Sunday, May 10, 2015

FUN-MAZA-MASTI शुभारम्भ-35

FUN-MAZA-MASTI

शुभारम्भ-35


 गांड की फटफटी ऐसी चल रही थी की क्या बताये.....

फ़ोन हाथ में बजे जा रहा था और मैं स्क्रीन पर आये पिया के नाम को देखे जा रहा था.

पापा चिल्लाये, " अरे भाई फ़ोन उठाओ......की फ़ोन करने वाला फ़ोन में बहार आ जायेगा फिर बात करोगे..?"

मैंने ग्रीन बटन दबा ही दिया....

"ह..ह...हेलो......"

? ? ? ?

"ह....ह....ह....हेलो......हेल्लो.........."

? ? ? ?

मुझे फ़ोन पर सिर्फ साँसें लेने की आवाज़ आ रही थी.....मैं बहार निकल आया...

मैंने फिर कहा, " ह...ह...हेल्लो.....प.....प.....पिया....?? "

"मुझे.....तुमसे......बात.......नहीं.......करनी.....", पिया फ़ोन पर फुफ्फुसाई.

अब बताओ......बात नहीं करनी तो फ़ोन क्यों लगाया.....सब सही कहते है लड़कियों के दिमाग का कोई ठिकाना नहीं.....अरे जब फ़ोन लगाया खुद ही है तो बात करने के लिए ही लगाया होगा.....मैं यहाँ चूतिये जैसे हेलो हेलो करे जा रहा हूँ......वैसे ही अपनी ग...ग....ग....गाड़ी......झटके ले ले कर चलती है....पर चलो ठीक है.........मैंने अपनी आवाज़ को थोड़ा सॉफ्ट बना कर कहा...

"प...प....पिया.....आ.....आई ..एम ....सॉरी....."

इतने में तो फ़ोन में चैन रिएक्शन शुरू हो गई , " हाह.........सॉरी......वाह वाह..पहले कुछ भी कर दो और फिर सॉरी बोल दो....ये बढ़िया है.....और तुम तो दूध के धुले हो.....मैं तुम्हे सीधा और अच्छा लड़का समझती थी पर तुम तो .....माय गॉड......आई स्टिल कांट बिलीव......आई मीन.......जाने दो....तुम्हे क्या फर्क पढता है....तुम क्यों परवाह करने लगे......ये सही है......पहले स्टुपिड सी बात की और उसके बाद........नो सॉरी.....नो नथिंग.......अरे.....यु नेवर कॉल्ड मी........मैं ही पागल हूँ.........जो कॉल किया.....अगर तुम सॉरी फील करते तो कॉल करते न.......नो....यु आर नोट सॉरी......आई ऍम सॉरी."

भेन्चोद......यह बुलेट ट्रैन कब रुकेगी......? ऐसा लग रहा है की दिल्ली से आगरा का सफर इसको 10 मिनट में पूरा करना है......मैंने हिम्मत जुटाई..

"प....प.....पिया.......प ....प.....प्लीज़ मेरी बात सुनो"

"क्या सुनु शील....? जो तुमने कल कहा था वो ? माय गॉड....मैं तो तुम्हे इतना सीधा समझती थी.....यु नो....आई थॉट की....यु नो.......छोड़ो यार..."

भेन्चोद.....क्या बोलू अब......मैं भी चुप होके रह गया...

"हैल्लो.....अरे.....आर यु देयर....?", पिया फिर भड़की....

"हाँ.....अब...म.म..मैं क्या कहु....पिया.....आय ऍम रियली सॉरी....प...प....प्लीज़.....नवजोत से मत कहना..", मैं टर्राया.

"क्या....ओह.....हा..हा...हा...हा...हा",

पिया की खनखनाती हंसी से मेरे सूखे मन में बहार आ गयी. अब जान में जान आई....उसकी हंसी सुनकर जाने क्यों दिल में गिटार बज गयी.....और अपुन फॉर्म में आ गए.

"हाँ....यार....तुम्हारे भाई से मुझे बहुत डर लगता है....."

पिया फिर हंसी, " हा हा हा.....अरे तुम तो बहुत ही डरपोक हो यार.....ही इस कूल...."

मैं थोड़ा फ़ैल गया, " अरे क्या कूल यार.....कॉलेज में सब को कितना डरा रखा है....तुम्हे तो पता है मेरी कैसी क्लास ली थी उसने......"

