Sunday, December 14, 2014

FUN-MAZA-MASTI बदलाव के बीज--75

 FUN-MAZA-MASTI
 बदलाव के बीज--75

 सबने खाने को प्रणाम किया और उनके कमेंट्स कुछ इस तरह थे;

बड़के दादा: मुन्ना..खुशबु तो बहुत अच्छी आ रही है!

पिताजी: लाड-साहब ये तो बातो की बनाया क्या है?

बड़की अम्मा: जो भी है...पर खुशबु इतनी अच्छी है तो स्वाद लाजवाब ही होगा|

मैं: जी पंचरंगी दाल और ये मानु स्पेशल गोभी है!

अजय भैया: भई पहले तो मैं ये गोभी चख के देखता हूँ| म्म्म्म...बढ़िया है!

चन्दर भैया: वाकई में खाना बहुत स्वाद है! (मैं हैरान था की इनके मुंह से मेरे लिए तारीफ निकली?)

बड़के दादा: मुन्ना...ये लो (उन्होंने अपनी जेब से सौ रूपए निकाल के दिए)

मैं: जी (मैं पिताजी की तरफ देखने लगा) पर...

पिताजी: रख ले बेटा...भाई साहब खुश हो के दे रहे हैं|

बड़के दादा: अपने बाप की तरफ मत देख..और रख ले...मैं ख़ुशी से दे रहा हूँ| खाना बहुत स्वादिष्ट है...सच में ऐसा खाना खाए हुए अरसा हुआ|

बड़की अम्मा: मुन्ना ये खाना बनाना तुमने अपनी माँ से सीखा?

माँ: कहाँ दीदी...अपने-आप पता नहीं क्या-क्या बनाता रहता है| कभी ये मिला...कभी वो मिला...पता नहीं इसमें इसने क्या-क्या डाला होगा?

मैं: जी गोभी को दही में Merinate किया था|

बड़की अम्मा: वो क्या होता है?

मैंने बड़े प्यार से उन्हें सारा तरीका समझाया और Recipe के इंग्रेडिएंट्स और विधि सुन के तो अम्मा का मुंह खुला का खुला रह गया?

बदकिा अम्मा: अरे मुन्ना...और क्या-क्या बना लेते हो?

मैं: अम्मा ...मुझे Experiment Cooking पसंद है| मुझे ये दाल-रोटी पकाना सही नहीं लगता| कुछ हट के करता हूँ मैं! (और सही भई था...आखिर मेरी पसंद अर्थात भौजी भई तो हट की ही थीं!!!)

अब चूँकि अम्मा को Experiment Cooking का मतलब नहीं पता था तो मैंने उन्हें विस्तार में सब समझाया|


 पिताजी: तू भी बैठ जा बेटा और खाना खा ले!

मैं: जी मैं परधान रसोइया हूँ..सब के खाने के बाद ही खाऊँगा!

अजय भैया: अगर हमसे कुछ बच गया तो ना!

उनकी बात सुन के सब ठहाके मारके हँसने लगे| इधर भौजी मेरी तारीफ सुन के बहुत खुश थीं पर इस बातचीत के दौरान कुछ बोलीं नहीं बस रसोई में बैठीं गर्म-गर्म रोटियाँ सेंक रहीं थीं|

जब सब का भोजन हो गया तब उन्होंने एक थाली में हमारे दोनों के लिए भोजन परोसा और मुझे खाने के लिए पूछा;

भौजी: चलिए जानू...खाना खाते हैं|

मैं: मेरा मन नहीं है| (भौजी जानती थीं की मेरी नारजगी का कारन वही लड़का है|)

भौजी: क्यों नहीं खाना? नाराज हो मुझसे?

मैं: नाराज तो रमेश होगा... की आपने उससे मेरे चक्कर में बात नहीं की| (मैंने सीधा कटाक्ष किया)

भौजी: O .... समझी... अच्छा मेरी बात सुनो?

मैं: नहीं सुन्ना मुझे कुछ...

और मैं उठ के जाने लगा तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के रोक लिया और मुझे अपनी और घुमाया| और इससे पहले वो कुछ कहतीं मैंने ही कहा;

मैं: Answer me, Did you had a crush on him?

भौजी: No खुश?

पर मैं संतुष्ट नहीं था...

