Sunday, January 18, 2015

FUN-MAZA-MASTI अनजाने रिश्ते--7

FUN-MAZA-MASTI

 अनजाने रिश्ते--7


 मैं वापस अपने फ्लॅट में लौटा तो देखा , शिखा आराम से सोफे पर सो रही थी उसे देख कर मेरा दिल बल्लियों सा उछलने लगा , मैने उसको देखा वह अपने सिर को हथेली से ढक कर सोफे के कोने में बैठ कर सो रही थी.

कॉटन की साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था , इस अंधेरे में मैं उसके जिस्म की सुंदरता को निहार रहा था , मैं दबे पाँव उसकी ओर बढ़ा और उसके ऊरोज के उभार पर हाथ फेरने लगा , नींद में भी उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और नींद में बोली "आह राजन और करो ना, अच्छा लगता है"

यह सुन कर राजन को मन ही मन माँ की भद्दी ग़ाली देते हुए मैने अपना हाथ छुड़ाया और मैने लाइट का स्विच ऑन किया पूरा कमरा ट्यूब लाइट की दूधिया रोशनी से नहा गया.

आँखों पर रोशनी पड़ते ही वह उबासी लेकर जाग गयी , जब उसने उबासी लेने के लिए मुँह खोला जी किया अपना मुँह उसके मुँह से भिड़ा दूं उसकी जीभ पर काट खाऊँ या अपना लॉडा ही उसके मुँह में घुसा कर उस से अपनी गोतियाँ चटवा लूँ या लॉडा ही चुस्वा लूँ.

"ओह आप आ गये मेरी आँख कब लग गयी पता ही नही चला" शिखा उठते हुए बोली
"शिखा बी कूल , बैठ जाओ" मैने कहा
"नही अमन राजन, मुझे यहाँ ऐसे देखेंगे तो नाराज़ हो जाएँगे" वा बोली
"रिलॅक्स शिखा , तुम्हारा पति शराब पी कर बेहोश पड़ा है" मैने कहा "उसे कुछ पता नही चलेगा"
वा नज़रें नीची करते बोली "आई एम सॉरी अमन , मैने शाम में तुम्हे बहुत कुछ कह दिया"
"रिलॅक्स, शिखा आई डिड नोट माइंड इट" मैने माहौल को हल्का बनाते कहा , वह साड़ी का पल्लू संभाल रही थी.

मैं फ्रिड्ज से पानी की बॉटल निकाल ले आया "पानी पियोगी शिखा?" मैने उसे पूछा
उसने मेरे हाथ से ग्लास लेते कहा "धन्यवाद" , वह एक हाथ से अपनी साड़ी संभाल रही थी और दूसरे हाथ से ग्लास
मान किया महाभारत के दु:शासन की तरह उसकी साड़ी खींच लूँ और यही उसका चीर हरण कर लूँ , लेकिन मैने बड़ी मुश्किल से अपने जस्बात काबू में किए
मैने आगे बढ़ कर कहा "तुम अपनी साड़ी संभाल लो मैं ग्लास पकड़ता हूँ , तुम पानी पियो"
मैने ग्लास संभाला और वो पानी पी रही थी.

"तुम साड़ी में बहुत प्यारी लगती हो शिखा" मैने कहा
उसने कोई जवाब नही दिया बस गुस्से से देखती रही.
"गुड नाइट" मैने कहा और उसको दरवाज़े तक छोड़ने आया
"गुड नाइट" उसने कहा और मैने दरवाज़ा बंद किया.

