Wednesday, November 4, 2015

FUN-MAZA-MASTI ठरकी की लाइफ में ..37

FUN-MAZA-MASTI

 ठरकी की लाइफ में ..37



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अब आगे
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उसके बाद अजय काम मे लग गया....क्योंकि ऐसे आशिक़ी करने से उसका खर्चा तो चलने वाला नही था...काम करना भी ज़रूरी था...इसलिए अगले 4 घंटों तक वो जमकर काम करता रहा....रिपोर्ट्स बनाई...एक मीटिंग करी....कुछ इंटरव्यूस थे, वो लिए...कुल मिलाकर काफ़ी प्रोडुकटिव दिन रहा उसका..

करीब 5 बज चुके थे...एक घंटा और था अभी घर जाने के लिए...रास्ते में उसे रचना से काफ़ी बातें करनी थी...और शायद कोई मौका भी मिल जाए उसे कुछ-2 करने का...

और घर जाकर उसे पूजा को भी तो रात को अपने घर बुलाने का कोई बहाना ढूँढना था...ऑफीस के काम और रचना के बारे में सोचते-2 वो उस बारे में भूल ही चुका था...

उसने जल्दी से पूजा को फोन मिलाया...

दूसरी तरफ से गहरी साँसे लेती और बिल्कुल धीरे से पूजा की सेक्सी आवाज़ आई : "हेलो.....''

जवाब में अजय ने एक किस्स्स कर दी : "मुच्च्चsssssssssss....''

दूसरी तरफ उसकी साँसे और तेज हो गयी...और वो बोली : "क्यों सता रहे हो जीजू....पहले से ही आपने परेशान करके रखा है....''

अजय : "क्यो जी...मैने ऐसा क्या कर दिया...''

पूजा : "रहने दो अब....पता है...आज मॉर्निंग में तो मैने बिना कुछ सोचे समझे आपको सब कुछ करने के लिए बोल दिया...और मैं तैयार भी हो गयी थी....और आप है की मुझे सताने के लिए वो सब रात तक के लिए टाल दिया...अच्छा भला मौका था मॉर्निंग में ...अब रात को पता नही क्या होगा...कैसे आउंगी मैं आपके पास...मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा है...प्लीज़ जीजू....कुछ करो...अब मुझसे रहा नही जा रहा ....''

उसकी बाते सुनकर अजय का लंड एकदम से कड़क हो चुका था....भले ही पूजा अभी कुँवारी थी..लेकिन चुदने की चुदासी इस वक़्त उसमे इतनी बुरी तरह से भरी हुई थी की वो कुछ भी करने को तैयार थी इस वक़्त...इसलिए अजय को किसी भी हाल में उसे आज की रात चोदना ही था...उसकी सील तोड़नी ही थी...

उसने तो अभी तक कोई तरीका सोचा भी नही था की किस बहाने से वो उसे अपने घर बुलाए...रात भर के लिए बुलाना कोई आसान काम नही था...उसने कुछ देर सोचा और बोला : "देखो पूजा...तुम्हारी दीदी...यानी मेरी बीबी...और तुम्हारी माँ ..यानी मेरी सास...तुम्हे किसी भी हालत में रात भर के लिए मेरे घर तो भेजने से रहे...इसलिए कोई ऐसा बहाना लगाओ की तुम रात भर के लिए कहीं बाहर रुक सको...जैसे....जैसे....हाँ ..एक काम करो...तुम्हारी फ्रेंड है ना वो...सोनी...उसके घर जाने का बहाना लगा दो..बोलो की उसके घर वाले कहीं गये है और वो रात भर के लिए तुम्हे अपने पास बुला रही है...और तुम वहां के लिए निकलना ज़रूर, लेकिन थोड़ी देर बाद इधर-उधर घूमकर मेरे घर आ जाना...चुपके से...और इस तरह रात भर के लिए तुम मेरे पास रहोगी...और फिर....''

