Wednesday, December 17, 2014

FUN-MAZA-MASTI मैं एक रंडी बुन चुकी हूँ--1

FUN-MAZA-MASTI
 मैं एक रंडी बुन चुकी हूँ--1


 हाय, मेरा नाम ऋतु है और मेरी उमर 22 साल है। मेरा फिगर 32डीडी-28-36 है। मेरा ताल्लुक ताजमहल की नगरी आगरा से है। आज मैं अपनी ज़िंदगी का एक भयानक सच आपको सुनाने जा रही हूँ। हो सकता है कि आपको कुछ सबक मिले।

मैं खूबसूरत दिखने वाली लड़की एक रंडी बुन चुकी हूँ। मेरे घर वाले और आस-पास के लोग ये नहीं जानते कि मैं क्या हूँ और क्या करती हूँ। मैं आपको ज्यादा इंतजार नहीं करवाती और सीधा कहानी पे आती हूँ।

मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हूँ। घर में मेरे अलावा एक छोटा भाई है जो मुझसे 4 साल छोटा हैं, और मेरे मम्मी पापा। ये सब उस वक्त शुरू हुआ जब मैं 19 साल की थी और जवानी मुझ पे टूट कर आई थी। उस वक्त मेरा फिगर 32सी-26-32 था। साफ रंग और कद 5’4” था। जहाँ भी जाती तो हर कोई एक बार से दूसरी बार मुझको जरूर देखता। मुझे हर तरफ अपने जिश्म पे निगाहें चुभती महसूस होतीं। हमारे घर में सबके कमरे अलग-अलग थे। निचले हिस्से में 3 कमरे और एक गेस्टरूम जबकि ऊपर के हिस्से में एक स्टोर बाकी खाली छत थी। मैं जब घर से बाहर निकलती तो बड़ी सी चादर लेकर चलती थी।

मेरी एक बहुत क्लोज फ्रेंड जिसका नाम भावना है। उसका घर मेरे घर से 15 मिनट की ड्राइव पे है। वो अक्सर मेरे घर आती थी या मैं उसके घर चली जाती थी। वो भी मेरी तरह मध्यम वर्गीय परिवार से है और उसका कोई भाई या बहन नहीं है। उसकी माँ की मौत हो चुकी है। वो और मैं इकट्ठे स्कूल जाते और एक ही कालेज में प्रवेश भी लिया। मेरे और उसके सबजेक्ट भी कामन थे। हम गर्ल्स स्कूल और कालेज में थे, और लड़कों से हमेशा दूर ही रहे।

मैं और भावना अक्सर आपस में किस्सिंग और रगड़ाई करते थे। हम लेज़्बियन्स नहीं थीं लेकिन एक दूसरे को मजा देने के लिए अक्सर एक दूसरे की चूचियों को रगड़ते और किस्सिंग करते। हमने एक दूसरे को कई बार टापलेस भी देखा है। लेकिन एक हद से आगे नहीं बढ़े, ताकि हमारे बीच दोस्ती का रिश्ता खराब ना हो। हमने कभी अपनी शलवार नहीं उतारी। बस शलवार के ऊपर से एक दूसरे को रगड़ करके झाड़ देते थे। अक्सर शनिवार रात को मैं उसके या वो मेरे घर आ जाती और हम साथ में पढ़ाई भी करते और एक दूसरे की आग को ठंडा भी करते। हम अपनी जिंदगी में बहुत खुश थे।

लेकिन हमें क्या पता था कि हमारे पीछे बुरी दुनियां के लूटेरे सिर उठाए खड़े हैं।

हमारी बर्बादी तब शुरू हुई जब हमने छुट्टियों में ट्यूशन सेंटर जाय्न किया। मुझे और भावना को पापा ने रिक्शा लगवा दिया। हम शाम 4:00 बजे घर से जाते, 4:30 से 7:30 बजे तक हमारी क्लासेस होती और 8:00 बजे हम घर आ जाते। रिक्शे वाला एक 45 साल का आदमी था जिसकी बहुत मजबूत बाडी थी और काफी सेहत मंद था।

वो पहले भावना को लेने जाता और फिर मुझे लेकर के अकडमी ले जाता, और ठीक इसी तरह हमारी वापसी भी होती। हम आपस में हँसी मजाक करते ट्यूशन जाते और इसी तरह छेड़-छाड़ करते वापस आते। अक्सर वो रिक्शा ड्राइवर (कामरान), जिसको सब कामी कहते थे, हमें घूरता रहता लेकिन हम अपनी मस्ती में मस्त होते थे। हम उसको कामीचाचा कहते।

एक दिन मैंने ब्लैक लांग स्कर्ट पहनी और उसके ऊपर आरेंज हाफ स्लीव्स शर्ट पहनी हुई थी। और अंदर स्किन कलर ब्रा और पैंटी। और ऊपर बड़ी सी ब्लैक चादर ली हुई थी। स्कर्ट मेरे पाँव तक थी और गर्मियां थीं तो किसी के देखने का सवाल ही पैदा नहीं होता था कि मैंने नीचे क्या पहना है।

जैसे ही मैं रिक्शा में बैठी तो भावना ने मुझे चिपका लिया और मेरे गालों पे किस कर दी। मैं शर्मा गई। और उसको पूछा- क्या कर रही है?

उसने कहा- अपनी जान को प्यार कर रही हूँ। और क्या?

मैं शर्मा कर उसकी टांग पे हल्का सा थप्पड़ मारकर बैठ गई।

हम चल पड़े ट्यूशन की तरफ। भावना ने मेरी चादर के अंदर हाथ घुसा दिया और मेरी चूचियों को मसलने लगी। पहले तो मैंने मना किया लेकिन फिर मैं भी इस जोखिम भरे काम का मजा लेने लगी। आहिस्ता-आहिस्ता उसने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए, और मेरी चूचियां को ब्रा के ऊपर से दबाने लगी। मेरी आँखें मजे में बंद हो गईं। तब उसने एकदम से मेरी चादर सामने से हटा दी। मैं जब तक उसको संभालती तब तक वो अपना काम कर चुकी थी।

मेरी चूचियां खुली हवा में सिर्फ़ ब्रा में सांस ले रही थीं। मुझे हवा अपनी चूचियों पे महसूस हो रही थी और अजीब बात ये कि वो तनकर खड़ी और सख़्त हो गईं। मैंने भावना का हाथ हटाकर जल्दी से अपनी शर्ट के बटन बंद कर दिए और ठीक से चादर लेकर बैठ गई।

कुछ दिन यूँ ही गुजरते रहे। रोज हम एक दूसरे से छेड़छाड़ करते। वो कभी मेरी चूचियां को दबाती, कभी मुझे किस कर देती, पब्लिक प्लेस में भी जहाँ सब के देखे जाने का डर भी होता था और मजा भी खूब आता।
एक दिन रिक्शे वाले ने हमें एक पेनड्राइव दी कि इसके वीडियोस जाकर देख लेना और फिर मुझे इस नंबर 09141***** पे काल करना। अगर तुम चाहती हो कि मैं किसी को कुछ ना कहूँ तो जैसे मैं कहता हूँ वैसा ही करो। इसी में तुम लोगों की भलाई है।


पहले तो हमें उसकी बात समझ में नहीं आई कि वो क्या कह रहा है। लेकिन जब घर आकर वो वीडियोस देखी तो हमारी आँखें और मुँह हैरत से खुल गए। क्योंकि उसमें हमारी रोज की छेड़छाड़ को रेकार्ड किया हुआ था। हमें नहीं पता कि उसने रिक्शे में कैमरा लगाया हुआ था। मैंने उसके दिए हुये नंबर पे काल की।

मैं- ह…ह हेल्लो क…क कामीचाचा…

उधर से- कौन?

मैं- कामीचाचा म…मैं ऋतु बोल रही हूँ।

कामी- अरे मेरी रंडी… कैसी है? सुना कैसी लगे क्लिप? मजा आया ना?

मैं- “कामीचाचा, प्लीज़्ज़… ऐसे मत कहो…”

कामीचाचा- क्यों ना कहूँ रंडी? तेरी माँ की चूत मारूं साली रोज मेरे सामने बैठकर तुम ऐसी हरकतें करती थीं। अगर इतनी आग थी तो मुझे कहना था?

मैं उसकी बात सुनकर कुछ ना बोल पाई। मुझे बहुत शरम भी आ रही थी और गुस्सा भी।

कामीचाचा- अब बोलती क्यों नहीं है रे?

मैं- जी चाचा…

कामीचाचा- अब सुन रे मेरी रंडी। जो मैं कहूँ तुम दोनों को वैसे ही करना होगा। ठीक है?

मैंने भावना की तरफ सवालिया नजरों से देखा। उसने भी हाँ में सिर हिला दिया।

कामीचाचा- बोल ना और दूसरी रंडी से भी पूछकर बता कि वो क्या कहती है?

मैं और भावना इकट्ठे बोले- ठीक है चाचा जैसे आप कहोगे हम वैसे ही करेंगे।

कामीचाचा- तो फिर ठीक है। कल मैं ऋतु को लेने आऊँगा और भावना को लेने परसों आऊँगा। कल भावना कोई बहाना बनाकर छुट्टी करेगी। ठीक।

मैं- जी ठीक है।

कामीचाचा- कल तू सफेद सूट पहनेगी, बिना ब्रा और पैंटी के। और वोई काली चादर ले लेना। और खबरदार कोई चालाकी की तो तुम्हारी ये सारी वीडियोस पब्लिक में बाँट दूँगा।

मैं- नहीं न…न्नाहीं च…च…चाचा जैसे आप कहोगे हम वैसे ही करेंगे।

चाचा- तो फिर ठीक है कल मैं तुझे लेने शाम को 2:00 बजे आऊँगा। घर वालों से क्या कहना है मुझे नहीं पता। और तेरी वापसी कल रात 9:00 होगी। ठीक है?

मैं- जी ठीक है।

कामीचाचा- और सुन रंडी। अपनी चूत के बाल अच्छे से साफ कर लेना। नहीं तो तेरे साथ बहुत बुरा करूँगा मैं।
मैं- जी अच्छा।

कामीचाचा- अच्छा अब रखता हूँ। मुझे बहुत काम है।

और फोन बंद हो गया। मैं भावना की तरफ और वो मेरी तरफ भीगी नजरों से देख रही थी। हमें नहीं पता था कि हमारी ये थोड़ी सी छेड़छाड़ हमें इस मोड़ पे भी ला सकती है।


 रात को मैंने अम्मी को बता दिया कि मुझे असाइनमेंट मिली है और मुझे शाम को 2:00 बजे जाना है। भावना की तबीयत ठीक नहीं है वो नहीं जा रही। और मैं 9:00 बजे तक आऊँगी। अम्मी ने ओके कह दिया। और पापा ने रिक्शावाले को फोन करके टाइमिंग बता दी।

अगले दिन क्या होगा? ये सोच-सोच के मेरा बुरा हाल था। अगले दिन मैं ठीक शाम को 1:50 बजे तैयार हो गई। और बड़ी सी चादर ले ली कि अम्मी ना देख सकें कि मैंने क्या पहना हुआ है? कामीचाचा के कहने के मुताबिक मैंने ब्रा-पैंटी नहीं पहनी थी। मेरा सूट मेरे जिश्म से चिपका हुआ था और उसमें से मेरा पूरा जिश्म नजर आ रहा था। ठीक 2:00 बजे रिक्शेवाले ने आकर दरवाजा खटकाया। मैं अम्मी को बाइ बोलकर निकल गई।

यहाँ से मेरी बर्बादी शुरू हो गई। रिक्शे में बैठते ही कामीचाचा ने रिक्शा आगे बढ़ा दिया। मेरे दिल की धड़कन इतनी तेज थी कि जैसे कोई ट्रेन हो।

थोड़ा आगे जाकर चाचा ने मुझसे कहा- क्यों रंडी किन सोचों में गुम है?

मैं- “प्लीज़ चाचा, मुझे ऐसे मत बोलो। प्लीज़ मैं आपकी बेटी जैसी हूँ…”

चाचा गुस्से से- चुप कर रंडी… जो पूछा है उसका जवाब दे… जैसे मैंने कहा था वैसे कपड़े पहने हैं?

मैं सहम कर- ज्ज्ज्ज्जीईईई…

चाचा- हमम्म्मम… अच्छी बात है। मेरी बात इसी तरह मानेगी तो बहुत मजा आएगा तुझे… अब चल अपनी चादर उतारकर एक तरफ रख दे। मैं भी तो देखूं तेरा जलवा?

मैंने चुपचाप चादर उतारकर एक तरफ रुख दी। अब मैं सिर्फ़ पतली सी शलवार कमीज में रिक्शा में बैठी हुई थी। कामीचाचा मेरे ट्यूशन सेंटर की बजाए मुझे कहीं और लेकर जा रहा था। मेरा दिल कर रहा था कि शोर मचाऊँ लेकिन उससे कुछ नहीं होना था। उल्टा मेरी अपनी बदनामी हो जाती।








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