Sunday, November 8, 2015

FUN-MAZA-MASTI ससुराल की रंगरेलियां--2

FUN-MAZA-MASTI

ससुराल की रंगरेलियां--2






जगमोहन को पता था कि डॉली सारा दिन घर पर रहेगी तो किसी न किसी दिन उसे पता तो चलेगा ही. इसी लिए उन्होंने योजना बना रखी थी कि डॉली को थोड़े दिन में किसी प्रकार से अपनी इन गतिविधिओं में शामिल कर लेंगे. पर आज अचानक से यह स्थिति आ गयी तो उन्हें लगा कि अब वो दिन आ गया है.


उसने डॉली का हाथ पकड़ लिया और पूछा,

उस कमरे में कुछ भूत है क्या? आओ चल कर देखते हैं बेटी.


डॉली इस सब बातों से अनजान थी. पर वो नहीं चाहती थी कि उसकी सास कि उसके ससुर इस अवस्था में देखे.

नहीं पापा जी...कुछ नहीं हैंवो बोली.

अरे नहीं बहूँ. डर का हमेशा सामना करना चाहिए.कहते हुए जगमोहन अपनी बहु को लगभग खींचता हुआ कमरे के अन्दर ले गया.


राजेश्वरी देवी अपनी पीठ पर सीधा लेती हुईं थीं. उनके दोनों पैर हवा में थे. और सुरजमोहन अपना मोटा लंड उनकी चूत में अन्दर बाहर पेल रहा था. चूत गीली थी हर झटके में चपर चपर की आवाज आती थी.


मनोरमा शर्म के मारे वो सब देख नहीं पा रही थी. अगर उसके ससुर ने उसका हाथ नहीं पकड़ रखा होता तो वो वहां से भाग ही जाती. पर उसकी हैरानी उस समय दुगुनी हो गयी जब उसने अपने ससुर मुस्कराते हुए देखा.


सूरज भाई, और जोर से पेलो अपनी भाभी को. जरा हमारी बहू भी तो देखे की हम लोग भी किसी जवान लड़के से कम नहीं हैं.
जब जगमोहन ये बोले, तब जा कर राजेश्वरी देवी और सुरजमोहन को पता चला कि कमरे में और दो लोग हैं. दोनों ने जगमोहन की तरफ देखा और मुस्करा दिए. उनके चुदाई के काम में को भी रुकावट नहीं आयी.
डॉली अब थोडा थोडा समझ गयी कि मामला थोडा पेंचीदा है. पर उसकी समझ में ये गया कि सास ससुर खुल कर जीवन का आनंद लेते हैं. ससुर ने अपने दुसरे हाथ से अपना लंड पतलून से बाहर निकाल लिया. और डॉली का हाथ अपने लंड पर रख दिया.

डॉली तो मानों चौंक उठी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कुछ हो रहा है, पर ये सब देख कर उसकी चूत थोड़ी गीली सी हो गयी थी. उसने सोचा कि अगर वो इस कमरे से जबरदस्ती भाग गयी, तो उसके सास ससुर उसे परेशान करेंगे. उसके बारे में पता नहीं क्या कुछ विजय के कान भर के उसे घर से निकलवा दें. उसने खुद को हालात के ऊपर ही छोड़ देना उचित समझा.
वह नीचे देख रही थी. उसका हाथ उसके ससुर ने जबरदस्ती खींच कर अपने लंड पर रखा हुआ था. डॉली ने अपना हाथ से धीरे धीरे ससुर के लंड को सहलाने लगी. ससुर का लंड खड़ा हो चुका था. वो डॉली को लेकर बिस्तर के कोने में बैठ गया. उसकी पत्नी और उसका भाई अभी चुदाई कर रहे थे और बिस्तर हर झटके पर हिल रहा था. जगमोहन ने डॉली का ब्लाउज और ब्रा उतार दिए और उसकी गोल गोल चुंचियां सहलाने लगे. डॉली एक दम गरम हो चुकी थी. ससुर ने उसे नीचे बैठा दिया और अपना खड़ा लंड उसके होठों पर लगा दिया. डॉली ने ससुर का इशारा समझते ही उनका लंड मुंह मने ले लिया और उसे धीरे धीरे चुभलाने लगी. ससुर जी बहु के मुखचोदन करने लगे. थोड़े देर डॉली के मुंह का आनंद लेने के बाद उन्होंने डॉली को राजेश्वरी देवी के बगल में लिटा दिया.

