Monday, December 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI मौसी की मालिश

FUN-MAZA-MASTI


मौसी की मालिश


 मैं अंशुल शर्मा हूँ, मेरी उम्र 20 वर्ष है। मैं इंजीनियरिंग का छात्र हूँ, इंदौर मध्य-प्रदेश में रहता हूँ। मैं दिखने मै, आकर्षक, 5.9 फीट का कद, गोरा रंग और जिम जाने की वजह से तंदरुस्त शरीर का हूँ।
चुदाई का चस्का मुझे 18 वर्ष की उम्र से ही लग गया था, पर करने का कभी मौका नहीं मिला। अपने अन्दर की आग को अपने हाथ से शांत कर लिया करता था। गर्ल-फ्रेंड तो बनाई, पर उनके साथ कभी कुछ गलत नहीं कर पाया। उम्र के साथ चुदाई की ज़रूरत लगने लगी और वो दिन भी आ ही गया।
मैं आपके सामने अपना पहला चुदाई अनुभव पेश करने जा रहा हूँ। यह मेरी पहली कहानी है, इसलिए अगर कोई गलती हुई हो तो क्षमा कीजिएगा।
मेरे घर से करीब 4 किलोमीटर दूर मेरी मम्मी की एक सहेली रहती हैं उनका नाम पायल है व उम्र करीब 32 वर्ष की होगी।
वो दिखने में ऐसी हैं कि आप अपने लंड को काबू नहीं कर सकते। उनका कद 5.4 फीट, रंग एकदम गोरा और वो 38-32-40 के फिगर की अप्सरा हैं।
उनका एक 7 साल का लड़का है, उनके पति एक मैकेनिकल कंपनी में इंजीनियर के पद पर हैं जिसके कारण वो ज्यादा समय कंपनी में ही रहते हैं।
वो मेरी माँ की प्रिय सहेली हैं, उनको मैं पायल को मौसी के नाम से बुलाता था।
वैसे तो वो करीब 8 साल से हमारे साथ जुड़ी थीं, पर उनके प्रति मेरी नज़र कभी गलत नहीं थी।
उम्र के साथ मैं बदलने लगा, अब जब भी वो घर आती थीं तो मैं उनको निहारता रहता था और उनका स्पर्श पाने के नए-नए तरीके खोजता रहता था।
मेरे अन्दर का ये बदलाव वो शायद समझ चुकी थीं।
मैं उनके बारे में सोच कर अपना माल निकाल दिया करता था, पर इससे काम नहीं चल रहा था, मैं उनको एक बार चोदना चाहता था।
एक बार बात उस समय की है जब मैं 19 साल का था, मेरे मम्मी-पापा को किसी की शादी में पुणे जाना था, क्योंकि मेरे परिवार में मेरे मम्मी-पापा और सिर्फ मैं ही रहते थे और किसी का घर पर रुकना भी ज़रूरी था तो मैंने कहा- मैं यहीं रुक जाता हूँ, मेरी परीक्षा भी पास थी।
मम्मी ने मुझे बिना कुछ बोले मेरी बात मान ली।
अगले दिन मम्मी-पापा निकलने को तैयार हो गए, मम्मी ने मेरे खाने और किसी ज़रूरत के लिए पायल मौसी को बोल दिया था, मम्मी-पापा के जाने के बाद मैं सो गया, जब उठा तो शाम के 5 बज चुके थे। मैंने अपने लिए काफी बनाई और पढ़ने बैठ गया।
शाम को करीब 7:30 पर फ़ोन आया, फोन पर पायल मौसी थीं, उन्होंने मुझे खाने का याद दिलाया कि 8:30 पर घर आ जाना, हम इन्तजार करेंगे।
मैंने ‘हाँ’ का जवाब देकर फ़ोन कट कर दिया।
मै ठीक 8:30 पर जा पहुँचा, मैंने घंटी बजाई, पायल मौसी ने दरवाजा खोला।
उन्होंने शराब के रंग का गाउन पहना था जो कि सिल्क के कपड़े से बना था।
मैं उनको नमस्ते करके अन्दर आ गया, उन्होंने मुझे हाथ धोकर टेबल पर बैठने का बोला।
वहाँ अंकल भी अपने बेटे के साथ थे।
मैं उन्हें नमस्ते करके बैठ गया, फिर हमने थोड़ी देर इधर-उधर की बातें कीं उतने में पायल मौसी खाना लेकर आ गईं, हम सबने खाना खाया।
उस दिन न जाने क्यों मैंने मौसी को बिल्कुल भी गलत नज़र से नहीं देखा, शायद इसलिए क्योंकि अंकल भी वहाँ थे।
खाने के बाद हमने थोड़ी देर और बातें कीं, उतने में मौसी ने कहा- मैं बरतन साफ़ करके आती हूँ।
मैंने कहा- अब मुझे चलना चाहिए।
उन्होंने थोड़ा रोका- इतनी जल्दी क्या है?’
