Sunday, January 18, 2015

FUN-MAZA-MASTI अनजाने रिश्ते--10 end

FUN-MAZA-MASTI

 अनजाने रिश्ते--10 end

 मेरा हाथ उसने पकड़ लिया
"क्या हुआ?" मैने पूछा
"वॅसलीन मत लगाओ , मैं कुछ जुगाड़ करती हूँ " उसने अपने बाल बाँधते हुए कहा
"जुगाड़?" मैने चौंक कर कहा "कैसा जुगाड़?"
"अरे बाबा तुम सवाल बहुत पूछते हो" उसने मुँह बना कर कहा
"मैं भी तो जानूं तुम चुदाई में कौन सा जुगाड़ लगाती हो" मैने कहा
"अरे बाबा कभी तो मुँह बंद रखा करो" उसने हाथ जोड़ कर कहा "और यहाँ मेरी तरफ मुँह करो"
मैने पलट कर उसकी ओर देखा
उसने अपने दाएँ हाथ में मेरा लॉडा पकड़ लिया
मैने कहा "शिखा अब तुम्हें यह क्या सूझी?"
"तुम बस देखते जाओ" उसने तुनक कर कहा और मेरा पाँच इंची लंड मुँह मे भर लिया
"देखो दाँत मत गाड़ना" मैने उसे आगाह करते कहा "उन्हुन्न्न" उसने मुँह में लंड भरते ही गर्दन को झटका दिया
मैने उसके बाल हाथों में पकड़ लिए और उसके मुँह में जोरों से धक्का दिया , मेरा लंड का सिरा उसके तालू से टकराया
"आहह शिखा " मैने उत्तेजना से आँखें बंद कर लीं , उसने मेरे लिंग के सिरे पर अपनी जीभ का सिरा टीकाया और अंदर बाहर करने लगी , मेरा लिंग किसी फूल की भाँति खिलने लगा , दो मिनट में ही लिंग के सिरे की चमड़ी उलट गयी
"ख़ौं ख़ौं " शिखा अचानक खांसने लगी , मैने अपना लिंग उसके मुँह से निकाल लिया , लेकिन मुझे अपने लिंग पर काफ़ी हल्की सी ठंडी जलन महसूस हुई , ऐसा लगा लंड पर किसी ने बाम लगा दिया हो.

"आक थू" शिखा ने बलगाम वॉश बेसिन में थूकी , मैने उसको देखा उसकी लंबी लंबी साँसे चल रहीं थी , इधर मेरा लिंग फूल कर कुप्पा हो गया था

"कैसे लगा मेरा लंड चूसना ?" उसने आँखें घुमा कर मुझसे पूछा "मज़ा आया ?"
"बहुत" मैने जवाब दिया.

