Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI भिखारी की हवस-8

FUN-MAZA-MASTI


 भिखारी की हवस-8
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अब आगे
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 मुम्मेथ गंगू को अपने साथ लेकर अपने बेडरूम मे आ गयी...बड़ा ही आलीशान बेडरूम था उसका, सफेद रंग के पलंग के चारों तरफ कीमती कार्पेट बिछा था, दीवारों पर हल्का नीला रंग था और हर जगह मुम्मेथ की पिक्चर्स लगी थी..उसने एक बटन दबाया जिससे सारे कमरे की रोशनी धीमी सी हो गयी..

गंगू का हाथ पकड़कर उसने पलंग पर बिठा दिया..

और फिर उसने सी डी प्लेयर पर वही गाना चला दिया..''देख ले...आँखो मे आँखे डाल..''

और उसी गाने की धुन पर धीरे-2 उसकी कमर मटकने लगी..

हर झटके से उसके मोटे मुम्मे बिखर से जाते और फिर से सिमट कर वापिस आ जाते..

गंगू ने मन ही मन सोचा की उसके मुम्मे इतने मोटे है तभी शायद इसका नाम मुम्मेथ है..

उसके पेट पर बने हुए टेटु को देखकर उसे एक अजीब सी उत्तेजना हो रही थी..उसका मन कर रहा था की अपनी खुरदुरी जीभ से उसका वो हिस्सा चाट जाए..इतना चाटे की उसका टेटु मिट जाए..

मुम्मेथ के चेहरे पर एक अजीब तरह का लालच दिख रहा था...आज उसके पास बिन माँगे एक मर्द जो आ गया था..इसलिए वो हर कीमत पर,अपने हर जलवे दिखाकर, उसे पाना चाहती थी.

मुम्मेथ अपने मोटे-2 मुममे हिला कर उसके इर्द गिर्द नाच रही थी..उसने अपनी टांगे उठा-2 कर जब गंगू के चेहरे के पास रखी तो वो उसकी जाँघो की मोटाई और मखमलीपन देखकर हैरान रह गया..उसने तो सोचा भी नही था की औरतें इतनी चिकनी भी हो सकती है...उसने तो आजतक झुग्गी मे रहने वाली या रंडियों की चूत ही मारी थी..जो ढंग से अपने बाल तक साफ़ नही करवाती.

और ना चाहते हुए भी उसके हाथ उसकी जांघों पर आ गये..गंगू का खुरदुरा हाथ अपनी जाँघ पर महसूस करते ही वो सिहर उठी..इतना रफ़ सा था वो..जब चुदाई करेगा तो क्या हाल होगा उसका...ये ख्याल आते ही उसने गंगू के हाथ के उपर अपना हाथ रखा और उसे अपनी जांघों पर घिसने लगी..

गंगू के इतना करीब आने की वजह से उसके शरीर से आ रही दुर्गंध भी उसे महसूस हो रही थी..पर कामोत्तेजना के आवेश मे वो दुर्गंध भी उसे किसी चुंबक की तरह अपनी तरफ खींच रही थी.

गंगू भी अब समझ चुका था की वो चुदने के लिए पूरी तरह तैयार है,क्योंकि वो खुद उसके हाथ को पकड़कर अपनी जांघों पर ऐसे घिस रही थी मानो उसमे से जिन्न निकलवाना हो..

पर जिन्न तो उसकी खुद की टाँगो के बीच खड़ा हो चुका था..उसके आठ इंच के लंड ने अपना विकराल रूप धारण कर लिया था और वो उसकी पेंट को फाड़कर बाहर आने को तैयार था.

मुम्मेथ की जाँघो की रगड़ाई करते-2 गंगू का हाथ उसकी चूत की तरफ खिसकने लगा..और उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वो धीरे-2 किसी आग की भट्टी के पास जा रहा है..उसकी चूत से निकल रही आँच की तपन उसे दूर से ही महसूस हो रही थी.

पर मुम्मेथ पूरे मज़े लेने के मूड मे थी..उसने गंगू का हाथ हटाया और फिर से गाने की धुन पर थिरकने लगी..उसके लटके-झटके देखकर वो उसके डांस का कायल हो गया..उसकी मोटी कमर, चौड़े कूल्हे और भरंवा गांड को देखकर वो बेकरार सा हो उठा...और उपर से उसके मोटे-2 मुम्मे , जो हिलकर अपने वजन का एहसास करवा रहे थे उसको..

