Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI भिखारी की हवस-6

FUN-MAZA-MASTI


 भिखारी की हवस-6
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अब आगे
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 अगले दिन सुबह के 9 बजे किसी ने गंगू के झोपडे का दरवाजा ज़ोर-2 से खड़काया... गंगू अपनी देर रात की चुदाई के बाद इतना थक चुका था की वो घोड़े बेचकर सो रहा था..नेहा भी देर से सोई थी , पर औरतों की नींद ज़्यादा कच्ची होती है, इसलिए वो अपनी आँखे मलते हुए उठ गयी और बाहर निकलकर दरवाजा खोला .

बाहर भूरे सिंह खड़ा था..

उसको तो कल रात से ही चैन नही मिल रहा था, जब से उसने नेहा की चूत को मसला था वो अपनी उंगलियों को सूँघकर और चाटकर उसकी चूत की खुश्बू को अपने जहन मे पूरी तरह से उतार चुका था...और उसने कसम खा ली थी की जब तक वो उसकी चूत के अंदर अपना रामपुरिया लंड नही पेल देगा, चैन से नही बैठेगा..

उसने अपने दोस्तो के साथ मिलकर एक योजना बनाई और उसी के अंतर्गत वो इतनी सुबह गंगू की झोपड़ी मे पहुँच गया था.

अपनी रानी को देखकर वो खुश हो उठा..नेहा ने जो टी शर्ट पहनी हुई थी, उसके अंदर ब्रा नही थी, सुबह का वक़्त था, जिस तरह से आदमी का लंड खड़ा होता है , उसके निप्पल खड़े हुए थे..जिन्हे देखकर भूरे की आँखों मे चमक बड़ गयी.

नेहा उसका नाम तो नही जानती थी पर दो दिन पहले जब वो नहाने गयी थी तो उसने जिस तरह के मज़े दिए थे वो उसे अच्छी तरह से याद थे ..वो मज़े याद आते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी, आँखों मे गुलाबीपन उतर आया और निप्पल थोड़ा और कड़क हो उठे.

अभी तो उस बेचारी को पता नही था की कल रात को उसकी चूत को मसलकर मज़े देने वाला अजनबी भी वही था, वरना उसकी उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाती ..और निप्पल के साथ -2 उसकी चूत भी गीली हो जाती.

नेहा : "जी कहिए....क्या बात है ...''

भूरे : "नमस्ते भाभी ....मेरा नाम भूरे सिंह है ...वो ....गंगू से कुछ काम था ....''

नेहा : "वो तो अभी सो रहे हैं ....थोड़ी देर बाद मे आ जाना ...''

भूरे : "इतनी देर हो गयी, अभी तक सो रहा है ....आप ज़रा उठा दो ना, ज़रूरी काम है ...''

नेहा असमंजस की स्थिति मे आ गयी...और उसे वहीं खड़ा रहने को कहकर अंदर आ गयी..

उसने गंगू की तरफ देखा, जो खर्राटे मारकर सो रहा था ..उसके पास कोई चारा भी नही था, उसने गंगू को हिलाकर आवाज़ दी और उसे उठा दिया . और कहा की बाहर कोई मिलने आया है ..

गंगू आँखे मलता हुआ बाहर निकला ...और भूरे को वहाँ खड़ा देखकर वो चोंक गया...दोनो की कभी बनती नही थी...कई बार दोनो के बीच लड़ाई की नौबत आ चुकी थी...इसलिए दोनो मे बोलचाल बंद थी .

गंगू : "तू यहाँ क्या कर रहा है ...मुझसे क्या काम आ गया ...''

भूरे : "यार गंगू, तू मुझे हमेशा ग़लत समझता है.... मैं वही ग़लतफहमी दूर करने आया हू...''

गंगू : "एक दम से ऐसी महरबानी करने की क्या वजह है ..''

भूरे : "मेरे पास तेरे लिए एक काम है, और उसको तेरे सिवा कोई और पूरा नही कर सकता ...''

गंगू समझ गया की कोई ग़ैरक़ानूनी काम ही होगा, क्योंकि वो अंडरवर्ल्ड के लिए काम जो करता था ..

गंगू : "क्या काम है ..''