"तो देर किस बात की?" उसने पूछा "अब तुम्हारा लंड मेरी पॉंड मारने को एकदम तैयार है"
"ठहरो" मैने कहा
"क्या हुआ?" उसने पूछा
"मेरा लंड तुम्हारे चूसने से ऐंठ गया है , ज़रा ठंडे पानी का फव्वारा मार लूँ " मैने बाथरूम की तरफ जाते कहा
"अरे नहीं उसने एंठा ही रहने दो , गांद में आसानी से जाएगा" शिखा ने मना किया
"नहीं कहीं फ्रॅक्चर हो गया तो?" मैने कहा
"पागल , शिश्न में हड्डी नहीं होती तो फ्रॅक्चर कैसे होगा?" उसने कहा
"ये शिश्न क्या है शिखा?" मैने पूछा "जीभ को संस्कृत में शिशिन कहते हैं?"
"तुम्हारा लंड " उसने गुस्से से देखते हुए कहा
"मेरा लंड तो फूल कर कुकुरमुत्ते की तरह हो गया है , तुम्हारी गांद में डालूँगा तो तुम्हें दर्द होगा" मैने प्रतिवाद करते कहा
"हूँह" उसने मुँह बनाया "और डालो ठंडा पानी अपने लॅंड पर , फिर तो मुरझा ही जाएगा"
"नहीं , दरअसल मेरे लंड की चमड़ी जो पलट गयी है वहाँ हवा लगने से मुझे हल्की जलन हो रही है" मैने सच कह दिया
"यह कहों की तुम्हारी फट रही है" उसने मेरा मज़ाक उड़ाते कहा
"कमाल है , गाँड तो तुम्हारी मारी जानी है और मेरी फटेगी क्यों?" मैने कहा
"अहहाहा" उसने हाथ नचा कर कहा "बड़े आए मेरी गांड मारने वाले , मेरी कड़क कुँवारी गांड को तुम्हारा लंड भेद न पाएगा"
"देखते हैं" मैने कहा
"तुम तो बस दिखाते ही रहो , करो कुछ नहीं " शिखा ने तुनक कर कहा
"तुम जब अपनी गांड फैलाओगी तब न तुम्हारी गाँड मारूँगा" मैने समझा कर कहा
"पेच कसने के लिए पेचकस को गड्ढे में घुसा कर कसना पड़ता है , न की गड्ढे को चौड़ा करना पड़ता है" उसने मुँह बनाते कहा
"इस तकनीकी ज्ञान के लिए शुक्रिया , वैसे ये लंड है मेरा लंड कोई पेचकस नहीं है और न तुम्हारी गांड की गहराई इतनी है कि मुझे पेच कस लाना पड़ जाए , इसके लिए तो मेरी उंगलियाँ ही काफ़ी है" मैने उसकी गाँड में उंगलियाँ घुसा दी

"अमन" उसने कहा "बात मेरी गांड मारने की हुई थी , गांड टटोलने की नहीं" शिखा बोली
"क्या फ़र्क पड़ता है?" मैने लापरवाही से कहा
"फ़र्क पड़ता है" उसने समझाते कहा "मेरा पेट खराब है"
"क्या?" मैने घबरा कर उंगलियाँ निकाल ली और हाथ धोने चला गया
"देखो तुम डर गये अमन" शिखा खिलखिला कर हंस पड़ी


