Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI भिखारी की हवस-7

FUN-MAZA-MASTI


 भिखारी की हवस-7
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अब आगे
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 भूरे ने समझा की सच मे गंगू के बस का कुछ नही है ...लगता है एक टाँग के साथ-2 उसका लंड भी खराब है ...इसलिए अपनी गर्म बीबी की आग को वो ठंडा नही कर पाता है ..

उसने सोचा, मुझे क्या करना इनके घरेलू मुद्दों से, उसके तो मज़े हैं,ऐसी औरतें ही, जिनके मर्द किसी काम के नही होते हैं, बाहर निकलकर मुँह मारती हैं और उसके जैसे हरामियों के हाथों अपनी चूत की आग को ठंडा करती है ..

उसने उसके मुम्मे चूसने जारी रखे ..और उसके हाथ फिसलकर उसके कुल्हों पर आ गये ...और उन्हे उसने अपनी तरफ ज़ोर से दबा लिया..और ऐसा करते ही नेहा की धधक रही चूत उसके खड़े हुए लंड से आ टकराई ....

उसने एक पल मे ही उसके पायजामे को भी नीचे खिसका दिया और उसकी चूत को देखते ही उसके अंदर का जानवर जाग उठा ...

और उसने अपने लंड को उसकी चिकनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया ....अपनी चूत पर मिल रही गर्म डंडे की रगड़ाई से नेहा की रही सही शरम भी जाती रही...अब उसको किसी भी हालत मे उसका लंड अपनी चूत के अंदर चाहिए था ..

उसकी आँखें के सामने फिर से कल रात का वाक़या आने लगा, जिसमे गंगू ने रज्जो की घोड़ी बनाकर चुदाई की थी..और रज्जो ने चीख चीखकर पूरे अस्तबल को सिर पर उठा लिया था ...वो समझ गयी थी की वही असली मज़ा देने वाली क्रिया है ...उसके खड़े हुए लंड को अपनी चूत मे डालना होगा...

भूरे ने पलक झपकते ही उसके पायजामे को उतार फेंका और उसे नंगा कर दिया ... ठंडे पानी के अंदर दोनो नंगे थे अब ...भूरे ने उसका हाथ पकड़ा और उसे चट्टानों की तरफ ले जाने लगा ..उसी जगह जहाँ पर गंगू ने रज्जो की चुदाई की थी, वहाँ एक सपाट सा पत्थर था, जिसपर लेटकर वो उसकी चुदाई करने वाला था..

भूरे ने नेहा को उसी पत्थर पर लेजाकर लिटा दिया....और उसकी टांगे खोलकर उसकी चूत को निहारा ...वो किसी कच्ची कली की तरह थी, ऐसा लगता था की उसके अंदर आज तक कुछ गया ही नही है ...भूरे समझ गया की गंगू ने उसकी चूत का उदघाटन अभी तक नही किया है....इसलिए तो नेहा इतनी आसानी से उसकी हर बात को मानकर चुदाई के इस मुकाम तक पहुँच चुकी है ..

उसने अपने लंड पर ढेर सारी थूक लगाकर उसे चिकना किया और झुककर जैसे ही उसके अंदर अपना लंड डालने लगा..उसके एक चेले की घबराई हुई सी आवाज़ आई..

''भाई ...... भाई ...कहाँ हो आप ....जल्दी आओ ...''

भूरे की तो झांटे सुलग उठी...उसने मना भी किया था की उस तरफ कोई भी नही आएगा...फिर एन मौके पर ये कल्लन उसको क्यो आवाज़ें दे रहा है ..

वो झल्लाता हुआ सा चट्टान की औट से बाहर निकला , और बोला : "मादरचोद ....तुझे मना किया था ना की यहाँ कोई नही आएगा, तो फिर क्यो आ गया अपनी मा चुदवाने ...''

कल्लन : "भाई ....सॉरी ...भाई ...वो ...दरअसल ....नेहाल भाई का फोन आया है ...''

नेहाल का नाम सुनते ही उसका दिमाग़ सुन्न सा हो गया ...नेहाल भाई उसके बॉस का भी बॉस था ...यानी पूरे शहर का दादा ....उसका ही काम था जिसके लिए उसने गंगू को आज पेकेट लाने के लिए भेजा था ..