"हाँ तो...? उसमे क्या हुआ....तुमसे गाना गाने को ही तो कहा था.....और हल्लो मेरा भाई किसी को डरता वराता नहीं है ...ओके ?"

मैं पूरा फ़ैल गया, "अरे क्या नहीं डराता ?.....सब डरते है उस से .....एक तो सीनियर.....उस पर से सांड जैसा तो दीखता है...."

"शीेे ई ई ई ल .......क्या तुमने अभी मेरे भाई को सांड कहा ?", पिया भड़की.

फट फट फट .....हाँ दोस्तों यह मेरी फटफटी ही है.....शुरू हो गयी.

"आ...आए.....एम....स.स..स....सॉरी.....पिया.....म...म...मेरा म...म...मतलब है न.न.नहीं था....."

पिया की हंसी से मानो फ़ोन झनझना गया.....वो हँसे ही जा रही थी.....और मुझे लंड नहीं समझ आ रहा था की इस गेलचोदी को हुआ क्या है .....??

"ओओओओह्ह्ह्ह.....माय.....गॉड........हाहाहाहा.......शील .......यु आर सो क्यूट......"

भेन्चोद साली मज़ाक उड़ा रही है.....इसकी तो मैं.

"आय ऍम सॉरी शील.....हेहेहे......तुम बहुत क्यूट हो.......ओह....गॉड.....सही है.....मेरा भाई तो सांड ही है.....हाहाहाहा......."

अबे....लंड ये चल क्या रहा है.

उसने मानो बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी पर ब्रेक मारा, "अच्छा.....सुनो.....अरे मेरे अकॉउंट की टूशन का क्या हुआ यार.....मुझे तो कुछ भी नहीं आ रहा है....वो जो चैप्टर तुमने बताया था वो तो बहुत ही टफ है यार...."

मैंने कहा, " अरे....टफ....काहे का टफ.....वो तो एकाउंट्स का इंट्रोडक्शन है यार....."

पिया थोड़ा झेंप गयी, " हा....वही....थोड़ा....कंफ्यूज थी यार.....तुम आ सकते हो क्या अभी पढ़ाने ? "

मैं फिर टर्राया, " अभी...? यार आठ बज रहे है....अब इतनी लेट शाम को क्या आऊंगा...."

पिया बोली, " अरे तुम आ जाओ यार.....मेरे यहाँ तो सब लेट तक जागते है....."

"हाँ पर....अब....माँ मना करेगी....इतनी रात को...."

पिया ने मुझे धमकाया, "अरे तुम आ रहे हो या मैं बोलू भाई से....की तुमने उन्हें....क्या बोले थे तुम अभी मेरे भाई को....?"

अरे.....मादरचोद......ई ब्यबस्था ??

"म...म...मैंने क्या कहा...? क...क....कुछ भी न..न....नहीं...."

"बोला था.....तुमने अभी मेरे भाई को क्या कहा था.....हाँ याद आया....सांड......बोलू भाई को....की शील ने तुम्हे सांड बुलाया....?"

फट फट फट....फटफटी चल पड़ी......

"अरे...म....म...मैं....आ रहा हूँ....... 10 मिनट्स मे"

पिया मानो फोन पर ही मुस्कुरा दी...." आ ही जाना.....नहीं तो.....ओके बाय "

मैंने फ़ोन रखा....और सोचने लगा की कपडे चेंज करू या नहीं....इतने में

अनीता चाची की आवाज़ आई, "अरे....लल्ला......लल्ला.....रे......कहा ........ओओ.....लल्ला......"

"हाँ चाची......"

चाची किचेन में से बाहर निकली, साड़ी से अपने हाथ पोछती......पसीने में भीगी....आकर फैन के निचे खड़ी हो गयी और अपने आँचल से अपने चेहरा और अपने गला पोंछने लगी.....

आँचल......ब्लाउस से तो हट गया था....मेरी नज़र सीधे तीर जैसे चाची की ब्लाउस पर अटक गयी....

बेचारे ब्लाउस की पूरी मर्यादा 3 हुको के दम पर टिकी थी....चाची के मम्मे गरम दूध की तरह उफने जा रहे थे....घंटा ब्रा और ब्लाउस मिल कर चाची के मम्मो को रोक नहीं पा रहे थे..

