Sunday, May 10, 2015

FUN-MAZA-MASTI शुभारम्भ-33

FUN-MAZA-MASTI

शुभारम्भ-33



"राम भइया आप को इतना दुख रहा है......म म मुझे...देखने तो दो..... कहीं चोट .....ज्यादा तो नहीं लगी"


भेनचोद् पागल तो नहीं हो गयी

साला मस्ती मस्ती मे...... मैं केरेक्टर मे ज्यादा ही घुस गया...इस गेलचोदी को लग रहा है की मुझे सच मुच बहुत दर्द हो रहा है।

अब क्या करू ये साली तो पजमा उतरवाने पे तुली है

भाभी बोली, "भइया आप डॉक्टर के पास जाओगे नहीं और मुझे देखने दोगे नहीं तो कैसे चलेगा....आप को पता है ना मेन रेड क्रॉस से फर्स्ट एड का कोर्स किया है।"

कोर्स तो तुने खाना पकाने का भी किया है तो क्या मेरे लंड का भूर्ता बनायेगी।

" अरे न न न नहीं अब ठीक है.....सच्ची भाभी अब नहीं दुख रहा......", मैने बात सम्भाली।

"नहीं.....नहीं भइया।.....मुझे देखने दो....आप झूट बोल रहे है.......सच्ची बोलो दुख रहा है ना......? "

मेरी नज़र भाभी के हिलते हुये मम्मो पर थी.....उनको उपर निचे हिलते देख शायद मेरी गर्दन भी उपर निचे हो गयी। भाभी को लगा मैने हाँ बोल दिया।.......भेनचोद् तुरन्त फोर्म मे आ गयी।

"हाँ।...तो ठीक है।.....पिचे टिक कर बैठ जाओ सोफे पर......हाँ..ऐसे"

अरे भेनचोद् ये क्या चुतियई हो गयी रे......

मैने थूक निगला......और कहा, " भाभी रहने दो.....अच्छा..... नहीं .......लगता.....म म म म मुझे....थोडा.....शरम........"

भाभी ने आँखें नचाई, " वाह जी......अरे.....मैं तो डॉक्टर जैसे ही तो हु.......डिप्लोमा किया है मैने...."

मैने भी हथियार डाल दिये.....बस एक चुतियई थी.......मसलने ने भाइ बाबूराव तन कर खडे थे.

भाभी को किस मुंह से अपना खडा लौडा दिखाउ......

भाभी ने ही समस्या हल कर दी।

"अच्छा मैं आँखें बंद कर लेती हु"

भाभी घुटनो के बल मेरे सामने बैठ गयी और आँखें बंद कर ली।

मैने धीरे से पजमा और अंडरवियर निचे खिस्काया और भाइ बाबूराव लपक के खडे हो गए।

भाभी फसफुसाई, " निकल लिया...."

भाभी की आँखें बंद थी और उनकी सांसे थोडी तेज़ चल रही थी। भाभी का जोबन हर सांस पर उठता और गिरता और येही असर मेरे पालतु पर हो रहा था।

मैं भाभी ने बदन का मुआयना करने लगा।

भाभी की शादी को कुछ साल हो चुके थे....बच्चा था नहीं......जैन परिवार की थी.......पहले तो दुब्ली पतली थी मगर कुछ दीनों से गदराने लगी थी।....मेरी नज़र भाभी के बदन पर पानी की बूंद की फिसल रही थी।

सोचो....मैं भाभी के सामने सोफे पर अपना पजमा सरकाये नंगा बैठा था। लंड हवा मे झंडे के डंडे के जैसा खडा था।

शायद चोट का असर था या सीचुआशन का.....महाराज पुरे लाल सुर्ख हो रहे थे।

भाभी ने पूछा, " ख ख ख खोल लिया ? "

मैं हुनकारा भरा, " हम्म्म्म "

भाभी ने कुछ नहीं किया, बैठी रही......घुटनो के बल......मेरे सामने।

अचानक से मुझे जोश सा चड आया.....मैने कोमल भाभी को नज़रे बचा कर बहुत टापा था।

आज ऐसे बैठे देख कर मेरे कान गरम हो गए.....पहले से ही कडक लंड और तन गया।

मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ। मैने अपने पप्पू को हाथ मे लिया और ज़ोर ज़ोर से मुठ मारने लगा.