गंगू का मन तो कर रहा था की वो उसके चुच्चे पकड़ कर निचोड़ डाले..पर वो भी जानता था की आख़िर मे वो सब तो होना ही है..पहले उसके डांस के मज़े तो ले ले ,बाद मे उसके शरीर के साथ जी भरकर खेलेगा.

नीचे खड़ा हुआ भूरे परेशान हो रहा था...उसके हिसाब से अब तक गंगू को वहाँ पहुँच जाना चाहिए था..पर वो दूर -2 तक नही दिख रहा था..दिखता भी कैसे, वो तो उपर मुम्मेथ के मुम्मे देखकर अपने लंड को रगड़ रहा था..


 मुम्मेथ ने जब देखा की गंगू अपने हाथों से अपने लंड को रगड़ रहा है तो वो पलंग पर चड़कर बिल्ली की तरह चलती हुई उसके पास तक आई...उसे धक्का देकर बेड के बीचो-बीच लिटा दिया...और खुद उसकी टाँगो से लेकर उपर तक सूंघने लगी...ऐसी कामुकता का एहसास उसे आज तक नही हुआ था ...वो धीरे-2 उसके हर अंग को सूंघति हुई उपर तक आई..और जब उसका चेहरा ठीक उसके सामने आया तो गंगू को वो सीन याद आ गया जब वो गाने मे जिम्मी शेरगिल के उपर अपने शरीर को हवा मे लटका कर उसे अपने जलवे दिखा रही थी..

बस यही वो पल था जब मुम्मेथ ने अपने हाथ पीछे किए और अपने ब्लाउस की डोरी खोल दी...उसका ब्लाउस आगे की तरफ गिरता हुआ नीचे लटक गया...और नीचे उसकी गोल्डन कलर की ब्रा गंगू की आँखों के सामने उजागर हो गयी...इतनी सेक्सी ब्रा तो गंगू ने आज तक नही देखी थी...और उनमे मुम्मेथ के मोटे मुम्मे समां नही पा रहे थे..

अचानक मुम्मेथ ने गंगू का चेहरा पकड़ा और उसे अपने मुम्मों के बीच भींच दिया...गंगू को तो ऐसा लगा की उसका चेहरा किसी नर्म रज़ाई के बीच जा घुसा है...और दूसरी तरफ मुम्मेथ के सीने मे जब उसके चेहरे के बाल चुभे तो वो दर्द से तड़प उठी पर उसने उसके चेहरे को छोड़ा नही..वो उसे अपने मुम्मों पर ज़ोर-2 से रगड़ती रही..

गाना ख़त्म हो चुका था..पर गंगू अब चालू हो चुका था..

उसने मुम्मेथ की ब्रा के हुक खोलकर उसे नीचे फेंक दिया...और अब उसकी आँखो के सामने उसकी नंगी छातियाँ थी...इतने मोटे और बड़े मुम्मे देखकर वो तो निहाल हो उठा और वो भी एक हीरोइन के, उसने तो सोचा भी नही था की एक दिन उसकी किस्मत मे ऐसा दिन भी आएगा जब वो किसी हीरोइन के मुम्मे चूस रहा होगा..

उसने गोर किया की मुम्मेथ ने अपने निप्पल के पास भी एक टेटु बनवा रखा है...उसने मन ही मन सोचा की कितनी बेशरम होती है ये हेरोइने ,कैसे बनवाती होगी ये किसी मर्द से अपने अंदरुनी अंगो पर ऐसे टेटु..पर उसे क्या वो तो मज़े लेने आया था..सो लेने लगा..

उसने उसके मोटे निप्पल को अपने मुँह मे भरा और उसे जोरों से चूसने लगा..

''अहहययययययययययययीीईईईईई....... म्*म्म्ममममाआआअरर्र्र्ररर गयी...........अहहssssssssssssss ....धीई ररएरए ,.......जंगली ...........कुत्ते .......... एsssssssssssssssss .....''

पर गंगू का तो यही तरीका था...वो तो अब बेलगाम हो चुका था..उसने मुम्मेथ को पलंग पर पटका और खुद उसके उपर सवार हो गया...और एक ही झटके मे उसकी स्कर्ट को भी उतार फेंका..उसकी कच्छी को तो उसने फाड़ ही डाला..और फिर जो नज़ारा उसके सामने था वो उसकी जिंदगी का सबसे हसीन पल था.

उसके सामने थी मुम्मेथ ख़ान, पूरी नंगी..अपने भरपूर जवानी मे लिपटी हुई...किसी नागिन की तरह उसका शरीर बिस्तर पर मचल रहा था..

उसके पेट पर बना हुआ टेटु उसकी चूत के दरवाजे तक जा रहा था..और उसकी चूत को छिदवा कर उसने एक सोने की बाली पहनी हुई थी..ये नज़ारा गंगू के लिए नया था, वो तो ये सोचकर ही सिहर उठा की उसने कैसे अपनी चूत छिदवाई होगी और ये सोने की बाली उसमे डलवाई होगी...खेर ,उँचे लोगो की ऊँची पसंद .

गंगू ने अपनी टी शर्ट उतार फेंकी..उसकी छाती के बाल देखकर मुम्मेथ सम्मोहित सी होकर उठी और अपनी नाक वहाँ पर रगड़ने लगी...गंगू ने उसके बालों को पकड़ा और उसके चेहरे को उपर किया और अपने होंठों को उसके होंठों पर रखकर जोरों से रगड़ने लगा...चूसने लगा ...उन्हे खाने लगा.

मुम्मेथ को भी उसका जंगली तरीका पसंद आ रहा था, उसकी नशीली जवानी को आजतक सुलझे हुए लोगो ने ही चखा था, आज पहली बार वो अपने शरीर को ऐसे इंसान से नुचवा रही थी जो उसके स्टेटस का भी नही था..


 गंगू ने उसके चेहरे को चूसा, उसकी गर्दन को चाटा और उसके मुम्मे चूसता हुआ वो उसकी चूत तक पहुँच गया..और एक ही झटके मे उसने अपना सिर आगे किया और मुम्मेथ ने अपनी चूत ....

दोनो एक दूसरे से ऐसे टकराए जैसे कोई तूफ़ान , मुम्मेथ को तो ऐसा लगा जैसे उसने बरसों से भूखे कुत्ते को खाना दिया गया है ..वो सड़प -2 करते हुए उसकी शहद जैसी मीठी चूत का रस पीने लगा...और साथ ही साथ उसकी चूत मे फंसी सोने की बाली को भी चुभलाने लगा..उसने नोट किया की जब वो उसे चुभलाता तो वो दर्द और मज़े से एक साथ सिहर उठती..शायद इसी लिए उसने वहाँ पाईरेसिंग करवाई थी .

गंगू की लंबी जीभ ने मुम्मेथ की चूत की गहराई बड़ी आसानी से नाप ली...उसके अंदर से निकल रहा रस उसे इतना स्वादिष्ट लग रहा था की वो रुकने का नाम ही नही ले रहा था...और अचानक मुम्मेथ झड़ने के कगार पर आ गयी...उसने गजब की शक्ति और फुर्ती दिखाते हुए गंगू को नीचे पटका और खुद उसके चेहरे पर सवार होकर जोरों से अपनी चूत को उसके चेहरे पर घिसने लगी...वो ऐसे घिस रही थी मानो अपनी चूत का रस निकलवा रही हो उसके मुँह की मशीन से...गंगू के बाल पकड़कर वो बावली कुतिया की तरह अपनी आँखे बंद किए उसके मुँह के अंदर अपनी चूत को ठूसकर जोरों से हीले जा रही थी..

'''अहह ....चााट कुत्तेsssssssssssssssss ...... अहहsssssssssssssssss ....भेन चोद ..... अहह ...सालेsssssssssssssssssssssssssss .....खा जा आ ...मेरी चूत को ......अहहsssssssssssssssssssss ......''

और अगले ही पल उसकी चूत के अंदर से गरमा गरम रसमलाई निकल कर गंगू के चेहरे पर बिखर गयी...गंगू को ऐसा लगा की उसके चेहरे पर किसी ने गिलास भरकर मीठा पानी फेंक दिया है..वो अपनी जीभ से , ज़्यादा से ज़्यादा मलाई को चाटकर अपनी प्यास बुझाने लगा.

झड़ने के बाद मुम्मेथ किसी कटे पेड़ की तरह एक तरफ गिर गयी....उसके शरीर मे जान नही बची थी...पूरा शरीर पसीने से नहा चुका था.

