Friday, December 12, 2014

FUN-MAZA-MASTI सबसे बड़ी छिनाल

FUN-MAZA-MASTI


सबसे बड़ी छिनाल


हैल्लो फ्रेंड्स मेरा नाम सुनीता है और मेरी यह पहली कहानी है लेकिन में फन मज़ा मस्ती को बहुत पसंद करती हूँ और मैंने इस पर अपने कई दोस्तों के साथ बहुत सी कहानियाँ पड़ी है और मुझे आज उम्मीद है कि आप सभी लोगों को मेरी यह पहली कहानी जरुर पसंद आएगी। अब में सीधा अपनी कहानी पर आती हूँ।
मेरा नाम सुनीता है। दोस्तों में ग्रॅजुयेशन के लिए कोई अच्छा कॉलेज ढूंड ही रही थी कि कटनी छोटा शहर होने के कारण वहाँ पर कोई अच्छा कॉलेज नहीं मिला तो मम्मी के कहने पर पापा ने मुझे पास की ही बड़ी सिटी जबलपुर मेरे दादा दादी के घर भेज दिया था और इससे पहले में जबलपुर तब आई थी जब में 4 साल की थी लेकिन अब मुझे आगे की पढ़ाई भी करनी थी तो में यहाँ पर आ गई।
फिर पहले पहले तो मुझे बहुत अजीब लगा.. नया शहर, नये लोग, ये सोचकर में डर सी गयी थी लेकिन जब में जबलपुर पहुंची तो में इसकी भीड़ में शामिल हो गई। फिर यहाँ पर मेरे दादा-दादी बहुत ही भीड़ भाड़ वाली जगह में रहते थे। उनके घर का मेन दरवाज़ा जिससे अंदर या बाहर जा सके दो बिल्डिंग्स के बीच में एक पतले से रास्ते में था जो की बिल्डिंग क्रॉस करते ही मेन रोड में मिल जाता था और उनका घर दो मंजिल का था। दोनों मंजिल में चार-चार रूम थे लेकिन दादा और दादी नीचे वाली मंजिल पर रहते थे और ऊपर की मंजिल मेरे आने से पहले तक बंद थी लेकिन मेरी दादी ने ऊपर के रूम की चाबियां मुझे दे दी और रूम को साफ करवा दिया।
फिर मैंने उनमे से एक रूम में अपना सारा समान रख दिया और उसे अपने हिसाब से सजा दिया। फिर 2-3 दिन वहाँ पर रहने के बाद मैंने देखा कि हर रूम में सिर्फ़ 1 ही खिड़की है और दादा दादी भी कम अजीब नहीं थे.. उनकी उम्र 75 साल के आस पास थी दोनों को इतने मोटे चश्मे लगे थे कि अगर चश्मा निकाल दो तो उन्हे दिखना ही बंद हो जाता था बुढ़ापे के कारण चलने और सुनने में भी उनको बहुत तकलीफ़ थी उनसे कुछ कहना हो तो उँची आवाज़ में बोलना पड़ता था और दादा तो हमेशा बेड पर ही पड़े रहते थे दादी बस वॉकर के सहारे थोड़ा चल लेती थी और घर का सारा काम एक किरण नाम की लड़की दिन में दो बार आकर कर जाती थी।
फिर उसके लिए दादी उसे 2000 रुपय महिना देती थी.. कुल मिलाकर पढ़ाई के लिए बहुत अच्छा माहोल मिल गया था मुझे। फिर वहाँ पहुचने के 1 हफ्ते बाद मेरे पापा ने जबलपुर आ कर मेरा दाखिला यहाँ के गर्ल्स कॉलेज में करवा दिया और मेरी सहूलियत के लिए मुझे एक स्कूटी ख़रीदकर देकर चले गये। फिर मैंने कॉलेज जाना शुरू कर दिया लेकिन जिस कॉलेज में में थी वहाँ पर सिर्फ़ लडकियाँ ही पढ़ती थी.. जो पढ़ाई कम और प्यार मोहब्बत ज्यादा किया करती थी। फिर मेरी दोस्ती एक साक्षी नाम की लड़की से हुई उसका भी एक सदानंद नाम का बॉयफ्रेंड था लेकिन हम दोनों एक बहुत अच्छे दोस्त बन गये। फिर कभी कभी वो पढ़ाई के लिए मेरे घर में ही रुक जाती और हम पढ़ने के बाद बातें किया करते।
