Sunday, December 14, 2014

FUN-MAZA-MASTI बदलाव के बीज--64


 FUN-MAZA-MASTI
 बदलाव के बीज--64


 मैं: Hey ! आप सोये नहीं अभी तक?

भौजी ने ना मैं सर हिलाया| मैं भी उकड़ूँ हो के उनके सामने बैठ गया|

मैं:OK बाबा! अब छोडो ना!

भौजी अब भी कुछ नहीं बोलीं|

मैं: अच्छा बाबा अब मैं ऐसा क्या करूँ की आप खुश हो जाओ|

भौजी: कुछ नहीं...आप सो जाओ... मैं भी जाती हूँ|

उनका जवाब बड़ा उकड़ा हुआ था, मानो वो मुझे नींद से जगाने के लिए खुद को कोस रहीं हों| भौजी उठीं और पलट के जाने लगीं तो मैंने उनका हाथ थाम लिया और उनको अपनी ओर खींचा| अब वो मुझसे बिलकुल सट के खड़ीं थीं|

मैं: देखो...बड़के दादा ने जो कहा उसे दिल से मत लगाओ| वो नहीं जानते की मेरी रूह पर सिर्फ ओर सिर्फ आपका ही हक़ है|

भौजी: नहीं... मुझे आपको नहीं उठाना चाहिए था|

मैं: हमारे बीच में कब से फॉर्मेल्टी आ गई? इसका मतलब की अगर मुझे रात को कुछ हो जाए तो मैं आपको उठाऊँ ही ना... क्योंकि आपकी नींद टूट जायेगी|

भौजी: नहीं.. नहीं... आपको जरा सी भी तकलीफ हो तो आप मुझे आधी रात को भी उठा सकते हो|

मैं: वाह! मैं आपको आधी रात को भी उठा सकता हूँ और आप मुझे रात दस बजे भी नहीं उठा सकते? Doesn’t make sense!