वो नंगा ही उछलता हुआ सा बाहर निकल आया और कल्लन के हाथ से फोन लेकर घबराई हुई सी आवाज़ मे बोला : "सलाम नेहाल भाई ...कहिए, कैसे याद किया मुझे ...''

दूसरी तरफ से नेहाल की गुस्से से भरी आवाज़ आई : "साले ...किसे भेजा है तूने आज अपना माल उठवाने के लिए ...''

भूरे की तो सिट्टी पिटी गुम हो गयी, वो हकलाते हुए बोला : "एक नया बंदा है भाई ...क्यों क्या हुआ ...''

नेहाल : "अभी के अभी उसको वापिस बुला ले...पुलिस को किसी ने इनफॉर्म कर दिया है ..जहाँ से माल लेना है,उस जगह पर पूरी फील्डिंग है पुलिस की ...अगर पकड़ा गया तो पूरे एक करोड़ के पाउडर का नुकसान होगा ''

उसकी बात सुनकर भूरे भी घबरा गया...पर वो आगे क्या बोलता, गंगू के पास तो कोई फोन भी नही था ..

उसे चुप देखकर नेहाल फिर से दहाड़ा : "अब बोल ना साले , तेरी ज़ुबान पर ताला क्यो लग गया है ...''

भूरे : "भाई ...वो दरअसल ....उसके पास कोई फोन नही है ..''

ये सुनते ही नेहाल ने उसको एक से बढ़कर एक गंदी गालियों से नहला दिया और उसे उसी वक़्त गंगू के पीछे जाने को कहा, ताकि उसे दूर ही रोककर इस मुसीबत से बचा जा सके ..

उसकी बात सुनते ही उसने कल्लन को गाड़ी निकालने के लिए कहा ...और अपने कपड़े पहन कर वो अपने साथियों के साथ चल दिया.

और दूसरी तरफ बेचारी नेहा चट्टान की औट मे नंगी लेती हुई उसके वापिस आने की प्रतीक्षा कर रही थी ...और उसे एकदम से अपने कपड़े पहन कर जाता हुआ देखकर उसे भी कुछ समझ मे नही आया...उनके जाने के बाद उसने भी बेमन से अपने कपड़े पहने और वापिस अपने घर की तरफ चल दी ..

दूसरी तरफ गंगू को भी पता नही था की आज उसके साथ क्या होने वाला है ..

वो तो अपनी ही धुन मे, अपनी जेब मे पड़े पैसों की गर्मी को महसूस करता हुआ, गुनगुनाता हुआ , अपनी मंज़िल की तरफ तेज़ी से बड़ा जा रहा था.


 दूसरी तरफ, जहाँ से गंगू को वो पेकेट लेना था, उस जगह को चारों तरफ से पुलिस ने घैर रखा था...सारे पुलिस वाले सादी वर्दी मे थे ... उनके इनफॉर्मर ने बताया था की उसी बिल्डिंग से पेकेट लेने के लिए कोई आएगा...

ये एक 15 मंज़िला बिल्डिंग थी ... जिसमे शहर के काफ़ी रईस लोग रहते थे ... अंदर जाने की किसी भी पुलिस वाले मे हिम्मत नही थी, इसलिए उन्होने बिल्डिंग के गेट के बाहर ही अपनी चोकसी लगा रखी थी ..

पुलिस वाले अब किसी ऐसे संधीगध व्यक्ति की तलाश कर रहे थे जो ऐसी तस्करी का काम कर सकता हो...यानी गुंडे टाइप का ..

गंगू आज ऑटो मे वहाँ गया था और थोड़ी दूर पर ही उतर गया ताकि कोई उसे देखकर ये ना कहे की भिखारी क्यो ऑटो मे आ रहा है ..और किसी को शक ना हो जाए उसपर ..

गंगू तो भिखारी था... वो अपनी एक टाँग से लंगड़ाता हुआ सा बिल्डिंग के अन्दर दाखिल हो गया...और किसी भी पुलिस वाले को उसपर शक भी नही हुआ..वो तो सपने मे भी सोच नही सकते थे की एक भिखारी इतना कीमती पेकेट लेने के लिए आएगा..

