Sunday, May 10, 2015

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--171


  FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--171


 आगे









लेकिन दो बातें अभी बाकी थी ,एक तो बिटवीन द लाइंस , अलिखित शर्तें , और दूसरी उस से भी बड़ी बात , अग्रीमेंट अभी फाइनल नहीं था। रंजी को अपना रिज्यूमे भरना था और बहुत सी बातें लिखनी थी और उसे मेल किया जाना था। कंपनी का मैनेजमेंट उसे एक्जामिन कर के एक घंटे में फाइनल एक्सेपेटेंस लेटर मेल करता या कुछ और इंक्वायरीज करता।


अब मैंने बिटवीन द लाइंस सोचना और ढूंढ़ना शुरू कर दिया।


किसी भी शूट में , एस्टैब्लिश्ड मेल मॉडल ,फोटोग्राफर और शूटिंग कार्डिनेटर इम्पॉटेंट है और कोई भी फीमेल मॉडल , खासतौर से जो अभी जगह बना रही हो उन्हें नाराज नहीं कर सकती। और अगर उनके एटीट्यूड , अच्छी बुरी पसंद पहले से मालूम हो तो उन्हें हैंडल करना आसान होगा।


उस कंपनी और उस ने जिस एडवर्टाइजिंग एजेंसी को इंगेज कर के रखा था , उस की थोड़ी बहुत हैकिंग से ही फोटोग्राफर , और मॉडल के नाम मालूम हो गए। उन्होंने ६ मेल मॉडल सेलेक्ट किये थे जिसमे से उन्हें चार फाइनल करने थे। लेकिन जो इ मेल्स मैंने पढ़ी काफी साफ हो गया की वो चार कौन होंगे। बनारस के शूट के लिए सब कुछ फाइनल था।


४ में से २ मेल माडल गे थे , इसलिए वहां कास्टिंग काउच का सवाल नहीं था लेकिन तब भी उन्हें सेंसिटिवली हैंडल करना होगा। हाँ बनारस के शूट में जो फोटोग्राफर था वो एक फ्रेंच था और मशहूर चोदु था और उसे कम उम्र की लड़कियां पसंद थी. वो कम से कम तीन फोटो शूट में रहता। दो मेल मॉडल्स भी उसी के शौक वाले थेऔर दोनों ही जबरदस्त हंक थे , ६ फीट से भी लम्बे आल मसलस और जो रिपोर्ट थी उसके हिसाब से वेल इंडाउड । यानी ६ दिन के शूट में उसे दोनों टाइम ड्यूटी करनी पड़ेगी। ये फैसला रंजी को करना होगा।


हाँ एक बार टॉप पर वह पहुँच गयी तो फिर अपनी टर्म्स और कंडीशंस वो खुद तय करेगी लेकिन पहला साल तो टफ होना था।

और अब एक बात और पता करनी थी कैम्पेन का फोकस। कम्पनी अपने मार्केटिंग गोल , टारगेट कस्टमर , और स्टोरी बोर्ड के हिसाब से मॉडल तय करती है। लेकिन ये सारे स्ट्रेजिक बातें काफी सिक्योर रखी जाती हैं।



लेकिन रंजी के लिए कुछ भी चलेगा और सात ताले तोड़ के मैंने सब प्लान पता किये।खोलते ही , ' एमर्जिंग मार्केट्स ,' 'बॉटम आफ पिरामिड ' , मारेक्टिंग पेन्ट्रेशन ' ब्राॅडर् सेल्स बेस ' से मुझे अंदाजा लग गया था और उनके स्टोरी बोर्ड और बिजनेस प्लान पढ़ने से पहले ही मुझे अंदाजा लग गया था की उन्हें रंजी ऐसी ही लड़की की तलाश थी।


वो टैलेंट स्काउटिंग एजेंसी उसके पहले ११ टिेयर 2 और 3 शहरों का चक्कर काट चुकी थी और उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी। और अब बनारस की शूटिंग में बहुत टाइम बचा नहीं था।

वो लोग किसी ऐसी लड़की की तलाश में थे , जो ' गर्ल नेक्स्ट डोर ' वाली इमेज की हो , लेकिन सेंसुअल हो ,एज मिडल टीन में हो और उनकी मार्केटिंग रिसर्च टीम ने बताया था की २८% जींस , लड़कियों को उसके ब्वॉय फ्रेंड्स गिफ्ट करते हैं ,इसलिए फिगर , फुल , कर्वी और सिडकटिव हो लेकिन बहुत ज्यादा नहीं।

उनकी बिजनेस स्ट्रेटजी टीम ने ये देखा की थी फीमेल टीनेजर्स जींस में बहुत से इंटरनेशल ब्रांड है , और बड़े शहरों के मॉल भरे पड़े हैं। एक तरह से मार्केट सेचुरेट है , इसलिए किसी नए ब्रांड को एक स्ट्रांग स्ट्रेटजी की जरूरत होगी। इसलिए उन्होंने बॉटम आफ पिरामिड वाली स्ट्रेटजी के तहत मझोले और छोटे शहरों को भी अपनी सेल्स स्ट्रेटजी में जोड़ा , जहाँ उनका मुकाबला अनब्रांडेड जींस से ज्यादा होता।


दूसरी बात ये भी थी की विदेश में यह जींस कंपनी पांचवे नंबर पर थी लेकिन स्किनी , और अल्ट्रा लो राइज जींस में ये लगातार पिछले ४ सालों से वो सेकेण्ड पोजीशन पर चल रहे थे। उन्होंने एस्टेब्लिश्ड जींस ब्रांड को लो राइज कैटगरी में टक्कर दी थी। " ब्रांड्स दैट रिडिफाइन द कैटगरी " ब्रांडिंग गुरु स्टीवेन आडिस ने उनकी अल्ट्रा लो राज जींस की स्ट्रेटेजी के बारे में लिखा था। वर्ड ओवर १७ से २५ साल की एज की फीमेल्स में ये सबसे पॉपुलर स्टाइल हो गयी थी।

लेकिन हिन्दुस्तान में प्राबलम एक्सेपेटंस की थी।


कल्चरल इस्सूज थे और वो भी बैकयार्ड की मार्केटिंग में।


और उनके ब्रेन स्टॉर्मिंग सेशन में बार बार इण्डिया में पेप्सी की लांचिग की बात की , जिसे एक विदेशी प्रॉडक्ट के रूप में देखा जाता था। टैग लाइन जो बनाई गयी , यही है राइट च्वायस , बेबी ,उस में पहले दो शब्द हिंदी के अगले दो शब्द अंग्रेजी के ( और वो भी जो रोज की बातचीत का हिस्सा थे ) और बेबी , जो हिन्दुस्तान की हर जुबान में समझा जा सकता है। म्यूजिक भी उन्होंने हिंदुस्तानी और वेस्टर्न दोनों को मिक्स किया।

बस इससे इंस्पायर्ड स्ट्रेटजी ये इस्तेमाल कर रहे थे , जिसमें पहली शूटिंग बनारस में हो रही थी जो ट्रेडिशनल भी है और टाइमलेस भी। स्टोरी बोर्ड के हिसाब से वो बनारस की गलियों , भीड़ भरी सड़को से लेकर बनारस की सुबह और बजरे तक का इस्तेमाल करते।

ये बहस भी थी की वो कोई फ़िल्म ऐक्ट्रेस या मॉडल क्यों नहीं लेते , लेकिन उनकी स्ट्रेटेजी टीम इसके खिलाफ थी। उसके हिसाब से , एक तो सरप्राइज का एलिमेंट खत्म हो जाता और दूसरे लोग प्रॉड्कट से ज्यादा मॉडल को देखते।

उनकी लांचिंग स्ट्रेटजी मल्टी डायमेंशनल थी , वो आउटडोर होर्डिंग्स , प्रिंट मीडया और इलेक्ट्रानिक मिडिया के साथ यूथ फेस्टिवल्स का भी इस्तेमाल करते। शुरू में ये उन्होंने ये नार्थ में लांच करने की तैयारी की थी।

एक और बात ये थी की जैसे इकोनॉमिक कंडीशन सुधरती है , ये लोगों का मानना है की स्कर्ट्स की हेम लाइंस ऊपर चढ़ती है , और जींस के रिलेशन में ये बात नीचे सरकने से जुडी है और अब जब अच्छे दिन न सिर्फ आ रहे थे बल्कि मझोले और छोटे शहरों तक उनका असर पहुँच रहा था ,एस्पिरेशनल क्लास हर जगह प्रामिनेंट था , ये प्रॉड्कट लांचिंग के लिए सही टाइम था। 


रंजी का मॉडलिंग रिज्यूमे




इतना बैकग्राउंड पता कर लेने के बाद मेरे लिए रंजी का रिज्यूमे भरना आसान हो गया , अब मुझे एक ऐसी प्रोफाइल तैयार करनी थी रंजी की जो कंपनी की डिमांड के हिसाब से हो लेकिन साथ साथ रंजी की पर्सनाल्टी से बहुत अलग न हो।

दो तिहाई भरने के बाद मैं अटक गया।


कवर पेज , … उसमें एक साफ साफ सवाल था की क्या किसी फैशन मैगजीन या किसी और मैगजीन ने उसका कवर पोस्ट किया है या उसके लिए कंसीडर किया है। जो मैंने पढ़ा था , उसके हिसाब से ये स्ट्रांग प्लस प्वाइंट होता। लेकिन किसको पटाउ कुछ समझ में नहीं आ रहा था और फिर मुझे कार्लोस की याद आई।

वो फ्रेंच है इत्ते दिन पेरिस में रहा और अभी भी हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से जुड़ा है जरूर कुछ होगा जुगाड़। लेकिन उसके साथ उसे अच्छे पोर्टफोलियों वाले फोटोग्राफ की जरूरत होगी। अच्छी बात ये थी की होली के एक दिन पहले जो फोटो शूट हुआ था ,उसकी सॉफ्ट कॉपीज मेंरे पास थी वो भी बहुत ही है रिजोल्यूशन में।


मैंने फोन पे अपनी परेशानी बताने के साथ सब अटैच कर के मेल कर दिया , और बाकी फार्म भरने में जुट गया।

और फिर अटक गया।

एक ऑप्शन था , रनवे /कैट वाक् मॉडल , प्रिंट मॉडल , ग्लैमर मॉडल , फिटनेस मॉडल ,कमर्शियल मॉडल एंड लिंगरी मॉडल।

इसमें मॉडल के स्ट्रेंथ के हिसाब से प्रायरिटी देनी थी लेकिन साथ में प्रॉडक्ट कम्पनी और एजेंसी का भी ध्यान रखना था।

रंजी की सबसे बड़ी स्ट्रेंथ उसका फेस , और उसके साथ फिगर थी। चेहरा उसका क्यूट , इनासेन्ट लुकिंग था लेकिन बाड़ी बहुत ही सिडक्टिव थी। हाइट इंडियन लड़कियों के हिसाब से काफी ज्यादा थी लेकिन इंटेरेन्शनल मॉडल के हिसाब से आधी पौन इंच कम रही होगी।


प्रिंट मॉडल के लिए फेस , प्वॉयज , ऐंगल्स ज्यादा इम्पोर्टेन्ट हैं और जींस कंपनी कंपनी की स्ट्रेटेजी में कैटवाक नहीं जुड़ा था। उसके बाद बाद ग्लैमर , कमर्शियल , कैटवाक मैंने रखा। अंतवस्त्रो वाले मामलों में मैं एक पल के लिए ठिठक गया लेकिन तबतक कार्लोस का फोन आ गया।

एल्ले ( ELLE) फैशन मैगजीन के एडिटर बनारस आये थे और कार्लोस ने उन्हें फोटो मेल कर दिए थे। उन्होंने अपने फैशन फोटोग्राफर से बात कर के हामी और साथ ही ये बोला की , वो एक स्पोर्ट्स मैगजीन का भी रिफरेन्स दे देंगे। रंजी के फेस और कर्व्स दोनों से वो बहुत इम्प्रेस थे और उन्होंने ये भी पूछा की विक्टोरिया सीक्रेट एक साऊथ एशिया के लिए टीनेजर्स के लिए एक अलग लाइन लांच करने जा रही है और उनके हिसाब से , रंजी फिट रहेगी

अगर उसे थोड़ा बहुत एक्सपोजर से ऐतराज न हो।


मैंने तुरंत हामी भर दी और फार्म में पांचवे नंबर पर लिंगरी भी लिख दिया। मुझे अब समझ में आया विक्टोरिया सीक्रेट और लोरियल के गिफ्ट पैकेट का राज। इन प्रॉडक्ट्स का जींस की कंपनी से कोई कन्फ्लिक्ट नहीं था और शायद वो मॉडलिंग एजेंसी उनके लिए भी काम करती हो।

उसके बाद आपकी स्ट्रेंथ का कालम , मैंने फेस ,फिगर एटीट्यूड और प्वॉयज लिख दिया।

तब तक रंजी गरम गरम चाय लेके आई और पूछा , हो गया।

मैं रिज्यूमे भर रहा था।

"बस एक मिनट ले अब पढ़ ले ज़रा ". मैंने फार्म उसकी ओर बढ़ाया।

"तुम भी न , मैं ये सब फालतू मेहनत नहीं करती ,तूने पढ़ लिया है न , चलो बस मैं झट से साइन हूँ। " वो हँसते हुए बोली , और ५-६ जगह जहाँ साइन करनी थी उसने साइन कर दी , बिना कुछ भी देखे।

चाय एकदम कड़क थी , मस्त गरमागर्म.

" हे चाय मस्त है खूब गरम " मैंने उसे मस्का लगाया।

मुंह बना के आँख नचाते हुए बोली " मुझसे भी गरम है क्या। "

" जानू ,तुझसे भी गरम हो सकता है क्या कुछ " हंस के मैं चाय खत्म करते बोला , और फार्म उसके हाथ से ले के स्कैन करके मेल कर दिया।

अगले ही मिनट अक्नॉलेजमेंट आ गया की एक घंटे में वो बता देंगे।


" अच्छा चल अपना रिजुयमे पढ़ ले क्या पता वो पूछ लें " मैंने रंजी को समझाया।

रंजी को समझाना आसान है क्या , लेकिन बड़ी मुश्किल से वो मानी।

तब तक गुड्डी आ धमकी , " कल सुबह जैसे भाभी आएँगी बनारस के लिए निकलना होगा , तुम्हारा सामान पूरे घर भर में फैला है समेट के दे दो ,पैक कर दूँ। वरना वहां जा कर ,… "

" कहोगे कपडे नहीं हैं " खिलखिलाते हुए रंजी ने बात पूरी की।

" एकदम सही कह रही है तू , लेकिन इसकी ज्यादा चिंता इन्हे नहीं रहती , पिछली बार इन्होने चंदा भाभी की साड़ी , गूंजा का बरमूडा और टॉप और यहाँ तक की जब घर से निकले थे तो मेरी दीदी की ब्रा पैंटी भी पहन के निकले। लेकिन अच्छा थोड़ी लगता है की पहुँच के सबके आगे हाथ फैलाये "

गुड्डी और रंजी की जुगलबंदी चालू हो जाय तो कुछ भी कहना मुश्किल है , यहाँ भी यही हुआ।

मैंने लाख समझाया की चंदा भाभी की साडी मैंने लुंगी ऐसे ही पहनी थी , गूंजा का बरमूडा मांगना पड़ा क्योंकि साडी वापस करनी थी और ब्रा मुझे जबरन रीत और गुड्डी ने मिलकर पहनाइ थी।

लेकिन वो दोनों खिलखिलाती रही मुझे छेड़ती रही।

हारकर मैं गुड्डी के साथ निकल गया सामान पैक करने।

लौट कर आया तो कार्लोस का फिर मेल आया था विक्टोरीया सीक्रेट वाले को पोर्टफोलियो की कापी मेल करने को।

नंबर भी था।

मैंने देखा , नंबर और मेल वही था जो गिफ्ट बॉक्स पर था। मैंने तुरंत पोर्टफोलियो भेजा और एस एम एस भी कर दिया।

अब मैं और रंजी दोनों एक्सेपेटेंस का इन्तजार कर रहे थे और मैं रंजी को ज्ञान दे रहा था जो मैंने अभी सीखा था , मॉडल बनने के गुर।

क्लियर और ग्लोइंग स्किन। सुबह शाम रगड़ रगड़ के चेहरा साफ करो , सोते समय कोई मेकअप नहीं और हफ्ते में एक बार कम से कम एक्सफोलिएट करो।

रेगुलर एक्सरसाइज , वेट ट्रेनिंग , अनरोबिक , और इस मामले में रंजी के लिए काफी आसानी थी क्योंकि बचपन से ही उसने योग और एक्सरसाइज शुरू की थी। उसे साइक्लिंग और जागिंग , ट्रेकिंग , रनिंग , स्वीमिंग का शौक ही नहीं था बल्कि वो रेगुलर प्लेयर थी। स्वीमिंग में वो स्टेट लेवल पर दूसरे नंबर पर थी और रनिंग और साइक्लिंग में भी स्टेट लेवल पे पार्टिसिपेट कर चुकी थी।

हाँ उसके खाने पीने पे बहुत रोक लगने वाली थी , जंक फूड , शुगर , कार्बोहाइड्रेट बहुत सी चीजें उसके नो नो लिस्ट में आने वाली थीं।

लेकिन कुछ चीजें उसके अंदर थी जिसे उसे और इफेक्टिव बनानी थी , जैसे उसकी प्लीजिंग पर्सनालिटी , लिसनिंग एबिलिटी , सिडक्टिव बाड़ी , कम्युनिकेटिंग फेस।

रंजी को ब्रेक अच्छा मिला था उसे मॉडलिंग एजेंसी और पोर्टफोलियो के चक्कर में पैसा और टाइम नहीं बर्बाद करना पड़ा।

अबकी रंजी एकदम ध्यान से सुन रही थी। लेकिन अचानक उसने रोका मुझे और मेरा ध्यान लैपी की ओर दिलाया , एक मेल आया था।

धड़कते दिल से हम दोनों ने मेल खोला।

एक्सेपेटेंस था लेकिन पूरा नहीं।

उन्होंने लिखा था की वो इंट्रेस्टेड है। लेकिन आधे घंटे में एक इंटरव्यू देना होगा स्काइप पे ,जिसमें तीन लोग होंगे , एक कंपनी के हेडक्वार्टर केंटुकी से , दूसरा जेनेवा और तीसरा सिंगापुर। उन्होंने एक लिंक भेजा था जिसे अभी सेट करना था। एक दूसरा लिंक था जो इंटरव्यू के बाद ऐक्टिवेट होता।

इंटरव्यू के समय रंजी को कमरे में अकेले रहना था। 
 
 
रंजी का मॉडलिंग इंटरव्यू

 

अब पहली बार रंजी थोड़ी घबड़ाई।

लेकिन गुड्डी आ गयी थी और उसने रंजी को रेड़ी होने में हेल्प की , लाइट मेकअप , कैजुअल क्लाथिंग।

और मैंने लिंक सेट अप किया।
रंजी ने दो बार रिज्यूमे पढ़ा और इंटरव्यू के लिए वेट करने लगी और मैं और गुड्डी बाहर निकल आये।

ऐज यूजुअल गुड्डी फेसबुक पे अपना और रंजी दोनों का स्टेटस अपडेट करने लगी।

तब तक अंदर इंटरव्यू चालु हो गया था।

मेरा किसी काम में मन नहीं लग रहा था , बस ये सोच रहा था की इंटरव्यू अच्छा हो।

आधे घंटे करीब इंटरव्यू चला और तब रंजी बाहर आई , मैंने और गुड्डी दोनों ने उसे एक साथ गपुच लिया और सवालों की झड़ी लगा दी।

मुश्किल से वो हम लोगों के चंगुल से छूटी और तब मुस्कराते हुए उसने पहले दस टिपिकल भोजपुरी गालियां इंटरव्यू वालियों /वालों को और उतनी ही मुझे और गुड्डी को दी।

मिमिक्री में रंजी का जवाब नहीं था और उसने इंटरव्यू की कापी करनी शुरू कर दी और गुड्डी ने एक कस के उसके पीठ पे दिया।

" अरे कमीनी , ससुरी ये तो बता की हुआ क्या उन लोगों ने क्या बोला "

अब रंजी ने राज खोला , " इंटरव्यू बहुत अच्छा हुआ। उन लोगो ने जो एले मैगजीन का रिफरेन्स दिया था उनसे बात की और उन्होंने बड़ी तारीफ की थी इसलिए। फिर मैंने जो रनिंग , स्वीमिंग , योग के बारे में बताया उससे वो काफी इम्प्रेस थे। "

मैं सीधे फास्ट फारवर्ड कर अंत पर पहुंचना चाहता था , " अरे बोल यार हुआ की नहीं , उन्होंने हाँ बोला की नहीं। "

लेकिन गुड्डी अब बीच में आ गयी , और बोली " अरे साल्ली , मेरी सौतन ये बोल कपडे उतरवाए की नहीं "

और रंजी चेशायर कैट की तरह पहले मुस्कराती रही , फिर बोली , हाँ लेकिन दुखी मुंह बना के बोली , ' सिर्फ टॉप '.

" दुखी काहें होती है , बस आधे घंटे बाद ये जो छ फिट का खड़ा है न तुम्हारे सामने अंदर ९ इन्च का लिए वो टॉप बाॅटम सब उतरवा लेगा लेकिन हाल खुलासा बोल "
" अरे यार कुछ देर तक बाद के फिगर पुछा , फिर बोला खड़े हो के टॉप उतार दो। उसके बाद कुछ देर मैं ब्रा पहने रही और वो बात करते रहे , फिर अचानक बोला , ब्रा भी उतार दो। और मैने उतार दी। एक ने बोला निपल को थोड़ा रोल और पिंच करो। वो भी कर दिया। "

मैं समझ रहा था , वो ये चेक कर रहे थे की वो अंडरगार्मेंट्स में कंफरटेबल होगी की नहीं या किसी शियर टॉप में जिसमें निपल पोक करते हुए दिखे , और रंजी इन दोनों टेस्ट्स में पास हो गयी विद फ्लाईंग कलर्स।

" फिर ,… " गुड्डी बोली।

' बस १० मिनट इंटरव्यू , टॉपलेस ही लिया और पीछे घूमने को बोला। खत्म होने के कुछ देर पहले ब्रा टॉप पहनने को बोला। अंत में कहा की यु विल गेट अ गुड न्यूज इन हाफ ऐन आवर। बेस्ट आफ लक फॉर फ्यूचर असाइनमेंट। "

" वाउ , जंग जीत ली तूने " गुड्डी ने उसे कस के भींच लिया और कचकचा के चूम लिया।

" हे मैं भी ,… " मैं भी लपका लेकिन गुड्डी ने रोक दिया और हुक्म सुना दिया।

" नदीदे ,अभी नहीं गुड न्यूज आने के बाद , फिर मिठायी क्या पूरी मिठाई की दूकान तेरे हवाले। अभी तुम जाके जो काम मैंने दिया है उसे पूरा करो , अपने कमरे में "
 

 काम गुड्डी ने तो मुझे जाने के पहले दिया था , लेकिन पहले मैं सो गया और फिर जब गुड्डी -रंजी लौटीं तब से मॉडलिंग का चक्कर चालू हो गया।

काम बहुत टेढ़ा था , लेकिन टेढ़ा न हो तो गुड्डी मुझे सौंपती क्यों।

गयी रात , जो रंजी का भरतपुर लूटा था , हर पल कैमरे में कैद था , तीन चार वीडियो कैमरे पलंग के चारो ओर थे और गुड्डी ने खुद एक कैमरा सम्हाल रखा था , क्लोज अप , ज़ूम और पैन सब कुछ , और सब से बढकर आडियो , उस की चीख , कराहे। अब इन सब फीड को मिला के , एक डी वी डी बनाने का काम मुझे उसने पकड़ा दिया और ढेर सारी हिदायतों के साथ , सारे क्लोज अप रहने चाहिए , जो गालियां चीखे , सिसकियाँ कराहें रंजी की थीं एक भी कट नहीं होनी चाहिए। और पिछवाड़े में जो मूसलचंद घुसे , और जो रोई रोहट उसने की , कैसे फटी उसकी सब कुछ एकदम साफ साफ।

हाँ एक बात , मन्त्र वाला पोर्शन एकदम कट होना चाहिए। और अगर कोई उसका जिक्र भी हो तो कम्प्लीट एडिट।
एक दूसरी चीज थी जो एकदम डिलीट होनी थी वो थी गुड्डी , उसका कोई फोटो ,आवाज कुछ भी नहीं।

हाँ ये साफ साफ उसने बता दिया था की रंजी की लेते हुए मेरी फोटो साफ साफ आनी चाहिए , चेहरे से लेकर 'अंग विशेष ' तक। मेरी आवाज भी एकदम साफ होनी चहिये जिससे जो भी देखे वो बस तुरंत समझ जाय की रंजी की फाड़ने वाला और कोई नहीं मैं ही हूँ।

और बात सही भी थी। आखिर गुड्डी मुझको और रंजी को छेड़ने , रगड़ने का मौका क्यों छोड़ देती।

मैं अपने काम मेंलगा हुआ था , और मुझे टाइम का पता नहीं लग रहा था।

लेकिन बाहर रंजी के लिए टाइम मुश्किल से पास हो रहा था।

होगा ,नहीं होगा , उहापोह में बिचारी डूबी थी।

बार बार मेल चेक करती मेसेज देखती , कभी उदासी की काली घटाएं घिर जातीं , इत्ती नजदीक आकर भी कहीं , सवालों के जवाब तो उसने ठीक ही दिए थे , वो इम्प्रेस भी लग रहे थे पर पता नहीं ,.…

गुड्डी उसका ध्यान बटाने की कोशिश करती , कभी उसे बनारस के छैलों की लिस्ट दिखाती ," देख ये ११ तो तेरे लिये रीत ने पहले ही दिन बुक कर दिए थे , जब तेरे भैया तेरा नाम और नंबर पीठ पर चिपका कर पूरे बनारस में अपने माल का प्रचार कर रहे थे। और उसके बाद तो चंदा भाभी ने पूरी टीम इकठ्ठा कर रखी है। अब तो मेरी जान २४ घंटे भी नहीं बचे हैं जब तू बनारस वालों के नीचे होगी , फिर तो तू गिनती भी भूल जायेगी , कित्ते आगे गए , कित्ते पीछे। "


दूसरा टाइम होता तो रंजी पलट के जवाब देती गुड्डी की माँ बहन एक कर देती , लेकिन अभी बस वो खिस्स से मुस्करा दी और एक बार फिर मेल चेक करने लगी।

मेल आई होती तो मिलती।

कहीं किसी ने प्रैंक तो नहीं किया , बकरा बनाने की कोशिश तो नहीं थी , कित्ते सवाल उसके मन में उमड़ घुमड़ रहे थे।

शाम होने लगी थी , तभी दरवाजे पे घंटी बजी और आवाज आई कुरियर।

रंजी दौड़ कर गयी , दरवाजा खोला। उसी मॉडलिंग एजेंसी का कूरियर था।

पैकेट खोलते समय भी असमनजस ,हिचक रही थी , और तब तक मैं भी पहुँच गया।
"चल मैं खोलती हूँ यार इतना तो तूने अपना खजाना खुलवाते भी नहीं सोचा था " गुड्डी ने पैकेट उसके हाथ से लेके रस्सी काट दी।

उसके अंदर एक वेलवेट बॉक्स बहुत ही बढ़िया कार्विंग के साथ , और अब रंजी ने हिम्मत कर उसे खोला।

अंदर एक इन्वेलप ,और दो और वेलेवट बैग थे, एक ब्लैक और एक पिंक।

रंजी की हिरणी सी आँखों ने मुझे देखा और मैंने अश्योर किया।

इन्वेलप खुलते ही वो जोर से चीखी और मुझसे चिपक गयी।

अंदर एक गोल्डन कार्ड था , जिसपर सिर्फ ये लिखा वेलकम टू अवर फेमिली , यू आर सेलेक्टेड।

और जित्ती ख़ुशी रंजी को हुयी उसकी दसगुना गुड्डी को हुयी , उसने पीछे से रंजी को दबोच लिया। रंजी हम दोनों के बीच में दबी थी , उससे बोला नहीं जा रहा था। बस आँख से ख़ुशी के आंसू छलक रहे थे।

हम तीनो एक दूसरे को बस जोर से भींचे हुए थे। और उस चुप्पी को तोडा गुड्डी ने , रंजी की जोर जोर से किस्सी ले के वो मुझसे बोली ,

" चल आज तेरे माल की ऐसे रात भर सैंडविच बनाते हैं , इसी तरह आगे से तुम पीछे से मैं। मजे का इसे मजा मिलेगा और कल से तो बनारस में रोज टू इन वन होगा ही , उसकी भी प्रैक्टिस हो जायेगी। अपनी एक्टिवा पे ट्रिप्लिंग करती है न ये अब बनारस में छैलों के साथ करेगी । "


और उसके बाद जो रंजी ने मुझे छोड़ के गुड्डी को दबोचा और एक से एक गालियां , "मादरचोद , कमीनी , तेरी सारी बहनो को अपने इस प्यारे भैया से चुदवाऊँ ,… " गुड्डी एक पल के लिए मुस्कराती रही फिर वो भी मैदान में आगयी , चंदा भाभी , दूबे भाभी से सीखी सारी गालियों का स्टॉक खाली कर दिया। गदहे घोड़े कुछ भी नहीं बचे।


अब मुझे लगा की रंजी का सारा टेंशन खत्म होगया है और वो नार्मल हो गयी है।

मैंने सूना था की औरते अपनी भावनाए कई ढंग से व्यक्त करती है।

लेकिन ये कभी नहीं सोचा था की ये ढंग भी होगा।


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