भौजी: अपने बच्चे की कसम! (उन्होंने अपनी कोख पे हाथ रखते हुए कहा|) मेरे मन में सिवाय आपके और किसी का विचार ना कभी आया और ना आएगा| स्कूल के दिनों में मैं इन चीजों से दूर ही रहती थी और वो समय भई ऐसा था की लड़के-लड़कियां इतने Frank नहीं होते थे| वैसे भी मेरा मन पढ़ाई में ज्यादा लगता था| घर से स्कूल और स्कूल से घर...बस यही दुनिया थी मेरी|

अब तो मैं 100% संतुष्ट हो गया था| मैं मुस्कुराया और इस ख़ुशी को जाहिर करने के लिए मैंने उनके चेहरे को अपने दोनों हाथों से थाम लिया और उन्हें Kiss करने ही वाला था की मेरी नजर उनके चेहरे पे पड़ी...उन्हें देखते ही याद आया की वो ये सब नहीं चाहतीं| मैंने उनके चेहरे को छोड़ दिया और उनसे नजरें चुराई और इधर-उधर देखने लगा|

मैं: Sorry ! मैं...वो... भूल गया था!

भौजी: No .....I'm Sorry !

मतलब वो भी मन ही मन खुद को कोस रहीं थीं की आखिर क्यों वो मुझे बार-बार Kiss करने से रोक रहीं हैं! खेर हमने खाना खाने के लिए आसन ग्रहण किया और नेहा आके मेरी गोद में बैठ गई| 


आज सबसे पहला कौर भौजी ने मुझे खिलाया और फिर जब खुद खाने लगीं तो पहला कौर खाते ही बोलीं;

भौजी: Delicious !!! इसके आगे तो Resturant का खाना फीका है| अगर पहले पता होता तो....मैं आपसे ही खाना बनवाती!

मैं: Thanks पर मैं शौक केलिए कुकिंग करता हूँ...जब भी मैं उदास होता हूँ या बहुत ज्यादा प्रसन्न होता हूँ तो कुकिंग करता हूँ|

भौजी: तो आज आप किस मूड में थे?

मैं: खुश भी और उदास भी..... खुश इसलिए की आज आप मुस्कुरा रहेहो! और उदास इसलिए की कल कल से मैं आपको मुस्कुराता हुआ नहीं देख पाउँगा!

भौजी चुप हो गईं और मुझे भी लगने लगा की यार तुझे ये कहने की क्या जर्रूरत थी| फिर बात को संभालते हुए मैंने कहा;

मैं: आपने दाल तो टेस्ट ही नहीं की?

भौजी: ओह! मैं तो भूल ही गई थी!

फिर जब भौजी ने दाल टास्ते की तो बोलीं;

भौजी: WOW !!! Seriously ! Amazing .... घी का फ्लेवर और महक बिलकुल ....उम्म्म Awesome ! अब तो आप मुझे complex दे रहे हो! अब तो घर वालों को मेरे हाथ का खाना अच्छा नहीं लगेगा... ही..ही..ही..

मैं: यार टांग मत खींचो...

भौजी: अरे जानू अगर मैं जूठ बोल रही हूँ तो आप ही बताओ की आपके बड़के दादा ने आपको खुश हो के पैसे क्यों दिए?

मैं: अच्छा याद दिलाया आपने| ये आप रखो... (मैंने पैसे उनको दे दिए)

भौजी: पर किस लिए?

मैं: आप अपने पास रखो...मेरी निशानी के तौर पे!

भौजी: पर ये तो आपको ....

मैं: आईडिया आपका था की खाना मैं बनाऊँ! और प्लीज अब बहंस मत करो|

भौजी: ठीक है...आप कहाँ मानते हो मेरी!

मैंने वो पैसे भौजी की किसी और मकसद से दिए थे| दरअसल मेरी ख्वाइश थी की मैं अगर पैसे कामों तो सबसे पहले उन्हें दूँ...मतलब मेरी कमाई के पैसे! शायद उस दिन मुझे आगा की मुझे ये मौका न मिले...इसलिए मैंने उन्हें वो पैसे दिए... हालाँकि वो मेरी कमाई नहीं थी पर फिर भी....


 शायद भौजी भी ये बात समझ चुकीं थीं क्योंकि आगे चलके हमारी इस बारे में बात हुई थी|

खाना खाने के बाद भौजी ने बर्तन रख दिए और हम तीनों हाथ-मुंह धो के भौजी के घर में वापस बैठ गए| मुझे बोला गया था की मैं, नेहा और भौजी तीनों छप्पर के पास नहीं भटकेंगे...कारन ये की आज सभी बड़े वहां बैठ के रसिका भाभी के मुद्दे पे बात कर रहे थे| नेहा सो चुकी थी और हम भी इसी बात पे चर्चा कर रहे थे;

भौजी: आप क्या कहते हो?

