Tuesday, December 30, 2014

raj sharma stories ट्रेन मे भाई से सुहागरात--2

raj sharma stories

ट्रेन मे भाई से सुहागरात--2 

गतान्क से आगे................... 
वो लोग जिस कॅबिन में थे वो बिकुल खाली था तो उस ने कहा कि तुम दोनो यही पे सोने अजाना, तो में ने कहा आप ही मोम से कहना कि हम दोनो यही पे सोएंगे, उस ने कहा ठीक है में तुम्हारी मोम से बात कर लूँगी, थोड़ी देर में एक स्टेशन आया हम ने चाइ पे फिर में और भाई मोम के पास आए रात के 8:30 बज चुके थे हम ने खाना खाया, फिर हम बैठे ही हुए थे कि वो लड़की उस का नाम तन्नू था वो आई और मोम से बोली आंटी बिल्लो और जस्सी को आप वाहा पे भेज दो में अकेली हूँ अपने भाई के साथ उस कॅबिन में कोई नही है तो मैं बोर हो रही हूँ हम वाहा पे बातें करेंगे फिर ये दोनो वही सो जाएगी, सुबा आजाएगी , तो मोम ने कहा ठीक है तुम लोग जाओ वही सो जाना, मेरी तो खुशी का कोई ठिकाना नही था ट्रेन में भी मुझे जुगाड़ मिल गया था, हम वाहा पे आए और हम चारो बैठ कर बातें करने लगे हम हम चारो एक दम खुल के बातें कर रहे थे तन्नू ने मुझे और मेरे भाई जस्सी को अपने भाई से अपनी चुदाई के कई किस्से सुनाए, जिस से मेरी चूत उसी वक्त लंड माँग रही थी, 

सेक्स की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी , पता ही नही चला कि कब रात के 10 बज गये हम टाइम हो चुका था कि कुछ किया जाय तो में ने तन्नू से पुछा कि केसे करना है तो उस ने कहा तुम दोनो बेहन भाई एक एक कर के बाथ रूम में जाना और वही चुदाई कर लेना, और फिर चाहो तो हम चारो एक साथ बातरूम चलेंगे क्यो कि रात में कोई बाथरूम नही आएगा तो में ने उस लड़के उस का नाम गौरव था उस से कहा कि जाओ देख कर आओ कि मेरी मोम सोई है या नही तो वो गया और आकर बताया कि मोम सो गई है, 

तो में ने तन्नू से कहा के पहले तुम गौरव के साथ कर्लो,फिर हम चले जाएँगे. फिर तन्नू और गौरव दोनो बाथरूम चले गये. पहले हम ने देखा कि हमे कोई देख तो नही रहा है वाहा पे कोई नही था तो हम दोनो भाई बेहन एक दूसरे से लिपट गये और किस करने लगे.मैने भाई को कहा के' जस्सी वो तो बाथरूम मे करके आएँगे, आजा हम यहीं बर्त पर ही जल्दी-2 कर लेते हैं".जस्सी बोला के दीदी जल्दी-2 मे क्या मज़ा आएगा,जी चाहता है सारी रात करूँ. मेने उसके गाल पर चिकोटी काट ते हुए कहा बाकी कसर घर चल कर पूरी कर लेना.अभी तो जल्दी करले.उनके सामने मुझे शरम आएगी. 

तन्नू ने बाद मे मुझे बताया था कि जैसे ही बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया गौरव अपनी बेहन के उपर टूट पड़ा और उसे पागलो की तरहा किस करने लगा, उसे भी उसका किस करना अछा लग रहा था तो उस ने भी किस का जवाब देना शुरू कर दिया, वो बार बार उसकी चुचि को दबाता जा रहा था उसे किस किए जा रहा था कभी उसकी चूत को दबाता और कभी उसकी गंद को , उसे अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था तो उस ने उसे दूर हटा दिया और जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार दिए, उसे कपड़े उतारते देख कर वो भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया, अब वो दोनो एक दम नंगे थे, तन्नू ने उस का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया उस का लंड बहुत ज़्यादा मोटा लंबा था , और फिर उसने तन्नू को किस करना शुरू कर दिया,तन्नू भी उसे बेतहाशा किस किए जा रही थी उस ने किस करते हुए अपने हाथ मे गौरव के लंड को लेकर सहलाने लगी. फिर उसके भाई ने उसा घोड़ी बना कर खूब चोदा. 
इधर मुझे भी बड़ा मज़ा आरहा था काफ़ी देर तक मैं और जस्सी किस करते रहे, उसी बीच में एक बार झाड़ भी गई थी, 

फिर जस्सी ने मुझे लंड चूसने को कहा में वही बैठ गई और उस का लंड चूसने लगी, थोड़ी ही देर में उस ने मेरे सिर को ज़ोर से अपने लंड पे दबा लिया में समझ गई की इस का पानी निकलने वाला है, और उसी टाइम उस के लंड का पानी निकल कर सीधे मेरे मूह में गया में ने भी सारा पानी पी लिया एक बूँद भी नीचे नही गिरने दिया ,आख़िर भाई के लंड से निकला अमृत जो था. फिर उस ने अपना लंड मेरे मूह से निकालना चाहा मगर में ने नही निकाला में उस के लंड को अपने मूह में भरी रही ,जी चाहता था के सारी उमर यूही लंड को मूह मे लिए रहू.मगर उस ने ज़ोर लगा कर अपने लंड निकाल लिया, और अपने कपड़े पहनने लगा मुझे अच्छा नही लगा , 

में ने तुरंत ही उसे किस करना शुरू कर दिया जिस से वो दोबारा जोश में आगेया , और एक बार फिर से उस का लंड खड़ा होगया, हम थोड़ी देर तक किस करते रहे फिर, उस ने अपना लंड मेरी चूत में सटा दिया मगर में ने उसे हटा दिया तो उस ने कहा क्या हुआ में ने कहा नही अभी चूत नही अभी तुम मेरी गांद ही मार लो तो भाई मेरे पिच्छवाड़े पे हाथ फेरने लगा.मे उनकी तरफ देख कर मुस्कुराइ , दोनो तरफ फिर चिंगारी भड़क चुकी थी.मे बेबस हो कर बर्त पर पेट के बल लेट गयी और अपने घुटनो के बल होकर अपने चूतर हवा मे उठा चौपाया बन गयी.मेरे गोल मटोल गोरे गोरे चूतर भाई की आँखों के सामने लहरा रहे थे. 

भाई से रहा नही गया और झुक कर चूतर को दन्तो से कस कर काट लिया. भाई पिछे हो कर चूत के साथ साथ गांद पे भी जीभ फेरने लगा तो सारा बदन एक नयी लज़्ज़त से रोशन हो गया.मेने कूल्हे और उँचे कर लिए. भाई जैसे ही मेरे उपर चढ़ा तो लंड का सूपड़ा सीधा गांद पे जा लगा. फिर भाई ने मेरे चूतर को दोनो हाथों से पकड़ कर ज़ोर का धक्का लगाया और भाई का सुपरा मेरी गंद की छेद मे चला गया. मेरी कसी गंद ने भाई के लंड के सुपरे को जाकड़ लिया. मुझे थोडा दर्द हुआ. भाई ने दोबारा धक्का दिया और मेरी गंद को फड़ता हुआ भाई का आधा लंड गंद मे दाखिल हो गया. मे ज़ोर से चीख उठी, “उईइ मा, दुख़्ता है मेरे राजा.” पर भाई ने मेरी चीख पर कोई ध्यान नही दिया और लंड थोड़ा पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगाया. भाई का 9” का लंड मेरी गंद को चौड़ा हुआ पूरा का पूरा अंदर दाखिल हो गया. मे फिर चीख उठी. 