भौजी मेरी बात समझ चुकीं थीं और उन्होंने मुझे आगे बढ़ के kiss किया! पर मन जानता था की उनका मन अभी भी शांत नहीं है| इसलिए मैंने उनका हाथ पकड़ा और एक बार बहार से अंदर झाँका और देखा की कोई हमारी बातें सुन तो नहीं रहा| फिर मैंने उनका हाथ पकड़ा और खींच के बड़े घर के पीछे ले गया| कुछ देर पहले उनका भी मन था और मेरा भी... !! वहां ले जाके मैंने उन्हें दिवार के सहारे खड़ा किया और उन्हीने ताबड़तोड़ तरीके से चूमने लगा| भौजी की सांसें एज हो चलीं थीं परन्तु मेरा खुद पे काबू था| उन्हें चूमने के बाद मैंने उनकी साडी उठाई और मैं उसके अंदर घुस के घुटनों के बल बैठ गया और उनकी योनि को अपनी जीभ से कुरेदने लगा| जैसे ही मेरी जीभ की नोक ने उनकी योनि के कपालों को छुआ, भौजी के मुँह से लम्बी सी सिसकारी छूट गई; "स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स..अह्ह्हह्ह्ह्ह"| हाथों का प्रयोग न करते हुए मैंने उनकी योनि के द्वारों को अपनी जीभ की मदद से कुरेद के खोला और उनकी योनि में अपनी जीभ घुसा दी| भौजी की योनि अंदर से गर्म थी और उनका नमकीन रस जीभ पर घुलने लगा| मैं बिना जीभ को हिलाय ऐसे ही उनकी योनि में जीभ डाले मिनट भर बैठा रहा और इधर भौजी ने अपनी कमर हिलाके मेरी जीभ को अपनी योनि में अंदर बाहर करना शुरू का दिया; और “अह्ह्ह...अह्ह्ह..अंह्ह्ह” का शोर मचा दिया| परन्तु वो थकीं हुई थीं और ज्यादा देर तक कमर न हिला सकीं| करीब दस बार में ही वो थक गईं और फिर से दिवार की टेक लेके खड़ी हो गईं| अब मेरी बारी थी, मैंने जीभ को जितना अंदर दाल सकता था उतना अंदर डाला और जीभ को रोल करके बाहर लाया| इस हरकत ने भौजी को पंजों पे खड़ा कर दिया और उन्होंने अपने हाथ के बल से मेरा सर अपनी योनि पे दबा दिया| साफ़ संकेत था की उन्हें बहुत मजा आ रहा है| मैंने उसी प्रकार उनकी योनि के रस को पीना शुरू कर दिया| मैं अपनी जीभ को रोल करके खोलता हुआ उनकी योनि में प्रवेश करा देता और फिर से अंदर से बाहर की ओर रोल करता हुआ बाहर ले आता| भौजी बार-बार अपने पंजों पे उछलने लॉगिन थीं और अब ज्यादा समय नहीं था मेरे पास वरना घरवाले हम पे शक करते! इसलिए मैंने ये खेल छोड़ दिया और जीभ को तेजी से अंदर बाहर करने लगा..उनके "Clit" को चाटने-चूसने लगा..हलका-हल्का दाँतों से दबाने लगा| उनकी योनि के कपालों को मुँह में भर के खींचने लगा और भौजी चरमोत्कर्ष पर पहुँच ने ही वालीं थीं की मैंने अपनी जीभ को उनकी योनि में फिर से प्रवेश करा के अंदर से उनकी योनि को गुदगुदाने लगा| भौजी ने पूरी कोशिश की कि वो अपनी योनि से मेरी जीभ पकड़ लें पर जीभ इतनी मोती नहीं थी कि उनकी योनि कि पकड़ में आ जाए और इसी आनंद में भौजी ने अपना हाथ मेरे सर पे रखा और अपनी कमर को हिलाते हुए झड़ने लगीं| भौजी ने अपने रास को बिना रोके छोड़ दिया और वो मेरे मुँह में समाने लगा और काफी कुछ तो मेरे होठों से बाहर छलक के नीचे भी गिरने लगा| जब उनका झरना बंद हुआ तब मैं उनकी साडी के अंदर से निकला और वापस खड़ा हुआ| मेरे होठों के इर्द-गिर्द भौजी के रास कि लकीरें अब भी बानी हुई थीं जिसे भौजी ने अपने पल्लू से साफ किया| मैंने एक लम्बी सांस छोड़ी और भौजी कि ओर देखा तो वो संतुष्ट लग रहीं थीं|



 जब दोनों कि साँसें ओर धड़कनें सामान्य हुईं तब मैंने उनसे कहा;

मैं: अब तो आप खुश हो?

भौजी: हाँ...

मैं: तो चलें?

भौजी: कहाँ?

मैं: सोने... और कहाँ|

भौजी: नहीं...आपने मुझे तो संतुष्ट कर दिया पर आप अभी संतुष्ट नहीं हो!

मैं: आप खुश तो मैं खुश! अब चलो जल्दी वरना कोई हमें ढूंढता हुआ यहाँ आ जायेगा!

भौजी: आप हमेशा ऐसा क्यों करते हो? मेरी ख़ुशी पहले देखते हो पर मेरा भी तो कुछ फर्ज बनता है आपके प्रति?

मैं: जर्रूर बनता है...पर इस समय आपको प्यार कि ज्यादा जर्रूरत थी| आपका मन उदास था इसलिए मैंने.... (मैं बात को अधूरा छोड़ दिया|)

भौजी: पर इन जनाब का क्या? (उन्होंने मेरी पेंट में उठे उभार की ओर इशारा करते हुए कहा|)

मैं: ये थोड़ी देर में शांत हो जायेगा|

भौजी: पर मुझे ये अच्छा नहीं लगता की आप मेरी ख़ुशी के लिए इतना कुछ करते हो ओर बदले में अगर मैं आपको कुछ देना चाहूँ तो आप कुछ भी नहीं लेते?

