पकड़ कर दबाने लगा। जब मैं उसकी डोडियों को उंगली और अंगूठे के बीच में ले कर मसलने लगा तब वह आह… आह… सीई ईई… सीईईई… करने लगी।
मैं समझ गया कि वह गर्म होना शुरू हो गई थी इसलिए मैंने उसके मम्मों को छोड़ दिया और उसके पल्लू को पकड़ कर उसकी धोती उतार दी। उसकी धोती उतरने के बाद मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच कर खोला और उसके साये को पकड़ कर उतारने लगा। उसने भी मेरा साथ दिया और अपनी कमर तथा नितम्बों को ऊंचा कर के पेटीकोट को अपनी टांगों से अलग करने में पूरा सहयोग दिया तथा अपना ब्लाउज भी बदन से अलग कर दिया।
अब वह मेरे सामने बिल्कुल नग्न लेटी हुई थी और बहुत ही आकर्षक लग रही थी। खिड़की के पर्दों में से छन कर का आ रही धूप में उसका हल्का गेहुएं रंग को सोने की तरह चमक रहा था। उसके दोनों मम्में किसी इमारत के गुम्बज की तरह सिर उठाये सीधे खड़े थे, उन मम्मों के ऊपर लगी काली डोडियाँ एकदम सख्त हो गई थीं और मुझे न्योता दे रही थी। उसकी चूत पर उगे हुए गहरे भूरे रंग के बालों का समूह किसी समुन्दर में एक द्वीप की तरह लग रहे थे। उसकी पतली कमर और सुडोल जाँघों ने मुझे मजबूर कर दिया और मैं उसके बदन पर टूट पड़ा !
पहले मैंने उसके बदन को हर जगह चूमा, फिर उसके चुचूकों को दांतों से काटा और कस कर चूसा भी ! 
वह सी… सी… कर चिल्लाने लगी तो मैं और उत्तेजित हो गया तो मैंने उसकी जाँघों के बीच में हाथ डाल दिया और उसकी चूत में उंगली करने लगा।
उसने अपनी टांगें चौड़ी कर दीं, तब मैं उसकी चूत में दो उँगलियाँ डाल कर अंदर-बाहर करने लगा।
वह हाय.. हाय.. और सीसी.. सीसी.. करने लगी और कमर तथा नितम्बों को हिलाने लगी थी। पांच मिनट के बाद उसने अकड़ कर एक ऊइ ईई… आह्हह… की चीख मारी और मेरा हाथ को अपने पानी से गीला कर दिया !
मैंने जब उसकी ओर घूर के देखा तो वह हंस रही थी और बोली- साब, इतनी तेज़ी से उंगली करोगे तो यह होना ही था ! मुझे इतनी तेज़ी से खिंचावट हुई कि मैं पानी रोक नहीं सकी !
फिर ऊँची होकर उसने कहा- “साब, ये तो नाइंसाफी है, मैं तो नंगी पड़ी हूँ और आपने कपड़े पहने हुए हैं ! आइए मैं उतार दूँ !
कह कर वह झट से उठ गई और मेरी बनियान और लुंगी उतार कर दूर फेंक दी और मेरे अंडरवीयर को नीचे सरकाने लगी और साथ साथ नीचे बैठती गई !
जैसे ही मेरा अंडरवीयर मेरे पांव तक पहुँचा, मेरा खड़ा लौड़ा उसके मुँह के पास पहुँच गया। उसने झट से मेरे लौड़े को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी तथा मेरे अंडरवीयर को मेरे पाँव से निकाल कर लुंगी के पास फेंक दिया !
दो मिनट में ही मैं महसूस किया कि वह बहुत अच्छा तरह चूसती है क्योंकि वह कभी तो मेरे सुपाड़े को चूसती और कभी पूरे लौड़े को गले तक लेजा कर आगे पीछे करती जिससे दोनों चुसाई तथा रगड़ाई के मजे एक साथ मिलने लगे।
मैं खड़ा हो उससे लौड़ा चुसवाता रहा और जैसे ही वह मेरे लौड़े को अपने गले में उतारती मैं आगे पीछे हिल कर उसके मुँह को चोद लेता। करीब पांच मिनट के बाद मैंने उसे बिस्तर पर लिटा कर अपना लौड़ा उसके मुँह डाल दिया और उसकी चूत पर अपना मुँह रख कर चूसने लगा।
मालती तो लौड़े को उसी तरह चूसती रही लेकिन मैं कभी उसकी चूत के अंदर जीभ डाल कर अंदर बाहर करता तो कभी उसकी चूत के होंटों को चूसता और कभी उसके दाने को जीभ से रगड़ता।
यह सब लगभग दस मिनट चलता रहा और फिर जब मैं मालती के दाने से खेल रहा था तब उसने कहा कि वह पानी छोड़ने वाली है तो मैंने अपना मुँह उसकी चूत से चिपका लिया और उसके निकलते हुए पानी को पी गया !
इसके बाद मालती ने कहा- साहब, मैं बहुत गर्म हो चुकी हूँ और मुझे चूत में बहुत खुजली हो रही इसलिए आप जल्दी से अपने लौड़े को मेरी चूत में डाल कर मेरी चुदाई कर दें !
मैंने कहा- ऐसी भी क्या जल्दी है?
मालती बोली- साहब, जब औरत की चूत में आग लगी हो तभी मारनी चाहिए ! इससे चूत मारने वाले और मरवाने वाले दोनों को ही मजे आते हैं।
मैं अच्छा कह कर मालती के ऊपर चढ़ गया और उसकी दोनों टाँगें फैला दी, तब मालती ने अपने एक हाथ से चूत का मुँह खोल दिया और दूसरे हाथ से मेरे लौड़े को पकड़ कर उसमें बिठा दिया तथा मुझे धक्का मारने को कहा।
मैंने कस के धक्का लगाया तो मेरे लौड़े का सुपारा उसकी चूत के अंदर चला गया और वह सीसीइइइ…सीसीइइइ… करने लगी।
मैंने पूछ- क्या दर्द हो रहा है?
वह बोली- जब एक इंच पतले लौड़े से चुदने वाली चूत में ढाई इंच मोटा लौड़े को झटके से डालोगे तो दर्द तो होगा ही !
मैं बोला- तुमने ही तो धक्का मारने को कहा था।
मालती बोली- मुझे इस दर्द का अंदेशा था इसीलिए इसको सहन भी तो कर लिया है!
मैं बोला- निकाल लूँ क्या?
मालती बोली- नहीं बिलकुल नहीं ! मैं तैयार हूँ, आप धक्के मारो और लौड़े को पूरा अंदर बाड़ दो।
मैंने उसके कहे अनुसार एक जोर का धक्का लगाया और पूरा का पूरा लौड़ा उसकी चूत के अंदर कर दिया। लौड़े के अंदर घुसते ही वह चिल्ला उठी उईई… उईईइ… हाईईईई… हाईईई… मरगईईई माँअआ अआ… हाय मार डाला रेएएए…!
मैंने पूछा- क्या हुआ?
मालती बोली- होना क्या है, मुझे मार डाला आपने ! मेरी चूत ने आज तक सिर्फ पांच इंच लम्बा लौड़ा ही लिया था लेकिन आपके आठ इंच लंबे लौड़े ने एक झटके में ही अंदर घुस कर मेरी बच्चेदानी तक चोट मारी है !
मैंने कहा- तुमने ही तो कहा था कि धक्का मारो और इस पूरा अंदर डाल दो !
मालती बोली- लेकिन मैंने यह नहीं कहा था कि एक ही झटके में हलाल करो ! दो तीन धक्कों में घुसेड़ते तो इतनी तकलीफ नहीं होती !
मैंने कहा- अब बाहर निकाल लूँ?
मालती बोली- नहीं, जो होना था सो हो गया, अब तो मजे लेने की बारी है ! आप अब आराम से जी भर के धक्के मारो !
इतना सुनते ही मैंने मालती की चुदाई शुरू कर दी और आराम से लौड़े को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा ! मालती को भी अब मजे आने लगे थे, वह चूतड़ उठा उठा कर हर धक्के में मेरा साथ दे रही थी और उसकी चूत बहुत ही कसी हो गई, जिससे दोनों के लिंगों को खूब रगड़ लग रही थी।
दस मिनट तक इसी तरह चुदने के बाद मालती ने आह्ह… आह्हह्ह… की आवाज़ निकालते हुए अपना पानी छोड़ा और चूत में से पच्च… पच्च… की आवाज़ आने लगी। इस पच्च… पच्च… की आवाज़ सुन कर मैं उत्तेजित हो गया और मैंने चुदाई की गति तेज कर दी। मालती भी शायद यही चाहती थी क्योंकि उसने भी चूतड़ उठाने की रफ्तार मेरे धक्कों के बराबर तेज कर दी। जब अगले पन्द्रह मिनट तक मैं मालती को तेज़ी से चोदता रहा तब उसने कहा- साहब, और तेज़ी से मारो, मैं अब छूटने वाली हूँ !
मैंने अच्छा कह कर चुदाई की गति को बहुत ही तेज कर दिया।
पांच मिनट की बहुत तेज चुदाई के बाद मालती का बदन एकदम ऐंठ गया और उसकी चूत बिल्कुल सिकुड़ गई थी, वह लौड़े को जकड़ कर अंदर की ओर खींचने लगी और लौड़े को ज़बरदस्त रगड़ मारने लगी थी ! उसकी इस रगड़ ने मेरे लौड़े को उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँचा दिया तथा मेरे सुपारा फूल गया और तब मैं और मालती ने एक साथ ही अपना अपना रस छोड़ दिया !
रस छूटते ही हम दोनों निढाल हो कर बिस्तर पर पड़ गए और अगले बीस मिनट तक वैसे ही पड़े पड़े सुस्ताते रहे। फिर मालती ने मेरे होंटों पर अपने होंट रख कर मुझे चूमा और मुझे हल्का सा धक्का देकर अपने से अलग किया तथा मेरे लौड़े को अपनी चूत से बाहर निकाल कर अपने मुँह में डाल कर चूसा और चाट कर साफ़ किया।
इसके बाद वह चूत को साफ़ करने के लिए बाथरूम में चली गई और बाहर जाते जाते बोली- साब, मैं आपके लिए खाना बना देती हूँ आप खा लीजिए !
मैं उसकी बात सुन कर नंगा ही कमरे से बाहर निकल कर रसोई में गया तो देखा वह भी नंगी ही खाना बना रही थी। मैंने उसके पीछे से उसकी गर्दन पर चुम्बन किया और उसकी गांड में उंगली भी कर दी। उसने छटपटा कर चूतड़ हिलाए और मेरी उंगली को बाहर निकाल दिया और बोली- साहब, अभी खाना बनाने दीजिए, बाद में जो मर्जी कर लीजियेगा !
मैंने उसे कहा- तुम अपना खाना भी बना कर ले आना, हम दोनों साथ ही बैठकर खायेंगे।
और मैं खाने की मेज पर आकर बैठ गया और लौड़े को खड़ा करने लगा। 
थोड़ी देर में वह खाना बना कर ले आई और मेज़ पर लगा दिया। फिर जब वह यह देख रही थी कि वह कहाँ बैठे मैंने उसके मम्मों को पकड़ कर उसे अपने पास खींच लिया और अपनी गोदी में बिठा लिया। उसने उठने की कोशिश तो की लेकिन मैंने उसे उठने ही नहीं दिया।
तब वह बोली- साहब, मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही है, आपका लौड़ा चुभ रहा है !
मैंने कहा- अगर यह बात है तो लो अभी ठीक से सेट कर देते हैं।
और मैंने लौड़े को पकड़ कर उसकी चूत के मुँह में लगा दिया और उसे नीचेए होने को कहा। उसके नीचे होते ही लौड़ा उसकी चूत में घुस कर सेट हो गया और वह इत्मीनान से मेरी गोद में बैठ गई।
मैं उसके मम्मों को पकड़ कर बैठ गया और उसे कहा कि वह ही मुझे खाना खिलाए !
वह एक निवाला मुझे खिलाती और एक निवाला खुद खाती। मैं उसके मम्मों और डोडियों को मसलता रहा तथा उसकी चूत में लौड़े को फूलाता रहा !
जब खाना समाप्त हो गया तब वह उठने लगी तो मैंने उसे उठने नहीं दिया और दूसरी कुर्सी के ऊपर झुका उसके कर चूतड़ ऊँचे कर दिए और उसकी चूत में लौड़ा डाल कर उसे कुतिया शैली में चोदने लगा !
कुछ मिनटों के बाद जब मालती की चूत ने पानी छोड़ा तब मैंने लौड़ा बाहर निकाला और उसकी गांड के छेद पर रख कर एक धक्का मार कर सुपारे को गांड के अंदर कर दिया।
मालती की गांड तो बहुत ही तंग थी और मुझे लगा कि उसकी रगड़ ने जैसे मेरे लौड़े को छील दिया हो !
सुपारे के अंदर जाते ही मालती दर्द के मारे चिल्ला उठी, बोली- साहब, मैं मर जाऊंगी, यह क्या लठ डाल दिया मेरी गांड में ! बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है, मेरी गांड फट जायेगी, इसे बाहर निकालिये !
वह चिल्लाती रही लेकिन मैंने उसकी बात की परवाह किये बगैर धक्के मारने लगा और पूरे लौड़े को गांड में डाल कर ही दम लिया। वह रो रही थी और कह रही थी- साहिब, मुझे छोड़ दीजिए, मैंने गांड कभी नहीं मराई, हाय मेरी जान निकल रही है !
वह तड़प रही थी, उसकी टांगें कांप रही थी और जोर जोर से रो रही थी !
तब मैंने उसे कहा- चुप हो जाओ, मैं अभी निकाल लेता हूँ।
और जैसे ही आहिस्ता आहिस्ता मैंने लौड़े को बाहर खींचना शुरू किया वह चुप हो गई।लेकिन जैसे ही मैंने देखा कि सिर्फ सुपारा अंदर रह गया है तब मैंने फिर से धक्का मार कर पूरे लौड़े को गांड के अंदर घुसा दिया। मालती शायद इसके लिए तैयार नहीं थी और लौड़े के अंदर जाते ही जोर से चिल्लाने लगी- मार डाला रे, मेरी गांड फट गई रे, हाय दैया रे मैं मर गई !
मैंने मालती को चुप कराने के लिए उसके मुँह पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे धक्के मार कर लौड़े को उसकी गांड के अंदर-बाहर करने लगा। कुछ देर के बाद जैसे ही मालती को कुछ राहत मिली तब वह भी मेरे साथ सहयोग करने लगी और मेरे धक्कों के अनुसार हिल कर गांड मराने लगी। पन्द्रह मिनट तक मालती की गांड मारने के बाद जब मेरे लौड़े का रस उसकी गांड में छूट गया तब मैंने लौड़ा बाहर निकाला और उसके मुँह में दे दिया। मालती ने लौड़े को चूस तथा चाट कर साफ़ कर दिया और सीधी खड़ी होकर बोली- साहब, अपने तो पहले मेरी जान ही निकाल दी थी लेकिन बाद में बहुत मजे भी दे दिए !
तीन बजे थे जब हम दोनों एक साथ नहा कर बिस्तर पर लेट गए और एक दूसरे से चिपक कर सो गए। जब नींद खुली तो पांच बज चुके थे और मालती अभी भी मेरे साथ चिपक के सो रही थी। मैंने उसके मम्मों के भूरे अंगूरों को सहलाया तो वह चौंक कर जाग गई और मुझे देख कर उठ कर बैठ गई।
मैंने उससे पूछा- बहुत थक गई थी क्या?
तो उसने सिर हिला कर हाँ कर दी और उठ कर रसोई में जाकर चाय बना लाई और हमने साथ ही बैठ कर चाय पी। फिर उसने कपड़े पहने और रसोई में जाकर रात के लिए खाना बनाया। रात को सात बजे से पहले ही मालती मेरे पास आकर बोली- साहब, मैं अब जाऊँगी, खाना बना दिया है, आप खा लीजिएगा !
तब मैंने उसे पांच सौ रुपये दिए तो वह कहने लगी- साहब, मैंने चूत पैसों के लिए नहीं मरवाई !
तब मैंने कहा- यह चूत के लिए नहीं है, यह मैं तेरी गांड की सील तोड़ने की खुशी में दे रहा हूँ !
तो उसने खुशी से पैसे ले लिए और मेरे खड़े लौड़े को देख कर उसने झुक कर पहले तो चूमा और फिर पता नहीं क्या सोच कर उस चूसने भी लगी !
पांच मिनट में ही मेरा रस उसके मुँह में छूट गया जो उसने पी लिया।
फिर जाते हुए कहा- साहब, मैं सुबह छह बजे आऊँगी तब आपको और आपके लौड़े को खूब मजे दूँगी ! शुभ रात्रि !
अगले छह माह मैं मालती को हर रोज चूत चोदता था और उसकी गांड मारता था लेकिन मेरी पत्नी पूनम के आने तक के बाद यह सिलसिला थोड़ा कम हो गया है। अब तो जब भी पूनम घर पर नहीं होती है या कहीं इधर उधर जाती है, तब तो मैं मालती की चूत और गांड दोनों ही मार लेता हूँ !
मैंने मालती की तनख्वाह दो सौ रूपये बढ़ा दी है, ताकि वह नौकरी छोड़ कर नहीं जाए और मुझ से चुदती रहे !
अब सोच रहा हूँ कि मैं पूनम और मालती को एक साथ चोदूँ इसलिए मालती की चुदाई घटना के बारे में पूनम को बताना चाहता हूँ।

