Friday, January 2, 2015

FUN-MAZA-MASTI पापा प्लीज........18

FUN-MAZA-MASTI

 पापा प्लीज........18

 कनक अब रूपा के काफी निकट अपने चेहरे को ला कहे जा रही थी...इतनी कि दोनों की साँसें आपस में टकरा रही थी... ऐसे में रूपा की आँखों में छाती मदहोशी साफ नजर आ रही थी... कनक की हर बातें उसे मदहोश किए जा रही थी...

रूपा को पहले नहीं होती थी पर जिस वक्त से वो कनक से किस की तब से उसके दिलों दिमाग पर वो किस अपनी छाप छोड़ चुकी थी... ये चीज ही होती है ऐसी कि सुगंध लगे तो चखने का दिल करता है और चखे तो खाने की...

रूपा की उत्तेजना से व्याकुल देख कनक रह नहीं सकी...हालांकि कनक की भी हालत कम खराब नहीं थी खास कर रूपा जैसी बगल में वासना से भरी तड़प रही हो तब... कनक अपने हाथ से रूपा के बाल उसके एक तरफ करती अपने होंठ आगे की और बिल्कुल धीमे से रूपा की रंगीन हो रही गालों को होंठों में भर ली...

रूपा आँख बंद करती हुई सिसक पड़ी,"ईस्स्स...उम्म्म्म्म कनकऽ..." रूपा की आहें सुनते ही कनक उसके गालों को मुंह में हल्के से अंदर कर चूसने लगी... रूपा अपने चेहरे पर कनक के होंठों की छाप लिए जा रही थी...

रूपा की एक तरफ पूरी गाल भिंग गई तो कनक हल्के से अपने होंठ ऊपर री और रूपा को बिना कुछ कहे उसे सीधी कर दी...रूपा लम्बी लम्बी साँसें लेती तुरंत ही पीठ के बल आ गई...

कनक रूपा के पीठ के बल होते ही उस पर चढ़ गई... कनक को रूपा के चेहरे पर असीम खुशी साफ झलक रही थी... वो मुस्कुराती हुई उसके चेहरे को थामी और उसके चेहरे को अपने होंठों से भरने लगी...

कुछ ही पलों में रूपा के चेहरे कनक ने भिंगो दी थी...जब कोई जगह नहीं बची तो कनक नीचे बढ़ उसके गर्दन को चूमी...ये देखते ही रूपा तड़प के उसके बाल पकड़ ली और ऊपर खींची...कनक रूपा को ऐसे करते देख मुस्कुरा दी और ऊपर चली आई...

रूपा किस करना चाहती थी पर कनक उसे अभी तक किस नहीं कर रही थी... रूपा इसी वजहसे तड़प उठी थी...रूपा हल्की सी आँखें खोली और कनक की आँखों में देखती उत्तेजना पूर्ण बोली,"प्लीज कनकऽ...." और फिर रूपा आँखें बंद कर ली...

कनक रूपा की हालत पर तरस खाती हुई अपनी होंठ रूपा की दहकती होंठों की ओर बढ़ा दी जो थर थर कांप रही थी...कनक के होंठ अपने होंठ पर महसूस होते ही रूपा तुरंत ही बिजली की तरह झपट पड़ी और कनक के होंठ को अपने होंठों में भर ली...

कनक तो इन सब की गुरू थी अब तो उसने अगले ही चुसाई में रूपा के होंठों को अपने मुंह में भर ली और लगी चूसने...दोनों ताबड़तोड़ किसेस किए जा रही थी मानों रेस लगी हो जल्दी करने की...

इसी बीच कनक अपने हाथ बढ़ा रूपा की गोल मोल चुचियाँ पर रख दी...हाथ पड़ते ही रूपा चिहुंक सी गई और उसने कनक के उस हाथ को जकड़ ली...जिसे देखते ही कनक तेजी से रूपा की जीभ को अपने मुंह में भर चूसने लगी किसी आइसक्रीम की तरह...

ये रूपा के लिए बिल्कुल नईथी और इसमें मिल रही उत्तेजना में रूपा बेकाबू सी हो गई... नतीजन रूपा कनक के हाथों को अपनी चुची से हटाने की बजाए और दबा दी...कनक तो बस इतना ही चाहती थी...

फिर क्या था; कनक रूपा की गोल और कड़क चुचियों को ढ़ीली करने लग गई...रूपा इस दोहरे वार को सहन नहीं कर पा रही थी... वो लगातार छटपटा रही थी पर कनक ने भी पूरी ताकत से उसे नीचे जकड़ी हुई थी...

अब दोनों थकने लगी थी... दोनों रूकना चाहती थी पर रूक नहीं पा रही थी... रूपा अपनी चरम सीमा की ओर तेजी से बढ़ रही थी तो वो और जोरों से चूसने की कोशिश कर रही थी...

कनक रूपा के तन में और उत्तेजना भर झाड़ने के ख्याल से उसकी निप्पल ढ़ूंढ़ने लगी..पर रूपा की निप्पल मिल नहीं रही थी...कनक कई कोशिश की पर सफलता नहीं मिली और रूपा भी समझ चुकी थी कि कनक क्या खोज रही है...

रूपा हौले से किस तोड़ी और हांफती सी बोली,"अंदर ही डालऽ लो ना ईस्स्स्आहहह..." और मुस्कुराने लगी... रूपा की बात सुनते ही कनक भी मुस्कुराते हुए बोली...

कनक,"शाली, तेरी निप्पल मिल ही नहीं रही..कभी दबाती नहीं क्या..."

रूपा,"तेरी तरह नहीं हूँ जो हर वक्त यही सब करती रहूँ..." रूपा कहते हुए वापस कनक के होंठों को चूसी पर कनक एक बार चूस के वापस अलग हो बोली,"नहीं है तो अब भी बोलो; मैं बना दूँगी...ही..ही..ही.."

कनक की बात सुनते ही रूपा अपने निचले होंठों को दांत तले दबा हंसती हुई एक हल्की सी मुक्का कनक की पीठ पर जमाती हुई बोली,"कमीनी तेरे साथ कर रही हूँ तो क्या मैं लड़कों के साथ भी कर लूँगी?"

कनक,"अच्छा, पहले एक बात बता..." कहती हुई कनक रूपा के ऊपर से हटी और सीधी बैठ गई...फिर रूपा को भी उठाई और उसकी पीठ पर समीज में लगी चैन को खींच के खोल दी... चैन खुलते ही कनक समीज को दोनों बाँहों से नीचे कर नीचे कर दी...

रूपा किसी विरोध के कनक के सामने सिर्फ ब्रॉ में आ गई...अगले क्षण कनक भी अपनी टीशर्ट उतार फेंकी और रूपा को पीछे की तरफ धक्का दे वापस बेड पर लेटते हुई बोली,"झूठ मत बोलना मेरी कसम है...और दिल पर भी मत लेना...आज तुम मेरे यहाँ मेरे साथ किस करने आई है कि नहीं..."

और कनक रूपा का जवाब सुनने से पहले उसके होंठ अपने होंठों से सील कर पुनः किस करने लगी...फिर कुछ ही देर बाद किस तोड़ी और नीचे खिसकते हुए उसके उरेजों को चूमने लगी...अपने उभारों पर किस पड़ते ही रूपा कसमसा कर रह गई और बोली...

रूपा,"हम्म्म्म...हाँ...इसलिए आई हूँ...सुबह की किस के बाद मैं दिन भर तड़प रही थी तुमसे मिलने के लिए पर तुम अपने यार के साथ भाग गई थी तो फोन कर डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी.. "

रूपा की बात सुनने के साथ ही कनक ने रूपा की ब्रॉ को एक ही झटके से नीचे खींच दी...ब्रॉ नीचे होते ही रूपा की सुडोल आकार की चुचियाँ ऊपर की तरफ तनी सामने आ गई...रूपा की चुची देखते ही कनक पागल सी हो गई...

बिल्कुल एक आकार की दोनों चुचियाँ, जिस की निप्पल नाम मात्र की थी जो कि ब्रॉ पहनने के बाद मालूम ही नहीं पड़ती थी...कनक रूपा की चुचियों पर हाथ फेरते हुए बोली,"तो डिअर रूपा,जब आप एक किस वो भी एक लड़की के साथ पर इतनी व्याकुल हो गई तो..."

कहते हुए कनक रूपा की चुची पर किस करती हुई आगे बोली,"..सोचो जब कोई लड़का तुम्हें किस करेगा तो कैसे रूक पाएगी..." कनक की बात सुन रूपा कुछ कहना चाही पर तब तक कनक रूपा की निप्पल को ऊपर कर मुंह में भर ली जिससे रूपा "आहहहहह...कनकअअअअऽ " कर तड़प गई...


 दांतो के बीच निप्पल को फंसा हल्की बाइट करने लगी साथ ही दूसरी चुची को कनक अपने पंजों से मसलने लगी. . जिससे रूपा उत्तेजना के मारे तड़प के कनक के बालों को नोंचने लगी...चरम सीमा के नजदीक पहुँच रूपा नीचे वापस पीछे आई थी तो दुबारा उस स्थिति में पहुँचने को आतुर हो गई थी...

और उस स्थिति में पहुँचने में रूपा देर नहीं की और वो पहले की ही तरह सिसकारियां लेने लगी...कुछ देर तक कनक रूपा की दोनों चुचियाँ काट चूस मसल रही थी...तभी अचानक कनक अपने एक हाथ नीचे बढ़ा उसकी अनछुई बूर पर रख दी...

बूर पर हाथ पड़ते ही कनक उसे रगड़ना चाही पर तब तक रूपा चित्कार करते हुए पूरी ताकत से रूपा को पकड़ ली और रोने की आवाज में सुबकती हुई झड़ने लगी... कनक मुस्कुरा पड़ी ये देख कर... कनक की बूर पानी छोड़ रही थी पर झड़ी नहीं थी...

रूपा की युबक कम होते ही कनक उसके गालों को चूमती हुई बोली,"रूपा, छूने भर से नदी बहा दी, जब लंड लेगी तो क्या होगा...ही..ही..ही..." कनक की बात सुन रूपा हंस कर रह गई और अपनी साँस को थामने लग गई...

जब रूपा पूरी तरह नॉर्मल हुई तो आँख खोल कर कनक को बोली,"अब तो छोड़ दे...कपड़े खराब हो गई मेरी.." रूपा की बात सुन कनक शरारत से बोली,"ना...अभी मैं तो बची ही हूँ..." रूपा आश्चर्य से भर गई कनक को सुन के...

कनक हंसती हुई बोली,"यार ये है ना, शाली बिना लंड के मानती ही नहीं...अब अगर लंड ना ली तो नींद नहीं आएगी..." कनक की बात सुन रूपा कनक को हटा उठी और ब्रॉ को ठीक करती हुई बोली...

रूपा,"तो चली जाओ...तुम्हारे कई यार तो हैं..." रूपा के बोलते ही कनक बोली,"मैं क्यों जाऊँ, वो दौड़ता आएगा.." रूपा अचानक से झटके खा कर कनक को देखती बोली,"कमीनी यहाँ आंटी हैं फिर कैसे..."

कनक,"नो प्रॉब्लम, मम्मी सो जाएगी तब...और करूँगी भी यहीं क्योंकि पापा आज आने वाले हैं नहीं..."कनक की बात सुनते ही रूपा का सर चकराने लगा... रूपा जानती थी कि कनक सब करती है पर ऐसे अपने घर में ये नहीं जानती थी और कभी जानने की रोशिश भी नहीं की थी पहले...

वो दिमाग को पकड़ ड्रेस ठीक की और बोली,"यार बस करो, मेरा सर फट जाएगा तुम्हारी बात से...तुम्हें जो करना है करो...मैं अब जा रही हूँ..." कनक रूपा की बात सुन हंसी और टीशर्ट पहन मॉम को आवाज लगाई...

कनक की मम्मी कुछ ही देर में खाना लेकर आई और दोनों साथ में खाई...फिर रूपा आंटी से फिर आने का वादा कर बाहर निकल गई...पीछे कनक भी रूपा को छोड़ने आई सड़क तक और जाने से पहले कनक ने एक पर्ची थमा दी रूपा को...

रूपा नम्बर देख ये जानना नहीं चाही कि किसका नम्बर है...बस बोली,"कनक, मैं ये सब नहीं कर सकती..." कनक रूपा के हाथ दबाती हुई बोली,"जानती हूँ पर वो लड़का सच में दिवाना लगा तुम्हारे लिए...औरों की तरह उसकी आँखों में हवस नहीं देखी थी... सोच लेना पहले फिर मन हुई तो बात करके देखना..कुछ गड़बड़ बोला ना तो बता देना... उसके बाद मैं देख लूंगी...बॉय"

और कनक रूपा के कुछ बोलने से पहले ही घर की तरफ चल दी...रूपा मुस्कुरा कर पर्ची ब्रॉ में घुसेड़ी और सेल्फ लगा घर की तरफ चल दी...रूपा रास्ते भर बस यही सोचती रही कि क्या करूँ?

घर पहुँचते ही मम्मी को बोल दी कि कनक के यहाँ गई थी...वहीं से खाना खा कर आई हूँ...और सीधी अपने रूम में घुस गई...और बाथरूम में घुस कपड़े चेंज करने लगी...

फ्रेश होने के बाद वो बिस्तर पर लेटी तो उसके दिमाग में उस लड़के की तस्वीरें उभर आई...वो ख्यालों से ही उसकी आँखें पढ़ने की कोशिश करने लगी... उसकी हर एक हरकत को याद करने लगी...सच रूपा के दिल के किसी कोने में घंटी बज गई जिसे सुन रूपा मुस्कुरा कर रह गई...

रूपा सोने की कोशिश कर रही थी पर नींद कोसों दूर रहने लगी आज... जब भी सोने की कोशिश करती तो वही लड़का जेहन में आ जाता...वो कई बार गुस्से में तकिये को दांत से काटने लग जाती कि इतनी सीरियस क्यों हो रही है...

रात के एक बजे तक वो सोने की हर कोशिश की पर नाकामयाब रही तो तंग आ उठी और बरामदे से फोन उठा ले आई...पर्सनल फोन वो रखती नहीं थी... अंदर आने से पहले वो मम्मी पापा के रूम की तरफ नजर डाली कि कहीं वे जग तो नहीं रहे...

अंदर आ गेट लॉक की और धड़कते दिल से पर्ची निकाली जिसे कनक ने दी थी...पर्ची खोली तो उस नम्बर ही अंकित था... वो पर्ची को निहारने लग गई... इस दौरान उसके जेहन में कई सवाल घुमड़ने लग गए...

फोन की तो क्या पूछूंगी? इतनी रात गए वो सो रहा होगा तो कहीं गुस्से में गाली वाली बक दिया तो... ! और अगर जगा होगा तो किसलिए फोन किया पूछा तो क्या जवाब दूँगी...? इसी तरह की सैकड़ो सवाल और डर पैदा होने लग गई...

आखिर उसने हिम्मत बाँध नम्बर डायल कर रिसीवर कान में थरथराते हाथों से पकड़ी रही...वो इतनी जोर से पकड़ रखी थी मानों कोई पत्थर का बड़ा टुकड़ा उठा रखी हो...उसके माथे पर पसीने निकल आए थे...

तभी रिसीवर से आवाज आई,"हैलो, कौन?" आवाज सुनते ही रूपा डरती हुई रिसीवर कान से दूर छिटक दी...और चेहरे पर आ रही पसीने की बूंद को साफ करती जोर जोर से साँसे लेने लगी...

उधर रिसीवर से लगातार हैलो...हैलो...कौन बोल रहे हो...आदि आवाजें आ रही थी... रात के शांत माहौल में रिसीवर दूर होने पर भी रूपा वो आवाजें साफ साफ सुन रही थी...

कुछ ही पलों में रिसीवर से आवाज आनी बंद हो गई...रूपा तुरंत ही शांत हो रिसीवर की तरफ देखने लगी कि सच में बंद हो गई या चुप हो गया वो...रूपा कुछ देर इंतजार करने के बाद धीरे से रिसीवर उठा कान में सटा सुनने की कोशिश करने लगी...

उधर से कोई आवाज ना पा रूपा हल्के से आँख बंद करती हुई हैलो बोली... वो उधर से आने वाली आवाज का इंतजार करने के लिए खुद को शून्य कर ली थी... पर रूपा अपनी सोच के विपरित आश्चर्य में पड़ गई...

उधर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली... वो पुनः कॉन्फर्म होने के लिए हैलो बोली पर कोई जवाब नहीं...वो सोचने लग गई कि कहीं गहरी नींद में हुआ तो शायद पुनः सो गया... वो भगवान को शुक्रिया अदा कर बैठी बैठी ही प्रणाम कर ली कि कम से कम डाँट तो नहीं पड़ी...

वो फोन रखना ही चाहती थी कि पता नहीं क्या सूझी वो दुबारा रिसीवर कान में सटा ली और बोली,"हैलो, सच में सो गए क्या..?"
"हे...फोन मत रखना...प्लीज..."दूसरी तरफ से तेजी से आवाज आई और देर तक दबी हुई हंसी सुनाई देती रही...

रूपा पहले तो आवाज सुन आश्चर्य से भर गई और अपनी इस नादानी की सोच मुस्कुराए बिना ना रह सकी... वो तेजी से फोन काट दी और शर्म से तकिये में मुंह छिपा हंसने लगी...


 कुछ देर बाद फोन ज्योंही बजी कि रिंग की तेज आवाज कमरे में गूंजने लग गई...रूपा तुरंत फोन उठा ली...एक बार वो डर सी गई कि अगर किसी की नींद खुल गई तो.... फिर वो ध्यान से बाहर की किसी भी आहट सुनने की कोशिश करने लगी पर कोई नहीं जगा था...

रूपा फोन कान में लगाई तो उधर से आवाज आई..,"आप बोल क्यों नहीं रही थी...अभी तक नाराज हैं क्या?"रूपा उसकी बात सुन क्या बोलूँ ये सोच में पड़ गई...या फिर कैसे बोलूँ, हिम्मत ही नहीं हो रही थी...बस मंद मंद मुस्काती सुन रही थी...

"मेरी उस हरकत पर प्लीज नाराज मत होना...पता है उस वक्त ही मैं बात करना चाहता था पर जब आप फोन मामाजी को दे दिए तब मुझे याद आया कि आप उस जगह पर कैसे बात कर सकती हैं...वहाँ और भी लोग रहे होंगे... मुझे बाद में काफी अफसोस आई थी..." उधर से आती हर बात को रूपा बस सुने जा रही थी...

रूपा अब भी कोई सवाल-जवाब नहीं कर पा रही थी...वो शाम में उसके द्वारा कही बात याद कर मुस्कुरा पड़ी...उस लड़के को रूपा की दबी हंसी शायद महसूस हुई जिसे सुन उसने राहत की सांस ली कि नाराज नहीं है...

उस लड़के ने फिर आगे बोला,"पता है आपकी दोस्त है ना वो एकदम फट्टू है...मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं उनकी कोई भी हरकत...पता नहीं कैसे वो बेहूदा हरकतें करती रहती है..."

रूपा उसकी बात पर अब चुप ना रह सकी और छोटी सी सवाल कर गई..."क्यों?" रूपा भी जान ली थी कि उसने पहचान लिया...रूपा के सवालों पर वो बोल पड़ा,"जवाब एक हो तो ना गिनाऊँ...उनकी सब हरकत वैसी ही है...सुबह की बात ही देखिए मैं निकला था आपको बाय कहने तो उल्टे वही मुझे बाय कह दी..."

वो कहते हुए हल्की हँसी हँस पड़ा...जिस पर रूपा भी मुस्कुरा दी और सुबह का वाक्या याद करने लगी...पर वो आगे बैठी थी तो देख नहीं पाई थी पर अनुमान जरूर लगा ली कि कैसे हुई होगी...

रूपा अब काफी नॉर्मल सी हो गई थी तो बोली,"आपको कैसे पता चला कि मैं हूँ फोन पर अभी..."

"उम्म्म...बस मुझे विश्वास था कि आप जरूर फोन करेगी...क्योंकि सुबह से आप मेरे दिलों दिमाग से हट ही नहीं रही...और मामाजी को बोल दिया था कि बस नम्बर दे देना...आप तो लेती नहीं और आपकी दोस्त तो बिना लिए रहती नहीं..."उस लड़के ने कहा...

रूपा उसके विश्वास को देख थोड़ी हैरान जरूर हुई...वो अब ज्यादा कुछ कहने की स्थिति में नहीं रही तो वो बोली,"ठीक है मैं रखती हूँ अब..."

"क्या हुआ? " रखने की बात सुनते ही वो लड़का हैरानी से पूछा...रूपा उसकी बात सुन ज्यादा कुछ ना बोली...

रूपा,"कुछ नहीं...कल बात करेंगे अब...और हाँ इस पर फोन मत करिएगा...ये घर का नम्बर है...बाय..." और रूपा उसके जवाब का इंतजार किए बिना फोन रख दी...

फोन रखने के बाद वो फिर से सारी बातें याद करने लग गई...और कमरे में जल रही नाइट बल्ब की तरफ देख मंद मंद मुस्कुराए जा रही थी...कुछ देर तक रूपा इंतजार भी कि कहीं वो कॉलबैक ना कर दे पर फिर से कॉल नहीं आई...

रूपा फोन रखने के बाद कब सो गई सोचते सोचते मालूम नहीं...सुबह उसकी नींद तब खुली जब मम्मी गेट नॉक कर रही थी...रूपा गहरी नींद में थी तो काफी देर बाद हड़बड़ा कर उठी और गेट खोली...मम्मी डाँटती हुई अंदर आई और रोज की तरह चाय रख बेड ठीक की...

मम्मी की डाँट सुनने की बजाए रूपा आँख मलती हुई मम्मी की पास आई और मम्मी को पीछे से बाँहों में भर गर्दन पर किस करती हुई बोली,"गुड मॉर्निंग मॉम..."

मम्मी रूपा की भोली अदा से की गुड मॉर्निंग पर घायल सी हो गई और मुस्कुरा गई...वो डाँटना बंद कर दी और रूपा को चेयर पर बिठा चाय पकड़ा दी और जल्दी फ्रेश होने कहती हुई रूपा के होंठो पर गुड मॉर्निंग किस देती हुई बाहर निकल गई...

रूपा मुस्कुराती हुई चाय पीने लगी...तभी उसे फोन की रिंग सुनाई दी... वो अनुमान लगाई कि ये कनक ही होगी पर कुछ सोच कुर्सी पर ही बैठी रही...तभी मम्मी फोन लिए रूपा के पास पहुँची और बोली,"कनक है...!"

रूपा फोन ले ली और बोली,"हाँ कनक बोलो.." तब तक मम्मी वापस चली गई...

कनक,"फोन की थी..." कनक क्या बात करना चाहती थी रूपा अच्छी तरह जानती थी...रूपा मुस्कुराती हुई बोली..

रूपा,"नहीं..."
कनक,"क्यों?एक कॉल कर के देख तो लेती..."
रूपा,"मुझे नहीं जरूरत..."
कनक,"अच्छा, ठीक है...पता है मैं फोन की थी..."

रूपा आश्चर्य से भर गई और सोचने लग गई कि अगर कनक फोन की थी तो उसने बताया क्यों नहीं रात में...वो अब कनक को ना बोल दी तो कुछ पूछ भी नहीं सकती थी...

रूपा,"ठीक है बात करो और मुर्गा हलाल करो..कॉलेज के लिए आएगी ना..."रूपा बात को बदलने की कोशिश की...

कनक,"हाँ बाबा दूसरा काम क्या है..."
रूपा,"ठीक है मैं फ्रेश होने जा रही हूँ...बाकी बातें कॉलेज में करेंगे...बॉय.."
कनक,"बाय.."
कनक के बॉय बोलते ही रूपा फोन पटक दी...उसने झूठ क्यों बोला मुझसे...झूठ नहीं उसने तो बताया भी नहीं कि कनक फोन की थी...अभी ही चीटिंग...ओके करो चीटिंग मैं अब बात ही नहीं करूंगी...

और रूपा पैर पटकती हुई फोन वापस रख आई फ्रेश होने बाथरूम में घुस गई...कनक समय पर आ गई तो रूपा भी तब तक तैयार हो गई थी...दोनों कॉलेज के लिए निकल पड़ी...





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