"बात डरने की नहीं है , पूरा मूड बिगड़ सकता है" मैने उसे दबोच कर कहा
"तुम्हारा मूड तो बार बार बदलता है" शिखा पलट कर बोली
"बताने के लिए थॅंक्स , अब तुम जल्दी अपनी गाँड फैलाओ वरना मेरा मूड बदल जाएगा , मैने उसको बाएँ हाथ से पेट के बल लिटाते कहा
"अरे ज़रा धीरे , तुम्हारी उंगलियाँ चुभती हैं" उसने अपनी कमर से मेरे हाथों को अलग करते कहा
"अभी इसकी आदत डाल लो शिखा , अभी तो उंगलियाँ चुभती हैं तो इतना नखरा कर रही हो जब मेरा सोटा अंदर जाएगा तो क्या करोगी? " मैने अपने लंड पर तेल लगाते कहा .
"क्या करूँगी माने ?" शिखा ने पेट के बल लेटे लेते अपनी टाँगें हवा में चलाना शुरू कर दिया और मुझसे पूछा
"लड़कियाँ आम तौर पर एनल सेक्स के दौरान क्या करतीं हैं?"
मैने उसकी टाँगें पकड़ते कहा "मुझे क्या पता? मैने ब्लू फिल्म में तो उनको चीखते चिल्लाते देखा है और तुम क्या करोगी यह तुम जानो"
"है न ?" शिखा ने गर्दन मोड़ कर कहा "फिर इतना सोच क्या रहे हो ? गाँड्ड में अपना लौडा डालो"
"तुम अपनी टाँगें हवा में चलाना तो बंद करो, तुम्हारी गाँड तक कैसे पंहुचु ?" मैने कहा
"यह तुम जानो" उसने भाव खाते कहा
"देखो नखरा मत दिखाओ" मैने उसे चेताया
"दिखाऊँगी" उसने बेफ़िक्र हो कर कहा
मुझे गुस्सा आ गया "मैं तुम्हारा पति नहीं जो तुम्हारा नखरा बर्दाश्त करूँ "
"तो?" उसने भौहें उचका कर कहा
"तो यह लो" कह कर मैने उसे दोबारा पलटा और अपना लिंग उसकी गाँड की दरार में डाल में पूरी ताक़त के संग ठेल दिया .
"आईईईईई अमन , उफ़ नहीं" वह दर्द से चीखी
"क्यों अब मज़ाक नहीं सूझ रहा तुम्हें ?" मैने उसके बालों को खींचते कहा
"नही" उसने दर्द में किसी तरह जबाद दिया
"मैने पहले ही कहा था कि जब महारानी को मेरी नुकीली उंगलियाँ कमर में चुभती है तो गाँड में लौडा कैसे लेंगी"
मैने उसका मज़ाक उड़ाते कहा .
"आहह...तुम्हारा लौडा प्रेशर कुकर के हॅंडल की तरहचौड़ा है अमन आहह" वह दर्द से कराहती बोली
"ये लो प्रेशर कुकर का ढक्कन लगाता हूँ " कहते हुए मैने उसको पहला धक्का मारा
"आईईईईईईईई" वह चीख पड़ी , मेरा लौडा सचमुच उसकी गाँड में गहरे तक धँस कर गड़ गया
उसकी कोमल मुलायम कुंवारे गड्ढे की छुअन सेमेरा लौडा कुकुरमुत्तेकी भाँति उसकी गाँड में खिलने लगा
ज्यों ज्यों मेरा लंड उसकी गाँड़ में फैलता त्यों त्यों वह दर्द से दोहरी हो कर चिल्लाति
"आहह अमन बस करो प्लीज़" शिखा ने तकिये के कवर को अपने हाथों से मसल्ते कहा
"सॉरी शिखा" मैने कहा "तुम्हें थोड़ा दर्द सहना होगा , मुझे अब मज़ा आ रहा है" मैने बेफ़िक्र हो कर कहा
"अरे तुम्हारे मज़े के चक्कर में मेरी गाँड फट जाएगी" उसने कहा
"फटने दो , सुई धागे से सील लेना " मैने उसका मज़ाक उड़ाते कहा
"तुम ऐसे नहीं मनोगे " कहते हुए उसने एकदम से पलटी मारी , कमरे में जैसे भूकंप आ गया
मेरी आँखों के सामने एकदम से अंधेरा छा गया और लंड में तेज दर्द सा उठा.


"अमन " शिखा अपनी गर्दन को झटका देते बोली , मेरा लॅंड अभी भी पूरी ताक़त से उसकी गांद की गहराइयाँ नाप रहा था
"हूँ?"
मुझे उसका यूँ चुद्ते हुए बात करना पसंद न आया . गर्दन को झटका देते ही उसके खुले बाल चेहरे पर आ गये थे , मैं शिखा को चोद्ते वक्त उसके काले लंबे बालों को हाथों में थाम कर जी भर उनकी महक सूँघा करता था और उसने अपने बालों को जब झटका दिया तो वह रेशमी बाल मेरे हाथों से छूट कर उसके चेहरे पर लहराने लगे .

शिखा ही नहीं जितनी भी सुंदर लड़कियों या कहूँ स्त्रियों को मैने चोदा है , मुझे उनके काले लंबे घने बालों ने उनकी ओर आकर्षित किया है , किसी ने सच ही कहा है पारंपरिक साड़ी में भारतीय नारी जितनी आकर्षक लगती है उतनी और किसी में नहीं .

खैर कहानी पर आते हैं , शिखा के बालों से उठती महक मुझे मदहोश कर देती थी जिससे मैं और उत्तेजित हो जाता था और मेरा लंड फूल जाता था , लेकिन वह बार बार अपने बाल मुझसे छुड़ा रही थी , वह अपने बलों का खास ख्याल रखती थी और मैं चाहे उसके पूरे नंगे बदन पर हाथ फेर लूँ लेकिन उसे मेरा उसके बलों को पकड़ना और सूंघना गंवारा नहीं था
और मेरा मूड तो उसके बलों की खुश्बू लिए बगैर बनता नहीं था , वह इससे गुस्सा हो जाती तो मेरा लंड पकड़ कर मरोड़ देती.