मैं: मैं कोई सौदागर नहीं हूँ जो आपकी ख़ुशी के बदले आपसे कुछ माँगू|

भौजी: हाय! कितनी खुश नसीब हूँ मैं जिसे आप जैसा पति मिला| ओर एक बात कहूँ जानू...जब आप इस तरह से पेश आते हो ना तो मन करता है की आपके साथ कहीं भाग जाऊँ|

मैं: मैं तो कब से तैयार हूँ....आप ही नहीं मानते| खेर.. अब चलो रात बहुत हो रही है ओर सुबह आपको उठना भी है|

भौजी: पर प्लीज let me try once!

मैं: देखो अभी समय नहीं है हमारे पास| इतनी जल्दी कुछ नहीं हो पायेगा आपसे!

भौजी: मैं कर लूँगी (इतना कह के उन्होंने मेरे लंड को पेंट की ऊपर से पकड़ लिया|

मैं: अगर नेहा जाग गई और मुझे अपने पास नहीं पाया तो फिर से रोने लग जाएगी|

भौजी: Next time आपने ऐसा किया ना तो मैं आपसे कभी बात नहीं करुँगी|

मैं: ठीक है ... बाबा अब जल्दी से मुस्कुरा दो ताकि मैं चैन से सो सकूँ|

भौजी मुस्कुराईं और आगे बढ़ के मुझे Kiss किया और फिर मैंने उन्हें बड़े घर के दरवाजे पे छोड़ा और वहीँ खड़ा रहा जबतक उन्होंने दरवाजा अंदर से बंद नहीं कर लिया| फिर मैंने हाथ-मुँह धोया और अपनी जगह आके नेहा के पास लेट गया|


 सुबह मैं जान बुझ के जल्दी उठ गया वरना बड़के दादा भौजी को मेरी नींद तोड़ने के लिए फिर से डांटते|

भौजी: आप इतनी जल्दी क्यों उठ गए?

मैं: ऐसे ही.. माँ कह रहीं थी की जल्दी उठना चाहिए|

भौजी: जानती हूँ आप जल्दी क्यों उठे हो, ताकि मुझे पिताजी से डाँट न पड़े| आप सो जाओ...कोई कुछ नहीं कहेगा|

मैं: नहीं...अब नींद नहीं आएगी|

भौजी: क्यों जूठ बोल रहे हो आप| आपकी आँखें ठीक से खुल भी नहीं रही|

मैं: वो नहाऊँगा तो अपने आप खुल जाएगी... और रही बात नींद पूरी करने की तो वो मैं दोपहर में कर लूँगा|

खेर आज का दिन कुछ अलग ही था...सुबह से ही घर में बहुत चहल कदमी थी| पता नहीं क्या कारन था...मेरे पूछने पर भी किसी ने कुछ नहीं बताया| यहाँ तक की भौजी को भी इस बारे में कुछ नहीं पता था| मैं नाहा-धो के तैयार हुआ..और चूँकि आज संडे था तो नेहा मेरे पास अपनी किताब लेके आ गई|

उसकी किताब में बहुत से रंग-बिरंगे चित्र थे जैसे की छोटे बच्चों की किताबों में होते हैं| उसकी alphabets (वर्णमाला) की किताब सबसे ज्यादा रंगीन थी| मैं नेहा को A B C D पढ़ाने लगा, दरअसल मैं और नेहा बड़े घर के आँगन में बैठे थे और हमारी पीठ दरवाजे की ओर थी| इतने में भौजी चाय ले के आईं और मेरी ओर ट्रे बढ़ाते हुए बड़ी उखड़ी आवाज में बोलीं;

भौजी: आपसे मिलने कोई आया है!