भूरे : "एक पैकेट लाना है ...सेंट्रल मार्केट से ...इसके लिए पूरे दस हज़ार मिलेंगे..''

गंगू : "क्या है उस पैकेट में ..और ये काम तू मुझसे क्यो करवा रहा है...तेरे पास भी तो आदमी है ..''

भूरे : " उस पकेट मे क्या है, ये तो मैं नही बता सकता,तभी इतने पैसे दे रहा हू तुझे...और मेरे सारे आदमियों पर पुलिस की नज़र है, इसलिए मैं कोई रिस्क नही लेना चाहता ..तुझपर कोई शक भी नही करेगा..भिखारियों की तो तलाशी भी नही लेती पुलिस ..ये ले सारे पैसे एडवांस मे ...''

इतना कहकर उसने सौ के नोट की गड्डी लहरा दी उसके सामने..

इतने पैसे एक साथ देखकर वो इनकार कर भी नही सका...उसने पैसे पकड़ लिए और ज़रूरी जानकारी लेकर वापिस अंदर आ गया..

भूरे काफ़ी खुश था अपनी इस चाल से...वो काम तो उसका कोई भी आदमी कर सकता था..और उसके लिए पैसे भी उतने ही खर्च होते..पर गंगू से वो काम करवाने का उसका मकसद उसके साथ दोबारा दोस्ती करना था ताकि उसके घर आने-जाने का रास्ता उसके लिए खुल सके..

और साथ ही साथ उसके जाने के बाद अकेली नेहा से मज़े लेना का भी प्लान था उसका ...

क्योंकि कहीं ना कहीं वो समझने लगा था की गंगू शायद नेहा जैसी गर्म बीबी को पूरी तरह से संतुष्ट करने मे कामयाब नही है...इसलिए तो उसके साथ हुई दो मुलाक़ातों मे नेहा ने जिस तरह बिना कोई विरोध के उसे अपने शरीर से खेलने दिया है, वो कोई रंडी टाइप की औरत ही कर सकती है..

पर वो ये बात नही जानता था की गंगू के लंड मे इतनी ताक़त है की वो पूरी कॉलोनी की लड़कियों को एक साथ चोद डाले...फिर भी उसके लंड का लोहा ना पिघले..

9 बज रहे थे और वहाँ से पेकेट लेने का समय 12 बजे का था.. जाने में काफी समय लगना था इसलिए गंगू बिना कुछ खाए-पिए और नहाए धोए उसी वक़्त निकल गया.

नेहा को उसने घर पर ही रहने के लिए बोला..और उसे कुछ पैसे देकर ये भी कहा की बाहर से खाने के लिए कुछ लेती आए..

गंगू के जाने के बाद नेहा ने सारे बिस्तर समेट कर सही किए..और फिर अपने कपड़े लेकर वो वहीं नदी पर नहाने के लिए निकल पड़ी..उसने पैसे भी ले लिए थे ताकि वापिस आते हुए कुछ खाने को भी लेती आए.


 भूरे तो उसी इंतजार मे था की कब गंगू बाहर निकले और कब वो अपनी योजना के अनुसार फिर से वहाँ जाए..पर नेहा को हाथ मे कपड़े लेकर निकलता देखकर वो समझ गया की वो नहाने के लिए जा रही है ..

उसके दिमाग़ मे उसी वक़्त नयी योजना बन उठी और उसने अपने चेले चपाटो को फोन करके जल्द से जल्द नदी किनारे पहुँचने को कहा..

वो भी अपनी बाइक पर वहाँ पहुँच गया..9:30 बज रहे थे, ज़्यादातर लोग सुबह ही नहा लेते थे,इसलिए भीड़ वैसे भी कम थी .. उसने अपने चेलों के साथ मिलकर, रिवॉल्वर की धोंस दिखाते हुए वहाँ नहा रहे सभी लोगो को पाँच मिनट के अंदर ही अंदर वहाँ से भगा दिया...सभी उससे और उसके साथियों से डरते थे, इसलिए बिना किसी विरोध के सभी अपने-2 झोपड़ों मे भागते चले गये..

उसने अपने आदमियों को थोड़ा दूर खड़ा कर दिया, ताकि वहाँ किसी की भी एंट्री ना हो..और फिर भूरे अपने सारे कपड़े उतार कर जल्दी से पानी मे कूद गया.