गंगू सीधा लिफ्ट के पास पहुँचा...और जैसे ही अंदर जाने लगा, उसको वहाँ बैठे चोकीदार ने रोका : "ओये .... तू कहाँ घुसा चला जा रहा है ...चल निकल यहाँ से ...तुझे अंदर किसने आने दिया ..साले भिखारी ...''

गंगू ने अपनी जेब से एक विज़िटिंग कार्ड निकाला और उसके सामने लहरा दिया...चोकीदार भी उस कार्ड को देखकर एकदम से सहम गया...उसने बिना कुछ बोले गंगू को लिफ्ट से उपर जाने दिया..

दरअसल वो विज़िटिंग कार्ड भूरे सिंह ने ही दिया था ,वो कार्ड उसी बिल्डिंग मे रहने वाले इकबाल का था, जिसका अफ़ग़ानिस्तान मे काफ़ी बड़ा बिज़्नेस था..और उसी बिज़्नेस की आड़ मे वो नेहाल के लिए ड्रग्स की तस्करी करता था...

भूरे ने वो कार्ड देते हुए कहा था की बिल्डिंग मे कोई भी रोके तो ये कार्ड दिखा देना, और इक़बाल के घर पहुँच कर भी ये कार्ड दिखना, तुम्हे पेकेट मिल जाएगा...

लिफ्ट मे बैठे अटेंडर को गंगू ने वो कार्ड दिखाया और अटेंडर ने उसे टॉप फ्लोर मे बने पेंट हाउस के बाहर उतार दिया..

उस फ्लोर पर सिर्फ़ वही एक फ्लॅट था...पुर 7 कमरो वाला आलीशान फ्लॅट...साथ मे स्वीमिंग पूल भी था.

गंगू ने फ्लॅट की बेल बजाई तो एक नौकरानी जैसी दिखने वाली लड़की निकल कर आई..गंगू ने उसको वही कार्ड दिखा दिया, वो उसको अंदर लेकर आ गयी और उसे वही खड़े रहने के लिए कहा..

थोड़ी ही देर मे वहाँ एक खूबसूरत सी औरत आई...उसकी उम्र करीब 30 के आस पास थी ..उसने एक ग्रीन कलर का ब्लाउस और स्कर्ट पहनी हुई थी ..और उस ब्लाउस मे से उसके शानदार और मोटे-2 मुम्मे बाहर निकलने को तैयार थे ..उसके कपड़े देखकर लगता था की वो किसी पार्टी मे जा रही है .. 


गंगू तो उसकी सुंदरता देखता ही रह गया...बेशक देखने मे वो थोड़ी साँवली थी..पर उसके नैन नक्श काफ़ी तेज थे....उसकी कमर के पास और पेट पर बड़े-2 टैटू बने हुए थे ..वो किसी फिल्मी हेरोयिन जैसी लग रही थी ..और उसका चेहरा भी देखा हुआ सा लग रहा था गंगू को..

उस औरत ने गंगू को उपर से नीचे तक देखा और मुस्कुरा दी... फिर वो चलकर उसके पास आई और उसके हाथ से वो विज़िटिंग कार्ड ले लिया.


 "मेरा नाम मुम्मैथ ख़ान है ...लोग प्यार से मुझे मुन्नू कहते हैं ..तुम्हारा नाम क्या है ..'' वो लड़की ने अपनी सुरीली आवाज़ मे कहा..

गंगू : "जी ...मेरा नाम गंगू है ...''

मुन्नू : "अच्छा मेकअप किया है तुमने ...पुलिस वालो को चकमा देने के लिए....''

गंगू समझ गया की वो उसको कोई पेशेवर तस्कर समझ रही है जो भेष बदल कर डिलीवरी लेने के लिए आया है ... उसने भी मुस्कुरा कर उसकी हाँ मे हाँ मिला दी..

भला उसको क्या ज़रूरत थी उस जैसी हसीन लड़की को ये बताने की , की वो एक पेशेवर तस्कर नही बल्कि पेशेवर भिखारी है ..

