Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI भिखारी की हवस-4

FUN-MAZA-MASTI


 भिखारी की हवस-4
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अब आगे
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नेहा को सोते हुए देखकर गंगू अपने लंड को मसल रहा था ... उसके ख्यालो मे तो उस वक़्त रज्जो ही नंगी होकर नाच रही थी..पर नंगी आँखो के सामने नेहा थी जो अपनी कीमती जवानी जो समेटे इत्मिनान से सो रही थी ..

उसके उपर नीचे होते सीने को वो बड़ी ही ललचाई हुई नज़रों से देख रहा था .. गंगू खिसक कर चारपाई के पास आ गया .. उसके चेहरे से सिर्फ़ एक फुट की दूरी पर था नेहा का चेहरा .. उसकी क्लीवेज़ की लकीर को देखकर उसके मुँह मे पानी आ रहा था .. गोल-2 मुम्मों के बीचो बीच उसने अपनी नज़रें गाड़ दी..वो उसके निप्पल खोजने की कोशिश कर रहा था की वो इस वक़्त कौनसी जगह पर होंगे ..पर वहाँ का एरिया इतना सपाट सा था की उसे समझ ही नही आ रहा था की वो कहाँ पर है .. उसके मन मे एक विचार आया .. था तो तोड़ा ख़तरनाक पर फिर भी उसने चान्स लेने की सोची ..

वो अपनी उंगली धीरे से उसके मुम्मे के उपर लेकर आया और बीचो बीच लाकर सहलाने लगा .. नेहा नींद मे ही थोड़ी देर के लिए कुन्मुनाई ... गंगू ने अपना हाथ फ़ौरन खींच लिया और नीचे होकर सो गया ..

थोड़ी देर मे जब कोई प्रतिक्रिया नही हुई तो वो फिर से उठा और दोबारा अपनी उंगली उसके मुम्मे के उपर रखकर रगड़नी शुरू कर दी ... और सिर्फ़ दस सेकेंड के अंदर ही उसके मुम्मों पर लगे निप्पल उभर कर सामने आ गये ... अब उसने अपनी उंगली हटा ली और बड़े ही प्यार से उसके मुम्मों को देखने लगा ..

टी शर्ट के उपर उसके निप्पल अब दूर से ही साफ़ चमक रहे थे ... ऐसा लग रहा था की उसने अपने सीने पर अंगूर के दाने पिरो रखे हैं ..

गंगू की हिम्मत बढ़ गयी ...उसने उसके उभरे हुए निप्पल अपने अंगूठे और उंगली के बीच फँसाए और उन्हें ज़ोर से भींच दिया और परिणामस्वरूप नेहा एकदम से उछल कर बैठ गयी ..

गंगू फ़ौरन नीचे लेट गया .. जब तक नेहा की आँखे पूरी खुली वो सोने का नाटक कर रहा था ..गहरे खर्राटे भी मारने लगा ..

नेहा ने अपने सिर को झटका और सोचा की शायद उसने कोई सपना देखा होगा .. पर फिर उसका ध्यान अपने खड़े हुए निप्पलों पर गया , वो खुद पर ही शर्मा गयी की कैसे सपना देखकर भी उसके निप्पल खड़े हो गये हैं ...

वो पानी पीने के लिए उठी .. फिर उसे ज़ोर से पेशाब लगा ...उसने गंगू को उठाना ठीक नही समझा और अकेली ही बाहर निकल आई ..

झुग्गी कॉलोनी मे किसी के घर पर भी टॉयलेट नही था .. उसके लिए उन्हे बाहर खड़ी लोहे के केबिन्स मे जाना होता था जो सरकार की तरफ से लगवाए गये थे ..

कॉलोनी मे घुप्प अंधेरा था ...वहाँ कोई स्ट्रीट लाइट तो थी नही, किसी-2 के घर से थोड़ी बहुत रोशनी निकल कर आ रही थी, बस नेहा उससे ही रास्ता देखते हुए आगे बड़ने लगी .

गंगू ने जब देखा की नेहा अकेली ही बाहर निकल गयी है तो वो चिंतित हो उठा, वो भी जानता था की इतनी रात को उसका अकेले बाहर निकलना सही नही है ..वो समझ तो गया था की वो पेशाब करने के लिए ही गयी होगी .. पर वो वक़्त रज्जो के आने का भी होने लगा था ..उसने ठीक साढ़े ग्यारह का टाइम दिया था जो लगभग होने ही वाला था .. वो गहरी दुविधा मे पड़ गया की अब क्या करे. .. नेहा के पीछे जाए या रज्जो का इंतजार करे ...उसका दिल तो कह रहा था की नेहा को ऐसे अकेला नही जाने देना चाहिए, उसके पीछे जाना चाहिए पर उसका खड़ा हुआ लंड कह रहा था की पेशाब करने ही तो जा रही है, करके वापिस आ जाएगी..पर एक बार रज्जो वापिस गयी तो आज की रात उसे बिना चूत मारे ही सोना पड़ेगा.