तब तक नेहा वहाँ पहुँच गयी..वहाँ फैले सन्नाटे को देखकर वो भी हैरान हो गयी...क्योंकि उसने सोचा नही था की ऐसी वीरानी मिलेगी उसको नहाते हुए ..तभी उसे भूरे सिंह नहाता हुआ दिख गया पानी मे..उसे देखकर उसके दिल की धड़कन फिर से तेज हो उठी ..वो सोचने लगी की ऐसी परिस्थिति मे वो नहाने जाए या वापिस चली जाए..

वो पलटकर जाने ही लगी थी की भूरे ने पीछे से आवाज़ दी : "अरे भाभी जी....बिना नहाए कहाँ चल दी ..मुझसे डर लग रहा है क्या ...''

उसकी बात सुनकर नेहा भी तैश मे आ गयी, और बोली : "मुझे क्यो डर लगने लगा तुमसे ...''

और फिर अपने कपड़ों को किनारे पर रखकर वो पानी मे उतर गई...उसने टी शर्ट और पायजामा पहना हुआ था ... टी शर्ट के नीचे उसकी ब्रा तो नही थी..इसलिए गीली होने के साथ ही उसके हीरे चमकने लगे उसकी टी शर्ट के उपर..जिन्हे देखकर भूरे सिंग की आँखों मे चमक आ गयी..

वो नेहा के आस पास ही तैरने लगा ...नेहा भी उस दिन के बारे मे सोचकर गर्म होने लगी थी की क्या ये आज फिर से उसके साथ वही हरकत करेगा जो उस दिन की थी ...

वैसे भी कल रात को अस्तबल मे हुई घटना ने उसके दिल मे औरत और मर्द के बीच के संबंधों को जिस तरह पूरी तरह से खोलकर पेश किया था, उसे समझ आने लगा था की दोनो का आपस मे क्या और कैसे संबंध होता है..

पर वो बेचारी ये बात नही जानती थी की इस दुनिया मे हर किसी के साथ वो समंध कायम नही किए जाते...

भूरे भी उसकी यादश्त खो जाने वाली बात से अंजान था, वरना वो अब तक उसकी चुदाई कर भी देता..वो तो सिर्फ़ गंगू के डर से अपने सारे कदम सोच समझ कर उठा रहा था..और वो ये चाहता था की नेहा की तरफ से ही कोई पहल हो, ताकि उसके उपर कोई ज़ोर ज़बरदस्ती का इल्ज़ाम ना लगा सके.

और वो इतने मस्त माल को ज़ोर ज़बरदस्ती से नही , बल्कि धीरे-2 मज़े लेकर उसका सेवन करना चाहता था...इसलिए उसने गंगू को पैसे देकर दिन भर के लिए दूर भेज दिया, ताकि पीछे से उसकी बीबी के साथ मज़े ले सके..

भूरे ने कोई भी कपड़ा नही पहना हुआ था,वो पूरा नंगा होकर नहा रहा था..उसने मन मे सोचा की शायद उसका लंड देखकर नेहा के दिल मे उसके लिए कुछ और भावनाए पैदा हो जाए..इसलिए वो थोड़ा किनारे की तरफ आ गया, जहाँ पानी उसकी कमर से नीचे था..

अब उसका लंड साफ़ दिख रहा था ...पूरा खड़ा हुआ था वो उस वक़्त...वो साबुन लेकर अपने लंड पर मलने लगा..

पर नेहा की नज़र अभी तक वहाँ नही पड़ी थी ...वो अपनी ही मस्ती मे दूसरी तरफ देखती हुई नहा रही थी ..

भूरे ने थोड़ा आगे बढ़ने की सोची और बोला : "भाभी ...ज़रा यहाँ आकर मेरी पीठ पर साबुन लगा दोगी ...''

नेहा ने पलटकर उसकी तरफ देखा..और उसे ऐसी हालत मे बैठे देखकर उसकी आँखे फटी रह गयी..पर उसने कोई प्रतिक्रिया ना दिखाते हुए उस तरफ आना शुरू कर दिया..भूरे एक छोटी सी चट्टान पर बैठ गया..और पीछे मुड़कर उसने नेहा को साबुन दे दिया.