गंगू ने अपनी बड़ाई करने के लिए कहा : "वो तो मुझे बचपन से ही एक्टिंग का और तरह-2 के किरदार निभाने का शोंक है, इसलिए मैने सोचा की आज भिखारी बनकर चला जाए..''

मुन्नू : "अच्छा ....मतलब तुम्हे भी एक्टिंग का शोंक है ...वाव ...हमारी तो खूब पटेगी फिर ...''

गंगू उसकी बात सुनकर थोड़ा असमंजस मे पड़ गया ..

मुन्नू : "लगता है तुमने मुझे पहचाना नही ....इधर आओ मेरे साथ ...''

और वो गंगू का हाथ पकड़कर अपने साथ अंदर ले गयी ...जहाँ एक बड़े से कमरे की हर दीवार पर उसकी पिक्चर्स लगी थी...कई फिल्मों के पोस्टर भी थे ..ज़्यादातर तमिल और तेलगु भाषा की मूवीस थी ...कुछ हिन्दी मूवीस भी थी ..और उन फ़िल्मो के पोस्टर मे उसे देखकर उसे याद आ गया की ये तो फ़िल्मो मे काम करती है...उसने एक - दो पीकचर्स देखी भी थी उसकी ...ज़्यादातर पिक्चर्स मे उसने आइटम सॉंग ही किये थे...उसने जब एक मूवी मुन्ना भाई का पोस्टर देखा तो उसे भी याद आ गया की ये वही लड़की है जिसने हॉस्पिटल मे रात के समय गाना गया था..

उसे एकदम से याद आ गया की उसके सेक्सी गाने ''देख ले ..'' को देखकर आगे की लाइन मे बैठकर उसने कितनी सीटियाँ मारी थी ...वो सोच रहा था की काश उस लड़के जिम्मी शेरगिल की जगह अगर वो होता तो कितना मज़ा आता...

और रात मे उसके भरे हुए शरीर के बारे मे सोचकर उसने कितनी बुरी तरह से चोदा था एक घस्ती को...

गंगू को ऐसे खोए हुए देखकर मुम्मैथ बोली : "कहाँ खो गये गंगू ... हेलो ....''

गंगू जैसे नींद से जगा : "वो दरअसल ...मैने पहले आपको पहचाना नही था ... मैने आपकी काई पिक्चर्स देखी है ...आप तो बड़ी सेक्सी .... लगती है उनमे ...''

मुन्नू : "उनमे क्या मतलब ...सामने देखने मे नही लग रही ...''

गंगू उसकी बात सुनकर एकदम से सकपका गया : "जी नही ..मेरा मतलब ...आप अभी भी ... सेक्सी लग रे हो ...''

वो गँवार सा बेचारा, ये भी नही जानता था की वो उससे मज़े ले रही है ..

वो हंसने लगी उसकी घबराहट देखकर , गंगू थोड़ा सहज हुआ

गंगू : "पर आप...यहाँ कैसे ...''

मुन्नू : "मैं यहीं रहती हू ...इक़बाल के साथ ...उन्होने ही ये पेंट हाउस मुझे लेकर दिया है ..वो अक्सर बाहर ही रहते हैं ...जब भी इंडिया आते हैं तो मेरे साथ ही रहते हैं ....''

गंगू समझ गया की अपने पैसों के ज़ोर पर उसने उस एक्टर को अपनी रखैल बना कर रखा हुआ है ..

मुन्नू : "तुम्हारा पेकेट तो मैं दे ही दूँगी तुम्हे ....अगर तुम्हे जल्दी नही है तो थोड़ी देर यही रुक जाओ ...काफ़ी दिनों के बाद कोई अपनी बिरादरी का बंदा मिला है ...''

गंगू (हैरान होते हुए) : "अपनी बिरादरी का ...मतलब ?"

मुन्नू : "मतलब, एक्टिंग लाइन का ...अभी तो तुमने बताया ...''

गंगू : "ओहो ...हाँ ...पर अब कहाँ एक्टिंग ....अब तो बस अपने काम मे ही लगे रहना पड़ता है ...''

मुननू : "मैं समझ सकती हू ....चलो ना ..अंदर आओ ...''