FUN-MAZA-MASTI हमारा बावर्ची

FUN-MAZA-MASTI

हमारा बावर्ची 


मैं हूँ हनी (बदल हुआ नाम) मैं एक पंजाबन हूँ मेरा शहर अमृतसर है, मेरी उम्र है अठाईस साल। मैं एक बच्ची की माँ भी हूँ, मैंने बी.सी.ए के बाद दो साल की एम.एस.सी-आई टी की, मैं बहुत चुदक्कड़ औरत हूँ, स्कूल के दिनों से मैंने चुदाई का रस चख लिया था, मैंने जिंदगी में कई लंड लिए, लेकिन बच्ची होने के बाद मेरी छोटे लंड से तसल्ली नहीं हो पाती, मेरे पति मुझसे उम्र में काफी बड़े हैं, मैंने उनके साथ घरवालों के खिलाफ जाकर शादी की थी, उनके पास बहुत पैसा था, मैं एक साधारण से घर में पैदा हुई थी, हम तीन बहनें ही हैं, शौक पूरे करने के लिए मैंने शुरु से अमीर लड़कों से चक्कर चलाये थे, पति का बिज़नस बहुत फैला हुआ है, मुझे किसी चीज़ की कमी नहीं। मैं और मेरे पति ही भारत में थे, इनके दोनों भाई अमेरिका में बिज़नेस करते थे, सासू माँ वहीं रहती, ससुर भी !
शादी के बाद भी मैं चुदाई अपने पति तक ज्यादा देर सीमित नहीं रख पाई थी, उम्र के फर्क की वजह से वो रोज़ रात को मुझे सुख नहीं देते थे, बिज़नस के चलते शहर से बाहर, कभी देश से बाहर भी रहना पड़ता था, मेरी तन की आग नहीं बुझती थी, घर से बाहर निकल कर किसी मर्द से इतनी जल्दी संबंध बनाना सही नहीं था। इनका बहुत नाम था, काफी लोग इनको जानते थे, इसलिए डरती थी, इनको भनक भी पड़ गई मुझे छोड़ ना दें, ऐशो आराम की जिंदगी से कहीं वो मुझे निकाल ना फेंके, घर में कई नौकर थे।
एक दिन में अपने कमरे में खड़ी थी, तभी मेरी नज़र पिछवाड़े में पड़ी, हमारा बावर्ची बनवारी लाल खुले में ताजे पानी से नहा रहा था, उसने सिर्फ अंडी पहना हुआ था, पानी से चिपका पड़ा था, उभरा हुआ देख मेरी फुदी में खुजली होने लगी, सोचा बाहर से अच्छा यही है कि सभी नौकरों को अलग अलग आजमा कर देखूं, कोई तो सैट हो जाए तो घर में गंगा वाला काम होता।
नहाने के बाद उसने दोपहर का खाना बनाने आना ही था, हल्की गुलाबी जालीदार नाईटी काली ब्रा पैंटी ऊपर से खुली रख ली, लाबी में बैठ गई।
आज जब उसने मुझे देखा उसकी नज़र सर से पाँव तक गई, मैंने नशीली आँखों से उसको देखा जब उसकी नज़रें मिली तो मैं होंठ चबाते हुए मुस्कुरा दी।
अनाड़ी तो वो था नहीं, मैं कमरे में आकर लेट गई, उसको मेरे पास आना ही था। सर के नीचे बांह रख दरवाज़े की तरफ पिछवाड़ा करके एक साइड के बल लेट गई, जांघों से ऊपर तक नाईटी उठा रखी थी, वो चाय लेकर आया, दरवाज़ा खटखटाया।
“आ जाओ !”
“मैडम चाय !”
“रख दो !”
“खाने में क्या बनाना है? साब आयेंगे दोपहर को?”
“नहीं, वो शायद रात को लौटेंगे, मेरा दिल नहीं है !”
मैं सीधी होकर लेटी, नाईटी जांघों तक उठा ली, मेरी पैंटी उसको साफ़ दिख रही थी।
“सुबह से तबीयत सही नहीं है, बदन दुःख रहा है !” मैंने अंगड़ाई लेने के बहाने से नाईटी आगे से खोल दी।
“फिर क्या बनाऊँ?”
उसकी नजर ब्रा में से झाँक रहे कबूतरों पर थी।
“क्या देख रहा है? जा ठंडी बीयर के दो मग बना !”
“क्या कह रही हो मैडम?”
“सही कह रही हूँ, बदन टूट रहा है, रात को तेरेसाब ने जोर देकर अपने साथ स्कॉच पिला दी थी, पीकर खुद शराबी होकर सो गए, गर्म शराब गर्म शवाब को जलाती रही !”
“आपके लिए बना देता हूँ !”
“नहीं दोनों के लिए !”
“कहीं साब आ गए तो वो मुझे नौकरी से निकाल देंगे !”
अंगड़ाई लेकर मैं बोली- सब दरवाज़े बंद कर ले, जल्दी से आ जा !
वो पांच मिनट बाद ट्रे में दो मग बना कर ले आया, मुझे पकड़ा कर अपना लेकर खड़ा था, बोला- मैं बाहर बैठ पी लूँगा।
मैंने पांच मिनट में मग ख़त्म किया, उसको आवाज़ लगाई- बनवारी, ख़त्म हो गई, दो और बना कर ले आ !
मैंने नाईटी उतार दी चादर लपेट कर बैठ गई।
“अपने लिए बनाया?”
“हाँ मैडम !”
मुझे सरूर सा होने लगा, मग की बजाए मैंने पजामे के ऊपर से उसके लंड को पकड़ लिया।
वो घबरा गया- मैडम, यह क्या? छोड़ दो?
मैंने कस के पकड़ लिया।
क्या करता? अगर हटता तो दर्द होता ! मुँह आगे करके पजामे के ऊपर से अपने होंठ रगड़े, हल्के से दांतों से काट भी लिया।
उसका तो दिमाग घूम गया कि यह सब?
उसको अंदेशा था, लेकिन इतनी जल्दी में इतना कर दूंगी, यह बनवारी ने नहीं सोछ होगा।
“इसको साइड टेबल पर रख दे ! कैसा मर्द है रे तू?”
मैंने चादर उतार फेंकी। मेरे गोरे जिस्म को काली ब्रा पैंटी में देख बुड्डों के लुल्लों में जान आ जाती है, मैंने उसके पजामे के नाड़े को खींच दिया। पजामा घिर गया, उसका अंडी फूलता जा रहा था, मैंने अंडी के ऊपर से चूम लिया, धीरे से उसके अंडी की इलास्टिक को प्यार से नीचे सरकाया !
‘उह !’ उसका काला बड़ा सा आधा सोया लंड जो नर्वस होने की वजह से पूरा खड़ा नहीं हो रहा था, कुछ डर की वजह से !
“देख बनवारी, मर्द बन मर्द ! पूरा घर लॉक है, अपनी कसम तेरे साब शहर में ही नहीं हैं !”
बोला- मैडम, ड्राईवर तो गाड़ी लेकर आएगा, क्या समझेगा?”
“तेरा दोस्त है न वो?”
“हाँ !”
“फिर बातें भी खुलीं होंगी एक दूसरे से? एक कमरे में रहते हो, मैं बहुत प्यासी हूँ, कैदी की तरह हूँ यहाँ !”
“क्यूँ? साब का बिल्कुल ही खड़ा नहीं होता?”
“मुश्किल से होता है, सड़क पर चढ़ते ही पंचर हो जाता है !”
“आप दोनों की उम्र में कितना अंतर है? आपने शादी क्यूँ करी? पैसे के लिए ना? फिर एक चीज़ मिल जाए, उसके लिए कुछ कमी सहनी पड़ती है !”
मैंने उसके लंड को मुँह में लेते हुए कहा- अपनी चूतिया बकवास बंद कर, मेरे अंग अंग को चकनाचूर कर डाल !
हौंसला लेते हुए वो चप्पल उतार मेरे डबल बैड पर चढ़ आया, अपना कमीज़ उतार फेंका, मुझे वहीं बाँहों में कस कर मेरे होंठ चूसने लगा साथ में ब्रा के कप में हाथ घुसा मम्मा दबाने लगा।
“हाँ, यह हुई ना बात ! मसल डाल मेरे राजा ! अंग अंग ढीला कर दे अपनी मालकिन का !”
“हाय मेरी जान ! तेरे जैसी औरत को कौन मर्द चोदना नहीं चाहेगा ! मैं बस डरता था, तेरी सूखती हुई ब्रा-चड्डी को बाहर देख हम मुठ मारते हैं !”
“हाय, सच्ची?”
“हाँ मेरी जान, सच्ची !”