मैंने आँखों की इशारे से पूछा की कौन है तो उन्होंने आँखों के इशारे से ही पीछे मुड़ने को कहा| जब मैं पीछे मुड़ा तो देखा वहां सुनीता खड़ी है| आज उसने पीले रंग का सूट पहना था ओर हाथ में किताबें थीं|

सुनीता: जब मेरे घर आये थे तो मुझे पड़ा रहे थे... और यहाँ इस छोटी सी बच्ची को पढ़ा रहे हो! क्या पढ़ाना आपकी हॉबी है?

मैं: (हँसते हुए) यही समझ लो ... अब आपकी हॉबी है गाना और गाना किसे पसंद नहीं पर पढ़ाना सब को पसंद नहीं है| कुछ तो चीज uncommon है हम में!

भौजी ने अपनी भौं को चाढ़ाते हुए मुझे देखा जैसे पूछ रही हो की ये सब क्या चल रहा है और मैं सुनीता की हॉबी के बारे में कैसे जानता हूँ|

मैं: ओह.. मैं तो आप दोनों का परिचय कराना ही भूल गया| ये हैं ....

सुनीता: (मेरी बात काटते हुए) आपकी प्यारी भौजी.. हम मिल चुके हैं... यही तो मुझे यहाँ लाईं....

मैं: ओह...

एक तरह से अच्छा हुआ की किसी ने दोनों का पहले ही परिचय करा दिया| क्योंकि मैं अब भौजी को भौजी नहीं कहता था...

मैं: तो बताइये कैसे याद आई हमारी?

इसके जवाब में उन्होंने एकाउंट्स की किताब उठा के मुझे दिखा दी| अब मेरा मन बहुत कर रहा था की मैं भौजी को थोड़ा चिडाऊं..तड़पाऊँ..जलाऊँ इसलिए मने आग में थोड़ा घी डाला|

मैं: (भौजी से) इनके लिए भी चाय लो दो!

भौजी ने मुझे घूर के देखा जैसे कह रहीं हो की क्या मैं इनकी नौकर हूँ पर जब उन्होंने मुझे मुस्कुराते हुए देखा तो मुझे जीभ चिढ़ा के चली गईं|

सुनीता मेरे सामने कुर्सी कर के बैठ गई और नेहा तो अपनी किताब के पन्ने पलट के देखने में लगी थी| सुनीता ने आगे बढ़ के उसके गालों को प्यार से सहलाया और बोली; "So Sweet !"| नेहा एक दम से मुझसे चिपट है और सुनीता से आँखें चुराने लगी|


मैं: बेटा... मैंने आपको क्या सिखाया था? चलो हेल्लो बोलो?

नेहा ने आँखें चुराते हुए हेल्लो कहा और फिर से मुझसे लिपट गई|

मैं: She’s very shy!

सुनीता: Yeah..I can understand that.

कुछ देर बाद भौजी आ गईं और सुनीता को चाय दे के जाने लगीं तभी उन्होंने देखा की हम पढ़ रहे हैं तो उन्होंने नेहा को अपने साथ चलने को कहा| मैं इस्पे भी चुटकी लेने से बाज नहीं आया;

मैं: कहाँ ले जा रहे हो नेहा को?

भौजी:खाना पकाने! (उन्होंने चिढ़ के जवाब दिया)

मैं: क्यों? बैठे रहने दो यहाँ...आपके पास होगी तो खेलती रहेगी|

भौजी: और यहाँ रहेगी तो आप दोनों को "अकेले: में पढ़ने नहीं देगी!

भौजी ने अकेले शब्द पे कुछ ज्यादा ही जोर डाला था| मतलब साफ़ था...वो भी मुझसे चुटकी लेने से बाज नहीं आ रहीं थीं| हमारी बात सुन सुनीता हंसने से खुद को रोक ना पाई और उसे हँसता देख भौजी जल भून के राख हो गईं और वहाँ से चली गईं|

सुनीता ने मुझे किताब खोल के दिखाई और अपने सवाल पूछने लगी|


 हम पढ़ाई कर रहे थे...वाकई में पढ़ाई ही कर रहे थे ..तभी वहाँ बड़की अम्मा और माँ आ गए|

बड़की अम्मा: अरे बेटा... भोजन का समय होने वाला है तो भोजन कर के ही जाना|

सुनीता: आंटी... मतलब अम्मा...वो मैं...

