Tuesday, July 28, 2015

FUN-MAZA-MASTI काला लौड़ा गोरी चूत

FUN-MAZA-MASTI

काला लौड़ा गोरी चूत


जैसे ही स्वाति ने मेरी नेकर नीचे घसीटा मेरा लौडा फंफनाकर उसके सामने नाच उठा स्वाति ने उसे अंपनी मूठी में लिया और बड़े प्यार से हिलाने लगी हिलाते ही लौडा और मस्त हो गया उसका सुपाडा चमक उठा स्वाति ने अपनी जबान निकाली और सुपाडे के चारों तरफ़ घुमा कर चूसा फिर चाटना शुरू किया दूसरे हाथ से पेल्हड़ सहलाना शुरू किया
झांटो पर उंगली फिरा कर बोली:- यार तुम्हारा लौडा इतना बड़ा होगा इसका मुझे अनुमान नही था मैं पिछले ६ महीने से इस तरह के लंड के लिए तरस रही हूँ मेरी इच्छा आज पुरी हुई है
मैं नीचे की बर्थ पर नंगा बैठ गया स्वाति नीचे बैठ कर मेरे लंड से मस्ती करने लगी फिर अपनी चूचियों से लंड रगड़ने लगी
मैंने कहा:- स्वाति यार तेरे हाथों में और तेरी चूंचियों में जादू है मेरा लौडा इतना ज्यादा कभी नही तन्तानाया जितना आज मै देख रहा हूँ
स्वाति:- आप सही कहते है मेरे हाथों में जादू है यह बात सभी लोग कहते है पर इतना बड़ा और इतना खूबसूरत लौडा मैंने पहले कभी नही देखा
चलती हुई ट्रेन का वह ऐ सी फर्स्ट क्लास का डिब्बा है जिसमे चार बर्थ होती है दो नीचे दो ऊपर दो नीचे बर्थ पर मैं और स्वाति सफर कर रहे है ऊपर की दो बर्थ खाली है इनपर कल सबेरे पैसंजर आयेंगे उंदर का दरवाज़ा बंद कर हमलोग सेक्स का आनंद उठा रहे है यह ट्रेन चेन्नई से दिल्ली की ओर जा रही है दर असल मैं जब ट्रेन पर चढा तो अकेला था अपना सामान आदि लगा कर मैं इत्मिनान से बैठा था इतने में एक खूब सूरत औरत आकर बैठ गयी उसने भी अपना सामान बर्थ के नीचे रखा और पानी की बोतल निकाल कर पानी पिया फिर उसने एक तकिया लगाया और आराम से बैठ गयी थोडी देर में टी टी आया तो मुझे मालूम हुआ की उसका नाम स्वाति है मैंने लिस्ट में जाकर देखा की वह ३२ साल की महिला है और वापस आकर मजे से बैठ गया फिर चायवाला आया तो मैंने चाय ऑफर की उन्होंने मुस्कराकर स्वीकार कर लिया मेरी उमर उस समय ३० साल के लगभग थी मैं भी स्मार्ट बन्दा था फिर मैंने धीरे से उन्हें चिप्स वगैरह भी खिलाया
मैंने पूंछा :-- आप कहाँ तक जा रही है
उसने जबाब दिया :- मैं दिल्ली जा रही हूँ
मैं पूंछा :-- क्या आप वहीँ की रहने वाली है
उसने कहा :-नही मैं दिल्ली की रहने वाली नही हूँ मैं चेन्नई की हूँ
मैंने कहा :- तो आपको हिन्दी नही आती होगी
स्वाति :- हिन्दी खूब आती है मैं तो दिल्ली की ही पढ़ी लिखी हूँ मेरे पापा यहीं पर सर्विस करते है और मैं भी जॉब करती हूँ आप अपने बारे में कुछ बताएं
मैंने कहा:- मैं दिल्ली के एक कालेज में प्रोफ़ेसर हूँ चेन्नई में एक सेमीनार में गया था अब वापस जा रहा हूँ यह एक लंबा सफर है आपका साथ है तो सफर अच्छा कट जाएगा
स्वाति :- बिल्कुल मैं भी यही सोच रही हूँ थोडी देर में मैंने एक व्हिस्की की बोतल निकाली और दो गिलास साफ कर के रखा
मैंने डरते डरते पूंछा :- मैडम क्या आप मेरा साथ देंगी
उसने बोतल की तरफ़ देखा और मुस्कराकर बोली:- वैसे तो मैं पीती नही हूँ लेकिन इस समय आप का साथ दे सकती हूँ
मैंने कहा :- शुक्रिया जनाब
अब हम दोनों शराब का मज़ा लेने लगे खूब इधर उधर की बातें की और फिर मैं अपने बैग से कुछ किताबे निकाल कर
टेबल पर रख दी बैग से एक ढीली ढीली नेकर निकाल कर रख लिया मैंने कहा में मैं कपड़े बदल कर आता हूँ मैं बाथरूम गया और वापस आते समय थोड़ा झांक कर देखा तो पाया की स्वाति सेक्स की कहानिया पड़ रही थी वास्तव में मैंने सुपर हॉट लिंगम की कहानी की किताब सबसे ऊपर ही रख दिया था यह देखकर मेरा लंड नेकर के अन्दर ही खड़ा हो गया जैसे ही मैं वापस आया स्वाति ने पूंछा की यह किताब तुम्हारी है मैंने कहा हां हमारी है तो उसने जबाब दिया इसमे तो बड़ी गन्दी गन्दी सेक्स की कहानियाँ है मैंने कहा की लंबे सफर में वह कहानियाँ बड़ा साथ देती है स्वाति बोली ये कहानियाँ मुझे बहुत अच्छी लग रही है मैं सारी कहानियाँ पढ़ना चाहती हूँ इसलिए मैं इसे अपने पास रख लेती हूँ मुझे मालूम हो गया है की इन कहानियों को अकेले में नंगे होकर पढने में ज्यादा मज़ा आए गा मैंने कहा की इन कहानियों को आप उसके साथ भी पढ़ सकती है जिनसे आप के सेक्स सम्बन्ध हो वह बोली इन कहानियों के जरिये भी सेक्स सम्बन्ध बनाये जा सकते है मैं तो सोच रही हूँ की कहानियाँ लिखने वाले का लौडा तो बड़ा जबरदस्त होगा मस्त होगा मुझे मिल जाए तो मैं उसको अपना सब कुछ दे दूँ और लिपट कर प्यार करूँ
उसके मुह से लौडा शब्द सुनकर मैं बहुत खुश हुआ मेरा लंड एकदम से सनसना गया वह बोली अच्छा अब मैं कपड़े बदल लेती हूँ तो मैंने कहा कि मैं बाहर चला जाता हूँ उसने कहा बाहर जाने की क्या जरूरत है वहीँ बैठे रहो मुझे कोई शर्म नही है मैं कोई गाँव की लड़की नही हूँ मैं वह सुनकर बड़ा खुश हुआ मैंने देखा की उसने एक ढीला ढीला गौन पहन लिया उसके नीचे कुछ भी नही था क्यंकि मैंने उसे ब्रा उतारते हुए देखा था इसका मतलब अब उसकी चूंचियां एकदम आजाद थी हम दोनों फिर गिलास लेकर शराब पीने लगे एक पैग पूरा हुआ तो दूसरा शुरू हो गया मैं दंग रह गया जब उसने सिगरत मेरी तरफ़ बढाया हम दोनों सिगरत पीने लगे जैसे ही दूसरा पैग ख़तम हुआ उसने अपने गौण कि दोनों बटन खोल दी उसकी चूंची साफ दिखने लगी इधर मेरा लंड भी उछाल मारने लगा स्वाति कि निगाह मेरे लंड पर टिक गयी थी
मैंने कहा:- स्वाति तुम बड़ी सुंदर हो
उसने कहा:- और मेरी ये ? उसने अपनी चुन्चियों कि तरफ़ इशारा करते हुए कहा
मैंने कहा :- ये तो इतनी अच्छी है कि मन करता है कि चबा जाऊँ
स्वाति :- तो चबा लो न यह कह कर उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूंचियों पर रख दिया बस फिर क्या था मैं उस पर चढ़ बैठा दोनों हाथों से चूंचियां मसलने लगा चूंची बड़ी बड़ी मजे दार थी मैंने मुह लगाकर दोनों चूंचियों को खूब चूसा फिर मैंने दोनों हाथों से उठा कर चिपटा लिया खूब चूमा उसे वह धीरे धीरे नीचे खसकी और मेरी नेकर नीचे घसीट दी इसके बाद आप ऊपर थोड़ा पढ़ चुके है
वह एक हाथ से मेरा लंड सहला रही थी दूसरे हाथ से मेरी गांड मेरे चूतडों पर उसका हाथ फेरना मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था सहसा उसके मुह से निकला यार विक्रम मेरे दूसरे हाथ में एक काला लौडा होता तो कितना अच्छा होता मैं काले लंड की तलास में बहुत दिनों से घूम रही हूँ हां यार मैं जानता हूँ की गोरी चूत वालियां सब काले लंड की तलास में रहती है तुमको कैसे मालूम उसने कहा मैंने जबाब दिया ठीक वैसे ही जैसे काली लड़कियां गोरे लंड की तलास में रहती है स्वाति बोली तो मेरे लिए काला लंड ढूंढ़ कर लाओ न मेरी चूत काले लंड के लिए तरस रही है मैंने कहा यार मेरे कई दोस्त काले है तुम चिंता मत करो एक क्या मैं तुमको ३/४ काले लंड एक साथ दूंगा यह सुनकर उसने मेरा लौडा बड़ी जोर से चूसा मुझे भी ताव आया मैंने लंड उसकी चूत में पेल दिया और चोदने लगा चुदवाते हुए बोली माँ के लौडे तू चोदने में एक दम हरामी है बहन चोद लगता है कई बुर चोद चुके हो मैंने कहा तू भी तो भोसड़ी वाली कई लंड से चुदवा चुकी है अब उसने मेरा लंड पकड़ कर जल्दी जल्दी मुठियाने लगी लंड झड़ने की कगार पर आ गया वह बोली अबे मादर चोद मेरे मुह में झड़ जा मुझे बड़ा अच्छा लगता है वैसे भी तेरा लंड मुझे बहुत पसंद है मैं वास्तव में झड़ गया झड़ते हुए लंड को वह रंडी की तरह चाटने लगीउसके बाद हम लोग खाना खा कर सो गए सवेरे करीब ५ बजे मैंने देखा की स्वाति बिल्कुल नंगी लेटी है तो मेरा लौडा खड़ा हो गया मैं लौडा उसकी चूंचियों पर फिरने लगा सहसा वह जग गई और उसने मेरा लौडा पकड़ लिया बस फिर क्या था एक और बड़ी मजेदार चुदाई हो गयी
सुबह के १०.०० बजे के लगभग मेरे डिब्बे में में एक काला आदमी घुसा उसके पीछे एक काली औरत भी आ गई उसने मुझसे बर्थ नंबर पूंछा मैंने बताया की वह सही जगह आया है उसकी दोनों ऊपर की बर्थ है उसने कहा क्या हम लोग नीचे बैठ सकते है मैंने कहा हां आपका हक है आप शौक से बैठिये वे दोनों खुश हो गए फिर धीरे धीरे हमलोग इधर उधर की बातें करते रहे होते करते शाम हो गई करीब ७.३० का समय था वे दोनों बरमूडा और एक टी शर्ट में थे मैंने भांप लिया की औरत कोई ब्रा नही पहने है बात चीत में मालूम हुआ की वे दोनों पीटर और लिली पति पत्नी थे तब तक पीटर ने एक शराब की बोतल निकाली फिर कुछ खाने का सामान मुझसे बोला क्या आप भी साथ देंगे मैंने कहा हां फिर वह स्वाति की तरफ़ मुखातिब होकर बोला क्या आप मेरा साथ देंगी स्वाति तो चाहती ही थी उसने हां में सिर हिला दिया अब हम चारों के पास शराब के गिलास थे
मैंने पूछा :- आप लोग कहाँ के रहने वाले हो और कहाँ जा रहे हो ?
पीटर:- वैसे हम लोग नीग्रो है साउथ अफ्रीका के रहने वाले है लेकिन यहाँ चेन्नई में पिछले १५ साल से रह रहे है और हम दोनों दिल्ली जा रहे है
स्वाति:- तो आप लोगों को हिन्दी नही आती होगी दिल्ली में कैसे कम चलेगा?
पीटर:- हम दोनों हिन्दी अच्छी तरह जानते है
स्वाति:- दिल्ली में आप का क्या है ?
लिली:- दिल्ली में अफ्रीका से इनका एक दोस्त अपनी पत्नी के साथ आया हुआ है उसी से मिलने जा रहे है स्वाति:- तो क्या इतनी गहरी दोस्ती है आप लोगो की?
लिली:- हां वे दोनों केवल हम दोनों से मिलने के लिए ही आयें है
स्वाति:- कोई खास बात है क्या ?
लिली:- हां उसका लंड मुझे बहुत पसंद है
यह सुन कर हमदोनो दंग रह गए मैंने स्वाति के कान में कहा की स्वाति अब तुम्हारे मन की मुराद पूरी हो जायेगी उसने कहा क्या मतलब मैंने बताया की अब तुमको काला लौडा यही मिल जाएगा स्वाति ने मुस्करा कर खुशी जाहिर की
हमने बात चीत जारी रखा और पूंछा :-- पीटर को क्या पसंद है
लिली :- उसकी बीवी की चूत उसकी चूंची
स्वाति :- तो उन दोनों को भी तो कुछ पसंद होगा
लिली:- उसकी बीवी को पीटर का लौडा पसंद है और उसके हसबंड को मेरी चूत
स्वाति ने अब खुल कर पूंछा :-- क्या तुम दोनों बीविओं अदल बदल कर चोदते हो ?
पीटर:- हां वह भी एक दूसरे के सामने
स्वाति :- तुम लोगो को कोई शर्म नही आती
पीटर:- बिल्कुल नही हम लोग जानवर की तरह एक दूसरे की बीवी पर टूट पड़ते है दोनों बीवियां एक दूसरे के लंड पर टूट पड़ती है और फिर हम लोग उछल कूद कर चुदाई करते है
इस तरह बात करते करते हम लोगों ने तीन पैग शराब पी डाली इतने में लिली ने अपनी टी शर्ट उतार दी उसकी दोनों नंगी चूंची बाहर आ गयी मैंने इतनी बड़ी बड़ी चूंचियां अभी तक नही देखी थी
स्वाति बोली :- आप ब्रा नही पहनती क्या?
लिली:- मेरे नाप की ब्रा बाज़ार में मिलती ही नहीइसलिए मैं हमेसा बिना ब्रा के रहती हूँ तब मैंने देखा की पीटर लिली की चूंचियां दबाने लगा यह देखकर मुझे भी ताव आ गया मैंने भी स्वाति की चूंची खोल दी और उन्हें मसलने लगा चूसने लगा लेकिन मेरी निगाह लिली की चूंचियों पर थी उसी तरह पीटर भी लिली की चूंची मसल जरूर रहा था लेकिन वह स्वाति की चूंचियों पर निगाह गडा कर बैठा था इतने में लिली ने अपना हाथ बढाया और मेरी पैंट खोल कर लौडा पकड़ लिया लंड तो पहले से ही खड़ा था उसके हाथ में जाकर और सनसना उठा उसे देख कर
लिली बोली :- हाय पीटर जरा देखो यह गोरा लंड कितना सुंदर लग रहा है कितना प्यारा प्यारा है झांटे भी नही है तो और चिकना लग रहा है
यह कह कर लिली लौडा चूसने लगी अब स्वाति से न रहा गया उसने हाथ बढाया और पीटर का बर्बुडा उतार कर फ़ेंक दिया उसका लंड देखकर स्वाति भौचक्की रह गयी उसके मुह से निकला
हाय रे इतना बड़ा लंड अरे विक्रम देखो तो साला बिल्कुल गधे का लंड लग रहा है मादर चोद १०" से कम नही होगा भोसड़ी का तब तक लिली बोल पड़ी अरे स्वाति तुम इसको जरा हिलाओ और खूब दोनों हाथों से ऊपर नीचे करो साला एक फुट का हो जाएगा
स्वाति :- हां यार आज तो मेरी चूत को मज़ा ही मज़ा मिलेगा बिचारी इतने दिनों से काले लंड के लिए तरस रही थी
यह कह कर स्वाति ने पीटर को बर्थ पर चित लिटा दिया उसकी दोनों टांगो की बीच नंगी बैठ कर लंड से खेलने लगी लंड को कई बार चूमा सुपाडा चटा पेल्हड़ सहलाया झांघों पर हाथ फिराया फिर इत्मिनान से लंड को चूसने लगी उधर लिली ने भी मुझे चित लिटा कट लौडा चूसने में जुट गयी थोडी देर में मैंने देखा की स्वाति अपनी चूत लंड के पास ले गई और धीरे से लौडा चूत के अन्दर करने लगी फिर उचक कर पूरी तरह लंड पर बैठ गयी और स्वयं लंड चोदने लगी वह अपनी गोरी चूत में काला लंड पाकर बड़ी प्रसन्ना थी १५ मिनट दे बाद पीटर स्वाति के ऊपर चढ़ गया और उसे जानवरों की तरह चोदने लगा मैंने देखा स्वाति इतना बड़ा लंड पेल्वाने के बाद भी कह रही है पीटर बहन चोद पूरा लंड पेल दे मेरी बुर में फाड़ डाल मेरी बुर को साले तू भी घुस जा भोसड़ी के चोद जल्दी जल्दी इधर मेरा लंड लिली की चूत में घुस कर चुदाई कर रहा था
लिली बोली:- आज मुझे पहली बार कोई मस्त गोरा लौडा मिला है अपनी गांड उछाल उछाल कर कह रही थी घुसेड दो पूरा लंड तेज तेज चोदो मेरी चूत का कचूमर निकल दो माँ के लौडे विक्रम तू तो बड़ा चोदू है फिर मैंने देखा की पीटर अब पीछे से स्वाति को चोद रहा था उधर मैं लिली की चूंची चोदने में लगा था करीब आधा घंटा जमकर दोनों औरतों की चुदाई हुई फिर मेरे झड़ते हुए लंड को लिली ने चाट लिया और पीटर के झड़ते हुए लंड को स्वाति ने चाट चाट कर मज़ा लिया इसके बाद हम चारों ने खाना खाया और सो गए
सुबह करीब ५ बजे मैं उठा तो देखा की स्वाति पीटर का लंड सहला रही है
स्वाति बोली :- ञार दिल्ली पहुँचने के पहले एक बार फिर चुदवा ल्रती हूँ
मैंने कहा अरे इसमे क्या अब तो लंड तुम्हारा है खूब चुदवा लो यह सुनकर लिली ने हाथ बढाया और मेरा लंड पकड़ती हुई बोली मैं क्या बगैर चुदवाये जाउंगी मैं भी चुदवा लेती हूँ इस तरह इसबार भी दोनों लोगों ने चकाचक चुदाई की ट्रेन अब १० मिनट में दिल्ली पहुँचने वाली थी पीटर बोला ञार विक्रम तुम मेरे दोस्त कोको के घर चलो अपनी बीवी स्वाति के साथ (वह स्वाति को मेरी बीवी समझ बैठा) क्यों न हो सारी ट्रेन में वह मेरी बीवी ही तो बनी रही तभी तो चुदाई का मज़ा मिला मैंने कहा स्वाति तुम्हारा क्या ख्याल है स्वाति बोली ठीक है मैं तैयार हूँ पर तुम्हारे दोस्त कोको का भी लंड कितना बड़ा है इतने में लिली बोल पड़ीअरे कोको का लंड इसके लंड से बड़ा है तभी तो मुझे ज्यादा पसंद है स्वाति बोली तब मैं जरूर चलूंगी क्यों की दो दो काले लंड एक साथ देखने का और चुदवाने का मज़ा और ज्यादा होगा विक्रम तुमको भी दो दो काली चूत चोदने को मिलेंगी मैंने कहा ठीक है चलो थोडी देर में हम लोग कोको के घर पहुँच गए पहले परिचय हुआ फिर नास्ता मैंने देखा की कोको की बीवी लोली बड़ी खूबसूरत है रंग काला है तो क्या मेरा लंड अपने आप खड़ा हो गया उधर कोको ने स्वाति को नंगी कर दिया उसकी चूंची मसलने लगा स्वाति को चूंची मसलवाने में मज़ा आने लगा इधर लोली ने झट से मुझे नंगा किया और लंड पकड़ कर गप्प से मुह में डाल कर चूसने लगी मैंने लोली को खूब चोदा और दूसरी तरफ़ स्वाति ने कोको से खूब चुदवाया दूसरी बार चुदाई में स्वाति ने आगे बढ़ कर हिस्सा लिया इसबार उसने एक हाथ में पीटर का लंड और दूसर हाथ में कोको का लंड दोनों को बारी बारी से चुस्तेहुए बोली अब मैं इन दो जंगी लौडों से एक साथ चुदवा लुंगी एक चूत में तो दूसरा चूंची में एक बुर में तो दूसरा गांड में एक गांड में तो दूसरा मुह में एक दाहिने हाथ में तो दूसरा बाये हाथ में स्वाति ने दोदो लंड अपनी चूत गांड चूंची मुह सभी जगह चुदवाकर मस्त हो गयी अब उसे मालूम हुआ की काला लंड कितना मजेदार होता है गोरी चूत काला लंड और गोरा लंड काली चूत को चोदने का मज़ा ही कुछ और है आप भी आजमा कर देखिये

