Sunday, May 10, 2015

FUN-MAZA-MASTI पापा प्लीज........32

FUN-MAZA-MASTI

 पापा प्लीज........32

"आप दोनों लड़ क्यों गए थे.." सुनैना खाने के कौर मुंह में डालती हुई बोली जिसे सुन रूपा-तमाचा एक दूसरे की ओर ताकने लग गए... दोनों असमंजस में पड़ गए... सच बताने से तो रहे...

"कोई ऽ खास बात नहीं थी... बस थोड़ी ज्यादती हो गई थी..."तमाचा चुप्पी तोड़ते हुए बोला... रूपा तमाचे की ओर आँखें तरेर दी पर तमाचे बेफिक्री से नजरअंदाज कर दिया...

सुनैना,"कैसी ज्यादती..."

तमाचा,"मैडम जी, पहले खाना तो खा लीजिए...बकवास के लिए तो पूरी रात अपनी है..." तमाचा रोमांटिक सुरों में सुनैना की आँखों में झाँकते हुए बोला...

रूपा बातों में उलझाते देख तमाचे को थोड़ी सपोर्ट करती हुई बोली,"पूरी रातऽ..?"

"हाँ...इत्ती मस्त शाली हैं तो पूरी रात सेवा भगत तो करनी ही होगी ना..."तमाचा ने ऐसे आराम से कह दिया मानों वो सुनैना को पहले से अच्छी तरह जानता हो...

उसकी बात पर रूपा और सुनैना हँसे बिना ना रह सकी... सुनैना हँसती हुई बोली,"ओ हैलो, सपने यहाँ वहाँ मत देखा कीजिए नहीं तो कहीं पैंट गीली हुई ना तो घर जाना भी दुर्लभ हो जाएगा..."

तमाचा सुनैना की सीधी वार के निशाने को सोच चौंक सा गया... वो ऐसे जवाब की उम्मीद भी नहीं किया था... वह ठिठक कर रूपा जो बस हँसने में मशगूल थी, के साथ हँस दिया...

"ओए हीरो हीरालाल, खुद को इतना साना मत समझा कर... यहाँ हर एक बाप होता है... समझा क्या? चल अब बिल दे..." रूपा खाना खा चुकी थी और वो हाथ मुंह साफ करती हुई तमाचे को आर्डर सी देती बोली...

तमाचा मुस्काता हुआ उठा और बिल अदा किया वो भी सीना फुला के... उसके मन में ये ऐसी डिनर आज तक कभी नहीं आई थी... रूपा जैसी लड़की तमाचे के संग... समय की चाल होती है ये सब...

तीनों बाहर निकले तो रोशनी तो जगनगा रही थी पर थोड़ा नजर ऊपर किए तो गुप्प अंधेरा और ढ़ेर सारी आँखमिचौली खेलते तारे... रूपा समय देखी तो आठ बज रहे थे... तुरंत गणित के जोड़ घटाव कर तसल्ली कर ली कि घर नौ बजे तक पहुँच ही जाउंगी... पापा नौ बजे के बाद ही आते हैं...

बाहर आते ही तमाचा बोला,"रूपा, दो मिनट वेट करोगी... मैं बस यूँ गया और यूँ आया..."

रूपा अचरज भरी निगाहों से पहले तो चारों तरफ नजर दौड़ाई कि कोई है तो नहीं ना जिससे ये मिलने जा रहा है और फिर पूछी,"आसपास बाथरूम तो है नहीं तो जाओगे कहाँ...ऐसे बीच सड़क पर पैंट तो नहीं ना....?"

तमाचा ये सुनते ही दांत पीसते हुए रूपा की तरफ लपका पर तब तक रूपा हिहीयाती सुनैना के चक्कर काट हंसने लगी... सुनैना मुंह बंद करने की कोशिश कर रही थी पर उसकी हँस रूक ही नहीं रही थी...