मैं बार बार अपनी कमर को हिला हिला कर भाई के लंड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी. भाई ने आगे को झुक कर मेरी चूंची को पकड़ लिया और उन्हे सहलाने लगा.भाई मेरी गर्दन और गालों की चुम्मियाँ ले रहा था. लंड अभी भी पूरा का पूरा मेरी गंद के अंदर था. कुछ देर बाद मेरी गंद मे लंड डाले डाले मेरी चूंची को सहलाता रहा. जब मे कुच्छ नॉर्मल हुए तो अपने चूतर हिला कर बोली, “चलो राजा अब ठीक है.” मेरा सिग्नल पाकर भाई ने दोबारा सीधे होकर मेरे चूतर पकड़ कर धीरे-धीरे कमर हिला अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया. मेरी गंद बहुत ही टाइट थी. भाई को चोदने मे बड़ा मज़ा आ रहा था. 

अब मे भी अपना दर्द भूल कर सिसकारी भरते हुए मज़ा लेने लगी. मेने अपनी एक उंगली चूत मे डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया. मेरी मस्ती देख कर भाई भी जोश मे आ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. भाई का लंड अब पूरी तेज़ी से मेरी गंद मे अंदर-बाहर हो रहा था. मे भी पूरी तेज़ी से कमर आगे पीछे करके भाई के लंड का मज़ा ले रही थी. लंड ऐसे अंदर-बाहर हो रहा था मानो एंजिन का पिस्टन. पूरी कॅबिन मे चुदाई की ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थी. जब मेरे थिरकते हुए चूतर से भाई के अंडकोष टकराते थे तो लगता कोई तबलची तबले पर ठप दे रहा हो. मे पूरी जोश मे पूरी तेज़ी से चूत मे उंगली अंदर-बाहर करती हुई सिसकारी भर कर भाई से गांद मरवा रही थी. 

हम दोनो ही पसीने पसीने हो गयी थे पर कोई भी रुकने का नाम नही ले रहा था. मे भाई को बार बार ललकार रही थी, “चोद लो मेरे राजा चोद लो अपनी बेहन की गंद. आज फाड़ डालो इससे. शाबाश मेरे साजन, और ज़ोर से राज्ज्जा और ज़ोर से. फाड़ डाली तुमने मेरी तो.” भाई भी हुमच हुमच कर शॉट लगा रहा था. पूरा का पूरा लंड बाहर खीच कर झटके से अंदर डालता तो मेरी चीख निकल जाती. भाई का लावा अब निकलने वाला था. उधेर मे भी अपनी मंज़िल के पास थी. तभी भाई ने एक झटके से लंड मेरी गांद मे जड़ तक धंसा दिया. भाई मेरे बदन को पूरी तरह अपनी बाहों मे समेत कर दनादन शॉट लगाने लगा. मे भी सम्हल कर ज़ोर ज़ोर से आह उहह करती हुई चूतर आगे-पीछे करके अपनी गांद मे भाई का लंड लेने लगी. हम दोनो की सांस फूल रही थी. आख़िर भाई का ज्वाला मुखी फुट पड़ा और भाई मेरी पीठ से चिपक कर मेरी गांद मे झाड़ गया. मे भी झड़ने को थी और चीख़्ती हुई झाड़ गयी. 

तन्नू और गौरव के आने से पहले ही हमने कपड़े पहन लिए, मेने तन्नू से मज़ाक करते हुए कहा क्या बात है काफ़ी टाइम लगा दिया, कितने स्वाद लिए? तन्नू ने भी कहा के एक बार मूह में और एक बार गांद में तो मेने कहा अरे चूत में नही उसने कहा के अभी टाइम है हर जगह पे चुदवाउन्गि, फिर हम बैठ कर बातें करने लगे,और फिर थोड़ी देर बाद गौरव और जस्सी का फिर से मूड बन गया, गौरव ने तन्नू को बाहों मे भरते हुए कहा क यार अब हमारे बीच क्या परदा और हम अपने-2 भाई की बाहों मे समा गयी.अब की बार हम शरमाये नही और उनके सामने ही किस करने लगे. 

उन्हे हमारी सुध कहाँ थी,मेने देखा के गौरव का लंड तन्नू की चूत मे समा चुका है.लगता था कि वो इसके पहले ही आदि थे.तन्नू बड़े मज़े से ताल से ताल मिला कर अपने भाई से चुदवा रही थी,मुझे तो डर भी लग रहा था कि पता नही भाई का मोटा लंड मेरी कुँवारी चूत झेल पाएगी या नही .मेरी पहली रात थी,फिर भी उनकी चुदाई को देख कर मे रुक ना सकी और तकिये पे पुराना कपड़ा डाल कर अपने चूतड़ टिकाए और भाई को अपने ऊपेर खींच लिया.जस्सी ने मोटे लंड का गरम सूपड़ा जैसे ही मेरी चूत पर लगाया,मेरी तो एईद हो गयी.मेने नीचे से चूतड़ उच्छाले तो गॅप से लंड का सूपड़ा योनि को चौड़ा करता हुआ अंदर चला गया.मेने बाहों का घेरा भाई पर कस दिया तो भाई ने एक जोरदार घस्सा मारा, कपड़ा फटने जैसी आवाज़ हुई और उनके अंडकोष मेरी गांद से आ लगे.चूत को फाड़ कर लंड मेरी नाभि से टकरा रहा था. बर्त पर ही जोरदार चुदाई शुरू हो गयी.भाई के धक्के तेज होते गये और जल्दी ही मे भी ताल से ताल मिलाने लगी.ट्रेन के हिचकोलो के साथ कॅबिन मे फ़च फ़च..पाट..पाट..की आवाज़ें गूँज रही थी.दो भाई और दो बहने स्वर्ग मे गोते लगा रहे थे. 

मुझे तो लग रहा था के जैसे ये मेरी सुहागरात है.जब भाई का गरम गरम वीर्य मेरे गरभ मे गिर रहा था तो मे तीसरी बार झाड़ रही थी.जब सखलन का नशा उतरा तो हमारा ध्यान दूसरी तरफ गया.वो लड़का अपनी बेहन को घोड़ी बना कर चोद रहा था और उसकी बेहन भी मज़े से आँख बंद करके गपा गॅप पिछे से भाई का लंड डलवा रही थी.ये नज़ारा देख कर हमने एक दूजे को देखा और भाई का इशारा समझ कर मैं घूम कर झुक गई. उस ने अपना लंड पिछे से मेरी चूत में डाल दिया .लंड मोटा था इस लिए एक बार चूत मरवाने के बाद भी आराम से चूत में नही गया, और मुझे काफ़ी दर्द हो रहा था,पर भाई का दिया हुआ दर्द था जो कि बहुत मीठा लग रहा था. 

फिर उस ने चूत मे शॉट लगाने शुरू किए. उस के हर घस्से पे में आसमान की सेर कर रही थी .करीब 10 मिंट तक उस ने मेरी चूत की चुदाई की , इस दौरान मे दो बार फिर से झाड़ चुकी थी. फिर भाई की रफ़्तार बढ़ गई में समझ गई कि इस का पानी निकलने वाला है तो में ने उस का लंड अपनी चूत से निकाल कर मूह में भर लिया और एक बार फिर उस का पानी मेरे मूह में गिरा, इस तरहा से चलती ट्रेन में चुदवाने का मज़ा ही कुछ और था,वो भी अपने सगे भाई से. 