उसने पीठ पर हाथ लेजा कर ब्रा उतारी, खींच कर मेरी कच्छी उतारी, मैंने उसको धकेला और उसके लंड पर होंठ रख दिए, चूसने लगी। अब उसका लंड अपना असली रंग पकड़ने लगा था, काला मोटा लंबा लंड देख मेरी तो फुद्दी में खलबली मच रही थी। उसने भी मजे ले लेकर चुसवाना चालू कर दिया, साथ साथ उसने मेरे दाने को रगड़ना चालू किया ! मैं पागल हो हो कर लंड चूस, चाट, चूम रही थी।
पति का अगर इतना चूसती तो मुँह में पानी निकल जाता, बनवारी मंझा हुआ खिलाड़ी था, उसने अचानक से मेरी टांगें खोल दी, अपनी जुबां को मेरी फुद्दी पर रगड़ने लगा, कभी घुसा कर घुमा देता तो मेरी जान निकल जाती !
मैंने कहा- एक साथ दोनों के अंग चाटते हैं राजा !
69 के एंगल में आकर मैंने उसके लंड को चाटना चालू किया तो उसने मेरी फुद्दी को !
मैं झड़ने लगी लेकिन उसका लुल्ला मैदान में डटा था, क्या औज़ार था उसका !
वो मुझे खींच कर बैड के किनारे लाया, खुद खड़ा होकर अपने बड़े लंड को घुसाने लगा। कई दिन से ऐसा लंड न लेने से मेरी फुद्दी काफी कस चुकी थी, मुझे दर्द हुई लेकिन उस दर्द में सच्चे मर्द की पहचान थी। देखते ही देखते उसका पूरा काला लंड मेरे अंदर था और झटके दे रहा था, उसने किनारे पर ही मुझे पलटा, फुद्दी पर थूका और घोड़ी के अंदाज़ में मेरी फुद्दी मारने लगा।
“वाह मेरे राजा वाह ! क्या मर्द है तू !”
“साली सुबह तेरी पैंटी देख मुठ मारी थी !”
जोर जोर से झटके लगाने लगा वो ! उसने मुझे लिटाया मेरी दोनों टांगें कंधों पर रखवा मेरे दोनों मम्मे पकड़ चोदने लगा। अब वो भी
मंजिल की तरफ था, इतनी तेज़ी से घिसाई हो रही थी मानो मशीन हो !
तभी वो शांत हो गया !
मुझे महीनों बाद मर्द का असली सुख हासिल हुआ था, पूरा जिस्म फूल की तरह हल्का हो गया था मेरा !
काफी देर मेरे होंठों चूमता रहा, फ़िर दोनों अलग हुए !
“अगर तेरे साब नहीं आये रात को तो आएगा?”
मिलने के वादे से बोला- हाँ, पर मनजीत को चकमा देना कठिन है !
“अगर चकमा न दे पाया तो दोनों के लंड खा जाऊँगी मैं ! मेरे अंदर मर्द के लिए इतनी भूख है !’
रात को पति नहीं आये, बनवारी रात का खाना बनाने आया, अब हम दोनों के बीच जिस्मानी संबंध बन गए थे, उसने मुझे पहले बाँहों में लिया, मेरे होंठ चूसे, मेरे मम्मे दबाने लगा, वहीं लॉबी में टेबल साइड कर गलीचे पर मुझे लिटा चूमने लगा मैंने उसका लंड निकाला और चूसने लगी।
“बनवारी आज तुम भी खाना यहीं खाना, मंजीत भी आने वाला होगा !”
मैंने टांगें खोल दी, बनवारी समझ गया था, उसने अपना लंड घुसा दिया, झटके देने लगा।
“हाय ! और जोर से जोर से करो ! फाड़ डालो मेरी फुद्दी को !”
“तेरी बहन की चूत ! देख आज रात तेरा क्या करता हूँ ! ले मेरा पप्पू !”
“अह अह अह जोर जोर से चोद ! मेरे पालतू कुत्ते, आज रात तुम दोनों के गले में पट्टा डालूंगी ! बनाओगे मुझे अपनी मालकिन?”
“हाँ मेरी जान ! ले ले ले !” कह बनवारी ने मेरी फुद्दी अपने रस से भर डाली।
“यह क्या कर दिया? अंदर पानी क्यूँ निकाला?”
“तुम कौन सी कुंवारी लड़की हो? वैसे भी उससे तेरा पेट अब तक नहीं निकाला गया !”
बनवारी और में अलग हुए, वो खाना बनाने लगा।
बोला- मंजीत आ गया मेरी जान, उसको पटा ले गैराज में है अभी !
मैंने उसी पल तौलिया पकड़ा, पिछवाड़े में गई, ताज़े पानी में नहाने लगी, सिर्फ ब्रा पैंटी में थी, उसके पाँव की आवाज़ सुन मैंने ब्रा का हुक खोल दिया, पानी बंद कर साबुन जिस्म पर लगाने लगी, बड़े बड़े दोनों मम्मों पर साबुन लगाने लगी।
जैसे वो आया, उसने लाइट का बटन दबाया, टयूब जलते उसके होश उड़ गए।
मैंने ऐसा शो किया कि मुझे उसके आने का पता नहीं लगा, दोनों बाँहों से मम्मे छुपा लिए।
“आप यहाँ?”
“क्यूँ? नहा नहीं सकती? क्या गर्मी थी? लाइट बंद कर दो मंजीत, कोई और भी तुम्हारी मैडम को देख लेगा !” मैंने जल्दी से तौलिया लपेटा ना चाहते हुए भी, उसी पल मुझे आईडिया आया, तौलिया तो लपेटा, मन में सोचा कि कहाँ मेरे हाथ से निकल पायेगा, थोड़ा आगे जाकर में फिसल गई- आऊच ! सी मर गई ! अह !
मंजीत मेरी तरफ आया, मैंने तौलिया खिसका लिया। मैं संगमरमर के फ़र्श पर सीधी लेटी थी। किस मर्द का हाल बेहाल ना होगा एक चिकनी हसीं औरत सिर्फ पैंटी में, मेरी पहाड़ जैसी छाती पर निप्पल आसमान को निहार रहे थे।
उसने हाथ आगे किया, मैंने अपना हाथ उसके हाथ में दे दिया, उसने उस मालकिन को नंगी खींचा जिस मालकिन की पैंटी को देख देख वो मुठ मारता था।
जैसे उसने खींचा, मैं उसकी बाँहों में थी, वो भी सिर्फ एक पैंटी में ! उसका एक हाथ मेरे चूतड़ों पर था एक पीठ पर !
मैंने दोनों हाथ उसकी पीठ पर लगा सर उसकी छाती पर टिका कदम बढ़ाया। उसका लंड खड़ा हो चुका था, मेरे पेट पर चुभ रहा था, धीरे से बोली- बोलती क्यूँ बंद कर ली? कहाँ रह गया तेरा जोश? जिस मैडम की पैंटी को सूंघ सूंघ कर मुठ मारता है वो तो तेरी फौलादी बाँहों में लगभग पूरी नंगी है ! अंदर का मर्द ख़त्म हो गया?
सुन कर वो हिल गया, उसके खड़े कड़क लंड पर प्यार से हाथ फेरा, फिर धीरे धीरे दबाने लगी। 
यह देख उसका मर्द जाग गया था- मर्द तो मैडम हर पल जागा रहता है, मेरा थोड़ा संकोच था, सेवक और मालकिन की हद के चलते ! उसने मेरे होंठ चूम लिए, मैंने उसकी बाँहों से खुद को अलग किया, ठण्डे ठण्डे मार्बल पर लेट गई, मैंने पैंटी को भी जिस्म से अलग कर दिया- ले पकड़, मेरे सामने सूंघ मेरी पैंटी ! ताज़ी ताज़ी महक मिलेगी क्यूंकि तुमसे लिपट कर पानी छोड़ रही थी !
“मैडम, आज तो जहाँ से महक निकलती है वो ही ढाई इंच की दरार सामने है !”
मैंने उसी पल टांगें फैला डाली- जो काम हो जाये वो ही अच्छा होता है ! मेरे राजा, लो ढाई इंच की दरार !
उसने अपने कपड़े उतारे, उसका लटक रहा था, जैसे मैंने अपने होंठ लगाये, वो खिल उठा, सलामी देने लगा- चूस दे जान !
मैंने काफी सारा थूक उसके सुपारे पर फेंका, उसका लुल्ला था, ना कि लुल्ली, इसलिए पूरा मुँह में कहाँ आता ! लंबाई ज्यादा थी, गप
गप की आवाज़ जैसी ब्लू फिल्मों की रंडी आम तौर पर करती हैं गंदी, गीली चुसाई !
वो मेरे लंड चूसने के अंदाज़ से पागल हुए जा रहा था।
“कभी किसी ने तेरा चूसा है?”
बोला- नहीं मैडम ! हमारी क्या किस्मत !
आज से तेरी हैसियत मेरी नज़रों में तेरे साब जैसी है, तेरी पुरुष अंग में कमाल का दावा है।

FUN-MAZA-MASTI एक ससुर और बहु के बीच में मर्यादा--4

FUN-MAZA-MASTI

 एक ससुर और बहु के बीच में मर्यादा--4


मेरे खुले मुख को देख कर ससुरजी मुस्करा पड़े और उन्होंने बड़े ही आराम से अपने लिंग को उसके अंदर धकेल दिया तथा आहिस्ता आहिस्ता धक्के देकर अंदर बाहर करने लगे।
मुख-मैथुन की क्रिया करते हुए लगभग पांच मिनट ही हुए थे जब मुझे उनके लिंग में से नमकीन पूर्व-रस निकलने का स्वाद आया तब मैंने उन्हें रुकने का संकेत दिया और अपनी दोनों टांगें चौड़ी कर दी।
मेरा संकेत समझ कर वे तुरंत मेरी टांगों के बीच में बैठ गए और मेरी गीली योनि को चूसने एवं चाटने लगे।
कभी वे मेरी योनि के होंटों को अपने मुहं में ले कर चूसते, तो कभी वे मेरे भगनासा को अपने होंटों एवं जीभ से मसलते और कभी अपनी जीभ के योनि के अन्दर डाल कर मेरे जी स्पॉट को भी रगड़ देते।
दस मिनट तक उनकी इस तिकोणी क्रिया के कारण मैं इतनी उत्तेजित हो गई कि मैंने कई बार अपने कूल्हे उछाल कर उनका साथ दिया और दो बार तो उनके मुख पर योनि-रस की बौछार भी कर दी।
मेरे द्वारा दूसरी बार रस की बौछार होते ही वह उठ बैठ गए और अपने लिंग को मेरी योनि के मुख पर स्थिर करके मेरे ऊपर लेट गए तथा हल्का सा धक्का लगा कर अपने लिंग को मेरी योनि के अंदर सरका दिया।
कुछ क्षणों के बाद ससुरजी ने एक धक्का और लगा कर अपने लिंग को जड़ तक मेरी योनि में घुसेड़ दिया और आहिस्ता आहिस्ता उसे अन्दर बाहर करने लगे।
एक माह के बाद लिंग का स्वाद मिलने पर मेरी योनि के अंदर हलचल होने लगी और वह आवेश में आ कर लिंग को जकड़ कर आलिंगन करने लगी।
जब ससुरजी अगले दस मिनट तक योनि की इस जकड़न में फसे अपने लिंग को आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर करते रहे तब मैंने उन्हें गति को बढ़ाने के लिए कहा।
मेरी बात सुन कर जब ससुरजी ने अपनी गति बढ़ा दी तब मैंने भी उनकी गति के अनुसार अपने चूतड़ उछाल कर उनका साथ देने लगी।
पांच मिनट के बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा और मेरी योनि के अंदर सभी मांस-पेशियाँ सिकुड़ने लगी तथा योनि ने ससुरजी के लिंग को जकड़ लिया।
ऐसी हालत में ससुरजी ने अपनी गति को बहुत ही तीव्र कर लिया और खूब जोर लगा कर लिंग को मेरी योनि के अंदर बाहर करने लगे जिससे हम दोनों के गुप्तांगों को बहुत तेज़ रगड़ लगने लगी।
इस तीव्र गति से सम्भोग करते हुए पांच मिनट ही हुए थे कि मैंने बड़े ऊँचे स्वर में सिसकारी ली और तभी ससुरजी भी जोर से चिल्ला उठे तथा हम दोनों ने एक साथ ही अपने अपने रस को स्खलित कर दिया!
हम दोनों के अकड़े हुए शरीर एक दूसरे से चिपके हुए थे और हम उस समय उतेजित कामवासना की चरम-सीमा पर मिलने वाली संतुष्टि का आनन्द उठा रहे थे।
उसके तुरंत बाद हम पसीने से भीगे शरीर लिए और हाँफते हुए निढाल हो कर अगले पांच मिनट के लिए मैं नीचे तथा ससुरजी मेरे ऊपर लेट रहे।
फिर ससुर जी मेरे ऊपर से हटे और अपने सिकुड़े हुए लिंग को मेरी योनि में से बाहर निकाल कर मेरे स्तनों को अपने हाथों में पकड़ कर मेरी बगल में मुझ से लिपट कर सो गए।
कुछ देर के बाद मुझे भी नींद आ गई और सुबह पांच बजे जैसे ही ससुरजी उठ कर जाने लगे तभी मेरी भी नींद खुल गई।
मुझे जागे हुए देख कर ससुरजी ने झुक कर मेरे होंठों को चूमा और मुस्कराते हुए पूछा- कामना, तुम्हारी गर्मी का इलाज़ हो गया या फिर अभी भी गर्मी लग रही है?
मैंने मुस्कराते हुए उन्हें चूमा और उत्तर दिया- पापाजी, किसी भी स्त्री की इस गर्मी का कोइ स्थायी उपचार नहीं होता है। हाँ आपने कुछ समय के लिए मेरी इस गर्मी का अस्थायी इलाज़ तो कर दिया है लेकिन देखते हैं कि इसका असर कितनी देर तक रहता है। कहीं ऐसा ना हो कि दिन में भी यह गर्मी मुझे फिर सताने लगे और इसके इलाज़ के लिए मुझे आपको ऑफिस से बुलाना पड़े।
मेरी बात सुन कर ससुरजी हंस पड़े और मेरे स्तनों को मसलते हुए मुझे एक बार फिर चूमा और मेरी योनि पर हाथ हुए बोले- कामना, अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे अभी एक बार फिर से वही आनन्द और संतुष्टि देने को तैयार हूँ क्योंकि मैं नहीं चाहता कि दिन भर तुम्हें इस गर्मी के कारण कोई परेशानी हो।
ससुरजी की बात सुन कर और उनके तने हुए लिंग को देख कर मैंने उन्हें उत्तर दिया- पापाजी, मुझे दिखाई दे रहा है कि आपकी कामवासना जागृत हो चुकी है और आप एक बार फिर से रात जैसा आनन्द लेना चाहते है। इस बारे में आपको पूछने की ज़रूरत नहीं है। जब तक मैं अमेरिका नहीं चली जाती तब तक आप को जब भी यह आनन्द उठाना हो आप बिना झिझक आनन्द उठा सकते हैं।
मेरी बात सुन कर ससुरजी बोले- कामना, सच कहूँ तो तुमने मेरी सोई हुई कामवासना जगा दी है। तुमने जितना आनन्द मुझे रात को दिया था उतना ही आनन्द तुम्हारी स्वर्गीय सास भी मुझे दिया करती थी। तुमने बिल्कुल ठीक कहा है कि मेरी बहुत इच्छा कर रही है कि हम दोनों अभी इसी समय एक बार फिर से उसी आनन्द और संतुष्टि को प्राप्त करें।
उनकी बात सुन कर मेरी भी कामवासना जाग उठी इसलिए मैंने कहा- पापाजी, मैं भी आप को बताना चाहूँगी कि रात को मुझे भी उतना ही आनन्द और संतुष्टि प्राप्त हुई है जितनी आपका बेटा अजय मुझे देता है। मैं तो उस समय भी यही समझ रही थी कि अजय ही मेरी कामवासना को शांत कर रहा है।
फिर मैंने अपनी टाँगे चौड़ी करते हुए उन्हें कहा- पापाजी, नेकी और पूछ पूछ किस लिए? लीजिये मैं आप की कामवासना को शांत करने और आप को पूर्ण आनन्द देने के लिए तैयार हूँ। आइये जल्दी से आ जाइए, क्योंकि छह बजे कामवाली आ जाएगी।
मेरी बात सुन कर ससुरजी ने झुक कर मुझे होंठों पर चूमना शुरू कर दिया और एक हाथ से मेरे स्तनों एवं चुचूकों को मसलना तथा अपने दूसरे हाथ की बड़ी उंगली को मेरी योनि में डाल कर घुमाने लगे।
पांच मिनट के बाद ससुरजी ने मेरे होंठों को छोड़ दिया और मेरे स्तनों को मसलने एवं चूसने लगे तथा मेरी योनि के अंदर मेरे जी-स्पॉट को अपनी उंगली से रगड़ने लगे।
उनकी इस हरकत के कारण मैं शीघ्र ही उत्तेजित हो उठी और अपने चूतड़ उठा कर उनका साथ देने लगी तथा मुँह से ऊँचे स्वर में सिसकारियाँ भरने लगी।
मेरी सिसकारियां सुन कर ससुरजी बहुत ही उत्तेजित हो उठे और अगले ही क्षण वह मेरे ऊपर चढ़ गए और अपने पूर्व-रस से भीगे हुए लिंग को मेरी गीली योनि में डाल कर आहिस्ता आहिस्ता अन्दर बाहर करने लगे।
उनके लिंग के मेरी योनि के अंदर जाते ही योनि में झनझनाहट होने लगी और उसने सिकुड़ कर ससुरजी के लिंग को अपने बाहुपाश में जकड़ लिया।
लगभग दस मिनट तक इस संघर्ष के बाद जब मैं और भी अधिक उत्तेजित हो उठी तब उन्होंने मेरे कहने पर तेज़ी से धक्के मारने शुरू कर दिए।
उनके तेज़ धक्कों से मेरी योनि के अंदर हलचल बढ़ गई और कुछ ही क्षणों में उसमें से योनि-रस की धारा निकल पड़ी।
मेरे रस के कारण योनि में फिसलन बढ़ गई जिसकी वजह से ससुरजी को धक्के मारने में आसानी हो गई और उन्होंने अपने धक्कों की गति को बहुत ही तीव्र कर दिया।
अब पूरे कमरे में मेरी सिसकारियों के साथ साथ मेरी योनि में से निकलने वाली ‘फच फच’ की आवाजों का संगीत गूंजने लगा।
उस मधुर संगीत के रोमांचकारी मौहौल में हम दोनों इतने उत्तेजित हो उठे की अगले पांच मिनट के बाद मेरा पूरा जिस्म अकड़ गया और मेरी योनि के अंदर अति-अधिक खिंचावट होने के कारण ससुरजी के लिंग पर बहुत तेज़ रगड़ लगी।
उस रगड़ के कारण ससुरजी का शरीर भी अकड़ गया और मुझे मेरी योनि के अंदर उनके लिंग के फूलने का एहसास होने लगा।
अगले ही क्षण दो या तीन धक्कों के बाद ससुरजी एवं मेरे मुँह से बहुत ही ज़ोरदार चिंघाड़ एवं सिसकारी निकली और उसके साथ ही दोनों के गुप्तांगों में से उनके रसों की बौछार हो गई।
हम दोनों के गुप्तांगों ने इतना अधिक रस छोड़ा कि मेरी योनि पूरी भर गई और उसमें से रस बाहर भी निकलने लगा था।
हम दोनों बुरी तरह हांफ रहे थे और दोनों के बदन पसीने से भीगे हुए थे और ससुरजी मेरे ऊपर लेटे हुए अपनी साँसों को नियंत्रण कर रहे थे।
दस मिनट तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद ससुर जी बिस्तर से उठे और मुझे भी उठा कर बाथरूम में ले जाकर उन्होंने मेरी योनि और अपने लिंग को अच्छे से साफ़ किया और मुझे नाइटी पहना कर बिस्तर पर लिटा दिया।
फिर वह बनियान और लुंगी पहन कर नीचे झुक कर मेरा चुम्बन ले रहे थे तभी मुख्य द्वार की घंटी ने बज कर कामवाली के आने की घोषणा कर दी।
एक माह के बाद जब मेरे हाथों का प्लास्टर उतर गया तब मैं अपनी कामवासना की संतुष्टि के लिए हर रात ससुरजी के कमरे में जाती और दोनों अलग अलग आसनों में क्रिया को करते हुए आनन्द उठाते।
उसके बाद मैंने कामवाली को हटा दिया और मेरा अमेरिका का वीसा आने तक लगभग अगले साढ़े तीन माह तक ससुरजी और मैंने अपनी कामवासना के आनन्द और संतुष्टि के लिए जब भी इच्छा होती, सम्भोग करते थे।
हमने अपने घर की बैठक, बैडरूम, बाथरूम, रसोई, स्टोर, आँगन तथा हर कोने में किसी न किसी आसन में सम्भोग किया और संतुष्टि पाई।
जिस दिन मैंने अमेरिका की फ्लाइट पकड़नी थी उससे सात दिन पहले ही ससुरजी ने छुट्टियाँ ले ली थी और दिन हो या रात वह रोजाना चार चार बार मेरे साथ सम्भोग कर के मेरी और अपनी कामवासना को शांत करते थे।
मेरे अमेरिका आने के बाद ससुरजी अकेले रह गए थे और मुझे बहुत याद करते रहते थे तथा वह अकसर मेरे साथ स्काइपी पर वीडियो चैट करते समय अपना लिंग निकाल कर हस्त-मैथुन कर के दिखाते थे।
ससुरजी हर वर्ष तीन माह के लिए हमारे पास रहने के लिए अमेरिका आते हैं और उन तीन माह में मेरी कामवासना की संतुष्टि दिन के समय तो ससुरजी और रात के समय अजय करते हैं।
अगले माह ससुरजी तीन माह के लिए हमारे पास रहने आ रहे है और मुझे आशा है कि पिछले चार वर्षों की तरह इस बार भी उनके साथ कामवासना संतुष्टि का अत्यंत मनोरंजक कार्यक्रम चलेगा।