आख़िर उसने अपने दिल की बात ना मानते हुए अपने खड़े हुए लंड की बात मान ली और वहीं बैठकर रज्जो का इंतजार करने लगा, उसे चिंता थी की कहीं पीछे से रज्जो आए और उसे घर मे ना पाकर वापिस चली गयी तो उसके लंड का क्या होगा, आगे के लिए भी रज्जो नाराज़ हो जाएगी और उसके हिस्से कुछ भी नहीं आएगा.

उधर नेहा काफ़ी तेज़ी से चलती जा रही थी, उसे बड़ी ज़ोर से पेशाब लगा था उस वक़्त..आख़िर वो उस जगह पहुँच ही गयी जहा वो पोर्टेबल टॉयलेट्स बने हुए थे.

वो उपर चढ़ी तो देखा की उसके उपर ताला लगा हुआ है ..उसने सारे टॉयलेट चेक कर लिए पर सभी मे ताला लगा हुआ था .

वो परेशान हो उठी..उसे बड़ी ज़ोर से पेशाब लगा था, उससे रुका नही जा रहा था ..उसने अपनी नज़र इधर उधर घुमाई और जब वो निश्चिन्त हो गयी की कोई भी उसको नही देख रहा है तो वो एक कोने मे जाकर अपना पायजामा नीचे करते हुए ज़मीन पर ही बैठ गयी और उसकी चूत से गर्म पानी की तेज बौछार बाहर की और निकलने लगी.



 वो पेशाब कर ही रही थी की अचानक उसकी आँखो के सामने एक आदमी आकर खड़ा हो गया और उसने एक ही झटके मे अपनी पेंट की जीप खोली और अंदर से काले नाग जैसी शक्ल का लंड उसके चेहरे के सामने परोस दिया .

नेहा की तो गिघी बंध गयी...एक तो अंधेरे की वजह से पहले ही उसकी फटी हुई थी, अपनी आँखो के सामने अचानक आई मुसीबत को देखकर उसकी समझ मे नही आया की वो करे तो क्या करे .. वो जड़वत सी होकर वहीं बैठी रह गयी ..उसकी आँखे और मुँह भय के मारे खुले के खुले रह गये ..

वो नज़ारा था भी काफ़ी भयानक सा, एक तो अंधेरा घुप्प और उपर से वो लंड भी इतना लंबा और काला...और उसमे से आ रही गंदी दुर्गंध उसे नथुनों मे जाकर उसका साँस लेना भी दुर्भर कर रही थी .. वो जैसे ही खड़ी होने लगी, उस आदमी ने अपने कठोर हाथों का प्रयोग करते हुए उसे वहीं के वहीं बिठा दिया ...और वो कुछ समझ पाती इससे पहले ही उस आदमी ने अपना मोटा लंड उसके चेहरे के पास लेजाकर उसके मुँह के अंदर घुसेड़ने की कोशिश की, नेहा ने अपना मुँह एकदम से भींच लिया, ताकि वो कुछ भी ना कर सके.

पर वो इंसान भी काफ़ी तेज तर्रार था , उसने अगले ही पल नीचे झुककर उसके बॉल पकड़े और ज़ोर से पीछे की तरफ खींच दिया, नेहा के मुँह से एक जोरदार चीख निकल गयी...पर अगले ही पल वो चीख दब कर रह गयी जब उस आदमी ने उसके खुले हुए मुँह के अंदर अपना लंड ठूस कर उसे बंद कर दिया

नेचा बेचारी वहीं फड़फडा कर रह गयी, दुर्गंध से भरा हुआ लंड उसके मुँह के अंदर था, वो साँस भी नही ले पा रही थी, अपने मुँह मे इकट्ठी हुई थूक को भी नही निगल पा रही थी क्योंकि वो लंड था ही इतना मोटा जैसे कोई भुट्टा उसके मुँह के अंदर डाल कर उसे बंद कर दिया गया हो...

उसने बड़ी मुश्किल से साँस लेते हुए अपनी थूक निगली और उसके साथ ही उस आदमी को अपने लंड पर पहली चुसाई नसीब हो गयी.

एक दो बार चूसने के बाद वो थोड़ा नॉर्मल हुई..पर जैसे ही वो उस लंड को बाहर निकालने लगी, वो आदमी गुर्राया : "चुपचाप चूसती रह साली ....वरना यही मार दूँगा ..''

