Friday, January 2, 2015

FUN-MAZA-MASTI पापा प्लीज........19

FUN-MAZA-MASTI

 पापा प्लीज........19

 कॉलेज में दोनों नॉमिनेशन का काम कर फ्री होते ही कैंटीन में घुस गई... कोल्ड ड्रिंक मंगा कर पीती हुई बात करने लगी... अभी तक दोनों में बस काम की बातें ही हो रही थी और इस कॉन्टेस्ट पर ही चर्चा हो रही थी...

कनक,"इन सब की बाद में देखेंगे रूपा, पहले पीछे देख गजब की चीज है.." कनक की बात सुनते ही रूपा समझ गई कि पीछे जरूर कोई होगा...रूपा तिरछी होती पीछे मुड़ी तो उसकी हंसी निकलते निकलते बची...

क्लासमेट एक लड़का था जिसे भी रूपा से लव हो गया था...पर रूपा से पहले उसे कनक की मांग पूरी करते करते जेब ढ़ीली हो गई थी और कॉलेज छुट्टी करने की नौबत आ गई थी...

पहले वो आता था उससे इतर की सुगंध दूर से ही आनी शुरू हो जाती थी पर अब नहाए भी दो दिन हो जाता है... महंगे शैम्पू साबुन से रोज नहाने वाला अब सिर्फ पानी डाल के नहाता है तो सोचता है दो दिन ना ही नहाऊं तो क्या दिक्कत? बात तो बराबर ही होगी ना...

रूपा हंसती हुई दबी जुबान में बोली,"कमीनी,कुछ तो बख्श देती..देख कैसी हालत कर दी है..." रूपा की बात सुन कनक बोली,"शाला शाना बना फिरता था...सब डिंग डांग निकल गई...और अब उस मामा के भांजे का भी यही हाल करूंगी..."

उस लड़के की बात होते ही रूपा जड़वत सी हो गई...उसके होंठो पर की हंसी गायब सी हो गई और उसके दिमाग में उसकी ऐसी हालत की तस्वीरें उभरने लगी...जिसे देख रूपा की रूह कांप सी गई...

तभी रूपा को चीटिंग की याद आई और वो थोड़े गुस्से लहजे में बोली,"...इससे भी बुरी करना जिससे वो कपड़े पहनने के लायक भी ना रहे...और उसके मामा की भी.."

कनक,"मामा...आह...चल शुरू करते हैं.." कहती हुई कनक कुरसी से उठ गई और बाहर चल दी...रूपा भी साथ हो ली और दोनों कॉलेज के मैदान की दूसरी तरफ चल दी...उस तरफ कम ही लड़के लड़की जाते हैं...

कनक फोन से नम्बर लगाई और बोली,"हाय, कैसे हैं जनाब..."
"कौन..?"
"भूल गए..."
"उम्म्म्म...हाँ याद आया...कनक.."
"ही..ही..ही...हाँ..क्या कर रहे हैं.."
"कुछ नहीं बस बैठा हूँ...अभी कोई काम है नहीं...अपना हाल सुनाओ.."
कनक,"हूँ बस ठीक ठाक..."
"क्यों,क्या हुआ जो बस ठीक हो?"
कनक,"कुछ खास नहीं बस यूँ ही हल्की सी प्रॉब्लम है..."
"मैं सुन नहीं सकता क्या"

"दरअसल कॉलेज में एक कॉन्टेस्ट में भाग लेने की सोच रही पर पापा मना कर दिए हैं बजट को लेकर...सो बस थोड़ी सी मूड ऑफ है.. "कनक हूबहू ऐसी सिचुएशन की आवाज में बता दी...
"ओह...ये तो गलत हुआ..."
"हम्म्म्म.."कनक रूपा को आँख मारती हुई बोली...
"देखो ऐसे मूड ऑफ करना ठीक नहीं...मूड फ्रेश रखो और कुछ सोचो...शायद कोई रास्ता निकल आए...अच्छा वो तुम्हारी दोस्त तो है ना..."

कनक,"हाँ पर वो खुद भाग ले रही है तो ऐसे में कहना ठीक नहीं समझती.."
"तो किसी और से कहो जो मदद कर सकें.."
"किससे कहूँ मैं...आप मदद करोगे?"कनक मौका देखते ही पूछ बैठी...
"मैं..मैं...हाँ...तुम चाहो तो कर सकता हूँ पर कितनी मदद चाहिए तब ही कुछ कह सकता हूँ..."
कनक,"ज्यादा नहीं है, बस ड्रेसेज लेने हैं और कुछ इधर उधर खर्च होंगे...कोई दस तक मिल जाते तो बात बन जाती..."
"ओह...ये तो ज्यादा है फिर भी कोशिश करूँगा...एक काम करोगी?"
कनक,"क्या.."

