Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI जेठ जी के अहसान --9

FUN-MAZA-MASTI
  
 जेठ जी के अहसान --9


दीपक को घर देखकर मैं उससे ख़ुशी से लिपट गई , पीछे जेठ जी खड़े मुस्करा रहे थे ! अब मैं बहुत उलझन में आ गई थी , दो दो पति मेरे सामने थे , किससे किस तरह पेश आऊँ कि दूसरे को बुरा न लगे ! पूरा दिन दीपक के साथ अमेरिका कि बातें और गिफ्ट देखने में बीत गया ! दीपक को अमेरिका और दिल्ली के समय के फर्क के कारण नींद सी आ रही थी , इसलिए शाम को हमने जल्दी जल्दी खाना खाया और सोने का कार्यक्रम बनाने लगे ! दीपक जिद कर रहे थे कि मैं जेठ जी के साथ सो जाऊं, पर मैंने मना कर दिया ,और दीपक के साथ ही सोने की ठान ली ! दीपक की अमेरिका से लायी हुई नायलॉन की नाइटी पहन कर मैं बिस्तर पर लेट गई ! आज दीपक के साथ चुदाई करने का मेरा बड़ा मन कर रहा था !दीपक सोने का बहाना बना रहे थे और मैं उनको चूमते जा रही थी ! दीपक ने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा, क्योंकि पहले कभी मैंने पहल नहीं की थी !दीपक ने भी मेरे चुम्मियों का जवाब देना शुरू कर दिया ! बीच बीच में मेरे हनीमून के बारे पूछ लेते थे , मैंने मुस्करा के कह दिया की आपके साथ जो हनीमून था वो ज्यादा अच्छा था ! मैं नहीं चाहती थी कि वो हीन भावना के शिकार हों !फिर मुझे जेठ जी का भी कहा याद आया कि अगर दीपक में कॉन्फिडेंस लाया जाय, तो वो बेहतर सेक्स कर सकता है !
दीपक ने आगे बढ़कर मेरी चूची थाम ली, मैं ब्रा और पैंटी उतार के आई थी !चूची हाथ में लेते ही दीपक बोल पड़े , कितनी मुलायम हो गई है न तुम्हारे ब्रैस्ट इन दस दिनों में , अच्छा लग रहा है !समझ तो मैं भी गई थी कि दीपक मेरी चुचिओं को ढीला बता रहे थे , और होता भी क्यों न ; जेठ जी ने भी तो दिन रात चूचियों रगड़ रगड़ कर इसको ढीला कर दिया था ! चूमते चूसते मैंने एक हाथ से दीपक का लौड़ा पकड़ लिया , दीपक को बिजली का झटका सा लगा ! मैं भी जेठ जी का लण्ड पकड़ते पकड़ते अब बेशरम हो गई थी , और लण्ड पकड़ना तो बहुत आसान लगता था ! दीपक के लौड़े में एकदम से हरकत हुई थी , और वो सर उठा के खड़ा हो गया ! पहले मैंने दीपक को नंगा किया ,फिर अपनी नाइटी उतार फेंकी !दीपक को मैंने नीचे लिटा दिया , और उसको ऊपर से नीचे तक चूमने लगी ! दीपक के लौड़े से चिपचिपाहट आने लगी थी, मेरे बदन कि गर्मी को वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था !दीपक को चूमते चूमते मैं उसका लण्ड मुंह में लेने ही वाली थी, कि रुक गई ,क्योकि मुझे पता था कि इतना डोज़ वो बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे , और पानी निकाल बैठेंगे !हालाँकि मुझे ऐसा बार बार लग रहा था कि दीपक चाहते हैं कि मैं उसका लौड़ा अपने मुंह में लूँ ! अब मैं दीपक के होंठ , कान , छाती ,गर्दन को चूमने और चूसने लगी थी ! अब मैं जानती थी कि कहाँ चूमने से कितना मज़ा आता है , जेठ जी ने चोद चोद के मुझे एक्सपर्ट बना दिया था ! दीपक के ऊपर आते हुए मैं पूरी तरह से उसके ऊपर लेट गई थी , उसका लण्ड अभी तक झड़ा नहीं था और मेरे पेट के निचले हिस्से से रगड़ खा रहा था ! शादी के दिन से आज तक मैं कभी दीपक के ऊपर लेटकर कभी इस तरह का प्यार नहीं किया था ! मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं एक अनाड़ी को चुदाई सीखा रही हूँ ! मैंने दीपक के लौड़े पर बैठते हुए आहिस्ता से दीपक का लण्ड अपने चूत में सड़का लिया ! मैं गीली तो थी ही , और जेठ जी कि कृपा से रास्ते भी अब चौड़े हो गए थे ; जहाँ तक लण्ड जा सकता था ,एक ही बार में बिना कोशिश के घुस गया ! सच बोलूं तो मुझे ऐसा लगा कि जेठ जी ने ऊँगली की हो !लेकिन मैंने दीपक के लौड़े को अपने चूत में जाते ही एक चीख निकली ,जैसे मुझे बहुत दर्द हो रहा हो ! आज पहली बार मैं दीपक के ऊपर थी , और उसके लौड़े को अपने चूत में अंदर बाहर कर रही थी , जो पहले कभी नहीं हुआ ! दीपक ने पहले एक दो बार मुझसे ऊपर आने को कहा था ,पर मैं शर्मा के मना कर देती थी !दीपक के लिए सब कुछ नया अनुभव था,उत्तेजित भी बहुत ज्यादा लग रहे थे , पर ताज़्ज़ुब की बात ये थी की वो अभी तक स्खलित नहीं हुए थे !उनका ये जोश देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था , चूत से ज्यादा मज़ा उनको खुश देखकर आ रहा था ! दीपक ने अब मेरी कमर पकड़ ली थी ,और नीचे से धक्का देने की कोशिश कर रहे थे ! लेकिन वो खुलकर धक्का नहीं दे पा रहे थे , शायद झड़ जाने का डर लग रहा था !मैं भी बहुत बचा बचा कर धीरे धीरे धक्के लगा रही थी , और उसको ज्यादा से ज्यादा देर तक पानी निकालने से रोकना चाहती थी ! आज से कभी मैंने दीपक को इंतने ज्यादा समय तक चोदते अनुभव नहीं किया था, मेरे लिए ये बिलकुल नया अनुभव था ! मैंने जेठ जी की मेहरबानी का मन ही मन शुक्रिया अदा किया की उनके कारण मेरी चुदाई की मस्ती कई गुना बढ़ गई थी , नहीं तो शरमोशरम पूरी ज़िन्दगी बिना चुदे ही बीत जाती ! दिमाग में ये भी आता था की काश जेठ जी ने एक साल पहले ही मुझे चोद दिया होता , तो मैं एक साल पहले से मज़े ले रही होती ! दीपक मेरी पहली पसंद थे , अगर उनकी जिद न होती तो जेठ जी को मैं कभी पास फटकने नहीं देती , पर अब दोनों मुझे अच्छे लग रहे थे ! धक्के लगाते लगाते मैं सोच रही थी की जेठ जी को बुरा तो नहीं लगा होगा की मैं दीपक के साथ सोने चली आई ! दीपक अब हांफने लगे थे, हालाँकि चोद मैं रही थी पर उनमे जल्दी थकने की दिक्कत भी थी ! अब मैंने स्पीड बढ़ा दिया , दीपक को अच्छे से चूसने लगी ! दीपक अब पागलों जैसी हरकत करने लगे थे , कुछ बुदबुदा रहे थे , लेकिन स्पष्ट नहीं सुन पा रही थी ! मुझे लगा की शायद जोश में कुछ गन्दी बातें बोल रहें हैं,जो हमने पहले कभी एक दूसरे के सामने नहीं बोला ! मेरे मुंह से अचानक निकाल गया , जोर से दीपक , बहुत मज़ा आ रहा है , तुम्हारा लौड़ा बहुत हार्ड लग रहा है मेरी चूत में ,और चोदो ...