और इसके साथ ही उसने अपने हाथ मे पकड़ी हुई रिवॉल्वर उसके सिर पर लगाई और उसे जान से मारने की धमकी दी.

वो इंसान और कोई नही, भूरे सिंग था, जो अक्सर रात के समय अपने दोस्तों के साथ मिलकर सरकारी टॉयलेट्स पर ताले लगा देता था, ताकि झुग्गी की औरतें बाहर पेशाब करें, और जब वो औरतें पेशाब कर रही होती थी तो उन
आधी - नंगी औरतों की लाचारी का लाभ उठाकर वो उन्हें चोद सके ..और इस कार्य मे वो अक्सर सफल भी होते थे ...

आज जब भूरे सिंग ने देखा की नेहा जल्दबाज़ी मे पेशाब करने के लिए उसी तरफ आ रही है तो उसकी बाँछे खिल उठी...

उसने जल्दी से अपने चेले-चपाटों को वहाँ से भगा दिया, क्योंकि जब से उसने नेहा को नहाते हुए छेड़ा था, उसके अंदर उसे चोदने की खुरक मची हुई थी...वो आज किसी भी हालत मे उसकी जवानी का रसपान करना चाहता था ..

उसके चेले उसकी बात मानकर वहाँ से भाग गये, और जैसे ही नेहा पेशाब करने के लिए वहाँ बैठी, वो अपना लंड झूलाता हुआ उसके सामने पहुँच गया.

नेहा को इन सबका कोई ज्ञान नही था...या ये कह लो कोई ज्ञान रह नही गया था उसकी यादाश्त गूमने के बाद ...

उसके मुँह के अंदर लंड था , पर उसका करना क्या है वो नही जानती थी, साँस लेने की ज़रूरत मे वो कब उस लंड को चूसने लगी, उसे भी नही पता चला, उसे बस इतना पता था की जब तक वो उस लंड को चूस रही है वो आदमी सिसकारियाँ ले रहा है, यानी उसे मज़ा मिल रहा है ..जब भी वो बीच मे रुकती वो उसके बालों को ज़ोर से पकड़कर खींचता ..और फिर से उसकी कनपटी पर पिस्टल लगा देता.

भूरे तो स्वर्ग मे उड़ रहा था, नेहा के मुलायम होंठ और गर्म जीभ का एहसास उसके लंड को ऐसा तडपा रहे थे की उससे सब्र नही हो रहा था ...वो अक्सर अपने शिकार से पहले अपना लंड चुस्वाता और फिर बाद में उसकी चूत मारता ...

पर आज तो उसका मन ही नही कर रहा था की नेहा के मजेदार मुँह से अपना लंड बाहर निकाले..वो झटके पर झटके दिए जा रहा था उसके मुँह के अंदर ...

अचानक उसे महसूस हुआ की वो अब और कंट्रोल नही रख पाएगा अपने उपर ...उसने सोचा की चलो पहले इसके मुँह के अंदर ही अपना माल निकाल लेते हैं, उसके बाद फिर से अपना लंड चुस्वा कर खड़ा करवा लूँगा और फिर इसकी चुदाई करूँगा जी भर कर ..

इतना सोचते -2 उसके लंड से गरमागर्म वीर्य की पिचकारियाँ निकलकर नेहा के मुँह मे जाने लगी ...नेहा को उल्टी सी आने को हो गयी जब उसके मुँह मे एकदम से इतना वीर्य इकट्ठा हो गया ...उसने खाँसते हुए भूरे का लंड बाहर धकेल दिया ... पर भूरे भी कहाँ मानने वाला था, उसने बची हुई पिचकारियों से उसके चेहरे को पूरी तरह से रंग दिया .....

बेचारी नेहा कुछ भी ना कर पाई ..



 उसके बाद भूरे ने उसके बाल पकड़कर उसे उठाया और उसे साथ की ही दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया, वो कुछ सोच पाती इससे पहले ही भूरे ने अपना मुँह आगे किया और उसके नर्म मुलायम होंठों को अपने मुँह मे दबोच कर ज़ोर-2 से चूसने लगा .... वो कसमसा कर रह गयी... पर अगले ही पल उसके मुँह से एक जोरदार सिसकारी निकल गयी क्योंकि भूरे का पंजा सीधा उसकी नंगी चूत पर आ चिपका था ..उसका पयज़ामा अभी तक उसके घुटनों के नीचे था, और पेशाब करने की वजह से उसकी चूत अभी तक गीली थी ...

जैसे ही भूरे ने अपना पंजा वहाँ रखा, उसने अपनी एक उंगली सीधी करते हुए उसकी चूत के अंदर घुसेड दी जिसकी वजह से नेहा के मुंह से सिसकारी निकल गयी थी ...