FUN-MAZA-MASTI अतृप्त पड़ोसन की तृप्ति

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अतृप्त पड़ोसन की तृप्ति

 
बात उस समय की है जब हम एक महानगर के पास के एक छोटे से शहर में रहने गए. वो एक नई कालोनी थी और बाज़ार दूर था इस. उसी समय हमारे पड़ोस के मकान में एक परिवार रहने आया. पति पत्नी और उनका ६ महीने का बच्चा. उस औरत को जब भी देखता था तो मेरे लंड उससे सलामी देने लगता था. क्या ज़बरदस्त माल थी. उमर २१ साल. बच्चा होने के बाद भी अच्छा संवार कर रखा था उसने अपने आप को.
पतली कमर गोरा रंग और भरा हुआ शरीर. मुझे शुरू से ही भरे बदन की ज़बरदस्त आंटियां पसंद हैं. आंटी को हिन्दी फिल्मों का बहुत शौक था. और मुझसे हर हफ्ते १ -२ फिल्मों की कैसेट मंगवा कर घर पर देखती थी. उसके पति का ट्रांसपोर्ट का बिज़नस था और उन दिनों उनके अहमदाबाद के कई चक्कर लगते थे. वो महीने में मुश्किल से एक हफ्ता ही घर पे रह पाते थे. पर जब वो घर पर होते थे तो भी मुझसे ही फिल्में मंगवाया करते थे. विडियो लाइब्रेरी वाला उनका दोस्त था, वोह उससे फ़ोन कर देते थे और मैं कैसेट ले आता था. पर जब वो कैसेट मंगवाते थे तो मुझे फ़िल्म की स्पेल्लिंग असली स्पेल्लिंग से अलग लगती थी.
एक दिन अंकल घर आए, मुझसे एक फ़िल्म मंगवाई. अगले दिन मैं कॉलेज से वापस आया तो देखा कि घर पे ताला लगा है तो मैं आंटी के घर चला गया. आंटी ने बताया कि मम्मी को मार्केट जाना था तो वो अभी गई हैं, तुम यहीं इंतज़ार कर लो. मैंने अंकल के बारे में पूछा तो पता चला कि उनका ट्रक ख़राब हो गया है तो वो सुबह ही चले गए हैं और १० दिन के बाद आएंगे. आंटी का मूड बहुत ख़राब था. मुझे लगा कि वो अभी रो रही थी. मैंने पूछा तो वो बोली कि तबियत ठीक नहीं है. मुझसे कहा कि मैं नहा कर आती हूँ फिर चाय बना दूंगी.
मैं बैठ गया, अचानक मेरी नज़र उस कैसेट पर पड़ी और मैं सोच ही रहा था कि इस फ़िल्म कि स्पेल्लिंग भी कुछ अलग क्यों है. थोड़ी देर में आंटी नहा कर आ गई और चाय बना लायी. मैंने उनसे पूछा कि आंटी कुछ कैसेट की स्पेल्लिंग ग़लत क्यों लिखी होती है, तो वोह मुस्कुरा दी और बात को घुमा दिया. फिर अंकल और उनके काम के बारे में बात होने लगी तो वो कहने लगी कि अंकल के पास मेरे लिए समय नहीं है और अचानक फिर से रोने लगी और अपना सर मेरे कन्धों पर रख दिया. मैंने उनके कन्धों पे हाथ रखा और चुप कराने की कोशिश करने लगा.
उन्होनें स्लीवेलेस सूट पहना था और उनकी चिकनी बाहों का स्पर्श मुझे मजा देने लगा. मेरा लंड खड़ा हो गया और पैंट से बाहर आने के लिए मचलने लगा. मैं आंटी को तसल्ली देने लगा और बोला कि आप जैसी सुंदर बीवी को छोड़ कर वो कैसे चले जाते हैं. अगर मैं आपका पति होता तो ..... फिर चुप हो गया तो वो बोली कि अगर होते तो ... आगे बोलो ... मैंने कहा कि तो मैं आपको दिन रात प्यार करता. वो बोली कि फिर तुम्हारे अंकल क्यों नहीं करते ... क्या मैं अच्छी नहीं हूँ ....?
मैंने कहा कि आप बहुत सुंदर हो ...फिर धीरे से मैं ने उसके होठों को चूम लिया और हम दोनों धीरे धीरे एक दूसरे को किस करने लगे. धीरे धीरे हमने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और ज़ोरदार किस चालू हो गई, होंठ होंठों को चूसने लगे। कभी मेरी जीभ उसके मुहँ में जाती और कभी उसकी जीभ मेरे मुहँ में। अचानक वो बोली कि तुम पूछ रहे थे ना कि इस मूवी की स्पेल्लिंग ग़लत क्यों है ? तो उस मूवी को ओन करो पता चल जाएगा। मैंने वीसीआर में मूवी लगा दी, वो बेड पे बैठ गई और आवाज़ कम कर दी. मैं भी उसके पास जाकर बैठ गया। वो एक नग्न मूवी थी।
ब्लू फ़िल्म देखते देखते हम उत्तेजित हो गए और मैंने किस करते करते उसका कुरता उतार दिया ...मेरे हाथ उसकी पीठ पर फिरने लगे... ...क्या चिकना बदन था उसका ....फिर उसने मेरा शर्ट और बनियान निकाल दी .... मैं एक बात बतानी भूल गया कि मैं जिम्नास्टिक का प्लेयर हूँ और इसी वजह से मेरी फिजिक ज़बरदस्त है .... फिर धीरे से मैंने उसकी ब्रा खोल दी। उसके मस्त कबूतर फडफडा कर बाहर आ गए और मैं उन्हे धीरे धीरे दबाने लगा.उसने मुझे कस कर बाहों में भर लिया ... उसका गरम चिकना नाजुक शरीर .. मुझे ऐसा लगा जैसे इससे अच्छी फीलिंग कोई हो ही नहीं सकती ... फिर मैंने धीरे धीरे उसके बूब्स बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया ... उसने मस्ती में अपने सर पीछे फ़ेंक दिया और मज़े में सिस्कारियां लेने लगी ... मैंने धीरे धीरे उसकी सलवार का नाडा खोल दिया।
अब मेरे हाथ उसके पूरे नंगे शरीर को सहलाने लगे पैरों से लेकर कंधे तक। और मैं चूसते और चूमते हुए नीचे जाने लगा। फिर मैंने उसकी नाभि पे जीभ फिरानी शुरू कर दी .... फिर मैं उसके पैरों की तरफ़ चला गया और उसके पैर के अंगूठे और उँगलियों को एक एक करके चूसने लगा ... इससे वो और उत्तेजित होने लगी और मुझे प्यार से देखकर मीठी मीठी सिस्कारियां लेने लगी ..... फिर मैंने अपनी पैंट उतार दी और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से हलके हलके सहलाने लगा ...
उसने फिर मेरे अंडरवियर में हाथ डालकर मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया.... .... उसके हाथों के स्पर्श से मेरा लंड लकड़ी की तरह सख्त हो गया और मैंने उसकी पैंटी को अलग करके उसकी मस्त चूत को चाटना शुरू कर दिया और बीच बीच में जीभ को चूत के अंदर डालकर क्लिट्स को चाट लेता था। थोड़ी देर सिस्कारियां लेने के बाद वो मेरा सर पकड़ कर जोर से चूत पे दबाने लगी और चूत को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी .... मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है।
थोडी देर में उसकी चूत से पानी निकलने लगा पर मुझे अच्छा नहीं लगता सो मैंने मुँह हटा लिया। वो धीरे धीरे साँसे लेने लगी ... पर मेरी बेचैनी बढती जा रही थी। ... मैंने फिर से उसके बूब्स से खेलना शुरू कर दिया और वो फिर से मस्त होने लगी। मैं उसके बूब्स मसलते हुए किस करने लगा और सारे बदन को सहलाता रहा थोडी देर मैं वो फिर से उत्तेजित होने लगी।
फिर उसने पलंग से नीचे बैठकर मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया ...... सच कहूँ तो ऐसी चुसाई का मजा मुझे और किसी ने नहीं दिया ...और मेरी झाटों से खेलने लगी .... थोडी देर में मेरे लंड का पानी निकल गया और उसने एक एक बूँद चाटकर साफ़ कर दी .... फिर हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा .... वो बोली कि यह बड़ा शैतान है ... देखो फिर से उठ गया .... मैंने कहा कि मैंने तुम्हें कहा ही था कि मैं तुम्हे सारी रात प्यार कर सकता हूँ ...
वो बहुत भावुक हो गई और मुझे ज़ोर से गले लगा लिया और मेरे होंठ चूसने लगी ... अब हम दोनों पूरे जोश में आ चुके थे। मैंने उसको लिटा दिया और पैरों के बीच मैं आ गया .... फिर मैंने उसके चूतड़ों के नीचे २ तकिये रख दिए और उसके दोनों पैर अपने कन्धों पे रख लिए। फिर मैं लंड को उसकी चूत पे रगड़ने लगा ... वो पागल हो रही थी और लंड अंदर पेलने की मिन्नत करने लगी... .... थोड़ा तरसाने के बाद मैंने एक ज़ोरदार झटका लगाया और मेरा लंड आधा उसकी चूत में चला गया ..... उसकी चूत बहुत टाइट थी ...
उसने अपना निचला होंठ दातों में दबा लिया और मुझे रोकने का इशारा किया... ... फिर बोली कि दर्द हो रहा हैं आराम से करो ... मैं थोडी देर और रुका और फिर दूसरा धक्का लगाया तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समां गया। और वो दर्द से करह उठी। मैंने फिर थोड़ा इंतज़ार किया ... उसका दर्द कम हो गया था और उसने धीरे धीरे अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी ..... .. फिर मैंने भी अपने धक्के तेज़ कर दिए और लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर होने लगा ...
उसे भी पूरा मज़ा आ रहा था और वो मेरा साथ देने लगी .... थोडी देर बाद मैंने अपने पंजे बेड पर टिका दिए और घुटने सीधे करके ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे होने लगा .... यह एक ज़बरदस्त पोसिशन होती है बिल्कुल ऐसे जैसे दंड बैठक करते हैं .... इसमें बहुत मज़ा आता है .... और वो झड़ के निहाल हो गई .....
मैंने फिर से उसे किस करना शुरू किया ... फिर वो बोली कि मैं ऊपर आ जाती हूँ .... मैंने कहा ठीक है .... तो वो मेरे ऊपर बैठ गई और पैर मोड़कर उछलने लगी ..... मेरा लंड पूरा अन्दर बाहर हो रहा था और उसे भी मज़ा आ रहा था .... थोडी देर बाद वो फिर से झड़ गई। फिर मैंने उसे नीचे लिटाया और एक पैर ऊपर कर कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा ...... थोडी देर इसी तरह चुदाई करने के बाद मैंने उसे डोग्गी स्टाइल मैं आने को कहा तो वो डर गई ... बोली पीछे से नहीं .... बहुत दर्द होगा .... तो मैं समझ गया कि अभी गांड नहीं मरवाएगी। ... मैंने कहा कि नहीं मैं पीछे से चूत में ही डालूँगा ...
वो धीरे धीरे डोग्गी स्टाइल में आ गई और मैंने पीछे से लंड उसकी चूत में डालकर धक्के लगाने लगा .... वो मजे से सिस्कारियां निकालती रही और गांड को आगे पीछे करती रही ... मैं उसकी गांड के छेद को धीरे धीरे मसलता रहा ..... और थोडी देर में हम दोनों एक साथ फिर से झड़ गए .... फिर मैं लेट गया और वो मेरे साथ लगकर लेट गई ..

FUN-MAZA-MASTI रात की ड्यूटी

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रात की ड्यूटी

मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ।
मैं आपको अपनी दो साल पहले की आप बीती बता रहा हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं १२ वीं कक्षा में पढ़ रहा था। मेरे पड़ोस वाले घर में एक नया जोड़ा आया था जिनकी शादी को लगभग २ महीने ही हुए थे। जब मैंने उस औरत को देखा तो मेरे होश ही उड़ गए। वो एक परी के जैसी थी, वो बहुत सुंदर थी और गोरी भी थी मानो ऐसी कि अगर छू लो तो मैली हो जाए, और उसके स्तन बहुत मोटे थे जैसे कि फुटबॉल। जब वो चलती थी तो उसकी गांड को देख कर लण्ड कच्छा फाड़ने को हो जाता था। मैंने जिस दिन से उसे देखा, उसी दिन से मैं उसे चोदने की तरकीब सोचने लगा और उससे बातें करने की कोशिश करने लगा।
जब मैंने उससे थोड़ा मेल जोल बढ़ाया तो मुझे पता लगा कि उसके पति की रात की जॉब है, य़ानि वो रात में अकेली होती है। अब मैं उससे मिलने का बहाना ढूंढने लगा। तभी मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों ना उससे कुछ मांगने के बहाने मिला जाये।
मुझे अचानक याद आया कि मुझे अपने प्रिंटर की शिकायत करनी है इसके लिए एम टी एन एल फ़ोन से एच पी सर्विस सेण्टर पर फ्री बात होती है और मेरे घर में एम टी एन एल फ़ोन नहीं है। इसलिए मैं फ़ोन के बहाने उसके घर गया और मैंने रात के आठ बजे उसकी दरवाजे की घंटी बजा दी क्योंकि मैंने पता लगा लिया था कि उसका पति शाम ७ बजे घर से निकल जाता है।
घंटी बजाते ही उसने दरवाजा खोला और बोली- अरे आप ? बोलिए कैसे आना हुआ ?
मैंने कहा- आपके घर में एम टी एन एल फ़ोन है?
उसने कहा- है !
मैंने कहा मेरा प्रिंटर ख़राब हो गया है, इसलिए मुझे उसकी शिकायत सर्विस सेण्टर पर करनी है, एम टी एन एल फ़ोन से कॉल मुफ्त है, यदि मैं अपने फ़ोन से कॉल करता हूँ तो बहुत पैसे लगते हैं।
उसने कहा- आप बैठ कर कॉल करो, मैं आपके लिए चाय बना कर लती हूँ।
उस समय वो क्रीम रंग की नाईटी पहने हुई थी जिसमें से उसके स्तन क़यामत ढा रहे थे, जिनको देख कर मेरी ऑंखें फटी की फटी रह गयी, मेरी कॉल पर बात चल ही रही थी कि वो चाय ले कर आई और उसने चाय सामने पड़ी मेज़ पर रखी तो मुझे उसके स्तनों के दर्शन साफ़ ढंग से हुए, जिनको देख कर मैं बेचैन हो गया और वो सामने पड़े सोफे पर बैठ गई।
उस समय मेरे दिमाग में यह योजना चल रही थी कि कहाँ से बात शुरू करूँ !
जैसे ही मैंने चाय का पहला घूँट पिया वो बोली कि मैं बिस्कुट लाना तो भूल ही गई और वो बिस्कुट लेने के लिए उठी और रसोई की तरफ जाने लगी। तब मैंने उसकी गांड देखी तो मेरा लंड काबू से बाहर हो गया। जब वो रसोई में गई तो मैंने उसका ख्याल लाकर मुठ्ठी मरना शुरू कर दिया। अचानक उसके पैरों की आहट सुन कर मैंने अपना लंड पैंट में डाल लिया, लेकिन लंड पूरे जोश में खड़ा था।
तभी उसने बिस्कुट मेरे सामने रखे तो वो अचानक भांप गई कि मैं कुछ कर रहा था क्योंकि उसकी नज़र ने मेरे लंड को पैंट में खड़ा देख लिया और मैं हांफ भी रहा था। मुझे लगा वो समझ चुकी है कि मैं मुठ मार रहा था क्योंकि उसके चेहरे के भाव ही कुछ ऐसे थे।
तभी मैंने अपने मन को शांत किया और अपने मन को कहा- साले एक दिन में औरत काबू होकर नहीं चुदती, उसके लिए औरत को समय देना जरुरी है।
तो मैंने सोचा कि पहले इससे दोस्ती करनी होगी। तभी मैं बोला- भाभी जी ! आप क्रीम रंग की नाईटी में बहुत अच्छी लग रही हैं !
उसने मुझे इसके लिए धन्यवाद कहा और हम दोनों बातें करने लगे। बात करते करते रात के १० बज गए, तभी मैंने कहा- भाभी जी मुझे अब घर जाना होगा !
भाभी बोली- थोड़ी देर और रुक जाओ ना ! तुम चले जाओगे तो मैं अकेली हो जाऊंगी, प्लीज़ थोडी देर और !
मैंने कहा- भाभी मेरी सुबह परीक्षा है।
भाभी बोली- किस चीज़ की?
मैंने कहा- फिजिकल एजूकेशन की, और मुझे घर जा कर पढ़ना है।
भाभी बोली- मेरे १२ कक्षा में फिजिकल एजूकेशन में ८०% नंबर आए थे, मैं तुम्हें पढ़ा देती हूँ। चलो पूछो- क्या पूछना है? तुम्हारे सारे प्रश्नों का मेरे पास उत्तर है।
मैं खुश हो गया और मैंने प्रश्न किया- लड़कियों की माहवारी कितने दिन बाद आती है?
उसने कहा- २० से ३० दिन के बाद ! और लेट भी हो सकती है, या जल्दी भी आ सकती है।
जैसे ही उसने बताया तो मैं शरमाने लगा !
उसने कहा- शरमाओ मत, पूछो ! जो मन में है !
उसने मेरा होंसला बढाया। तब मैंने पूछा- लड़कियों की चूत पर बाल कितनी उम्र में आते हैं और सम्भोग करते समय लड़कियों के साथ क्या किया जाये कि वो अत्यंत आनंद ले सकें !
भाभी थोड़ी सी हंसी, फ़िर बोली- तुम्हारे प्रश्न तो बड़े टेढ़े हैं पर मैं पीछे नहीं हटने वाली !
मैं समझ गया कि उसके मन में कुछ चल रहा है।
भाभी बोली- चलो, बेडरूम में चल कर पढ़ते हैं।
और हम दोनों बेडरूम में चले गए।उसने कहा- चलो अब बताती हूँ कि लड़कियों की चूत पर बाल कब आते हैं। लड़कियों की चूत पर बाल 12 से 14 साल की उम्र में आते हैं। दूसरी बात- तुमने पूछा था कि लड़कियों के साथ कैसे सम्भोग किया जाए कि वो परम आनन्द ले सकें।
तो इसे समझाने के लिय तो तुम्हें कुछ प्रैक्टीकल करना होगा।
मैं उसका मतलब समझ चुका था।
मैंने कहा- क्या प्रैक्टीकल?
उसने कहा- मुझे यह समझाने के लिए अपना कुछ दिखाना पड़ेगा।
मैंने कहा- दिखा दीजिए।
उसने कहा- डरोगे तो नहीं?
मैंने कहा- मैं कभी नहीं डरता हूँ, मैं पढ़ाई के लिए कुछ भी कर सकता हूँ।
तभी भाभी ने अपनी नाईटी उतार दी। वो अब एक पारदर्शी चड्डी और ब्रा में थी।
मैंने कहा- यह क्या कर रही हो?
उसने कहा- तुम्हें प्रैक्टिस से पढ़ा रही हूँ।
मेरा लण्ड तन गया था। अब वो मेरे पास आई और उसने मुझसे अपनी कच्छी और ब्रा उतारने को कहा।मैंने वैसा ही किया, उसकी कच्छी और ब्रा उतार दी। उसकी चिकनी चूत देख कर मेरे लौड़े में आग लग गई। अब मैं रुक नहीं पा रहा था। उसने मेरे खड़े लौड़े को पैन्ट में से ही भाम्प लिया।
मैं एकदम डरा हुआ था।
तभी वो बोली- अब क्या हुआ? पहले तो नाईटी में से मेरी गाण्ड देख कर मुट्ठ मार रहे थे। अब लण्ड खड़ा नहीं हो रहा क्या?
मैं चकित रह गया कि उसने मुझे मुट्ठ मारते देख लिया था। तभी उसने मेरे लण्ड पर अपना हाथ रख दिया और उससे खेलने लगी।
मेरे जोश के सागर में उफ़ान आने लगा। तभी उसने मेरी ज़िप खोल कर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। अब मैं भी खुल गया। मैंने उसके स्तन दबाने शुरु कर दिए। वो भी अब जोश में आ गई थी।
तभी उसने मुझे उसकी चूत को चौड़ा करने के लिए कहा।
मैंने चूत के दोनों ओर हाथ लगाया और उसकी चूत को खोल कर चौड़ा कर दिया।
उसने मुझे बताया- अगर मर्द अपने लण्ड की रगड़ औरत की गुठली पर मारता है तो औरत परम आनन्द प्राप्त करती है।
तो मैंने कहा- आप अभी यह आनन्द प्राप्त करना चाह्ती हो?
उसने हंसते हुए कहा- इसके लिए तो इतने पापड़ बेले हैं। चल मादरचोद ! मुझे चोद अब !
अब वो एकदम नंगी होकर बेड पर अपनी टांगें फ़ैला कर लेट गई और कहने लगी- आ जा ! चोद दे मुझे ! चोद डाल !
ऐसा कहते हुए वो अपनी चूत की गुठली को अपन्ने हाथ से रगड़ रही थी।
वो एक बार फ़िर से बोली- चोद दो मुझे !
मैंने इतनी चिकनी चूत पहली बार देखी थी और यह मेरा चूत चोदने का पहला मौका था।
मैंने अपना खड़ा लण्ड उसकी चूत पर रखा और एक तेज़ धक्का दिया, मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया।
वो चिल्ला पड़ी, बोली- आराम से डाल मादरचोद ! क्या मेरी चूत फ़ाड़ डालेगा !
मैंने मज़ाक में कहा- हाँ !
उसने कहा- तो देर क्यों लगा रहा है? फ़ाड़ दे चोद चोद कर !
अब मैंने धक्के लगाने शुरु कर दिए।
उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मैंने भी। कुछ देर में हम दोनों की सांसें बढ़ने लगी।
उसने कहा- तेज़ तेज़ चोद !
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है। मैंने तेज़ तेज़ धक्के लगाए।
वो ' हाँ हाँ चोद और चोद ! जोर से चोद दे ! और तेज़ ! तेज़ ! ' कहती हुई झड़ गई।
उसके बाद मैं भी झड़ गया। हम दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया और मैं अपने कपड़े पहन कर अपने घर आ गया।
अब जब भी उसका पति रात की ड्यूटी करता है तो मैं उसके साथ रात की ड्यूटी करता हूँ।