इस बार भी जब मैने उसके बलों की सुगंध लेने के लिए अपनी नाक उसके सिर से टकराई तो वह भड़क ही गयी , फ़ौरन अपने घुटनों से उठते हुए बोली
"अमन कितनी बार कहा है मुझे तुम्हारा यूँ सूंघना पसंद नहीं?"
उसके यूँ एकदम झटके से उठने से मेरा नाज़ुक लंड उसकी गाँड की दीवारों से टकरा गया , मुझे संभलने तक का मौका न मिला . और लॅंड में दर्द की टीस सी उठी और मैं कराह उठा "आहह शिखा" दर्द की लहर मेरे लंड से होती हुई सीधे दिमाग़ में पंहुची .नाख़ून के इर्द गिर्द की चमड़ी छीलने और उस पर ठंडा पानी पड़ने से कैसी जलन होती है? वैसी ही तेज जलन इस वक्त मेरे लंड पर हो रही थी जो बर्दाश्त से बाहर थी
"अमन" शिखा बड़े प्यार से बोली "अब फील हुआ ? मुझे भी ऐसी ही झुन्झुलाहट होती है"
"हा हा हा" वह मेरी फ़ज़ीहत पर बड़ी बेशर्मी से हँसने लगी
"क्या चूतियापा मचा रखा है तुमने शिखा ?" मैने थोडा गुस्से से कहा , एक तो लंड की तेज़ जलन से बुरा हाल था दूसरे वह मुझे उसके बालों की खुश्बू लेने नहीं दे रही थी जिससे मैं सेक्स में इंटेरेस्ट खो रहा था और मेरा लंड की चमड़ी हवा निकले हुए गुब्बारे जैसी ढीली पड़ रही थी , उसकी चूत से तो धाराएँ निकल रहीं थी जो मेरे लंड की खुली हुई चमड़ी को और जला रही थी . शिखा की रसीली चूत का पानी मानों गंधक का तेज़ाब लग रहा था , जब लंड की चमड़ी से छूता , लगता था लंड को गर्म तेल के कड़ाहे में डाला हो.

अब तो मेरा दिमाग़ खराब हो गया था " शिखा चुद्ना है या नहीं सीधी तरह बताओ" मैने उसको सुनाते हुए कहा "मज़ाक करना है राजन के साथ करो , मैं तुम्हारा पति नहीं हूँ" मैने गुस्से से कहा
"आहाहाहा अमन " उसने अपना चूड़ियों से भरा हाथ नचा कर कहा मैं तुम्हारे घर में आ कर तुम्हारे बिस्तर पर यूँ नंगी लेटी हुई हूँ , तुम जैसे गैर मर्द से अपनी गाँड मरवा रहीं हूँ , क्या ये सुनने के लिए कि मेरा चुदने का मूड नहीं है"

"और क्या ? तुम बार बार अपने बालों को झटका क्यों दे रही हो" मैने कहा
"मुझे तुम्हारा मेरे बालों को सूंघना पसंद नहीं आता"
"क्यों? इससे मेरा मूड बनता है"
"मूड बनाने के और तरीके हैं" शिखा समझाते बोली
"वह क्या?" मैने पूछा
"मेरी चूत को प्यार से चाट कर , मेरे मम्मों को दबाओ उन्हें मस्लो और मेरी गाँड को प्यार से सहलाओ , लेकिन तुम ? तुम ऐसा कुछ भी नहीं करते" शिखा ने मुझसे शिकायत करते कहा
 



 "तुम अपना मूड बनाने की बात कह रही हो और तो तुम मेरा मूड बिगाड़ रही हो" मैने गुस्से से कहा
"अच्छा बाबा मेरी ग़लती" उसने मेरे सामने हाथ जोड़ कर कहा
सोचिए उस दृश्या को अपनी आँखों के सामने लाइए , आपकी स्वप्न सुंदरी अर्धनग्न हो कर अपने अस्त व्यस्त बालों को ले कर आपके सामने हाथ जोड़ कर आपसे संभोग करने की विनती करे तो आप क्या करेंगे?