तमाचा चाहता तो आसानी से जल्दी तो नहीं पर पकड़ जरूर सकता था पर वो रूकतासा बोला,"कमीनी, सिगरेट पीने की इच्छा हो रही है... वो लेने जा रहा हूँ और वैसे तुम जान लो मेरी अंदरूनी ताकत इतनी कमजोर नहीं कि दिखने बोलने भर से जरूरत आ पड़ेगी..."

रूपा तमाचे की बात सुन थोड़ी शर्मा सी गई पर जाहिर नहीं होने दी... पता नहीं क्यों? खुद तो बेशर्मों की तरह बिना पलक झपकाए बोल दी और जब सुनने की पड़ी तो लाल टमाटर बन गई...

रूपा,"चल जा जा, हम दोनों के लिए भी दो ब्लैक क़श लेते आना..."

तमाचा ब्लैक क़श सुनते ही ऐसे चौंका मानों सोते हुए आदमी के शरीर पर पानी की कुछ बूँद छिड़क गई हो... वो अपनी दोनों हैडलाइड गोल गोल करता बस देखे जा रहा था,मुंह खुला का खुला रह गया; और फिर हल्के से बोला,"तुम भी सिगरेट पीती हो...?"

सुनैना,"क्यों, उस मोहर मोहर लगी होती है कि सिर्फ मर्दों के लिए.. " सुनैना दो कदम आगे बढ़ तमाचे के बिल्कुल समीप जा तीखे लब्जों में सवाल की...इतनी देर से तमाचे की खुली मुंह को अब आराम मिला... सुनैना की बात सुनते ही...चप्प... मुंह बंद...

वो चुपचाप मुड़ा और खुद से बड़बड़ाता सरपट भाग खड़ा हुआ और कुछेक मिनटों में ही दो सिगरेट रूपा के सामने लिए खड़ा था...

रूपा होंठों को गोल करती, जीभ से गालों को करती, हल्की सर को हिलाती जैसे किसी मधुर संगीत पर शरीर में थिरकन पैदा हो जाती है और मुस्काती हुई दोनों सिगरेट उठा ली...

तमाचा की तो बस बीमारी सी लग गई थी, मुँहतक्का की... टुकुर टुकुर रूपा को बस देखे जा रहा था... वो ये सोच ही नहीं पा रहा था कि ये रूपा है या कोई और...

तब तक रूपा स्कूटी निकाल उस जम्प सी लगाती पीं पीं करने लगी... तमाचा हड़बड़ाता अपनी बाइक की तरफ भागा और चंद सेकेंड में वो रूपा के बगल में आ पहुँचा...

"शाली सुनैना जी, कुछ तो सेवा का मौका दीजिए... आप मेरे साथ..." तमाचा विनम्रता से ऑफर किया... जिसे रूपा बीच में काटती हुई बोली,"बस बस, नौटंकी मत कर... तू भी क्या याद करेगा..."

रूपा सुनैना की ओर देखी तो सुनैना मुस्कुराती तमाचे की बाईक की शोभा बढ़ाने बढ़ गई... तमाचे सुनैना की ओर देख मुस्काता हुआ रूपा से बोला,"रूपा, तुम तो मेरी आदत जानती हो ना कि खाने के बाद..."

अचानक रूपा को पिछले दिन की किस वाली बात याद आ गई और वो हलकट सी सूरत बना ली... फिर अचानक से बोल पड़ी,"जुगाड़ दे दी हूँ, लेना तेरा काम..." रूपा की बात पर तमाचा मुस्कुरा के सुनैना की ओर देख "ओके" बोल चलने का इशारा किया...

सुनैना कुछ समझ नहीं पाई... बस दोनों को देखती रह गई... स्कूटी वाली तो अपने तरीके से ही स्कूटी चलाएगी... इस वजह से तमाचा को बीच बीच में अचानक सी ब्रेक लगानी पड़ती तो सुनैना चढ़ सी जाती तमाचा...

तमाचा ऐसे मौके पर चूकता भला... वोढीठ की तरह बोला,"मैडम जी, ऐसे चढ़िएगा तो आपका ये जो फुलौना है ना बूम्म कर जाएगा..."

सुनैना तमाचे की पीठ पर एक चपत लगाती हुई बोली,"गॉड गिफ्टेड है, नहीं होगी बूम्म...आप बस थोड़ा ध्यान से चलाइए..."

"अब आपकी रूपा जी ऐसी चलाएगी तो मैं क्या कर सकता..." तमाचा रूपा की तरफ इशारा कर दिया... सुनैना भी देख रही थी कि रूपा की वजह से ही ब्रेक लेनी पड़ रही है...


सुनैना तभी से पुनः तमाचे पर लद गई... वो इस बार पीछे ना खिसकी, बल्कि अपने हाथ आगे ले जा तमाचे के सीने पर जमा दी...

सुनैना,"अब नहीं ना फटेगी...?"

तमाचा तो हवा में उड़ने लगा... वो अपनी खुशी बयां नहीं कर पा रहा था... पहली मुलाकात और इतनी मस्ती... सुनैना की ठुड्डी तमाचे के कंधों पर जा अटकी थी... तमाचा अनुमान लगा रहा था कि साइज क्या है?

तमाचा सोचता हुआ पूछ ही लिया,"३४" साइज?"

सुनैना अपनी साइज के बारे में सुन शर्माई और हाथों को जोर से जकड़ती हुई तमाचे में समाने की कोशिश करती हुई कान में फुसफुसाती हुई बोली,"३४सी..."

"मस्त है...!" तमाचा मुस्काता हुआ बोला... दोनों ऐसी ही मस्ती भरी बातें करते चले जा रहे थे... कुछ ही देर बाद रूपा रूक गई... तमाचा भी बगल में रूका और पूछा क्या हुआ?

जवाब में रूपा जगह दिखा दी... घर पहुँच गई थी... गली के मोड़ पर थी... तमाचा ओह करता हुआ बोला,"इतनी जल्दी कैसे पहुँच गए..."

तब तक सुनैना तमाचे सी बाइक से उतर रूपा की स्कूटी पर बैठ गई...तमाचा कुछ बोलता उससे पहले रूपा बोल पड़ी,"तेरी गलती है... नहीं लिया तो मैं क्या करूँ...बाय!"

और रूपा तेजी से चल पड़ी... तमाचा पीछे से एक बार आवाज भी दिया पर कोई फायदा नहीं... अगर तमाचा चलता भी पीछे तो तब तक रूपा घर पहुँच चुकी होती... अफसोस करता बेचारा यू-टर्न कर लिया...

रूपा और सुनैना घर पहुंची तो मम्मी बोली,"रूपा, डिम्पल बुलाई है सुनैना को..."

रूपा,"ओके मॉम, और मामाजी कहाँ गए..."

मम्मी,"डिम्पल ले गई खाना खिलाने..."

सुनैना,"रूपा, आ रहीहूँ जीजी से मिल के..."

रूपा,"मैं भी चल रही हूँ..." कहती हुई अपने रूम में गई...सुनैना भी साथ चली आई... अंदर आई तो रूपा बेड पर पसरती फोन निकालती बोली,"भाभी को चिढ़ाती हूँ पहले..."

सुनैना मुस्काती बगल में बैठ गई... फोन लग चुकी थी पर रिसीव नहीं हो रही थी... काफी रिंग होने के बाद फोन रिसीव हुई पर कोई उत्तर नहीं...

रूपा,"हैलो...हैल्ल्ल्लो....भाभी..."

"आहहऽ हाँ....रूपाऽ बोलोऽ ईस्स्स्स..."कई बार हैलो के बाद डिम्पल भाभी लड़खड़ाती हुई बोली... जिसे सुनते ही रूपा चौंक सी गई...

रूपा,"क्या हुआ भाभी, आप ठीक तो हैं ना और कहाँ हो अभी...?"

"हम्म्म...हाँ मैं ठीक हूँ रूपाऽ...ऊफ्फ...घर ही हूँ..." डिम्पल भाभी नॉर्मल होने की कोशिश कर रही थी पर हो नहीं पा रही थी...

"ओके, दो मिनट में पहुँच रही हूँ...बाय.."रूपा के दिमाग में पता नहीं क्या घुस गई और ज्यादा देर ना लगाती हुई सुनैना से चलने बोल बाहर की तरफ रूख कर ली...

"रूपा, दो मिनट...मैं थोड़ी फ्रेश होती हूँ..."सुनैना अचानक रूपा से बोली और हड़बड़ाती बाथरूम में घुस गई... रूपा कुछ समझ नहीं पाई... जब बाथरूम की हड़बड़ी थी तो तब से बैठी क्यों थी...

रूपा बूत सी वहीं खड़ी बाथरूम की तरफ बस देखती रह गई... वो ऐसे जा नहीं सकती थी... सुनैना कोई पाँच मिनट बाद बाहर निकली और रूपा से चलने बोली... रूपा बस मुंडी हिला पीछे हो ली...

रूपा की चोल दिमाग सोचती ही रही कि आखिर ऐसे सुनैना क्यों की? आखिर दोनों डिम्पल भाभी के घर तक पहुँच गई... डिम्पल भाभी गेट खोली और सामने सुनैना से चिपक कर गले लगा ली...

रूपा पीछे खड़ी डिम्पल भाभी को गौर से देखने लगी... और डिम्पल भाभी के खुले बाल, तुरंत पोंछी हुई पसीने वाली चेहरे जो अभी भी बता रही थी ये पूरे पसीने से लथपथ थी...

डिम्पल भाभी सुनैना से अलग होती हुई रूपा से बोली,"हैलो मिस आर. क्या हुआ जो ऐसे बुत बनी खड़ी है... सिर्फ मिलने के लिए इसे बुलाई हूँ...जाते वक्त लेती जाना इसे..."

डिम्पल भाभी की बात सुनते ही रूपा झेंप सी गई और हंसती हुई उन दोनों की हंसी में शामिल हो गई... अंदर आये ही रूपा नजर दौड़ाई बेडरूम की ओर जैसे कोई चीज ढ़ूंढ़ रही हो...

रूपा,"भाभी, मामाजी कहाँ गए? मम्मी बोली कि..."

डिम्पल,"बाथरूम गए हैं..."

रूपा हल्की मुस्कुरा दी पर उसके मन में ढ़ेरों सीन खुद ब खुद उभरती जा रही थी... उधर दोनों बहने अंतिम मुलाकात के बाद से फ्लैशबैक ले चुकी थी...

रूपा कुछ देर बाद उठी और बोली,"भाभी, बात खत्म हो जाए तो इसे पास कर देना मेरे रूम में ...मम्मी की थोड़ी हेल्प कर आ रही हूँ..." डिम्पल भाभी "ओके "कह रूपा को जाने की इजाजत दे दी...

रूपा चल तो दी पर अंदर बेचैनी और बढ़ती जा रही थी... वो जैसे जैसे अपने रूम की ओर बढ़ी जा रही थी, उसके पांव और जड़वत होते जा रहे थे... अपने घर के पास पहुँच रूपा आगे चल नहीं पाई और अगले ही क्षण पलटी और पलक झपकते वापस डिम्पल भाभी के घर के पास...

रूपा अंदर तो नहीं जा सकती थी...वो तुरंत ही जुगाड़ ढूँढ़ ली... घर और बाउंड्री के बीच हल्की गैप जो रहती है., वो उसी से गुजरती डिम्पल भाभी के बेडरूम तक पहुँच गई... इसके अंदर रूपा बस खड़ी रह सकती थी...

वो स्टैचू बन कान अंदर बेडरूम में कर ली... पर अभी किसी तरह की आवाज नहीं आ रही थी... वो इंतजार करने लगी... वो समझ तो गई ही थी कि कुछ गड़बड़ है पर अब वो बस कॉन्फार्म होना चाहती थी...



कुछ ही पल में अंदर हलचल हुई... रूपा चौकन्ना होती कान सटा दी...थोड़ी हड़बड़ी के बाद रूपा को कुछ आवाजें सुनाई पड़ने लगी...

सुनैना,"दीदी, जब आप बिजी थी तो फोन रिसीव क्यों की..? वो तो शुक्र है कि मैं बहाने से देर कर दी नहीं तो पता नहीं क्या होता?" रूपा सुनैना पर दांत पीस कर रह गई...

डिम्पल,"ही..ही... जब तुम थी तो मुझे क्या दिक्कत होती भला..."

सुनैना,"हाँ..हाँ... समझ गई खुदगर्ज कहीं की... खुद लंबे लम्बे घोंट रही थी और मैं वहां टेंशन से मरी जा रही थी..."सुनैना गुस्से से बोली... तभी रूपा के कानों में मामाजी की आवाज पड़ी...

मामाजी,"आह मेरी रानी,झगड़ा क्यों करती हो... अभी तो पूरी रात पड़ी है... लो तुम भी घोंट लो... देखो पूरी तरह साफ कर आया हूँ..."

रूपा की फ्यूज लगभग उड़ सी गई थी... वो सोच ही नहीं पा रही थी ये क्या हो रहा है..? पहले डिम्पल भाभी, फिर सुनैना... मतलब दोनों मामाजी से फंसी है...

तभी सुनैना जोर से खिलखिलाती हंसती हुई चीख पड़ी... रूपा अनुमान लगा ली थी कि सुनैना सी ये चीख कैसी हो सकती है...शायद मामाजी कस के उसे जकड़े होंगे...

सुनैना,"अउच्च्च्च मामाजी... अभी नहीं... आप अभी अभी तो डिम्पल दी की धुनाई किए हैं..."

मामाजी,"अरे मेरी रानी, तुम लोग जैसी गरमागरम चीज सामने हो तो दस को भी लगातार रौंद सकता हूँ... देख कैसा अकड़ गया..."

रूपा चिहुंकती सी अपनी आँख हल्की दबाती सन्न सी हो गई थी... वो नाक भौं सिकुड़ कर सोच रही थी कि कैसे ये दोनों खुद के मामा से... तभी रूपा को मामाजी की सिसकी सुनाई दी...

मामाजी,"आहहहहहह ईस्स्स्सससस सुनैनाआआआआऽ... शाबाससससऽ ऐसे ही करती रहो...औफ्फ....."

रूपा की हालत खराब... उसके अंदर की चींटी कुलबुलाने लगी... उसके हाथ खुद ब खुद जगह पर पहुँच गई और रगड़न मसलन चालू....

अंदर की गरमागरम बातें सुन रूपा बेचैन सी हो थोड़ी लम्बी हो खिड़की में झाँकी पर कोई सफलता नहीं... वो वापस फिर पीछे देख सुनने में लग गई... कुछ ही देर में मामाजी की सिसकी बंद हुई और थोड़ी हड़बड़ी...

फिर जोर से "घप्प्प" की आवाज के साथ सुनैना की दर्द भरी चीख... रूपा मचल कर रह गई... अंदर कुटाई जो शुरू हो गई थी... सुनैना पल पल आहें भर रही थी... मामाजी उसी की धुन में हुंकारें लगा रहे थे...

थोड़ी देर और रूपा रगड़ती रही और लाइव कमेंटरी सुनती रही... नतीजन कुछ ही देर में मामाजी और सुनैना की जोरदार चीख गूंजी और फिर बिल्कुल शांत... पर रूपा अभी शांत नहीं हुई थी.. वो और तेज हाथ चला रही थी और अंदर ही अंदर चीख रही थी...

तभी रूपा एक झटके के साथ शिथिल पड़ गई... अंदर से आई मामाजी की बात उसे हिला सी गई...

मामाजी,"और डिम्पल, तुम अपनी ननद रूपा से कब सेवा का मौका दिलवा रही हो...?"

डिम्पल भी वहीं थी... वो हँसती हुई बोली,"बहुत जल्द मामाजी, बस एक कदम की और दूरी है...अभी तक तो सब चीजें ढ़ंग से होती आई है... फिर वो आपकी बाँहों में ही रहेगी..."

मामाजी और डिम्पल की बातें रूपा को छलनी सी कर गई... रूपा की आँखें बहनी शुरू हो गई थी...

"दीदी, ये तमाचा कौन है... इसका नाम तो पहले नहीं सुनी थी..."सुनैना हल्की कराहती हुई बोली...

डिम्पल,"वो... वो कनक का दोस्त है...चोदू नम्बर वन... ही..ही..ही... तुम कैसे जानती उसे..?"

सुनैना,"आज रूपा उससे मिली थी..."

डिम्पल,"क्या..?रूपा और उससे... "

सुनैना,"हाँ दीदी, पर रूपा उस पर काफी गुस्सा थी और वो गिड़गिड़ा रहा था सॉरी सॉरी बोल के... बाद में रूपा मान गई तो उसने हम दोनों को डिनर भी करवाया... हम दोनों को यहाँ गली तक छोड़ कर गया है अभी वो..."

डिम्पल भाभी की हँसी एक बार फिर सुनाई पड़ी... रूपा बार बार अपने आँसू पोंछ रही थी पर उसकी आँख तो जिद्द पर थी कि आज नहीं रूकनी...

डिम्पल,"अरे वो भी रूपा का आशिक है... कनक उसे थोड़ा मौका दिलवा दी रूपा से बात करने का तो वो थोड़ा को पूरा करना चाहता है... और रूपा जैसी शरीफ उसे भाव तक नहीं देती... हो सकती है वो कुछ ऊटपटांग बोल दिया होगा जिससे वो गुस्से में थी..."

रूपा अचानक से सर दिवाल पर पटक दी... मैं तमाचे को कितना गलत समझ रही थी कि वो भी होगा मिला पर वो.... वो अब खुद की गलतफहमी पर अफसोस भी कर रही थी... पर खुशी इस बात की भी थी कि वो तमाचे से गुस्सा नहीं थी अब...

अगले ही पल रूपा सारी दुनिया भुला के तमाचे से मदद की सोच ली थी... अब वही था बचा...जो इन दरिंदों वाली नियत से बचा था...

डिम्पल,"सुनैना, कपड़े पहन लो अब... जीजू आने ही वाले हैं..."

सुनैना,"क्या दी, सब दिन आप चढ़वाती ही हो...एक दिन मैं चढ़वा ही ली तो क्या हो जाएगा..." और सुनैना हंस पड़ी...

डिम्पल हंसती हुई बोली,"अरे... मामाजी... सुन रहे हैं ना आप... अब आप ही बताइए कि मैं इसे कब मना की हूँ..."

मामाजी,"हाँ मना तो नहीं की...एक काम करते हैं डिम्पल... आज इसे यहीं सोने दो और तुम मेरे साथ..."

तभी सुनैना भड़कती सी बोली,"मजाक की भी हद होती है... जीजू कभी नहीं तैयार होंगे..."

मामाजी की कुटील हँसी निकल गई और डिम्पल की भी... तभी डिम्पल बोली,"तुम नहीं जानती फिर अपने जीजू को सुनैना...तुम बस हाँ कर दो फिर सारी जिम्मेदारी मेरी..."

सुनैना की बस हल्की हँसी निकल गई डिम्पल की बात पर... पर तभी मामाजी राज की बात कह उसे चौंका दिए....

मामाजी,"डॉर्लिंग सुनैना, एक दफा मैं और तुम्हारे जीजू एक साथ एक लड़की की आगे पीछे धज्जियाँ उड़ा चुके हैं..."

सुनैना ना चाहती हुईपूछ ही ली,"किसकी?"

मामाजी इत्मीनान से बोले,"आपकी प्यारी चहेती दीदी डिम्पल रानी की...पूछ लो!"

ये सुन सुनैना बस क्या कह रह गई... इधर रूपा पर एक और बम आ गिरी... वो अब सहन करने की काबिल नहीं थी... वो हल्की घूमी और वापस बाहर की तरफ निकल ली...

बाहर निकलते ही आँसू पोंछती सर पकड़ी घर की तरफ भागती हुई चल दी..


   

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