दोनों मम्मो की बीच की घाटी में पसीने की नहर सी थी....

मेरी सांसें तेज़ हो गयी...

मेरी नज़र जाकर चाची के मम्मो पर ऐसी चिपकी जैसे गुड पर मक्खी.

इस दौरान चाची का बोलना जारी था मगर अपने को क्या ?

अँधा क्या चाहे दो आँखे

ठरकी क्या चाहे....दो मम्मे....

चाची ज़ोर से चिल्लाई, " अरे भांग वांग खाया है क्या ?.....हाय राम देखो तो इसको.....अरे मैं क्या बोल रही हूँ ???.....ध्यान कहा है ?"

आपके मम्मो पर....

मैं हड़बड़ाया, "हैं.....नहीं.....क्या....?"

चाची ने माथा ठोका, " सत्यानाश.......अरे....मैं बोल रही हूँ की जल्दी आ जाना.....घर पर कोई नहीं है....भाभीजी कही जगराते में जायेंगे और तेरे पापा और चाचा फिर दुकान जायेंगे.....कोई ट्रक लगेगा रात में....."

घर पर कोई नहीं है. यह सुन कर मेरी धड़कने ढिंचक ढिंचक करने लगी.....मगर क्या करू ?

पिया के पास नहीं गया तो....भी लोचा....और चाची को अकेला कैसे छोड़ू....क्या पता कोई चांस...लग जाये.

चाची बोली, " जल्दी आ जाना......अभी तो मैं भी सामने शर्मा जी के यहाँ जा रही हूँ.....कोई पंडित जी आये है......राम जाने....कृपा हो जाये....."

बेचारी को बच्चा नहीं हो रहा था....डॉक्टर ने चाचा का स्पर्म काउंट कम बताया था और अपने बैल चाचा मानता ही नहीं था की उसमे कोई कमी है. इसीलिए इलाज़ नहीं कराता था. बहरहाल चाची ने मेरी प्रॉब्लम सोल्वे कर दी. मैं तुरंत पिया के घर की और निकल लिया.

रास्ते भर खोपड़ी घुमाता रहा की कैसे बात सम्भालूंगा......सॉरी कैसे बोलूंगा.....भेन्चोद साली सनक गयी और उस सांड की औलाद नवजोत को बोल दिया तो.....???? ........ अपनी गांड फटफटी.

पिया के घर पहुंचा और जैसे ही बाहर का गेट खोला उसका कुत्ता साला मादरचोद इतनी ज़ोर से भोंका की मेरी तो आत्मा ही शरीर से बाहर निकल गई. भोसड़ी का.....कुत्ता कहीं का.

अंदर से आवाज़ आई......"व्हिस्की...........ओय चुप कर........कौन है......?"

कुत्ता का नाम......" व्हिस्की "

कुत्ता तुरंत चुप.

दरवाजा खुला और .....

पम्मी आंटी ने झाँका...."कौन है......हाय......ओ.....तू है.......आजा...आजा....."

अगर चाची देसी दारू थी तो पम्मी आंटी मेक्डॉवेल नम्बर वन.

एकदम कसा हुआ वाइट कुरता ....पटियाला सलवार.....और झीने कुर्ते में से दिखती ब्लैक ब्रा.

भेन्चोद....इस औरतों को होश नहीं रहता क्या ?? इतने पतले पतले कपडे के ब्लाउस और कुर्ते पहन लेती है......और तो और वाइट के अंदर ब्लैक ब्रा.

खैर....माँ चुदाये......हमें तो फ्री का शो दिख रहा है. देखो शान से.

मैंने तुरंत नमस्ते की.

पम्मी आंटी ने सोफे की तरफ इशारा किया और बैठने को कहा.

फिर बोली, " और भई......तू तो आया ही नहीं फैर......यार ये छोकरी भी ना....इसका ना...... दिमाग नहीं है पढ़ने में......जब देखो.....कभी टीवी.....कभी कपडे.....कभी यह....कभी वो......तू ना...इसको समझा जरा....इसके पापा जी तो बोलते है की क्या करेगी पढ़ के......मैंने भी कह दिया.....जी यह तो पढ़ेगी.....अब मुझे ही देख ले....मैंने एम. ए. किया है पंजाब यूनिवर्सिटी से....."

जी आंटी आप ही को देख रहा हूँ...

पम्मी आंटी......असली पंजाबन दिखती है........बिलकुल खाया पिया कड़क और हट्टा कट्टा शरीर....और गांड तक आते लम्बे लम्बे बाल....बड़ी बड़ी ऑंखें......गोरा रंग......और कमाल के चुत्तड़.

वो जब सोफे पर बैठी थी तो उनके बैठने से उनकी गांड पूरी फ़ैल गयी थी. मैं सोच में पढ़ गया.....की आंटी की इतनी मोटी गांड है......कोई पीछे से डाले तो लंड आंटी की मुनिया तक पहुँच भी पाये या नहीं.

आंटी बोली, " ओ.....किधर ध्यान है भई.......?"

shit .....मैं आंटी की मोटी गांड का नाप ले रहा था और आंटी ने मेरी नज़रें पकड़ ली मैं सकपका कर इधर उधर देखने लगा फिर चोरी से आंटी के चेहरे पर नज़र डाली. पम्मी आंटी मानो सोच में पड़ी थी.

लो....चुद गयी.....पुरे शहर के सबसे खतरनाक आदमी की बीवी ही मिली थी भेन्चोद घूरने के लिए...

घंटा बाबा जी.....मेरे इतने टुकड़े करेंगे सरदार जी की गिनती के लिए कैलकुलेटर लगेगा.

कसम से भई....ठंडा पसीना आ गया.

पम्मी आंटी ने पूछा, " ओये....तुझे बड़ा पसीना आ रहा है.....AC चल तो रहा है ना ?"

मैंने कुछ बुदबुदा कर जवाब दिया. तो वह फिर बोली

"पानी पियेगा.....ठहर मैं लाती हूँ.....आज हरामखोर नौकर आया ही नहीं...."

पम्मी आंटी उठ कर गयी और लाख कोशिश करने के बाद भी मेरी निगाहे उनकी ठुनकती गांड पर जा कर चिपक गयी.....कॉमेडी नाइट विथ कपिल की गुत्थी की कसम.......ऐसी कातिल गांड मैंने आज तक नहीं देखि थी. मेरे दिमाग मैं एहि चल रहा था की पम्मी आंटी को घोड़ी बना कर ठुकाई की जा सकती है या नहीं.

पम्मी आंटी को मानो उनकी गांड पर फिसलती नज़रों का अहसास हो गया, वो किचन के दरवाजे पर एक दम से घूम गयी और बोली " ठंडा लेगा या गरम ...."

मेरे तो तोते उड़ गए..

"हैं....? जी....क...क....क....क्या......? "

पम्मी आंटी धीरे से मुस्कुराई और फिर से बोली, " पानी......ठंडा लेगा या गरम...."

भई मैं पुरे एक सौ एक की शर्त मारने को तैयार हूँ की पम्मी आंटी समझ गयी थी की मैं उनकी गदराई गांड का नाप ले रहा हूँ.

"जी...क...क....क.....कोई सा भी चलेगा....."

पम्मी आंटी मुस्कुराते हुए पानी ले आई, उनकी चाल में एक अलग ही तरह की लोच आ गयी थी. वो पानी की ट्रे लिए मेरे सामने आ गयी. जैसे ही झुकी और......

उनकी चुन्नी सररररर से सरक गयी.....मुश्किल से १ फ़ीट दूर कुदरत का हसीं नज़ारा मेरे सामने था

लस्सी मक्खन मलाई और जाने क्या क्या शानदार चीज़े लगी थी इन पहाड़ जैसे मम्मो को बनाने में.....काली ब्रा में कैद दोनों मस्ती से झूल रहे थे.....पम्मी आंटी के कुरते का गला इतना बड़ा था की मैं अपनी मुंडी अंदर डाल कर उनको चूस सकता था.....यह जानते हुए की पम्मी आंटी मुझे ही देख रही है मैं अपनी नजरे उनके बोबों से हटा ही नहीं पा रहा था.

पम्मी आंटी ने कहा, " ले.....पी....ले....."

अपुन को तो ऐसा ही लगा की वो पानी नहीं अपने मम्मे पीने को बोल रही हैं.

"जी.....हाँ.....थैंक्स.,."

मैंने एक सांस में ही गिलास खत्म कर दिया.