लेकिन एक सेकेंड बाद ही दरवाज़े पर दस्तक हुई मैने खोला तो देखा सामने शिखा ही थी "अमन जी मैं अपनी बुक आपके टेबल पर ही भूल गयी थी"
"ओके बुक ले जाओ" मैने कहा वह बुक उठाने गयी मैने बुक का टाइटल देखा लिखा था "नियोग से संतान प्राप्ति"
"हमम्म" मैने सोचा , "तो ये इसलिए राजन से इतना झगड़ती है".
"यहाँ बैठो शिखा मुझे कुछ बात करनी है" मैने कहा
"इतनी रात गये आपको मुझ से क्या बात करनी है?" वह परेशन होते बोली
"इस किताब के बारे में" मैने किताब की तरफ उंगली दिखाते कहा
"यह तो बस ऐसे ही" उसने बात बनाते कहा
"मुझसे झूठ मत बोलो शिखा" मैने कहा
"तुम माँ बनना चाहती हो?" उसने अपनी नज़रें नीचे झुका ली
"मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ शिखा" मैने कहा
"कौन स्त्री माँ नही बनना चाहती?" उसने कहा
"राजन तुमको माँ नही बना सकता" मैने कमिनि मुस्कान बिखेरी
"मालूम है" वह गुस्से से बोली और उठ कर जाने लगी , अपने पति की मर्दानगी का यूँ गैर मर्द द्वारा मज़ाक उड़ाना उसको बुरा लगा
"लेकिन मैं तुमको माँ बनने का मौका दे सकता हूँ" मैने हंसते हुए कहा
"गलीज़ इंसान" उसने मुझ पर किताब फेंकते हुए कहा , मैने किताब हवा में पकड़ी और टेबल पर रखी , बिजली की तेज़ी से उसकी ओर गया और उसकी बाँह थाम ली
"छोड़ो अमन मुझे यू आर हरटिंग मी अमन..स्टॉप इट" उसने मिन्नते करते कहा
"नही" मैने कहा और उसकी बाँह मरोड़ दी , छीना झपटी में उसका ब्लाउस फट गया
"देखो तुमने क्या किया" शिखा मुझे अपने ब्लाउस का फटा हिस्सा दिखाते बोली
"अभी तो इसको थोड़ा फादा है , तुम कहो तो पूरा फाड़ दूं?" मैने कहा
"अमन तुमने बहुत पी रखी है , तुम होश में नही हो , वरना ऐसी बात मुझ से कहने की हिम्मत नही करते" उसने गुस्से से कहा "अगर मैं चाहूं तो चिल्ला कर लोगों को बुला लूँगी , फिर तुम्हारा वो क्या हाल करेंगे ये तुम अच्छी तरह जानते हो"
उसने मुझे धमकाने वाले अंदाज में कहा

"शिखा.. शिखा..शिखा मेरी प्यारी शिखा" मैने उसको बाहों में भर लिया
"क्या कर रहे हो अमन छोड़ो मुझे ..मैं चिल्लौंगी" उसने खुद को मुझसे छुड़ाते कहा
"इतनी रात गये मेरे घर में तुम क्या कर रही हो?" मैने उसके गाल चूमते कहा "क्या मतलब?" उसने सकपकते कहा
"तुम मेरे घर महाभारत देखने आई हो यह बात तुम्हारा पति भी जनता है" मैने उसके होठों को चूम कर कहा
"और तुम्हारा पति गे है , यह बात मैं जनता हूँ" मैने उसका हेर कलुतचेर खोलते कहा , उसने खुद को मुझ से छुड़ाने की भरसक कोशिश की लेकिन अब सब फ़िज़ूल था , एक तो मैने शराब पी रखी थी और शबाब मेरी गिरफ़्त में था
"और ये तुम्हारी नियोग से संतान प्राप्ति वाली किताब , यह सब सबूत यह साबित करने के लिए काफ़ी है कि तुम इस वक़्त मेरे साथ मेरे घर में क्या करने आई हो"

"हरामजादे छोड़ जाने दे मुझे " उसने दोबारा खुद को मुझ से छुड़ाने की कोशिश की लेकिन मैने उसे पीछे से दबोच लिया , उसने साइड टेबल पर रखा फ्लॉवेर पॉट पकड़ने की कोशिश की लेकिन मैने उसका हाथ पकड़ कर मरोड़ दिया "कोई चालाकी नही शिखा डार्लिंग" मैने हौले से उसके कानो में फुसफुसा कर कहा , मेरी नाक में उसके खुले बालों की महेक आई "आज ही बाल धोए हैं क्या शिखा?" मैने उसके बाल सूंघते पूछा "तुम्हे इस से क्या?" उसने गुस्से से कहा "क्या चाहते हो अमन"
"तुम्हे शिखा" मैने कहा और उसके कान पर काट खाया
"आईए" वह चिल्ला उठी
"चीखो मत शिखा , लोग बाग सो रहे हैं" मैने कहा
"तुम मुझे कभी न पा सकते अमन मैं शादी शुदा हूँ" शिखा मेरी गिरफ़्त में कसमसा कर बोली
"शादी शुदा लोग सेक्स नही करते क्या?" मैने उसको दबाते पूछा "आख़िर तुम्हे मेरी प्यास बुझाने में क्या दिक्कत है?"
"ये ग़लत है अमन , मैं राजन की बीवी हूँ" उसने कहा
"तुम्हारा शास्त्र ही कहता है , समलिंगी पुरुष की पत्नी को पराए पुरुष के साथ संभोग करने की छूट होती है" मैने कहा
"तुम यह सब कैसे जानते हो?" उसने दाँत भींचते हुए कहा
मैने उसे जवाब देते कहा "तुम्हारी किताब में ही लिखा है

"मैं चाहे रिक्षेवाले के साथ संभोग कर लूँगी अमन लेकिन तुझ जैसे जलील इंसान से कभी नही" उसने गुस्से से कहा.
"तुम्हारे पति की असलियत जानने के बाद तो रिक्षेवाले भी तुमको नही चोदेन्गे , कोई कुत्ता तुम्हे नही पूछेगा"
"हटो मुझे जाने दो" उसने कहा
"तुम्हे नही का मतलब समझ में नही आता क्या शिखा?"
"प्लीज़"
"नो"

घड़ी ने "टन..टन" कर 12 बजाए
मैं उसको उठा कर बेडरूम ले गया
"शिखा मैं तुमसे प्यार करता हूँ" उसको बिस्तर पर लिटा कर बोला
"अमन जो तुम कर रहे हो यह प्यार नही"
"जानता हूँ"
"फिर भी"
"तुम्हारी किताब कहती है , प्यार और व्यापार में सब क्षमा है"
"व्यापार कैसा व्यापार?" उसने हैरत से आँखें बड़ी करते हुए पूछा
"मैं तुम्हे माँ बनाऊंगा , बदले में तुम मेरी भूख मिटा दो"
"नही"
"तुम्हारे पास और कोई चारा नही है शिखा कब तक तुम यूँ घुट घुट कर जियोगि?"
वह पसीने पसीने हो गयी , मैने एसी चला दिया
"मुझे थोड़ा वक़्त दो अमन" वह बात बनाने लगी
"तुम्हारे पास पूरी रात पड़ी है शिखा , आराम से सोचो" मैने उसी के सामने स्टूल खींच कर उस पर बैठते कहा
"क्यो कर रहे हो मेरे साथ ऐसा , क्या बिगाड़ा है मैने तुम्हारा?" वह रोते बोली
"तुमने मेरा सुख चैन छीन लिया है शिखा , और मैं तुम्हे रोते हुए नही देख सकता" मैने कहा
"जाने दो मुझे फिर" उसने कहा
"इसके अलावा भी कुछ बोलो शिखा , मेरे पास वक़्त नही है , बोलो हाँ या ना" मैने कड़क होते कहा
"ठीक है" उसने इधर उधर देखते कहा "मेरे पास चारा भी तो क्या है इधर कुँआ उधर खाई"
"रिलॅक्स शिखा" मैने कहा
"यह सब मैं सिर्फ़ माँ बनने के लिए कर रही हूँ अमन.. ना मुझे राजन की परवाह है और ना तुम्हारी" उसने अपनी भडास निकालते कहा और रोने लगी
"शिखा धीरे धीरे तुम मेरी परवाह करना भी सीख जाओगी" मैने कहा और बत्ती बुझा दी

"हॉर्न" "हॉर्न" की आवाज़ से मैं वर्तमान में आया देखा गाड़ी एक ट्रक के पीछे खड़ी है और ड्राइवर हॉर्न बजाए जा रहा है
मैने टाइम देखा 08:15 बाज रहे थे "क्या हुआ" मैने ड्राइवर से पूछा , "आयेज जाम लगा है साहब जी" ड्राइवर ने कहा , तभी मेरा फोन बजा , मैने फोन रिसीव किया मीठी सी आवाज़ में लेडी बोली "नमस्कार अमन जी हमे बताते हुए खेद हो रहा की आपकी बंगलोरे जाने वाली फ्लाइट 1 घंटे देरी से आ रही है , आपको हुई असुविधा के लिए खेद है"

"थॅंक यू" कहते हुए मैने फोन कटा , इधर गाड़ी चल पड़ी और मेरा मन वापस अतीत में हिलोरे लेने लगा














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