 

FUN-MAZA-MASTI खड़ा लंड बेशरम चूत

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खड़ा लंड बेशरम चूत

अबे तेरी माँ की भोसड़ा मादर चोद बहन के लौडे इतना बड़ा और मस्त मस्त लंड अब तक कहाँ छुपा कर रखा था देखो साला गाली सुनकर कैसे उछल रहा है बेटी चोद सुपाडा को तो देखो जैसे पहाडी आलू और लंड ऐसा लग रहा है कि जैसे किसी आदमी का नही बल्कि घोडे का लंड है आज मुझे लगता है कि मैंने किसी मर्द का लंड पकड़ा है

यह कहते हुए और प्यारी प्यारी अश्लील गालियाँ देते हुए मिसेज़ पूजा सिंह अपने बॉस गौतम के लंड से खेल रही थी गौतम बेड पर एकदम नंगा पैर फैला कर लेटा था पूजा पैरों के बीच बैठ कर लंड को हिला रही थी पूजा को बिल्कुल नंगी देख कर लौड़ा बड़ी बड़ी छलांगे लगा रहा था पूजा दूसरे हाथ से पेल्हर सहला रही थी फिर एक दम झुकी और लंड को चूसने लगी गौतम अपनी गांड उछाल उछाल कर लंड चुसवा रहा था लंड का रस और पूजा की लार दोनों मिलकर लंड को एकदम गीला कर दिया चपर चपर फचर फचर की आवाजे आने लगी पूजा बोली भोसड़ी के गौतम आज मुझे लंड चूसने का असली मज़ा आ रहा है अभी तक तो सब के लंड साले बन्दर की नूनी के बराबर ही थे चूसते ही झड़ जाते थे मादर चोद लेकिन तेरा लौड़ा साला बड़ा मज़बूत है जितना चूसती हूँ उतना और तनतना जाता है आज लगता है मेरी चूत की खैर नही है मेरी चूत की गांड अभी से फट रही है अब पूजा ने लंड अपनी दोनों चूंची के बीच में घुसेड लिया और ऊपर नीचे करने लगी लंड चूंचियों का मज़ा ले रहा था थोडी देर में गौतम उठा और पूजा की दोनों चूंची अपने हाथों में लेकर दबाने लगा फिर बारी बारी से दोनों को खूब चूसा बोला साली रंडी की औलाद बुर चोदी पूजा तू साली बड़ी घुटी हुई औरत है लगता है दस बीस लंड भी तेरे लिए कम पड़ेंगे तू बहन की लौड़ी बड़ी चुदक्कड औरत है यह कह कर गौतम ने पूजा को बेड पर पटक दिया और उस पर चढ़ बैठा लंड चूत में घुसेड कर चोदने लगा पूजा बोली पूरा लंड घुसेड दे बहन चोद जल्दी जल्दी अन्दर बाहर कर अपने लौडे को अन्दर तक पेल दे अपना हलब्बी लंड फाड़ दे मेरी चूत को साले हरामी की औलाद कहाँ से लाया इतना मोटा लंड मेरी तो बुर फटी जा रही है अच्छा ले अब पीछे से चोद कुत्तो की तरह चोद ले कस के अभी तुझे बेटी चोद मेरी गांड भी मारनी पड़ेगीऔर मैं अभी चुन्ची भी चुद्वायुंगी
दोस्तों इस मजेदार चुदाई को देखने का मन किसका नही होगा और ये दोनों चाहते है की कोई इनकी चुदाई देखे इससे पहले की चुदाई ख़तम हो जाए और लंड झड़ जाए मैं आपको बताना चाहता हूँ की मिसेज़ पूजा सिंह एक शादी शुदा औरत है इनकी उम्र ३४ साल की है इनके पति अधिकतर विदेश में रहते है इसलिए पूजा यहाँ पर अकेली रह कर मौज मस्ती करती है ये आज कल गौतम की व्यक्तिगत सचिव है गौतम अपनी एक निजी कम्पनी में एम् डी है पूजा के पास अपार संपत्ति है गौतम के पास उनसे ज्यादा धन है इनकी उम्र अभी केवल ३० साल की है पूजा तो केवल अपना समय काटने के लिए और खूबसूरती बनाये रखने के लिए नौकरी कर ली है बड़ी बड़ी चूंची और उभरे हुए चुतड इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देते है सेक्सी होने के नाते इसको चुदवाने का बड़ा शौक हो गया है उधर गौतम भी खूबसूरत नौजवान है उसकी कमजोरी हैं लड़कियां लौडियों को लंड पकडाना और उन्हें चोदना उसका शौक है पूजा जब साक्छात्कार के लिए आयी थी तो गौतम को पहली बार देखते ही मन में कहा था की एक बार तू भोसडीवाले मुझे नौकरी पर रख ले फिर मैं तेरे लंड को अपनी चूत में डाल कर भरता बना दूँगी उधर गौतम ने जब पहली बार पूजा को देखा तो मन में कहा अरे बुर चोदी तू एकबार मेरी नौकरी ज्वाइन कर ले फिर मैं तुझे चोद चोद कर तेरी बुर का हलवा निकाल दूँगा अब गौतम पूजा की छाती पर चढ़ कर उसकी चूंचियां चोदने लगा बार बार सुपाडा पूजा के मुह तक पहुँच जाता था वह उसे अपनी जबान निकाल कर चाट लेती थी थोडी देर में पूजा खड़े लंड पर बैठ गयी लौडा शीधे उसकी चूत में घुस गया पूजा स्वयं उछल उछल कर लौडा चोदने लगी फिर दो मिनट में गौतम उठ खड़ा हुआ पूजा उसकी टांगो के बीच में बैठ गयी उसने लंड हाथ में लिया और सड़का मारने लगी अपना मुह खोल कर जल्दी जल्दी लंड मुठीयाने लगी देखते ही देखते लंड उसके मुह में झड़ गया पूजा ने झड़ते हुए लंड के सुपाडे को आम की गुठली की तरह चाटने लगीगौतम ने एक अनोखा धंधा निकाला है जो लोग अपनी बीविओं से दूर रहते है उन्हें चूत चोदने का मौका नही मिलती है उनके लिए चूत का इंतजाम करते है दूसरी तरफ़ जो औरतें अपने पति से दूर रहती है उन्हें लंड चुदवाने को नही मिलते है उनके लिए लंड का इंतजाम करते है इनमे वो लोग भी सामिल है जो विधवां है और वो भी जिनकी बीविओं नही है धंधा जोरों पर चला रहा है और अब इसमे अविवाहित लड़के और लड़कियां भी शामिल होने लगे है इस तरह की चोदा चोदी की फीस केवल १०००/-मर्द से तथा ५००/- औरत से ली जाती है मतलब यह की १०००/- देकर दिन भर जिस औरत को चाहो चोद सकते हो वहीँ ५००/- देकर जिस लंड से चाहो चुदवा सकती हो इस चोदा चोदी में जितने चाहो लंड लेलो और जितनी चाहो चूत चोद लो चुदाई सामूहिक रूप से होती है सब एक दूसरे के सामने ही चुद्वाती है /चोदते है
एक दिन गौतम ने पूजा से कहा हमें अपनी कंपनी में कुछ लड़के और लौडियां भरती करना है इसका विज्ञापन निकाला गया है और अब उनका साक्छात्कार लेना है पूजा बोली सर हो जाएगा मैं कल समय पर आ जाउंगी दूसरे दिन का माहौल बड़ा अच्छा था अन्दर कमरे में गौतम और पूजा थी बाहर सब लड़के और लड़कियां ऑफिस में एक लड़की नीलू नाम की थी वह बाहर आई और बोली देखो आप लोगों में से केवल दो लड़के और दो लड़कियों की ही भरती की जायेगी आप में से जो खुल कर बड़ी बेशर्मी से गन्दी गन्दी बातें करेगा उसका चांस ज्यादा होगा सबसे पहले एक लड़का आया अन्दर घुसते ही उसने पूजा को देखा तो दंग रह गया पूजा की अधनंगी दोनों चूंची मेज पर ऐसी रखी थी जैसे दो गुलदस्ते लड़के का लौडा पैंट के अन्दर से ही सनसना उठा
गौतम :- तुम्हारा नाम क्या है कहाँ से आए हो ?
वह बोला:- मेरा नाम पंकज है मैं मुंबई से आया हूँ
गौतम:- चुदाई के बारे में क्या जानते हो ?
पंकज :- सर जब कोई आदमी अपना लंड किसी औरत की चूत में डालता है तो उसे चुदाई कहते है
पूजा:- तुमने अब तक कितनी लौडियां चोदी है ?
पंकज :- मैडम मैंने तो अभी तक कोई भी लौडियां नही चोदी है
पूजा:- तुम्हारा लंड कितना बड़ा है ?
पंकज :- मैडम 7" लंबा और 4" चौडा है
पूजा :- अभी तक तुमने अपना लंड कैसे इस्तेमाल किया है ?
पंकज :-मैडम अपने दोस्तों के लंड से अपना लंड लड़ा कर
पूजा:- उनके लंड क्या तुम्हारे से बड़े है ?
पंकज :- नही मैडम पर लगभग बराबर ही है
पूजा:- तो क्या तुम एक दूसरे की गांड मारते हो ?
पंकज :- हां मैडम कभी कभी वैसे हम लोग एक दूसरे का लंड पकड़ कर हिलाते है मुथियाते है और फिर लंड से लंड लड़ा कर सड़का मार देते है
पूजा:- अच्छा अब एक दम नंगे होकर अपना लंड दिखावो
पंकज :- जी मैडम देख लो ( वह नंगा हो कर बोला )
पूजा ने लंड पकड़ा हिलाया और गौतम से बोली सर लंड बड़ा मस्त लगता है इसको भरती कर लिया जाए
गौतम :- पंकज तुम अन्दर के कमरे में जाकर नंगे ही बैठे रहो अभी बुलाउंगा
दूसरा नम्बर एक लड़की का था वह अन्दर आई और बैठ गई
पूजा:- तुम्हारा नाम क्या है और तुम चूंची के बारे में क्या जानती हो ?
वह लड़की बोली :- मेरा नाम कांता है मैडम लड़की की चूंची १०/१२ साल से निकलने लगती है बड़े होने यह भी बड़ी बड़ी हो जाती है इनको दबाने पर मज़ा आता है
पूजा:- अभी तक कितने लोग तुम्हारी चूंची दबा चुके है ?
कांता :- करीब करीब ८/१० लोग
गौतम ने अपनी पैंट खोल कर पूंछा :- कांता तुम इसे पकड़ सकती हो?
कांता :-हां सर उसने पकड़ते हुए कहा
गौतम ;- इसे क्या कहते है ?
कांता:- इसे लंड कहते है सर
गौतम:- तो लौडा क्या है ?
कांता :- सर यही लंड जब खूब जमकर खड़ा हो जाता है तो उसे लौडा कहते है
पूजा:- तुम इसको मुह में डाल कर चूस सकती हो ?
कांता :- हां मैडम चूसना मुझे अच्छा लगता है
पूजा:- लेकिन बिल्कुल नंगी होकर चुसना पड़ेगा
कांता :- लो मैडम मैं अभी नंगी हो जाती हूँ कांता नंगी हो कर गौतम का लंड चूसने लग जाती है
पूजा :- तुमने चूत कितनी बार चुदवाई है
कांता ;- गिना नही मैडम लेकिन १५/२० तो जरूर चुदवा चुकी हूँ
पूजा :-गांड भी मरवाया है?
कांता :- हां मरवाया है अब कोई गांड मारना चाहता है तो मैं शौक से मरवा लेती हूँ
गौतम:- अच्छा अब तुम नंगे ही उस कमरे में बैठ जावोनीलू फिर बाहर आई और बोली देखो जिन लड़कों का लंड ७" का या इससे बड़ा हो वो रुक जायें बाकि सब चले जायें और जिन लौडियों कि चूंची ३६" की हो या इससे ज्यादा वे रुकें बाकी चली जायें ऐसा कहने पर केवल एक लड़की और दो लड़के ही रह गए गौतम ने उन तीनो को अन्दर बुला लिया और पूंछा तुहारा नाम क्या है लड़की बोली सर मेरा नाम सुषमा है दूसरे ने कहा सर मेरा नाम अली है तीसरे ने कहा कि सर मेरा नाम डब्बू है
पूजा:- तुम तीनो लोग एक लाइन से खड़े हो जायो
वो तीनो खड़े हो गए
पूजा:-डब्बू तुमने कभी नंगी लड़की देखी है
डब्बू:- पूरी नही देखी है मैडम
पूजा:- क्या मतलब?
डब्बू:- मतलब वह कि कभी चूंची देखा कभी चूत देखा कभी गांड देखा लेकिन एक साथ सब कुछ कभी नही देखा पूजा:-तो तुमने अभी तक कोई बुर नही चोदी है क्या?
डब्बू:- नही मैडम बुर तो चोदा है लेकिन रात में
पूजा:- रात में चोदने का मज़ा आया था क्या?
डब्बू :- मुझे नही लेकिन मेरे लंड को थोड़ा आ गया था
पूजा:- अली तुमने अभी तक कितनी लड़कियों को चोदा है
अली :- मैंने सबसे पहले अपनी सौतेली माँ को चोदा फिर मामूजान कि लड़की को चोदा खाला को चोदा पड़ोस कि आंटी को चोदा उनकी लड़की को चोदा इन सब को कई कई बार चोदा है मैडम
पूजा:-सुषमा तुम अब तक कितने लंड पकड़ चुकी हो और सबसे अच्छा किसका लौडा था ?
सुषमा:- मैं अभी तक लगभग १०/१२ लंड पकड़ चुकी हूँ उनमे सबसे बड़ा लंड तो मौसा का था ८"लंबा था
पूजा:- तो सब से चुदवाया भी होगा
सुषमा :- हां सबने मुझे चोदा भी है लेकिन एक आदमी है जिसने अभी नही चोदा है वह है मेरे मामा जिनका लौडा मैंने कई बार पकड़ा है पर चुदवाया नही
पूजा :- क्यो नही चोदा अभी तक
सुषमा :- उनको केवल लौडा हिलवाने में लौडा चुस्वाने में और सड़का लगवाने में ही मज़ा आता है
गौतम :- सुषमा अब तुम नंगी हो जाओ और इन दोनों को नंगा कर के इनके लंड खड़े करो
देखते ही देखते दोनों लड़के नंगे हो गए सुषमा ख़ुद भी नंगी हो गयी दाहिने हाथ में डब्बू का लंड बाएं हाथ में अली का लंड लेकर मुठियाने लगी थोडी देर में लौडे खड़े हो गए तब तक पूजा ने पंकज और कांता को भी बाहर बुला लिया पूजा कि चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी वह उठी और पंकज अली और डब्बू तीनो का लंड एक साथ बदल बदल कर चूसने लगी उधर सुषमा और कांता दोनों मिलकर गौतम का लंड बारी बारी से चूसने लगी पूजा ने अली का लंड अपनी चूत में घुसेडा और उन दोनों का लंड चाटने लगी फिर कुतिया कि तरह बन कर चूत और गांड एक साथ मरवाया थोडी देर में अली कांता के पास चला गया कांता ने हाथ बढ़ा कर उसका लंड पकड़ लिया और चूसने लगी फिर जम कर चुदवाया इतने में सुषमा अपनी चूत दिखाकर बोली लो भोसड़ी के लंड वालों तम लोग जैसे चाहो वैसे चोद लो मेरी चूत साली बड़ी बेशरम है उधर कांता ने कहा मेरी भी चूत माँ कि लौड़ी बड़ी बेशरम है कहो तो बीच बाज़ार में चुदवा ले इसका उत्तर पूजा ने दिया अरे यार मेरी चूत देखो भोसड़ी कि इतनी बेशरम है बिना हिचक लंड पर लंड खाए चली जा रही है बीच बाज़ार में इसे कई लंड से चुदवाने में इसे कोई शर्म नही आती है 