और चोदो दीपक ! जोश में मैं शायद ज्यादा बोल गई , दीपक का गरम पानी अपने चूत में महसूस किया मैंने ! दीपक की पहुँच बहुत कम दूर तक ही थी ,क्योंकि जेठ जी ने अब टारगेट दूर कर दिया था ! जहाँ तक जेठ जी का लण्ड पहुँच जाता था , वहां तक तो किसी दूसरे का पहुंचना मुश्किल था , पर आज दीपक ने अपने जीवन की सबसे लम्बी दुरी नापी थी , और निढाल हो गए थे ! पानी छोड़ते ही दीपक का लौड़ा सिकुड़ गया था ,और फिसलकर मेरी चूत से बाहर आ गया था ! थोड़ा सा गरम पानी अब ठंढा होकर , उसकी जांघों पर गिरा था , जो मैंने अपनी नाइटी से पोछ दी ! दीपक के साथ ही बगल में मैं भी लेट गई ! आग तो भड़क उठी थी , पर दीपक के दमकल में उतना दम नहीं था की मेरी आग बुझा सके ! मैं छत की तरफ देख कर, सोचने लगी की अब क्या करूँ , आग कैसे बुझाऊँ ! एक ही उपाय था जेठ जी का, जो साथ वाले कमरे में लण्ड पकड़ कर बैठे होंगे , पिछले बारह दिनों में पहली बार मेरी चूत के बगैर उनको सोने के लिए जाना पड़ा था !मैं इसी उलझन में डूबी थी कि दीपक के खर्राटों से मेरा ध्यान भंग हो गया ! यात्रा की थकावट और ज़िन्दगी की सबसे मस्त चुदाई के कारण वो नींद में भी बहुत शांत और खुश लग रहे थे ! ऐसी चुदाई किसी को भी मिले तो सो के जागा आदमी फिर से सो जाए , और ये तो हर तरह से थक गए थे ! मैंने दीपक के ऊपर चादर डाला , और शर्म लिहाज़ को छोड़ , अपने चूत की प्यास बुझाने अपने दूसरे पति ,अपने जेठ जी के कमरे की तरफ चल पड़ी !


मैं लड़खड़ाते क़दमों से बिना किसी कपडे में जेठ जी के रूम में पहुंची ! जेठ का का रूम बंद नहीं था , हलकी रौशनी में वो बिस्तर पर आँख बंद किये चादर के अंदर लेटे थे ! लण्ड के पास की जगह ऊपर नीचे हो रही थी , हरकतों से लग रहा था कि शायद वो मुठ मर रहें हैं ! मैं बिना किसी आवाज़ किये उनके पास पहुंची . वो मेरा ही नाम बुदबुदा रहे थे और मुठ मार रहे थे ! मेरा जोश और भी दुगना हो गया था ! भैया मुझे पिछले १२ दिनों से दिन रात चोद रहे थे , आज एक रात मैं नहीं मिली तो मेरे नाम पर मुठ मार रहे हैं ! मैं जेठ जी को इतनी पसंद आई , मुझे पता नहीं था , लेकिन मैं उनके इस व्यवहार से बहुत खुश थी ! मैंने आहिस्ता से जेठ जी कि चादर खींच ली, जेठ जी बिलकुल नंगे लेटे थे , और हाथ में लण्ड लेकर ऊपर नीचे कर रहे थे ! मेरे चादर खींचते ही , उन्होंने अपनी आँखें खोल दी ! मुझे देखकर आश्चर्य और उलझन वाली नजर से देखने लगे ! मैंने बिना कोई समय गवाए उनके ऊपर आ गई और अपने आप को उनके लण्ड के ऊपर बिठा लिया ! तमतमाया लण्ड थोड़ी कठिनाई से मेरी चूत के अंदर घुसने लगा ! आज लण्ड कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था , फंस फंस के अंदर जा रहा था ! आज हमें चूमा चाटी, गरम होने और लण्ड खड़ा करने कि जरुरत नहीं थी , क्यूंकि मैं पहले से ही दीपक से चुदकर बुरी तरीके से गीली होकर आ रही थी , और भैया ने मुठ मारकर लण्ड को पूरे मस्त कर के बैठे थे ! हमारे बीच कोई बातचीत नहीं हुई और चुदाई ज्यादा शुरू हो गई ! भैया ने नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए और लण्ड को उस मोकाम तक पहुँचाया जहाँ दीपक की पहुँच नहीं थी !सटा सट लण्ड गीली चूत के अंदर बाहर जा रहा था ! भैया को तो जैसे कोई बिछड़ी हुई चीज़ मिल गयी हो , ताबड़तोड़ शॉट लगा रहे थे ! जेठ जी ने करीब बीस मिनट तक मुझे घुड़सवारी कराइ , फिर मुझे बिस्तर पर घोड़ी बना दिया ! लण्ड को चूत के मुहाने रखकर सटाक से अंदर किया और घोडा दौड़ाने लगे ! मुझे लग रहा था की वाकई मैं किसी रेस में हिस्सा ले रही हूँ , सटाक ..सटाक..सटाक , जेठ जी का लण्ड मेरी चूत में दौड़ा चला जा रहा था , बीच बीच में मेरी गाँड को दोनों तरफ से थपकी दे रहे थे , जैसे घोड़े को चाबुक लगा रहे हों !भैया ने अब मेरी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया था ,और बहुत बेदर्दी से मसल रहे थे और अपनी ओर खीच रहे थे ! जेठ जी जिस तरह से मेरी चूचियाँ मसल रहे थे , अगर १० दिन पहले मसला होता तो मैं चीख पड़ती , लेकिन अब तो मन करता था की और जोर से मसलें ! मज़ा आ जाता था जब वो दोनों घुंडियों को मसलते थे !मैं पूरी तरह से अब जेठ जी की गुलाम हो गई थी ! मर्द अगर सही ढंग से औरत को चोदे , तो औरत कभी भी मर्द को आँख नहीं दिखा सकती है ! चुदाई में जो मज़ा है , वो दुनिया में और किसी चीज़ में नहीं ! अगर कोई मुझे भैया की रखैल भी कहे तो मुझे परवाह नहीं , जो सुख भैया से मिल रहा था , वो कहीं और से नहीं मिला !
अब मेरी टाँगें जवाब दे रही थी , मैं गिरने की हालत में थी , भैया का लण्ड एक दो बार फिसला , तो भैया ने मुझे पूरी तरह लेटने को कहा , पर अपना लण्ड नहीं निकला ! अब भैया मेरे ऊपर लेटे थे , और चूत में लण्ड पेल रहे थे ! दूर से कोई देखता तो लगता की गाँड मार रहे हैं !मेरी चूत के नीचे तकिया था जो अब पूरा गीला हो रहा था , जिससे मेरी जाँघों में लसलसाहट सी होने लगी थी !जेठ जी का लण्ड आज रुकने का नाम नहीं ले रहा था, बाहर अंदर इतनी तेजी से हो रहा था कि कमरा फच्च फच्च की आवाज़ से गूँज रहा था ! मेरी साँसे अब उखाड़ने लगी थी , ऊपर से भैया का बोझ ! जेठ जी का हाथ मेरी दोनों चुचिओं को अपने कब्जे में कर रखा था , और चूत में लण्ड सरपट दौड़ रहा था ! मेरी गांड पर बार बार भैया का झटका लग रहा था जिससे मेरी गुन्दाज़ गोल गोल गाँड उछल जाती थी , जिसकी थिरकन अगले चोट तक रहती थी !मुझे लगा शायद भैया मेरी गाँड भी मारेंगे, लेकिन चूत की ठुकाई ज्यादा हो जाने के कारण भैया अब छूटने वाले थे ! मैं तो दो तीन बार झड़ कर तकिये को पूरी तरह गीला कर चुकी थी ,भैया ने भी मेरी चूत में पानी की बौछाड़ कर दी ! आज भैया कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ रहे थे , पांच छह झटकों में उन्होंने अपने लण्ड की एक एक बून्द मेरी चूत में निचोड़ी और मेरे ऊपर निढाल हो गए ! मैं भी काफी देर तक यूँ ही लेटी रही, लेकिन भैया का बोझ सह नहीं पा रही थी ,इसलिए कसमसा रही थी ! भैया समझ गए , पुच्च से लण्ड बाहर निकाला और मेरे बगल में लेट गए !मैंने भी पलट कर अपने आप को सीधा किया और एक टांग को भैया के टांग पर रखकर अपनी साँसों पर काबू करने लगी ! ज्यादा देर तक मैं नहीं रुक सकती थी , मुझे वापस दीपक के साथ वापस अपने बिस्तर पर जाना था !भैया को मैंने खूब चूमा ,फिर बोली ,"भैया जा रही हूँ" ! भैया ने मुंह से कुछ नहीं बोला , बस मुस्करा कर प्यार से मेरी चुम्मियों का जवाब दिया और इशारे से जाने को बोला ! मैंने चादर में अपने चूत से बह रहे पानी को पोछा, और अपने कमरे की तरफ चल पड़ी ! मैं चौंक गई ये देखकर की भैया के रूम का दरवाज़ा थोड़ा खुला हुआ था,जबकि मुझे अच्छी तरह याद था की मैंने इसे अच्छी तरह लगाया था , क्योंकि मैं नहीं चाहती थी, कि दीपक के कमरे तक आवाज़ पहुंचे ! दरवाज़े से बाहर निकलते ही मुझे अपने पैरों में गीलापन लगा , झुक कर देखा तो ,वीर्य जैसी बूँदें थी ! अपने कमरे में आकर देखा दीपक हलकी हलकी खर्राटे ले रहे हैं ! मैंने अपने बिस्तर पर रखे नाइटी को उठा कर पहन लिया, अंदर तो कुछ पहना था नहीं , पेट के पास गीलापन महसूस हुआ, सूंघ कर देखा तो वीर्य जैसी ही खुशबू थी ! मैं आश्चर्य में पड़ गई ,दीपक और जेठ जी के अलावा यहाँ कोई भी नहीं है !मैं और जेठ जी करीब दो घंटे से चुदाई कर रहे थे , और मैं अच्छी तरह से खुद को पोछ कर आई थी जेठ जी के कमरे से ! अगर ये गीलापन मेरे और दीपक कि चुदाई का होता तो अब तक सूख चुका होता ! तो क्या दरवाज़े पर और मेरी नाइटी पर दीपक का ताज़ा वीर्य था ! कहीं दीपक ने दरवाज़े पर खड़े होकर मेरे और जेठजी कि चुदाई को तो नहीं देखा ? और फिर दीपक हमारी चुदाई को देखकर मुठ तो नहीं मार रहे थे ! छोटा भाई अपनी बीवी की चुदाई अपने बड़े भाई के साथ देखकर मुठ मारे, ये बात मुझे हज़म नहीं हो रही थी ! एक अजीब सी सिहरन मेरे पूरे बदन में फ़ैल गई , मैं सोच में डूब गई कि अब आगे क्या होने कि संभावना हो सकती है ! जेठ जी को दो दिन के बाद गावं वापस लौटना है , पता नहीं मेरी किस्मत में अब आगे क्या लिखा है !

रात की बात सोचते सोचते कब नींद आ गई , पता नहीं चला की क्या दीपक ने मुझे जेठ जी के साथ चुदाई करते देखा था ! मैं सुबह उठकर चाय लेकर भैया के पास गई , भैया जाग चुके थे ! मैंने रात की बात भैया को बताई , भैया सोच में पड़ गए , कहा कि मैं देखता हूँ !उसके बाद चाय के साथ मैंने दीपक को उठाया , मुस्कराते हुए उठते हुए उसने मुझे बाँहों में लेकर किस किया और और अपने ऊपर खींच लिया ! मैं दीपक के ऊपर लेटी थी और हम दोनों किस कर रहे थे , धीरे धीरे मैंने अपने चूत के ऊपर दीपक के लौड़े को अनुभव किया जो अब खड़ा हो रहा था ! दीपक में अचानक आये बदलाव से मैं खुश थी , पहले ऐसा नहीं होता था , एक बार चुदाई के बाद हम हफ्ते तक दूर ही रहते थे ! अभी चुदाई का वक़्त नहीं था, दीपक को दफ़्तर भी जाना था , और अधूरी चुदाई के बाद मुझे चैन नहीं आता , सो मैंने दूर होना ही ठीक समझा और दीपक को जोरदार किस के साथ अलग होकर घर के काम में लग गई ! भैया और दीपक अपनी अपनी चाय लेकर गार्डन में बैठ कर बातें करने लगे ! पता नहीं दोनों क्या बातें कर रहे थे , मेरे वहां जाते ही बात बदल देते थे !
दीपक के दफ्तर जाते ही मैं जेठ जी के कमरे में आ गई , वो मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे ! बिस्तर पर उनकी बाँहों में घुस कर मैंने चुम्मियों कि बौछार कर दी ! थोड़ी देर कि चुम्मा चाटी के बाद हम बातें करने लगे ! भैया के हाथ मेरी ब्लाउज के अंदर घुसे हुए थे और मेरी चूचियों से खेल रहे थे !
भैया : तुम्हारा शक सही था ,वो दीपक ही था !
मैं : क्या ? मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी , दीपक ने मुझे जेठ जी के साथ चुदाई करते हुए देखा था !
भैया : देखो , उसके अंदर अब बहुत चेंज आ रहा है , वो जल्दी ठीक हो जायेगा ! एक घंटे के अंदर उसने दो बार अपने लण्ड से पानी निकाला, इसका मतलब है कि वो अब शारीरिक रूप से बिलकुल फिट है , सिर्फ तुम साथ दो तो वो बिलकुल नार्मल हो जायेगा !
मैं : वो कैसे ? मैं क्या कर सकती हूँ ? आप बताइये , दीपक के लिए तो मैं जान भी दे सकती हूँ !
भैया : देखो , तुमको किसी और से चुदते देखकर उसमे बहुत उत्तेजना आ जाती है , और उसको मज़ा आता है ! अब हमें करना ये है कि उसके सामने चुदाई करनी है , और जहाँ तक हो सके उसको भी अपनी चुदाई में शामिल करना है !
मैं : ये कैसे हो सकता है , मैं ये नहीं कर सकती !
भैया : देखो सोनी , मेरी उम्र अब ढल रही है , और मैं यहाँ रहता भी नहीं ! तुम्हें अब चुदाई कि आदत पड़ गई है , अपना पति ही ठीक कर लो,नहीं तो इधर उधर मुंह मारोगी !
मैं सोच में डूब गई, क्या मैं ऐसा कर पाउंगी ? अकेले अकेले तो मैं दोनों भाई से चुदवा लेती हूँ पर क्या इकट्ठे चुदवा पाउंगी ! पर मैंने सोच लिया कि चाहे जो हो जाये अब मुझे अपने पति को ठीक करना है ! बातों बातों में भैया मेरी ब्लाउज उतार चुके थे , और साड़ी भी ! पैन्टी और ब्रा मैंने पहनी नहीं थी , सिर्फ पेटीकोट में रह गई ! भैया पेटीकोट उठा कर मेरी चूत में मुंह मारने लगे ! पहले से गीली चूत को चाट चाट के साफ़ किया और चूत कि परतें खोल खोल के जीभ को अमृत पान कराने लगे ! चूत चाटते हुए भी वो मेरी चूचियों को मसलना नहीं भूले थे , और लगातार मसल मसल कर चूचियों को लाल कर दिया था ! मैं भैया के लंडपान को तरस रही थी , भैया ने मेरी इच्छा समझते हुए 69 कि मुद्रा ली और लण्ड मेरे मुंह में ठूंस दिया ! उधर भैया मेरे चूत को चाट और चूस रहे थे और मैं लण्ड को मुंह में ऊपर नीचे कर रही थी !कभी उनके पूरे बदन को सहलाती और कभी उनके गोलियों को सहलाती और मुंह में भी लेती ! एक बार में एक गोली मुंह में मुस्किल से आती थी , मैं गोलियों को चाट चाट कर साफ़ कर रही थी ! कमरे में पुच्छ पुच्छ कि आवाज़ गूंज रही थी , हम बिलकुल मस्त हो गए थे ! हमें आधे घंटे से ऊपर हो गया था लण्ड और चूत चूसते चुसवाते ! अब भैया लेट गए और मुझे लण्ड पर बैठने को कहा !मैं धीरे धीरे लण्ड को चूत के अंदर लेती रही और भैया भी हल्का हल्का धक्का लगाकर चूत को अंदर तक हिला दिया ! हलके धक्के से शुरुआत हुई , मैंने भैया को चोदना शुरू कर दिया !थोड़ी ही देर में लण्ड चूत में बिना किसी रुकावट के सटा सट जाने लगा ! मैंने स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी , भैया चुप चाप लेट कर मेरी चुचियो को मसल रहे थे और घुंडियों को भी बेदर्दी से मसल रहे थे !लगातार चोदते हुए और अपनी स्पीड बढ़ाते बढ़ाते मेरा जोश अब जवाब दे रहा था और मैं हांफने लगी थी ! तभी बिस्तर के कोने में रखा मेरा मोबाइल बज उठा ! हम डिस्टर्ब नहीं होना चाहते थे इसलिए भैया के लण्ड पर धक्का लगाते लगाते , कॉल काटने के लिए मैंने मोबाइल उठाया ! नाम देखते ही मेरे होश उड़ गए , मेरे बड़े भाई राहुल का फ़ोन आ रहा था लंदन से ! मैंने जेठ जी को बताया , भैया ने फ़ोन उठाने को कहा ! मैंने अब धक्का लगाना बंद कर दिया था , और फ़ोन उठा कर हेलो कहा ! जेठ जी ने नीचे से धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया !
राहुल :कैसो हो सोनिया बहन ?
मैं : ठीक हूँ , आप कैसे हैं , कैसे फ़ोन किया इतने दिनों बाद ?
राहुल : मैं ठीक हूँ , तुम हांफ क्यों रही हो ?
मैं : वो ..वो...सीढ़ियां चढ़ रही हूँ , लिफ्ट ख़राब है !
राहुल : अच्छा , एक खुशखबरी है , मैं कल दस दिनों के लिए दिल्ली आ रहा हूँ ,कंपनी का काम है !
मैं : अरे वाह ये तो बहुत बड़ी ख़ुशख़बरी दी आपने, मज़ा आ जायेगा, भाभी को भी ल रहें हैं ना !
राहुल : नहीं बहन , ऑफिस का टूर है ! चलो फिर आ के बात करते हैं , बाय !
मैं : बाय राहुल !
मुझे बड़ा अजीब लग रहा था भाई से बात करते करते ! कैसे बताती कि जेठ जी से चुद रही हूँ , इसलिए हांफ रही हूँ ! जेठ जी ने हमारी बातों के दौरान भी मेरी चूत में धक्के लगाने जारी रखे , और मुझे मसलते भी रहे !मुझे उलझन में देख जेठ जी ने मुझे अपने ऊपर झुका लिया और ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगे ! मैं भी अपने भाई को भूल कर , पति के भाई के साथ चुदाई में डूब गई ! अब हमारे बीच कम्पटीशन चल रहा था ! भैया दो धक्के लगाते तो मैं वापस दो धक्के लगाती ! भैया तीन तो मैं तीन वापस करती ! ताल से ताल मिला मिला कर चुदाई को हमने संगीतमय बना दिया था ! हम दोनों ही थक चुके थे , भैया की पकड़ से लग रहा था कि अब वो छूटने वालें हैं , मैं भी चुदाई करते करते ठीक से भइया के ऊपर लेट गई ! भाई ने अपने को पूरा कंट्रोल किया और मुझको बाँहों में जकड़ते जकड़ते उलट गए ! अब मैं नीचे थी और वो ऊपर थे ! उसके बाद तो भैया अपना पूरा जोर लगाकर लण्ड 100 कि स्पीड में भगा दिया , बिना किसी ब्रेक के ! आज लगता था कि भैया मेरी गांड के रास्ते लण्ड बहार निकाल देंगे , क्योंकि वो चोद तो मेरी चूत रहे थे और दर्द गांड में होने लगी थी ! सटा सट लण्ड पेलते हुए जेठ जी ने एक झटका लिया और उनके लण्ड ने मेरी चूत में उलटी कर दी !गरम वीर्य के धार बच्चेदानी तक पहुँच रही थी , मैं भी इस चुदाई कि आखिरी पिचकारी भैया के लण्ड पर मार कर जवाब दे रही थी !चूत के अंदर भारीपन आ रहा था , भैया ने लबालब भर दिया था, मेरी चूत को अपने वीर्य से ! हममें अब बात करने या कुछ और करने की ताक़त नहीं बची थी ! भैया ने सात आठ बार झटके देकर अपने लण्ड से वीर्य की एक एक बूँद निचोड़ दी और हम दोनों निढाल होकर एक दूसरे कि बाँहों में सो गए !

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