पहले से ही बाबूराव थोडा गीला था।......कुछ प्रीकम की बूँदे और उभर आई और मेरे तेज़ी से मुठ मारने की वजह से मेरे बाबूराव पर एक क्रीम सी बन गयी.....मैं मस्ती मे आ गया था.....कोमल भाभी की उठते गिरते सीने पर नज़र गढाये मैं गपागप मुठ मारे जा रहा था।.

मेरी हरकतो से फच फच की आवाज़ आ रही थी।

तभी भाभी बोली, " क्या कर रहे हो जी....."

मुझे जैसे किसी ने नींद मे से जगाया।....अगर भाभी नहीं टोक ती तो मैं तो अपना फव्वारा उडाने ही वाला था।

मैने अपना हाथ बाबूराव पर से हटा लिया।

भाभी बोली, " ओके.......मैं.......करू......चेक....."

मैने फिर से हुनकारा भरा, " हम्म्म्म्म "

कसम उडान छल्ले की..........भाभी एक पल के लिये मुस्कुरायी थी......

उन्होने अपने सुखे होंटों पर जीभ फिराई और अपनी आँखें खोल दी।

" हा आ आ आ य ........राम......."

कोमल भाभी की हाय से मेरी गांड की फटफटी ने दुड़की लगा दी....

यह साली ने सीन बना दिया तो मेरी तो ज़िन्दगी शुरू होने के पहले ही ख़त्म हो जाएगी.....

इधर कोमल भाभी बाबुराव को बड़े ध्यान से देख रही थी....

"अरे.....य...य.....ये.....तो.....ख....मेरा मतलब है की.......ब.....ब......ये.....तो......कितना ल.....लाल.....हो गया है......", भाभी ने कहा.

भइये.....असली मज़ा तो शादीशुदा औरत के साथ ही आता है.

अभी कोई कन्या के सामने अपने बाबुराव को पेश कर दू तो जाने कितने तरह के नाटक नौटंकी करती, मगर कोमल भाभी तो सीधे मुद्दे पर आ गयी थी....

और सच तो यह है की इस तरह के माहोल में बाबुराव तो फुल फार्म में आ गया था...

कुछ ठरक थी.....कुछ चोट......कुछ मेरा मसलना और फिर भाभी का उफनता जोबन, अपना पहलवान सलमान खान के बॉडीगार्ड शेरा की तरह बिलकुल मुस्तैद खड़ा था.

असल में मैंने खुद अपने लंड को इतनी उत्तेजित हालत में नहीं देखा था.

सुपाड़ा फूल कर टमाटर हो गया था.

और कोमल भाभी तो एकटक मेरे लंड को देख रही थी जैसे बिल्ली चूहे को देखती है.

मैंने तुरंत दर्द भरी सिसकारी मार दी.

भाभी की जैसे तन्द्रा टूटी......"हाय .....हाय .....ये तो सुज़ गया लल्ला जी....."

मैंने जवाब न देने में ही अपनी भलाई समझी और कराहने लगा....

"अरे.....दुःख रहा है क्या......"

मैंने जवाब में अपनी मुंडी हिलाई और कराहना जारी रखा. मैं अपने हाथ तो बाबुराव के सर हे हटा चूका था इसलिए तो मुठ मारने से क्रीम और प्रीकम उस पर इकठ्ठी हो गयी वो सूरज बाबा की रौशनी में चिलके मार रही थी.

भेन्चोद अगर इस ने पूछ लिया की यह सब कैसे हुआ तो ????

मैंने तुरंत ज़ोर ज़ोर से आहें भरना और कराहना शुरू कर दिया....

भाभी तुरंत चौंकी और बोली, " लाला भैया....मुझे तो लगे है की चोट ज़ोर की लग गयी है.......देखो कैसे लाल लाल हो गया है......सूजन भी आ गयी है.......और इस पर तो आयोडेक्स भी नहीं लगा सकते....."

माँ की चूत........लंड पर आयोडेक्स.....????? मारेगी क्या ??

मैंने कहा, " भाभी ...बहुत जलन हो रही है....."

"हाय हाय......लाओ देखू तो......", ये कहकर भाभी आगे झुक आई.

उनके खुले हुए बाल मेरे बाबुराव पर झूल आये और लंड के मुंह पर लगी क्रीम पर चिपक गए.

भाभी इस सब से बेखबर थी.....वो 6 इंच की दुरी से बड़े ध्यान से मेरे बाबुराव का मुआयना कर रही थी.