नेहा ने साबुन लिया और उसकी पीठ पर लगाने लगी.

भूरे की खुशी की कोई सीमा ही नही रही..वो समझ गया की ये चालू टाइप की शादीशुदा औरत है..जो दूसरे मर्दों के साथ मज़े लेती हैं..

नेहा बेचारी तो वो सब इसलिए कर रही थी की उसे इन बातों की कोई जानकारी नही थी...उसे तो पता भी नही था की ऐसे गैर मर्द की पीठ पर साबुन लगाना कितना बुरा समझा जाता है उस समाज मे..ख़ासकर जब सामने वाला मर्द नंगा हो.

वो तो अपने अबोधपन मे उसकी पीठ पर साबुन लगा रही थी..पर ऐसा करते हुए उसके अंदर की औरत बुरी तरह से उत्तेजित होती जा रही थी ..उसपर कैसे कंट्रोल किया जाए, ये नेहा को नही पता था.

भूरे तो पूरा नंगा बैठा था..उसने अपनी बेशर्मी का परिचय देते हुए बिना किसी चेतावनी के अपना चेहरा नेहा की तरफ कर दिया..और अब उसका गठीला शरीर उसके सामने था और साथ मे था उसका तगड़ा लंड भी ..


 भूरे की नज़रें उसकी गीली टी शर्ट पर चमक रहे हीरे जैसे निप्पल्स पर थी..उसका मन तो कर रहा था की अपने हाथों मे लेकर उसके उरोजों को मसल डाले..उनपर लगे हुए निप्पल्स को अपने दाँतों के बीच लेकर चूस ले..पर अपने उपर कंट्रोल करते हुए उसने काँपते हुए हाथों से नेहा के हाथ मे साबुन दिया..

नेहा की नज़रें उसके खड़े हुए कुतुब मीनार से चिपकी हुई थी..उसके कठोर लंड को देखकर उसके दिल मे अजीब सी बेचैनी हो रही थी..

अपने लंड को ऐसे घूरते देखकर भूरे ने नेहा से कहा : "क्या देख रही हो भाभी जी ..''

नेहा : "देख रही हू, तुम कुछ ज़्यादा ही बेशर्म होकर नहा रहे हो मेरे सामने...उस दिन तो ऐसे नही नहा रहे थे..''

भूरे : "भाभी जी, नहाने का मज़ा तो कपड़े उतारकर ही आता है...और उस दिन काफ़ी भीड़ थी ना इसलिए ऐसे नही नहा सके, पर आज देखिए, हमने ये नहाने की जगह आपके लिए पूरी तरह से खाली करवा दी है ..''

उसने मुँह से अचानक अपनी बड़ाई करते हुए सच निकल गया.

नेहा : "अच्छा ...तो यहाँ नहा रहे लोगो को आपने भगा दिया है...तभी मैने सोचा की इतना सन्नाटा तो नही होना चाहिए यहाँ ...''

भूरे (हंसते हुए) : "अरे भाभी ....आपके लिए तो हम पूरा शहर खाली करवा दे ...ये नदी क्या चीज़ है ..''

उसने दिल फेंक अंदाज मे नेहा से कहा, जिसे सुनकर वो भी हँसने लगी...और हंसते हुए अचानक उसके हाथ साबुन लगाते-2 उसके लंड पर पहुँच गये ..

भूरे ने तो सोचा भी नही था की वो ऐसे खुलकर उसके लंड को पकड़ लेगी..

पर नेहा अपनी ही धुन मे, उसके लंड को किसी खिलोने की तरहा हाथ मे लेकर मसल रही थी ..उसकी लंबाई को नाप रही थी ...उसपर साबुन लगाकर उसे सॉफ कर रही थी ..उसके भरे हुए टिन्डे जैसी बॉल्स का वजन तोल रही थी .

भूरे ने अपनी आँखे बंद कर ली ...और अपनी लंड रगड़ाई का मज़ा लेना लगा..

नेहा ने पहली बार किसी का लंड पकड़ा था..और भूरे के चेहरे पर आ रहे भाव को देखकर उसे पता चल गया की उसे भी मज़ा आ रहा है .. वो अंजान सी बनकर उसके लंड को मसलती रही ..