FUN-MAZA-MASTI मचलते लंड फुदकती चूत

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मचलते लंड फुदकती चूत 

सलमा बोली अम्मी देखो आज मैं अनवर अंकल से चुदवौंगी उनसे कह देना की अपने साथ असलम को भी लेते आयें क्योकि मुझे उसका लंड बहुत पसंद है अब मुझे दो दो लंड से चुदवाने में ही मज़ा आता है अम्मी बोली तो मैं फिर क्या करूंगी सलमा ने उत्तर दिया तुम मेरे शौहर से चुदवा लेना उसका लौडा तो तुमको पसंद है न साथ में खालू को ले लेना मैं जानती हूँ की तुम उनसे अच्छी तरह चुदवाती हो
यह कह कर सलमा चली गयी दरअसल वे दो नो माँ बेटी एक साथ चुदवाने में बड़ी माहिर हो चुकी है क्यों की लंड बदल बदल कर चुदवाने का दो नो को शौक हो गया है घर भर के लौडे सभी दोनों को चोद चुके है यहाँ तक कि सलमा अपने बाप से भी चुदवाती है जब पहली बार उसकी माँ ने कहा की सलमा ले अब तू अपने अब्बा का लंड पकड़ तो पहले सलमा कुछ संकोच कर गयी फिर उसकी माँ ने बताया की तू लंड बड़े शौक से पकड़ ले चुदवा भी ले क्योंकि यह तुम्हारे असली बाप नही है तो सलमा ने पूंछा फिर मेरा असली बाप कौन है उसकी माँ ने उत्तर दिया अर्री सलमा अब तू ही बता की हर रोज तीन तीन चार चार लंड जब मुझे चोदेंगे तो मैं कैसे यह पता लगा लूँगी की तेरा बाप कौन है लेकिन एक बात सच है कि तेरा बाप कोई हलब्बी लंड है वह लंड किसका है यह पता नही है मुझे लगता है कि वह लंड जबरदस्त था क्यंकि वह लंड चोदने में सबसे आगे था और अब तेरी चूत भी चुदवाने में सबसे आगे है सलमा बोली मेरी भोसड़ी की अम्मी माँ की लौड़ी तेरी बहन की चूत सब साली तूने ही तो सिखाया है अब तो मैं रंडी की तरह चुदवाती हूँ कोई कितना भी तगड़ा लंड क्यों न हो मैं उसे अपनी चूत की भट्टी में डाल कर भून डालती हूँ तभी तो मेरी चूत से भुने हुए बैगन की तरह लंड निकलते हैसलमा के जाने के बाद उसका शौहर सकील आगया और अपनी सासू माँ से बोला की सलमा कहाँ है तो उसने बताया की वह तो चली गयी है अब शाम को ही आएगी तो सकील बोला अम्मी मैं तो अपने दोस्त शाहिल को लेकर इसलिय आया हूँ की वह मेरी बीवी को चोद ले क्योंकि सारी रात मैंने उसकी बीवी को चोदा है
सासू:- क्या उसकी चूत तुमको ज्यादा अच्छी लगी ?
सकील :- चूत नही, अम्मी वह लौडा बड़े प्यार से चूसती है और उसके चुदवाने का अंदाज़ बड़ा मस्ताना है
सासु:- तो उसका मर्द क्या कर रहा था ?
सकील:-वह अपनी भाभी को मेरे सामने चोद रहा था
सासु:- तो तुमने उसकी भाभी को नही चोदा क्या?
सकील:- अरे मेरी सासू माँ भला कोई औरत मेरे सामने नंगी पड़ी हो और मैं उसको चोदूं नही ऐसा कभी हो सकता है क्या?
सासु:- तो तू यह बता भोसड़ी के तेरी माँ की बुर चोदों साले हरामी अगर मेरे सामने दोदो मर्द साले लौडा चूत की बात कर रहे हो तो क्या मैं उनके लौडे देखे बगैर रह सकती हूँ चलो तुम दोनों जल्दी से नंगे हो जाओ और मेरी एक एक चूंची पीने लगो मैं देखती हूँ की तुम्हारे लंड कितने बड़े है सकील का लंड तो मुझे चोद चुका है लेकिन आज मेरे सामने शाहिल का लौड़ा नया होगा
सलमा की माँ फरीदा शाहिल का लंड पकड़ कर हिलाने लगी उधर सकील का लौडा चोदने के लिए तैयार हो गया फरीदा बोली मेरे चोदू दामाद तू अपना लंड मेरी चूत में घुसेड दे मादर चोद और जल्दी जल्दी चोद डाल मेरी चूत को सकील बोला तुम दोनों माँ बेटी चुदवाने में बड़ी मस्त हो
फरीदा :- शाहिल क्या तुमने मेरी बेटी को कभी चोदा है ?
शाहिल :- नही कल जब तुम्हारी बेटी का शौहर बीवी को मेरे सामने चोद रहा था तो मैंने कहा था कल मैं तुम्हारी बीवी को चोदूंगा इसी शर्त पर मैंने अपनी बीवी को इससे चुदवाया और जब मैं इसकी बीवी को चोदने के लिया आया तो बीवी तो नही मिली उसकी माँ जरूर मिल गयी बुर चोदी अब मैं तुझे चोद चोद कर भरता बना दूंगा लेकिन अगर तेरी बेटी भी साथ होती तो उसे भी अपने मस्ताने लंड का मज़ा चखा देता
सकील:- यार गिला मत कर मेरी बीवी स्वयम तुमसे चुदवाने आएगी वह साली अपनी से ज्यादा चुदक्कड़ है अभी तू पीछे से मेरी बुर चोदी सासू को चोद साले बहन के लौडे
सकील और शाहिल ने मिलकर फरीदा को खूब चोदा और दोनों लंड फरीदा के प्यार में मस्त हो गए
रात को करीब ८.०० बजे सलमा आ गयी उसने देखा की उसके अंकल अनवर बैठे है और उनके साथ उनका दोस्त असलम भी है सलमा समझ गयी की ये दोनों मुझे चोदने आए है
सलमा ;- यार अनवर अंकल अब क्या मुझे चुदवाने के तुम्हे बार बार बुलवाना पड़ेगा क्या तुम्हारा लौडा मेरी चूत चोद कर थक गया है क्या?
अनवर :- नही मेरी रानी बुर चोदी सलमा मेरा लंड तो तुम्हारे नाम से ही खड़ा हो जाता है ले तू लंड चूसती जा मैं तुझे सारी कहानी बताता जाता हूँ
सलमा :- नही यार मैं पहले असलम का लंड लूँगी क्योकि यह मुझे कई दिनों के बाद मिला है
देखते ही देखते तीनो नंगे हो गए सलमा असलम का लंड सहलाने लगी अनवर उसकी चूत चाटने लगा
सलमा :- बहन चोद असलम तेरा लंड तो कुछ् ज्यादा मोटा हो गया है मुझे मोटे मोटे लंड बड़े पसंद है
असलम:- जब इतनी सारी खूबसूरत औरते मेरे लंड को हिला हिला कर प्यार करेंगी तो साल मोटा हो ही जाएगा अनवर:- सलमा भी लंड से खूब मस्ती करती है यार
इतने में सलमा ने देखा की उसकी माँ फरीदा अपने दोनों हाथो में एक एक लंड पकडे हुए आ रही

सलमा बोली :- अरे मेरी हरामी अम्मी ये दोनों लंड किसके है
फरीदा:- अरे यार मैं जब चूत चुदवाने चली हूँ तो चोदने वालों की कमी नही है ये दोनों साले तुम्हारे अब्बा के दोस्त है और मेरे चोदू देवर
सलमा :- मुझे तो ये दोनों लंड ज्यादा बड़े दिख रहे है लाओ ये दोनों मुझे देदो और तुम मेरे से अनवर और असलम के लंड लेलो मैं थोडी देर इन दोनों नए लंड से खेलना चाहती हूँ आज तो चार चार लंड से चुदवाने का अच्छा मौका मिलेगा
फरीदा:- लेलो यार मुझे तो बार बार लंड बदल बदल कर पकड़ने में और चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता है देखो ये साले चारों मस्ताने लंड कैसे मचल रहे है और हम दोनों की चूत कैसे मस्ती से चुदवाने के लिए फुदक रही है

FUN-MAZA-MASTI या तो आज या फ़िर कभी नहीं--2

FUN-MAZA-MASTI

या तो आज या फ़िर कभी नहीं--2


मैं दिल में सोच रही थी कि अब अगली बार मामा से किस तरह मज लुंगी और अब तो कोई मुश्किल भी नहीं. मैं अपने कमरे में चली गयी और शोवेर लेकर सो गयी. सरी रात तो जगी थी. मैं ने तो फार्म हाउस में अपनी जिन्दगी की सब से सोहानी रात गुजरी थी. शाम को सो कर उठी और भाभी के कमरे में चली गयी. वोह भी अभी सो कर उठी थी. शायद उन्होने ने भी भाई के साथ फार्म हाउस का लुत्फ उथाय था. भाईया शोवेर ले रहे थे.

भाभी ने मुझ से कहा, सम ! तुम पिक्क्निक के बाद कित'नी खुश ओर फ्रेश नजर आ रही हो.

मैं सिर्फ मुस्कुर दी. भाभी ने फार्म हाउस वल बेग निकल कि सामान set कर्लैन और इतने में भाईया हस्बे आदत बनियान और शोर्त पहने हुए हाथ में तोलिअ (तोवेल) लिये हुए आ गये.

उन्होने ने मुझे देख कर पूछ, पिक्निक केसी रही

मैं ने कहा, भाईया बहुत मजा आय.

मैं भाभी का हाथ बात रही थी. इत'ने में भाभी ने भाई की तरफ चीख कर कहा,

यह आपको क्या हुआ.

मैं भी चोंकी तो देख कि भाई के कंधे पर नील पड़ी हुई है. मैंने देख तो भीतर तक हिल गयी और सोचने लगी कि कही रात को मामा की जगह भाई तो नहिन थे. भाई थोरे से घबरा गये और मैंने भी भाईया के करीब जाकर देख तो वहाँ दातोन के निशान साफ नजर आ रहे थे. मुझे अछी तरह याद आय कि मैंने मामा के दाहिने कंधे को बुरी तरह कात था, जब उनका लंड मेरी चूत के परदे को फाड़ रहा था. भाई भाभी को तसली दे रहे थे,

मैं फार्म हाउस पर खिड़की के किनारे लेटे हुए था सो हो सकता हैं कि किसी कीड़े ने कात लिया हो.

भाभी ने कहा, मैंने मन किया था न और कहा था न कि हॉल के बीच में सो जओ. पर मेरी कौन सुन'त है.

भाय ने कहा, मामा को खिड़की के पास ठंड लगी तो उन्होने बिस्तर खिड़की से दूर लगा लिया, तब मैं पापा के सामने वाले हिस्से में लेट गया कि कही पापा को रात को कोई ज़ुरुरत हो तो मैं वही हुँ.

मेरी पेशानी पर पस्सेन आ गये और अभी मैं खोफ ज़दह हो ही रही थी कि भाभी की और हल्की सी चीख ने मुझे चोंक दिया. वोह भाईया पर नारज़ हो रही थी और पूछ रही थी,

वोह चादर कहन हैं जिस्पेर आप सोये थे.

भाईया ने कहा, चादर पर चाय गिर गयी थी सो मैंने र्द्य क्लेअनेर को धोने के लिये भिजवा दी हैं और कल मिला जायेगी.

भाभी को यह चादर बोहत अज़ीज़ थी चूंकि यह वही शीत थी जिस्पेर भाभी दुल्हन बंकर पहली बार भाईया के साथ अपनी सोहाग रात मनायी थी और चुदी थी.

मुझे कतो तो लहू नहिन. मैं थर थर ने लगी और अपने कमरे में चली गयी. अब तो कोई शक नहीं था कि गुज़िश्तह रात मेरे साथ मामा नहीं थे. मैंने अपने सगे बडे भाईया के साथ उसी चादर पर अपनी जवानी का लुत्फ उथाय था जो कि भाईया और भाभी की सोहाग रात की थी. भाई ने सोचा उस रात उनकी कोई कज़िन होगी जो रात में अपने तन की आग ठंडी करने उनके पास आ कर सो गयी. सुबह जब चादर पर खून देख होगा और फिर उससे रज़ खुल जाने की वजह से नौकर के हाथों dry cleaner को भिज्व दिया . भाईया को क्या मालूम कि उन्होने ने रात को अपनी छोटी बहन की चूत को चोद था और वही चादर थी जिस्पेर उन्होने ने पहली बार भाभी को चोद था. मैं अब कुछ नोर्मल हुई और तमाम बथोन को सोचने लगी. डिन्नेर में चुप चुप रही और मेरा ज़मीर मलामत कर रहा था कि यह क्या हो गया.

रात को बेड़ पर लेटे हुए मैं सब कुछ सोचती रही और भाई ने किस तरह मुझे चोद था एक एक तफ़सील याद आ रही थी. भाई के बारे में सोचते हुए मुझे उन यदून में एक नय पन लगा और मैं सोचने लगी कि भाई ने किस्स मोहबत से मुझे पहली बार चोद था और सोच रहे होंगे कि वोह कौन थी. यह सोचते सोचते मैं सो गयी और सुभ बहुत देर से अंख खुली. मैं college भी नहिन गयी और तमाम दिन सोच थी ही रही. मम्मी पापा सब ने पूछा और शाम को मामा आय तो उन्होने ने भी पूछ मैंने कहा दिया कि मैं थक चुकी हुँ. मैं सोच रही थी कि मामा अप्प क्यों वहाँ से हटे और यह भी सोचा कि मामा अप कितने बादनसीब है कि ऐसा हस्सीन वक्त गंव दिया. मैं इसी फिक्र में थी और भाई का सेक्स का अन्दज़ कुछ ज़ेयदह ही याद आ रहा था.

ऍब मैं बिल्कुल मुतमइन हो गयी थी मैं कोई अनोखी लर्की नहिन हुँ जिसने अपने भाई से चुदवाय हैं. मैंने सुन हैं और इंतेर्नेत पर मेन पढा भी है कि हज़रोन लड़कियोन ने अपने पापा य भाइयोन के साथ चुदवाय हैं. येस सोच कर कुछ सुकून हुआ और एक नायी तब्दीली आयी कि में भाई से सेक्स की. यादों को तज़ह कर के खुश हो रही थी. दो तीन दिन में मेरी कैफियत बादल गयी और अब भाईया की एक एक बात और एक एक चीज पहले से भी ज्यादा अछी लगने लगी. डिन गुजरते रहे और मैं खुश होती रही कि भाई ने मेरे को चोद. भाई जब सामने आते तो मुझे वोह shoulder वल निशान नजर आत और वह इतना गेहरा था कि अब भी मौजूद था.

मेरे बेड़ की शीत मेली (dirt) हो गयी थी मैं भाभी के पास चादर मांगने गयी तो भाभी ने वही चादर मुझे दै दी. मैंने अपने बेड़ पर वोह चादर बिछदी और मैं खुश थी कि यह वही चादर हैं जिस्पेर मैंने और भाभी ने जिन्दगी का पहला सेक्स किया था. इन्हीन यादों मेन कुछ दिन गुजर गये. इस बीच भाभी भी कुछ दिनों के लिये पीहर चली गयी.

फिर एक दिन में अपने कमरे मेन बैथी टीवी देख रही थी कि भाई आ गये और मेरे बथ रूम में शोवेर लेने चले गये. जब भाई शोवेर ले रहा थे तो मैं सोच रही थी कि भाईया नंगे हो कर कैस्से लगा रहे होंगे और भाभी कित'नी खुश नसीब है कि भाईया जैस्स सेहत मन्द शौहर मिला और मजे से सेक्स करने वाला मिला हैं. बथ रूम से शोवेर की अवज़ सुंकर मेरे दिल में एक खेयल आय और मैं जल्दी से बथ रूम के ventilation का पास पहुँच गयी जो कि गेलरी में खुलता था. वह stool करीब था और उस्पेर खरी होकर झांक तो भाईया नंगे शोवेर ले रहे थे.

क्या हसीन पुर कशिस जिस्म था भाई का और वहाँ से भाईया का वोह लंड नजर नहीं आ रहा था जो कुछ दिन पहला मेरी चूत की अघोश में था. भाईया के भरे भरे बज़ू और चोडा चक्ल सीना बस दिल चाहा रहा था कि उनके सीने से लिपुत जाऊँ. भाईया ने शोवेर बन्द किया और मैं जल्दी से बेड़ पर आ गयी. मेरा दिल बल्लीयो उछल रहा था और मैं सोच ही रही थी कि काश भाईया खुद ही मेरे पास आ जायें और अपनी प्यारी छोटी बहन को एक बार फिर वही मज दे लेकिन ऐसा मुमकिन नहिन था. भाईया हस्बे आदत शोर्त पहने हुए और बेघैर बनियान के तोवेल हाथ में झुलाते हुए कमरे में आ गये. मैं बेड़ पर सीरहाने तकिया लगा कर लेटी हुई थी.

टेलेविसिओन पर भाईया का पसन्दीदह प्रोग्रम आ रहा था. भाईया मेरे बेड़ पर बैठ गये और प्रोग्रम देखने लगे. मैं भाईया का गीला गीला नौजवान जिस्म देख रही थी जो मुझ से एक इंच के फासले पर था. यह वही पूरा कशिश और सेक्सी जिस्म था जो मुझे अपने से चिपका चुक्क था. वही जिस्म मेरे सामने था और सिर्फ शोर्त में था लेकिन मैं इस जिस्म की होकर भी उस से चिमत्ने तो कहन में हाथ भी नहिन लगा रही थी. भाई TV प्रोग्रम देख रहे थे और मैं भाईया के कंधे को जिस पर अब भी वही मेरे दातोन के निशान थे. मुझे तसवुर में भाईया मेरे ऊपर लेटे हुए और मुझ से सेक्स करते हुए नजर आ रहे थे. मैं दिल ही दिल में खुश थी कि भाईया के शौल्देर पर मेरे दातोन के निशान थे. मैं अन्दर ही अन्दर पीघल रही थी और बहुत दिल चाहा रहा था कि भाईया मुझे गल्ले लगा लैन.

मैंने कहा कि 'भाईया यह इंसेक्त का निशान तो बहुत ही गहरा हैं अप कोई मलहम नहिन लगा रहे'

भाईया ने कहा, अरे छोड़ ! यह मामूली घाव अप'ने आप ठीक हो जायेगा.

मैंने फिर कहा, अप भाभी से कहैन कि कम अस कम इस्से हाथों से सेह्लायेन ताकि जल्द ठीक हो जाये.

भाईया ने कहा, थीक हैं आज तो तुम्हरी भाभी मैके (परेंत्स होमे) गयी हुई है.

मैं बहुत ही गरम हो रही थी और दिल भी तेजी से धरक रहा था. मैं बेड़ पर से उठी और खुद ही कहा कि लैये मैं सहला देती हुँ.

मैं भाईया के पीछे बैठ गयी और सहलाना शुरु कर दिया. भाईया TV में मगन थे. मैंने हल्के हल्के अपने दातोन के निशान को सहलाना शुरु कर दिया और वोह रात मेरे सामने थी जब भाईया का लंड मेरे चूत के अन्दर था और मैंने पैन की वजह से उनके शौल्देर पर खूब जोर से कत था.