माँ: नहीं बेटा...खाना खा के ही जाना|

सुनीता: जी!

अब खाने का समय हुआ तो हम दोनों का खाना परोस के बड़े घर ही भेज दिया गया, और सबसे बड़ी बात खाना परोस के लाया कौन, "भौजी"!!! अब तो भौजी अंदर से जल के कोयला हो रहीं थीं और मुझे भी बहुत अटपटा से लग रहा था की आखिर मेरे घरवाले इस लड़की की इतनी खातिर-दारी क्यों कर रहे हैं?

सुनीता: अरे भाभी...आप क्यों भोजन ले आईं, हम वहीँ आ जाते|

मैं जानता था की यार अब अगर तूने आग में घी डाला तो तेरा तंदूरी बनना पक्का है, इसलिए मैं चुप-चाप था|

भौजी: (बड़े प्यार से बोलीं..हालाँकि मुझे ऐसा लगा की ये प्यार बनावटी था) आप हमारी मेहमान हैं और मेहमान की खातिरदारी की जाती है|

सुनीता उनकी बातों से संतुष्ट थी पर ना जाने क्यों मेरा मन भौजी की बातों का अलग ही मतलब निकाल रहा था| खेर हम खाना खाने लगे और अभी हमने शुरू ही किया था की नेहा वहाँ आ गई और मेरे पास बैठ गई| अक्सर मैं और नेहा साथ ही भोजन करते थे या फिर मैं उसे भोजन करा कर खता था, इसलिए उसे इस बात की आदत थी| मैंने एक कौर नेहा की ओर बढ़ाया ओर भौजी उसे आँख दिखा के मना करने लगी| मैंने उनकी ये हरकत पकड़ ली;

मैं: क्यों डरा रहे हो मेरी बेटी को?

भौजी: नहीं तो..आप खाना खाओ, इसे मैं खिला दूँगी|

मैं: कल तक तो ये मेरे साथ खाती आई है तो आज आप इसे खिलाओगे? आओ बेटा...चलो मुँह खोलो... और मम्मी की तरफ मत देखो|

भौजी: क्यों बिगाड़ रहे हो इसे?

मैं: मैं इसे बिगाड़ूँ या कुछ भी करूँ...आपको इससे क्या?

भौजी कुछ नहीं बोलीं पर सुनीता को ये बात अवश्य खटकी;

सुनीता: भाभी..आप बुरा ना मानो तो मैं एक बात पूछूं?

भौजी: हाँ पूछो!

सुनीता: बेटी ये आपकी है...और दुलार इसे मानु जी करते हैं ...वो भी इस परिवार में सब से ज्यादा| जब से आई हूँ मैं देख रही हूँ की नेहा इन से बहत घुल-मिल गई है... मतलब आमतौर पे बच्चे चाचा से या किसी से इतना नहीं घुल्ते०मिल्ते जितना नेहा घुली-मिली है| प्लीज मुझे गलत मत समझना ...मैं कोई सज=हिकायत नहीं कर रही बस पूछ रही हूँ|

भौजी: दरअसल....

मैं: प्लीज.... Leave this topic here ! I don’t want to you guys to chit-chat on it.

