Tuesday, September 1, 2015

FUN-MAZA-MASTI पराया पिया प्यारा लगे--4

FUN-MAZA-MASTI


पराया पिया प्यारा लगे--4



वहाँ पहुँच कर, उसने किसी को फोन करके बोला दो बड़ी जानदार भाभियाँ आई हुई हैं..! ये काफ़ी प्यासी भी लगती हैं..! इन की चूत की प्यास बुझाने के लिए, अपने ग्रूप के साथ आ जाओ..!
फोन करने के बाद, वो हमें एक बेड रूम के अंदर ले गया।
बेड रूम में पहुँचते ही, उस के साथ वाली लड़की मुझे अपनी बाँहों में भर कर मेरी चूचियों को मसलने लगी।
जवाब में, मैंने भी उस की चुचियों को पकड़ कर ज़ोर से मसल दिया।
फिर, उसने मेरे कपड़ो को खोलना शुरू किया।
पहले उसने मेरी साड़ी, उसके बाद ब्लाउज और ब्रा खोल कर, मेरे बदन से अलग किया।
मेरी नंगी चुचियों को बारी बारी से, अपने मुँह में लेकर बच्चों के तरह चूसती हुई और अपने हाथों में उन्हें लेकर मसलती हुई मेरे चूचियों का तारीफ़ करने लगी।
अब उसका हाथ, मेरे पेटीकोट को जबरन खींच रहा था।
अगले ही पल, मेरा पेटीकोट फिसलते हुए मेरे जांघों से नीचे के तरफ सरक रहा था।
अगले पल, मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी।
अब वो मुझे पलंग पर सुला कर, मेरी चूत पर अपनी जीभ रगड़ने लगी थी।
मैंने उसे अपने कपड़े भी उतार लेने को कहा तो उसने एक एक कर के अपनी जीन्स, शर्ट, ब्रा और पैंटी उतार डाली।
उस की चूचियाँ, बिल्कुल गोल परंतु काफ़ी छोटी थी।
शायद 32 सी साइज़ की होंगी।
उसने अपनी चूत पर उगे बालों को शायद आज ही साफ़ किया था, जिस से उस की छोटी और चुलबुली चूत, काफ़ी खूबसूरत दिख रही थी।
मुझे तो नीरू के साथ, अपनी चूत चटवाने और उस के चूत को चाटते हुए उस में उंगली घुसेड़ने की आदत पड़ चुकी थी।
इस की छोटी सी साफ़ सूत्री चूत को देख कर, मेरे मुँह में पानी भर आया।
मैं उसे चित लिटा कर, उसके ऊपर इस तरह से चढ़ि की मेरी चूत उस के मुँह के सामने आ गई और मेरा मुँह उस की चूत के पास था।
मैंने उस की चूत को अपने उंगलियों से फैलाया और उस की चूत के पतले गुलाबी छेद में, अपनी जीभ घुसेड कर चाटने लगी।
उसने भी, अपने हाथों से मेरी फूली हुई चूत को ज़ोर से चौड़ी कर मेरी चूत में अपनी जीभ घुसेड दी।
मैं अपनी जीभ तेज़ी के साथ उसकी चूत में और वो अपनी जीभ जल्दी जल्दी, मेरी चूत में चलाने लगी।
वो नीचे से अपने चुत्तड़ उठा उठा कर, अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ रही थी।
मैं उसकी चूत में जितना संभव था, उतना अंदर तक अपनी जीभ घुसेड कर उस की चूत को ज़ोर ज़ोर से चाटते हुए उसके मुँह पर अपनी चूत ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी।
वो मेरी चूत में और मैं उसकी चूत में, अपनी जीभ घुसेड एक दूसरे की चूत चाटने में भिड़े हुए थे।
उधर, उसी बड़े पलंग पर वो मर्द नीरू को नंगा कर के, और खुद भी नंगा होकर नीरू के साथ भिड़ा हुआ था।
नीरू उसके लण्ड को अपने हाथ में लेकर, अपनी जीभ से उसे चाट रही थी और वो नीरू के चूत में अपनी उंगली डाल कर तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था।