मैं: मेरे कहने से क्या होता है? करेंगे तो सब वही जो उन्हें ठीक लगेगा|

भौजी: पर फिर भी आपका opinion क्या है?

मैं: मेरा ये कहना है की वो जो भी निर्णय लें उससे पहले वो मेरी तीन बातों के बारे में सोच लें;

१. मुझे नहीं पता की रसिका के माँ-बाप किस तरह के लोग हैं...क्या उन्हें पता भी था की उनकी बेटी पेट से है? अगर था और ये जानते हुए भी उन्होंने जान-बुझ के शादी की तो...ऐसे में अगर Divorce की नौबत आती है तो वो लोग हमें परेशान करने से बाज नहीं आएंगे?

२. इस सारे फसाद में बिचारे वरुण की कोई गलती नहीं है| वो तो मासूम है! उसे थोड़े ही पता है की उसकी माँ कैसी है? तो घर के बड़े कोई भी निर्णय लें उसका बुरा असर वरुण पे ना पड़े|

३. तीसरी बात थोड़ी अजीब है..और मैं उस बात पे यकीन नहीं कर सकता पर अनदेखा भी नहीं कर सकता| वो ये की उसदिन जब अजय भैया और रसिका में झगड़ा हुआ था और मैं बीच में पद गया था तब बातों-बातों में रसिका ने कहा की अजय भैया उसे शारीरिक रूप से खुश नहीं कर पाते| या तो उसके अंदर की आग इतनी बड़ी है की कोई भी उसे शांत...

(आगे की बात मैंने पूरी नहीं की क्योंकि उसे कहने मुझे भी शर्म आ रही थी|)

भौजी: हम्म्म.... उस जैसी ..... (भौजी ने उसके लिए अपशब्द कहने से खुद को रोका) औरत का विश्वास कोई कैसे करे? रही बात उसके घरवालों की, तो मैं भी उनके बारे में कुछ नहीं जानती| शादी के बाद ये बात सामने आई की वो इतनी जल्दी घरभवति कैसे हो गई, तो घरवालों ने उसके घर वालों को बुलाया था और उन्हें बहुत बुरी तरह जलील किया था| तब से ना वो लोग यहाँ आते हैं और ना ही कोई उनके घर जाता है| पैसे तौर पे देखा जाए तो वो काफी अमीर हैं...मतलब काफी जमीन है उनके पास| सुनने में आया था के वरुण के नाना ने अपनी सारी जमीन-जायदाद वरुण के नाम कर दी है| खेर उसेन शादी से पहले जो भी किया मुझे उससे कोई सरोकार नहीं, मुझे तो गुस्सा इस बात का है जो उसने मेरी गैरहाजरी में किया| अगर उसने आप साथ किया वो किया होता...तो मैं उसे जान से मार डालती!

मैं: Hey ! शांत हो जाओ! कुछ नहीं हुआ ऐसा...और अपना वादा भूलना मत...मेरे जाने के बाद एक दिन भी आप यहाँ नहीं रुकोगे! उस उलटी खोपड़ी की औरत को मैं आपके आस-पास भी नहीं चाहता|

भौजी: मैंने आपको Promise किया है..उसे कैसे तोड़ सकती हूँ!

मैं: अच्छा इससे पहले मैं भूल जाऊँ...मुझे आप अपने घर का नंबर दे दो| ताकि मैं पहुँचते ही आपको फ़ोन कर सकूँ! और आप मेरा नंबर भी लिख लो...पर ये नम्बर पिताजी के पास होता है| तो आप मुझे या तो सुबह छ बजे तक या फिर रात में सात बजे के बजे बाद कभी फ़ोन कर लेना|

भौजी ने मुझे अपना नंबर दे दिया और मेरा नंबर भी लिख लिया|


 करीब आधा घंटे बाद मुझे पिताजी ने बुलाया और भौजी भी मेरे साथ आईं और मेरे साथ खड़ी हो गईं;

पिताजी: बेटा...तुम हमे ये बातें पहले क्यों नहीं बताई? तुम्हें पता है की मुझे कितना दुःख हुआ जब भाभी (बड़की अम्मा) ने मुझे सारी बात बताई| मुझे बहुत ठेस पहुंची की मैंने अपने बेगुनाह बच्चा पे हाथ उठाया|

पिताजी मुझे गले लगाने को हाथ खोल दिए और मैं भी उनके गले लग गया|

मैं: पिताजी...मैं नहीं जानता था की मैं आपसे ये बात कैसे कहूँ? मुझे बहुत शर्म आ रही थी| इसलिए मैंने ये बात सिर्फ इन्हें (भौजी की तरफ इशारा करते हुए) बताई| इन्होने भी कहा की मैं ये बात सब को बता दूँ...पर मेरी हिम्मत नहीं पड़ी!