भाईया का जिस्म नहाने के बावजूद गरम था और उनके शौल्देर को सहलाना बहुत ही अच्छ लगा रहा था. मैंने सेह्लथे हुए उस निशान पर अपनी जुबान रख दी. भाई ने एक दम कहा कि अर्रे यह किया कर रही हो. मैंने कुछ जवाब नहिन दिया और धड़क्थे दिल के साथ मैंने उनकी कमर पर ३ time SSS लिख दिया. भाईया एक दम चोंके और TV से उनकी तवजह हठ् गयी. मैंने एक बार फिर अपनी उंगलियों से उनकी नंगी कमर पर पहले एक स फिर दूसरा स और फिर तीसरा स लिख. ज्योंही मैंने तीनों स लिखें भाईया एक दम चोंक गये और बेड़ पर से बैठे बैथ्य इस तरह मेरी तरफ रुख किया जैस्से उन्हें बीछू ने कात लिया हो. उन्होने मेरी तरफ रुख किया और मैंने उनकी तरफ देख और कहा,

भाईया sorry उस रात मैंने जोर से कत लिया था.

यह सुनना था कि भाई के चेहरे पर एक रंग आ रहा था और दूसरा ज रहा था. उनको सक हो गया था वोह मेरी तरफ देख रहे थे और मैं निगाहें नीची किया बेड़ की तरफ देख रही थी. कोई एक मिनुते तक कम्र में TV की अवज़ के एलवह खामोशी थी. मेरा दिल बुरी तरह धरक रहा था कि दिल हलक से बाहर निकल ने को था. भाईया एक दम बडे और मुझे गल्ले लगा लिया और मुझे चूम्ने लगे. भाई ने मेरी घबराहट और मुश्किल असन कर दी. मैं भी भाईया से लिपत गयी और उन्हें प्यार करने लगी. इसी दोरन भाईया ने मुझे बेड़ पर लित दिया और मेरे पहलू में आकर मेरे होंठों को किस्स कर'ने लगे.

मेरा जिस्म खुशी से सर्शर था और मैं बहुत ही खुश थी. कुछ देर तक मुझे किस्स किया तो भाईया के शोर्त में से लंड ने उथ्न (stand) शुरु कर दिया. जो कि मेरी टाँगों के बीच, मेरी चूत के नीचे महसूस हो रहा था. भाईया ने मेरी शलवार उतार दी और फिर मेरी शर्ट् को भी उतार कर मुझे नंगा कर दिया. मैं बिस्तर पर लैती हुई थी और अब भाईया ने अपनी शोर्त भी उतार कर नंगे हो गये. अब हम दोनों नंगा होकर एक दूसरे को प्यार कर रहे थे. भाईया बहुत ही खुश नजर आ रहे थे और मैं भी खुश थी. लेकिन दोनों एक दूसरे से कोई बात नहिन कर रहे थे. भाईया म्जुहे होंठों पर चूमते हुए नीचे चले गये और मेरी चूचियोन पर पहुँच गये और मेरी चूचियोन को चूमना शुरु कर दिया. मैं भाईया को देख रही थी कि वोह किस्स बुरी तरह मेरी चूचियोन को चूसा रहे थे.

उस रात को भी मेरी चूचियन चूसा रहे थे लेकिन उस रात अंधेर था और कुछ नजर नहिन आ रहा था और आज तो कमरा tube light से खूब रोशन था और हर चीज नजर आ रही थी. भाईया अब मेरे पेडू पर थे और वह अपनी कड़ी जुबान से गुद गुद रहे थे. मेरे जिस्म के रोंग्ते खड़े हो गये थे. मेरा जिस्म खूब गरम हो गया था और मैं सिर्फ मजा ले राही थी. भाईया पेडू को छोड़ कर मेरे पैरो में आ गये और मेरे पैरो के तले को चत्ने लगे. भाईया का पैरो को चाटना अजीब और लज्जत से भर पूरा लगा लेकिन इससे ज़ेयदह भाईया की मुहब्बत का इज़्हर अच्छ लगा. भाईया अब पैरो के एक एक हिस्से को चाट'ते हुए ऊपर की और बध रहे थे. मेरी दोनों thighs को चाटने लगे तो मेरे जिस्म में झुरझुरी सी भर गयी. अब वोह मेरी चूत तक पहुँच चुके थे और जब चूत पर जुबान रखी तो मेरे अन्दर एक नय तूफान बर्प हो गया.

भाईया कित'नी मोहबत से मेरे जिस्म के एक एक हिस्से को चाट'ते हुए मेरी चूत को चत रहे थे कि उनकी मुहब्बत और अन्दज़ ने मुझे पागल कर दिया. मैं खुद को बहुत ही खुश नसीब महसूस कर रही थी और खुश थी कि उस रात मैंने मामा के बजाय भाईया से चुदवाय था. भाईया की नुकीली जुबान मेरी चूत को खूब चत रही थी. कभी जुबान की नोक चूत के अन्दर आ लगती तो कुछ नय लगा'त और जब अपनी जुबान से पुरी चूत के बाहर चाट'ते और भी भल लगा'त. उस्वक़्त मैंने सोचा कि वोह लर्किअन कितनी खुश किस्मत होगी जो अपने सगे भाईयोन से चूत मरवाती होगी. हकीकत में जिससे मोहबत हो उस से मरवाने का मजा ही कुछ और होता हैं. ऍप्ने भाईया का जिस्म अपना अपना लगा रहा था.

भाईया मेरी चूत को बुरी तरह गीली कर चुके थे. मेरे जिस्म की आग थी कि दहक ही रही थी. भाई अब मेरी दोनों टाँगों के बीच आ गये और अब अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे. उन्होने ने मेरी टाँगों को फेल कर बीच में अपने लिये जगह बनायी. मैं अब तक भाईया के लंड को देख नहीं पायी थी और ख्वाहिश थी कि उनके लंड को दैखून. भाई का लंड मेरी चूत पर था और अब अन्दर आने वल था. भाईया का लंड मेरी गीली बुर के अन्दर दाखिल होने लगा और मेरी चूत भी उनके लंड पर लपक्ने लगी चूंकि बहुत देर से प्यासी थी. लंड अन्दर आ रहा था और आज मुझे दर्द बहुत ही कम था. भाईया ने लंड थोर स अन्दर किया और मेरे ऊपर लेट गये. ज्योंही भाईया को अपने करीब पाय मैंने उनको अपनी बन्होन में ले लिया और उनको भूकी शेरनी की तरह चूम्ने लगी.

भाईया ने भी मुझे लिप्त लिया और उनका लंड भी अन्दर होने लगा. प्यारे और मुझ से १२ येअर्स बारे सगे भाईया का लंड अपनी सगी छोत्ती १७ साला की बहन की चूत में धीरे धीरे अन्दर आ रहा था. भाईया का लंड अब पुरी तरह अन्दर आ चुका था और भाईया ने लंड को अन्दर बाहर कर'न शुरु कर दिया था. दर्द तो था लेकिन उस दिन के मुक़ब्ले में कुछ कम था लेकिन मैं बर्दाश्त कर रही थी और उफ्फ नहिन कर रही थी. कही मुझ से इस क़दर प्यार करने वाले भाईया फिक्र मन्द नहीं हो जैन. भाईया मुझे चूम रहे थे और बहुत ही एहतियात से अपने लंड को अन्दर बाहर कर रहे थे कि कही मुझे तकलीफ न हो जाये. मैं भाईया को खूब चूम रही थी और एक बार फिर मैं भाईया के कंधे पर उसी जगह चूम्ने लगी. भाईया ने खामोशी तोड़ी और कहा,

क्यों सम ! फिर काट'ने का इरादा है क्या?

मैंने कहा, नहिन भाईया उस रात यह मेरे साथ पहली बार हुआ था और उस वक्त मेरा दर्द न क़बिले बर्दाश्त था.

भाईया ने यह सुन तो मेरी पेशानी पर अपने होंठ रख दिये और sorry कहा. भाईया का लंड अभी अन्दर ही था और मेरी चूत में इस'तरह फिट हो चुका था कि अगर नीद्ले भी दलो तो न जाये. भाईया अब बातें कर रहे थे और पूछ,

सम जनू यह कैसे हुआ. भाईया जब बहुत प्यार कर'ते तो जनू ही कहते.

मैंने कहा, तैराकी कर'ते हुए जब आप भाभी के साथ खेल रहे थे तो मेरा बहुत दिल चाहा कि आप मुझ से खेलैन चूंकि आप को मैंने एक बार भाभी को यह कर'ते कर'ते हुए देख लिया था जब से मेरा दिल चाह रहा था कि आप मुझ से भी इसी तरह करे.

भाईया का लंड मेरी चूत के अन्दर ख़मोश बैठ हुआ था और मैं मुसल्सल झूठ बोल रही थी. भाईया ने फिर कहा,

तुमने जब देख तब मैं तुम्हारी भाभी के साथ क्या कर रहा था? तुमने ३ बार स क्यों लिख था?

मैंने कहा, भाईया जो आप अभी मेरे साथ कर रहे है, वही भाभी के साथ कर'ते हुये मैंने आपको देख था. ऍउर ३ स का मतलब मैंने अपना पूरा नम इसे लिये लिख था कि आप मुझे पहचान लेंगे.

इस्पेर भाईया हंस परे और कहा, यह तो अब मालूम हुआ कि ३ स का क्या मतलब हैं वर्न मैं तो अब तक नहिन समझा था.

भाईया मेरी ऑखो में देख रहे थे और पूछ, पहली बार दर्द तो बहुत हुआ होगा. पर तुम को भी मन'न पड़ग कि उस रात मेरा पूर घोट गयी थी.

मैंने कहा, दर्द नहिन बल्कि उस रात तो मेरे ऊपर क़ेयमत बर्प थी. जब आप भाभी से यह कर रहे थे तो उस वक्त भी अप्क यह भाभी के अन्दर था और इसकी सिज़े मैं ठीक से देख नहिन पायी, वर्न मैं शायद पहले से ज़ेह्नी तोर पर तैयार होती.

मैं भाईया के सामने लंड य चूत का नाम, बावजूद सेक्स कर'ने के, नहीं ले पा रही थी. भाईया ने जब सुन कि मैंने उनका लंड नहिन देख तो उन्होने ने फोरन अपना लंड बाहर निकल लिया और मेरे पहलू में लेट गये. मैं सब समझ गयी और बिजली की सी तेजी के साथ बैठ गयी. भाईया का लंड बहुत ही हसीन लगा रहा था जैसे पुरी दुनिया में वही एक लंड हैं बहुत ही मघ्रूर लगा रहा था और छत की तरफ अपनी एक अंख से देख रहा था.

मैंने भाईया के लंड को देख और फिर अपने प्यारे भाईया के लंड को हाथों से थाम लिया. किस क़दर बर था कि मेरी हथेली (palm) से भी लम्बा था और मोटा भी इतना कि मेरे हाथों में नहिन सम रहा था. ग़ोल मतोल और खूब तनदुरुस्त लंड इतना बैक़बू और गरम था कि मेरे हाथों में रुक ही नहिन रहा था. भाईया सीधे लेटे हुए सब कुछ देख रहे थे कि मैं किस तरह नादीदी'(greedy) की तरह अपने भाईया के मस्त लंड को देख रही थी. मैं भाईया की टाँगों के बीच आ गयी और बेताबी से भाईया के लंड पर अपने गुलाबी होंठ रख दिये. ऑहो यह तो मेरे मुँह में बरी मुश्किल से आ रहा था. मैंने ice cream की तरह भाईया के लंड को चूसना शुरु कर दिया. कितना प्यार लंड था और उसे चूम्ने में कितना मजा आ रहा था.

भाई का लंड हल्का हल्का नमकीन लगा रहा था और यह मेरी चूत की लज्जत थी जो मैं लंड को अपनी जुबान से चाट रही थी. सिर्फ आध लंड मेरे मुँह में आ रहा था और वोह भी बुरी तरह फंस हुआ था. मैंने लंड को हाथों से पक्र हुआ था और मुँह में डाल कर अन्दर बाहर कर रही थी. मुझे तो मजा आ ही रहा था भाईया भी मजे में मचल रहे थे और मेरे बलोन को सहला रहे थे. भाई का लंड मेरे मुँह में था और ऐसा लगा रहा था कि जैसे लंड की हज़रोन नब्ज़ैन (वैंस) हिल रही हो. मैं लंड को चूस्ने के लिये कब बिस्तर से उठ कर भाईया की टाँगों के बीच चली गयी, मुझे पत ही नहिन चला. भाईया का सीना खूब भर हुआ था और दोनों मर्दन निप्प्लेस ब्रोव्न कोलोर के थे. भाईया का पथर (stone) की तरह सख्त सीना बहुत ही चौडा था और मैं पूरे सीने के एक एक इंच को मस्ती में सह'ल रही थी.

अखिर मेरे ही सगे भाईया का सीना था किसी और का नहीं. भाईया ने मुझे पकड करके ऊपर खींच लिया और उन'के होंठ अब मेरे होंठों में थे और भाईया की सांसें मेरे चेहरे से टकरा रही थी. भाईया अपनी चमक दार और खूब रोशन और कूत कूत कर भरी हुई बड़ी बड़ी ऑखो से मुझे देख रहे थे जबकि उनका लंड मेरी चूत के नीचे दब हुआ इधर उधर भागने की कोशिश कर रहा था. मैं उठी और अपनी जुबान से लंड को एक बार फिर गीला किया और देख कि लंड बिल्कुल भीग चुक्क हैं. ऍब हम दोनों के बीच कोई शर्म ओर हय तो थी नहिन. मैंने अपने दोनों पैर भाईया की चुत्तड़ की thighs के दोनों तरफ रखे और उनके लंड पर अपनी चूत रख कर बैथ्ने लगी.

भीग हुआ मगर खूब तैयार जवन लंड में ज्यों ही बैथी, अन्दर आने लगा. मैंने दोनों हाथ भाईया के सीने पर रखे और आहिस्ता आहिस्ता अपना बोझ(weight) भाईया के लंड पर दल्ने लगी. भाईया ने मेरे दोनों चूचियोन को पक्र हुआ था और सहला रहे थे. मैं सिर झुकाये भाईया के लंड को अपने अन्दर आते हुए देख भी रही थी और भाईया चूचियोन के एलवह मेरी कमर को भी सहला रहे थे. लंड को देख रही थी किस तरह मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर आ रहा था और मेरी चूत के अंदरूनी हिसे में एक जश्न का सम था. पूरा जिस्म गुन गुन रहा था कि भाईया का लंड अपनी बहन की चूत को पहचान कर अन्दर आ रहा था उस रात तो मालूम ही नहिन था कि लंड किस्स की चूत में था जबकि खुश किस्मत चूत को भी नहिन मालूम था कि किस्क लंड अन्दर आ रहा हैं.

लंड की हेअल्थ ने मेरी चूत और रूह में एक धमक किया हुआ था. लंड अन्दर आ चुका था और अब मैंने भाईया की तरफ सिर उथ कर देख तो वोह मुस्कुर रहे थे. मैं उनके सीने पर लेटे हुए उन पेर झुक गयी और उनके होंठों को अपने होंठों से सख्ती से पकड़ लिया.

मैंने कहा, भाईया यह वही चादर हैं जिस्पेर मैंने और भाभी ने आपसे पहली बार करवाय था.

भाई ने यह सुन तो और भी जज्बाती हो गये और मेरे ऑखो को चूसना शुरु कर दिया. उनका लंड भी यह सुन लिया था. वोह भी चूत के अन्दर ही हिल कर अपनी इस खुशी का न कर रहा था. मैं भाईया के लंड पर ऊपर नीचे होने लगी और दर्द जो हो रहा था वोह अच्छ लगा रहा था. मैं भाईया के लंड को चूत से प्यार कर रही थी और अन्दर बाहर करने का खेल खेल रही थी और लंड भी पूरा साथ दे रहा था. भाई जन मेरी जुबान को चूसा रहे थे और उन्होने ने अपने हाथों से कमर को भी पकड़ हुआ था.

में भाई की पेशानी पर होंठ रखी हुई थी और मेरी चूचियन भाईया के होंठों पर थी. मेरा दिल भी चाह रहा था कि भाईया मेरे मसून और उभ्री हुई चूचियोन को चूसैन और वे अछे भाईया की तरह चूसा रहे थे. मैं खूब मस्त हो चुकी थी और लंड को यूँ अन्दर बाहर कर रही थी कि जैसे लंड को सजा दे रही हुँ. ऍब मैं और तेज़ हो गयी और मेरी सांसें भी तेज़ हो गयी. मैं इत'नी जोर जोर से भाईया के लंड पर उथ कर बैठ रही थी कि जब लंड पर बैठ'ती तो ट्व की अवज़ के बावजूद धप की अवज़ आती. भाई के लंड में भी अन्दर ही अन्दर कुछ ज़ेयदह हलचल मची हुई थी. भाईया ने मेरी मांसल गांड पर अपने हाथ रखे हुए थे और वोह भी मेरी चुत्तड़ को खूब जोर लगा कर भिंच रहे थे.

हम दोनों की ऑखो की चमक और रूह की तड़प बध चुकी थी और अब एक mashine की तरह भाई बहन के लंड चूत का मुक़ब्लह हो रहा था. मेरे भाईया के लंड ने अपनी थमी हुई मुहब्बत मेरी चूत में उगल दी और मेरी चूत ने भी अपना सब कुछ उगल दिया. हम दोनों रुक गये थे और एक दूसरे को होंठों और गालों पर खूब कात रहे थे. भाईया कभी लबोन को, कभी गालों को और कभी ऑखो को चूम रहे थे और मैं भी इस' तरह उन्हें प्यार कर रही थी जैसे मा रूथे हुए बचे को प्यार कर'ती हो.

मेरा जिस्म फूलों की तरह हल्का फुलका हो चुका था. भाईया का लंड भी मेरी चूत को चोद करके निकल चुक्क था. मैं उठी और मैंने एक बार भाईया के लंड को देख कि वों इस हालत में भी कितना बाद था. मैंने उसे अपनी ऑखो से लगा कर प्यार किया और भाईया की पहलू में आ गयी. मैंने भाईया को गल्ले लगा कर चूम और भाई ने भी मुझे प्यार किया. भाईया चले गये और मैं lucky चादर को देख'ती रही जो आज फिर सगे भाई बहन के मिलाप से गीली हो गयी थी. भाभी तो थी नहिन रात को भाईया अपनी जानू के बिस्तर पर आ गये और फिर वहीं हुआ जिसका हमें शोक नहिं जुनून था.

या तो आज या फ़िर कभी नहीं--1

FUN-MAZA-MASTI

या तो आज या फ़िर कभी नहीं--1

मेरा पूरा नाम समा सलमान सुर्ती है और अभी दो महीने पहले ही मैं १७ साला की हो गयी हुँ. मेरे से १२ साला बड़ा मेरा एक भाई है जिसकी चार साला पहले शादी हो गयी है. हमारे घर में बहुत ही खुश नुमा माहौल है. पिक्निक में जाना, अच्छे रेस्त्रां में जाना, कहने का मतलब जिन्दगी के हर लुत्फ हम खुल के उठाते है. आज फिर पिक्निक का प्रोग़्राम था. हमने एक आलीशान फार्म हाउस बुक करवा लिया. पिक्निक में मेरे सगे मामा और दूसरे करीबी रिश्तेदार भी शिर्क़त कर रहे थे.

मैं अपनी दूसरी रिश्ते की बहनो के साथ फार्म हाउस के स्विम्मिंग पूल में तैराकी कर रही थी. मामा हम सब को तैराकी सीखा रहे थे. हम लडकियोन ने शलवार क़मीज़ै पहने हुई थी. मामा हम सब को बारी बारी तैराकी सीखा रहे थे. चूंकि फार्म हाउस मामा ने बूक कराया हुआ था इस वजह से हमारी फैमिली के अलावा कोई और नहीं था. शाम का समय और हल्के हल्के बादल की वजह से मौसम (season) बहुत ही खुशगवार था. मम्मी अपनी बहनो और दीगार relative के साथ और पापा अपने relative के साथ तैराकी कर रहे थे. कुछ फासले पर भाई जान भाभी के साथ पानी में खेल रहे थे.