नीरू अपने चुत्तड़ हिला हिला कर, अपनी चूत में उसकी उंगली डळवाते हुए उसके 10 इंच लंबे लंड को, अपनी जीभ से चाट रही थी।
वो कभी कभी, उसके लण्ड के सुपाड़े को अपने मुँह में लेकर चूसने लगती थी तो कभी उस के लण्ड पर अपनी जीभ रगड़ कर के ज़ोर से उसे चाटने लगती।
उस की उंगली लगातार, नीरू के चूत में अंदर बाहर फिसल रही थी।
नीरू ने उसे अपनी चूत में लण्ड डाल कर, चोदने को कहा।
वो नीरू को चित लिटाकर, उसके जांघों के बीच बैठ गया।
नीरू ने अपनी जांघों को मोड़ कर फैलाते हुए, अपनी जांघों के बीच उसके लिए जगह बना ली थी।
वो नीरू के जांघों के बीच बैठ कर, अपना सिर उस की चूत पर झुकाते हुए अपने दोनों हाथों से उस के चूत को चौड़ा कर उस में अपनी जीभ रगड़ने लगा।
वो नीरू की चूत चाट रहा था और तुम्हारी बीवी, अपने चुत्तड़ उछाल उछाल कर उस से अपना चूत चटवा रही थी।
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उत्तेजना के मारे, नीरू के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी।
अब उस की उत्तेजना इतनी बढ़ गई थी की वो चुत्तड़ हवा में उठा कर, लगातार अपना चूत उसके मुँह में ठेले जा रही थी।
नीरू उस से बोली अब बर्दशात नहीं हो रहा है..! जीभ निकाल कर, अब मेरी चूत में अपना लण्ड घुसेड कर चोद दो..! फिर चाहो तो चोदने के बाद, मेरी फुददी जी भर के चाट लेना..!
वो मर्द अच्छा, संभाल अपनी चूत..! अब मैं अपना फौलादी लण्ड, तेरी चूत में डाल रहा हूँ..!
अपने हाथों से अपनी चूत को फैलाते हुए, नीरू ने कहा डालो, मेरे राजा अपना फौलादी लण्ड, मेरी चुड़क्कड़, छीनाल, प्यासी चूत में..! औरत नहीं, रंडी की माँ हूँ मैं..! तेरा फौलादी लंड क्या, पूरा का पूरा तुझे ही खा जाउंगी..!
उसने अपने लण्ड का फूला हुआ बड़ा सा सुपाड़ा, नीरू की फैली हुई चूत के मुँह पर रख कर, एक करारा धक्का लगाया।
उसकी चूत पर उसने इतने ज़ोर का धक्का मारा था की एक ही धक्के में उसके मोटे लण्ड का आधा हिस्सा, नीरू की गरम चूत में घुस गया।
उस के लण्ड की मोटाई, इतनी ज़्यादा थी की उत्तेजना के मारे लण्ड निगलने को व्याकुल, तेरी बीवी की चूत में ज़ोर की जलन हुई.. जिस से, उसने मां ह ह s s s s s कहते हुए, अपनी गाण्ड ऐसे सिकोडी की उसका लण्ड, उसकी चूत के बाहर आ गया।
वो मर्द अरे!! गाण्ड क्यों सिकोडी..! साली, अभी अभी तो बड़ा इतरा रही थी लण्ड डलवाने के लिए..! अब क्या हुआ, मेरी रंडी की माँ..!
नीरू कुछ नहीं, धक्का इतने ज़ोर का था की मेरी चूत बर्दशात नहीं कर सकी..! अब ज़रा प्यार से, मेरी चूत में अपना लण्ड पेलो..! फिर हुमच हुमच के चोदना..! कहते हुए उसने अपने हाथों से अपनी चूत फैला कर, फिर से उसका लण्ड अपनी चूत के मुँह पर रखते हुए, अपने दाँत ज़ोर से भींच लिए।
उसने फिर पहले से भी अधिक ज़ोर से, अपना लण्ड उसकी चूत में पेल दिया।
इस बार भी उस के मुँह से चीख निकल पड़ी.. पहले से भी अधिक..