वो उसके हाथ को पकड़कर अंदर ले आई...बड़ा ही अपनापन दिखा रही थी वो ...जैसे कोई बचपन का साथी मिल गया हो ..

वैसे वो भी अपनी जगह सही थी ... उसने अपने फिल्मी करियर मे ना जाने कितने हीरोस के साथ मज़े लिए थे ..और ना जाने कितने डाइरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स को खुश किया था ...वो चमक धमक की दुनिया अलग ही थी ..और जब से वो इक़बाल की रखैल बनकर यहा रहने लगी थी..वो सब उसे बहुत याद आता था ...इक़बाल के बारे मे हर कोई जानता था...इसलिए उसकी रखैल के उपर हाथ रखने की हिम्मत किसी की भी नही थी...इसलिए वो बेचारी अपनी सुलग रही जवानी के साथ इतने बड़े घर मे अकेली रहकर अपनी बोर सी लाइफ जी रही थी ..

गंगू था तो भिखारी पर एक नंबर का हरामी भी था ...औरतों को देखते ही उसकी लार टपकने लगती थी ..पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से नेहा ने उसे अपनी जवानी दिखाकर तड़पाया था, उसकी हवस और भी भड़क चुकी थी ..सिर्फ़ रज्जो की चुदाई करके उसका पेट भरता नही था...और अब ऐसी गर्म माल और वो भी फ़िल्मो मे काम करने वाली का इतना अपनापन देखकर उसके अंदर का हरामी इंसान फिर से जाग उठा ...


 वैसे और कोई अपराधी होता तो ऐसा कुछ सोचता भी नही...एक तो वहाँ रुककर पुलिस से पकड़े जाने का ख़तरा..और उपर से इक़बाल की रखैल के साथ ऐसा कुछ करने की कोई सोच भी नही सकता था...सभी को पता था की उसपर उठने वाली हर नज़र को इक़बाल फोड़ देता है ..

पर गंगू तो नया था और उसे इक़बाल के बारे मे कुछ पता भी नही था, इसलिए वो बिना किसी सोच विचार के, सिर्फ़ अपने लंड की बात सुनकर, मज़े लेने के मूड मे आ चुका था.

मुम्मैथ को भी ये पहला इंसान मिला था जो बिना किसी डर के उसके साथ बाते भी कर रहा था और थोड़ी देर रुकने के लिए भी तैयार हो गया था..वरना इक़बाल के दिए पेकेट लेने के लिए जो भी आता था, डरा हुआ सा, सहमा हुआ सा, और खड़े -2 निकल जाता था ..कोई बात भी नही करता था वो ..

मुम्मैथ भी जानती थी की इक़बाल का असली काम क्या है, पर जब तक उसको ऐशो आराम और बेशुमार पैसे मिल रहे हैं, उसे भला क्या प्राब्लम हो सकती थी..इसलिए वो भी उस धंधे मे उसका साथ देने लगी थी..

गंगू को देखकर उसके अंदर भी खुजली सी होने लगी थी ...उसका हुलिया तो बड़ा ही गंदा सा था, पर उसके गठीले शरीर को वो भाँप चुकी थी ...और उसकी पेंट मे क़ैद लंड की लंबाई का भी अंदाज़ा हो चुका था उसको.. पिछले 15 दिन से नही चुदी थी वो ..और अब एक भिखारी जैसे दिखने वाले आदमी को देखकर उसके अंदर कुछ-2 होने लगा था..उसने मन ही मन सोच लिया की कुछ भी हो जाए, आज वो उसका लंड लेकर ही रहेगी..

उसको अंदर बिठा कर वो बाहर आई और अपनी नौकरानी को घर जाने के लिए कह दिया..ताकि वो खुलकर गंगू के साथ मज़े ले सके.

मुम्मैथ ने अपने आप को आईने मे देखा...वो बड़ी ही सेक्सी लग रही थी..उसका शोंक था घर पर भी सज संवर कर बैठना, तभी तो उसने पार्टी मे जाने वाले कपड़े पहन रखे थे...और वो भी इतने सेक्सी की उसके अंदर से उसके मुम्मे आधे से ज़्यादा बाहर दिखाई दे रहा थे ..उसने अपने मुम्मों को थोड़ा और बाहर की तरफ निकाला, इतना की उसका हल्का सा ब्राऊन भाग दिखाई देने लगा.

वो अपने आप को देखकर सोच रही थी की उसने आज तक एक से बढ़कर एक सुंदर हीरो का लंड लिया है...और अमीर से अमीर इंसान से अपनी चूत मरवाई है ...ये पहला मौका है जो वो इतने निचले तबके के आदमी के साथ मज़े लेने की सोच रही है ...जो दिखने मे भिखारी जैसा लग रहा है ...फटे हुए से कपड़े..बड़ी हुई दादी ..पैर से लंगड़ा ..शरीर से दुर्गंध भी आ रही थी उसके ..

पर ऐसा करना हमेशा से उसकी फेंटसी रहा था... उसने कई बार सोचा था की इस तरह के आदमी के साथ भी सेक्स का मज़ा लेना चाहिए ...क्योंकि उसने सुना हुआ था की ऐसे मर्दों के पास चुदाई के लिए तगड़े लंड होते हैं...और उस जैसी रंडी के लिए ऐसे लंड से चुदाई करवाना तो बहुत बड़ी बात थी ..

वो फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक लेकर अंदर आ गयी..उसे देखकर गंगू अपनी जगह से उठ गया और उसके खुले गले की तरफ देखकर चोंक सा गया...उसे अच्छी तरह से याद था की पहले उसका गला इतना नीचे तक नही था...क्योंकि वो जब से आया था उसकी नज़रें उसके क्लिवेज से हट ही नही रही थी ..और अब तो उसके क्लिवेज के साथ-2 उसके निप्पल का एरोहोल भी दिख रहा था उसे ...वो समझ गया की वो भी अपनी चुदाई करवाने के लिए तैयार है ..

उसे अपनी तरफ यूँ मुस्कुराता हुआ देखकर मुम्मैथ बोली : "क्या देख रहे हो गंगू ..''

गंगू ने कोल्ड ड्रिंक का सिप भरा और बोला : "कुछ नही ...बस आपकी मूवी का एक सीन याद आ गया ...''

"कौनसा ..." वो बोली

गंगू : "मेरी फ़ेवरेट मूवी थी एक ...मुन्ना भाई ..उसमे जो गाना था ...वैसी ही सेक्सी लग रही हो तुम इस वक़्त ..''

गंगू कहना तो ये चाहता था की उसके मुम्मे उसी तरह से लटक कर बाहर दिख रहे हैं, जैसा उस गाने मे वो दिखा रही थी, पर वो ऐसा खुलकर बोल नही पाया ..

उसकी बात सुनकर वो खिलखिलाकर हंस पड़ी...और बोली : "ऐसे इधर उधर घुमा कर क्यो बोल रहे हो...सीधा-2 बोलो ...क्या कहना चाहते हो ..''

"क्या तुम वही गाने पर मेरे लिए डाँस कर सकती हो ...'' गंगू ने एक ही साँस मे बोल दिया..

और वो जानता था की वो मना भी नही करेगी..

मुन्नू : "कर तो दूँगी..पर इस बात का किसी को पता नही चलना चाहिए...वरना तुम्हारा तो जो होना है वो होगा , मेरी भी छुट्टी हो जाएगी यहाँ से ...समझे ''

उसने हंसते हुए हाँ मे सिर हिला दिया..

इसी बीच, नीचे भूरे अपने साथियों के साथ नीचे पहुँच गया, उसने अपनी कार थोड़ी दूर ही खड़ी कर ली..उसने देख लिया की सादे कपड़ों मे पुलिस वाले खड़े हैं वहाँ ...वो वहीं खड़ा होकर गंगू का इंतजार करने लगा..

वो सोच रहा था की गंगू पैदल ही चलकर आ रहा होगा वहाँ...जैसा वो अक्सर करता है..पर उसने ये नही सोचा था की वो तो कब का आ चुका है ऑटो पर ..

और उपर फ्लॅट मे पहुँच कर मुम्मैथ के साथ किस तरह के मज़े ले रहा है ये तो वो सोच भी नही सकता था ..







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