पूजा को शायद ये आइडिया पसंद आ गया...वैसे भी और कोई चारा नही था ऐसे बहाने बनाने के अलावा...

वो बोली : "हाँ ...ये ठीक है....मैं अभी घर पर बात करती हू...''

उसे इतनी जल्दी थी की बाकी की योजना सुनने के लिए रुकी ही नही...उसने झट से फोन काट दिया...ताकि वो अपनी माँ से बात कर सके...

करीब 10 मिनट बाद उसका फोन आया....

अजय : "हाँ बोलो....क्या हुआ...बात हुई क्या....तुम्हारी मॉम मान गयी क्या....''

वो थोड़ी देर तक चुप रही...और उसकी चुप्पी को महसूस करके अजय समझ गया की कुछ तो गड़बड़ है..

वो धीरे से बोली : "मैने बात की मॉम से....वो मान भी गयी थी....पर एन वक़्त पर दीदी ने सब गड़बड़ कर दिया...''

अजय : "प्राची ने....उसने क्या कर दिया अब....''

वो मन ही मन प्राची को गालियां निकालने लगा...

पूजा : "वो बोली....ऐसे किसी के घर पर रात को जाना सही नही है....तुम रिया को साथ लेकर जाओ...तुम तीनो की कंपनी बनी रहेगी...''

अजय ने अपना माथा पीट लिया....प्राची ने अच्छी भली योजना का बंटा धार कर दिया था...रात भर के लिए पूजा उसके पास आएगी तो ज़रूर लेकिन रिया के साथ...और वो अच्छी तरह से जानता था की रिया के सामने ना तो वो कम्फर्टेबल हो सकेगा और ना ही पूजा...

भले ही अजय उन दोनो को अलग-2 मज़े दे चुका था...लेकिन उन्हे एक साथ कैसे संभालेगा...क्योंकि दोनो ही कुँवारी थी...और एक ही रात में दोनो की सील तोड़ना उसके बस की बात तो नही थी...अगर वो हिम्मत कर भी ले तो पूजा की हालत देखकर वो अच्छी तरह से समझ पा रहा था की वो एक या दो चुदाई से संतुष्ट होने वाली नही है...उसे तो पूरी रात चोदना पड़ेगा...लेकिन रिया के होते हुए ये कैसे संभव हो पाएगा....

अजय : "तो तुमने क्या कहा....''


पूजा : "मैने तो कुछ भी नही कहा...अब उसे ले जाने से मना करती तो उन्हे शक हो जाना था हमपर...इसलिए मैने ये बात मान ली....''

अजय : "पर.....''

पूजा : "पर वर कुछ नही....ये प्रोग्राम फाइनल है बस....रिया को मैं संभाल लूँगी किसी तरह से...उसे दूसरे कमरे में भेज देंगे....या कुछ भी करेंगे....वो बाद की बात है....अब आज की रात मैं आपके पास रहूंगी....बस...''

इतना कहकर उसने फोन रख दिया...

अजय का सिर चकरा गया...क्योंकि पूजा ने तो बोल दिया था की रिया को दूसरे कमरे में भेज देगी..लेकिन वो अच्छी तरह से जानता था की उसके अंदर भी सेक्स का कितना बड़ा कीड़ा है...वो इतनी आसानी से तो मानने वाली नही है...

और दूसरी तरफ, अजय ने तो काफ़ी पहले से सोच रखा था की पूजा और रिया की चुदाई वो काफ़ी आराम से करेगा...एक ही रात में दोनो को निपटा डाले,ऐसा उतावलापन नही था उसमे...और ऐसा करके वो अपने मजे खराब नहीं करना चाहता था

उसने ठंडा पानी पिया और आँखे बंद करके बुदबुदाया ...'अब जो होगा..देखा जाएगा...'

6 बज चुके थे....इसलिए उसने अपना लेपटॉप बंद किया....बेग पैक किया....और सभी को बाइ-2 बोलता हुआ बाहर आ गया...गाड़ी के पास उसे रचना खड़ी हुई दिख गयी..

और उसके टेंशन भरे चेहरे पर एक बार फिर से मुस्कान आ गयी...

वो फिर से बुदबुदाया ...

'रात को जो होगा..वो होगा...अभी के लिए थोड़ा तैयारी कर ली जाए....'

और उसने अपने उभरते हुए लंड को मसलकर पूचकारा और अपनी कार की तरफ चल दिया...


दोनो कार में बैठे और आगे चल दिए.

अजय की नज़रें तिरछी होकर उसके सेक्सी बदन को निहार रही थी...उसने जो शर्ट पहनी हुई थी उसके बटन के गेप से उसे रचना की ब्रा सॉफ दिखाई दे रही थी...पिंक कलर की ब्रा उसके गुलाबी बदन से मैच कर रही थी..

और स्कर्ट के नीचे उसकी सुडोल टांगे भी काफ़ी गज़ब की लग रही थी...उसकी टाँगो पर हाथ फ़ेरकर वो उसकी चिकनाई को कल रात ही महसूस कर चुका था...शुरू में तो रचना को भी मजा आ रहा था...लेकिन बाद में उसने अपने माता पिता की वजह से अजय के हाथ को झटक दिया था ...अब वही कार थी...वही अजय था...और वही रचना भी...बस उसके माता पिता नही थे अब...इसलिए अजय के हाथ उसकी टाँगो पर फिसलने के लिए फिर से कुलबुला रहे थे...

थोड़ा आगे चलने के बाद अजय ने मेकडोनल्ड के टेकअवे काउंटर से फ्रेंच फ्राइस और कोल्ड ड्रिंकस ले ली...और वापिस जाने के लिए उसने जान बूझकर लंबा रास्ता चुना...ताकि घर पहुँचने में भी टाइम लगे..फिर वो आराम-2 से उससे बात करता हुआ..धीरे-2 कार चलाता हुआ..कोल्ड ड्रिंक के सीप भरने लगा...

अजय ने आख़िरकार अपने हाथ को उसकी टाँग से टच करवा ही दिया...रचना के चेहरे के एक्सप्रेशन्स फिर से बदल गये...उसकी साँसे तेज हो गयी...उसके शरीर में करंट सा दौड़ गया, जिसकी झनझनाहट अजय ने भी महसूस की, पर अजय ने हाथ नही हटाया...और अपनी उंगलियों से उसके माँस की नर्मी का मज़ा लेने लगा..




धीरे-2 उसके हाथो ने उसकी स्कर्ट को उपर खिसकना शुरू कर दिया..

वो अभी तक कुछ भी रिएक्ट नही कर रही थी...बस कसमसा कर अपनी सीट पर इधर उधर हो रही थी..

बाहर काफ़ी अंधेरा हो चुका था...इसलिए अजय के हाथ कुछ ज़्यादा ही बेफिक्री के साथ चल रहे थे..

अजय के मन में इस वक़्त किसी भी बात का डर नही था...उसकी हालत इस वक़्त ऐसे दौलतमंद इंसान की तरह थी जिसके बिज़नेस में अगर रिस्क लेकर छोटे-मोटे घाटे हो भी जाए तो उसे कोई फ़र्क नही पड़ने वाला था.....उसके पास इस वक़्त काफ़ी दौलत जो है .और रिस्क लेने के बाद अगर फायदा हो जाए तो वो दौलत किस हद तक बढ़ सकती है इसका भी उसे अच्छी तरह से पता था..
 