पानी काफी ठंडा और गहरा था और नीला कलर के बड़े स्विम्मिंग पूल की वजह से पानी भी नीले रंग का बहुत ही दिलकश लगा रहा था. जहॉ हम लोग पानी में खेल रहे थे वहॉ पानी हमारी कमर (वैस्ट) के ऊपर था. मामा ने अब मुझे तैराकी के बारे में बताया और मेरी मदद करने के लिये मेरे पेडू के नीचे से मुझे उठा कर हाथ और पैर की मदद से तैराकी करा रहे थे. मामा की शादी नहीं हुई थी और वह मेरे नाना नानी के साथ ही defence में रहते थे. सब लोग अपनी बिबियों के साथ खेल रहे थे जब कि वह हम लोगों के साथ तैराकी में मसरूफ़ थे. मामा खास तोर पर हम से बहुत ही मुहब्बत करते थे. चूंकि मेरी मम्मी उनकी इकलौती बहन थी.

मामा ने मेरे पेडू के नीचे हाथ रखा हुआ था और मैं तैराकी के लिये हाथ पैर हिला रही थी. मामा ने अचानक हाथ हटा लिया और मैं disbalance होकर गिरने लगी तो मैंने मामा को पकड़ना चाहा और गलती से मेरे हाथ मामा के लंड पर लगा गये. मैं घबरा गयी लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया. मामा ने फिर मुझे तैराकी करने को कहा और मैं फिर से तैराकी करने लगी. मामा ने अब जो हाथ रखा तो वों एक हाथ मेरे मम्मौ के नीचे और दूसरा मेरी चूत के नीचे था. मैं अभी १७ साला की थी और मैं न तो मम्मौ पर कुछ पहनती थी और न ही मुझे अंडर्विअर की आदत थी. मामा के हाथ मेरे कपड़े गीले होने की वजह से ऐसे लगा रहे थे कि मेरे मम्मे नंगे है.

यह पहली बार था कि किसी के हाथ ने मेरे मम्मौ और चूत को स्पर्श किया था. मुझे मामा का हाथ बहुत अच्छा लगा. मैं तैराकी की कोशिश कर रही थी और मामा का हाथ वहीं लगा हुए था. मामा ने कहा कि वों हाथ हटा रहे है और उन्होने हाथ हटाया कि मैं फिर अस्थिर हो गयी और ज्योंही मैंने उनको पकड़ना चाहा, मेरा हाथ फिर मामा के लंड पर लगा. इस बार मैंने खुद ही हाथ वहीं लगाया था. मैंने हाथ से महसूस किया कि मामा का लंड अब कुछ तना हुआ था. मैं मामा के सामने खड़ी थी और मैंने पारदर्शी (transparent) पानी से देखा कि मामा का लंड खड़ा हुआ था. इतने में मेरी एक कजिन ने कहा कि अब मैं सीखूनगी लेकिन मैंने मना कर दिया और कहा कि मैं कुछ देर और सीखूनगी.

मैं फिर तैराकी करने लगी अब मैं जानबूझ कर बार बार अस्थिर होने लगी और मामा का लंड अब खूब साफ नजर आ रहा था कि वों बिल्कुल सीधा खड़ा हुआ था. मैं एक बार तैराकी करते हुए डूबने लगी. मामा ने मुझे थाम लिया और मैं खरी होकर मामा के सीने से लगा गयी. मामा का लंड मेरे पेडू से टकरा रहा था. इस मंजर ने मुझे बहुत ही सेक्सी कर दिया. मैंने एक बार फिर तैराकी की कोशिश की और अब मामा ने मुझे पानी पर सीधा करके खुद मेरे टाँगों को फैला कर मेरे पीछे आ गये. अब उन्होने मेरे पीछे से दोनों टाँगों के बीच होकर मेरे पेडू को पकड़ लिया और कहा,

पहले हाथों की practice करो फिर पैरो से करना.

मैंने मामा को दोनों टाँगों के बीच पकड़ हाथों से practice करने लगी और मामा का लंड मेरी चूत के करीब महसूस हो रहा था जो कि बहुत ही लाजवाब लगा रहा था. मैं हाथों से practice कर रही थी और दरअसल मामा के लंड को चूत के करीब पा कर खुश हो रही थी या सेक्स में गरम हो रही थी.

मामा का लंड हिलता हुआ महसूस हो रहा था और उसने मेरे ठंडे पानी में डूबे हुऐ बादन में आग लगा रहा था. यह एहसास मुझे पहली बार हुआ था और बहुत ही खुशगवार था. मैं तैराकी तो क्या सीखती किसी और आग में जलना सीख रही थी. मैं थक गयी तो मैं खड़ी हो गयी. मामा का हाथ अब भी मेरे पेडू पर था और खड़ी होते ही मेरी चुतड् के ऊपर मामा का लंड महसूस हुआ. मैं पलट कर सीधी हो गयी और मैंने मामा की आंखों में एक नयी चमक देखी और खुद मेरे जिस्म के अन्दर भी एक नया पैगाम था. शाम ढ्ल चुकी थी और मैं एक नयी ख्वाहिश महसूस कर रही थी. मामा ने पूछा,

और practice करोगी

लेकिन उनका हलक खुश्क हो चुका था और बड़ी मुश्किल से उनकी आवाज़ निकल रही थी. अभी मैं जवाब ही देने वाली थी कि पापा और भाईया की आवाज़ आयी कि चलो अब रात हो रही हैं. मैं आवाज़ सुन कर न चाहते हुए पानी से बाहर निकल आयी लेकिन मामा ने कहा,

मैं अभी ठहर कर आ रहा हू.

मैं समझ गयी कि वों खड़े लंड के साथ कैसे बाहर आ सकते है. हम लोग फार्म हाउस के हॉल में आ गये और थोडी ही देर के बाद मामा भी आ गये. वों कुछ चुपचाप थे.

हॉल में भाईया और मामा के साथ साथ सब ही ने हांफ पैंट पहनी हुई थी जबकि हम लडकियोन और लेडिस ने शलवार कमीज़ पहनी हुई थी. मम्मी और भाभी वगैरह खाना लगा रही थी. मैं बार बार मामा को देख रही थी और जब उनकी तरफ देखती तो उनको अपनी ही तरफ देखती हुई पाती. मेरे अन्दर आग लगी हुई थी और मामा के लंड और हाथों की तपिश अब भी महसूस हो रही थी.

सब खाना खा रहे थे लेकिन मैं बेदिली से खा रही थी. एक आग जो मेरे बादन में लगी हुई थी कम नहिन हो रही थी. मामा भी दूसरी तरफ चुपचाप थे और वों भी वही सोच रहे होंगे जो मैं सोच रही थी. मामा एक लम्बे कद और सेहतमन्द जिस्म के मलिक थे. वों और भाईया दोनों ही daily gym जाया करते थे और ईसी वजह से दोनों में बहुत दोस्ती थी. मेरे कजिन मुझ से बातें कर रही थी लेकिन मुझे कोई दिलचस्पी नहीं हो रही थी. मैं अपने बारे में गौर कर रही थी कि मैं एक दुबली पतली परंतु लम्बी थी. मेरी ऑखे brown और स्किन कलर फेयर था जबकि बाल बहुत ही सिल्की और बड़े थे. मैं अपने बारे में सोच ही रही थी कि खाना खतम हुआ और अब हम लोग चाय से लुत्फ उठा रहे थे और सब ही गपशप कर रहे थे. रात के अब ११ हो गये थे और आखिर पापा ने कहा,

अब सब सो जाए क्योंकि मोर्निंग में ब्रेक फास्ट कर के सब को वापिस जाना है.

हॉल में कॉर्पेट पर बिस्तर सेत होने लगे और मैं हॉल की दीवार के पास खिड़की के नीचे अपने बिस्तर पर लेट गयी. तमाम gents के बिस्तर हॉल में एक साथ set हुए और उनके पैरो की तरफ कुछ फासले के बाद लेडिस के बिस्तर set हुए. मैंने देखा कि मामा मेरी खिड़की के बाद एक खिड़की छोड़ कर दूसरी खिड़की के पास बेड़ पर थे और उनके बराबर पापा का बेड़ था. हम सब के लेटने के बाद हॉल की लाइट् ओफ्फ कर दी गयी. मेरी विन्डो से चान्दनी रात छन छन कर मेरे बेड़ पर गिर रही थी और खिड़की के नीचे लगी हुई रात की रानी की ख़ुशबू ने मुझे मस्त कर दिया था.

मैं लेटे लेटे मामा के बारे में सोच रही थी कि जो कुछ आज स्विम्मिंग पूल में हुआ था वों कितना हस्सीन था. मुझे अब भी ख़यालों में मामा का लंड चूत के करीब और हाथ मम्मौ पर महसूस हो रहा था. मैंने अपने हाथ शर्ट् के अन्दर से अपने मम्मौ पर लगाये तो महसूस हुआ कि मेरे मम्मे अब भी खुशी में खूब तने हुए थे. मैंने दूसरे हाथ को शलवार के अन्दर डाला और चूत को छुआ तो मजा आ रहा था. मैंने सोने की कोशिश की लेकिन मुझ से तो लैटा भी नहिन जा रहा था, बस करवट बादल रही थी. मैं तो बेड़ पर फोरन सोने की आदी थी लेकिन आज तो नींद नाराज हो गयी थी.

हॉल में खर्राटों की आवाजै आ रही थी और ठंडी चान्दनी मेरे ऊपर थी. मैं मामा के बारे में सोच रही थी कि वों सोते हुए मेरे बारे में ख्वाब जरूर देख रहे होंगे. मेरी हालत आज के वाक़ये के बारे में सोच कर बर्दाश्त से बाहर हो रही थी. कमबख़्त नींद भी नहीं आ रही थी. मैंने अपने ऊपर से चादर (sheet) हटायी और अपनी शर्ट् ऊपर कर के अपने जिस्म को नंगा किया. हल्की हल्की चान्दनी में कुछ नजर तो आ रहा था लेकिन साफ नहिन था. मैंने शर्ट् और सलवार दोनों उतार दी और अब मैं नंगी हो गयी. मैं अपने हाथों से अपने जिस्म को सहलाने लगी और मुझे मजा आने लगा. अपनी उंगलियों से चूत को छुआ तो और भी मजा आने लगा. मेरे अन्दर से भाप (steam) निकल रही थी और लगा रहा था कि मेरे जिस्म आग से पिघल (melt) न जाए.

चैन नहिन आ रहा था और समझ में नहिन आ रहा था कि किया करुँ बस दिल चाह रहा था कि मामा मेरे पास आ जाए और मेरे साथ लेट जायें. यह सोचते ही मेरे ज़हन में एक खयाल बिजली की तरह आया कि क्यों न मैं खुद ही मामा के पास चली जाऊँ. फिर सोचा कि कहीं गड़बड़ न हो जायें और मामा कुछ और ही न कर दे. जिस्म था कि जालिम सुकून नहिन पा रहा था. मैं अपने हाथों से अपनी चूत और बूब को सहला रही थी लेकिन ज्यों ज्यों में सहलाती आग और भड़क उठ्ती.

मैं एक दम नंगी ही ख़डी हो गयी और हॉल में देखा कि हर तरफ अंधेरा ही छाया हुआ हैं. मामा वली खिड़की पर शायद पर्दा था जो कि बहुत ही मुश्किल से नजर आ रहा था. मैंने सोचा कि आज या फिर कभी नहिन. यह सोचना था कि सारा खोफ खतम और मैं एक निडर और बेखौफ लड़की की तरह हो गयी. मैं आहिस्ता आहिस्ता मामा की तरफ बढ़ रही थी. एक विन्डो छोड़ और दूसरी खिड़की तक पहुंच गयी. इसी खिड़की के किनारे मामा थे.

मैं नंगी ही थी और मामा के बराबर लेट गयी. मामा ने चादर ओड़ी हुई थी. मामा सो रहे थे और उनकी साँसों की आवाजै आ रही थी. मुझे दुख हुआ कि मेरे अन्दर आग लगा कर खुद किस मजे से सो रहे है. मैंने आहिस्ता से उनकी चादर उठायी और उनके बराबर ही लेट गयी. मामा के जिस्म की गरमी मेरे जिस्म पर महसूस हो रही थी. मामा गहरी नींद में थे और सीधे लेटे हुए थे.

मैंने अपना हाथ मामा की हांफ पैंट पर से लंड पर रखा तो मामा की तरह वह भी सोये हुआ था. मैं करवट होकर उनके और करीब हो गयी और अपने हाथों से उनके सीने को हाथ लगाया और उंगलियों से सहलाने लगी लेकिन किया नींद थी कि उन पर कोई असर नहिन हुआ. मैंने अपने हाथ बढाये और उनकी हांफ पैंट में, जो कि बिल्कुल लूज़् थी, अपने हाथ डाल कर लंड तक पहुँच गयी. उनका लंड ऐसा लगा रहा था कि जैसे कोई ठंडा गोश्त हो. मैं ने अपनी उंगलियों से उनके लंड को सहलाना शुरु कर दिया.

चन्द ही लमहों में उनका लंड कुछ हरकत में आ गया. मेरी उंगलियॉ उनके लंड को जगा रही थी और उनका लंड भी रफ़्ता रफ़्ता जाग रहा था. तभी अचानक मामा ने करवट बादली और उनका चेहरा मेरी तरफ हो गया. मैंने हाथ निकाला नहिन और सहलाती ही रही. मेरे होंठ मामा के होंठ के करीब हो गये और मेरे मम्मे उनकी छाती पर लग गये. मैंने उनके होंठों से अपने होंठ चिपका लिये और उंगलियों से उनका लंड सहलाती रही. उनका लंड काफी बड़ा हो चुका था मगर अब भी वोह लेटा ही हुआ था. मैंने मामा के होंठों को अपने होंठों में ले लिया. उनके होंठों को चूसा तो ऐसा लगा कि मेरे होंठों में कोई मीठी और गरम सी चीज आ गयी. होंठों को चूमा तो मेरा जलता हुआ जिस्म ओर दहक गया.

मामा का लंड तेजी से और बड़ा हो रहा था और अब खड़ा होने लगा था. मैंने अपने हाथों से लंड को पकड़ लिया. मेरे हाथों ने पहली बार किसी लंड को छुआ था. लंड इतना मोटा था कि मेरी हथेली में नहिन आ रहा था और लम्बा कितना था उसका अंदाजा ही मुश्किल था. लंड मेरी हथेली में ऐसा मचल रहा था कि हाथों से बाहर निकलना चाहाता हो. मामा के लंड की तपिश से मेरी हथेली गीली हो रही थी और लंड की वैंस तेजी से हिल रही थी. काश मैं मामा का लंड देख सकती.

मैं होंठों को चूस रही थी कि अचानक मामा की सोने वली सांसें रुक गयी. वोह यकीनन जाग चुके थे लेकिन मैं डर नहिन रही थी और बिल्कुल नोर्मल थी. मामा ने अपने हाथों से मुझे हटाना चाहा तो उनको महसूस हुआ कि मैं तो नंगी हुँ. उनका हाथ मेरी कमर पर रुक गया. अब उनके हाथों ने मेरे जिस्म को नीचे की तरफ टटोला तो मेरा पूरा बादन ही नंगा मिला. उनका लंड और सख्त हो गया और उन्होने कुछ देर तक रुकने के बाद मुझे अपने हाथों से सीने पर चिपका लिया और खुद ही प्यार करने लगे.

मेरा काम खतम हुआ और अब मैं मामा की मर्जी पर थी. मामा मुझे प्यार कर रहे थे और अपने मजबूत हाथों से मेरे १५ साला के सिल्की, बेदाग और गरम जिस्म को मसल रहे थे. मैं खुश थी और मामा की आगोश में बहुत ही महफ़ूज महसूस कर रही थी. मामा के बराबर पापा की खर्राटों की आवाजै मुसल्सल आ रही थी. मैंने हाथ बाध कर मामा को गल्ले लगा लिया और कुछ जोर से उसे चिमट गयी. मामा ने अपनी हांफ पैंट उतार दी और शर्ट् तो थी ही नहिन. मामा का लंड मेरी चूत पर था और मेरी thighs के अन्दर जाने की कोशिश कर रहा था. मैंने अपनी ऊपर वली जांघ को ज़रा ऊपर किया और मामा का लंड अन्दर चला गया. लंड को अन्दर पाया तो मैंने अपनी जांघ वापिस रख दी और मामा का पूरा लोहे की तरह सख्त लंड मेरी जांघ को cross करता हुआ बाहर झांक रहा था.

मामा मेरे होंठों, गालों और ऑखो को चूम रहे थे और मैं भी उनको चूम रही थी जबकि उनका लंड मेरी चूत के दहाने को मसल रहा था. मेरे पेडू में एक आग का गोला था जो अन्दर ही अन्दर घूम रहा था. मैं मामा को चूमते हुए पागल हो गयी और उनके मुँह में अपनी नाजुक जुबान डाल दी. मामा ने मुझे अपनी बाहोँ में जकड़ा हुआ था और मैं एक कुंवारी लड़की मामा को अपने सीने से चिपका कर उनकी जुबान को काट रही थी.

मामा ने मुझे सीधा लिटा दिया और खुद मेरी टाँगों के बीच आ गये. पूरे हॉल में खामोशी थी और सब ही गहरी नींद सो रहे थे. मामा ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा. मेरी चूत तो वैसे ही इतनी देर में गीली हो चुकी थी. उन्होने लंड को मेरी चूत पर रख कर अन्दर दलने की कोशिश की. उनका तपता (होट) हुआ लंड मेरी चूत पर रखा तो चूत पर नयी लज्जत सी महसूस हुई. उनका लंड ज्योंही मेरी चूत के दरवाज़े को खोल कर ज़रा सा ही अन्दर दाखिल हुआ तो मेरी चूत में दर्द शुरु हो गया.

ऐसा लग रहा था कि कोई पहाड़ मेरी चूत के अन्दर आ रहा हैं. चूत में मामा का लंड फंस गया और ज्योंही कुछ और अन्दर आया मेरी तो चीख निकलने लगी और दर्द बर्दाश्त नहिन हो रहा था. मैंने चादर अपने मुँह में ठूंस ली जबकि मामा को कुछ पता ही नहिन था कि मुझ पर केसी कयामत टूट रही हैं. एक लमहे को दिल चाहा कि वहाँ से भाग जाऊँ लेकिन फिर सोचा कि ऐसा मोका कभी नहीं आयेगा. सोचा, 'आज या फिर कभी नहिन'. मामा का लंड और अन्दर आया और अब मेरी बर्दाश्त ने जवाब दे दिया और चादर मुँह में थूंस्ने के बावजूद एक हल्की सी चीख निकल गयी. मामा ने चीख सुनी तो एक दम मेरे ऊपर आ गये.

उन्होने मेरे होंठों को चूमना चाहा तो वहाँ चादर थी. वोह समझ गये कि उनके लंड ने किया कर दिया हैं. उन्होने मेरी ऑखो पर हाथ लगाया तो वहाँ आंसू बेह रहे थे. मामा ने अपना मुँह मेरी ऑखो पर रखा और आंसू को पीने लगे. उनका लंड अब भी वही था. मामा मेरे ऊपर लेटे हुए थे और मैं उनके बोझ (वैट्) के नीचे दबी हुई थी लेकिन उसकी तकलीफ लंड से पैदा होने वली चूत की तकलीफ के सामने कुछ भी नहिन थी.

मामा मुझे प्यार करने लगे और आहिस्ता आहिस्ता लंड को अन्दर डालने लगे. मेरा अन्दाजा था कि एक इंच फी मिनट की रफ्तार से लंड अन्दर जा रहा था. मैंने मामा को दर्द की शिद्दत से अपनी बन्होन में लिपटा लिया था. मेरी चूत में मिर्चें सी लगा रही थी और लग रहा था कि कुंवारी चूत लंड की वजह से तुक्रे तुक्रे (पिसेस) हो जायेगी. मामा के होंठों ने मेरे होंठों को चूसते हुए मेरी तकलीफ देह चीख़ों को बन्द कर दिया था.