अचानक भूरे ने अपने हाथ उठाकर उसके मुम्मों पर रख दिए ...एक पल के लिए तो नेहा भी घबरा गयी ..पर वो कुछ ना बोली, उसे तो ऐसे संबंधों के बारे मे कोई जानकारी तक नही थी..अगर थी भी तो वो भूल चुकी थी ..उसने तो कल अस्तबल मे गंगू को रज्जो के बदन को मसल - मसलकर मज़े लेते हुए देखा था, और जिस तरह से गंगू उसके मुम्मे चूस रहा था, और रज्जो मज़े मे दोहरी होकर चिल्ला रही थी, वो बात उसकी आँखों के सामने एकदम से उतर आई ...

और उसने उसी बात को याद करते-2 भूरे के सिर को पकड़ा और अपने मुम्मे की तरफ खींचने लगी..

भूरे सिंग को तो विश्वास ही नही हुआ की नेहा उसे अपनी छाती चूसने के लिए कह रही है ...वो तो पहले से ही उसके हाथों लंड की मालिश करवाकर सांतवे आसमान पर था, और अब नेहा उसके चेहरे को पकड़कर अपनी छातियों की तरफ खींच रही थी ..उसने भी बिना किसी विरोध के अपना मुँह आगे किया और अपनी लपलपाटी हुई सी जीभ उसके मुम्मे पर रख दी ..और टी शर्ट के उपर से ही उसके निप्पल को मुँह मे लेकर चूसने लगा..

नेहा का एक हाथ उसके लंड पर चल रहा था ..और उसका दूसरा हाथ भूरे के सिर को अपनी छातियों पर दबाकर उसे किसी शिशु की तरह अपना स्तनपान करा रहा था..

भुएर ने धीरे-2 उसकी टी शर्ट को उपर खिसकाना शुरू कर दिया...वो थोड़ा सा कसमसाई , पर उसके अंदर की आग ने उसे किसी भी तरह का विरोध करने से रोक दिया...और भूरे ने अपने हाथ की सफाई दिखाते हुए उसके सफेद कलश अपनी आँखों के सामने नंगे कर दिए..

उपर से पड़ रही सूरज की रोशनी मे नहाकर उसके मोटे और सफेद मुम्मे सोने की तरह चमक रहे थे...और उनपर लगे हुए निप्पल्स किसी हीरे की तरह...और निप्पल्स के चारों तरफ महीन-2 से दाने पूरी तरह से निकलकर बाहर आ चुके थे...

भूरे को अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था की नेहा इतनी आसानी से उसके चुंगल मे फँस जाएगी...और अपने शरीर से खेलने देगी..

उसने बिना कोई देरी करते हुए अपने मुँह आगे किया और उसके निप्पल को मुँह मे लेकर ज़ोर से काट लिया ..

''अहह ........ उफफफफफफफ्फ़ .... दर्द होता है ........ ''

नेहा ने शिकायत की ....पर उसे रोका नही...बल्कि उसके सिर को पकड़कर दूसरी तश्तरी मे रखे , बाँये मुम्मे की तरफ कर दिया और उसके उपर लाकर उसके मुँह को फिट किया और ज़ोर से दबा लिया अपनी छातियों पर ...

और एक बार फिर से उसकी चीख गूँज उठी ..

''अहह ...... उम्म्म्मममममममम ...... हाआअन्न्न्न्न्न ....... ऐसे ....... ही. ........... शाबाश ................... .....''

अब नेहा भी रंगने लगी थी उसके रंग मे ...

भूरे ने उसकी टी शर्ट को घुमा कर उसके सिर से निकाल फेंका और अब वो टॉपलेस होकर अपने गोरे-2 मुममे खुले मे उससे चुसवा रही थी ..

भूरे : "अहह ..... भाभी .................. ...कितने मस्त है आपके मुम्मे ...... ऐसा लगता है की गंगू ने आज तक इन्हे हाथ भी नही लगाया ....''

नेहा : "हाँ , सही कहते हो ....उसने आज तक हाथ नही लगाया ...''

भूरे एक पल के लिए रुक सा गया, उसे तो विश्वास ही नही हुआ की नेहा जैसी बीबी को गंगू ने आज तक हाथ भी नही लगाया .... पर उसे क्या पता था की असल मे किस्सा क्या है ...










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