अपने अंदर आए नये मेहमान को देखते ही नेहा की चूत की दीवारों ने रस बरसाना शुरू कर दिया और एक ही पल मे उसकी चूत मीठे शरबत से सराबोर होकर टपकने लगी ..

जब तक वो भूरे का लंड चूस रही थी, उस वक़्त तक सिर्फ़ भूरे को भी मज़े मिल रहा थे ...पर जैसे ही भूरे ने नेहा की चूत के अंदर अपनी उंगली डाली,उसके अंदर छुपी हुई औरत को मज़े मिलने शुरू हो गये ...जहाँ पहले उसके मुँह से चीखे निकल रही थी अब वहीं उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी .

भूरे तो पहले से ही जान चुका था की ये लड़की काफ़ी गर्म है, क्योंकि जब उसने नदी मे भी उसकी चूत के अंदर उंगलियाँ डाली थी तो उसके चेहरे और आँखों मे जो गुलाबीपन आया था, वो अभी तक भूला नही था, शायद इसलिए उसकी हिम्मत आज इतनी हो गयी थी की वो उसे ऐसी हालत मे पहुँचा कर मज़े ले रहा था.

भूरे ने उसके होंठों को चूसते हुए अपने लंड से निकले पानी का भी स्वाद चख लिया ...उसके मीठे होंठों को चूस्कर उसे जो तृप्ति मिली थी, वो आज तक किसी को चोदकर भी नही मिली थी ...उसने अपनी उंगलियों की थिरकन उसकी चूत के अंदर और तेज कर दी ..और परिणामस्वरूप नेहा ने उसके चेहरे को ज़ोर से दबोचा और भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी उसके होंठों पर ...

घनी दाढ़ी - मूँछ के होते हुए भी वो उसके होंठों को ऐसे चूस रही थी जैसे उनमे से अमृत निकल रहा हो...उसकी मूँछ के बॉल भी उसके मुँह मे जा रहे थे पर उसे कोई फ़र्क ही नही पड़ रहा था, उसपर तो जैसे कोई भूत सवार हो गया था ...वो सब कुछ भूलकर बड़ी बेदर्दी से भूरे को चूसने मे लगी हुई थी .

भूरे ने अपना लटका हुआ लंड उसके हाथ मे दे दिया और उसे उपर नीचे करते हुए उसे इशारे से समझाया की ऐसे करती रहो ...और फिर उसके हाथ मे अपने लंड को छोड़कर उसने अपने हाथ उपर किए और उसके मुम्मों पर लगा कर उन्हे दबाने लगा .

ये सब करते हुए वो सोच रहा था की गंगू की किस्मत भी क्या है, साले लंगड़े भिखारी को ऐसी गर्म औरत मिली है, उसके तो मज़े ही हो गये .

वो ये सोच ही रहा था की अचानक उसके कानों मे गंगू की आवाज़ आई ..

वो ज़ोर से चिल्लाता हुआ उसी तरफ आ रहा था ..

''नेहाआआआ आआआआ ..... कहाँ हो तुम ........ नेहाआआआअ ''

भूरे का खड़ा होता हुआ लंड अचानक फिर से बैठ गया....उसे तो इतना गुस्सा आया की मन तो करा की वहीं के वहीं गंगू को ठोक डाले ...

पर वो कोई बखेड़ा नही चाहता था ...उसने जल्दी से अपने लंड को अंदर ठूँसा और नेहा के चुंगल से अपने आप को बड़ी मुश्किल से छुड़वाया ...वो तो उसकी उंगली को अपनी चूत से निकालने को तैयार ही नही थी ..गंगू की खुरदूरी और मोटी उंगली जब घस्से लगाती हुई बाहर आने लगी तो वो अपनी उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँच गयी....वो भूरे सिंह के बदबूदार होंठों को आइस्क्रीम की तरह चाटने लगी..उन्हे चूसने लगी...पर भूरे अब वहाँ रूककर फँसना नही चाहता था, उसने नेहा को धक्का दिया और अंधेरे का लाभ उठाते हुए वहाँ से भाग निकला.

नेहा को मज़ा मिलते-2 रह गया...जब भूरे ने नदी मे उसकी चूत की मालिश की थी, तब भी उसकी हालत बुरी हो गयी थी और आज भी जब उसने उसके जिस्म को ऐसे मज़े दिए ... पर वो झड़ नही पाई थी. अपने शरीर को मिले अधूरे मज़े की वजह से वो बेचारी वहाँ बुत सी बनकर खड़ी रह गयी ...

वो तो जानती भी नही थी की आज भी उसके शरीर के साथ खिलवाड़ करके मज़े देने वाला भूरे सिंह ही था ..








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