Wednesday, December 17, 2014

FUN-MAZA-MASTI मैं एक रंडी बुन चुकी हूँ--6

FUN-MAZA-MASTI
 मैं एक रंडी बुन चुकी हूँ--6

 तभी कमरे में दूसरा आदमी आ गया, और उसी की तरह फौरन नंगा हो गया। उसका लण्ड 8 इंच का था लेकिन उसकी मोटाई कम थी। उसने आकर बिस्तर पर चारों हाथ-पाँव पर खड़ा किया और खुद नीचे जमीन पर खड़ा हो गया और उसी स्पीड से मुझे चोदना शुरू कर दिया। इस चुदाई में मुझे काफी दर्द हुआ क्योंकि मेरी चूत सूखने लगी थी। और आहिस्ता-आहिस्ता उसमें दर्द होने लगा।

इस चुदाई में मैं सिर्फ़ एक बार झड़ी। उसने मुझे 3 आसनों में एक घंटा चोदा। फिर वो चला गया तो रानी ने फौरन मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया ताकि थोड़ी गीली हो जाए और चुदाई के दौरान इतनी तकलीफ ना हो। उससे मुझे काफी आराम भी मिला। ऐसे लगा जैसे किसी ने मेरी चूत की सिकाइ कर दी हो।

(यहाँ एक बात मैं कहना चाहूंगा कि अक्सर कहानियों में लिखा होता है कि एक घंटे में 10 बार झड़ी। फिर दूसरे घंटे में 10 बार झड़ी। ऐसा हकीकत में नहीं होता। एक लड़की अगर 5 मिनट में झड़ती है तो उसका दूसरा आर्गॅजम लेट होता है। यही सिचुयेशन मर्दों के साथ है कि एक बार झड़ने के बाद दूरी बार ज्यादा टाइम बाद झड़ता है। एक लड़की या औरत दिन में अधिकतम 10 बार झड़ सकती है और मर्द 8 बार। इससे ज्यादा की सम्भावना नहीं है। इससे ज्यादा कोई अगर झड़ता है तो वो मेडिकल प्राब्लम है। जैसे-जैसे एक लड़की ज्यादा बार झड़ती है उसके अंदर दर्द बढ़ती जाती हैं और अंदर जो प्राकृतिक ल्यूब्रिकेशन है वो कम होती जाती है।)
तीसरा आदमी अंदर आया। उसने मुझे बिस्तर पे लिटा दिया और मेरी टांगें मेरी चूचियां के साथ लगा दीं। अब मैं दोहरी हो गई थी। उसने अपने 8 इंच लंबे और काफी मोटे लण्ड से मेरी खूब चीखें निकाली। मैं तो जैसे बेहोश होने वाली थी दर्द के मारे। क्योंकि एक तरफ मेरी कमर में दर्द हो रहा था और दूसरी तरफ उसने मेरी चूत को चीर-फाड़ दिया। अभी उसको चोदते हुये आधा घंटा ही हुआ था और मैं बस बेहोश होने वाली थी। मेरी चूत में से खून निकलने लगा।

तो सन्नो-बाई ने उसको हटाकर बाहर भेज दिया। मेरी हालत बहुत खराब थी। दर्द बर्दाश्त से बाहर हो रहा था। और मैं अपनी चूत पे हाथ रखकर रोए जा रही। आँखों में आँसू थे और उउइईई… आआआह्ह… म्*ममाआआअ… की आवाजें मेरे मुँह से निकल रही थीं। सन्नो-बाई ने मेरी चूत में कोई क्रीम लगाना शुरू कर दी। जिससे मुझे अंदर ठंडक का एहसास होने लगा, और मेरी चूत को भी आराम मिलने लगा। काफी देर मैं लेटी रही। रानी मेरे गालों को सहला रही थी प्यार से।

मैं रोते हुये बोली- प्लीज़्ज़ मैं अब और चुदाई नहीं करवा सकती। मैं मर जाऊँगी। प्लीज़्ज़ मेरे हाल पर रहम करो और मुझे जाने दो। प्लीज़्ज़।

रानी- “अच्छा मेरी जान तो अब अपनी चूत नहीं चुदवा। आज तेरी इतनी चूत चुदाई बहुत है। बस्स…”

मैंने हाँ में सिर हिला दिया। और अपनी आँखें मूंद लीं।

थोड़ी देर बाद रानी ने मुझे वाशरूम लेजाकर साफ किया और नहलाया। मैं काफी फ्रेश महसूस कर रही थी खुद को। वो मुझे वैसे ही नंगी कमरे में ले आई।