देखो तुम्हारी सास पूरी नंगी है, इस लिए तुम्हें भी नंगा होना पड़ेगा बहूँ”, जगमोहन बोले.

डॉली के रहे सहे कपडे भी दो मिनट में उतार फेंके. दोनों हाथों से उसकी टाँगे चौडी कि और डॉली की चूत कि फाँकें चाटने लगे. डॉली गहरी सीत्कारें भर रही थी. इसी बीच उसकी सासू माँ उसकी चुंचियां दबाने लगीं. जगमोहन अपनी जीभ से डॉली कि चूत जो चोदने लगा. डॉली थोड़ी ही देर में झड गयी.

जगमोहन उठ कर बैठ गया. उसने अपना लंड डॉली कि चूत के मुहाने पर टिकाया और एक जहतक लगाया. आधा लंड डॉली कि चूत में घुस कर जैसे अटक सा गया. डॉली निहाल हो उठी. ससुर ने दुसरे ही झटके में पूरा का लंड अन्दर पेल दिया.
इसी बीच सूरजमोहन और राजेश्वरी देवी कि चुदाई जोर पकड़ गयी थी. थोड़ी ही देर में दोनों झड गए.
जगमोहन ने डॉली को चोदना चालू कर दिया. सूरजमोहन और राजेश्वरी उसके अगल बगल बैठे थे. राजेश्वरी उसकी चुन्चिया चूस रहीं थीं. सुरज्मोहन ने अपना लंड डॉली के मुंह में दे रहा था. डॉली को बड़ा अनद आ रहा था. एक लंड उसके मुंह कि चुदाई कर रहा था और दूसरा लंड उसकी चूत नाप रहा था. ऊपर से सास उसकी चुंचियां पी रही थीं. वह अपने ऊपर हो रही इस सारी कार्यवाही को बर्दाश्त न कर सकी और झड गयी. पर ससुर का लंड तो अभी भी ताना हुआ था और वो एक जवान छोकरे की तरह उसके पेले जा रहा था.

थोड़ी देर में ससुर ने उसको पलट के कुतिया के पोस में खड़ा किया. और खुद आ गया उसके मुंह के सामने.

लो बहु थोडा मेरा लंड चुसो. अब मेरा भाई सूरजमोहन तुम्हारी लेगा
डॉली समझ गयी थी कि आ उसकी जम के चुदाई होने वाली है. और उसने वो स्थिति का पूरा फायदा उठाना चाहती थी. उसने गपाक से ससुर का लंड अपने मुंह में ले लिया. अपनी ही चूत के रसों से सना हुआ लंड चाटना थोडा अजीब तो लगा, पर यहाँ तो सब कुछ अजीब ही हो रहा था. वो लंड चूसने में इतना तल्लीन थी कि जैसे भूल ही गयी कि एक और लंड उसकी खैर लेने के लिए मौजूद है. उसने अपनी चूत के मुहाने पर कुछ गरम और टाइट सा महसूस हुआ. उसने अपनी गांड को उठा कर जैसे सूरजमोहन के लंड को निमंत्रण दिया. सूरज ने अपना लंड पूरा का उसकी चूत में समा कर गपागप उसे चोदने में बिलकुल देर नहीं लगाई.

बड़ा ही रंगीन नज़ारा था. राजेश्वरी देवी बिस्तर पर नंगी खडी हुई थीं. उनके पति जगमोहन बिस्तर पर बैठ कर उनकी चूत चाट रहे थे. उन दोनों कि बहू डॉली कुतिया के पोस में जगमोहन का लंड चूस रहीं थीं. जगमोहन के भाईसाहब सुरजमोहन पीछे से डॉली कि चूत में अपना आठ इन्ची हथियार पेल पेल कर उसे जीवन का आनंद प्रदान कर रहे थे.
डॉली ने महसूस किया कि उसके मुंह में ससुर जी का लंड फूल सा गया है. वह उसे और प्रेशर लगा के चूसने लगी. ससुर डॉली के मुंह में झड गए. लगभग इसी समय डॉली कि सास राजेश्वरी अपने पति से चटवाते हुए झड गयीं. डॉली भी झड रही थी. और एक मिनट बाद ही सूरजमोहन ने अपने लंड को चूत से निकाल लिया और डॉली कि गांड के ऊपर झड गए.

सारा परिवार इस चुदाई कि प्रक्रिया से थक चुका था. चारो लोग बिस्तर पर नंगे ही सो गए.

उस शाम डॉली मन ही मन ये सोच कर परेशान थी कि जब उस का पति शाम को घर आएगा तो उसका सामना कैसे करेगी. आज दोपहर के घटनाक्रम के दृश्य उसकी आँखों के सामने बार बार घूम जाते थे. उसका सासु माँ के कमरे के कार्यक्रम का गलती से देख लेना, उसकी ससुर का उसको चोदना, चाचा जी का उसको कुतिया बना कर चोदना, चाचा जी की सासू माँ से चुदाई, सासु माँ का खड़े हो कर ससुर जी से चूत चुस्वाना सब बार उसकी आँखों के सामने घूम जाता था. वो इस बात से बड़ी हैरान थी कि उसे ये सब अच्छा लगा था. बात तो साचा है चुदाई का कोई न दीं है ना धर्म. लंड में चूत घुस कर की चूत की मलाई बनाता है, तो लंड और चूत धारकों जीवन का आनंद प्राप्त होता है.

रोज की तरह विजय शाम को कम से लौटा. डॉली अपनी दिन की हरकत से इतनी शर्मिंदा थी कि जैसे ही उसने विजय की मोटर साइकिल की बात सुनी, वो घबरा कर बाथरूम में घुस गयी. बाथरूम में बैठ कर अपने मन को शांत किया और जब वो पूरा संयत हो गयी बाहर निकली. विजय सासु माँ के कमरे में था. वो जैसे ही उनके कमरे में घुसी, दोनों अचानक चुप हो गए. विजय डॉली की तरफ देख रहा था. डॉली को तो जैसे काटो तो खून नहीं था. उसे लगा कि उसके सास ससुर कोई गेम खेल रहे हैं उसके साथ. विजय उसकी तरफ देख कर मुस्कराया.

"मैं चाय बनाती हूँ आप के लिए", डॉली ने जैसे तसे कहाँ और कमरे से जल्दी से बाहर निकल गयी.

उसे जाने क्यों लगा कि उसके पति और उसकी सासु माँ उसकी घबराहट को देख कर हंस रहे हैं. पर उसने जैसे खुद को बताया कि ये उसका वहम है.

वो शाम डॉली के लिए बड़ी भारी थी. रात जब वो बिस्तर पर गयी, विजय उसके बगल में लेट कर मंद मंद मुस्करा रहा था. डॉली ने आखिर पूछ ही लिया.

"क्या बात है जी, आज जब से आयें हैं घर बड़ा मुस्करा रहे हैं"

"अरे ऐसी कोई बात नहीं है", विजय बोला.

विजय ने उसकी चुंचियां मसलना शुरू कर दिया. और दुसरे हाथ से उसकी चूत को उसके गाउन के ऊपर से ही रगड़ने लगा. डॉली आज की तारीख में दो दो मर्दों से चुद चुकी थी. पर उसके पति कि पुकार थी इस लिए चुदना उसका धर्म था. उसने झट से अपना गाउन उतार फेंका. विजय ने देखा कि उस की प्यारी पत्नी डॉली ने आज गाउन के अन्दर न ब्रा पहनी हुई है न पैंटी. वो एक बार फिर मुस्कराया.

विजय डॉली के गोर और नंगे बदन के ऊपर चढ़ गया. लंड तो खड़ा था ही और डॉली की चूत भी गीली थी. तो लंडा गपाक से घुस गया.

"आह ...उई माँ ...मई मर गयी ..." डॉली अचानक अपनी चूत पर ही इस हमले पर हलके से चीख उठी.

"क्यों क्या हुआ ..." विजय ने पूछा, वो अभी भी मुस्करा रहा था.

"क्या पापा और चाचा जी का लंड खाने के बाद मेरा लंड अच्छा नहीं लगा आज रात?" विजय ने पूछा.

डॉली को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था. तो क्या विजय को शाम से ये सब पता था. और अगर उसे ये सब पता है फिर भी वो शाम से हंस रहा मुस्करा रहा है. और तो और वो उसे प्यार भी कर रहा है.

"क्या मतलब..." विजय के लंड के धक्के खाते खाते वो इतना ही बोल पायी.

"अरे डॉली रानी मुझे आज तुम्हारी दिन कि सारी करतूत पता है..." विजय हंस रहा था और दनादन चोद रहा था उसे.

डॉली को ये सब सुन कर एक अजीब तरह की अनुभूति हुई. उसे अपनी चूत में जैसे कोई गरम लावा सा छूटता हुआ महसूस हुआ. विजय का लंड भी अब पानी छोड़ने वाला था. दोनों थोड़ी देर में ही झड गए.

विजय उसके बगल में ढेर हो गया. डॉली अभी भी बड़ी कन्फ्यूज्ड थी.

"क्या तुम्हें मम्मी जी और पापा जी ने कुछ बताया है" डॉली ने पूछा.

विजय ने उसे बताया कि उसे सब पता हुई. विजय के परिवार में सब लोग आपस में काम क्रिया का आनंद लेते थे. पहले ये सब खुले में होता था. जब से विजय डॉली का विवाह हुआ, ये सब छुप के हो रहा था. पर आज जब डॉली ने ये सब देख लिया, जैसा कि पहले से प्लान था, उसे इस प्रक्रिया में शामिल कर लिया गया.

"चलो अच्छा हुआ जो हुआ, देर सबेर तुम्हें ये सब पता चलना ही था. उससे अच्छा ये हुआ कि तुम अब इस परिवार के इन आनंद भरें खेलों में शामिल हो गयी हो मेरी रानी." विजय ने शरारत भरी अदा से बोला.

"मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो रहा है कि एक ही परिवार के लोग आपस में ऐसा कर सकते है", डॉली अभी भी हैरान थी.

"तुम्हारा सोचना भी जायज़ है. पर सेक्स इतना आनंद भरा काम है. जरा सोचो ये सब बाहर के लोगों से करना थोडा खतरे वाला काम हो सकता है. इस लिए हमारे परिवार में हम इतनी आनंददायक चीज को आपस में करते हैं." विजय ने बोला.

"पर फिर भी सोच के अजीब सा लगता है", डॉली बोली.

"अरे जरा याद करो, आज दोपहर में जब चाचा जी पीछे से अपना लंड तुम्हारी चूत में पेल रहे थे, तब तुम्हें जरा भी बुरा लगा क्या. तब तो तुम मजे से पापा जी का लंड अपने मुंह में चुभला चुभला के चूस रहीं थीं. एक ही जिन्दगी मिली है. इसे एन्जॉय करें. इसे क्यों बेकार में ऐसे ही जाने दे जमाने के बेकार के नियम मान कर?" विजय बोला.

"ह्म्म्म.... तो तुम कब से चुदाई के खेल खेल रहे हो?"

"बस मेरी रानी, जब से अठारह का हुआ, तबसे पेलाई कि प्रैक्टिस कर रहा हूँ. ताकि जब भी तुम जैसी कोई मिले उसे जीवन का पूरा मज़ा दे सकूं."

"और कितने रिश्तेदार शामिल होते हैं इस समारोह में?"

"अब चाचा का तुम्हें पता ही ही है. चाची भी एक नम्बर की चुदाक्कड हैं. मैं जब उनके यहाँ जाता हूँ, मुझे चाचा चाची के रूम में सोना पड़ता है. बाकी के रिश्तेदारों के बारे में धीरे धीरे पता चल जाएगा"

"और गौरव और जय?"

"जब भी घर में कोई जन्मदिन वगैरह मनाते हैं. हम सब मिल के मम्मी कि चुदाई करते हैं. जिसका जन्मदिन होता है उसे सब से पहले लेने को मिलती है."

"हे भगवान्..." डॉली अभी भी हैरानी में थी

"कल छुट्टी है, गौरव और जय को भी तुमसे मिलवा देंगे" विजय बोला

"नहीं विजय. इस परिवार ने मुझे इतना चुदाक्कड बना दिया है. गौरव और जय से तो मैं अब अपने अंदाज़ से मिलूंगी. थोडा मुझे भी नए जवान लड़कों को रिझाने का मज़ा लेने को तो मिले"

"अरे बिलकुल डॉली रानी. उन सालों कि किस्मत खुल जायेगी."

"हाँ विजय. बड़ा मज़ा आएगा मुझे मेरे दोनों देवरों को एक साथ चोद के". डॉली पूरे उत्तेंजना में थी.

"दो दो मर्दों को एक बार चोद लिया आज तो अब दो से कम में काम नहीं चलेगा तुम्हारा लगता

है."

"नहीं विजय. एक बात मैं एकदम साफ़ कर दूं. अब मैं किसी से भी चुदूं या कुछ भी करू. पर सच्चा प्यार मैं हमेशा तुमसे ही करूंगी." डॉली ने बोला.

"डॉली रानी तुम मेरी हो और सदा मेरी रहोगी. ये मेरा वादा है". विजय ने उसका हाथ अपने हाथ में ले कर वादा दिया.

"तो क्या तुम लोगों कि बहनें भी?"

"मैंने पहले ही बताया कि मेरा पूरा परिवार एक दुसरे से एकदम खुला हुआ है. जब भी हम में से कोई भी अठारह वर्ष का हुआ, उसे पारिवारिक चुदाई समरोह का टिकट तुरंत दे दिया गया", विजय ने बोला.

"धीरे धीरे सब पता चलेगा. अभी इन चीजों का मजा एक एक कर के लो. सब इकट्ठे ले नहीं पाओगी" विजय ने बोला.

"आप ठीक कहते हो" डॉली ने बोला.

इस परिवार की इस सारी चर्चा पर डॉली कि चूत में एक अजीब सी सरसराहट होने लगी . उसकी चुंचियां टाइट हो कर उठ गयीं. विजय के लंड में भी जैसे जान आ गयी थी.

विजय बिस्तर छोड़ कर जमीन पर खड़ा हो गया. डॉली ने देखा उसका लंड एकदम टाइट हो चुका था.

"आ जाओ जानेमन ....इस खड़े लंड का कुछ इंतज़ाम कर दूं....दोपहर की बात याद दिला कर मेरी चूत में भी पानी आ रहा है...." डॉली पुकार उठी.

"ये हुई न बात. पर आज के दिन को थोडा और स्पेशल बनाएंगे डॉली रानी." कहते हुए विजय दरवाजे तक गया.

डॉली हैरान थी कि नंगा बदन विजय कहाँ बाहर की तरफ जा रहा है.

दरवाजा खोल कर अपना चेहरा बाहर निकाल कर बोला,

"आ जाइए"

बस कहने की देर थी कि दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए.

डॉली को समझ आ गया कि उसकी जिन्दगी में अब चुदाई की तादाद अब जोरों से बढ़ने वाली है. और उसे इस बात से कोई शिकायत नहीं थी. जब उसके पति विजय की रजामंदी इसमें शामिल है तो उसे क्या ऐतराज़ होगा.












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