मैं पढ़ाई की बोलकर घर आ गया।
दस बज चुके थे, 12:00 बजे तक पढ़ने के बाद मैं सो गया।
सुबह उठने के बाद मैं कालेज चला गया, नाश्ता और दोपहर के खाने के लिए मैंने मौसी को मना कर दिया, उन्होंने शाम को उसी समय पर मुझे खाने के लिए बुलाया।
मैं उनके घर पहुँचा, हमेशा की तरह उन्होंने ही दरवाजा खोला, उन्होंने काली साड़ी पहनी थी, काली साड़ी में उनका गोरा बदन कोई अप्सरा से कम नहीं लग रहा था।
उन्होंने मुझे अन्दर बुलाया और बैठने को कहा।
मैंने देखा शायद घर पर अंकल नहीं थे, मैंने मौसी से पूछा- मौसी अंकल दिखाई नहीं दे रहे।
वो बोली- हाँ.. तुम्हारे अंकल दिल्ली उनके किसी दोस्त की बहन की शादी में गए हैं, कुछ दिन में आ जायेंगे।
उतने में उन्होंने खाना लगा दिया, हमने साथ खाना खाया।
अरे खाना तो एक बहाना था, मुझे तो उसे अपने करीब करना था, मैं इस मौके को खोना नहीं चाहता था। मैंने सोच लिया था अब तो इसको चोद कर ही रहूँगा।
इतने में मौसी कहने लगी- कहाँ खो गए, खाना अच्छा नहीं है क्या?
मैंने कहा- मौसी आप खुद इतनी अच्छी हो तो खाना कैसे बुरा हो सकता है।
मौसी- चल झूठे।
मैं- आपकी कसम।
मौसी ने हँसकर बात टाल दी।
मैंने मौसी को बोला- बहुत खा लिया आज तो मन कर रहा है बस सो जाऊँ।
मौसी- अरे हाँ तो सो जा ना। घर पर जाकर भी तो तुझे सोना ही है और तेरे अंकल भी नहीं हैं.. मैं अकेली बोर हो जाऊँगी और वैसे भी कल रविवार है।
मैंने 2 मिनट सोचा, मुझे अब आगे बढ़ना चाहिए और जब किस्मत मेरा साथ दे रही है तो मैं क्यों ना इसका फायदा उठाऊँ।
यह सोच कर मैंने मौसी को ‘हाँ’ बोल दिया।
फिर मौसी ने मुझसे बोला- तुम आराम से टीवी देखो.. तब तक मैं अपने थोड़े काम कर लेती हूँ।
उनका बेटा उनके कमरे में ही सो गया था, थोड़े समय बाद मौसी कमरे में आई, उन्होंने साड़ी उतार कर अपना वही वाला गाउन पहन लिया था और आकर वो मेरे पास बैठ गईं।
मौसी- और सुना.. पढ़ाई कैसी चल रही है?
मैं- हाँ.. बस ठीक चल रही है।
मौसी- तुम्हारा बिस्तर उस कमरे में लगा दिया है।
मैं- हाँ ठीक है।
दोस्तों मैं आपको क्या बताऊँ, उनके बदन की गरमी से मेरे लंड में उफान आ गया।
ऐसे ही बात करते-करते 11 बज गए।
मौसी- चलो अब सो जाते हैं, आज मेरा पूरा शरीर टूट रहा है, थोड़ा आराम मिलेगा तो ठीक हो जाएगा।
मैंने सोचा यही ठीक समय है, मैं बोला- मौसी अगर आप चाहें तो मैं आपका बदन दबा देता हूँ जल्दी थकान मिट जाएगी।
मौसी- अरे तुम कहाँ तकलीफ उठाओगे… वो अपने आप ठीक हो जाएगा।
मैं- अरे इसमें तकलीफ क्या और देखो मैं आपकी बात मान कर यहीं रुक गया.. अब आप को भी मेरा कहा मानना पड़ेगा।
थोड़ा दबाव डालने पर आखिर मौसी मान ही गईं।
मौसी- चलो तुम इतना कह रहे हो तो आज तुम्हें थोड़ी तकलीफ दे ही देती हूँ।
मैंने मुस्कुरा कर कहा- कहाँ करवाओगी?
उन्होंने बोला- मेरे कमरे में तो वरूण सोया है.. क्यों ना इसी कमरे में ही कर लेते हैं।
अगर हमारी बातों को देखें तो ऐसा लग रहा था कि हम मसाज की तैयारी नहीं चुदाई करने जा रहे हैं।
जो मेरे मन में था शायद मौसी उस चीज़ से अनजान थी या पता नहीं।
मौसी अन्दर जाते ही बिस्तर पर लेट गईं। एक पल के लिए तो मैं उनको देखता ही रह गया।
मैं मौसी के पास बैठ गया।
मैं- कहाँ से शुरू करूँ?
मौसी- देख ले.. अपने हिसाब से, पर मेरे हाथ-पैर और कमर बहुत दुख रहे हैं।
मैंने उनका हाथ दबाना शुरू किया, वो आराम से लुत्फ़ उठाती रहीं, पर शायद वो मेरे शैतानी दिमाग के अन्दर क्या था उससे अनजान थीं।
मैं- मौसी कैसा लग रहा है?
मौसी- अच्छा लग रहा है, करते रहो।
थोड़ी देर ऐसे ही करते-करते मैंने दोनों हाथों को दबाया, उनके नरम-नरम हाथ पर ये तो सिर्फ शुरुआत थी।
मैंने ठान लिया था इसको चोदने का एक ही तरीका है इसको किसी तरह कामातुर कर दूँ, जबरदस्ती से यहाँ दाल नहीं गलेगी।
मैं- मौसी.. अब पैर दबा दूँ?
मौसी- हाँ ठीक है।
मैंने पैरों को दबाना शुरू किया।
हाय.. क्या कोमल पैर थे.. मन कर रहा था इनको चूम लूँ।
मौसी ने गाउन पहना था जिसके कारण मुझे दबाने में तकलीफ हो रही थी, तो मैंने मौसी से पूछा- आपके गाउन से थोड़ी दिक्कत हो रही है.. क्या करूँ?
मौसी- मैं क्या बताऊँ, तुम देख लो।
मैंने मौसी को कहा- मौसी अगर आप गाउन उतार दें तो मैं आपको अच्छे ढंग से मालिश कर सकता हूँ और तेल से मालिश कर दूँगा जिससे आपको और ज्यादा आराम मिलेगा।
मौसी- अरे.. पर बिना कपड़ों के तुम्हारे सामने कैसे.., पागल हो क्या.. कोई क्या कहेगा।
मैं- अरे मालिश में तो ऐसा करना ही पड़ता है और यहाँ कोई देखने वाला भी नहीं है।
थोड़ा सोचने के बाद मौसी ने बोला- ठीक है, तुम 2 मिनट बाहर जाओ।
दो मिनट बाद मौसी की आवाज आई- आजा अन्दर।
मैंने जैसे ही अन्दर का नजारा देखा, मेरे तो होश उड़ गए।


मौसी ने सिर्फ काले रंग की ब्रा और पैन्टी पहनी थी।
उनके चूतड़ या गांड कह लो इतनी सुन्दर थी, मन कर रहा था साली का यही बलात्कार कर दूँ।
मैं मौसी के पास गया.. वो पलंग पर उल्टा लेटी हुई थी।
मैंने थोड़ा तेल हाथ में लिया और पैरों पर लगाने लगा, मेरे हाथ धीरे-धीरे उसकी जांघ तक जाने लगे थे, मेरा हाथ उसकी जाँघों पर पड़ा तो उसकी कंपकपी छूट गई, पर उसने मुझे कुछ नहीं कहा।
मैं आगे बढ़ता रहा… हाय.. उसकी मखमली जांघ.. इतनी प्यारी हैं तो चूत कैसी होगी? यह सोचकर मेरा लंड अब जीन्स में कैद नहीं रह सकता था।
मैं- मौसी.. मुझे जीन्स में थोड़ा आराम नहीं मिल पा रहा है, आपके पास कोई लोअर है क्या?
मौसी- लोअर तो उस कमरे में होगा, तुम जीन्स उतार दो ना, अन्दर कुछ तो पहना होगा ना और यहाँ तो सिर्फ हम दोनों ही तो हैं।
मैं यही तो चाहता था.. मैंने फट से अपनी जीन्स उतारी, मेरा 8 इंच का लंड खड़ा था जो मेरी फ्रेंची में नहीं समा रहा था।
मौसी ने गर्दन पलट कर देखा और मेरे लौड़े को देखती रह गईं पर कुछ नहीं कहा। मै समझ गया था शायद अब लाइन क्लियर है।
इतने में मौसी ने बोला- चलो क्या हुआ? रुक क्यों गए मालिश नहीं करना क्या?
मैं फट से उंगली जांघों के बीच में दबाने लगा, थोड़ी देर बाद मैंने मौसी से कहा- मौसी अब कहाँ करूँ?
मौसी- हो गया? हिप्स मसाज तो की ही नहीं.. तुमने तो कहा था.. ‘पूरी’ थकान मिटा दूँगा और इतने में ही थक गए?
मैं तो जैसे ख़ुशी से पागल सा हो गया, मैंने मौसी की तरफ देखा तो वो मुस्कुराईं और बोली- पैन्टी उतार देना वरना तेल में ख़राब हो जाएगी।
मैंने बिना देरी करे उनकी पैन्टी को उनसे अलग कर दिया बस फिर क्या था मेरा लंड तो अकड़ गया, मेरे सामने 40 नाप वाले कूल्हे थे।
आप समझ सकते हैं मेरी हालत क्या रही होगी। मैंने उनके कूल्हों पर तेल लगाया और रगड़ने लगा, अब उसकी सिसकारियाँ मैं सुन सकता था, वो गर्म हो चुकी थीं।
कभी मैं उसकी गांड की दरार में हाथ फिराता तो कभी कूल्हों को दबाता।
अब मैंने अपनी फ्रेंची उतार फेंकी और उसके ऊपर चढ़ गया।
मेरा लंड उनकी दरार में जगह ढूंढ रहा था और मैं उनकी पीठ पर हाथ फेरने लगा और अब मैं उसकी गर्दन तक पहुँच गया था।
यूँ कह सकते हैं कि वो उल्टी लेटी थी और मैं उसके ऊपर था।
ज्यूँ ही मैंने उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया, मैं उसकी सिसकारियों की आवाज सुन सकता था।
थोड़ी देर ऐसे ही मज़े लेने के बाद मैं खड़ा हुआ और अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया।
हाय.. अब वो सीधी हो गई, उसकी चूत पहले ही झड़ चुकी थी, यह चादर के गीले होने से साफ़ पता चल रहा था, उसकी चूत के पानी की गन्ध मुझे मदहोश कर रही थी।
उसकी चूत पर हल्के-हल्के रेशमी बाल थे, जिससे उसकी चूत और निखर रही थी और बोबे… बाप रे.. मैं बिना समय गंवाए उसके ऊपर चढ़ गया और एक बोबे को मुँह में लेकर पागलों की तरह चूसने लगा।
उसने कहा- अभी तो पूरी रात बाकी है आराम से.. क्या तुमने पहले भी किसी के साथ ऐसा किया है?
मैं- नहीं.. आप पहली हो।
मौसी- तो तुम यह करना कैसे जानते हो।
मैं- मैंने ब्लू-फिल्म देखी हैं।
मौसी- तुम तो बड़े नटखट हो, अपनी मौसी को ही चोदोगे? तुम्हारे लंड में इतना दम है?
मैं- दम तो इतना है कि तेरी गांड में भी अगर अपना माल छोड़ दूँ तो भी तू जुड़वाँ बच्चे पैदा कर देगी।
इतने में उसने मुझे चूमना शुरू किया उसके होंठों का रस पान करके मुझे अब उसकी चूत का रस पान करना था, मैंने उसको 69 की अवस्था में कर लिया।
अब एक तरफ वो मेरा लंड का मज़ा उठा रही थी और दूसरी तरफ मैं उसकी गीली चूत का दाना चूस रहा था।
करीब 15 मिनट बाद वो थोड़ा अकड़ी और सफ़ेद पानी छोड़ने लगी।
उसके पानी से मेरा मुँह भर गया पर मैं उसे पी गया। थोड़ी देर में मेरा भी वही हाल था। वो भी मेरा सारा रस एक बार में ही पी गई।
मैं थोड़ा उसके बोबों के साथ खेलने लगा।
करीब आधे घंटे बाद मैंने उसकी चूत में अपना लंड भरा, उसकी चूत थोड़ी कसी हुई थी। उसका पति उसको भरपूर मज़ा नहीं देता था।
मौसी- चोद दो मुझे आज.. कब से किसी लंड का दर्द भरा मजा नहीं मिला मुझे।
मैंने सोचा ‘साली कुतिया मेरे अलावा न जाने कितनों से चुदवा-चुदवा कर अपनी वासना को शांत करती थी..’
पर मेरा क्या था मैंने भी अपना काम चालू रखा, मेरे धक्के तेज़ होते गए, उस रात हम दोनों ‘अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ में शोर करते रहे।
अलग-अलग अवस्था में.. कभी मैं उसको कुतिया की तरह चोदता तो कभी टांग ऊँची करवा के चोदता।
उस रात वो करीब 6 बार झड़ी और मैं चार बार स्खलित हुआ। हमारा ये कार्यक्रम 4 दिन तक रोज चलता रहा, आज भी वो मुझे मज़े लेने के लिए बुलाती है।
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