रानी- अब तेरी एक और ट्रैनिंग शुरू होगी… गाण्ड मरवाने की।

मैं आँखें फाड़े उसको देखने लगी। ऐसे लग रहा था जैसे अभी मैं रो दूँगी।

रानी- फिकर नहीं कर… मैं तेरी गाण्ड खुद तैयार करूँगी। तुझे कम से कम दर्द होगा। बस हिम्मत नहीं हारना। उसके बाद देखना सारी ज़िंदगी तू बड़े मजे करेगी। अभी सिर्फ़ 1:00 बजे हैं। अभी 4 घंटे और हैं तेरी चुदाई के और बेफिकर हो जा। तू बिल्कुल नार्मल घर जाएगी। ये मेरी गारंटी है।


 मैं खामोश थी आखिर मेरी बात का मतलब ही क्या था? अगर मैं मना करती तो वो जबरदस्ती करते। उसमें मेरा ज्यादा नुकसान होता। उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। इस तरह से कि मैं अपने घुटने जमीन पर रखकर झुकी हुई थी और मेरे ऊपर का हिस्सा बिस्तर पे था। मैं आगे नहीं हो सकती थी, अगर होना भी चाहती तो। सिर्फ़ पीछे को जोर लगा सकती थी।

(एक बात, ये आसन ऐसी है कि इसमें औरत बिल्कुल बेबस हो जाती है। उसके पीछे से अगर कोई आदमी उसको चोद रहा हो तो वो आगे नहीं निकल सकती। बाकी हर आसन में औरत अपने आपको बचा सकती है लेकिन ये उन चंद आसनों में से एक है कि औरत अपने आपको नहीं बचा सकती। इस आसन को आप सोफा पे भी बना सकते हैं। )

बाहर हाल… कहानी पर वापस आते हैं।

रानी तेल की शीशी लेकर मेरे पीछे आ गई। उसने मेरी टांगों को चौड़ा किया और मेरी गाण्ड पे आहिस्ता-आहिस्ता ऊपर-ऊपर से तेल लगाने लगी। मुझे बिल्कुल मजा नहीं आ रहा था क्योंकि मैं अंदर ही अंदर डरी हुई थी कि क्या होगा? 5 मिनट सहलाने के बाद उसने अपनी उंगली पे ढेर सारा तेल लगाया और मेरी गाण्ड में डाल दिया।

मेरे मुँह से उउइईई… आआअह्ह… प्लीज़्ज़ आहिस्ता की आवाज निकल गई।

उसने मेरी कमर को सहलाना और चूमना शुरू कर दिया। और अपनी उंगली को आहिस्ता-आहिस्ता अंदर-बाहर करती रही। मुझे ऐसे लग रहा था कि जैसे मेरे अंदर कोई जीज डाली जा रही है। जो कि मेरे पेट तक चली जाएगी। हल्के से दर्द के बाद मैं नार्मल हो गई। उसने अपनी उंगली बाहर निकाली और मेरी गाण्ड के छेद पे और तेल डाल दिया। फिर से एक उंगली अंदर-बाहर करने लगी। थोड़ी देर बाद उसने पहली उंगली के साथ दूसरी उंगली भी दाखिल करना शुरू कर दी।

मुझे फिर से दर्द होने लगा। ऐसा लग रहा था कि कोई मेरी गाण्ड चीर रहा है। साथ ही साथ वो कमर पे किस कर रही थी और अपने दांतों से हल्का-हल्का काट भी रही थी, कभी मेरे चूतड़ों पर भी काट लेती जैसे उनको खा जाना चाहती हो। इससे मुझे मजा आ रहा था और मेरी गाण्ड का दर्द भी फौरन कम हो जाता था, और मैं मजा लेने लगती।

आहिस्ता-आहिस्ता उसने अपनी चार उंगलियां अंदर डाल दी और उनको अंदर-बाहर करने लगी। मेरी गाण्ड अब काफी खुल चुकी थी और उसमें ढेर सारा तेल भी लगा हुआ था। इस सबमें कोई 10-15 मिनट लगे होंगे। मुझे ये इतमीनान था कि जैसे उसने कहा कि मुझे कम से कम दर्द हो रहा था। बल्कि यूँ कहना चाहिए कि दर्द से ज्यादा मजा आ रहा था। थोड़ी देर 4 उंगलियां करने के बाद उसने मेरी गाण्ड से उंगलियां निकाल लीं और पूरा तेल मेरी गाण्ड में डाल दिया। तभी मुझे अपनी गाण्ड पर गरम-गरम चीज का एहसास हुआ। क्या था वो?