अब गंगू की बारी थी...वो उठा और उसने अपने लंड को उसके चेहरे के सामने लहरा दिया...मुम्मेथ आधी बेहोशी मे थी, जैसे ही उसकी नाक के पास गंगू का लंड आया, एक तेज दुर्गंध से उसकी आँखे खुल गयी..जैसे मिर्गी के मरीज को बदबूदार चप्पल सुंघा दी गयी हो

और आँखे खुलते ही उसकी आँखो के सामने गंगू का नाग लहराता देखकर वो डर सी गयी...चेहरे के इतने पास होने की वजह से वो कुछ ज़्यादा ही बड़ा और भयानक लग रहा था...बालों से भरा हुआ...और उपर से उसमे से आ रही दुर्गंध उससे बर्दाश्त नही हो रही थी..उसे ऐसा लगा की उसको उल्टी आ जाएगी अगर उसने गंगू के लंड को मुँह मे लिया...पर लेना तो था ही..वरना ऐसे मर्द खुश नही होते..और अगर वो खुश नही हुआ तो उसकी चुदाई कैसे करेगा.

वो झट से उठी और भागकर फ्रिज मे से फ्रूट जैम की शीशी निकाल कर ले आई...उसने उसका ढक्कन खोला और उसके अंदर गंगू के लंड को डाल दिया और सारा जैम गंगू के लंड के उपर लग गया...फिर उसने उसे बाहर निकाला और अपनी जीभ निकाल कर धीरे-2 उसके उपर लगा हुआ जैम चाटने लगी...और फिर सब कुछ चाटने के बाद उसने गंगू के लिसडे हुए लंड को अपने मुँह मे भरकर चूसना शुरू कर दिया..अब वो मीठा एहसास दे रहा था.

दूसरी तरह गंगू समझ रहा था की ये भी शायद बड़े लोगो का कोई तरीका होगा...पता नही कैसे-2 कामो मे इन लोगो को मज़े आते हैं..उसे कोई फ़र्क नही पड़ रहा था, उसे तो मज़े आ रहे थे...एक नये अनुभव का एहसास हो रहा था..

मुम्मेथ का मुँह उसके लंड को पूरा अंदर नही ले पा रहा था...पर फिर भी वो उसको चूसती रही..

मुम्मेथ को ऐसा करता देख गंगू ने कमान संभाली और उसके बालों को पकड़ कर अपना पूरा लंड एक ही झटके मे उसकी हलक तक उतार दिया...मुम्मेथ की तो आँखे निकल कर बाहर आ गयी...उसे ऐसा लगा की उसकी साँसे रुक जाएगी, उसके गले की नसें फट जाएगी..

गंगू ने उसके चेहरे को किसी सस्ती रंडी की तरह चोदना शुरू किया...हर झटके मे उसके लंड का टोपा मुम्मेथ के टॉन्सिल्स को छूकर वापिस आता..थोड़ी देर बाद वो अभ्यस्त हो गयी और उसे भी मज़ा आने लगा.

गंगू भी जानता था की उसके पास ज़्यादा समय नही है...उसने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाला और उसकी दोनो टांगे फेला कर उसे मोरनी बना दिया...और उसकी आँखों में देखते-2 अपना मीठा लंड उसकी चाशनी से भीगी चूत की गहराइयों मे उतार दिया...


 उसकी चीख इतनी तेज थी की पूरी बिल्डिंग मे गूँज गयी...इतना मोटा लंड शायद उसने पहली बार लिया था..

''अहहस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स्स ......... मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे............. ओह ... फ़ाआड डाली तूने तो मेरी ................... उम्म्म्मममममम .....पर .......... मजाआा ...... आआआआ ...... राआआआssssssssssssssssss ...... हैssssssssssssssss ईईईईई..... अहह ......ऐसे ही करो............... ज़ोर से .................उम्म्म्मममममममम ....... एसस्स्स्स्स्स्सस्स ......फककककक मीईई ......हाआआरडर ''

इतनी अँग्रेज़ी तो गंगू को भी आती थी....उसने मुम्मेथ की ईच्छा पूरी करते हुए उसकी रेल बना डाली....और अगले पाँच मिनट के अंदर ही उसने उसकी सारी मांसपेशियाँ ढीली कर दी....हर झटके मे आ रही फॅच-2 की आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था....मुम्मेथ का सेल फोन बज रहा था, पर उसे सुनाई ही नही दे रहा था...वो तो अपनी जिंदगी की सबसे ज़्यादा रफ़ चुदाई करवाने मे लगी थी..

गंगू उसके उपर लेट गया और दोनो के शरीर एक दूसरे से पूरी तरह से चिपक गये..उसका लंड अभी भी अंदर था और वो अपने चूतड़ उठा-2 कर उसे अंदर बाहर कर रहा था...गंगू उसके होंठों को चूसता हुआ झड़ना चाहता था...उसने मुम्मेथ के मोटे होंठों को चूसना शुरू किया और जल्द ही उसका ऑर्गॅज़म निकट आ गया...और उसके लंड के पाइप से गाड़े रस की सारी सप्लाई उसकी चूत के अंदर पहुँच गयी.

मुम्मेथ को ऐसा लगा की उसे अंदर तक किसी गर्म लावे से भर दिया गया है..

वो तो फिर से बेहोशी के कगार पर पहुँच गयी...क्योंकि वो लगातार तीसरी बार झड़ चुकी थी..

नीचे खड़े हुए पुलिस के लोगो को अब विश्वास होने लगा था की शायद उनकी इन्फ़ॉर्मेशन ग़लत थी...क्योंकि अब तक 1 घंटे से ज़्यादा हो चुका था, और ऐसी डील्स अपने समय के अनुसार ही होती है, वरना नही होती..उन्होने अपने सीनियर्स से परामर्श किया और वहाँ से निकल गये..

भूरे ने जब उन्हे जाते हुए देखा तो वो भी समझ गया की पुलिस वाले क्यो चले गये हैं, पर उसे अभी भी डर था की कही कोई पुलिस वाला छुप कर बिल्डिंग की निगरानी ना कर रहा हो, इसलिए वो खुद जाकर या अपने किसी साथी को उपर बिल्डिंग मे भेजकर कोई रिस्क नही लेना चाहता था...गंगू का कोई पता नही था, वो उसका वहीं रुककर इंतजार करने लगा...वो उसे भी उपर भेजकर कोई रिस्क नही लेना चाहता था..देर से ही सही, उसे विश्वास था की वो वहाँ ज़रूर पहुचेगा..शायद रास्ता ना मिल रहा हो या ट्रेफिक मे फँसा हो.

और उपर गंगू अपने जीवन की सबसे मस्त चुदाई करने के बाद पस्त सा होकर एक तरफ लुडक गया..मुम्मेथ उसके सीने पर सिर रखकर होल से मुस्कुराइ..उसने भी आज से पहले ऐसी चुदाई नही करवाई थी.वो आज बहुत खुश थी..उसने साइड की ड्रॉयर से दस हज़ार की गड्डी निकाल कर गंगू को दे दी...गंगू की तो लॉटरी निकल गयी...पहले भूरे ने दस दिए और अब मुम्मेथ ने भी...इतने पैसे तो आज तक उसने नही देखे थे.

उसके बाद दोनों ने अपने-2 कपड़े पहने..और गंगू वहाँ से पेकेट लेकर बाहर निकल आया..

वो बड़ी सी सतर्कता से इधर उधर देखकर बाहर निकल रहा था...उसे बिल्डिंग से बाहर निकलता देखकर कल्लन की नज़र उसपर पड़ी और वो एकदम से चिल्लाया : "अर्रे भाई...वो देखो ...वो रहा साला गंगू ...''

भूरे ने चोंक कर उसी तरफ देखा, तब तक गंगू ने भी उन्हे देख लिया था और वो भागकर उनके पास पहुँच गया.

भूरे को तो विश्वास ही नही हो रहा था की गंगू बिल्डिंग से निकला है .....पर वहाँ कोई तमाशा करना बेकार था, वो जल्दी से गाड़ी मे बैठे और वापिस झुग्गी की तरफ चल दिए..

रास्ते मे गंगू को पता चल गया की पुलिस तैनाक थी और वो पकड़ा जा सकता था..इसलिए वो लोग भी वहाँ पहुँच गये थे..

गंगू के चालक दिमाग़ ने झट से कहानी बना ली और उसने भूरे को विश्वास दिला दिया की वो भी पुलिस से बचने के लिए काफ़ी देर तक बिल्डिंग मे ही छुपा रहा और उनके जाने के बाद ही बाहर निकला...और फिर उसने वो पेकेट भूरे को दे दिया...वो भी काफ़ी खुश हुआ...क्योंकि आज उसकी जान जो बच गयी थी...वरना नेहाल भाई तो उसकी लाश भी ना मिलने देते..







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