ठीक वैसे ही, अजय के दोनो हाथ पूरी तरह से चूतों से भरे हुए थे जो इस वक़्त उसके लिए दौलत के सामान ही थी ...ऐसे में थोड़ा बहुत रिस्क लेकर अगर वो रचना पर लाइन मारे और वो मना भी कर दे तो उसे कोई फ़र्क पड़ने वाला नही था...क्योंकि उसके मना करने के बाद भी उसके पास पूजा, रिया और अपनी सासु माँ की चूतें जो थी मारने के लिए … लेकिन वो अच्छी तरह से जानता था की ये रिस्क लेने मे नुकसान नही बल्कि फायदा ही होने वाला है..और उसकी लिस्ट में एक और नाम जुड़ने वाला है जिन्हे वो अपनी इच्छानुसार चोदेगा

इसलिए उसने बिना कोई देरी किए आज से ही ऐसे बिहेव करना शुरू कर दिया था जैसे वो ये काम ना जाने कब से करता चला आ रहा ...

और मज़े की बात ये थी की रचना भी उसे मना नही कर रही थी..

अजय ने थोड़ी और हिम्मत की और अपना हाथ उसकी जांघो के बीच खिसका दिया...और उसका हाथ रचना की गीली पेंटी से जा टकराया..



अब तो रचना के शरीर में कसाव सा आना शुरू हो गया...उसने अजय के हाथ को अपनी टाँगो के बीच जकड़ लिया...और धीरे से बोली : "क......क्या कर रहे हो सर......''

अजय ने कुछ जवाब नही दिया...

और अपने हाथ को थोड़ा और अंदर खिसका कर उसकी दरार पर अपनी उंगली मसल दी...

एक महीन सी सिसकारी उसकी कार में गूँज गयी..और उसकी आँखे बंद हो गयी...

कार अपनी गति से चलती जा रही थी..

बाहर से किसी को भी पता नही चल रहा था की अंदर क्या चल रहा है...अजय की कार ऑटोमॅटिक गियर वाली थी...इसलिए उसे अपना हाथ उसकी जाँघो से निकालना भी नही पड़ रहा था..



अजय ने जब अपनी बीच वाली उंगली से उसकी चूत की परत को कुरेदा तो एक लंबी सी सिसकारी के साथ रचना का हाथ उसके लंड पर आ गिरा..

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सिीर.....''



ये तो अजय ने एक्सपेक्ट भी नही किया था...रचना ने उसके लंड के उपर हाथ रखकर उसे धीरे से दबाया...अजय ने भी अपने हाथो की बंदिश और कड़ी कर दी ....

ये शायद रचना की जिंदगी का पहला लंड स्पर्श था, इसलिए उसे पकड़कर उसकी आँखों में वासना के बादल साफ़ देखे जा सकते थे

कार रेड लाइट पर रुकी तो दोनो एक दूसरे की तरफ ऐसे देख रहे थे जैसे खा ही जाएँगे....

पहले ही दिन अजय ने रचना के अंदर चुदाई का एहसास जगा दिया था...

लेकिन अभी के लिए अजय कुछ भी नही करना चाहता था...क्योंकि आज तो वो पहले से ही काफ़ी दौलतमंद था...यानी एक कुँवारी चूत का उद्घाटन जो करना था उसे...इसलिए उसने अपना हाथ वापिस खींच लिया...और वैसे भी रचना का घर आने ही वाला था..

रचना तो अंदर से सोच रही थी की शायद अजय कहीं और लेकर चलेगा उसे....कहीं अंधेरे में जाकर कुछ करने की कोशिश करेगा...किस्स करेगा...पर ऐसा कुछ भी नही हुआ....उसने सिर्फ़ उसकी चूत में उंगली मारकर एक कभी ना बुझने वाली आग जला दी उसमे..

रचना का घर जब आया तो उसने अजय को थेंक्स कहा...और फिर एकदम से आगे बड़कर अजय के होंठों पर एक छोटी सी किस्स कर दी ...और तेजी से कार के बाहर निकल गयी..

अजय तो बस उसकी लिपस्टिक को अपने होंठों पर रगड़ता हुआ उसे दूर जाता देखता रह गया..

घर जाते हुए वो होल-2 मुस्कुरा रहा था...

और रात के लिए अपने लंड को सहला कर अभी से तैयार भी कर रहा था.


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