"तुम अपने पापा का नम्बर दो मैं उनसे बात करता हूँ...अगर मैं कुछ कम भी हेल्प कर सका तो शायद उन्हें भी बजट कम दिखेंगे तो मदद कर सकेंगे...बाद में हम दोनों मैनेज कर लेंगे..."
कनक,"क..क्या..." कनक उसकी बात सुनते ही कोमा की स्थिति में पहुँचने सी हो गई...उसकी घिग्घी सी बंधने लगी थी... अब वो फंस गई थी खुद...उधर रूपा जब सुनी तो वो एक तरफ हो हंसने में व्यस्त हो गई...

कनक किसी तरह संभली और गुस्से पर काबू करती हुई बोली,"नहीं जी, आप मेरे पापा को नहीं जानते...वो मेरी हड्डी पसली तोड़ देंगे ये पूछ पूछ के कि तुम उसे कैसे जानती हो..."

कनक आगे बोली,"अगर आप मुझे दे देंगे तो मैं रूपा का नाम बोल दूँगी तो वे पूछेंगे भी नहीं रूपा से और बाद में थोड़े थोड़े कर वापस कर दूँगी..."
"..और अगर नहीं कर पाई तो..." कनक को बिल्कुल ही उम्मीद नहीं थी कि वो इसे जितना सीधा समझती थी वो उतना ही टेढ़ा होगा...
कनक,"..तो मैं आपसे जबरदस्ती तो नहीं कर रही..मत दो..नहीं भाग लूँगी और क्या...मर थोड़े ही जाऊंगी..."

कनक नाटक को हकीकत और उसे अपनी बातों में फंसने को विवश करने की आखिरी कोशिश कर दी...जिसे सुन वो थोड़ा सीरीयस हो गया...
"नहीं मेरे कहने का मतलब वो नहीं था...किसी कारणवश अगर तुम मान लो...नहीं दे पा रही तो मैं क्या कर सकता उस वक्त..."
कनक ये सुनते ही हल्की मुस्कान बिखेड़ी कि घी निकलेगी पर अंगली टेढ़ी करने से नहीं, बोतल पलटने से...
कनक,"फ्री हैं तो वहीं आ कर बात करूँ...फोन पर कितनी बातें बोलूँ.."
"ठीक है आ जाओ...फ्री ही हूँ..."
"ओके बॉय..."कहती हुई कनक फोन रखी और रूपा की ओर देख मुस्कुरा दी...

रूपा,"क्यों बेबी, क्या हुआ...उसे मुंडन करने चली थी और खुद मुंडने की हालत तक पहुँच गई.."

कनक,"नहीं यार, वो बूर की सुगंध ले चुका है ना तो ऐसे थोड़े ही मानेगा...जब तक उसे नई बूर की सुगंध ना सुंघाऊंगी तब तक वो नहीँ फंसेगा...चल अब वहीं जाकर उसे सुंघाते हैं..."

रूपा उसकी बात सुन नाक भौं सिकुड़ती छिः करती हुई साथ बाहर चल दी...रूपा कनक को रास्ते में ड्रॉप कर घर की तरफ निकल गई...कनक स्टूडियो की तरफ निकल गई...

स्टूडियो पहुँचते ही कनक उन्हें देख स्माइल पास कर दी...वो भी जवाबी स्माइल करते हुए बैठने का इशारा कर दिए...उसने कनक को अंदर आने की ही रिक्वेस्ट की तो कनक अंदर चली गई...अंदर उसके बगल में कनक बैठ गई...


 कनक,"तब क्या कह रहे थे अब बोलिए.." कहती हुई अपनी बालों को संवारती हुई कनक बोली...

"देखो कनक, मैं तुम्हें अभी मात्र दो दिनों से ही जान रहा हूँ तो ना ज्यादा तुम मेरे बारे में जानती हो और ना मैं तुम्हारे बारे में...ऐसे में थोड़ी दिक्कतें तो स्वभाविक हैं...." उसने कनक को घुमानी फिरानी शुरू कर दी पर कह तो सच ही रहे थे...

कनक,"अम्म्म्म...आपका नाम नहीं जानती मैं...क्या नाम है..."

"कैलाश प्रभाकर..."उन्होंने अपना नाम बताते हुए बोले...

कनक,"कैलाश जी आपकी बात तो सच है पर कुछ तो विश्वास करनी होगी...अगर फिर भी डर है तो बात ही खत्म कर दीजिए...मैं जबरदस्ती नहीं करूँगी..."कनक कहने के साथ सर ऐसे घुमा कर दूसरी तरफ देखने लगी मानो सच में वो भारी मुसीबत में हो...

कैलाश ने कनक को ऐसे देख थोड़े हमदर्दी जताने की कोशिश करने लगे... कैलाश,"अरे कनक, तुम ज्यादा टेंशन मत लो...सब ठीक हो जाएगा..."

कनक,"कैसे ठीक हो जाएगा...सिर्फ कागज और बड़े बड़े बोर्ड पर लिखने भर से लड़की लड़को के बराबर नहीं हो जाती...फर्क तो अब भी पहले से तनिक कम नहीं है...अगर मैं लड़का होती तो सोचिए मैं पापा को कहती कि मुझे अच्छी सी मोबाइल लेनी है तो कहिए पापा देते या नहीं भले ही वो कितनी महंगी क्यों ना हो..."

कैलाश कनक की आँखें हल्की डबडबाई हुई देख उसकी बात सुनी जा रही थी...
कनक,"कैलाश जी,बेटों से लोग ये कभी नहीं पूछ सकते कि बेटा, तुम मोबाइल लेकर क्या करोगे...अभी तुम सिर्फ मन लगाकर पढ़ाई करो फिर जब अच्छी नौकरी लोगे तब खरीद लेना जैसी मर्जी होगी वैसी...क्यों...वहीं बेटी मांगी तो पहले सौ सवाल का जवाब दो...फिर भी शक बनी ही रहती है...अगर कभी फोन पर बिजी रह गई किसी दोस्त के साथ भी तो सीबीआई की तरह कड़ी पूछताछ..."

कनक आगे बोली,"पता है कैलाश जी मेरे साथ भी पहले ये सब प्रॉब्लम होती थी...मैं तो टेंशन से भर जाती...जब पापा आप बोलते हो कि जैसा मेरा बेटा है, वैसी ही बेटी है तो भेदभाव मत करो ना... जो सवाल उससे पूछो उससे ज्यादा की मेरे से पूछने की सोचो भी मत... अंतोगत पापा को ये बात समझ आई और किसी के साथ ऐसी बर्ताव से उसके दिल पर क्या बीतती है वो समझ गए तो अब नहीं पूछते..."

कनक के इन सब बातों से कैलाश हैरान से हो गए थे पर एक सवाल उनके जेहन में पैदा हो गई...कैलाश,"तो अभी क्या दिक्कत है जो पापा मना कर दिए..."

कनक,"दरअसल मेरा भाई मेडिकल की तैयारी कर रहा है तो उसी में पिछले हफ्ते पापा ने ट्यूशन फी दिए जिससे उनकी हालत थोड़ी डोलमडोल हो गई तो दिक्कत आ गई वर्ना नहीं आती..." कनक कहती हुई जबरदस्ती मुस्कान लाने की कोशिश की पर ला नहीं सकी...कैलाश "ओह..."कह रह गए..

कैलाश आगे कुछ बोलते उससे पहले ही कनक अपनी तरफ अप्रत्यक्ष रूप से इशारे देती हुई बोल पड़ी,"इन्हीं सब पाबंदी की वजह से लड़किया जब उल्टी सीधी कदम उठा लेती है तो सब कहते कि लड़की बदचलन है...जबकि वो तो सिर्फ अपने अरमानों को किसी तरह पूरा करना चाहती है...अभी कुछ दिन पहले ही एक होटल में दो लड़की पुलिस की रेड में पकड़ी गई तो लड़की साफ बोल दी थी कि वो एक्टिंग सीखना चाहती थी और उसे एक्टिंग संस्थान में एडमिशन के लिए पैसे घरवाले नहीं दे रहे थे तो ये कदम बढ़ाई थी..."

"भला इसमें उस लड़की की क्या गलती...उसके घरवाले थोड़े ही गरीब थे..."कनक अपनी मंशा बयां करती हुई साफ बता दी कि वो भी यही चाहती है..ऐसी ही चाहती है...पर उसमें ऐसी मजबूरी नहीं थी...

कैलाश उसकी बात सुन मंद गति से मुस्कुराते हुए उसकी ओर देखते हुए बोले,"इसका मतलब क्या है...मेरा मतलब अगर तुम्हें भी जरूरत हुई तो क्या..."

कनक,"ऑफ कोर्सऽ..." कनक कैलाश द्वारा अपनी बात समझ में ही आते ही हामी भर दी और कैलाश के निकट सटती हुई धीमी स्वरों में बोली,"..पर कोई धोखेबाजी नहीं...पहले पैसे दो फिर जहाँ चाहोगे जैसे चाहोगे मैं तैयार हूँ..." और कनक कहती हुई अपनी एक आँख दबा दी...

कैलाश कनक की गर्म साँसों के साथ निकली आवाजों से ही मदहोश हो गया और अपनी आह निकाले बिना ना रह सका...कनक उनकी आह सुनते ही मुस्कुरा पड़ी... कैलाश की आह कनक की ऐसी बात सुन उसके लंड के ठुमके मारने से निकली थी...

कनक,"ठीक है कैलाश जी, मैं चलती हूँ...अगर ऑफर पसंद आए तो शाम तक बता देना...मैं इंतजार करूंगी..." कनक कैलाश को अपनी बात हुए उनके जांघ पर हाथ फिराते हुए लंड के बिल्कुल समीप पहुँचा दबा दी...

कैलाश इतनें ही कसक उठा...वो कराहते हुए सिसक पड़े और कनक के उठने से पहले ही उसने कनक की कलाई पकड़ बैठी रहने को रोक लिए जिससे कनक रूक सी गई...अचानक कैलाश को झटका सा लगा और वो कनक का हाथ छोड़ कांप से उठे...

ये देख कनक भी सोचने पर विवश सी हो गई कि आखिर हुआ क्या? वो दिमाग लगाना शुरू कर दी कि उसने ऐसी क्या हरकत कर दी पर उत्तर नदारद मिली...आखिर जब कनक को समझ नहीं आई तो पूछ बैठी,"क्या हुआ कैलाश जी..."

कैलाश उसकी बात सुन उसकी तरफ हैरानी भरी निगाहों से देखने लगा...शायद वो सोच रहे थे क्या बोलूँ या फिर वो कैसे बोलूँ ये समझ नहीं पा रहे थे...आखिर इस कसमकस की लड़ाई में उसने लम्बी साँस ली और कनक से पूछे...

कैलाश,"मैं अपने भांजे के बारे में सोच रहा था कि कहीं वो...." कैलाश अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाए थे कि कनक बीच में ही आँख तरेरती हुई बोल पड़ी,"ओए, रूपा के बारे में सोचना भी मत... मेरी दोस्त है तो इसका मतलब ये नहीं कि वो मेरी तरह ही मस्ती मारने वाली हो... और उसके पापा कालीचरण अंकल हैं जिससे रूपा को कभी पैसे की कमी महसूस भी नहीं होती..."

कैलाश कनक को ऐसे भड़कती देख मुंह सा बना एकटक उसकी बात सुनता रहा...कनक आगे बोली,"जनाब आज तक रूपा को छूने की हिम्मत तो किसी में ठीक से नहीं हुई, और बातें तो मीलों दूर है...हाँ कुछ लड़के जरूर चाहे पर वो..."

बोलते बोलते अचानक कनक रूक सी गई कि वो क्या बोले जा रही है...गुस्से में वो अभी अपनी पोल खुद ही खोलने वाली थी...और साफ बता रही थी कि भांजे को रोक लो वर्ना वो मुझसे ही फंस जाएगा और फिर क्या करूँगी मैं खुद नहीं चाहती...

एक बात तो थी कि कनक आज पहली बार ऐसे व्यक्ति से सम्पर्क में फंसी जहाँ वो खुद ही जगह जगह फंसती नजर आ रही थी... नए कॉलेज के लड़के होते तो वो इतना नहीं सोचते... बस कनक से सम्पर्क हुआ, बातचीत शुरू, और दिन रात सपने देखता कि अब रूपा से बात होगी, किस होगी, वो होगी वगैरह वगैरह...


 कनक,"..म...मैं साफ कह रही हूँ कि रूपा ऐसी वैसी कुछ भी पसंद ही नहीं करती तो उसके बारे में सोचना भी गलत होगा...आप समझ रहे हैं ना.." कनक बोलते बोलते भावुक सी हो गई क्योंकि आज पहली बार किसी और ने रूपा के बारेमें सिर्फ अपनी सोच रखी थी...

इससे पहले तो कनक खुद रूपा की बुराई करती फिरती थी बस कुछ आवारा लड़कों के दिल में रूपा के लिए नफरत पैदा करने के लिए... आवारे लड़कों की ये सोच हमेशा बनी रहती है मैं कितना भी कमीना क्यों ना रहूँ पर गर्लफ्रेंड एकदम शरीफ होनी चाहिए...

खैर कैलाश कनक की दिल की आह साफ तरीकों से सुन पा रहे थे... वे तुरंत बात को तख्त पलट करते हुए बोले,"नहीं तुम मेरे कहने का गलत मतलब समझ बैठी...मैं उसके बारे में ऐसा कुछ नहीं सोच रहा था...देखो दोस्त हो तो बस पूछ रहा था...अब जान गया तो कोई दिक्कत नहीं..."

कनक,"हम्म्म, आप तो ऐसे कह रहे हैं कि जैसे आपके भांजे एकदम शरीफ है और उसे रूपा जैसी ही शरीफ गर्लफ्रेंड की तलाश है..." कनक के ताने भरे शब्दों को सुन कैलाश दी बोल पड़े,"और नहीं तो क्या...तुम चाहो तो चेक कर लेना...तुम्हें एक्सपीरीयंस भी तो है ही.. "कहते हुए कैलाश हंस पड़े...

कनक भी मूड फ्रेश करती हंसती हुई चटकारे लेती बोली,"हाँ जरूर क्योंकि रूपा को बोली कॉल करने तो वो साफ मुकर गई तो जाहिर है मुझे ही चेक करनी पड़ेगी..." कनक की बात सुनते ही कैलाश झटका सा खा गए...

कैलाश,"क्या? रूपा को नम्बर सच में दी थी या बस हमें कुछ पढ़ा रही हो..." कैलाश अब तक तो समझ रहे थे कि रूपा बात भी कर रही होगी पर कनक की बात सुन वो थोड़े हैरान हो गए..उनका भांजा पहली बार अपने मामा से रिक्वेस्ट किया था और ये हैं कि कुछ नहीं कर पा रहे...

कनक,"हाँ, सच कह रही हूँ...रूपा सोच भी नहीं रही इस बारे में तो मैं क्या करूँ...मैं कोशिश भी करती पर इस वक्त मैं खुद टेंशन में हूँ कि कॉम्पीटीशन में हिस्सा नहीं ले पा रही हूँ..." कनक मायूसी भरे चेहरे से बोली...

कैलाश,"अरे कॉम्पीटीशन की ऐसी की तैसी..." कहते हुए कैलाश फौरन उठे और अपने पॉकेट से रूपए री गड्डी निकाल कनक को देते हुए बोले,"लो और मेरे भांजे का काम जरूर कर देना क्योंकि तुम नहीं जानती कि मैं अपने भांजे से कितना प्यार करता हूँ...उसे मैं मजनूं की तरह नहीं देख सकता..."

कैलाश,"आज उसने पहली बार किसी से प्यार किया है तो मैं पूरी कोशिश करना चाहूँगा कि वो उसे मिल जाए ताकि उसकी इमानदारी, मेहनत, इंतजार बेकार ना लगे..."

कनक पैसे की बंडल की तरफ देख कुछ सोचने की मुद्रा में हो गई...कैलाश ये देख तपाक से बोले,"क्या सोच रही हो...जब हो तभी वापस करना और ना हो तो..."

कैलाश अपनी बात बीच में ही छोड़ते हुए कनक के हाथ पकड़ लिए और खींच कर सीधे अपने ऐंठते अंगड़ाते लंड पर रखते हुए बोले,"..फुर्सत में दो चार दिन इसकी सेवा कर देना...बेचारा काफी दिनों तक प्यासा ही रह जाता है और प्यास बुझती भी है तो उसी पुरानी गड्ढ़े में ...स्विमिंग पूल तो सालों से इसे नसीब नहीं हुआ.. "

कनक बिना घबराए कैलाश की इस हरकत पर मुस्कुरा दी और बोली,"आप कहो तो अभी स्विमिंग में नहला दूँ..." और कनक हल्की गति पर तेज दबाव से लंड दबा दी जिससे कैलाश की आह निकल गई...

कैलाश,"उफ्फ्फ! कनक... मन तो हो रही है पर अभी सही वक्त नहीं है...कस्टमर कभी भी आ सकते हैं तो दिक्कत है वरना..." कहते हुए कैलाश हाथ कनक की बूर के पास रख अंगूठे को दबाते हुए बोले,"अभी तक तुम चिल्ला रही होती..."

कनक,"ईस्स्स्स्स्स...."कनक की बूर पर दबाव पड़ते ही वो कसमसा गई...कनक भी काफी वासना से भूत हो गई थी और उस पर किसी मर्द के हाथ अपनी बूर पर, सोच कर ही सिसक निकल पड़ती...

कैलाश तभी हल्के से उठे और बाहर की तरफ मुआयना करने लगे और फिर बैठते हुए फटाक से जिप खोली और अंडरवियर से लंड बाहर करते हुए कनक के हाथों में थमाते बोले,"..तब तक चूस के एडवांस दे दो..."

कैलाश की जल्दबाजी देख कनक मुस्कुरा पड़ी और कनक कुर्सी से उठी और नीचे बैठ गई...नीचे बैठने पर कनक अब बाहर से बिल्कुल नहीं दिख रही थी...कनक के बैठते ही कैलाश अपना लंड कनक के होंठो के पास लहराने लगे...

कनक ऊपर कैलाश की आँखों में देख अपनी होंठ चबाती हुई लंड को अपने हाथों में पकड़ हौले से मसलने लगी... कनक की इस मसल से कैलाश खुद को कैसे कंट्रोल कर रहा था वो खुद ही समझ सकता है... वो ऐसे बाहर सबको कैसे अपनी उत्तेजना दिखा सकता था...

कनक उतनी ही कसाई बन अपने नाखून से सुपाड़े को कुरेद दी जिससे कैलाश तड़प के कनक के बाल पकड़ जोर से झटक दिया...कनक की हल्की आह निकली पर वो फिर भी मुस्कुरा रही थी...ऐसे मुस्कुराते देख कैलाश अपना आपा खो दिया...

और कनक को अपने लंड की तरफ धकेला...कनक तो बिना विरोध के खींची चली आई और अगले ही क्षण कनक का मुँह कैलाश के विशाल लंड से भर गया...लंड पर मुँह की गरमी मिलते ही कैलाश हुंकार सा गया....

कनक तुरंत ही कैलाश के जांघों पर हाथ रख मुंह आगे पीछे करनी चालू की... कैलाश को तो अब महसूस हो रहा था कि मानो उसकी नसें फट के बाहर आ जाएगी...लाख कोशिश के बाद भी वो अपने चेहरे की एक्सपीरिशन को नॉर्मल नहीं कर रहा था जो कि उसके लिए खतरनाक था...

कैलाश को समझ नहीं आ रहा था कि अपनी इस बेकाबू वासना को कैसे काबू में करे... वो अगर कहीं और होता तो शायद कनक की बूर अब तक चीर चुका होता...

मजबूरन उसने इधर उधर देखा और मौका देख कुर्सी से हल्का उठ पैरों के सहारे हुआ और इतना ही ऊपर कि लंड कनक के मुंह से बाहर ना आए...

फिर कनक के गर्दन पर अपने हाथों से पकड़ बना कर थामा जिससे कनक पीछे की तरफ सर करके हो गई थी...अगले ही पल कैलाश बिना कुछ बोले ताबड़तोड़ शॉट मारने लगा...अब तड़पने की बारी कनक की थी...

कनक के गले में लंड की तेज प्रहार कनक को बर्दाश्त नहीं हो रही थी... कनक कैलाश के जांघों पर लगभग धक्का देती सी उसे हटाने की कोशिश कर रही थी पर चुदाई के वक्त मर्द को अलग कर पाना नामुमकिन ही होती है औरत के लिए...

कनक की आँखों से आँसूं टपकने लगी थी दर्द से... तभी अचानक सा कैलाश रूक सा गया और तेजी से धम्म से कुर्सी पर बैठ गया...कनक मुंह से लंड बाहर करना चाहती थी पर कैलाश हटने नहीं दिया...

काउन्टर ही ऐसी थी कि बाहर से अंदर वाले व्यक्ति का सिर्फ सीना तक ही दिख पाता था...और कैलाश काउन्टर से सट के था तो कोई झाँकने की सोच भी नहीं सकता था...

कैलाश के विरोध पर कनक रूक गई और वापस खुद मुंह अंदर बाहर करने लगी...अभी दो तीन दफा ही की थी कि कनक का मुंह गर्म गर्म लावे से भरने लगा... कनक लावे को तेजी से अंदर करने लगी...कैलाश की तेज सुकून वाली आह साफ सुनाई दी...








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