पिताजी: बेटा..तुम बड़े हो गए...और कहते हैं की जब बेटे का जूता बाप के पाँव आने लगे तो वो बेटा नहीं रहता.. दोस्त बन जाता है| वादा करो आगे की तुम मुझसे कोई बात नहीं छुपाओगे?

मैं: जी!

मैंने ‘जी’ कहा था...वादा नहीं किया था!!! वरना मुझे उन्हें अपने और भौजी के बारे में सब बताना पड़ता! खेर शाम हुई..सब ने चाय पी, किसी ने भी फैसले के बारे में नहीं बताया और ना ही मुझे उसकी कोई पड़ी थी| मैं तो बस ये मना रहा था की कैसे भी कल का दिन कभी ना आये! रात का भोजन मुझे बने के लिए नहीं बोला गया था तो मैं नेहा के साथ बैठ के खेल रहा था... और इधर रसिका से सब ने किनारा कर लिया था..और मुझे थोड़ा बुरा भी लग रहा था... ! क्यों ये मैं नहीं जानता पर मेरे मन में उसके प्रति सिर्फ सहनुभूति थी ....और कुछ नहीं| ये सब नहीं होता अगर उसने ये जानने के बाद के मैं उसके साथ कुछ नहीं करना चाहता वो मुझसे दूर रहती और मुझसे जबरदस्ती नहीं करती| रात का भोजन मैंने सब के साथ किया...क्योंकि कल तो जाना था...पर मैंने पूरा भोजन नहीं किया...ताकि मैं थोड़ा सा भोजन भौजी के साथ भी कर सकूँ| सभी पुरुष सदस्य उठ के चले गए मैं फिर भी अपनी जगह बैठा रहा;

पिताजी: बेटा सोना नहीं है क्या? या अभी और भूख लगी है?

मैं:जी आप सब के साथ तो भोजन कर लिया पर बड़की अम्मा के साथ भोजन करना तो रह गया ना| इसलिए आप सोइये मैं अम्मा के साथ भी बैठ के थोड़ा खा लेता हूँ...फिर सोजाऊंगा|

पिताजी: बेटा ज्यादा देर जागना मत... सुबह जाना भी है?

पिताजी के जाने के बाद भौजी अपना और मेरा खाना एक ही थाली परोस लाईं और अम्मा और माँ भी हमारे पास आके बैठ गईं|


 अम्मा ने मेरी बात सुन ली थी तो वो बोलीं;

अम्मा: बेटा.. ये तुमने सही किया की हमारे साथ भी बैठ के भोजन कर रहे हो| अरे बहु वो दोपहर की गोभी वाली सब्जी बची है? बहुत स्वाद थी!

भौजी: जी अम्मा...ये रही| ( भौजी ने अम्मा को सब्जी परोस दी)

अम्मा: वाह....बेटा...क्या स्वाद बनाई है!

माँ मेरी तारीफ सुन के खुश हो रहीं थी...

मैं: सुन लो माँ...अम्मा आपको पता है माँ को मेरा खाना बनाना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता|

अम्मा: क्यों छोटी?

माँ: दीदी ...पता नहीं क्या-क्या अगड़म-बगड़म डालता रहता है| हमें आदत है सादा खाना खाने की और ये है की पता नहीं ...शाही पनीर...कढ़ाई पनीर...और पता नहीं क्या-क्या बनाने को कहता है| अब पनीर हो या कोई भी सब्जी हो...बनती तो कढ़ाई में है तो उसे कढ़ाई पनीर कहेंगे!!

माँ की बात सुन हमसब हँस पड़े! अब थी सोने की बारी तो आज गर्मी ज्यादा होने के कारन सभी स्त्रियां बड़े घर के आँगन में सोने वालीं थीं| मेरी और भौजी की चारपाई आस-पास ही थी| पर मुझे नींद नहीं आ रही थी...और इधर भौजी चारपाई पर लेट चूंकिं थीं| नेहा को मैंने पहले ही सुला दिया था| मैं चुप-चाप उठा और छत पे जाके एक कोने पे दिवार का टेक लगा के नीचे बैठ गया| टांगें बिलकुल सीढ़ी पसरी हुईं थीं और हाथ बंधे थे| कुछ देर बाद वहां भौजी आ गईं;

भौजी: जानती थी आप यहीं मिलोगे? क्या हुआ नींद नहीं आ रही?

मैं: नहीं

भौजी: मुझे भी नहीं आ रही|

और भौजी आके मेरी दोनों टांगों के बीच आके बैठ गईं और अपना सर मेरे सीने पे रख दिया| मैंने अपने हाथ उठा के उनको अपनी आगोश में ले लिया| मेरा मुंह ठीक उनकी गर्दन के पास था और मेरी गर्म सांसें उन्हें अपनी गर्दन पे महसूस हो रही थी|


 भौजी: आपने मुझे वो पैसे क्यों दिए थे मैं समझ गई.... आप उसे अपनी कमाई समझ के मुझे दे रहे थे ना?

मैं: हाँ

भौजी: I Love You !

मैं: I Love You Too !

भौजी: जानू...मैंने आज सारा दिन आपके साथ सही नहीं किया?

मैं: अरे...यार आपने कोई पाप नहीं किया...कुछ गलत नहीं था... मुझे जरा भी बुरा नहीं लगा| हाँ बस आपने जब जलाने की कोशिश की तब...थोड़ा बुरा लगा था...मतलब मैं जल गया था!

भौजी: मैं सारा दिन आपको अभी के लिए रोक रही थी....

उनकी बात सुन के मेरी आँखें चौड़ी हो गईं? मतलब ये सब उन्होंने प्लान किया था?

भौजी: जितना मन आपका था...उतना ही मेरा भी...पर मैं चाहती थी की बस एक बार...एक आखरी बार हम दिल से प्यार करें ना की वहशियों की तरह सारा दिन एक दूसरे के बदन से लिपटे रहे|

मैं: यार ...मेरे पास शब्द नहीं हैं ...कहने को... आप इतना ...इतना प्यार करते हो मुझसे?

भौजी मेरी तरफ मुड़ीं और मैंने उनके रसभरे होठों को चूम लिया| भौजी मेरा पूरी तरह से साथ दे रहीं थीं और जब हमारे होंठ एक दूसरे से मिले तो लगा जैसे बरसों की प्यास बुझा दी हो किसी ने| मन ये भी जानता था की आज आखरी दिन है...आखरी कुछ घंटे...आखरी कुछ लम्हें....किन्हें हम दोनों एक साथ... बिता पाएंगे!

मैं बड़े प्यार से अपनी जीभ को उनके होठों पे फिराने लगा...फिर उन्होंने भी अपनी जीभ बहार निकली और हम दोनों की जीभ एक दूसरे को प्यार से छेड़ने लगी..पीयर करने लगी| मैंने उनके होठों को बारी-बारी से चूसना शुरू कर दिया और भौजी ने अपना डायन हाथ मेरे बालों में फिरना शूरु कर दिया| दस मिनट तक हम ऐसे ही एक दूसरे के होठों का रसपान करते रहे| फिर हम अलग हुए तो दोनों की आँखों में प्यास थी... चाहा थी...परन्तु हमारे पास जगह नहीं थी| नीचे सब सो रहे थे और ऊपर छत पे कोई बिस्तर था नहीं! तो अब करें तो करें क्या?