जी हाँ… ये लण्ड था। पीछे मुड़कर मैं नहीं देख सकी कि वो कौन है और उसका लण्ड कितना लंबा है। लेकिन उसको महसूस कर रही थी। उस आदमी ने लण्ड मेरी गाण्ड से लगाकर अंदर की तरफ दबाना शुरू किया। पुच्छ की आवाज से उसके लण्ड का अगला हिस्सा मेरी गाण्ड में दाखिल हो गया और मेरे मुँह से उउइईई… आआआह्ह… की आवाज निकल गई। मुझे ज्यादा दर्द नहीं हुआ क्योंकि मेरी गाण्ड का छेद उसने उंगलियां करके नरम कर दिया था। आहिस्ता-आहिस्ता उस आदमी ने अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में दाखिल कर दिया। मुझे थोड़ा-थोड़ा दर्द हुआ और जलन भी होने लगी लेकिन बहुत ज्यादा दर्द ना हुआ जैसे की कुँवारी गाण्ड में लण्ड घुसने से होता है।

रानी मेरे सामने आ गई- क्यों डार्लिंग? दर्द तो नहीं हो रहा ज्यादा 7:00 इंच लंबा मोटा लण्ड लेकर? कैसे लग रहा है?

मैं- नहीं ज्यादा दर्द नहीं हो रहा। बस हल्की-हल्की जलन हो रही है, और बड़ा अजीब लग रहा है कि जैसे कोई चीज मेरे पेट के अंदर जा रही हो।

रानी- हाँ ऐसे ही होता है। चलो अब तुम अपने मुँह को भी एक काम में लगाओ।

मैं- वो क्या?

रानी ने एक आदमी को सामने बिठा दिया। जिसका लण्ड कोई 4 या 4½” इंच था। मोटाई में भी नार्मल था।

रानी- इसको पूरा मुँह में लेना है आहिस्ता-आहिस्ता और डीप थ्रोट करना है। ताकि तुम्हें बिना दाँत लगाए लण्ड चूसना आ जाए। उसके बाद सबके लण्ड चूसकर तुम झड़ाओगी और मनी पियोगी। फिर तुम्हारी छुट्टी होगी आज… वरना नहीं।

मैं- तो रोका किसने है? मैंने तुमसे प्रॉमिस किया है कि जैसे कहोगी वैसे करूँगी। फिर?

वो हँसने लगी- हाह्हह्हह्हहा…

तभी उस आदमी ने आगे बढ़कर मेरे सिर को अपनी गोद में रख लिया। उसका लण्ड मेरे मुँह के बिल्कुल पास था, सांवला सा, बालों से बिल्कुल पाक, लेकिन उसके आस-पास से अजीब सी महक आ रही थी जो कि मुझे थोड़ी बुरी लग रही थी। मेरी गाण्ड मारने वाले आदमी ने आहिस्ता-आहिस्ता अपना लण्ड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।

मैंने हिम्मत करते हुये उस आदमी नो॰ 5 (मैं उसको आदमी नो॰ 5 कहूँगी) के लण्ड को मुँह में भर लिया। और उसकी टोपी को आहिस्ता-आहिस्ता चूसने लगी, और सीधे हाथ से सहलाने लगी। मुझे उसका अजीब सा फीका सा टेस्ट महसूस हो रहा था। और उसमें से कोई चीज हल्की-हल्की रिस कर बाहर निकलती थी। (बाद अ मुझे पता चला कि ये प्री-कम है) मैं उसके लण्ड को आहिस्ता-आहिस्ता मुँह में दाखिल करने लगी और साथ ही साथ चूसती जा रही थी। वो बड़े आराम से मेरे बालों को सहला रहा था।

मेरे पीछे जो आदमी था (आदमी नो॰ 4) वो मेरी कमर को पकड़कर तेजी से पेलता जा रहा था। अब मुझे उसका लण्ड अपनी गाण्ड में अच्छा लग रहा था। मेरी गाण्ड से फचक-फचक और ठप-ठप की आवाज आ रही थी। जो कि तेल की वजह से और मेरी जांघों के साथ उसकी जांघें टकराने की वजह सी थी। जबकि मेरे मुँह से उउम्म्म्मम… उउम्म्म्मम… की आवाजें आ रही थीं। मैं अपनी कमर को भी आहिस्ता-आहिस्ता हिलाने की कोशिश कर रही थी।

मेरे मुँह में आदमी नो॰ 5 का लण्ड आधे से ज्यादा जा चुका था और वो मेरे गले के आखीर को छू रहा था। मैं उसके लण्ड को बड़े मजे से चूस रही थी कि जैसे उसमें से कोई शहद निकल रहा हो। फिर आदमी नो॰ 5 ने मेरा मुँह अपने लण्ड से हटाया। और मेरे मुँह को नीचे की तरफ धकेलने लगा। मैं उसकी बात का मतलब समझ गई। और उसकी बाल्स को चाटने लगी। खुरदरी सी त्वचा थी, बड़ा अजीब लग रहा था। उससे हल्की-हल्की महक आ रही थी। लेकिन मैं उसपर हल्के-हल्के चुंबन करती रही और कभी-कभी जबान से चाट भी लेती।