फिर कुछ महीनो में धीरे धीरे उसके साथ में जबलपुर के माहोल में ढल गयी पढ़ाई तो अपनी जगह थी लेकिन साक्षी और कॉलेज की दूसरी लड़कियों को देखकर मुझे मेरी ज़िंदगी में भी अब एक कमी नज़र आने लगी तभी। फिर साक्षी मुझे उसके बॉयफ्रेंड की हर बात बताती थी जो कि मुझे मेरे अकेलेपन का अहसास दिलाने लगी। फिर उन दोनों की पर्सनल बातें भी वो मुझे बताती थी जिसे सुनकर मेरा जिस्म किसी के स्पर्श का भूखा हो जाता और मेरे खुद के हाथ मेरे जिस्म पर रेंगने लगते। फिर कुछ दिन के बाद मैंने भी सोच लिया कि शायद मुझे भी और लड़कियों की तरह अपनी इच्छाओ को पूरा करना चाहिए। फिर उस दिन से मैंने लड़को को देखना शुरू कर दिया और तब पता चला कि में जहाँ रहती हूँ वहाँ के आस पास के लड़के मेरे ऊपर नज़र गड़ाए बैठे है। फिर में जहाँ से निकलती हूँ वहाँ के लड़के भी मुझे ही वासना भरी निगाहों से घूरते नज़र आए।
तभी मुझे लगा कि मुझे लड़का ढूँढने की नहीं बस चुनने की ज़रूरत है इस काम के लिए मैंने साक्षी की मदद ली और उससे कहा कि मुझे भी एक बॉयफ्रेंड बनाना है। फिर उसने मुझसे एक सवाल पूछा कि तुझे बॉयफ्रेंड प्यार और शादी करने के लिए चाहिये या सिर्फ़ मजे करने के लिए? फिर में उसके इस सवाल का जवाब ना दे पाई और फिर उस रात मुझे अपने बिस्तर पर लेटे हुए साक्षी और उसके बॉयफ्रेंड की बातें याद आई और तभी में सोच सोचकर आग की तरह जलने लगी और मेरे हाथ मेरे जिस्म पर रेंगने लगे.. में इतनी पागल हो गई कि मैंने कब अपने सारे कपड़े उतार दिए मुझे पता भी नहीं चला। फिर अपने जिस्म से खेलते खेलते में पूरी नंगी ही सो गई।
फिर सुबह को उठकर में कॉलेज में सीधे साक्षी के पास गयी और फिर मैंने उससे कहा कि..
में : मुझे भी तुम्हारी और बाकी लड़कियों की तरह मजा करना है.. कल रात भर मेरा शरीर जलता रहा में ऐसी जलन अब बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ तू मुझे बता में क्या करूं?
साक्षी : तो आख़िर तेरी चूत भी अब लंड के लिए पागल हो ही गयी है ना।
फिर मैंने ऐसी भाषा कभी नहीं सुनी साक्षी के मुहं से.. लेकिन आज ऐसा लगा कि उसने मेरे जिस्म की जलन को महसूस लिया लेकिन अब मैंने भी उसे बड़ी बेशरम होकर जवाब दे दिया।
में : हाँ मेरी चूत अब लंड माँग रही है प्लीज मुझे भी तेरी तरह अपनी चुदाई करवा कर अपने जिस्म को ठंडा करना है.. प्लीज़ हेल्प कर मेरी।
साक्षी : क्या तेरी नज़र में कोई लड़का है?
में : नही अभी तक कोई भी नहीं।
साक्षी : तो तू एक काम कर मेरे बॉयफ्रेंड का एक फ्रेंड है निखिल.. वो दिखने में स्मार्ट है.. उसकी लम्बाई 6.5 इंच की है। यो क्या में उससे बात करूं?
में : तुझे जो करना है कर बस मुझे लंड चाहिए।
साक्षी : हाए रे सुनीता तो तू लंड की भूखी छिनाल हो गई है रे.. आज से में तुझे अकेले में छिनाल ही कहूंगी ठीक है?
में : तू कौन सी सीता है तू भी तो रंडी है और रंडी की सहेली सती सावित्री नहीं हो सकती। तू रंडी, छिनाल, वैश्या जो बुलाना हो बुला बस मेरे लिए लंड का इंतज़ाम कर दे में भी तुझे आज से रंडी कहूंगी ठीक है?
साक्षी : हाँ मेरी छिनाल में तो हूँ ही एक नंबर की रंडी और में तुझे भी एक नंबर की छिनाल बना दूंगी।
में : तो जल्दी बना ना।
फिर अगले दिन साक्षी ने अपने बॉयफ्रेंड से कहकर निखिल को मुझसे मिलवाने एक रेस्टोरेंट बुलवाया। फिर हम चारों लोग एक ही टेबल पर बैठे थे जो कि रेस्टोरेंट के कोने पर था। साक्षी ने निखिल को मेरे पास में बैठा दिया और खुद सदानंद के साथ हमारे सामने बैठ गयी और हम बात करने लगे। फिर साक्षी का बॉयफ्रेंड साक्षी को हमारे सामने ही किस करने लगा। तभी ये देखकर में गरम हो गई और मेरे हाथ से मेरा कॉलेज बेग गिर गया जिसे उठाने में नीचे झुकी तो टेबल के नीचे देखा कि सदानंद साक्षी की चूत को उसके सूट के ऊपर से सहला रहा था और ये देखकर निखिल ने मेरी जांघ पर अपना एक हाथ रख दिया और कहा कि में तुमसे प्यार करता हूँ सुनीता और उसका एक हाथ मेरी जाँघो को सहला रहा था और मेरी चूत के करीब जा रहा था। तभी मैंने उसके हाथ के ऊपर अपना एक हाथ रखा लेकिन हटाया नहीं। फिर ये देखकर निखिल समझ गया कि मुझे कोई ऐतराज़ नहीं। फिर निखिल के हाथ के स्पर्श से मेरी चूत गीली होने लगी और वासना की आग के बढ़ने के कारण मैंने उसका हाथ पकड़कर अपनी चूत के ऊपर रख दिया और सूट के ऊपर से ही उसके हाथ से में अपनी चूत को सहलाने लगी और मदहोशी में कह गयी कि.. में भी तुमसे प्यार करती हूँ निखिल।
फिर उसने मुझे अपना मोबाईल नंबर दिया और कॉल करने को कहा। फिर एक घंटे बाद में और साक्षी घर पर निकल गये। फिर घर पहुंच कर मुझे थकान के कारण नींद आ गई और में सो गई। फिर शाम को जब में उठी तो देखा कि मेरे मोबाईल पर निखिल के 25 मिस कॉल पड़े थे। तभी मैंने तुरंत उसे फोने लगाया और फिर उसने अपना पता देकर मुझे मिलने बुलाया मैंने दादी को बहाना मार दिया कि में साक्षी के यहाँ पर जा रही हूँ और अपनी स्कूटी लेकर में निखिल के पास 15 मिनट में उसके घर पहुंच गयी। 
फिर उसने मुझे अंदर बुलाया और कहा कि मेरे मम्मी पापा दिल्ली गये है और कल रात तक आएँगे। फिर उसने घर के सारे दरवाज़े बंद कर दिए और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने बेडरूम ले गया और मुझे किस करने लगा में भी गरम हो गई और फिर में भी पागलो की तरह उसका साथ देने लगी। फिर किस करते करते वो मेरे जिस्म का हर अंग छू रहा था और वासना की आग हमारे जिस्मो को पिघलाने लगी। तभी उसने मेरे कपड़े उतारने की कोशिश की लेकिन एक सेकेंड का भी टाईम वो बर्दाश्त नहीं कर पाया और मेरे सूट का गला पकड़ कर उसने उसे बीच से पूरा फाड़ दिया और मैंने भी जल्दी से अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर एक सेकेंड की भी देर ना करते हुए ब्रा पेंटी में आ गई। तभी उसे ब्रा खोलने की बजाए उसे भी सामने से खींचकर फाड़ दिया और फिर मुझे पूरा नंगा करने के बाद उसने अपने कपड़े एक पल में उतार दिए। फिर उसका लंड देखकर मेरी चूत भीग गयी.. फिर उसने मेरे बाल पकड़कर मुझे अपने बिस्तर पर फेंक दिया और पागलो की तरह मुझ पर टूट पड़ा और बोला कि..
निखिल : क्या तुमने पहले कभी सेक्स किया है?
में : नहीं.. ये मेरा पहला टाइम है।
निखिल : क्या तुम करना चाहती हो या फिर में रुक जाऊँ?
में : मदारचोद मेरे सारे कपड़े फाड़ने के बाद पूछ रहा है कि रुक जाऊँ.. अब अगर तू रुका तो कभी अपनी शक्ल मत दिखना।
तभी मेरी भाषा और उत्तेजना को देखकर वो पागल हो गया और मेरे पूरे जिस्म को चाटता हुआ बोला
निखिल : क्या मलाई जैसी त्वचा है?
में : सब तेरे लिए है अब से बस लेकिन आज मुझे मायूस मत करना।
निखिल : प्रॉमिस नहीं करूँगा लेकिन तू बता किस तरह चुदवाना चाहती है?
में : उस तरह जिस तरह दुनिया की सबसे बड़ी छिनाल भी आज तक ना चुदी हो।
निखिल : ओह तो तुझे सबसे बड़ी छिनाल बनना है।
में : हाँ मुझे सबसे बड़ी छिनाल बनना है।
तभी मेरे जिस्म को चाटते हुए वो मेरी चूत तक पहुँच गया और मेरी चूत को मुहं में भरकर चाटने और काटने लगा। फिर उसके दोनों हाथ मेरी चूचियों को बड़ी बेरहमी से मसल रहे थे और वो मेरी चूत में अपनी जीभ डालकर कुछ ढूढ़ रहा था और में पागलपन में बड़बड़ाए जा रही थी अहह खाले ये चूत मुझे चैन से सोने अहह नहीं देती अहह जोर से मेरे आहह राजा इसे समझा दे परेशान आहह करने की अहह ज़ोर से चाट मेरे राजा बना ले मुझे अपनी रानी आआआः में गयी अहह.. उसकी जीभ ने मेरी चूत को इस कदर उत्तेजित कर दिया कि में पागल होकर उसके मुहं में ही झड़ गयी और वो प्यासे राहगीर की तरह मेरे मटके का सारा पानी पी गया और उठकर मेरे सीने पर बैठ गया और मुझसे बोला कि..
निखिल : मेरी प्यास तो बुझ गयी क्या तुझे भी प्यास लगी है।
में : में तो कई जन्मों से प्यासी हूँ।
निखिल : तो एक मस्त छिनाल की तरह मेरा लंड चूसकर ये साबित कर दे कि तू ही इस दुनिया की सबसे बड़ी छिनालो को टक्कर दे सकती है।
फिर इतना कहकर उसने अपना लंड मेरे होठों पर रख दिया और मैंने एक भूखी कुतिया की तरह उसका लंड अपने मुहं में ले लिया और अपनी जीभ से उसके लंड की मालिश करने लगी। तभी उसने अपना पूरा लंड मेरे मुहं में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्का देने लगा उसका लंड मानो मेरी गर्दन से होता हुआ मेरे सीने में पहुंच रहा था और मेरे आँसू निकल आए थे। तभी ये देखकर उसने अपना लंड जैसे ही बाहर निकाला में ज़ोर से खासने लगी। फिर ठीक होते ही उसने वापस अपना लंड मेरे मुहं में डाल दिया और मेरे मुहं को चोदने लगा और आहह आह करता हुआ मेरे मुहं में ही झाड़ गया। फिर उसके पूरे वीर्य से मेरा मुहं भर गया जिसे मैंने स्वाद लेते हुए पी लिया और उसने अपना लंड मेरे मुहं से बाहर निकालते हुए कहा कि..
निखिल : बोल मेरी जान कैसा लगा?
में : बहुत अच्छा लगा लेकिन मुहं में दर्द हो गया है।
निखिल : प्यास बुझी या और पिएगी मलाई शेक?
में : मुहं की प्यास तो तृप्त हो गई लेकिन तूने मेरी चूत की प्यास पहले से कहीं ज्यादा बढ़ा दी है.. बस अब मुझे इस तरह चोद मेरे राजा के में कल दर्द के मारे चल ना पाऊ इतनी ज़ोर से मेरी सील तोड़ कि उसकी आवाज़ हमे सुनाई दे।
निखिल : में प्रॉमिस करता हूँ तू कल चल नहीं पाएगी।
में : चल अब मुहं की चुदाई बंद कर और चूत की चुदाई चालू कर जल्दी उद्घाटन कर मेरी चूत का।
फिर इतने में निखिल ने पलक झपकते ही अपना लंड मेरी चूत पर रख दिया और मेरी चूत पर रगड़ने लगा और बोला कि..
निखिल : डालूँ या नहीं?
में : डाल ना मदारचोद प्लीज़।
निखिल : और अगर नहीं डाला तो?
में : में मर जाऊंगी निखिल प्लीज़ डाल ना।
निखिल : मुझे क्या मिलेगा?
में : तू जो बोलेगा सब दूँगी लेकिन प्लीज़ चोद मुझे प्लीज़।
निखिल : मुझे 5000 रुपय चाहिए देगी?
में : मेरे पर्स में रखे है वो तू रख ले जितने चाहे ये सब ले ले.. बस मुझे चोद.. मदारचोद निखिल और भी कुछ चाहिए तो बोल।
निखिल : मुझे तेरी सारी फ्रेंड को भी चोदना है तेरे साथ साथ चुदवाएगी उन्हे मुझसे?
फिर में चुदने के लिए पागल हो रही थी और निखिल मुझे तड़पा रहा था.. हवस की आग मुझ पर इतनी फैल चुकी थी कि में क्या बोल रही हूँ.. क्या कर रही हूँ.. मुझे कुछ भी नहीं पता था में बस उससे चुदना चाहती थी जिसके लिए में उसकी हर बात मानने को तैयार थी मैंने मदहोशी में रोते हुए उससे कहा कि..
में : हाँ, मेरी सहेलियों की, मेरी बहनों की जिसकी चूत बोल में तुझे दिलाऊँगी लेकिन प्लीज़ गांडू मदारचोद अब मुझे चोद डाल प्लीज़। तभी मेरी तड़प को देखकर निखिल ने अपना लंड मेरी चूत पर एक कील की तरह ठोक दिया और फिर मेरी चूत से तुरंत खून बहने लगा और में दर्द के मारे ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी और रोने लगी। तभी निखिल ने मेरी हालत देखते हुए कहा कि।
निखिल : क्या हुआ गांड क्यों फट रही है निकाल लूँ क्या?
में : मदारचोद आज मेरी चूत फट भी जाए लेकिन तू अपना लंड मत निकलना और जितनी ताक़त लगा सकता है लगा और चोद डाल मुझे पहुँचने दे अपने लंड को मेरे सीने तक मार डाल मुझे आआअहह चोद जोर से और जोर से अह्ह्ह।
तभी निखिल भी पूरी ताक़त से मुझे चोद रहा था और हम दोनों और बिस्तर पसीने से भीग चुके थे। फिर मैंने अपने दोनों पैरों को निखिल की कमर पर ज़ोर से बाँध दिया था और उचक उचक कर उसके हर एक धक्को का स्वागत कर रही थी। तभी निखिल ने कहा कि आअहह में झड़ने आआआअहह वाला हूँ जानेमन। तभी उसकी बात खत्म होने से पहले ही में बोल पड़ी।
में : खबरदार जो अपना लंड बाहर निकाला तो आअहह जोर से चोद दे.. तेरे बाप का क्या जाता है चूत तो तू पहले ही फाड़ चूका है फिर डर किस बात का।
निखिल : साली, रंडी, छिनाल तू अगर पेट से हो गई तो आआहह क्या करेगी अह्ह्ह?
में : तू टेंशन मत ले भड़वे आहह मेरे पास बहुत पैसे है बस तू अपना आ लंड बाहर मत आअहह निकलना तू बस ऐश कर आहह मेरे साथ आअहह और मेरे पापा आहह के पैसों के साथ लेकिन मुझे बस इसी तरह चोदता रह में भी झड़ने वाली हूँ आआहह.. और जोर लगा मदारचोद की औलाद आहह।
तभी मेरी कामुक बातों को सुनकर उसका शेर जैसा लंड अकड़ गया और उसने अपना वीर्य मेरी कोख में भर दिया में भी उसके साथ ही झड़ गयी। फिर उसके लंड से निकली पहली वीर्य की बूंद मेरी चूत में गिरी मुझे अपनी जिन्दगी का पूरा सुख मिल गया और आज मुझे लगा कि में पूरी जवान हो चुकी हूँ। फिर मैंने उसे अपनी बाँहों में कसकर पकड़ लिया और उसे किस करने लगी और वो भी लंड को चूत में ही रखकर एक हाथ से मेरे बूब्स दबाने लगा। फिर उसकी इस मसाज से मुझे ना जाने कैसा अनुभव होने लगा। में अब दूसरी दुनिया में पहुंच गई थी और फिर हम गीले बिस्तर में ही थक कर एक दूसरे की बाँहों में बाहें डाल कर सो गये।
तो दोस्तों ते थी मेरी पहली चुदाई की कहानी उसके बाद मैंने निखिल से कई बार चुदाई करवाई ।।





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