कभी चूत तो कभी गांद हम दोनो जोड़े सारी रात चुदाई मे लगे रहे.सुबह होने पर हम बेहन भाई मम्मी के पास आकर ऐसे बैठ गये जैसे कुच्छ हुआ ही ना हो.पर मेरी उलझी लतें और चेहरा पे खुशी का नूर तो सब कुच्छ बता रहा था.सारी रात की किस्सिंग से मेरे होंठ भी कुच्छ सूज से गये थे.जस्सी मेरे पास मे बैठ कर फिर मुझे छेड़ने लगा तो मेने धीरे से उसके कान मे कहा के क्या कर रहे हो, मा देख लेगी,सारी रात तो सोने नही दिया,थोड़ा सा सबर भी नही होता, घर चल कर दे दूँगी".और ये सिलसिला अब रुकने का नाम नही ले रहा है.हम एक दूजे के बिना नही रह सकते. तो कैसी लगी ये कहानी जरूर बताना दोस्तों फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त 














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raj sharma stories ट्रेन मे भाई से सुहागरात--1

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ट्रेन मे भाई से सुहागरात--1 



मेरा नाम बलविंदर कौर है और घर वाले प्यार से मुझे बिल्लो कहते हैं.भाई का नाम जसविंदर है और हम उसा जस्सी कह कर पुकारते हैं. 
मोम को देल्ही में कुछ ज़रूरी काम था और वो जम्मूतवी ट्रेन से देल्ही जा रही थी..घूमने के बहाने भाई मोम के साथ हो लिया तो मैं भी जाने की ज़िद करने लगी तो मोम मान गयी.दर असल जो मज़ा आजकल मुझे भाई की छेड़ खानी मे आ रहा था उस से मैं महरूम रह जाती.ज़रा सा मौका मिलते ही भाई कभी मेरी चुचि दबा देता तो कभी चुम्मा ले लेता था. 

हम नकली लड़ाई भी लड़ते रहते थे जिसमे कभी वो मेरे उप्पर चढ़ कर फ्रॉक हटा कर मेरी गांद मे लंड गढ़ाता और चुचियाँ मसलता तो कभी मैं उसके लंड को भींच देती.जवानी मे कदम रखते ही मज़ा आ रहा था.इसी मज़े की मारी मैं भाई और मोम के साथ चल पड़ी.मज़े की सुरुआत भाई ने ट्रेन मे चढ़ते टाइम ही मुझे सहारा देने के बहाने मेरी चुचि दबा कर की.सफ़र का पूरा लुतफ उठाने के लिए मेने ब्रा पहनी ही नही थी. फिर भाई ने मेरी गांद पे भी चिकोटी काट ली.मेने गांद को सहलाते हुए भाई को एक हल्का सा मुक्का मारा.मोम हमारे आगे थी इसलिए उन्हे कुच्छ पता नही था कि पिछे उनके लाड़ले बेटा बेटी क्या गुल खिला रहे हैं. हम एसी-2 के कॅबिन के अंदर दाखिल हो गये ....प्राइवसी के लिए भाई ने पर्दे खींच दिए.यहा से 3 बजे के करीब ट्रेन चली . 

मोम ने नीचे की बर्त पे पसरते हुए कहा क मुझे रेस्ट करने दो, तुम उपर की बर्त पे चले जाओ.भाई ने वहीं खड़े हो कर टवल लपेट कर जीन्स उतारी और सफ़र के लिए एलास्टिक वाला पायज़मा पहन लिया.मेने गौर किया कि जीन्स के साथ भाई ने अंडरवेर भी उतार दिया था...मुझे लगा कि आज तो मुआ चोद के ही मानेगा.ये सोच कर ही मेरी चूत गिल्ली हो गयी.मेने मोम को सुनाते हुए भाई से कहा कि वीर जी थोरी देर के लिए कॅबिन से बाहर जाओ, मेने भी कपड़े चेंज करने हैं. 

मोम बीच मे बोल पड़ी "अरी अब कहाँ जाएगा ये, बेटे जस्सी उधर मूह फेर ले..बिल्लो कपड़े चेंज कर लेगी.भाई ने दूसरी तरफ मूह कर लिया.मैं सलवार उतारने लगी लेकिन गोल गाँठ लगने की वजह से मेरी सलवार का नारा नही खुला तो मैं मोम के नज़दीक गयी और नारा खोलने की रिक्वेस्ट की .मोम ने मूह से खोलने की नाकाम कोशिश की और थक हार कर लेट गयी और जस्सी से बोली कि बेटे तेरे दाँत मजबूत हैं,बिल्लो का नारा खोल दे.मैं बोल पड़ी...क्या भैया से ? मोम मेरी बात को अनसुना करके बोली कि कल तक तो तुम्हे इकट्ठा नहलाती थी अब इतना शरमाती है, और जस्सी को कहा कि बेटे नारा खोलते टाइम तुम आँखें बंद कर लेना,और बिल्लो अगर तुम्हे ज़्यादा शरम आए तो तू भी आँखे बंद कर लेना,अब मुझे रेस्ट करने दो. मेने देखा कि भाई की नज़र मेरे सलवार के नारे पे थी जिसे मैं अभी भी हाथ से पकड़े हुए थी. भाई ललचाई नज़रो से मुझे देखते हुए सामने के बर्त पे बैठ गया. 

मेने देखा कि मोम ने भी दूसरी तरफ मूह फेर लिया था.मैं शरमाती सी आगे बढ़ी और सलवार के नारे का सिरा भाई को पकड़ा दिया और शर्ट को चुचिओ तक उपर उठा दिया.भाई ने एक हाथ मेरे हेवी चूतड़ पे रखा और मेरी नाभि को चूम लिया.फिर भाई जीभ नाभि मे डाल कर घुमाने लगा.मेरे सारे बदन मे करेंट सा दौड़ने लगा.फिर भाई दांतो से सलवार का नारा खोलने लगा और जल्दी ही सलवार खुल कर मेरे पैरों मे जा गिरी.भाई ने तेज़ी से मेरी चढ्ढि नीचे खिसका दी और दोनो हाथ मेरे चूतदों पे लगा कर मेरी फूली हुई चूत का चुम्मा ले लिया. 

आज सवेरे ही मेने चूत को साबुन की तरह चिकना बनाया था.मेने मूड कर मोम को देखा, वो अभी भी दूसरी तरफ मूह करके लेटी हुई थी .जब भाई ने चूत पे जीभ फेरना शुरू किया तो मेने मूह पे हाथ रख के सिसकारी को रोका. मेने भाई को कंधा पकड़ कर हिलाया, उसने मेरी तरफ देखा तो मेने उपर वाली बर्त पे चलने का इशारा किया.फिर मेने भी चढ्ढि और शर्ट उतार कर नाइटी पहन ली, ब्रा तो मे पहले ही उतार कर चली थी.मोम ने हमारी तरफ देखे बगैर ही पुछा " बेटी नारा खुल गया क्या ?".मेने कहा कि हाँ मम्मी मेने कपड़े भी बदल लिए हैं.मोम बोली कि अच्छा बेटी, अब तुम भी रेस्ट कर लो". मैं बोली कि मम्मी हम उपर वाले बर्त पे लेट जाते हैं . मोम ने कहा कि ठीक है बेटा, जहाँ तुम्हारा दिल करे , सारे कॅबिन मे हम तीन ही तो हैं.मोम के ठीक उपर वाली बर्त पे पहले मैं उपर चढ़ि तो भाई ने दोनो हाथों से मेरे कूल्हे पकड़े और मेरे चूतदों के बीच मूह गढ़ा कर मुझे उपर चढ़ाया.फिर भाई भी उपर आगाया और साथ लेट कर मुझे बाहों मे भर लिया. 

मैं डरती हुई भाई के कान मे फुस्फुसाइ "भैया कहीं मम्मी ने देख लिया तो? भाई मेरे कान से मूह लगा कर धीमी आवाज़ मे बोला " मम्मी हमारे ठीक नीचे वाली बर्त पे आँख बंद करके लेटी हुई है, उसे हम नज़र नही आएँगे."फिर तो हम एक दूजे से लिपट गये, हमारे होंठ जुड़ गये.मेने भाई के मूह मे जीभ डाल दी तो भाई भी मेरी जीभ चूस्ते हुए नाइटी के अंदर हाथ डाल कर मेरी चुचि दबाने लगा.उमड़ता हुआ तूफान चूत की तरफ इक्कथा हो रहा था.भाई का लंड खड़ा होकर मेरी चूत पे गाढ़ने लगा.मेने भाई का पायज़मा नीचे खिसका दिया और गरम मोटे लॉड को हाथ मे ले लिया.भाई ने भी मेरी नाइटी उपर सरका दी और मेरी चूत को मुति मे भींच दिया.मैं फुर्ती के साथ नाइटी कमर तक उठा कर भाई के उपर इस तरह हो गयी कि उसका लंड मेरे मूह के पास था और मेरी चूत उनके मूह पर. 

मेने मोटे लंड का सूपड़ा चाटना शुरू किया तो भाई भी जीभ निकाल कर मेरी चूत को चाटने लगा..फिर मैं लौदे को गले तक निगल कर मूह को उपर नीचे करने लगी तो भाई भी चूत के टींट से लेकर गांद के छेद तक चाटने लगा.सफ़र का बड़ा मज़ा अरहा था.मे 2 मिनिट मे ही खलास हो गयी.भाई चूत से निकला सारा कुँवारा अमृत पी गया.थोड़ी देर की सुस्ती के बाद मे फिर लंड को चूसने लगी क्योकि भाई अभी नही झाड़ा था.भाई की जीभ ने फिर कमाल दिखाना शुरू कर दिया...जीभ की नोक चूत के टिंट को गिट्टार बजाने की तरह छेड़ रही थी.मैं दुबारा झड़ने लगी तो भाई ने भी नीचे से झटका सा मारा और लंड के पानी की तेज बोच्चरें मेरे गले से टकरा कर नीचे उतरने लगी. लंड को दबा दबा कर मैं आखरी बूँद तक चाट गयी. थोड़ी देर के बाद मैं सुसू करने के लिया गई. आगे के कॅबिन में एक स्मार्ट लड़का था . 

उस ने मुझे देखा में ने भी उसे देखा और फिर में टाय्लेट चली गई, वो भी टाय्लेट के बाहर आ कर खड़ा हो गया, मैं जैसे ही निकली उस ने मुझ से पुछा आप कहा जा रही हो तो में ने बताया कि में अपनी मोम और भाई के साथ देल्ही जा रही हूँ, मैं वही खड़ी होकर उस से बातें करने लगी , उस ने बताया कि वो अपनी सिस्टर को लेकर देल्ही जा रहा है फिर मैं उस की सीट पे बैठ गई और उस की सिस्टर से बातें करने लगी , में ने ध्यान दिया कि वो लड़का बार बार मेरी चुचि की तरफ देख रहा है, में ने भी उसे छूट देदी और अपना दुपट्टा थोड़ा नीचे कर दिया , फिर में ने कहा कि मैं अपनी मोम और भाई से कह कर आती हूँ कि में यहा बैठी हूँ नही तो मोम परेशान होगी, और मैं अपनी मोम के पास चली गई और जा कर कहा कि मेरी एक फ्रेंड मिल गई है मैं उसी के पास बैठने जा रही हूँ, मोम ने कहा ठीक है तुम भैया के साथ चली जाओ, ट्रेन करीब करीब खाली ही थी कुछ ज़्यादा लोग नही थे , मेरा भाई भी मेरे साथ आगेया, मेरा भाई और मैं दोनो ही मिलन के लिए मरे जा रहे थे.. 

ख़ासकर मेरा दिल तो बस भाई से चुदाई के लिए तड़फ़ रहा था .पर हम आपस मे शरमाते थे.यह अलग बात है के वो भाई का प्यार दिखाने के लिए मुझे बाहों मे भर लेता,मेरे गाल का चूमा ले लेता और कई बार मेरे चूतादो पर चिकोटी भी काट लेता पर चुदाई के अरमान हम दोनो के दिल मे ही थे.आज हम बहुत आगे बढ़ चुके थे.मुझे इस बात का पूरा अहसास था कि भाई आज मेरी ज़रूर लेगा . ये तो हम जानते थे के एक बार बस शुरुआत हो गई तो फिर हम सारी कसर निकाल देंगे.एक दूसरे से पहल करने की उम्मीद लगाए बैठे थे. हम वाहा पे बैठ कर बातें करने लगे तो मेरे भाई ने मेरे कान मे कहा कि दीदी वो लड़का तुम्हारी चुचि को देख रहा है तो में ने कहा हां मुझे मालूम है इसी लिए तो दिखा रही हूँ ,तुम भी उसकी बेहन को अपना निकाल कर दिखा दो. 

हम बातें करते रहे फिर उस लड़के की सिस्टर को सुसू लगी और वो सुसू करने चली गई, मुझे मोका मिल गया, और में ने उस लड़के से बात करना शुरू कर दिया उस ने एक किताब ली हुई थी, हम ने अभी बातें शुरू ही की थी कि उस की सिस्टर वापिस आगाई, और वो उठ कर जाने लगा तो में ने पुछा आप कहा जा रहे हो तो उस ने कहा में बाथरूम जा रहा हूँ तो में ने कहा कि ज़रा ये बुक देते जाए तो उस ने कहा नही में ये बुक नही दे सकता, में समझ गई कि ये कॉन सी बुक है, फिर भी मैने उस के हाथ से बुक लेने की कोशिश की और कहा प्ल्ज़ बुक दीजिए ना जब आप आओगे तो मैं बुक दे दूँगी और झटके से बुक मेरे हाथ में आगाई , मालूम नही उस ने क्या सोचा और चुप चाप वाहा से चला गया जब में ने बुक खोला तो उस के अंदर एक बुक थी, जब में ने उस बुक को खोला तो मेरे शक सही निकला वो एक सेक्सी स्टोरी की बुक थी. मैं और मेरा भाई दोनो ही उस बुक को पढ़ने लगे हम ने थोड़ी देर में ही सारी स्टोरी पढ़ ली,स्टोरी भाई बेहन की चुदाई की थी.मेने उस लड़की से पुछा के तुम्हे पता है के तुम्हारा भाई कैसी किताब पढ़ता है तो उसने कहा इसमे हैरानी की क्या बात है,हम तो अक्सर दोनो इकट्ठे पढ़ते हैं . आजकल तो भाई बेहन का लव अफेर आम बात है.क्या तुम अपने भाई से प्यार नही करती?" 

मेने कहा के प्यार तो हम भी आपस मे करते हैं पर ये किताब वाला प्यार नही. इस पर वो बोली के" इसका मतलब है के असली स्वाद तो तुमने अभी चखा ही नही है, गरम पानी से घर नही जला करते, आग मे डूब कर देखो"और फिर बुक को हाथ में लेकर बैठ गई थोड़ी देर में वो लड़का वापिस आया, तो में ने उसे बुक देते हुए कहा इस बुक की कहानी बहुत अच्छी है , इसी बीच उस की सिस्टर उपर के बर्थ पे सोने चली गई, जब में ने उस से उस बुक की तारीफ की तो वो समझ गया कि लाइन क्लियर है, तो उस ने मुझ से धीरे से कहा कि अगर आप अपने भाई को जाने को कहो तो में एक और बुक देता हूँ उस में इस से भी अच्छी कहानी है तो में ने उस से कहा कि कोई बात नही है मेरा भाई और में एक दम दोस्त की तरहा है आप हमे बुक दो हम साथ में पढ़ेंगे, तो उस ने इशारे से पुछा की बुक पढ़ने दूँगा तो कोई फ़ायदा होगा क्या? 

तो में ने भी कह दिया रात होने दो कुछ ना कुछ तो फ़ायदा दिलाउन्गि, इस पर उस ने कहा कि तुम अपने भाई से खुली हो तो उसे भी कुछ फ़ायदा होगा, तो में ने अपने भाई से कहा क्यू तुम्हे इस से कुछ फ़ायदा होगा और आँख मार दी तो मेरा भाई ने मेरी चुचि अपने हाथ से दबाते हुए कहा हां होगा, इस पर वो खुश हो गया और अपने बॅग से एक बुक निकाल कर दिया वो रंगीन बुक थी उस में एक से बढ़ कर एक फोटो और कई कहानिया थी मेने उस से कहा कि में बुक लेकर अपनी मोम के पास जा रही हूँ क्योंकि अगर वो यहा पे आगाई तो ग़लत समझेंगी तुम थोड़ी देर बाद अपनी सिस्टर को मेरे पास भेजना वो मुझे बुलाकर यहा पे ले कर आएगी तब तक रात भी हो जाएगी और फिर हम सब को फ़ायदा हो जाएगा.इस पर उस ने कहा ठीक है में ऐसा ही करूँगा, फिर में और मेरा भाई वो बुक लेकर मोम के पास आए, और फिर में उपर के बर्त पे चली गई और उस में रंगीन फोटो देखने लगी, थोड़ी देर में भाई भी उपर आया और मेरे साथ फोटो देखने लगा और मेरी चुचि दबाने लगा, में फोटो देख कर काफ़ी हॉट हो चुकी थी, में ने अपने भाई का हाथ पकड़ कर सलवार के नारे पर रख दिया.वो समझ गया और धीरे से मेरी सलवार का नारा खोल कर मेरी बाल रहित योनि के ऊपेर हथेली रख दी. 

तवा गरम हो चुका था. मेने उसकी हथेली को अपनी चूत के ऊपेर दबाया तो वो मेरी चूत को मुति मे भरने लगा ,फिर चूत मे उंगली करने लगा और मेने भी आहिस्ता से उसका पयज़ामा खोल कर विकराल लंड को थाम लिया. हाए कितना मोटा और गरम था.मेरे बदन मे मज़े की मद होशी सी छाने लगी.मेने एक बार नीचे झाँक कर देखा, मोम हमारी बर्त के बिल्कुल नीचे आँखें बंद किए लेटी हुई थी.बेफिकर हो कर मेने भाई के लंड का चुम्मा लिया.

मैं लंड को मूह मे भरने लगी तो कुच्छ आहट सी हुई.सर उठा कर देखा तो उस लड़के की बहेन थी .वो मेरी मोम से मिली थोड़ी देर बाद उस ने मुझ से कहा चलो ना वही पे बैठते है तो मेरी मोम ने कहा की हां हां तुम लोग जाओ अपनी फ्रेंड के साथ , भाई को भी साथ ले जाओ मगर जल्दी अजाना और खाना खा लेने फिर खाना खा के चली जाना, हम ने कहा ठीक है, मगर जब हम वाहा पे गये तो वो लड़का वही पे बैठा था उस ने अपनी सिस्टर को थॅंक्स कहा , और फिर हम बातें करने लगे, बातो बातो में पता चला कि वो दोनो सगे भाई बहेन है मगर वो भी आपस में चुदाई का मज़ा लेते है, उस लड़की ने मुझ से खुल कर कहा कि "घर पे कई दिन से मौका नही मिल रहा था,मैं आज मेरे भाई से चुदवाउन्गि, मुझे खुशी हुई कि अब कोई डर नही है हम आराम से चुदाई का मज़ा ट्रेन में भी ले सकते हैं, 
क्रमशः........................
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FUN-MAZA-MASTI मेरी पड़ोसनें-2

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मेरी पड़ोसनें-2



मेरी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं लखनऊ के पास एक शहर में रहने लगा। वहाँ जिस घर में मैं रहता था, उसी घर में एक भाभी रहती थीं।
उनका नाम मोहिनी था, उनके पति होम-गार्ड में थे। वो सुबह एक स्कूल में सुरक्षा का काम करते और रात में एक अपार्ट्मेंट में यही काम करते थे।
मोहिनी भाभी मुझसे कभी-कभी बातें किया करती थीं, पर अभी तक कोई उनसे मेरी कोई भी कामोत्तेजक बात नहीं हुई थी।
एक दिन मैंने उनसे बोला- आप अपना नम्बर दे दो।
तो उसने झट से बोल दिया- क्या करने वाले हो नम्बर लेकर?
तो मेरे मुँह से अचानक से निकल गया- पेलूँगा..
वो शर्मा गई या पता नहीं गुस्सा हो गई, मुझे नहीं पता और मैं बहुत डर भी गया था।
फिर शाम को मैं पेशाब करने गया।
मेरा बाथरूम उसके कमरे के पास ही था।
तब मैंने उसे देखा कि वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही हैं।
मेरी तो ख़ुशी का ठिकाना ही न था।
मैंने उससे नम्बर माँगा.. उसने भी दे दिया।
फिर मैंने अपने कमरे में आकर उसे फ़ोन किया और उससे बातें कीं और बातों के दौरान ही उससे बोल दिया- रात में 12 बजे दरवाजा खोलना.. मैं आऊँगा।
दोस्तो, क्या बताऊँ.. आपको, वो क्या लग रही थी.. उसने जब अपने कपड़े उतारे मेरा लन्ड तो उसे देखते ही खड़ा हो गया।
फिर मैंने उसकी चूत में उंगली की.. पहले एक ऊँगली.. फिर दो ऊँगलियाँ डालीं, वो सिसकारियाँ लेने लगी थी।
फ़िर मैंने अपना लन्ड उसके मुँह में डाल दिया।
वो बोली- मुझे लन्ड पीना अच्छा नहीं लगता।
फ़िर मैंने उसकी चूत चाटी और अपना लन्ड उसकी चूत में पेल दिया। उसकी चूत ज्यादा कसी तो नहीं थी, पर ठीक थी।
मैं उसे धकाधक पेल रहा था और वो अपने चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी।
हमारी साँसें तेजी से चल रही थीं। मुझे डर लग रहा था कि उसके बच्चे न जग जाएँ.. उसके 3 बच्चे थे।
करीब 15 मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। फिर मैं 69 की अवस्था में लेट गया।
अब वो मेरा लन्ड चूसने लगी थी और मैं उसकी चूत चाट रहा था बहुत मजा आ रहा था।
फिर मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा, तो उसने गान्ड मरवाने से मना कर दिया।
फिर मैंने कहा- मैं आराम से धीरे-धीरे तुम्हारी गान्ड मारूँगा।
तो वो मान गई, फिर क्या था… मैंने अपना लन्ड उसकी गान्ड पर रखा थोड़ा थूक लगाया और पेल दिया..
वो दर्द से कराहने लगी- उईउऊ…
मेरे पूछने पर उसने बताया- तुम्हारे भैया ने कभी मेरी गान्ड नहीं मारी.. इसलिए बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने उससे कहा- थोड़ी देर में गुदगुदी होने लगेगी और बहुत मजा आएगा।
तो वो मान गई… फिर मैंने उसकी गान्ड में थोड़ा नारियल का तेल डाला और उसे ऊँगली से अन्दर करने लगा।
दोस्तों उसकी गान्ड इतनी कसी थी कि मेरी ऊँगली भी नहीं जा रही थी। फिर मैंने अपना लन्ड थोड़ा हिलाया और उसकी गान्ड में डाल दिया।
पहले तो धीरे-धीरे किया, फिर जोर-जोर से गान्ड मारना शुरू कर दिया।
उसे मजा आने लगा, मैं और जोर से उसकी गान्ड मारने लगा।
मेरी सांसें चलने लगीं, फिर भी मैं इतना उतावला हो गया कि उसे पेलता ही जा रहा था, मेरा बीज गिरने का नाम ही नहीं ले रहा था।
करीब 35 मिनट बाद मेरा बीज निकला तो उसका पूरी गान्ड भर गई थी और माल बाहर निकल रहा था।
उस रात हमने बहुत मजे किए।
सुबह होने वाली थी सो मैं अपने कमरे में चला गया।उस दिन दोपहर को नींद खुली तो देखा भैया ड्यूटी जा रहे थे।
मुझे मोहिनी भाभी के पास जाने में शर्म आ रही थी, पर उसने ही आकर पूछ लिया- कल मजा आया था न?
मैंने शर्माते हुए बोल दिया- हाँ…
अगले दिन वो अपनी सहेली के पास मुझे ले गई, उसका नाम किरन था। उस दिन मैंने दो कामोत्तेजक कैप्सूल खा लिए थे क्योंकि उसी ने बोला था कि कल मेरी सहेली के पास चलना है.. वहीं मजा करेंगे।
अब मैं ठहरा लड़का जात, मैंने सोचा उसकी सहेली देखती थोड़े ही रहेगी वो भी तो चुदवाएगी.. सो मैंने कैप्सूल खा लिए थे।
जब हम वहाँ पहुँचे तो मैंने मोहिनी की सहेली को देखा.. क्या कमाल का माल लग रही थी.. वो एकदम सुडौल आर चिकनी चमेली थी।
मेरा तो मन किया कि अभी पहले इसे चोद दूँ.. पर वहाँ मोहिनी भाभी थीं इसलिए मैं शांत होकर बैठ गया।
फिर हम एक कमरे में गए… मोहिनी ने अपने और मेरे कपड़े उतारे।
वो शर्मा रही थीं क्योंकि अभी तक हमने अँधेरे में चुदाई की थी, पर वहाँ दोपहर होने से खूब उजाला था।
वो कभी अपना चेहरा हाथों से ढकती तो कभी चूत।
फिर मैंने बोला- भाभी अब तुम शर्माओ मत.. मैंने तुम्हारा सब कुछ तो देख लिया है।
मैं कैप्सूल खा कर तैयार था। मेरा लन्ड खड़ा था, सो मैंने जरा सी भी देरी नहीं की और पेलना शुरू कर दिया।
उसकी चूत सूखी हुई थी इस लिए लन्ड डालते ही मेरी जान निकल गई।
मुझे बहुत दर्द हुआ।
फिर 2-4 झटकों के बाद चूत गीली हुई.. अब मजा आने लगा।
वो अपनी चूत उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी और चुदाई के स्वर्ग का मजा लेने लगी।
वो बोल रही थी, “तुम्हारे भैया ने तो कभी ऐसा नहीं पेला.. तुम मुझे आज खुश कर दो.. मैं तुम्हारी हो जाऊँगी।
मैं धक्का लगाए जा रहा था.. हम दोनों की साँसें बहुत तेज हो गई थीं। मैं कभी उसकी चूचियां पीता… तो कभी उसके कंधों पर दांत गाढ़ता.. तो कभी होंठ चूसता.. तो कभी उसके गाल पर कट्टू करता।
दोस्तो, मानो जैसे मुझमें चुदाई का भूत सवार हो गया हो और वो तो पहले से ही बेहाल थी।
करीब 45 मिनट बाद मेरा बीज उसकी चूत में ही गिर गया।
तब उसने मुझसे पूछा- तुमने कोई दवा खाई है क्या..? इतनी देर तक तो कोई नहीं चोदता है।
मैंने ‘हाँ’ कह दी.. क्योंकि मैं पकड़ा जा चुका था।
फिर उसने मेरा लन्ड अपने मुँह में लेकर चुभलाया और उसे साफ किया। फिर मैंने उससे कहा- अपनी सहेली को भेजो.. पर उसकी सहेली नहीं मानी।
दोस्तो, मैंने इस तरह उस दिन मोहिनी का भोसड़ा चोदा.. फ़िर हम दोनों घर चले आए।
फिर हम रोज चुदाई करते.. कभी उसके कमरे में तो कभी मेरे कमरे में।
दोस्तो, मुझे तो मोहिनी भाभी ने ही सिखाया कि असली चुदाई का मजा क्या होता है।
मेरी शादी हो गई है.. अब मैंने सब छोड़ दिया है, मैं अब किसी लड़की को पटाने के बारे में भी नहीं सोचता हूँ।







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FUN-MAZA-MASTI मेरी पड़ोसनें-1

FUN-MAZA-MASTI


मेरी पड़ोसनें-1



ये एक लड़की और एक भाभी (मोहिनी) की चुदाई की एकदम सच्ची घटना है। ये दोनों मेरे अलग-अलग प्रवास के दौरान बगल के कमरों में रहने वाली थीं।
मेरा नाम विवेक है, मैं एक छोटे शहर का रहने वाला हूँ। मेरे बगल के घर में एक बहुत ही खूबसूरत लड़की रहती थी उसका नाम चाँदनी था।
उसका कद 5’3” था। उसके घर में एक लड़की आती थी उसका नाम भारती था। उसकी बड़ी बहन चाँदनी के घर में किराए पर रहती थी और उसका भी कद 5’4” था और जिस्म करीब 32-28-34 था। मैं 10 वीं पास करके दिल्ली पढ़ने चला गया। मैं करीब चार महीने बाद लौटा तो मेरी बुआ के लड़के यानि मेरे फुफेरे भैया मेरे घर आए हुए थे। उनका नाम राजीव है। शाम को उनसे बात हो रही थी। उन्होंने मुझे बताया कि बगल में एक लड़की आई है वो मुझे बहुत परेशान कर रही है, वो चाँदनी से कहती है कि राजीव को मुझे दे दो या फिर एक बार मजा दिला दो।
उन्होंने मुझसे बोला- उसका नम्बर ले लो और तुम ही उसे पेल लो।
मैं झट से तैयार हो गया क्योंकि मैंने उससे पहले कभी चूत नहीं मारी थे। सिर्फ ब्लू-फ़िल्म में देख कर हाथ से काम चलाता था, मुठ मार लिया करता था।
दोस्तों.. मैं एक बात आपको बता दूँ कि मेरे राजीव भैया उस बगल वाली लड़की को बहुत पेलते थे, जिसका नाम चाँदनी है। भैया फार्मा में हैं उस समय वो चेन्नई में पढ़ते थे और वो जब भी आते तो रात में अपनी छत से उसके छत पर चले जाते और उसे चोदते। फ़िर सुबह होने से पहले चले आते। वो आकर मुझे सब बताते कि किस तरह वो अपना लन्ड चाँदनी को पेलते हैं… किस तरह उसे चोदते हैं।
तो जब मैंने भैया से उस लड़की की नम्बर लिया और उससे बात की, तो वो पहले तो मुझे नहीं पहचान पाई। फ़िर भैया ने अपनी गर्ल-फ्रेंड को फ़ोन करके बताया कि भारती के साथ छत पर आओ और विवेक उससे बात करना चाहता है। तब भारती सब समझ गई और फ़िर चाँदनी और भारती दोनों छत पर आ गईं।
फ़िर मैंने उससे प्यार से बात की और पूछा- हम लोग भी वैसे मिल सकते हैं, जैसे राजीव भैया, चाँदनी से मिलते हैं?
तो उसने ‘हाँ’ कह दी।
चूंकि हम लोग खाना खा कर टहलने गए थे और भैया का चूत मारने का समय हो गया था। इसलिए भारती ने कह दिया, “वो कल से इस बारे में सोचेगी।”
फिर मैं अपने कमरे में आ गया और भारती भी नीचे अपने कमरे में चली गई। फिर हमने फोन पर बातें कीं, करीब एक घंटे तक गर्मा-गर्म बातें करने के बाद.. वो तैयार हुई। फिर मैंने झट से राजीव भैया को फोन किया और चूत छोड़ कर आने को कहा, पर वो नहीं माने, वो बोलते समय जोर लगा रहे थे शायद वो झड़ने वाले थे।
मैंने भारती से कहा- तुम ऊपर का दरवाजा खोलो।
फिर मैं भी भैया की तरह अपनी छत से उसकी छत पर चला गया।
दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि मेरी छत और चाँदनी की छत लगभग सटी हुई है। कोई भी आ-जा सकता था।
फिर मैंने उसे गोद में उठाया और नीचे उसके कमरे में ले गया। फिर हमने दरवाजा बंद किया और कपड़े निकाले मुझे तो लड़का होकर भी बहुत शर्म आ रही थी और वो तुरन्त पैंटी और ब्रा में हो गई। उसने तो मेरी चड्डी भी उतार कर रख दी। उसने मेरा लन्ड अपने मुँह में ले लिया। मुझे अजीब सा अहसास होने लगा मैंने सोचा कि ये लड़की बहुत बड़ी चुदक्कड़ लगती है.. खैर मुझे क्या… मैं तो खुद चूत के लिए तड़फ रहा था। सो मुझे छेद आसानी से मिल रहा था। मैंने कभी चूत नहीं मारी थी इस लिए घबराहट सी हो रही थी। फिर भारती ने अपने भी पैंटी और ब्रा बगल में रख दिए। मैं लेट गया और मैंने उसे अपने लन्ड पर बैठने को कहा।
वो मेरे लवड़े पर चढ़ कर बैठ गई और उसने मेरे लन्ड का मुँह अपनी चूत में लगाया। फिर मैंने उसकी कमर पकड़ कर नीचे से धक्का लगाया.. वो चीख पड़ी।
वो तो भला हो ऊपर वाले का.. कि किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी.. बगल के कमरे में उसकी बड़ी बहन और जीजा सोए थे। फिर मैंने देखा कि मेरे लन्ड पर खून लगा हुआ था, खून देख कर वो तो रोने लगी। फिर मैंने किसी तरह पुचकारते हुए उसे चुप कराया और उसे लिटा कर मैंने उसकी चूत को तौलिए से पौंछा। फ़िर थूक लगा कर अपना लन्ड डाल दिया। इस बार भी वो चिल्लाई, पर शांत हो गई। मैंने 10- 12 झटके ही लगाए होंगे कि मेरा बीज उसकी चूत में गिर गया। मैं थका-थका सा महसूस कर रहा था शायद डर के मारे। फिर मैंने कपड़े पहने और अपने घर चला गया। बाद में मैंने भैया से पूछा- अगर कोई चूत में ही झड़ जाए.. तो कुछ होगा तो नहीं..?
तो उन्होंने मुझसे आँख मार कर पूछा- कोई.. या फिर तुम…?
मैं उनसे आँख चुराने लगा।
उन्होंने मुझे बताया, “मैं उसी समय ही इधर आ गया था, जब तुमने फोन किया था, पर यहाँ से तो तुम गायब थे… तब मेरी समझ में आया कि तुम इसी चूत के लिए मुझे अधूरे में छोड़ कर आने पर मजबूर कर रहे थे।”
मतलब जब मैंने फ़ोन किया था उसके बाद ही राजीव भैया आ गए थे। फ़िर मैंने उनसे पूछा- कल रात मैं भारती की चूत में ही झड़ गया था.. कुछ होगा तो नहीं?
तो उन्होंने मुझे डराना शुरू कर दिया, “अब तो बच्चा हो जाएगा ।”
फिर मैंने चाँदनी से पूछा- उसने बताया, “नहीं उम्मीद तो कम है फिर भी अभी कुछ दिन मजा लेने के बाद एक गर्भनिरोधक दवा खिला देना..।”
फ़िर अगले दिन मैं भारती के कमरे में गया। वो ब्रा और पैन्टी में ही लेटी थी। उसने मुझसे बताया कि वो ऐसे ही सोती है। फिर हम दोनों ही नंगे हुए।
दोस्तों क्या बताऊँ.. वो क्या गजब की माल लग रही थी। उसकी चूत में हल्के हल्के रोयें से बाल थे.. मानो 1-2 दिन पहले ही झांटें साफ़ की हों। मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू की.. वो अकुलाने लगी अपनी टाँगें दबाने लगी, मेरा सिर उसकी टाँगों के बीच में था। मैंने अपनी जीभ चूत के अन्दर ठेली और उसकी चूत के मुँह को चौड़ा किया और पूरे जोश के साथ उसकी चूत को चाटने लगा। वो पूरी तरह तड़फने लगी। वो मुँह से “इस्स्स्स” की आवाज निकाल रही थी। फिर मैंने अपना लन्ड उसके मुँह में डाल दिया। वो मेरा लवड़ा लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। उसके बाद मैंने अपना लन्ड उसकी चूत में डाल दिया, वो मजे लेने लगी और मैं जल्दी-जल्दी उसकी चूत में लौड़ा पेल कर उसे धुकर-पुकर चोदने लगा।
वो बोल रही थी, “मुझे छोड़ दो…।”
और मैं बोल रहा था, “मुझे चोद दो..।” वो हँसने लगती.. पर दर्द के मारे पूरी तरह नहीं हँस पाती। मैं उसे पेलता ही जा रहा था.. ना जाने कहाँ से मुझमें ताकत आ गई थी.. मेरा लन्ड एकदम कड़ा हो गया था और मैं धक्का-पे-धक्का लगाए जा रहा था। पूरा कमरा “पच-पच” की आवाज से गूंज रहा था। उसकी चूत गीली हो गई थी। मैंने अपना लन्ड उसकी चूत से बाहर किया और उसका सारा रस पी गया। कुछ अजीब सा स्वाद था पर मीठा भी था। फिर मैंने लन्ड को वापस चूत में डाला… चूत इतनी गरम थी कि मेरा लन्ड भी घिसते-घिसते गर्म हो गया था और आखिर आधे घंटे बाद मैं झड़ गया। वो भी थक कर चूर हो चुकी थी, फ़िर हमने थोड़ी देर आराम किया और फिर काम पर लग गए। अब मैंने उससे घोड़ी बनने को कहा.. वो झट से बन गई। फिर मैंने उसके चूतड़ों को थोड़ा पीछे किया और अपना लन्ड उसकी गान्ड में पेल दिया। वो चिल्ला उठी.. मैंने जल्दी से उसका मुँह अपने हाथों से दबा दिया। वो डर गई कि कहीं उसकी गान्ड तो नहीं फट गई और उसने मुझे चले जाने को कहा, फिर मैंने उसे समझाया और फिर से चुदाई शुरू हुई। उस रात हमने चार बार चुदाई की।
दोस्तों उस रात मैंने भारती की बुर को भोसड़ा बना दिया। सुबह उसकी चूत सूजी हुई थी।
मैं जब अगले दिन उसके पास गया, तो उसे दवा लाकर दी। फ़िर मैं रोज जाता और उसे पेल कर चला आता। कुछ दिन बाद वो अपने गाँव चली गई और भारती जब भी आती तो मैं उसे चोदता और राजीव भैया जब भी आते तो वो चाँदनी को चोदते थे।
अब इसके बाद मेरे लवड़े को चूत का स्वाद लग गया था। अब जब भी भारती की चूत नहीं मिलती तो मेरा लण्ड किसी और चूत के लिए बेचैन हो उठता।



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FUN-MAZA-MASTI चुदासी भाभी

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चुदासी भाभी

 दोस्तो, आज मैं जो कहानी आपसे साझा करने जा रहा हूँ.. वो कहानी भी मेरी एक पाठिका चुदासी भाभी की है जो जयपुर से ही है, और उसकी मर्ज़ी से ही मैं यह कहानी आप लोगों के साथ साझा कर रहा हूँ।
मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को यह बहुत अच्छी लगेगी।
मैं अमित जयपुर से हूँ।
मेरी ऊँचाई 5’5” है और मैं एक औसत जिस्म वाला बंदा हूँ। मेरे लण्ड का नाप 6.5” है।
मैंने पहले एक कहानी लिखी थी, उसके बाद मेरे बाद खूब सारे मेल्स आए..
उनमें से एक ईमेल एक भाभी का आया जो जयपुर से थी।
मैंने उनको उत्तर दिया..
तो कुछ बात होने के बाद उन्होंने मुझे अपनी फ़ेसबुक आईडी दी और फिर हमने फेसबुक पर चैट चालू की।
अब चैट करते-करते एक दिन हम दोनों ने नम्बर भी साझा किए और फिर व्हाट्सएप पर भी बात हुई।
कुछ दिन बात हम ऐसे ही बात करते रहे।
एक दिन उन्होंने बोला- मुझे आपसे मिलना है।
मैंने- ओके.. कब?
तो उन्होंने कहा- इसी हफ्ते को मेरे पति कुछ दिन के लिए बाहर जा रहे हैं और मैं उनके जाने के बाद तुमको फोन कर दूँगी।
मैंने- ठीक है।
तो हमारा मिलने कर प्रोग्राम बन गया।
तीसरे दिन को उसका फोन आया.. उन्होंने मुझे एक जगह के बारे में बताया और मुझसे वहाँ आने को कहा।
मैं वहाँ पहुँच गया।
मेरे वहाँ पहुँचने के बाद उनका फिर से फोन आया और उन्होंने मुझसे पूछा- पहुँच गए?
मैंने बोला- हाँ.. मैं यहाँ आ गया हूँ।
तो कुछ देर बाद मेरे सामने एक कार आकर रुकी।
उसमें से एक मस्त माल उतरी।
उसे देख कर मेरे तो होश उड़ गए।
मुझे उम्मीद ही नहीं थी कि यही वो आइटम है जो मुझसे मिलना चाहती है।
वो इतनी सुंदर थी कि मैं आपको क्या बताऊँ।
वो मुझे कहीं से भाभी लग ही नहीं रही थी.. उसने जीन्स और टॉप पहन रखा था।
उसके मम्मे कोई 34 साइज़ के होंगे, लेकिन क्या आग थी..
मैं तो बहुत ही ज़्यादा खुश था।
वो मेरे करीब आई।
हम दोनों ने एक-दूसरे को ‘हाय’ किया और वहीं नजदीक के एक गार्डन में जाकर बैठ गए।
मैं फाइव स्टार की चॉकलेट लाया था तो हम दोनों वही खाने लगे।
हमने कुछ देर वहाँ बैठ कर बातचीत की.. तो मैंने उससे पूछा- आपका घर किधर है?
‘यहीं पास में ही है..चलो चलते हैं।’
काफ़ी वक्त हो चुका था तो मैं उसके साथ उसकी गाड़ी में बैठ गया।
10 मिनट के बाद हम उसके घर पहुँच गए।
अन्दर जाने के बाद उसने मुझे बोला- तुम 10 मिनट इन्तजार करो.. प्लीज़।
वो दस मिनट के बाद कॉफ़ी लेकर आ गई।
हम लोग कॉफ़ी पीते-पीते बात कर रहे थे।
उसकी जवानी को देख कर मेरा लवड़ा खड़ा हो गया था और उसने यह देख लिया था।
हम लोगों ने कॉफ़ी खत्म की और फिर वो अन्दर चली गई।
जब वो चुदासी भाभी कपड़े बदल कर वापिस आई तो क्या कातिलना अदा बिखेरते हुए आई वो एकदम आग लग रही थी.. एकदम हूर की परी..
वो एक छोटी सी बेबी-डॉल फ्रॉक में बाहर आई। अब हम लोग कमरे में चले गए।
अन्दर जाते ही मैंने उसे पकड़ लिया और सीधा उसके अधरों पर चुम्बन करने लगा। वो भी पूरी तरह से मेरा साथ देने लगी।
चुम्मा-चाटी करते करते मैंने उसकी वो गुलाबी फ्रॉक को उतार दिया उसने नीचे लाल रंग की चड्डी पहन रखी थी।
जिसमें वो एकदम हुस्न की परी लग रही थी।
मैंने उसे सीधा पलंग पर पटक दिया और उसकी ब्रा भी उतार दी।
अब उसके गोरे-गोरे कबूतर मेरे सामने आजाद थे।
मैंने उसके मम्मों को मुँह में ले लिया और जम कर चूसा।
मम्मों को चचोरते हुए मैंने उसकी पैन्टी भी उतार दी और एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी।
वो चुदासी भाभी तो थी ही मेरी इस हरकत से पागल सी होने लगी।
कुछ देर मम्मों को चूसने के बाद मैंने उसे लण्ड चूसने के लिए बोला..
तो उसने पहले तो मना कर दिया।
बोली- मैंने पहले कभी नहीं चूसा है।
फिर मैंने उससे कहा- एक बार मेरी खातिर चूस कर तो देखो।
चुदासी भाभी मान गई और हम 69 की अवस्था में आ गए।
अब उसकी चूत पर मेरा मुँह और उसके मुँह में मेरा लण्ड था।
हम दोनों ने एक-दूसरे के गुप्तांगों को बहुत ही मजे से चूसा।
कुछ देर बाद वो झड़ गई.. लेकिन मैं अभी नहीं झड़ा था।
अब वो सिसयाने लगी- प्लीज़ मेरी में पेल दो.. अब नहीं रहा जाता…
सो मैंने उसे घोड़ी बनाया और लण्ड उसकी चूत पर रखा।
मेरी एक ज़ोरदार चोट ने मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया।
वो एक बार तो चिल्लाई.. लेकिन मैं रुका नहीं और उसे पेलना जारी रखा।
कुछ देर बाद वो चुदासी भाभी भी चूतड़ों को आगे-पीछे करके मेरा साथ देने लगी।
अब मैंने चूत में से निकाल कर लण्ड उसकी गाण्ड में डाल दिया।
उसने पहले गाण्ड नहीं मरवाई थी.. सो उसकी गाण्ड में से खून आने लगा और वो चिल्लाने लगी।
लेकिन कुछ देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो मैंने चोदना चालू किया।
अब वो तो बहुत ही ज़्यादा पागल हो गई थी।
कुछ देर गाण्ड मारने के बाद मैंने अपना लण्ड फिर से उसकी चूत में डाल दिया और लगभग 15 मिनट चोदने के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए।
मैंने अपना सारा माल उसकी चूत से बाहर ही निकाला और हम नंगे ही एक-दूसरे के साथ चिपक कर सो गए।
कुछ देर बाद हमारा फिर से मूड बन गया और फिर से धकापेल शुरू हो गई।
उस दिन हमने 4 बार चुदाई की। वो बहुत ही खुश थी और फिर बाद में हम काफ़ी बार मिले और चुदाई का मजा लिया।
मुझे उम्मीद है आप लोगों को कहानी अच्छी लगी होगी।







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