लंड अन्दर जा रहा था जैसे कोई साप (स्नक्क) अपने बिल्ल में दाखिल हो रहा हो. एक मुक़म पर आ केर उनका लंड रुक गया और मैं महसूस कर रही थी कि एक पर्दा हैं जिसने उनके लंड को रोक हुआ हैं. यह मैं जान'ती थी कि कुंवारी लड़कियोन में अकसर एक पर्दा होता हैं. मामा का लंड रुक हुआ था और न मलून कितना अन्दर गया था और कितना बाहर रेह कर अन्दर जाने के लिये बेताब था. मामा ने मेरी गर्दन के नीचे हाथ दल्कर मुझे और जोर से अपने से चिम्त लिया और मेरे दोनों होंठों को अपने मुँह में ले लिया. मामा इसी तरह मेरे ऊपर से ज़र ऊपर उठे. उनका पेडू ऊपर हुआ जिससे उनका लंड थोर सा बाहर निकला और फिर उन्होने ने मेरी गर्दन को खूब जोर से भिंच और फिर एक दम उन्होने ने अपने लंड को खौफनाक झत्क दिया और मेरी चूत के परदे को पाश पाश (पिसेस) कर दिया.

मेरी अंखैन उबल पड़ी, मेरी चीख निकल गयी, मेरी चूत में जैसे बोम्ब फट गया. पूरा हॉल रोशन लगा रहा था. मेरी ऑखो में तारे नाचने लगे. मेरा जिस्म काम्पने लगा और मामा का लंड पुरी तरह अन्दर ज चुक्क था. मैं रो रही थी और मैं अपने हाथों से मामा को धकेल रही थी. लेकिन कहन मैं दुब्ली सी सिर्फ १७ साला की लर्की और कहन laheem shahem मामा. मुझे पैन नहिन बल्कि मेरा पूरा जिस्म तुक्रे तुक्रे हो चुक्क था.

मैंने मामा को अपनी बाहोँ से जकड़ लिया और अपने होंठों को मामा के होंठों से आजाद कर के दर्द की शिद्दत से मामा के right side के shoulder को जो कि मेरे होठों के करीब था पर अपने दांत (teeth) गाड़ (penitrate) दिया. मुझ में जित'नी ताकत थी उतनी शिद्दत से मामा के कंधे पर अपने दातोन को गाड़ दिया. मैं उनके कंधे को इस जोर से काट रही थी कि मुझे मामा के कंधे से नमकीन खून (blood) का स्वाद महसूस हो रहा था. मामा की भी दर्द के मारे सिस्केयन निकल रही थी.

इसी दोरन मुझ अपनी चूत में से कोई गरम गरम पदार्थ बहता हुआ महसूस हुआ. यकीनन यह मेरे कुंवारी चूत से बेह्तह हुआ खून था जो कि रह रह के बह रहा था. मामा मेरे मम्मौ को चूस रहे थे और मैं उनके कंधे को ही काट रही थी. अब मेरे पैन में रफ़्ता रफ़्ता कमी हो रही थी. मैंने मामा के होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उनको चूस्ने लगी. दर्द की कमी के बाद मेरी चूत में सजा हुआ मामा का लंड अच्छ लगा रहा था.

मामा मुझे प्यार करता हुआ पाय तो वोह शायद कुछ मुतमईन (calm) हो गये और जवाब में मुझे भी प्यार कर'ने लगे. मैं लंड के बारे में सोच रही थी कि कितना बडा होगा काश मैं देख सकती. अ ब मामा ने लंड को आहिस्ता आहिस्ता बाहर निकल कर अन्दर डालना शुरु कर दिया. मामा का खौफनाक लंड अब दर्द की मंजिल तय कर चुक्क था और मेरे जिस्म में हल्की हल्की लज्जत और मजा बैदर हो रहा था. अभी मैं इस लज्जत को महसूस ही कर रही थी कि बराबर लेटे हुए पापा का हाथ मेरे सीने पर आ गया.

मेरे पापा का हाथ उनकी बेटी के सीने पर था मैं मुस्कुरा दी लेकिन वोह खर्राटे ले रहे थे. मैंने उनका हाथ सीने पर से हटा दिया और मामा के लंड की तरफ मुतवजह हो गयी. मामा का लंड अन्दर बाहर हो रहा था और गोया कि मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था लेकिन मजा ज़ेयदह आ रहा था. मैं मामा को प्यार कर रही थी और वोह मेरे मम्मौ और होंठों को चूस रहे थे. मैंने मामा को अपनी बन्होन (अर्म्स) से करीब किया हुआ था. मामा के लंड में अब तेजी आ रही थी और मैं भी अपनी चूत से उनके लंड को अन्दर बाहर कर रही थी. चरो तरफ खामोशी थी और रात की रानी ने पूरे हॉल को मेहका दिया था. मैंने मामा के गलोन को प्यार किया और फिर उनके मुँह में अपनी जुबान डाल दी. मामा की जुबान ने मेरी जुबान को चूसना शुरु कर दिया और लंड ने मेरी चूत में सेक्स की चिंगारी जला रखी थी.

मामा की रफ्तार और तेज़ हो गयी थी और रफ़्ता रफ़्ता तेजी में इज़फह हो रहा था. मैंने अपनी दोनों टाँगों को मामा की कमर के गिर्द फेल दिया था और खूब खुश थी. अब हम दोनों ही तेज़ हो गये थे. दर्द तो था लेकिन बहुत ही कम. मामा ने एक बार फिर मुझे भिंच लिया और लंड की रफ्तार खूब तेज़ हो गयी थी. मेरी चूत भी लंड को पा कर पागल हो चुकी थी. मामा के लंड में कुछ देर तक तेजी रही और हम दोनों के किस्स भी गहरे और लम्बे होते गये. मामा के लंड से गरम गरम गाढा पदार्थ निकला और उसने मेरी चूत के अन्दर तमाम हिस्सों को भर दिया. मेरी चूत इस नयी और सेक्सी तब्दीली को महसूस कर के खुद भी निढाल हो गयी और अन्दर से एक नय सैलाब बहने लगा. मेरा पूरा वजूद सुकून और रहत में दूब गया. मैंने मामा की तरह इस लमहे एक दूसरे को खूब जोर जोर से किस्स किया.

मामा का लंड मेरी चूत के अन्दर ही अपने अन्दर से एक एक क़त्रय को बाहर निकल रहा था और मेरी चूत का जुइके भी निकल रहा था. मामा मेरे ऊपर लेटे हुए प्यार कर रहे थे. मैंने ऊपर लेटे मामा की कमर पर ३ time SSS लिख और वोह थोरी देर के लिए मेरे लिखने पर कुछ रुके और फिर प्यार करने लगे. मामा का लंड अब वापिस आने लगा था और थोडी देर बाद जब बाहर निकला तो चूत में बन्द हम दोनों का खरिज शुदह मदह निकलने लगा. मामा मेरे पहलू में आ गये और मुझे गल्ले लगा लिया. मैंने मामा के मुक़ब्ले में उनको खूब किस्स किया और काफी देर तक उनके साथ चिमटती रही. मैंने एक बार फिर मामा के सीने पर अपनी नाजुक उंग्लिओस से ३ बार SSS लिख यानी कि मेरा पूर नाम सम सल्मन सुर्ति.

मैंने देख कि दूर कही सूरज निकल रहा हैं. मैंने मामा के होंठों पर उस रात का आखरी किस्स किया और नंगी ही अपने बेड़ पर चली गयी. मामा को शायद यह मलून था कि नहिन कि मैं कोन हुँ. उन्होने हॉल में मौजूद किस्स लर्की की जवानी को अपने लंड से क़ुबूल किया हैं. मैं अपने बिस्तर पर नंगी लैती हुई थी और खुश गवार यदैन मेरी रूह में मुस्तक़िल जगह बन चुकी थी. मेरी चूत के अन्दर और बाहर अब भी हल्का हल्का दर्द मगर सुरूर में दूब हुआ महसूस हो रहा था. मैंने चादर ओड़ी और कुछ देर बाद नींद की अघोश में नंगी ही चली गयी.

हल में लोगों के शोर पर उठी तो मालूम हुआ कि लोग जागना शुरु हो गये थे. मैंने चादर के अन्दर ही अपने कप्रे पहने और बेड़ पर बैठ गयी. मामा पापा और दीगर लोगों के साथ ब्रेअक फस्त की तैयारी कर रहे थे जबकि भाई सब लोगों को जग रहे थे. मामा समेत कफी लोगों ने अपना समन पक्क कर लिया था. चूंकि नश्तेह के बाद सब का वापिस जाने का प्रोग्रम था. मैं वश रूम से फारिग होकर मामा के पास बैठ गयी.

मामा ने पूछ, रात केसी गुर्जरी, नींद अच्छी से आयी य नहिन.

मैंने कहा, जबरदस्त, ऐसी मुबारक रात सब को मिले.

यह सुन कर सब ही मुस्कुरने लगे.

भाई ने पूछा, सम ! तैराकी अच्छी से सीख ली न.

मैंने जवाब दिया, बहुत कुछ सीख लिया.

हम लोग घर पहुँच गये और मामा हम लोगोन को छोड़ कर अपने घर चले गये. उन्हें जाते हुए देख कर मैंने मुस्कुर कर शुक्रिया अदा किया और वोह मुस्क्रथे हुए चल्ले गये.


FUN-MAZA-MASTI यार! तेरी बीवी बड़ी मस्त है

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यार! तेरी बीवी बड़ी मस्त है

प्रेषक - अमित/अनिता शर्मा

हैलो दोस्तों, मैंने कुछ समय पहले ही इस साईट पर कहानियाँ पढ़नी शुरु कीं। कह नहीं सकता कि इनमें से कितनी कहानियाँ सच्ची हैं और कितनी दिमाग़ की उपज। पर आज मैं आप लोगों को अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

मेरा नाम अमित है और मेरी उम्र ३६ साल है। मेरी पत्नी का नाम अनीता है और उसकी उम्र ३४ साल है। हमारी शादी १४ साल पहले हुई थी और हमारे २ बच्चे हैं। बड़ा लड़का १२ साल और छोटी बेटी ७ साल की है।

हमारी ज़िन्दगी और यौन-जीवन आज से ३ साल पहले तक वैसे ही चल रही थी, जैसे कि एक आम मध्यवर्ग के परिवार की चलती है। पिछले ११ सालों में हम लोग सेक्स बस एक ज़रूरत के हिसाब से करते थे। उसमें कोई रोमांच नहीं था, कि हमें सेक्स करने में और मज़ा नहीं आ रहा था।

फिर हमें लगा कि इस तरह तो हम दूर होते जाएँगे, हमने इसमें कुछ नयापन लाने की सोची। उस दिन से हम लोगों ने साथ में ब्लू-फिल्म देखनी शुरु की और गन्दी बातें करनी भी शुरु की। पहले मेरी पत्नी लंड-चूत जैसे शब्द बोलने में भी कतराती थी, पर धीरे-धीरे वह ये बातें आराम से बोलने लगी। उस दिन से हमने अपने यौन-जीवन में एक नयापन का अहसास किया और हमें मज़ा भी आने लगा।

अनीता भी पहले से उलट खुलकर सेक्स करने लगी। पहले जिन सब कामों के लिए वह मना किया करती थी अब वे सारे काम वह ख़ुद ही करवाने-करने लगी। जैसे कि मुँह में लौड़ा लेना, और गांड मरवाना, मेरा वीर्य चेहरे पर लेना, उसे इन कामों में अब बड़ा मज़ा आने लगा था।

मैं आप लोगों को अपनी बीवी के बारे में थोड़ा बताता चलूँ। उसकी उम्र ३४ साल है, गोरा बदन, दूध की तरह, उसकी फ़िगर भी ३७-२९-३८ है और उसका क़द ५' ५" है। मैंने कई बार लोगों को उसे टेढ़ी नज़रों से देखते हुए देखा है, तब मुझे बड़ा ही अजीब सा महसूस होता है, उन लोगों पर गुस्सा भी नहीं आता।

एक दिन मैंने अनीता से वेबकॅम पर सेक्स करने की बात की पर उसने मना कर दिया, लेकिन जब मैंने उससे कहा कि हम लोग अपना चेहरा नहीं दिखाएँगे तो वह मान गई। उस दिन से मैं ऐसे युगल की खोज में जुट गया जो हमारी तरह सोचते हों और एक दिन हमें ऐसा ही एक युगल मिल गया। हम लोगों ने शनिवार रात का समय तय किया कॅम पर सेक्स करने के लिए।

शनिवार रात जब बच्चे सो गए तो रात को ११ बजे, तय समयानुसार हम लोग इन्टरनेट पर मिले। दूसरा युगल था, आशीष ३७, और गीता ३३। वे भी हमारी तरह एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे और सेक्स में नयापन चाहते थे। तो हम लोगों ने नेट से चैट शुरु की और धीरे-धीरे सेक्स की बातें करने लगे। जहाँ मैं गीता के नंगे शरीर को देखने के लिए उतावला था वहीं अनीता भी आशीष का लंड देखने के लिए उतावली दिख रही थी। पर वह अपने चेहरे से ज़ाहिर नहीं कर रही थी। हमने जब उन लोगों से चैट करी तो उन लोगों ने बताया कि वह लोग फोन सेक्स और अदला-बदली करना चाहते है। हम लोगों ने कहा- हम अभी सोचेंगे।

उस दिन अनीता ने गुलाबी रंग की नाईटी पहन रखी थी और उसके अन्दर काले रंग की कच्छी और ब्रा। और मैंने काली हाफ पैंट पहन रखी थी। उधर गीता ने सलवार कमीज़ और आशीष ने पाजामा पहना हुआ था।

जैसे-जैसे चैट की बात आगे बढ़ी, हम लोगों ने एक-दूसरे को कपड़े उतार देने के लिए कहा। उधर गीता ने अपनी सलवार कमीज़ उतार दी और वह केवल लाल ब्रा और लाल कच्छी में थी। इधर अनीता ने उसको देखते हुए अपनी नाईटी उतार दी और अपनी ब्रा-कच्छी भी उतार दी। उधर आशीष और गीता अपने सारे कपड़े उतार कर पूर्णतः नग्न हो चुके थे। उनकी देखा-देखी में इधर हम भी नंगे हो गए।

आज हमें एक नए प्रकार का आनन्द मिल रहा था। गीता के ख़ूबसूरत बद़न, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ देखकर, उसकी बिना बालों की गुलाबी चूत देखकर मेरा लंड तो फुँफकारे मार रहा था। उधर आशीष का लंड देखकर अनीता की भी यही हालत थी। आशीष का लंड मेरे बराबर ही था पर मेरे से थोड़ा मोटा होगा। वैसे मेरा लंड भी ख़ूब मोटा-तगड़ा है, पर उसका मेरे से थोड़ा अधिक मोटा लगा। जब हम लोग नंगे हुए तो आशीष ने कहा क्यों ना फोन सेक्स करें। तो हम भी राज़ी हो गए। पिर आशीष ने हमें फोन किया और हम लोग स्पीकर ऑन करके बातें करने लगे। फिर हम लोगों ने खुल्लम-खुल्ला चूत-लंड की बातें शुरु कर दीं। अनीता मेरा लंड चूसने लगी। अब हम लोग टाईप नहीं कर रहे थे। बस फोन पर ही बातें करके कैमरे के सामने आनन्द का आदान-प्रदान कर रहे थे।

अब मैंने अनीता की चूत को गीता की चूत समझ कर चाटना शुरु कर दिया, और आज मुझे वही चूत चाटने में अलग प्रकार का आनन्द आ रहा था। कुछ देर चाटने के बाद अनीता मेरे मुँह में ही झड़ गई। आज जितना मज़ा हमें सेक्स करने में आ रहा था, उतना पहले कभी नहीं आया था। अब मैंने और आशीष ने अपनी बीवियों को घोड़ी बना कर चोदना शुरु कर दिया था और फोन पर ही गन्दी-गन्दी बातें कर रहे थे। अब हम लोगों के चेहरे भी एक-दूसरे के सामने थे। इसलिए मज़ा दुगुना हो गया था।

२०-२५ मिनट चोदने के बाद मैंने और आशीष ने अपना सारा वीर्य अपनी बीवियों के मँह में डाल दिया। आज हमने महसूस किया कि जितना मज़ा हमे आज आया, उतना मज़ा पहले कभी नहीं आया। उस दिन का कार्यक्रम खत्म करके हमलोग सो गए। दूसरे दिन आशीष का फोन मेरे पास आया और उसने हमसे बीवियों के अदला-बदली के बारे में पूछा। मैंने उससे कहा कि मैं अनीता से बात करके बताऊँगा। उसने मुझे बताया कि गीता को मेरा लण्ड बहुत पसन्द आया और उसे अनीता की गाँड बहुत पसन्द आई। यह सब बातें सुनकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।

मैं फिर से अनीता की चुदाई करने चल पड़ा। उस समय वह बाथरूम में कपड़े धो रही थी। मैंने वहीं जाकर उसकी नाईटी ऊपर उठाकर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। वह इसके लिए तैयार नहीं थी, इसलिए ना-नुकर करने लगी. पर मेरी हरक़तों ने उसे भी उत्तेजित कर दिया और वह मस्त होकर चुदवाने लगी। मैंने इसी उत्तेजना में उससे अदला-बदली के बारें में बात की। आशीष और गीता के साथ उस समय उसने कुछ जवाब नहीं दिया, और पूरी ताक़त से चुदाई में जुट गई। मैंने महसूस किया कि आज वह और अधिक मज़े से चुदवा रही है। फिर थोड़ी ही देर में वो झड़ गई।

उसने पलट कर मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह ज़ोरों से चूसने लगी। उसकी इस हरक़त से मैं भी थोड़ी ही देर में उसके मुँह में ही झड़ गया। मैंने उससे फिर अदला-बदली के बारे में पूछा तो उसने कुछ कहा तो नहीं पर हल्के से मुस्कुरा दी। यह मेरे लिए हरी झंडी थी। मैंने फटाफट आशीष को फोन करके बता दिया कि हमलोग तैयार हैं और मैंने उससे जगह और समय भी तय करने को कह दिया।

हमलोगों ने अगले शनिवार की योजना तय की और हम लोग बेसब्री से शनिवार की प्रतीक्षा करने लगे। इस बीच हम लोग कभी-कभी फोन सेक्स भी कर लेते थे। उस शनिवार को हम लोगों ने अपने बच्चों को उनकी नानी के घर भेज दिया। मैं एक बोतल वोदका लेकर घर आ गया था दोपहर में ही।

शाम को हम लोग तैयार होकर आशीष और गीता की प्रतीक्षा करने लगे। मैंने ढीली टी-शर्ट और लोअर पहन लिया। मैंने अन्दर से कुछ नहीं पहना था। अनीता ने गुलाबी रंग की सेक्सी सी साड़ी पहन रखी थी, जिसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। ठीक ७ बजे आशीष और गीता आ गए। हम लोग आपस में बहुत गर्मजोशी से मिले। जैसे एक दूसरे को काफी पहले से जानते हों। हमारी बीवियाँ थोड़ा सा झिझक रहीं थीं, लेकिन मैंने और आशीष ने माहौल को सँभालने की पूरी कोशिश की।

मैंने आशीष को कपड़े बदलने को कहा, जिससे हम आराम से बातें करने लगे। गीता ने भी हरे रंग की साड़ी पहन रखी थी, और बहुत ही सुन्दर लग रही थी। मेरा लंड तो उसको देखकर ही आपे से बाहर हो चला था। शायद उसने भी मेरी हालत पहचान ली थी। थोड़ी ही देर में आशीष भी कपड़े बदल कर आ गया। उसने शॉर्टस और शर्ट पहन रखी थी और वह भी बारबार अनीता को देखने की कोशिश कर रहा था। मुझे लगा उसने भी अन्दर से कुछ नहीं पहन रखा था।

मैं तब तक वोदका की बोतल, लिम्का और ४ गिलास ले आया और पैग बनाने लगा। हम लोग बातें करते-करते वोदका की बोतल खतम करने लगे। हम लोग पहले बातें करने में थोड़ा शरमा रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे पैग खत्म हो रहे थे हमलोग आपस में खुलते जा रहे थे। अब मैं आप लोगों को यह कहानी एक एकांकी की तरह सुनाता हूँ कि हम आगे कैसे बढ़े।

दृश्य - 1 (ड्राईंग रूम में वोदका पीते हुए)

आशीष - अनीता तुम्हारी चूत किस रंग की है?

(अनीता शरमा जाती है है और कुछ नहीं बोलती, बस धीरे-धीरे मुस्कुरा देती है।)

अमित - यार उसी रंग की होगी जैसी गीता भाभी की है, वैसे अनीता की चूत एकदम चिकनी है और गुलाबी रंग की है। गीता भाभी की चूत कैसी है।

आशीष - गीता की चूत भी एकदम मक्खन की तरह है और एकदम लाल। तुम चाहो तो देख सकते हो। (गीता यह सुनकर शरमा जाती है।)

(हमलोग और वोदका पीने लगते हैं, मैं जानबूझ कर बीवियों के पैग बड़े और अपने पैग छोटे बना रहा था।)

अमित - चलो यार, थोड़ा नाश्ता कर लेते हैं।

आशीष - आज तो हम चूत और मम्मों का ही भोजन करेंगे।

अमित - यह ठीक है गीताजी आपके मम्मे दिखाओ ना।

गीता - पहले अपना लंड तो दिखलाओ।

अनीता - चलो हम लोग बेडरूम में चलते हैं।

दृश्य - 2 (बेडरूम - हाथ में अन्तिम पैग) आशीष, गीता, मैं और अनीता चारों बिस्तर पर हैं

आशीष - अमित टीवी ऑन कर दो ना यार, कोई फिल्म है तो लगा दो। (उसने मेरी ओर देखकर आँख मारी, और मैं उसका इशारा समझ गया था।)

फिल्म चलाते ही उसमें ब्लू-फिल्म शुरु होती है। हम लोग मूड में थे इसलिए कोई कुछ नहीं बोला और फिल्म देखनी शुरू कर दी। बिस्तर पर पहले मैं लेटा था, फिर गीता, उसके बाद अनीता और फिर आशीष। हमारा बिस्तर काफी बड़ा था पर अगर चार लोग उसमें लेटे तो एक दूसरे से छू जाते ही। हमारा शरीर भी एक-दूसरे से छू रहा था। मुझे गीता की टाँग लग रही थी, वही हाल आशीष का भी था। सामने ब्लू फिल्म चल रही थी, जिसमें २ लड़के और २ लड़कियाँ थीं, पहले लड़के ने लड़की के मुँह में अपना लंड डाल रखा था और दूसरी लड़की उसकी चूत चाट रही थी, दूसरा लड़का दूसरी लड़की की चूत चाट रहा था।

यह सब देखकर और गीता का स्पर्श पाकर मेरा लौड़ा एकदम कड़क हो गया था और वह पूरी तरह खड़ा हो चुका था, यही हालत आशीष की भी थी। हम दोनों ने फिर गीता और अनीता की तरफ करवट कर ली और उनके थो़ड़ा और समीप आ गए जिससे मेरा लंड गीता की टाँग को छूने लगा, और आशीष ने भी लगभग ऐसा ही किया। गीता और अनीता के चेहरे भी लाल हो चुके थे, शायद यह हमारा पहला अनुभव था इसलिए काफी अच्छा लग रहा था। धीरे-धीरे मैंने गीता के मम्मों पर हाथ रख दिया और उन्हें सहलाने लगा। आशीष भी अनीता का पेट और टाँगें सहला रहा था। ब्लू-फिल्म की मादक आवाज़ों ने कुछ और भी मज़ा पैदा कर दिया था।

हम दोनों ने धीर-धीरे उन दोनों की साड़ी ऊपर कर दी। दूधिया रोशनी में उन दोनों की टाँगें और जाँघें ऐसी चमक रहीं थीं कि वहाँ आँखें नहीं ठहर पा रहीं थीं। यह कह पाना मुश्किल था कि दोनों में से कौन अधिक गोरी थी। गीता ने लाल रंग की कच्छी पहन रखी थी। साथ में हम गन्दी बातें भी कर रहे थे, जो बड़ी मस्त लग रही थीं। अनीता ने काली कच्छी पहन रखी थी। गीता की कच्छी नीचे से गीली थी, जिससे लगता था वह पूरे मज़े में है, वही हाल अनीता का भी था।

आशीष - यार अमित तेरी बीवी साली बड़ी मस्त है, इसकी चूत क्या फूली हुई लग रही है ऊपर से।

अमित - हाँ यार तेरा माल भी बड़ा मस्त लग रहा है, सोचता हूँ खा जाऊँ।

आशीष - चल यार दोनों को नंगा कर देते हैं (उसने अनीता के कपड़े उतारने शुरु कर दिए।)

उसको देखकर मैंने भी गीता के कपड़े उतारने शुरु कर दिए।

अनीता - अरे तुम दोनों भी तो नंगे हो जाओ, या ऐसे ही पड़े रहोगे?

फिर देखते ही देखते हम चारों नंगे हो गए। ट्यूबलाईट की रोशनी में हम चारों के बदन ऐसे चमक रहे थे कि पूछिए मत, शायद ऐसा मज़ा पहले कभी नहीं आया मुझे।

आशीष - मैं तो अनीता की चूत चाटूँगा! (और उसने अनीता की चूत चाटनी शुरु कर दी।)

अमित - मैं भी गीता की चूत ही चाटूँगा! (और मैंने भी गीता की चूत चाटनी शुरु कर दी।

गीता - चाटो राजा चाटो, ज़ोर से चाटो... आज बहुत मज़ा आ रहा है... आआआ... उउअअमममममम... खा जाओ आआहहहाहा...

अनीता - ज़ोर से चाटो... आआहहहह... उम्म्म्म्म्ममममम आहहाहाहाहाह- आऊचच्च्च वाऊ

क़रीब २०-२५ मिनट तक चूसने के बाद गीता ने मुझे बालों से पकड़ कर ज़ोर से अपनी चूत पर चिपका लिया। मुझे लगा कि वह झड़ने वाली है और थोड़ी ही देर में ही वह मेरे मुँह में झड़ गई। उसने मेरा मुँह पूरा भिगो दिया था। ऐसा लग रहा था कि मैं मुँह धोकर आया हूँ। फिर हम दोनों आशीष और अनीता को देखने लगे। अनीता भी बस अब झड़ने ही वाली थी और देखते ही देखते वह भी आशीष के मुँह में झड़ गई, वह दृश्य बड़ा ही मस्त था जब वह झड़ रही थी। मैंने आगे बढ़कर उसके होंठों को चूम लिया।

फिर हम चारों एक दूसरे के होंठ चूमने लगे। मैंने कस-कस कर गीता के होंठों को चूसना शुरु कर दिया। कुछ देर चूसने के बाद मैंने गीता को बिस्तर के पीछे दीवार से लगा दिया और उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया। अब वह हिल नहीं सकती थी, और मैं उसके मुँह में ही धक्के मारने लगा। वहीं आशीष ने अनिता को बिस्तर पर लिटा कर उसके मुँह में अपना लंड डाल कर झटके मारने शुरु कर दिए। मैंने ध्यान दिया तो मुझे आशीष का लंड बड़ा मस्त लगा।

आशीष - अमित मज़ा आ रहा है ना?

अमित - हाँ यार, ऐसा मज़ा तो पहले कभी नहीं आया। यार दोनों एक ही साथ झड़ेंगे।

आशीष - "आज इन बहन की लौड़ियों को मस्त करके छोड़ेंगे, हर तरह से जैसे ब्लू-फिल्मों में देखा करते हैं।

अमित - हाँ आज सारी हसरतें जो सिर्फ हम सोचते थे वह पूरी करेंगे।

क़रीब २०-२५ मिनट बाद बातें करते-करते हम झड़ने लगे और मैंने अपना सारा माल गीता के मुँह में डाल दिया। वहीं आशीष ने भी अपना पूरा माल अनीता के मुँह में उड़ेल दिया था। वे दोनों बाथरूम में जाने लगे, मुँह साफ करने के लिए, पर हमने उन्हें रोक दिया। मैंने गीता को कहा कि वह अपने मुँह का सारा माल अनीता के मुँह में डाल दे, जैसे ब्लू-फिल्मों में करते हैं। शायद नशे में होने के कारण या मज़े की वज़ह से अनीता ने भी अपना मुँह खोल दिया और गीता ने अपने मुँह का सारा माल अनीता के मुँह में डाल दिया। फिर हमने अनीता को कहा कि वह अपने मुँह का सारा माल गीता के चेहरे पर गिराए। अनीता ने वैसा ही किया। फिर मैंने और आशीष ने वह सारा माल उन दोनों के चेहरे पर से पोंछ दिया। उसके बाद गीता और अनीता ने हम दोनों को चूम लिया और एक बार फिर हम लोगों के होंठ एक दूसरे से जुड़ गए। हम इन बातों की बस कल्पना ही करते थे, पर आज करके कुछ अच्छा और थोड़ा अजीब सा लग रहा था, शायद पहली बार करने के कारण।

उसके बाद हमने एक-दूसरे को साफ करके दुबारा ब्लू-फिल्म देखने में लग गए। इस बार दोनों लड़कों ने अपना लंड एक लड़की की चूत और गाँड में डाल रक्खा था और दूसरी लड़की एक लड़के को चूम रही थी और कभी-कभी नीचे वाला लड़का उसकी चूत भी चाट लेता था। यह सब देख आशीष बोला।

आशीष - यार क्या मस्त चुदाई हो रही है, अनीता तुम्हारा क्या ख्याल है इस बारे में?

अनीता - अरे हम तो कितने भी लंड ले लेंगे, तुम डालने वाले बनो।

पहली बार अनीता के मुँह से लंड शब्द सुनने के बाद आशीष कुछ अधिक ही उत्तेजित हो गया और वह गीता और अनीता के बीच बैठ गया और दोनों की जाँघें सहलाने लगा। मैं भी जाकर उन लोगों के पास बैठ गया।

अमित - यार आशीष तु्म्हारी बीवी बड़ा मस्त लंड चूसती है।

गीता - तुम भी तो बड़ी मस्त चूत चाटते हो।

हम लोग इसी तरह की बातें करने लगे। गीता मेरा और अनीता अमित का लंड सहला रही थी। अब तक हमारे लंड पूरी तरह खड़े हो चुके थे और हम चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार थे। अचानक आशीष मेरा लंड पकड़ते हुए बोला - यार अमित तेरा लंड तो बड़ा मस्त है, अनीता तू तो बहुत खुश रहती होगी।

इसकी इस हरक़त का मुझे अंदाज़ा नहीं था, पर उसकी इस हरक़त की वज़ह से मेरे शरीर में नई झुरझुरी दौड़ गई और मेरा लंड और भी कड़ा हो गया।

अमित - हाँ पर तुम्हारा लंड भी बड़ा मस्त है यार, भाभी की चूत तो निहाल हो जाती होगी।

आशीष - वो तो तुम गीता से ही पूछ लो।

गीता - लंड में क्या रखा है, कौन कितना मज़ा दे पाता है बात इस पर निर्भर करती है।

अनीता - गीता, चलो एक-एक पैग और बना लाते हैं।

गीता - हाँ चलो।

उनके जाने के बाद मेरा भी मन आशीष का लंड पकड़ने का हुआ, और मैंने उसके लंड पर हाथ रख दिया। मुझे थोड़ा अजीब सा महसूस हुआ कि मैंने कोई गरम चीज़ पकड़ ली हो, लेकिन मुझे बहुत अच्छा लगा।

आशीष - ज़ोर से पकड़ो यार। (और वह भी मेरा लंड पकड़ लेता है और मुट्ठ मारने लगता है। मैं भी उसका मुट्ठ मारना शुरू कर देता हूँ। हमारे लंड और भी कड़े हो गए।)

अमित - यार जब हमारी बीवियाँ इसे मुँह में लेतीं होंगी तो उन्हें कैसा लगता होगा?

आशीष - हम भी लेकर देख लेते हैं।

अमित - बीवियाँ देखेंगी तो क्या सोचेंगी?

तब तक गीता और अनीता आ जाती हैं और हम सामान्य होकर बैठ जाते हैं। पैग पीने के बाद हम लोग फिर ब्लू-फिल्म देखने लग जाते हैं, साथ ही एक-दूसरे को चूमना भी शुरु कर देते हैं।

मैंने गीता को सीधा लिटाकर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। मुझे अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ी और मेरा लंड उसकी चूत में जड़ तक घुस गया। वहीं दूसरी तरफ आशी, ने भी अनिता को घोड़ी बना कर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। हम लोग इस स्थिति में लेटे थे कि अनीता का मुँह गीता के मुँह के ऊपर आ रहा था और वो दोनों आसानी से एक-दूसरे को चूम सकतीं थीं। मैं भी कभी-कभी धक्के मारते हुए अनिता को चूम लेता था। वहीं आशीष भी गीता को चूम लेता था। बीच-बीच में बड़ा ही मस्त दृश्य उपस्थित होता था। गीता और अनीता की आहहहह... उम्म्मम्म... आउउच्चचच की आवाज़ें आ रहीं थीं। क़रीब आधा घंटा चोदने के बाद जब हमें लगा कि अब हम झड़ने वाले हैं तो मैंने आशीष को आँख मार दी, शायद वह मेरी बात समझ गया था।

तब तक गीता और अनीता भी झड़ चुकीं थीं। हम दोनों ने उन्हें सीधा लिटाकर उनके मुँह की तरफ मुट्ठ मारनी शुरु कर दी। वे हमारा मतलब समझ कर थोड़ी आनाकानी करने लगीं, पर हम उनके ऊपर बैठे थे तो वे उठ नहीं सकतीं थीं। कुछ ही देर में हमने अपना सारा माल उनके मुँह पर उड़ेल दिया और पस्त होकर लेट गए। उनका पूरा मुँह हमारे वीर्य से भर गया था। तभी वे दोनों उठीं और हमें कस के पकड़ कर हमें चूमने लगीं। अब हमारा ही वीर्य हमारे मुँह में था। पहले-पहले थोड़ा सा अजीब सा लगा पर जब उन दोनों ने हमें नहीं छोड़ा तो हमें भी अच्छा लगने लगा। फिर हम लोगों ने बाथरूम में जाकर स्वयं को साफ किया।

हम लोग वापिस बिस्तर पर आकार आराम से बैठे, तब तक थोड़ी-थोड़ी भूख लग आई थी, तो मैंने अनीता को कहा कि थोड़ा नाश्ते का प्रबन्ध कर ले। तो गीता और अनीता दोनों किचन में चली गईं और थोड़ी देर में वह गरमा-गरम नाश्ता ले आई। हमलोग नाश्ता करने लगे। हम लोग नंगे ही बैठे थे और टीवी पर ब्लू-फिल्म चल रही थी। लगभग आधा घंटा बैठने के बाद हम लोग दोबारा गरम होने लगे थे। तब अनिता बोली, मैं बर्तनों को किचन में रख आती हूँ, और वह किचन में बर्तन लेकर चली गई।। तब तक मैंने गीता को अपने पास खींच कर उसे अपने ऊपर बिठा लिया था और अपना लंड ठीक करके उसकी चूत के दरवाजे पर सटा दिया। गीता थोड़ा ऊपर उठकर फिर उसपर बैठ गई थी और हिलने लगी थी। तभी मुझे भारीपन का अहसास हुआ। जबतक मैं कुछ समझ पाता, आशीष ने अपना लंड गीता की गाँड में टिका दिया था, अब गीता में दो लण्ड घुसे हुए थे और आशीष धक्के पर धक्के मारने लगा था। मैंने धक्के मारने शुरु नहीं किए थे क्योंकि आशीष के धक्कों से मेरा लंड अपने-आप ही अन्दर बाहर हो रहा था। तबतक अनीता भी आ चुकी थी।

अनीता - अरे, गीता ने २-२ लंड ले लिए।

गीता - नहीं यार, ये पीछे से इन्होंने डाल दिया।

आशीष - क्यों, तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा है क्या?

अमित - मुझे तो मस्त मज़ा आ रहा है।

अनिता हमारे सामने बैठकर आशीष के होंठ चूसने लगी और गीता मेरे होंठ चूस रही थी। थोड़ी देर चोदने के बाद :

आशीष - पार्टी बदली जाए?

अमित - क्यों नहीं।

और वह गीता की गाँड से हटकर अनीता को अपने ऊपर बिठा लेता है, और चूत में लंड डाल देता है। कुछ देर वैसे ही चोदने के बाद मैंने अपना लंड निकाला और अनीता की चूत में डालने लगा। उसे थोड़ा दर्द हुआ पर थोड़ी कोशिश के बाद हम दोनों के लंड उसकी चूत में थे। ऐसा हमने उसी फिल्म में देखा था। उसकी चूत ऐसी टाईट लग रही थी कि बस पूछिए मत और नीचे से आशीष के लंड का एहसास जो बिल्कुल लकड़ी की तरह कड़क था। एक अजब सा अहसास हो रहा था। पहली बार मेरा लंड किसी दूसरे के लंड के साथ टकरा रहा था। थोड़ी देर में हमने फिर पार्टी बदल ली। इस बार मैंने गीता की गाँड में लंड डाला तो आशीष बोला - क्यों ना इस बार गाँड में लंड डालें। तब मैंने इसका लंड गीता की चूत में से बाहर निकाल कर गीता की गाँड में सटा दिया। आशीष का लंड काफी कड़क लग रहा था। हमने दोनों लंड गीता की गाँड में डालने की कोशिश की, उसे दर्द भी बहुत हुआ पर थोड़ी कोशिश के बाद दोनों लंड उसकी गाँड में थे। वैसे चोदने में बहुत ही मज़ा आ रहा था। करीब २०-२५ मिनट बाद हमलोग उसकी गाँड मे ही झड़ गए। अब तक हमारे लंडों की हालत ऐसी हो चुकी थी कि वो दुबारा खड़े होने की हालत में नहीं थे।

हम लोग अनीता और गीता को छोड़ कर ड्राईंग रूम में आ गए थे।

अमित - यार दिल भर गया पर मन नहीं भरा।

आशीष - हाँ यार, अभी तो और चोदने का मन कर रहा है।

अमित - पर यह लंड पता नहीं कब तक खड़े होंगे।

आशीष - एक तरीका है इन्हें खड़ा करने का।

अमित - कौन सा तरीका?

तब अमित ने मेरा लंड अपने हाथों में ले लिया और उसे सहलाने लगा। उसके ऐसा करने से मेरा लंड फिर हल्के-हल्के खड़ा होने लगा था। मैंने भी उसका लंड पकड़ कर ऐसा ही किया, पर वो पहले वाली बात नहीं आ रही थी। तभी आशीष ने कुछ ऐसा किया कि मेरा लंड पहले से भी अधिक कड़क हो गया। उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया था, उसकी ऐसी हरक़त की मुझे उम्मीद नहीं थी, पर मेरा लंड एकदम से कड़क हो चुका था। मुझे ना जाने क्या हुआ कि मैंने भी उसका लंड अपने मुँह में डाल लिया और जैसा कि मुझे लगता था, उसका लंड भी कुछ ही देर में पूरी तरह टाईट हो चुका था। बड़ा ही मस्त लग रहा था उसका लण्ड।

आशीष - चलो, हम फिर चुदाई के लिए तैयार हो गए हैं, अब जाकर बहन की लौड़ियों को चोद डालते हैं।

अमित - हाँ चलो उनकी चूत का भोसड़ा बना देते हैं। और हम उठकर बेडरूम की तरफ चल पड़े।

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