बस इतना कह के मैं खाने से उठ गया| भौजी और सुनीता दोनों ने बहुत मानाने की कोशिश की पर मन नहीं माना और बाहर चला गया| एक तो पहले से ही सुनीता को स्पेशल ट्रीटमेंट दिए जाने से दिम्माग में उथल-पुथल मची थी और ऊपर से उसे भी यही टॉपिक छेड़ना था? मैंने हाथ-मुँह धोये और कुऐं की मुंडेर पर बैठ गया| कुछ समय बाद नेहा, भौजी और सुनीता तीनों बाहर निकले...मैं नहीं जानता दोनों क्या बात कर रहे थे पर तीनों मेरी ही ओर आ रहे थे| इससे पहले वो लोग मेरे पास पहुँचते मैं अकड़ दिखाते हुए खेतों की ओर चला गया| हमारे खेतों की मेढ पर एक आम का पेड़ था मैं उसी के नीचे बैठा सोच रहा था|


तभी वहाँ सुनीता आ गई और मेरे सामने खड़ी हो गई|

सुनीता: Wow! You actualy Love her (Neha)!

मैं: What?

सुनीता: आपकी भाभी ने मुझे सब बता दिया है|

मैं: सब?

सुनीता: हाँ... की आप नेहा को कितना प्यार करते हो? घर में कोई नहीं जो उसे इतना प्यार करे...यहाँ तक की उसके अपने पापा भी उसे वो प्यार नहीं देते जो आप देते हो| इसीलिए वो आपसे वही दुलार पाती है जो उसके पापा को करना चाहिए था| सच कहूँ तो जब मुझे पता चला की आप और आपकी भाभी अयोध्या में फंस गए हैं तो मैं घबरा गई थी| फिर पता चला की आप लोग सही सलामत घर आ गए हैं, तब जाके दिल को ठंडक पहुँची| इस सब का असली श्रेय आपको जाता है|

मैं: ऐसा कुछ भी नहीं है... अभी ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो आपको नहीं पता| मैंने कोई हीरो बनने वाला काम नहीं किया...बस वही किया जो मुझे करना चाहिए था|

सुनीता: But for us you’re a Hero.

मैं: That’s the worst part. Anyways… I don’t wanna talk about this. Let’s continue our studies.

सुनीता: आप में यही तो खूबी है की आप अपनी बढ़ाई नहीं सुन्ना चाहते|

मैं: शायद|

मैंने बात को वहीँ छोड़ दिया और हम वापस पढ़ाई करने बैठ गए| मन ही मन मुझे ऐसा लगा की भौजी ने खाना नहीं खाया होगा और इसलिए मैं सुनीता को बाथरूम जाने का बहाना मार के बाहर आ गया| भौजी को ढूंढा तो वो अपने घर में चारपाई पर लेटीं थीं|

मैं: आपने खाना खाया?

भौजी ने ना में सर हिलाया|

मैं: क्यों?

भौजी: क्योंकि आपने नहीं खाया|

मैं: ओके मुझे माफ़ कर दो... दरअसल मैं नहीं चाहता ता की आप उस बात का कोई जवाब दो, और फिर फिर भी आपने उसे सारी बात दी|

भौजी: हाँ पर आपके और मेरे रिश्ते के बारे में कुछ नहीं बताया?

मैं: पर आपको बताने की क्या जर्रूरत थी.. वो शहर में पढ़ी है और जर्रूरत से ज्यादा समझदार भी ऐसे में आपका उसे ये सब कहना ठीक नहीं था और मैं नहीं चाहता की कोई मेरी बेटी पे तरस खाए|

भौजी: मैंने कुछ गलत तो नहीं कहा|

मैं: (कुछ देर छुप रहने के बाद) आपका मूड क्यों खराब है? मैं आपसे बस थोड़ा मजाक कर रहा था...आपको जल रहा था..बस| हम दोनों के बीच में कछ भी नहीं है|

भौजी: जानती हूँ!... इतना तो भरोसा है मुझे आप पर| मगर...

मैंने मन ही मन सोचा की जो डर मुझे सता रहा था वो कहीं सही न निकले और सस्पेंस तब और बढ़ गया जब भौजी ने बात आधी छोड़ दी|



हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator