Wednesday, December 17, 2014

FUN-MAZA-MASTI मैं एक रंडी बुन चुकी हूँ--3

FUN-MAZA-MASTI
 मैं एक रंडी बुन चुकी हूँ--3

 मुझे अजीब सी गुदगुदी और शुरूर महसूस हो रहा था। दिल कर रहा था कि बस ऐसे ही पड़ी रहूं। अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था। तभी चाचा उठे और मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मुझे लेकर बाथरूम की तरफ चल दिए। मेरी आँखें अभी भी बंद थीं। बस जो वो कर रहे थे, मैं चुपचाप महसूस कर रही थी। उन्होंने मुझे गुसलखाने में लेजाकर खड़ा कर दिया, और मेरी टांगें खोलकर चूत को पानी से धोने लगे। उनके हाथ लगाने से ही मेरी हालत खराब होने लगी।

मेरी चूत साफ करने के बाद चाचा ने मुझे पानी का डब्बा दिया और बोले- “चल रंडी अब मेरा लण्ड तू साफ कर जल्दी, फिर तुझे और भी चोदना है। आज तेरी चूत को मैं पूरा खोल दूंगा ताकि आइन्दा तुझे किसी का लण्ड लेने में तकलीफ ना हो…”

मैं- चाचा, प्लीज़्ज़ मैं नहीं कर सकती साफ। मुझे शरम आ रही है।

चाचा-कामी- “चल अब नाटक बंद कर और जल्दी कर। आज तुझे मैं बहुत चोदूँगा…” और ये कहते हुये चाचा ने मेरा हाथ पकड़कर अपने लण्ड पे रख दिया। उसपर मेरी चूत का खून और थोड़ा सफेद-सफेद पानी अभी भी लगा हुआ था।
मैंने पानी डालकर उनके लण्ड को धोना शुरू किया। चाचा ने मेरा हाथ पकड़कर अपने लण्ड पे आगे पीछे करना शुरू कर दिया (जैसे मूठ लगाते हैं), ऐसा करने से उनका लण्ड बिल्कुल साफ हो गया।

फिर चाचा मुझे उठाकर वापस कमरे में ले आए और बिस्तर पर लिटा दिया। खुद वो थोड़ी देर के लिए बाहर चले गए।

मैं वैसे ही नंगी लेटी रही, और छत को देख रही थी। मैं अपनी ज़िंदगी के पिछले कुछ दिनों के बारे में सोच रही थी कि हम हँसी मजाक करते-करते इस मोड़ पे पहुँच गए हैं कि हमें एक रिक्सेवाले से चुदवाना पड़ रहा है।

लेकिन दूसरे ही पल एक अजीब सा मजा आने लगा कि इतना जबरदस्त आदमी मिला है चोदने को कि जिसने जिश्म की गर्मी को एकदम से शांत कर दिया है। चूत में भी अजीब सी गुदगुदी शुरू हो गई। मेरा हाथ अपने आप मेरी चूत पे जा पहुँचा और मेरी सिसकी निकल गई, दर्द और मजे की वजह से। मैं चाचा के लण्ड को याद करती हुई अपनी चूत को सहलाने लगी।

मेरे जिश्म की बेकारारी बढ़ने लगी और दिल कर रहा था कि जल्दी से चाचा का लण्ड मेरे अंदर आ जाए। और मैं फिर से चुदवाऊँ। मेरे जिश्म पे मेरा इख्तियार नहीं रहा। जेहन में सिर्फ़ एक ही बात थी और वो थी चाचा का मोटा और बड़ा लण्ड।

तभी चाचा घर में दाखिल हो गए, उनके हाथ में एक पैकेट था। वो शायद कुछ खाने के लिए लाए थे। मुझे देखकर मुश्कुरा दिए। मैं अभी भी बेशर्मी से अपनी चूत को मसल रही थी। वो मेरे नजदीक आ गए और बालों से पकड़कर सिर ऊपर किया और मेरे होंठों को जोर-जोर से चूसने लगे।

फिर मुझसे अलग होकर बोले- क्या हुआ रंडी? अपनी चूत क्यों सहला रही है?

मैं भारी सांसें लेती हुई- “चाचा प्लीज़्ज़ आ जाओ ना मुझे चोद दो। प्लीज़्ज़…”

चाचा- अच्छा चोदूँगा। पहले उठकर कुछ खा ले।

मैं हाँफते हुये- “नहीं, पहले मुझे चोदो…”

चाचा भी मैदान में आ गए। जल्दी से अपने कपड़े उतारकर अपने लण्ड पे तेल लगा लिए और खुद नीचे लेटकर मुझे अपने ऊपर खींच लिया, और बोले- “चल आ जा रंडी, अब मेरे लण्ड की सवारी कर…” उन्होंने लण्ड मेरी चूत के साथ लगा दिया।



 मैं आहिस्ता-आहिस्ता नीचे होने लगी। ऐसे लग रहा था कि कोई चीज मुझे चीर रही है। लण्ड अभी 2-3 इंच ही अंदर गया था की मुझे दर्द होने लगा। मैं चाचा के सीने पे गिर गई और लंबी-लंबी साँसें लेने लगी। चाचा ने मेरे होंठों पे अपने होंठ रखे और मुझे कमर से पकड़कर तेज झटका मारा। और उनका आधा लण्ड मेरे अंदर चला गया। मैं इस झटके से कांप कर रह गई। तभी उन्होंने दो धक्के जोर-जोर से लगाए। और पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया।
मेरी आँखों से इस बार फिर दर्द से आँसू बह निकले। चाचा मेरी कमर को सहला रहे थे। उन्होंने मेरे होंठों को छोड़ दिया और मेरी कमर और चूतरों को सहलाए जा रहे थे। 5 मिनट में मेरा दर्द खतम हो गया। और मैं अपनी कमर को आहिस्ता-आहिस्ता हिलाने लगी।
चाचा को इस बात का एहसास हो गया। उन्होंने मेरी कमर को अपने हाथों से पकड़कर जरा जोर से हिलाना शुरू कर दिया और अपनी कमर भी हिलाने लगे। एक खूबसूरत लय के साथ हम दोनों चुदाई का मजा ले रहे थे। उन्होंने मुझे 5 मिनट इस तरह से चोदा फिर मुझे सीधा करके बिठा दिया। अब मैं उनके ऊपर बैठी थी और लण्ड पे ऊपर-नीचे हो रही थी।
वो भी अपनी कमर उठा-उठाकर मुझे चोद रहे थे। मेरी चूचियां मेरे साथ-साथ उछल रही थीं। उन्होंने मेरी चूचियों को पकड़कर मसलना शुरू कर दिया और साथ-साथ अपनी स्पीड भी तेज़ कर दी। मैं जैसे सातवें आसमान पे उड़ रही थी। मुझे चोदते हुई उनको 20 मिनट हो चुके थे और मैं दो बार झड़ चुकी थी कि अचानक वो भी उठकर बैठ गए।
अब स्थिति ये थी कि मैं उनके सीने से चिपकी उनकी गोद में बैठी थी। मैंने उनके गिर्द अपनी बाहें कस लीं और अपनी टांगों को उनकी कमर के गिर्द लपेट लिया। इस आसन में उनका लण्ड मेरी चूत के अंदर तक चोट करता था। चाचा हल्के-हल्के धक्कों के साथ मुझे चोदते रहे।
मेरी चूत के दाने (क्लिट) को बहुत ज्यादा रगड़ लग रही थी इस आसन में और मैं ऊऊह्ह… आआआह्ह… चाचाआअ… आआअह्ह… उउम्म्म्मम… सस्स्स्स्सस्स… ऐसे ही चोदो… आआआह्ह… करती जा रही थी और उनकी कमर सहलाए जा रही थी। तभी उन्होंने मुझे पीछे ढकेला और मेरी टांगें अपने कंधे पे रखकर तेज़-तेज़ शाट लगाने लगे।
कमरे में पच-पच छाप-छाप, पच-पच की आवाजें गूँज रही थी। मुझे ऐसे लग रहा था के जैसे मेरा पेशाब निकलने वाला है।
मैं चाचा से बोली- चाचाआअ… रुको… आआअह्ह… म्*म्म्ममेरा निकलने वाला… हैई।
चाचा ने मेरी बात सुने बगैर तेज झटके लगाने जारी रखे। कमरे में जैसे तूफान आ गया था- पक्ककच… पक्ककच… छप्प्प… छप्प्प के साथ मेरी आआह्ह… ऊऊह्ह… चाचाआअ… ऊऊह्ह… सस्स्स्स्सस्स… म्*म्म्मम… आआआह्ह… की आवाजें गूँज रही थीं। तभी मेरी चूत से फौवारे की तरह पानी निकला और चाचा ने और भी तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए।
मेरा जिश्म कँपने लगा, और मजा इतना था कि मुझसे बर्दाश्त ही नहीं हो रहा था। मेरी आँखों से भी आँसू निकल पड़े और मैं फूट-फूट कर रोने लगी। दिमाग बिल्कुल सुन्न पड़ गया। तभी चाचा ने मेरे अंदर अपना पानी छोड़ दिया। मेरी चूत से अभी भी पानी निकल रहा था और उसके साथ ही मेरा पेशाब भी निकल गया, और मैं बुरी तरह छटपटा रही थी।
मैं जैसे पूरे बिस्तर पे उछल रही थी। चाचा ने किसी तरह मुझे काबू किया हुआ था। लेकिन मेरी ये हालत थी कि उनके हाथों से फिसलती जा रही थी। आँखें बंद और मुँह से ऊऊऊह्ह… हहाईयईई… आआअह्ह… की आवाजें निकल रही थीं।
5 मिनट बाद मेरा जिश्म कुछ शांत हुआ। लेकिन अभी भी बहुत कंपकंपी थी। मेरे दाँत बज रहे थे और मैं एक ज़िंदा लाश की तरह बिस्तर पर पड़ी हुई थी। चूत से अभी भी पानी निकलकर बिस्तर की चादर को गीला कर रहा था। चाचा मेरे ऊपर से हट गए और मेरे लिए एक ग्लास ठंडा पानी लेकर आए। उन्होंने मुझे सहारा देकर बिठाया और पानी पिलाया। ठंडा-ठंडा पानी पीते ही मेरे जिश्म में जैसे ताकत वापस आने लगी। आलमोस्ट आधे घंटे बाद मैंने अपनी आँखें खोली और बड़ी रूमानी नजरों से चाचा को देखा। जो मेरे साथ ही बैठे थे और मेरे बालों को सहला रहे थे।
चाचा- “क्यों मजा आया मेरी रंडी? देख तूने तो मूत भी दिया। मेरा सारा बिस्तर खराब कर दिया। देख जरा…”
मैं शरम से लाल हो गई। चाचा को बालों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और उनके होंठों को जोर-जोर से चूसने लगी।
चाचा ने मुझे खुद से अलग करके बिस्तर पर लिटा दिया। मैं इतनी थक चुकी थी कि फौरन मुझे नींद आ गई। तकरीबन 3 घंटे बाद मेरी आँख खुली।
चाचा ने मुझे खाना खिलाया, और उसके बाद चुदाई का तीसरा दौर शुरू हुआ। इस बार चाचा ने मुझे रुक-रुक कर शाम 7:00 बजे तक चोदा। इस बार मुझे पहले से ज्यादा मजा आया। क्योंकि मेरी चूत को लण्ड की आदत पड़ चुकी थी। इस बार मुझे जरा भी दर्द नहीं हुआ और खूब मजा लिया। शाम को 7:00 बजे चाचा मेरे मम्मों पे झड़ गये।
फिर उन्होंने मुझे टहलाया ताकि मैं ठीक से चल सकूँ और मुझे देखकर किसी को शक ना हो। मुझे दर्द कम करने और प्रेग्नेन्सी से बचने की गोलियां भी खिलाई, और चूत की सिकाई भी की। रात को ठीक 8:45 बजे मैं घर पहुँच गई।


 मैं इतनी थक गई थी कि कमरे में जाकर फ्रेश हुई और बिना खाना खाए सो गई। बहुत चैन की नींद आई। दूसरे दिन चाचा का मेरे पास फोन आ गया कि मुझे आज फिर जाना पड़ेगा क्योंकि भावना को माहवारी आ गई थी। (जो कि झूठ था। असल में वो खुद को बचाना चाहती थी, जो बाद में उसको बहुत महंगा पड़ा। कैसे ये बाद में पता चलेगा)।
खैर मैं ठीक अकडमी के टाइम पर तैयार हो गई और चाचा के साथ घर से निकल गई। आज भी चाचा मुझे सीधा उनके घर लेकर आ गए।
घर में घुसते ही मैं उनसे चिपक गई और किस करने लगी। क्योंकि सारा रास्ता मेरी चूत ने पानी बहाया था और चाचा के लण्ड को याद करते-करते उसमें अजीब सी खुजली हो रही थी।
चाचा ने मुझे खुद से अलग किया और कहा- क्या हुआ रांड़? ऐसे क्यों चिपक रही है? गश्ती, तेरी चूत में ज्यादा खुजली है क्या?
मैं शरम से नीचे देखने लगी। मुझे खुद को नहीं पता था कि मैंने ऐसा क्यों किया?
चाचा हँसते हुये बोले- चल ठीक है कोई बात नहीं। वैसे भी तूने रंडी बनकर येई काम तो करना है।
मैं- चाचा प्लीज़्ज़… मैं बस आपसे चुदवाऊँगी।
चाचा- तू हर उस बंदे से चुदवाएगी जिससे मैं कहूँगा। फिकर ना कर, आज तेरी एक और ट्रैनिंग शुरू होगी। चल देर ना कर और अच्छी बच्ची बनकर फौरन नंगी हो जा।
मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपने कपड़े उतार दिए। कल मैंने इतनी देर चाचा से चुदाई करवाई थी कि अब मुझे उनसे इतनी शरम नहीं आ रही थी।
फिर उन्होंने मुझे कुतिया की तरह चारों हाथ-पांव पे होने को कहा। मैं उनकी बात मानकर वैसे ही करती जा रही थी। उन्होंने एक चेन उठाई जिसपे कुत्ते के गले में बाँधने वाला पट्टा लगा हुआ था। उसे मेरे गले में पहना दिया। फिर वो कमरे की तरफ जाने लगे। मैं उनके पीछे-पीछे वैसे ही चलती कमरे में दाखिल हो गई और अंदर देखते ही मेरी आँखें हैरत से फैल गईं।
कमरे में एक आदमी बैठा था जिसकी उमर करीब 50 साल होगी। वो काफी मोटा था, तोंद बाहर को निकली हुई, उसका वजन 120-130 किलो होगा, जिश्म बिल्कुल काला, एक सांड़ की तरह लग रहा था। मुझे इस तरह चलते देखकर उसकी आँखों में अजीब सी चमक आ गई।
मैं उसको देखते ही बहुत घबरा गई, और अपने जिश्म को छुपाने की कोशिश करने लगी। मैंने खुद को चाचा से छुड़ाने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने मजबूती से चेन को पकड़ा हुआ था। मैं खुद को उनके चुंगल से नहीं निकाल पाई।
चाचा- क्या हुआ रंडी? ज्यादा नखरे नहीं कर… वरना आज तेरी गाण्ड में डंडा घुसा दूँगा और तुझे बिना कपड़ों के घर से निकाल दूंगा। फिर चुदवाती फिरना इलाके वालों से।
मैं चाचा की धमकी सुनकर डर गई, और जद्दोजहद करना बंद कर दी।


 तभी वो आदमी बोला- अरे यार कामी, ये पटाखा माल कैसे फँसाया है तूने? कहाँ से मिली तुझे ये?
कामीचाचा- अबे यार, तुम आम खा पेड़ क्यों गिनता है? बस माल चख के मजे कर।
आदमी- यार, फिर भी बता तो सही?
कामीचाचा- अरे यार जमले (जमाल) इसको और इसकी सहेली को ट्यूशन छोड़ने जाता हूँ। क्या रंडियां हैं? सारा रास्ता एक दूसरे के साथ मस्ती करती जाती थीं। कल मैंने इसको चोद दिया। आज इसकी सहेली को बुलाया था। लेकिन साली ने बहाना कर दिया कि उसको माहवारी आ रही है। जब उसको उठाने घर गया तो उसका बाप घर पे था।
जमाल उर्फ जमला- अरे यार… तूने कल बुलाया होता तो इकट्ठे इसकी चुदाई करते। लेकिन कोई बात नहीं… इसकी सहेली की सील मैं खोलूंगा।
कामीचाचा- अरे यार, तू फिकर ना कर। उसके लिए मैंने अलग से प्लान सोच के रखा है। उसको झूठ की सजा मैं दूंगा। तू बस आज इस चिड़िया के साथ मजा कर। सच में बहुत गरम माल है।
जमला- वाह यार… वैसे तूने उसके लिए प्लान क्या बनाया है?
कामीचाचा- “वो मैं वक्त आने पे बताऊँगा और दिखाऊँगा, अभी तू इस के साथ मजा कर…” ये कहते हुये चाचा ने मुझे जमला चाचा, जो उमर में कामीचाचा से भी बड़ा था, की तरफ जाने का इशारा किया।
मैं आहिस्ता-आहिस्ता उसके पास जाने लगी। वो एक कुर्सी पे बैठा हुआ था। आप खुद सोचें कि एक लड़की बिल्कुल नंगी गले में पट्टा और जंजीर और चारों हाथ-पाँव पे चलती हुई आ रही हो तो आस-पास के मर्दों की क्या हालत होगी? येई हाल उन दोनों का था।
जैसे ही मैं जमाल चाचा के पास आई। उन्होंने मुझे बालों से पकड़ा और मेरे होंठों को चूमने लगे। उनके मुँह से अजीब सी महक आ रही थी सिगरेट की। इधर कामीचाचा ने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और मुझे पीछे से दबोच लिया। अब सिचुयेशन ये थी कि दोनों मर्द मेरे जिश्म को सहला रहे थे और मेरे जिश्म की गर्मी बढ़ने लगी। मेरे दिमाग पे नशा सा छाने लगा।
जमाल चाचा मेरे होंठों को दीवानों की तरह चाट और चूस रहे थे। जबकि कामीचाचा ने अब मेरी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया। जिसका सीधा असर मेरी चूत पे होने लगा, जो कि तेजी से पानी बहाने लगी। तभी जमाल चाचा ने मुझे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया, और मेरी गर्दन और कान की लोलकी को चूसने चाटने लगे। साथ-साथ वो मेरी गाण्ड को भी सहला रहे थे।
और मैं मदहोशी में आआआह्ह… ऊऊऊओह… चाचा… आआअह्ह… म्*म्म्ममम… किए जा रही थी। मेरी आँखें लज़्ज़त के मारे बंद हो गई थीं।
तभी चाचा ने मुझे छोड़ा और मुझे नीचे गद्दे पे लिटा दिया। उन्होंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए। मेरी नजर उनके लण्ड पर पड़ी। बिल्कुल अकड़ा हुआ, डार्क ब्राउन कलर का था और पूरा 5 इंच लंबा और 2½ इंच मोटा होगा। मैं तो कामीचाचा का इतना बड़ा लण्ड ले चुकी थी इसलिए मुझे जरा भी डर महसूस नहीं हुआ। लेकिन एक अजीब सी कैफियत होने लगी कि पता नहीं आगे क्या होगा?
कामीचाचा ने मेरी टांगें फैलाई और मेरी चूत को चाटने लगे। उनके मुँह से उउम्म्म्मम… और लप-लप शड़प-शड़प की आवाज आ रही थी।
मैंने उनके सिर पे हाथ रखकर उनको अपनी चूत पे दबाना शुरू कर दिया। और मैं आआअह्ह… ऊऊऊह्ह… चाचा की आवाजें निकाल रही थी।
जमाल चाचा मेरी चूचियां पर टूट पड़े और उनको चूसने और चाटने लगे।






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