FUN-MAZA-MASTI एक ससुर और बहु के बीच में मर्यादा--3

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 एक ससुर और बहु के बीच में मर्यादा--3

मेरी बात सुन कर ससुरजी का मुख खुला का खुला ही रह गया और धम्म से बिस्तर पर बैठते हुए बोले- कामना, तुम यह क्या कह रही हो? तुम मेरी बहू हो, मैं तुम्हारे साथ ऐसा कुछ भी करने की सोच भी नहीं सकता और ना ही करना चाहूँगा।
मैं रोष दिखाते हुए कहा- जब आप कुछ करना नहीं चाहते तो फिर यह चिंता का ढोंग किस किये कर रहे हैं? मेरे लिए चिंतित दिखने का झूठा नाटक क्यों कर रहे हैं?
मेरी बात सुन कर वह बोले- नहीं कामना, तुम गलत सोच रही हो। मुझे तुम्हारी चिंता है इसीलिए रात के समय तुम्हे इस हालत में देख कर मैं परेशान हो गया था। जो बात तुमने स्त्रियों के बारे में कही है वह मैं जानता हूँ लेकिन तुम्हारे परिपेक्ष में मैं वह सोच ही नहीं सकता हूँ।
मैं भड़क उठी और कह दिया- क्यों नहीं सोच सकते? क्या आप एक पुरुष नहीं हो? क्या आपको पता नहीं की जब एक स्त्री उत्तेजित हो जाती है तब उसकी क्या हालत होती है? जब सासू माँ जिन्दा थी तब क्या उन्हें भी आप इस तरह पसीने में भीगे देख कर डॉक्टर को बुलाने जाते थे?
मेरे कथन के उत्तर में उन्होंने कहा- मैं यह सब जानता और समझता हूँ लेकिन तुम्हारी सास मेरी पत्नी थी।
मैंने तुरंत कह दिया- लेकिन सासू माँ भी एक स्त्री थी इसीलिए तो वह आप की पत्नी बनी थी। आप अपनी पत्नी की नहीं एक स्त्री की कामवासना का इलाज़ करते थे और उसको संतुष्टि देते थे। मैं भी एक स्त्री हूँ जो उसी तरह की गर्मी और जलन से तड़प रही हूँ तो फिर आप मेरी कामवासना का इलाज़ करके मुझे संतुष्ट क्यों नहीं कर देते?
इसके बाद ससुरजी ने बहुत से तर्क दिए लेकिन मैंने उनकी एक भी तर्क को स्वीकार नहीं किया और सरकते हुए उनके पास पहुँच गई तथा उनकी जाँघों पर अपना सिर रखने लगी।
अब चौंकने की बारी मेरी थी…
क्योंकि जैसे ही मैं सिर नीचे रखने के लिए झुकी तभी ससुरजी झटके से उठ कर खड़े हुए और उनकी लुंगी आधी मेरे नीचे बिस्तर पर थी और बाकी की आधी फिसल कर फर्श पर गिर पड़ी थी।
हुआ ऐसे था कि मेरे उनके पास सरकते समय उनकी लुंगी का कुछ अंश मेरे शरीर के नीचे आ गया था और जब ससुरजी झटके से उठे तब उनकी लुंगी की गाँठ खुल गई और वह उनके शरीर से अलग हो गई।
हड़बड़ाते हुए नग्न ससुरजी अपने एक हाथ से अपने तने हुए लिंग को छुपाते हुए और दूसरे हाथ से मेरे नीचे से अपनी लुंगी खींचने लगे।
उनकी झल्लाहट देख कर मैंने उनसे कहा- पापाजी, शायद ऊपर वाला भी यही चाहता है कि आप मेरी कामवासना की संतुष्टि करें। तभी तो उसने आपकी लुंगी को आपके तन से अलग कर दी है।
मैंने आगे कहा- आप इस तने हुए लिंग को अभी बाथरूम में लेजा कर हस्त-मैथुन करके शांत करें लेंगे लेकिन वह नहीं करेंगे जिस एक ही क्रिया से हम दोनों को कामवासना को शांति एवं संतुष्टि मिल जाए।
मेरी दलील सुन कर ससुरजी का ह्रदय परवर्तन हो गया और उन्होंने लुंगी का छोर और अपने लिंग को छोड़ दिया और बनियान उतारते हुए पूर्ण नग्न मेरे नज़दीक आ कर खड़े हो गए।
मेरे दोनों हाथ प्लास्टर में बंधे होने के कारण मैं तो ससुरजी के किसी भी अंग को छू नहीं सकी लेकिन उनके तने हुए लिंग को हसरत भरी नजरों से देखती रही।
उनके लिंग और मेरे पति के लिंग में इतनी समानता थी कि कुछ क्षण के लिए तो मैं समझी कि मेरे पति ही मेरे सामने खड़े है क्योंकि दोनों लिंगों का रंग, रूप, आकार और नाप बिल्कुल समरूप था।
मेरे पति की तरह मेरे ससुर का लिंग भी साढ़े छह इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा था तथा दोनों के सुपारे की त्वचा का रंग, रूप एवं आकार भी एक जैसा ही थी।
फिर ससुरजी ने मुझे सहारा देकर बिस्तर पर बिठा दिया और मेरी नाइटी को ऊपर कर के मेरे शरीर से अलग कर दी तथा मेरी टांगों से मेरी पैंटी भी उतर कर मुझे पूर्ण नग्न कर दिया।
इसके बाद वे मेरे बहुत पास आ गये तथा मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथों मे ले कर मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिया।
अगले दस मिनट तक हम दोनों चुम्बन का आदान प्रदान करते रहे और साथ में ससुरजी अपने हाथों से मेरे स्तनों को दबाते और चुचूकों को उँगलियों से मसलते रहे।
दस मिनट के बाद उन्होंने मेरे दोनों स्तनों पर हमला कर दिया और उन्हें बारी बारी चूसने लगे जिसके कारण मुझे अपने शरीर में चींटियाँ रेंगती महसूस होने लगी थी।
मेरे स्तनों और चुचुकों में बहुत तनाव आ गया और वे एकदम सख्त हो गये थे एवं उनका आकार भी बढ़ गया था।
ससुरजी जब मेरी चुचूकों को चूस रहे थे तब मेरे स्तनों में से उत्तेजना की तरंगें मेरी नाभि से होती हुई मेरी योनि तक पहुँच रही थी जिसके कारण मेरी योनि पूर्व-रस के रिसाव से बिल्कुल गीली हो गई थी।
दस मिनट तक मेरे स्तनों को चूसने के बाद जब ससुरजी ने खड़े हो कर अपने तने हुए लिंग को मेरे ओर बढ़ाते हुए मेरे होंठों के पास लाये



FUN-MAZA-MASTI एक ससुर और बहु के बीच में मर्यादा--2

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 एक ससुर और बहु के बीच में मर्यादा--2

 रात का एक बज चुका था और ससुरजी जब मेरे कमरे की लाईट बंद करके अपने कमरे में सोने के लिए जाने लगे तब मैंने उन्हें कहा– पापाजी, रात में मुझे बाथरूम में जाने एवं पैंटी उतरवाने के लिए आपकी ज़रूरत पड़ सकती है इसलिए आप मेरे कमरे में मेरे साथ वाले बिस्तर पर ही सो जाइए।
ससुरजी मेरी बात सुन कर थोड़ा झिझके लेकिन फिर बोले- अच्छा, मैं अपने कमरे की लाईट बंद करके आता हूँ।
लगभग पांच मिनट के बाद वह आ कर मेरे साथ वाले बिस्तर पर मेरी ओर पीठ कर के सो गए।
रात में मुझे दो बार बाथरूम जाना पड़ा जिसके लिए मैंने ससुरजी का सहारा लिया और अपनी वासना की तृप्ति के लिए उनसे हर बार अपनी योनि में उंगली डलवा कर सफाई भी करवाई।
क्योंकि मेरी उत्तेजना एवं वासना की तृप्ति हो चुकी थी इस कारण मैं भी निश्चिन्त हो कर नींद की गोद में खो गई और सुबह बहुत देर तक सोई रही।
ससुरजी मेरे कमरे से कब उठे कर गए मुझे पता ही नहीं चला और मेरी नींद तब खुली जब कामवाली मेरे कमरे की सफाई करने के लिए आई थी!
मुझे इतनी गहरी नींद आई थी कि मुझे कामवाली के आने का और ससुरजी के काम पर जाने का पता भी नहीं चला था।
दिन तो दो-तीन बार कामवाली बाई के सहारे सामान्य रूप से बीत गया लेकिन रात कैसे बीतेगी, मुझे इसकी चिंता सताने लगी थी।
रात को दस बजे जब ससुरजी सोने जाने से पहले मुझे देखने तथा मेरे कमरे की लाईट बंद करने आये तब मुझसे पूछा- कामना, मैं सोने जा रहा हूँ। अगर तुम्हे कुछ चाहिए तो बता दो, मैं अभी दे जाता हूँ।
मैंने कहा- पापाजी, सब कुछ तो कामवाली रख गई है। अभी तो मुझे बाथरूम के लिए आपका सहारा चाहिए है। आप रात की तरह यहीं मेरे साथ वाले बिस्तर पर सो जाइए क्योंकि रात को भी तो बाथरूम जाने के लिए मुझे आपकी ज़रुरत पड़ेगी। एक बार तो अभी ही जाना पड़ेगा।
मेरी बात सुन कर ससुरजी ने मुझे उठा कर खड़ा किया और मेरी कमर को पकड़ कर सहारा देते हुए मुझे बाथरूम में ले गए।
वहाँ मेरे कहे अनुसार उन्होंने मेरी नाइटी को ऊँचा करके मेरी पैंटी को उतरा और मुझे पॉट पर बिठा दिया।
फिर उन्होंने मेरी पैंटी में से सैनिटरी नैपकिन उतार कर डस्ट-बिन में और पैंटी को धोने वाले कपड़ों में डाल दिया।
इसके बाद वह कमरे में जा कर एक साफ़ पैंटी पर नया सैनिटरी नैपकिन चिपका कर ले आये।
उनके आने पर मैंने अपनी टाँगें चौड़ी करके उन्हें मेरी योनि की सफाई के लिए संकेत दिया।
मेरे संकेत को समझ कर वह मग में पानी भर कर ले आये और पानी के छींटे मार कर अपने हाथ से मेरी योनि को मल मल कर साफ़ कर दिया।
फिर मेरे बिना कहे ही उन्होंने अपनी बड़ी उंगली मेरी योनि के अन्दर आठ-दस बार डाल कर उसे साफ़ किया और फिर बाहर से उसे धो कर उसमें से निकला खून और योनि रस भी साफ़ कर दिया।
इसके बाद उन्होंने मुझे सेंट्री नैपकिन लगी हुई साफ़ वाली पैंटी पहना कर मुझे सहारा देते हुए बिस्तर पर लिटा दिया और कमरे की लाईट बंद खुद भी साथ वाले बिस्तर पर सो गए।
पिछली रात की तरह उस रात को भी मैंने दो बार ससुरजी के सहारे से बाथरूम में जा कर अपनी वासना की तृप्ति के लिए उनसे हर बार अपनी योनि में उंगली डलवा कर सफाई भी करवाई।
उस रात भी मुझे बहुत अच्छी नींद आई और मैं सुबह तक एक ही करवट सोती रही तथा कामवाली ने ही मुझे जगाया था।
यही सिलसला अगले तीन दिनों तक यानि की मेरे मासिक धर्म के आखिरी दिन तक चलता रहा और मैं उन सभी दिनों में बहुत ही संतुष्ट एवं खुश रहती थी।
पांचवीं रात यानि की मासिक धर्म बंद होने की आखरी रात को जब ससुरजी ने मेरी योनि की सफाई करी और उन्होंने अपनी उंगली पर खून नहीं लगा पाया तब उन्होंने मुझे वह उंगली दिखाते हुए कहा- कामना, अब तो तुम्हारा मासिक धर्म बंद हो गया है क्योंकि आज तो तुम्हारी योनि से खून नहीं निकला है।
उनकी बात का उत्तर देते हुए मैंने कहा- हाँ पापाजी, मासिक धर्म को होते हुए आज पांच दिन पूरे होने को है इसलिए बंद तो हो जाना चाहिए, लेकिन फिर भी आज की रात तो सफाई करनी ही पड़ेगी।
मेरी बात सुन कर ससुरजी ने अपनी उंगली कई बार मेरी योनि में डाल कर घुमाते रहे जब तक की मेरा रस नहीं निकल गया।
फिर उन्होंने उसे अच्छी तरह से मल मल कर धोया ओर साफ़ करके मुझे पैंटी पहना कर सहारा देते हुए बिस्तर पर ला कर लिटा दिया और मेरे साथ वाले बिस्तर पर सो गए।
जल्द ही ससुरजी के खराटे सुनाई देने लगे लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मैं आगे आने वाले दिनों के बारे में सोच रही थी।
मुझे चिंता थी की मेरे मासिक धर्म बंद होने के बाद जब मैं पैंटी पहनना बंद कर दूंगी तब तो मैं बाथरूम आदि के लिए ससुरजी से सहारा भी नहीं मांग सकूँगी और उस स्थिति में मेरी कामवासना की आग की संतुष्टि कैसे होगी?
मेरे मस्तिष्क में अगले दिन से फिर कामवासना की आग में तड़पने का ख्याल आते ही मेरा शरीर काम्प उठा और मैं उठ कर बैठ गई तथा मुझे पसीने आने लगे।
तभी ससुरजी ने करवट बदली और मुझे बैठे हुए पाया तो उन्होंने समझा कि मुझे बाथरूम जाना है इसलिए तुरंत लाईट जला कर मुझे देखने लगे।
मेरे चेहरे और बदन पर पसीना देख कर वह घबरा उठे और चिंतित स्वर में पूछा- क्या हुआ कामना, तुम ठीक तो हो? तुम्हें इतना पसीना क्यों आ रहा है?
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूँ इसलिए कह दिया- मैं ठीक हूँ पापाजी, ऐसी कोई बात नहीं है! बस थोड़ी गर्मी से परेशान हूँ और समझ नहीं आ रहा कि क्या करूँ।
जब ससुरजी ने पूछा- पंखा चला दूँ क्या?
तब मैं समझ गई कि उनकी तरफ से बात आगे नहीं बढ़ेगी और मुझे ही कुछ कहना तथा करना होगा।
इसलिए मैंने कहा- नहीं, यह गर्मी पंखे की हवा से दूर होने वाली नहीं है। आप सो जाइए क्योंकि मुझे लगता है कि आपसे इसका कोई भी इलाज़ नहीं हो सकता।
ससुरजी ने फिर पूछा- अगर इसका इलाज़ मुझसे नहीं हो सकता तो डॉक्टर तो कर सकता है। मैं अभी डॉक्टर को फ़ोन करके पूछ लेता हूँ।
जब मैंने देखा की वह उठ कर डॉक्टर को फ़ोन करने के जाने लगे थे तब मैं बोल पड़ी- डॉक्टर से पूछ कर क्या मिलेगा? वह अपनी फीस झाड़ने के लिए आ जायेगा और कुछ महंगी दवाइयाँ लिख कर दे जाएगा।
फिर थोड़ा रुक कर अपनी सांस को नियंत्रण में रखते हुए कहा- पापाजी आप तो शादीशुदा रह चुके हो, आपको तो पता ही होगा कि स्त्रियों की गर्मी का इलाज़ कैसे करते हैं। क्या आप मेरा वैसा इलाज़ नहीं कर सकते?

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