Monday, January 12, 2015

FUN-MAZA-MASTI जवान रात--2

FUN-MAZA-MASTI


  जवान रात--2
 वह अब स्थिर हो चुकी थी। बोली, '' तुम तो बहुत हरामी हो मामा !''


मैंने धीरे से कहा, '' सोनम मैं बिना तुमको लिए छोड़ूंगा नहीं !''


उसने � ेंगा दिखाते हुए कहा,'' बड़े आये लेने वाले !'' और फिर मेरे अभी तक खड़े लन्ड को ऊपर से नौच कर भाग गई।


दीदी सामान लेकर आईं और रसोई में चली गईं। दोनों बच्चे पढ़ने बै� गये तो मैं छत पर चला गया और कुछ देर बाद सोनम को भी पुकारकर ऊपर बुला लिया। हमारी दीदी का मुहल्ला निम्न-मध्यवर्गीय मुहल्ला था। छतें एक दूसरे से सटी थीं। अंधेरा पूरी तरह से घिर आया था, इसलिए इक्का-दुक्का लोग ही अपनी छत पर थे।


'' सोनम दोगी नहीं?''


'' क्या?''


'' बुर ! या अगर हो गई हो तो चूत!''


'' मतलब?''


'' मतलब यह कि अगर किसी से चुदवा चुकी हो तो चूत हो गई होगी नहीं तो अभी बुर ही होगी ! बताओ क्या है ?''


'' हट !''


'' हट नहीं ! नहीं प्लीज सोनम ! दे दो न!'' मैंने उसे पलसाने के लिए कहा।


'' बहुत बड़ा पाप है। फिर तुम तो मामा हो !''


'' मैं कोई सगा मामा थोड़ी न हूं?''


''चाहे जो हो, मैं यह काम नहीं करूंगी। मुझे डर लगता है !''


उसने इस अन्दाज में कहा कि मुझे लग गया कि अभी तो बात बनने वाली नहीं, तो मैंने बातो को दूसरी तरफ मोड़कर कहा, ''अच्छा सच बताओ किसी से करवाया है कि नहीं?''


'' भगवान कसम नहीं।''


'' मिंजवाई हो?''


'' भला कौन लड़की होगी जिसकी किसी न किसी ने कभी मींजी न हो।''


फिर उसने कहा, '' तुमने मामा ? तुमने मींजी हैं?''


'' हां, तुम्हारी ही !''


'' धत! पहले?''


'' मींजी तो कइयों की है, और ली भी है, लेकिन पूछना नहीं किसकी। कभी बाद में बताऊंगा। अच्छा बताओ तुम इसके बारे में � ीक से जानती हो?''


उसने मुस्कुराकर कहा, '' किसके?''


मैंने खीजकर कहा, '' बुर की पेलाई या कहो चुदाई के संबंध में!''


'' हाय राम यह भला कौन नहीं जानती होगी? इतना तो टीना को भी पता होगा !''


'' अच्छा अपनी बताओ कि तुम को कैसे पता चला?''


'' क्यों बताऊं?''


मैंने अन्त में कहा, ''सोनम मैं बिना लिए तुम्हारी छोड़ूंगा नहीं !''


और फिर इधर उधर की बातें होने लगीं। बात फिर आकर पेलने, चोदने और लन्ड, बुर पर रुक गई। अन्त में सोनम ने यह वादा किया कि ऊपर से मैं चाहे जो कर लूं, लेकिन वह किसी भी कीमत पर मेरा लन्ड अपनी बुर में डालने नहीं देगी।


बाद के दो दिनों में वह सोई तो दीदी के कमरे में क्योंकि दीदी को माहवारी आ रही थी। यह भी उसी ने बताया, लेकिन दिन में जैसे ही अवसर मिलता हम दोनो एक दूसरे को नौचने चूसने में लग जाते। एकाध बार तो वह बुरी तरह से उत्तेजित भी हो गई, लेकिन उचित अवसर ही नहीं मिला। दीदी भी न जाने क्यों हमें अकेला नहीं छोड़ रही थीं।


यद्यपि मुझे अन्त तक यह लगने लगा कि अगर अकेले मिल जाए तो करवा लेगी।


मैं तीसरे दिन के बजाय चौथे जाने के लिए तैयार हुआ। उस दिन इतवार था। शहर से हमारे गांव की दूरी अधिक नहीं थी। तीन घण्टे बस से लगते थे। बीच में बदलकर अन्त में चार किलोमीटर का पैदल या फिर अपने निजी वाहन का रास्ता है। पैंसजर ट्रेन भी जाती थी, समय थोड़ा अधिक लगता था परन्तु आराम था।


बारह बजे की गाड़ी थी। प्रोग्राम यह बना कि चार बजे के लगभग गाड़ी पास के कस्बे पहुँच जायेगी फिर वहां से बस पकड़कर एकाध घंटे में अपने गांव की सड़क पर पहुंच जायेंगे। आगे अगर फोन लग गया तो कह दिया जायेगा कोई आ जायेगा, नहीं तो किसी रिक्शा या हम लोग पैदल ही निकल जायेंगे।


हमारा क्षेत्र बहुत शांत है। किसी तरह की चोरी डकैती या दूसरी घटनाओं से मुक्त ! इसलिए हम लोगों को आने जाने का भय नहीं होता अक्सर किसी कारण से देर हो जाने के बाद लोग बारह-बारह बजे रात तक में अकेले आ जाते।


यद्यपि सोनम ट्रेन से आने में घबरा रही थी, कहीं लेट न हो जाये!


हुआ भी वही, बारह से एक बज गया फिर दो, तब जाकर कहीं गाड़ी आई। घर फोन से बात करने की कोशिश की लेकिन संभवतः सम्पर्क ना होने के कारण बात नहीं हो पाई। अभी हमारे यहां यह सुविधा उतनी अच्छी नहीं थी। जाते जाते चाचा कह गये कि मुहानी पर कोई आ गया तो आ गया, नहीं तो वहीं सम्पत साह के यहां सामान रख कर पैदल ही चले जाना।

हम लोग बै� े तो देर हो जाने की घबराहट थी लेकिन गाड़ी में बै� ते ही हवा हो गई। सोनम खिड़की तरफ बै� ी, फिर मैं। हम लोगों की यात्रा तो ऐसे कटी जैसे पति पति पत्नी हों। वह लगातार मेरे हाथों से खेलती रही। कभी-कभी अपने हाथों की कुहनियों को मेरे लंड पर पैंट के ऊपर से दबाती मेरे हाथ तो पूरी यात्रा में किसी न किसी तरह उसकी चूचियों के संपर्क में ही रहे।


अवसर देखकर कामुक बातें भी होती रहीं। मुझे उसकी जानकारियाँ सुनकर आश्चर्य हुआ। उसने बताया कि दीदी और जीजा कभी कभी गंदी फिल्म देखते हैं। जिसमे कभी दो आदमी एक की लेते हैं तो कभी एक दो की !


कहने लगी कि चाचा चाची की निरोध लगाकर ही करते हैं। उसने यह भी बताया कि उसने दरवाजे में एक छेद ऐसा कर रखा है कि जिससे वह जब चाहे उन लोगों की चुदाई देखे, मगर वह जान नहीं सकते।


ऐसे में यात्रा जब समाप्त हुई तो पता चला कि गाड़ी रास्ते और लेट हो गई। स्टेशन पर पहुंचते-पहुंचते सात बज गये। हल्का अंधेरा हो गया। सोनम डरने लगी। लेकिन बस जल्दी ही मिल गई। कुछ दूर जाने के बाद पहिया पंक्चर हो गया। और देर होती देख सोनम घबराने लगी, लेकिन मेरा मन प्रसन्नता से झूम उ� ा। मैंने निश्चय कर लिया अब सोनम को कुंआरी नहीं रहने दूंगा।


जब हम लोग मुहानी पर पहुंचे तो आ� का समय हो गया था। अंधेरा घिर आया था, लेकिन चांद भी निकलने की तैयारी में था। सोनम तो रोने लगी कि अब क्या होगा!


मैंने दिलासा दिया तो जाने को तैयार हुई।


सामान साह जी के यहां रखने गये तो योजना के अनुसार सोनम को थोड़ा दूर खड़ा करके कह दिया कि चाची हैं। वह अड़ गये कि सायकिल ले लो, लेकिन मैंने यह कहकर मना का दिया कि वह पैदल ही जायेंगी।
kramashah..................
 














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