उसके आपस में जुड़े हुए हाथों को अपने हाथों से पकड़ते हुए मैने उसकी ओर देखा , वह अपनी लाल मुलायम पतली से जीभ दांतो के बीच अपने सुर्ख गुलाबी होठों से दबाए मुस्कुरा रही थी , साफ था की वह नखरा कर रही थी .

"अब मान भी जाओ ना" उसने मुझे मनाते हुए कहा
"ऐसे नही पहले अपने कान पॅक्डो और 10 उठक बैठक लगाओ" मैने कहा
उसने अपने कान पकड़े और उठक बैठक लगाने लगी , मैने उसे बाहों में भर लिया और बेतहाशा चूमने लगा.

शिखा के साथ गुज़रे गये वह हसीन पल याद कर मैं मुस्कुरा दिया. ऐसे तो मैने कयी लड़कियों के साथ सेक्स किया था

कई बार बात तो अबॉर्षन तक आ पंहुचि थी लेकिन उन लड़कियों के साथ इन्वॉल्व्मेंट नही थी केवल जिस्म की प्यास बुझाने से मतलब था.

शिखा किसी की पत्नी थी और थोड़े पुराने ख़यालात की थी जो बाकी लड़कियों से अलग थी.
बाकी लड़कियाँ सेक्स को लेकर ज़्यादा सीरीयस नहीं थी उन्हे मिलने वेल गिफ्ट्स में ज़्यादा दिलचस्पी थी , जबकि शिखा का स्टॅंड शुरू से ही क्लियर था , उसका पति राजन बाप नही बन सकता था और मैं उसकी खूबसूरती पर रीझा हुआ था. लिहाज़ा हम मे सहमति बन गयी थी मैं उसके साथ सेक्स करता और वह भी मुझसे प्रेग्नेंट होना चाहती थी , उसके मा बनने तक मैं उसके साथ उसकी सहमति से जी भर के सेक्स कर सकता था और इसके बाद वह अपने पति के साथ एक आम ज़िंदगी गुज़ारना चाहती थी.

गाड़ी एरपोर्ट के पास पंहुच गयी थी की झटके से ब्रेक लगा . मैने ड्राइवर से पूछा "क्या हुआ ड्राइवर साहब?"
"कुछ नही जी सेक्यूरिटी चेक है" ड्राइवर ने जवाब दिया.
तभी मेरे सेल पर शिखा का फोटो फ्लॅश हुआ , वा मुझे कॉल कर रही थी. मैने फोन रिसीव किया
"हां शिखा बोलो"
"बधाई हो तुम बाप बनने वाले हो" शिखा ने मुझे खबर सुनाते कहा
"क्या?" मैने हैरत से पूछा
"हां , मेरी प्रेग्नेन्सी के रिपोर्ट्स आ गये हैं" उसने मुझे बताया "और वह पॉज़िटिव हैं" वह हंस कर बोली
"तो इसका मतलब?.." मैने उस से कुछ कहना चाहा
"हां अमन तुम मेरा मतलब ठीक समझ रहे हो वादे के मुताबिक अब हम आज के बाद नही मिल पाएँगे"
"अच्छा" मैने कुछ सोचते कहा
" लेकिन फोन रखने से पहले मैं कुछ बताना चाहूँगी" उसने मेरे मन की

बात ताड़ते हुए कहा
"वह क्या?" मैने पूछा

"आई लव यू अमन , तुमने मुझे ज़िंदगी की सबसे बड़ी खुशी दी" उसने कहा "मैं तुम्हारा अहसान कभी भूल नहीं पाऊँगी , थॅंक्स "
मेरे मन के किसी कोने में कहीं शिखा के लिए खुशी थी , लेकिन दूसरी ओर दुख भी था.. शिखा के साथ वह मेरी आख़िरी
मुलाकात थी.


===समाप्त==









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