"इ...इ.....इसको ज....ज....जरा ऊपर करो तो भैया.....जरा देखू कहा लगी है ", भाभी बोली,

भाभी को गेलचोदी थी नहीं.....और अब तक मैं भी इस मामले में डेढ़ सयाना हो चूका था.

वो और मैं....वो खेल खेल रहे थे जिसका अन्त.........आपको पता है.

मैंने बाबुराव का टेंटुआ पकड़ा और उसे पूरा खड़ा कर दिया.

कुछ दिन से मुठ मरी नहीं थी इसलिए गोटों की थैली माल से पूरी भरी थी....

विकराल खड़ा लंड और उसके निचे झूलती बड़ी बड़ी गोटियां देख कर कोमल भाभी की सांसें तेज़ हो गयी.

उनकी गरम गरम साँसें मेरे लंड की जड़ और गोटों पर टकरा रही थी और कसम मिथुन चक्रवर्ती के ठुमके की...मैं अंदर तक गनगना रहा था.

भाभी झुक कर लंड का पूरा निरिक्षण कर रही थी मानो उसपर बारीक़ बारीक़ अक्षर में कोई खजाने का राज़ लिखा हो. उनके झुक जाने से उनके मम्मे मेरे घुटनो से चिपक गए थे मगर उनको या तो कोई अहसास नहीं था या कोई परवाह नहीं थी....

कोमल भाभी का अंचल एक पिन के सहारे उनके कंधे पर किसी तरह टिका था मगर झीने कपडे में सूरज महाराज की फोकस लाइट के कारन उनके गदराये जोबन अच्छी तरह से दिख रहे थे. भाभी नए ज़माने की थी.....ब्लावूस का गला बहुत गहरा था और डिज़ाइन में कटा था.....साले टेलर ने भी क्या नाप लिया होगा.

भाभी बोली, " यहाँ तो....कुछ नहीं दीखता......इनको जरा सा हटाओ......"

मैं टर्राया, "जी....क....क.....क......किनको........?"

भाभी ने अपनी कजरी आँखों से मेरे गोटों को देखा और फिर कहा, " अजी.....इनको....थोड़ा....सा ..हटाओ.."

मैंने चुतिया मारा....." क....क.....किसको भाभी.......आह........दुःख रहा है........"

भाभी ने आँखे तरेरी और कहा, " इसीलिए तो कह रही हूँ की इनको थोड़ा हटाओ......मुझे यहाँ पर सूजन लग रही है........"

मैंने भाभी को देखा. बेचारी घुटनो के बल ज़मीं पर बैठी थी, मेरी खुली टांगों के बीच झुकी हुयी और मैं सोफे पर.....

कोई देखता तो यही सोचता की कोमल भाभी लोल्लिपोप चूस रही है.

आईडिया......


शैतानी कीड़ा कुलबुलाने लगा

चाचा चौधरी का दिमाग कम्प्यूटर से भी तेज़ चलता है

और

चोदने पर तुले इंसान का दिमाग भी सुपर कम्प्यूटर जैसा चलता है.

मैंने कहा, " ज....ज....जी...भाभी.....क्या हटाउ....मेरे पैर....."

भाभी ने फिर से मेरे गोटों पर ऑंखें तरेरी और हार कर कहा , " इनको.....जी......आपके....के....बॉल्स......को"

जो मजा हिंदी में है वो अंगेरजी में कहाँ........

"बॉल्स.......म......म......मतलब........."

भाभी तुनक कर बोली , "अरे......राम.......अपने....... हंड्वो......को ....."

भाई.....भाभी के मुंह से हंडवे सुनते ही मुझसे पहले बाबुराव ने रिएक्शन दे दी....

ऐसी ज़ोरदार ठुनकी मारी की बस....

भाभी की नज़रे अभी भी मौका-ए-वारदात पर ही थी.

मैंने अपने हाथ बड़ा कर अपने हंड्वो को छुआ ही था की.....

मैं ज़ोर से सिसियाया.

भाभी बोली, " अरे....क्या.....हुआ......"

मैंने कहा, " अरे.....भ...भ....भाभी दुःख रहा है......आओह........"

भाभी ने तुरंत चैनल चेंज किया और कड़क आवाज़ में बोली, " देखो जी......अगर ढंग से चेक नहीं कराओगे तो जाना डॉक्टर के पास......"

मैंने तुरंत कहा, " अरे...न....न.....नहीं.....डॉक्टर नहीं....पर...भाभी बहुत दुःख रहा है.....आप ऐसे ही देख लो न ...."

भाभी ने झल्लाते हुए कहा, " हैं.....यूँ ही दिख जाता तो देख ही लेती.....इतने बड़े है की......."

भाभी एक दम चुप हो गयी.

दिल गार्डन गार्डन हो गया......अपने सामान की तारीफ किसको पसंद नहीं. और इसको बड़ा कह दिया मतलब भाई साहब का तो इस से छोटा ....ही......होगा.

मैंने फिर चुतिया मारा, " जी.....भाभी......क्या ?? "

कोमल भाभी ने ठंडी सांस ली और बोली, " कुछ नहीं......तुम तो बहुत ही कमज़ोर दिल हो लल्ला जी.....मैं ही देखती हूँ.....थोड़ा पैर चौड़े करो......"

भाभी आगे खिसक आई और उनके मम्मे मेरे घुटनो पर टिक गए....

कसम उड़ान छल्ले की ऐसा मज़ा आ रहा था की क्या बताऊ.......

तभी भाभी ने हाथ आगे बढ़ाया और मेरे गोटों को साइड दबा दिया और मुआयना करने लगी.

हल्का दर्द और बहुत सी सुरसुरी होने से मेरे मुंह से फिर से सिसकारी निकल गयी, भाभी ने सर उठा कर मुझ पर ऑंखें तरेरी और बोली , " चुप चाप बैठे रहो......आवाज़ नहीं आनी चाहिए....."

भाभी मेरे गोटों को सहला कर चेक कर रही थी और मेरी सांसें बंद हुयी जा रही थी तभी भाभी के लम्बे लम्बे नाख़ून मेरे गोटे से रगड़ खा गए.....भाई ऐसा मज़ा आया की फिर से सिसकारी निकल गयी.

भाभी ने फिर से मुझे देखा और कहा, " श्श्श्शश्श्श्श............."

भाभी ने गोटों को थोड़ा और इधर उधर किया और ऊपर निचे तक देखा, मेरी तो सांसें ही बंद हुयी जा रही थी .
भाभी ने कहा, " हम्म्म्म......सूजन तो नहीं लगती......क्यों लल्ला जी.......सुन्न तो नहीं हुए है ना ? "

मैंने हकलाते हुए पूछा, " ज....ज...जी...भाभी.....क....क.....क्या ?"

कोमल भाभी बिलकुल गंभीर चेहरा बनाकर फिर बोली, :" अरे सुन्न...तो नहीं हुए न आपके....ये....??"

जब मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो भाभी ने अपने लम्बे नाखुनो को मेरे गोटों पर ऊपर ने निचे तक फेर दिया.

मैं सर से पाँव तक गनगना उठा.....बाप रे......

ऐसा मज़ा आया की एक पल लिए मेरा पूरा शरीर एक दम लुल्ल हुई गवा.

साली बिल्ली के जैसे मेरे नाज़ुक नाज़ुक गोटों पर नाख़ून फेर रही थी और मेरे बदन में एक के बाद एक मस्ती की लहरें चली जा रही थी.

मैंने बहुत रोका मगर मेरे मुंह से सिसकारी निकल ही गयी....

( अब किस पप्पू के मुंह से नहीं निकलेगी....सोचो कोमल भाभी जैसा कड़क आइटम आपके गोटों पर नाख़ून फेर रहा हो तो आप क्या करोगे मियां ?? )

भाभी ने मुझे देखा

मैंने भाभी को...

कसम खा के बोल रिया हूँ........भाभी की आँखों में मस्ती के डोरे तैर रहे थे.....तुरंत बाबुराव ने ठुनकी मर कर भाभी को अपनी मौजूदगी का एहसास करा दिया.

मेरा मुंह पानी से निकली मछली की तरह खुल बंद हो रहा था.....भेन्चोद आवाज़ गले में फंस गयी थी.

भाभी ने फिर से गोटों पर नाख़ून फेरा और मैं फिर सिसिया गया...

भाभी ने सीरियल की वैम्प वाली मुस्कान मारी और बोली, " अच्छा तो यहाँ दुःख रहा है......."

मैंने हाँ में सर हिला दिया.....

भाभी बोली, " क्या.....करू......इसका.......अच्छा थोड़ा तेल लगा दूँ ......"

भाभी तुरंत उठी और उनके बैडरूम में जाने लगी....

मेरी नज़रें भाभी की गद्देदार गांड पर टिक गयी.

क्या चुत्तड थे.........

या तो कोमल भाभी जान बूझकर ऐसे चल रही थी या उनकी चाल ही गजगामिनी वाली थी.

हर कदम पर उनकी नरम गांड थरथरा जाती और थरथरा जाता मेरा बाबुराव......हाय क्या होगा मेरा.

मैंने भाभी को गांड को नज़रों से ही सहला दिया......और उनकी गांड का यह डिस्को देखकर मेरा हाथ अपने आप को बाबुराव को दिलासा देने के लिए उस पर कस गया. मैंने अपनी हथेली में बंद बाबुराव को धीरे से पुचकारा और हाथ चलाया.....ऊओह....भाभी की थिरकती गांड को देखकर मैं तेज़ी से मुठ मारने लगा

मेरी नज़रे भाभी की गांड पर ऐसे टिकी थी की मानो नज़रों से ही मैं उनकी गांड में .....

अपनी गांड पर फिसलती नज़रों को शायद भाभी ने भी महसूस कर लिया और अपने रूम के दरवाजे पर कड़ी हो कर अचानक घूम गयी.

"हाय.....यह क्या.....कर रहे हो........तुम्हे दुःख रहा हे न......."

मैंने अपने हाथ तुरंत हटा लिया.

हड़बड़ाते हुए मैंने कहा, " न....न.....हाँ.....हाँ......वो दुःख रहा था इसीलिए म...म....मसल रहा था....."

भाभी ने वो मादक मुस्कान मारी की मेरे तो तोते उड़ गए....

"मैं....आ रही हूँ न......मैं कर दूंगी ....मालिश......."

हैं...??

.....भाई.....मेरी तो बगैर टिकट ख़रीदे लाटरी लग गयी.

भाभी रूम से तेल की बाटल लिए आई और तुरंत मेरी टांगों के बीच बैठ गयी.....मैंने अपने पैरों को और खोला.....भाभी की नज़रें सिर्फ और सिर्फ बाबुराव और मेरे गोटों पर थी.

"लल्ला जी......ये......सुज़ गया है या......ऐसा ही रहता है.......", भाभी ने भोलेपन से पूछा.

"जी.....ज.....म.....मैं.......वो......नहीं......हाँ......म.......म.....मेरा मतलब है की.....नहीं.....हाँ.....ये...."

भाभी मेरी नादानी पर हंसी और थोड़ा सा तेज़ हाथ में लिया.....

अरे मादरचोद........यह तो नवरत्न तेल है......अरे......ख़ोपड़िया पर लगाते है तो ही इतना ठंडा ठंडा हो जाता है.....बाबुराव और गोटों पर लगा दिया तो......

मैंने बोलने के लिए मुंह खोला ही था की भाभी ने मेरे गोटों पर अपनी हथेली फेर दी.

मेरे गोटों का एक एक बाल......सनसना उठा......नाज़ुक चमड़ी पर तेल ने अपने कमाल तुरंत दिखाया और मुझे ऐसा लगने लगा मानो मेरे गोटों को बर्फ के ठन्डे पानी में डाल दिया.

मेरी सिस्कारियां निकल गयी....

भाभी ने तिरछी मुस्कान मरते हुए मुझे देखा और कहा, "अच्छा लगा......?"

बाबा जी के सवा मन भुट्टे.......

अच्छा क्या गांड लगा.....ऐसा लग रिया था की भेन्चोद पूरी दुनिया मेरे गोटों में समां गयी हो....

मज़ा ज्यादा था की जलन...भगवान जाने.

मेरी तो ऑंखें ही नहीं खुल पा रही थी.

भाभी बड़े प्यार से मेरे गोटों को अपने दोनों हाथों से दुलार रही थी.

मैंने पहले भी कहा है की शादीशुदा औरत की बात ही कुछ और होती है.

उसे यह तो पता होता ही है की क्या करना है पर यह भी पता होता है की कब और कहाँ करना है.

भाभी ने पूछा, "अब...ठीक लगा. ???"

मैं तो हांफ रहा था, " हाँ......हाँ.....सी......."

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