पम्मी आंटी ने ट्रे की और ऑंखें नचाई और कहा, " और पीले.....बड़ा प्यासा है तू.......हांय...?"

मैंने दूसरा गिलास भी पम्मी आंटी के मम्मो का नाप लेते लेते ही ख़त्म किया.

भेन्चोद समझे समझ नही आ रहा था की यह चुतियाई क्या है ....

यह आंटी का wi -fi तो बिना पासवर्ड के फुल सिग्नल दे रहा था , और गांड की फटफटी बोल रही थी की सरदार जी की बीवी है, मेरी तो ठीक है पुरे खानदान की गांड मार लेंगे... यह सोच कर मुझे हंसी आ गयी.

पम्मी आंटी अचरज से बोली, " ओये.....क्या हो गया.....बड़ा मुस्कुरा रहा है तू........? "

मैंने अपनी हंसी पर ब्रेक मर कर बोला, " जी...न...न...नहीं....क..क..कुछ नहीं.....कुछ याद आ गया था

पम्मी आंटी आँखें गोल करके बोली, “हाय हाय मैं भी तो सुनू क्या याद आ गया…?”

लॅंड बताऊ आंटी को….

आंटी के तेवर देख के तो लग रहा था की लंड बता ही दूं..

मैने बात पलटी, “जीपिया नही दिख रही है….”

पम्मी आंटी की शकल एक दम चेंज हो गयी, “हैं….अरे वो तो गयी है ना उसकी वो सहेली है….क्या नाम है उसका……अरे…….डॉली…..डॉली के यहाँ गयी है कोई ड्रेस वग़ैरह लेने….आ जाएगी तू बैठ…..और कुछ लेगा….?”

जी आंटी आपकी ले लूँगा

न..ननहीजी

हायहाय….नही नहीं क्या करता है….तू नाबड़ा कमज़ोर टाइप दिखता है…..खाना वाना नही ख़ाता क्या ?”

अब….बताओ….क्या बोलू इसको….अपुन मे तो बहोट ज़ोर है….डेमो कैसे दूं पर…..

पम्मी आंटी थी की बोले ही जा रही थी….

टीवी लगा दूं…..?”

मैने हार कर कहा, “ जी…..”

आंटी ने टीवी ओं किया और रिमोट की मा चोदने लगी

हायहाय….ये मरा डब्बा भी…..चलता ही नहीएक बार मे….”

भेन्चोद ..हाथी की गांड जितना बड़ा टीवी…..और यह उसको डब्बा बोल रही है

एक दो मिनिट तक आंटी रिमोट से जंग लड़ती रही फिर बोली, “अरे….तुझे आता है क्या….कोई चॅनेल लगा दे…..अच्छा वो लगाना…..वो सीरियल हैं ना……बड़े अच्छे लगते है….मुझे बहुत पसंद है….”

सबको बड़े ही अच्छे लगते है आंटी…….लौंडों को बड़े मम्मे और औरतों को बड़े लौड़े

यह सोच कर मेरे होंटों पर फिर से एक चोर मुस्कान खेल गयी….

आंटी ने तिरछी नज़र से देखा और कहा, “हो ना हो….कोई बात तो है….बड़ा मुस्कुरा रहा है….हैं…?”

मेरी गांड फटी, “ जी….? ….नही….क..क….कुछ भी तो नही…..”

आंटी बोली, “अरेबताना….हाय हाय कहीं मेरी ब्रा तो नही दिख रही……?”

आंटी ने अपनीी चुननी हटाई और गर्दन नीचे करके अपने दोनों कंधों पर चेक किया

माँ की आँख…..

अगर पिया CFL थी तो अनिता चाची ट्यूब लाइट मगर ये पम्मी आंटी तो पूरा हेलोज़ेन थी भाई

मेरे मोबाइल मे फुल नेटवर्क आ गया

लाख संभालते संभालते भी मेरी नज़रों ने तुरंत पम्मी आंटी के मम्मो का वजन नाप लिया

मैं झांट के एक एक बाल की शर्त लगाने को तैय्यर था की पम्मी आंटी ने यह सब जान बूझकर किया था मगर …..

वो ही तो मगर….

मैं कर क्या सकता था….सिवाय घूरने के….

और घूरने मे तो अपन देसी लौंडों की मास्टरी हैलंड नज़रों से रास्ते भर लोंड़िया चोदते चलते है.






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