 आदमी नो॰ 4 मेरी गाण्ड मरने में जोर-ओ-शोर से व्यस्त था। उसका लण्ड मुझे अंदर जाते और बाहर आते साफ महसूस हो रहा था। जबकि मेरी चूत भी हल्की-हल्की गीली होती जा रही थी।

मैंने आदमी नो॰ 5 का लण्ड दोबारा मुँह में भर लिया और उसके बाल्स को हल्का-हल्का मसाज करते हुये अंदर-बाहर करने लगी। उसका लण्ड जब मेरे गले को लगता तो मुझे हल्की सी खाँसी आने लगती और मेरे मुँह से थूक निकलने लगता। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। थोड़ी देर बाद उसने मेरा सिर अपने लण्ड पर दबा दिया। और उसका लण्ड मेरे गले से नीचे चला गया जबकि उसके बाल्स मेरी ठोड़ी से टकराने लगे।

मैं बुरी तरह चोक करने लगी, लेकिन उसने नहीं छोड़ा। मेरी आँखों में से पानी बहने लगा। ऐसे लग रहा था जैसे मैं अभी उल्टी कर दूँगी। थोड़ी देर बाद उसने मुझे छोड़ा। मैं उसका लण्ड मुँह से निकालकर लंबी-लंबी साँस लेने लगी और गुस्से से उसको देखने लगी। लेकिन उसने परवाह नहीं की और दोबारा मेरे मुँह को पकड़कर अपने लण्ड से लगा दिया।

आदमी नो॰ 4 ने मेरी गाण्ड में थोड़े जोर-जोर से धक्के लगाए और मेरी गाण्ड में अपना लण्ड पूरा डालकर रोक दिया। उसके लण्ड में से गरम-गरम वीर्य निकलकर मेरी गाण्ड में गिरने लगा। अजीब सा एहसास हो रहा था। मेरी चूत ने भी उसी वक्त पानी छोड़ दिया।

जबकि आदमी नो॰ 5 ने मेरा मुँह अपने लण्ड पे तेजी से ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। दो मिनट बाद ही उसने मेरे मुँह को एक जगह पकड़ लिया और मेरे मुँह में झड़ने होने लगा। मैंने उसकी गाढ़ी-गाढ़ी मनी को अपने गले से नीचे ले जाना शुरू कर दिया। उसने 5-6 पिचकारियां मेरे मुँह में छोड़ी और अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया। मैंने उसका लण्ड चाटकर साफ कर दिया।

वो मुझे छोड़कर कपड़े पहनकर बाहर निकल गए। जबकि मैं सीधी होकर जमीन पर आलटी-पालटी करके बैठ गई। मेरी कमर ऐसे लग रहा था कि जैसे अकड़ गई हो। आखिर पूरे एक घंटा एक ही आसन में रही थी मैं। रानी मेरे पास आ गई और जमीन पर एक चादर बिछाकर मुझे उसपर सीधा लिटा दिया ताकि मेरी कमर को आराम मिल जाए।

सन्नो-बाई- “क्या बात है? तू तो बड़ी जल्दी सब सीख जाती है री। लगता है पैदाइशी रंडी है…” वो और रानी हँसने लगी। जबकि इस बार हँसी में मैंने भी उनका साथ दिया।

मेरा अब थकान से बुरा हाल था। लेकिन अंदर ही अंदर चुदाई के बाद अजीब सी खुशी थी। भरपूर संतुष्टि। जिश्म का अंग-अंग खिल रहा था लेकिन अभी तो एक आखिरी इम्तेहान आज के दिन का बाकी था। मुझे सबके लण्ड चूसने थे और उनका वीर्य पीना था। क्योंकि अभी 3 लोग झड़े नहीं थे। उन्होंने सिर्फ़ मुझे चोदा था। और चोदा भी कैसे कि मेरी चुदी हुई चूत से भी खून निकाल दिया। मेरी चूत के साथ-साथ अब मेरी गाण्ड का छेद भी खुल चुका था।

अब भी उसमें हल्का-हल्का दर्द हो रहा था। मैं अपनी गाण्ड के छेद को सिकोड़ने की कोशिश करती लेकिन वो पूरी तरह से बंद नहीं होता था जैसे कि पहले था। इसलिए थोड़ा अजीब भी लग रहा था। और उसमें हल्की-हल्की हवा भी लगती महसूस कर सकती थी मैं।







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