 मैंने देखा की छत पे अम्मा ने आम सुखाने को रखे थे| वो आम दो छद्रों पर बिछे हुए थे| मैंने एक चादर के आम उठा के दूसरी पे रख दिए और भौजी को अपने पास बुलाया| भौजी को उस चादर पे लिटा के मैं उनकी दोनों टांगों के बीच अ गया और उनके होठों को फिर से चूमने लगा| भौजी ने अपने दोनों हाथों से मेरा चेहरा थाम हुआ था और वो अपनी गार्डन ऊपर उठा-उठा के मुझे चूम रहीं थीं| फिर मैंने स्वयं वो चुम्बन तोडा और नीचे खिसकता हुआ उनकी योनि के ऊपर पहुँच गया| उनकी साडी उठाई और कमर तक उठा दी| मैंने उनकी योनि छटनी शुरू ही की थी की मुझे याद आया की हम 69 की पोजीशन try करते हैं| मैंने भौजी को सब समझाया और वो ख़ुशी-ख़ुशी मान भी गईं| मैं नीचे लेता था और वो मेरे ऊपर| जैसे ही उनके होठों ने मेरे लंड को छुआ मेरे शरीर में करंट दौड़ गया| भौजी ने एक ही बारी में पूरा लंड अंदर भर लिया और उनके मुंह से निकलती गर्म सांसों से सुपाड़े को सुरक लाल कर दिया| इधर मुझे इतनी तेजी से जोश आया की मैंने उनकी योनि को पूरा अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा| मैंने उँगलियों की सहायता से उनकी योनि के कपालों को खोला और अपनी जीभ अंदर घुसा दी और गर्दन को आगे पीछे करते हुए अपनी जीभ को लंड की तरह उनकी योनि में अंदर-बहार करने लगा| इधर भौजी ने मेरे सुपाड़े पे अपने होंठ रख दिए और जीभ की नोक से सुपाड़े के छेद को कुरेदने लगीं| जोश में आके मैंने कमर को उसकाना शुरू कर दिया| अब मैंने भी उनकी योनि पे अपना प्रहार किया और उनके Clit को अपने मुंह में भर के जीभ की नोक से छेड़ने लगा| भौजी ने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया क्योंकि वो अब मेरे इस हमले से मचलने लगीं थीं|

भौजी ने अपने दांत मेरे सुपाड़े पे गड़ा दिए और मैं एकदम से चरमोत्कर्ष पे पहुँच गया और उनके मुंह में ही झड़ गया| जब मैं थोड़ा शांत हुआ तो मई भौजी की योनि में अपनी ऊँगली और जीभ दोनों से दुहरा वार किया और भौजी इस वार को सह नहीं पाइन और वो भी स्खलित हो गईं| उनका सारा रस बहता हुआ मेरे मुंह में आ गया और मैं वो नमकीन काम रस पी गया| पाँच मिनट तक हम दोनों ऐसे ही रहे...लंड अब सिकुड़ चूका था...पर मन ....मन अब भी प्यासा था| भौजी मेरे साथ लिपट के लेट गईं...कुछ देर बाद मैंने उनके होठों को फिरसे चूसना शुरू कर दिया| हमदोनों के मुख में एक दूसरे का कामर्स था...और ये उत्तेजना हम दोनों को बहुत उत्तेजित कर रही थी| मैं भौजी के ऊपर आ गया और उनसे ओनका ब्लाउज उतारने का आग्रह किया| भौजी ने अपना ब्लाउज उतार दिया...और स्वयं ही अपनी साडी भी उतार दी| पेटीकोट का नाड़ा मैंने अपने दाँतों से खोल दिया और उसे निकाल के अलग रख दिया| अब मैंने बिना उनके कुछ कहे अपने कपडे स्वयं उतार दिए और हम दोनों अब पूरी तरह नग्न अवस्था में थे और एक दूसरे के जिस्म से लिपटे हुए एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे| जब मैंने भौजी की आँखों में झनका तो मुझे एक तड़प महसूस हुई! भौजी समझ गईं की मैं क्या चाहता हूँ;

भौजी: आप क्यों पूछ रहे हो?

मैंने अपना सिकुड़ा हुआ लंड जो की अब थोड़ा सख्त हो चूका था उसे उनकी योनि के अंदर पिरो दिया! उस समय उन्हें ज्यादा कुछ मसहूस नहीं हुआ..पर जसिए ही लंड को अंदर की गर्मी और तड़प का एहसास हुआ तो वो सख्त होता चला गया| भौजी योनि जो बही स्खलित होने से सिकुड़ चुकी थी उसमें जब लंड के अकड़ने से तनाव पैदा हुआ तो भौजी की मुंह से चीख निकली; "आह" इसके पहले की वो आगे कुछ कहतीं मैंने उनके होठों को अपने होठों से ढक दिया और उनकी चीख मेरे मुंह में दफन हो गई| मैंने नीचे से धीरे-धीरे push करना शुरू कर दिया| लंड पूरा जड़ तक उनकी योनि में समा रहा था और भौजी की योनि मेरे लंड को गपा-गप निगले जा रही थी| मैंने थोड़ा ज्यादा Push किया तो लंड उनकी बच्चेदानी से टकराया| जैसे ही लंड टकराया भौजी एक दम से ऊपर को उचक गईं|



हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator