Tuesday, May 5, 2015

FUN-MAZA-MASTI नई जिन्दगी--19

FUN-MAZA-MASTI

नई जिन्दगी--19



सरला जैसी अबला और ममता भरी औरत का ईसतरह जज्बाती होना गैर नही था । आखिर उसके मन मे

महीनों

से चल रहे सवालों का आईना था उसका सपना । पर सच तो नही सुनिल सरला को बेतहा प्यार करता था ।

सरला

तो जी भर कर सुनिल से प्यार करती थी ।

६ महीने बीत गये वक्त हर दर्द की दवा होता है । सुनिल की जॉब मे तरक्की होने लगी कडी मेहनत को देख उसे

प्रमोशन मिलने लगे । सुनिल को अब अच्छी सेलरी मिलने लगी । वो बहोत खुश था वो अपनी तरक्की की

वजह

सरला को मानता था ।

सुनिल का फोन बजा

सुनिल- हलो मां बोलो

सरला- बेटा दोपहर से बडा अजीब सा लग रहा है रे तू जल्दी घर आ जा ।

सुनिल घर लौटा और डॉक्टर से चेकअप बाद पता है खुशखबर थी वही जो हम सुननेको बेकरार थे सरला पेट से
थी



दीनभर सरला सुनिलसे नजरे चुरा रही थी उसके गोरे गोरे गाल आज शरम से लाल टमाटर हो गये थे । सुनिल हर

१० मिनट बाद उसे बाहों मे भर लेता और चुमता ।
वो बहोत खुश था हो भी क्यू ना उसने अपनी मर्दानगी जो फीर एकबार साबीत की थी । पर वो उन गाव वालों को

चिंख-चिंख के बता ना सकता था जो उसे सरीता के जाने के बाद नामर्द कह रहे थे क्यूंकी सुनिलने अपनी मर्दानगी

अपनी ही मां सरला पे साबीत की थी । अब वो उसके लिए अतित की बातें थी । सुनिलने सरला के होंटों पर होंट

कस के रगडे ।

सुनिल- आय हाय बडी सरमा रही है ।

सरला- छी तो क्या मै अब सरमा भी नही सकती

सुनिल- अरे ना ना जीतना मन कर शरमा ले लेकीन मुझे तेरे सारे कपडे तो उतारने दे

सरला- छी कुछ भी क्या हर वक्त तुझे वही सुझता है ।

सुनिल- तुज जैसी गुदाज और मख्खन सी औरत जीसके पास हो वो हमेशा वही सोचेगा मेरी जान, तु तो बडी चिंता

रहती थी ना बच्चा ठहरेगा की नही देखा मेरा कमाल ।

सरला- हां हां पता है तेरा कमाल और वो जो रोज रात मै सहती थी, पर कुछ भी हो तु है सचमे कडक मरद

सुनिल- अरे रानी हमारी दोनो की मेहनत है ये तू भी तो मेरा गन्ना रातभर अंदर लेती थी ।

सरला गन्ना सुनकर बडी शरमाई

सरला- अच्छा सुन ना डाक्टर क्या बोले

सुनिल- वो तो बोले और प्यार करो हर रात

दीन गुजरते गये वक्त के पन्ने उलटते गये । नया दीन नई सौगात ले आता था अब सुनिल का हर दीन खुशियों से

भरा था । गम के बादल छट गये थे और खुशियों की बारीश मे सुनिल और सरला भीगते थे । ख्वाबों के शहर मे

अब सुनिल का परीवार बसता था ।

पर सरला अब उसे शांत कर पाती थी , सरला अब दुध दे सकती थी । उसने बच्चे को जन्म नही दीया । पर उसकी

मोटी चुचियों मे अब दुध भर चुका था । सरला तो अब घर की दुधारू गाय बन चुकी थी ।

सरला- ओ मेरा राजा बेटा भुक लगी है तुझे आ ममा तुझे दुदु पीलाएगी

सरलाने अपना पल्लू चोली के उपर से हटाया और चोली के हुक खोलकर चोली निकाल दी सामने सुनिल खटीया पे

बैठा था । सरला ने चुचि रवी के मुह मे भर दी , सुनिल की नजर दुसरी चुचि पर थी । सरलाने सुनिल की ओर

बडी ही नटखट आखों से देखा ।

सरला- मेरे दुसरे बेटे को शायद भुक नही लगी है ।

सुनिल को ये ईशारा भर ही था सुनिल जीभ लपलपाता दौडा सरला के पास आया ।

सुनिल ने झट से झुक कर सरला का निप्पल मुंह मे भर लिया । और चुसने लगा चुसते चुसते सुनिल के दांत

निप्पल को काटने लगे मोम सी नाजूक सरला के नरम चुचिंयों मे लाल निशान पड गया ।

सरला- इसससस आहहहह माई रे धीरे बेटा


सरला सुनिल के गाल खिंचती हुई उसे दांटती है ।

सरला- ए बडे बदमाश थोडा ही पीना हा मेरे छोटे बेटे के लिए है वो समझ गये ना ।

सुनिल- उमममह मजा आ गया शहद सा मीठा गाढा अमरीत भरा है तेरी इन चुचियों मे मां रोज पीलाएगी ना

तो

रातभर तु सो नही पाएगी हां । थोडा और पी लेता हूं ।

सरला आजकल बेतहा खुश रहती । सालों बाद वो फीर एकबार मातृत्व का अहसास कर रही थी । जो हर औरत

की

चाहत होती है । पर सरला को यह चाहत कुछ अधिक ही पसंद थी पर कभी ईसका ईजहार अपने पति के पास

कर

ना सकी ।

ईसकी दोर सरला के अतित से जुडी थी । बेचारी सरला पैदा हुई उसि दीन उसकी मां गुजर गई गांव के
अस्पताल

मे अच्छी सुविधाओं के अभाव मे सरला की मां का ईलाज ना हो सका ।

सरला का बापू हरदम नशे मे चुर रहता उसका ठीकाना एक तो गांव का शराब का अडडा या दुसरे दीन गांव के

कीसी गंदे से नाले मे होता था । और अगर कभी होश आया तो घर मे आ जाता ।

मां का प्यार क्या होता है । उसके पल्लू के छांव मे उसके बदन की गरमी कैसी होती है ये सरला बेचारी को नसिब

ही नही हुआ कभी । उसको बचपन से उसकी चाची ने पाला वो भी उसके घर के काम करने के लिए जैसे वो कीसी

मजदूर को ही पाल रही थी ।

चाची सारा प्यार उसके दो बच्चो को करती और सरला बेचारी उसकी गालीयां सुनती । पर कहते है ना सब देखने

वाला कोई होता है चाची की दील के सदमे से मौत हो गई पर बेचारी सरला सारी बुरी यांदे भुलकर चाची के बच्चों

को मां की तरह संभालती ।

तभी से सरला ममता की मुरत बन गई । शादी के बाद वो चाहती थी उसके दो-चार बच्चे हो, चार तो ना हो सके

पर आज दो बच्चे तो सरला पा ही चुकी थी । सरला की दोनो चुचिंया दो तरफ उसके दो लाडले मुंह मे भर के

मजे

से ताव मार रहे थे मानो सरला कोई दुधारी गाय हो ।

सरला दोनो लाडलों के माथे को अपने नरम उंगलीयों से सहला रही थी । इस अहसास का पल पल वो महसूस कर

रही थी । अब सरला की दुध से भरी चुचिंया कुछ हलकी होने लगी पर उसका मन मातृत्व और ममता की नदी से

तृप्त हो गया । सरला की आंखो से अचानक आंसू छलक पडे । सरला ने रवी और सुनिल के माथे पर एक-एक कर

चुमा ।

सरला- जुग जुग जीयो मेरे बच्चो जुग जुग जीयो

सुनिल ने सरला के आखों से छलकते आसूं अपनी जीभ से चाट लिये

सुनिल- क्या हुआ जान तेरे आखों मे आंसू

सरला- ये खूशी के आसूं है मेरे राजा

सुनिल- मै समझता हूं मेरी जान रवी जो आजकल चैन की निंद सोता है क्यूंकी उसकी दूध की प्यास तू मिटाती है

इस लिए तू बडी खूश है ना

सरला- मेरी मन की बात कह दी तूने, मै नही चाहती थी जो मुझे बचपन नसिब ना हुआ वो रवी को भी नसिब ना

हो ।

सुनिल- भले ही रवी तेरी कोक से ना जनमा हो मां पर जो तुने रवी के लिए कीया है वो कोई सगी मां भी शायद ना

कर पाए । रवी के लिए तूने तेरा बदन तक मुझे सौंप दीया मां ताकी रवी के लिए मां के दुध का इंतजाम घर मे ही

हो ।

मै भुल नही सकता वो राते मां जब बिस्तर मे मै तुझे झटके लगा रहा होता था और तु हर झटके को सह रही

होती थी वो भी मुंह को ढके । और कभी रवी की निंद खुलती तो वो रोने लगता और रवी को रोता देख तु भी

उसकी ओर देख आंसू छलकाती । और कहती....रो मत मेरे बच्चे मै आ रही हूं ।

और मेरा पानी तेरे छेद मे छुटने के बाद तू दौडी-दौडी रवी के पालने के पास लपक पडती और उसे थपथपाये लोरी

सुनाती और सुलाया करती। ये तुज जैसी ही मां कर सकती है ।

सरला- अरे बस भी कर रूलाएगा क्या । हां मानती हूं रवी से मेरा खुन का रीश्ता ना सही पर एक मां का रीश्ता तो

है ही । वो जब से मुझे उसकी मां मानने लगा है तो मां के नाते मेरी जिम्मेदारी है के मै उसका पुरा पोषण करू उसे

हर वो चिज दू जो एक मां अपने बच्चे को देती है ।

यही तो औरत का फर्ज है । रवी के लिए मां का दूध उसे पिलाना उसके लिए बेहद जरूरी था जो एक औरत मर्द से

मिलन करे बगैर नही दे सकती । और मजबूरी से हमारे घर मे मै ही औरत थी और तू मर्द हम ही दोनो मिलन

कर सकते थे ।  


जिन्दगी मे सफर का अंत नही होता बस रास्ते बदल जाते है । पर हर मोड जिन्दगी को बदल कर रख देते है । यही दास्तान थी सुनिल और सरला के जिन्दगी की, नई जिन्दगी की बस अब शुरूवात थी ।

पर आज मुझे कुछ भी गलत नही लग रहा है, दुनिया की सोचती तो मेरा नन्हा बच्चा भुका ही तडपता ।

सुनिल- इतना चाहती है रवी को तू मां, हमे मजबूरी मे इस बार तेरा आपरेसन करना पडा पर मुझे ईसबार

हमारे प्यार की निशानी चाहीये । देगी ना मुझे तू , ए गोरी बता ना बनेगी मेरे बच्चे की मां ।

सरला शरम के मारे पानी-पानी हो गई ।

सरला- चल हट बेसरम कही का

सुनिल- ओह हो हो देखो कैसे शरमा रही है मेरी प्यारी गुडीया, तो मै ईस ईशारे को हा समझ लू ।

सरला ने सुनिल की जांघ पर चुटी काटी तो सुनिलने झट से सरला का हाथ दबोच लिया और पेंट मे सिर उठाये

बंबू को सरला की मुठ्ठी मे रख मसलने लगा ।

सुनिल- देख मेरी जान इ गन्ना कैसे तन गया है ।

सरला- उममम छोड ना रवी पे कैसा असर पडेगा

सुनिल- अरे वो तो खूश है उसे नया भाई जो मिलने वाला है । देखू तो तेरी मुनिया भी राजी है के नही ।

सुनिल सरला के चुत मे दो ऊंगलिया घुसेड देता है ।

सुनिल- आय हाय इ तो ससूरा लार टपका रही है ।

सुनिल चुत मे उंगलिया अंदर दबोचता है और गीली उंगलिया बाहर निकालकर चाटता है ।

सुनिल- लगता है आज रात दुध और मलाई दोनो पेटभर के दीलाएगी तू

सुनिल के ईस शरारती बोल सुनते ही सरला तो शरम से पानी हो गई । एक पति बीवी से कहे तो अलग बात है

। पर बेटा मां से एसी शरारती बाते करेगा तो उस औरत का मन तो कोई मां ही समझ पाएगी ।

सरला सुनिल को टुकुर-टुकुर बस देखे जा रही थी । शरमाती नजरे चुराती अचानक मुंह मे दबी उंगली दातों तले

काट लेती । मन मे तो उसके खुशी के बारीश हो रही थी । आज जी भरके उस सुनिल को देख रही थी जीसने

उसकी मां की छाती मे दुध भर दीया था । और अब सरला सुनिल से उसकी कोख मे एक नन्हा लाडला, दुलारा

बच्चा चाहती थी । सरला फीरसे मातृत्व का अहसास करना चाहती थी । सुनिलने उसकी मर्दानगी का सबूत उसे

दे दीया था । वो जानती थी उसका सुनिल तो ७० की बुढीया को भी नौ महीने का पेट दे सकता था ।

सुनिल और सरला फिर एक दूसरे को चूमने लगे । सरला मुंह से प्यार की मिठास से भरपूर गाढी लार बडी ही

उतावली हो कर उसके मिलन हमसफर के मुंह मे छोड रही थी जीससे सुनिल मे एक जोश भर रहा था सरला का

शहद जैसा गाढ़ा मुखरस सुनिल को चाशनी की तरह मीठा लग रहा था वो तो चुसे ही जा रहा था । सुनिल सरला

को नंगा लिटाये उसके बदन पर लेट गया उसका तना हुआ लंड सरला की मुलायम मखमली जांघो पर रगड

रहा था । सरला बेचारी सुबह से मिलन की आग मे बेचैन थी झटपटा रही थी, पागलो की तरह गद्दे को नोच रही

थी, हांफ रही थी, अपनी गुदाज मुलायम जांघे आपस मे तेजी से घिस रही थी । सरला के सब्र का बांध तुटा

सरला जांघे फैलाकर सुनिल को बोली

सरला- आहहहहह उमममम माई रे कीतना तडपाएगा रे मितवा, ए राजा अब घुसाई दे

सुनिल- काहे, लोहा तभी ना गरम होगा मेरी छमिया और बडा मजा आएगा

सुनिल ने लंड का सुपडा सरला के चुत के चिरे पर रगडने लगा उसके लौडे के तपाने लगा जानबुझकर सरला के

अंगूरदाने पर लौडा रगडने लगा ।

सरला फीर तडपने लगी होंट काटने लगी ।

सरला- उमममममहहहह उईई मां हाय ए रवी के बापू , तडपाओ नाही ना मेरे राजा ! तेरी जवानी को कीसी

नज़र ना लग जाए, आ बेटा , डाल दे गरम मुसल छेदवा में

हवस और मिलन की तपिश मे जलती सरला को पहली बार बेबाक हुए देख सुनिल को बडा मजा आ रहा था ।

पर वो भी उसे तडपाना नही चाहता था । सुनिलने अपना लंड सरला की बुर पर रख कर पेल दिया । बुर इतनी

गीली थी कि आराम से लंड जड़ तक समा गया । सुनिलने सरला के मुलायम गुदाज बदन को बाहों मे भींच

लिया और उसे चूमता हुआ उसे चोदने लगा कस कस कर झटके लगाने लगा ।

सुनिल- अ अ हहहा ले रानी घुसाई दीया तेरे छेद मे, आहहहह हा थंड भरी रात मे गजब की गरमी छोड रही है

तेरी चुत उमममह बडी गरम औरत है तू
 
 












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