लगभग, उसके लण्ड का दो तिहाई भाग उसकी चूत में एक ही धक्के में समा चुका था.. लेकिन, इस बार उस ने अपनी गाण्ड नहीं सिकोडी..
उसने तुरंत अपना लण्ड थोड़ा सा बाहर खींच कर, फिर पुरे ताक़त से एक और धक्का उस के चूत पर मार दिया, जिस से उसका लंबा और मोटा लण्ड पूरा उसकी चूत के अंदर समा गया।
उसके लण्ड ने, नीरू की चूत को कस के हिला दिया था।
उस का लण्ड, नीरू की चूत में ऐसे फिट बैठा था की लगता था किसी लोहे के रोड को किसी ने ज़ोर से प्लास से दबा रखा हो।
उस की चूत में, कहीं से थोड़ा सी भी जगह नहीं दिख रहा था।
थोड़ी देर तक उसने अपने लण्ड को यूँ ही उस की चूत में छोड़ दिया, जिस पर वो बोल पड़ी अरे, मेरे पेलू राजा..! क्या ऐसे ही चूत में लण्ड डाले पड़े रहोगे या चुदाई भी करोगे..! चलो, अब धक्के मारना शुरू करो..! मेरी चूत अब हर फौलादी धक्के के लिए तैयार है..!
उसने पहले धीरे धीरे नीरू की चूत में धक्का मारना शुरू किया.. फिर, धीरे धीरे उस की चूत में धक्कों का स्पीड बढ़ाने लगा..
अब वो तेज़ी के साथ नीरू की चूत में, अपने लण्ड को पेल रहा था।
नीरू उसके हरेक धक्कों के जवाब में अपने चुत्तड़ ऊपर की तरफ इस तरह उछाल रही थी, जैसे उसका 10 इंच लंबा लण्ड भी उस की चूत के लिए छोटा पड़ रहा हो और वो और ज़्यादा लंबा लण्ड अपनी चूत में डलवाने के लिए, व्याकुल हो रही हो।
उस के मुँह से भी बड़ी अजीब किस्म की आवाज़ निकल रही थी।
उस की चुदाई को देख देख कर, मेरी चूत भी पानी छोड़ने लगी थी।
मेरी चूत में उस लड़की के घुसती निकलती जीभ, अब कोई खास मज़ा नहीं दे पा रही थी।
मन कर रहा था की मैं अब नीरू की चूत से वो मोटा लण्ड खींच कर, अपनी चूत में डलवा कर, ज़ोर ज़ोर से धक्के लगवाऊँ।
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मैं पलंग पर खिसकते हुए, नीरू के पास चली गई और उस के पैरों के रास्ते अपना एक हाथ, उस की चूत तक ले गई।
उस का लण्ड, जब नीरू की चूत से थोड़ा बाहर आता तो मैं उसे अपने हाथों से सहला देती।
कभी कभी, उस के लण्ड के साथ ही मैं अपनी एक उंगली भी नीरू की चूत में घुसेड देती.. इस से, नीरू की उत्तेजना और बढ़ती गई..
वो बोलने लगी हाय जालिम..! तुम तो बड़े चुड़क्कड़ बन रहे थे, लेकिन तुम्हारा लण्ड तो मेरी चूत में ना जाने कहाँ खो गया है..! मेरी चूत में तुम अपना पूरा लण्ड नहीं डाल रहे हो क्या..! पूरा लण्ड मेरी चूत में पेल के, मेरी चूत में जल्दी जल्दी धक्के मारो ताकि मेरी प्यासी चूत की चुदाई की प्यास बुझ जाए..!। हाय पेलो, अपना लंबा मूसल जैसा लण्ड..! ओह..! उनमह..! यान्ह ह ह ह ह ह s s s s s..! आहह आ ह आअ ह ह ह ह ह आ आ आ आ आ आ आ आ आ..! बहुत मज़ा आ रहा है..! इससश इनयः या मा ह ह ह ह s s s s s..!
वो भी अपनी पूरी ताक़त के साथ, उसकी चूत में धक्के मार रहा था.. लेकिन राजधानी एक्सप्रेस के पिस्टन से भी तेज़ी के साथ उस की चूत में घुसते निकलते उस के लण्ड की स्पीड भी नीरू को कम लग रही थी..
वो अपनी गाण्ड उछाल उछाल कर और ज़ोर ज़ोर से जल्दी जल्दी, अपनी चूत में उसके लण्ड से धक्के मरवा रही थी।
साथ ही साथ, वो चिल्लाती भी जा रही थी।
आहह ह ह ह ह ह..! आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ..! इनया या आ..! उंह ह ह ह ह ह..! मां स स्स s s s s s..! इशह..! मा की चूत त त त त त..! चोद द द द चोद द द द चोद द द द चोद द द द चोद द द द द द द s s s s s s s s s s..! उफ्फ फ फ फ फ फ..!
वो इसी तरह चिल्ला चिल्ला कर, अपनी चूत चुदवा रही थी।
उस की चूत में शताब्दी एक्सप्रेस के पिस्टन से भी तेज चाल से, उस का मोटा लण्ड घुस और निकल रहा था।
जितनी तेज़ी से वो उस की चूत में अपना लण्ड पेलता, उतनी ही तेज़ी में वो अपनी गाण्ड उछाल उछाल कर, अपनी चूत में उसका लण्ड ले रही थी।
इसी तरह, लगभग 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद, वो शांत हुई।
उस के शांत होते ही, उस ने अपना लण्ड उस की चूत से बाहर खींचा।
चूत से बाहर लण्ड निकलते ही, उसकी चूत पक..! की आवाज़ कर के सिकुड गई।
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उस की चूत से खींचने के बाद, उसने अपना लण्ड नीरू के मुँह के पास लेजा कर, उसके मुँह में घुसेड दिया और वो उसके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
करीब 4-5 मिनट की चूसाई के बाद, उसका लण्ड नीरू के मुँह में ही झड़ने लगा।
फ़च फ़च..! करके, उसके लण्ड से निकलता हुआ उसका मूठ नीरू के मुँह में उसकी जीभ पर गिरने लगा।
तुम्हारी बीवी ने अपना मुँह खोल कर, अपनी जीभ बाहर निकाल रखी थी।
उसने अपने लण्ड को निचोड़ निचोड़ कर, अपने लण्ड से निकलने वाले मूठ का एक एक कतरा, उसके मुँह में गिरा दिया।
बाप रे बाप!! उसके लण्ड से मूठ भी कितना निकाला था।
जैसा तगड़ा उसका लण्ड था, उतना ही ज़्यादा उसने मूठ भी ऊडेला था।
शर्त लगा लो, कम से कम 50-60 मिली लीटर रहा होगा, उसका वीर्य, जो उस के मुँह से फिसलकर, तुम्हारी रंडी बीवी के होंठों और गालों पर भी फैल गया था।
वो अपनी जीभ निकाल कर, उस के वीर्य को चाटने लगी।
वीर्य का जो हिस्सा उसके जीभ की पंहुच से बाहर था, उसे वो अपनी उंगलियों से अपने मुँह में लेजा कर चाट गई।
उसके बाद, उसके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
अब वो काफ़ी संतुष्ट दिख रही थी.. लेकिन, उसकी शानदार चुदाई को देख कर, मेरी चूत की हालत काफ़ी खराब हो गई थी।
अब मैं नीरू के मुँह के पास, अपनी जीभ ले जाकर नीरू के गालों को चाटने लगी।
अब तक उस का लण्ड नीरू के मुँह में ही था, जिसे उसने उस के मुँह से निकाल कर, मेरे मुँह में घुसेड दिया।
मैं भी तुरंत, उसके लण्ड को चूसने लगी।
धीरे धीरे, उसका लण्ड फिर से फनफ़नाने लगा।
अब मैं उस के लण्ड को अधिक से अधिक, अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
नीरू अपनी टाँगों को फैलाकर चित लेती हुई, हमारा खेल देख रही थी।
उस की चूत के अगल बगल, उस की चूत से निकला पानी और उस में मिला हुआ, उस के लण्ड का पानी फैला हुआ था।
इधर, वो लड़की नीरू की चूत के ऊपर अपनी जीभ रख कर, उस की चूत पर फैले चूत और लण्ड के मिश्रित पानी को चाटने लगी।
वो उसकी चूत के अंदर अपनी जीभ डाल डाल कर, चूत के भीतर फैले पानी को चाट ती रही।
मैं उसके लण्ड को तब तक चूसती रही, जब तक वो फिर से फौलाद की तरह खड़ा ना हो गया।
अब उसका लण्ड, फिर से ताव में आकर फनफ़नाने लगा था।
वो साला, मेरे मुँह में ही चूत की तरह धक्के मारने लगा।
मेरी चूत तो पहले से ही नीरू की चूत की चुदाई देख देख कर, चुदवाने को उत्तावली थी ही, ऊपर से उसके लण्ड की चूसाई और उसके द्वारा अपने मुँह में पड़ते लण्ड के धक्के का असर, मुझे सीधे अपनी चूत पर पड़ते दिखा।
मैंने उस से अपनी चूत में लण्ड डाल कर चोदने को कहा कब तक मुँह में ही लण्ड पेलते रहोगे..! मेरी चूत जल रही है, इसे अपने लण्ड से चोद कर इस की आग शांत करो..! प्लीज़..!
मेरे आग्रह को मानते हुए, उसने मुझे घुटने के बाल झुकने को कहा।
मैं अपने घुटने पे झुक गई।
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वो मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया और अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर रगड़ने लगा।
मेरी गाण्ड पर अपना लण्ड रगड़ते रगड़ते, उसने अपना लण्ड पीछे से ही मेरी चूत पे टीका कर, मेरी चूत में पेल दिया।
मैंने अपनी चूत फैला ली।
थोड़े प्रयास के बाद ही, उसका लण्ड का सुपाड़ा मेरी चूत के फांकों को चीरता हुआ, मेरी चूत में घुस गया।
उसने मेरी चूत में, अपने लण्ड को ठीक से सेट करने के बाद मेरी कमर को अपने हाथों से पकड़ कर, चूत में अपना लण्ड पूरी ताक़त के साथ घुसेड दिया।
उसका मोटा लण्ड, एक ही धक्के में आधे से ज़्यादा, मेरी चूत में घुस गया।
चूत में, उसके लण्ड के घुसने से थोड़ा दर्द तो हुआ.. लेकिन, अपनी चूत में उसके लण्ड के घुसने से जो मज़ा मुझे आया, उसकी खातिर अपने होंठों को चबा कर मैं सारा दर्द पी गई।
उसने धीरे से अपने लण्ड को थोड़ा बाहर कर के, दाना दान तेज़ी के साथ 3-4 धक्के मेरी चूत में जड़ दिए, जिस से उसका पूरा लंड मेरी चूत में चला गया।
अब वो तबाड तोड़, मेरी चूत में धक्के मारने लगा।
जब वो ज़ोर से अपने मोटे लण्ड को मेरी चूत में पेलता तो लगता था की उसका सुपाड़ा, मेरी बच्चेदानी के मुँह पर घुसा मार रहा हो।
उस के मोटे लण्ड के घुसने से, मेरी चूत पूरी तरह फैल गई थी।
उस का लण्ड मेरी चूत के दाने को रगड़ता हुआ, मेरी चूत में अंदर बाहर हो रहा था।












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