Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI भिखारी की हवस-19

FUN-MAZA-MASTI 


 भिखारी की हवस-19
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अब आगे
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 भूरे ने नेहा की कमर पर रखे हाथ को इधर उधर फिराना शुरू कर दिया...उसकी इस हरकत से नेहा गर्म होती जा रही थी..और ये बात भूरे को भी पता थी...क्योंकि अब तक भूरे भी समझ चुका था की नेहा सेक्स के लिए पागल है और वैसे भी गंगू के मुँह से ये बात जानकार की वो अपनी यादश्त खो चुकी है और वो किसके साथ क्या करती है ये उसे भी नही पता..

अंधेरा तो हो ही चुका था इसलिए कुछ दिखाई नही दे रहा था..नेहा ने अपना हाथ बढ़ाकर भूरे का हाथ पकड़ना चाहा पर बीच मे उसके लंड वाले हिस्से का उभार टकरा गया ...और उसे ऐसा लगा की उसका हाथ जल उठा है..

नेहा ने तड़पति हुई निगाहों से भूरे की तरफ देखा...पर वो सीधा चलता रहा ... वो अच्छी तरह जानता था की अभी उसके पास 2 घंटे हैं...और इन 2 घंटो मे वो नेहा को तडपा-2 कर गर्म कर देना चाहता था...और बाद मे जमकर उसे चोदना चाहता था..ताकि इतने दिनों से उसके अंदर जो भड़ास है वो निकल जाए..

वो नेहा को अनदेखा सा करता हुआ आगे चलता रहा...आख़िर मे थोड़ी सी सीडियां चढ़कर भूरे और नेहा उस जगह पर पहुँच गये जो दिन के समय गंगू और भूरे ने निर्धारित की थी..वो बिल्कुल किले की एंट्री के उपर वाला हिस्सा था...जहाँ खड़े होकर पूरा शहर दिखाई दे रहा था...हल्की ठंडक में पूरे शहर की लाइट्स जल रही थी...दीवाली जो थी कुछ दिनों बाद...इसलिए पूरा शहर जगमगा रहा था.

एक पल के लिए तो नेहा भी शहर की जगमगाहट देखकर सब कुछ भूल सी गयी..वो एक बड़ा सा झरोखा था..जहाँ खड़े होकर वो बाहर का नज़ारा देख रहे थे..आगे की दीवार 4 फुट उँची थी..इसलिए नेहा के मोटे मुम्मे पथरीली दीवार से चिपक गये थे..और पीछे से गंगू अपना खड़ा हुआ लंड उसकी गांड पर रगड़ कर उसे उत्तेजित कर रहा था..जैसे ही नेहा को पीछे से 'कुछ' महसूस हुआ, वो एकदम से सहम सी गयी...उसके रोँये खड़े हो गये और उसके निप्पल बड़े होकर पथरीली दीवार से रगड़ खाने लगे..उसकी साडी का सिल्की आँचल फिसल कर नीचे गिर गया और अब उसके बूब्स और दीवार के बीच सिर्फ़ एक ब्लाउस था..क्योंकि ब्रा तो उसने आज पहनी ही नही थी..

भूरे ने उसके कान के पास गरम साँसे छोड़ते हुए कहा : "भाभी...आप बहुत सुंदर हो...सच मे...''

और उसने उसके पेट पर हाथ रखकर उसकी नाभि के अंदर अपनी उंगली डाल दी...

''अहह ...... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..... उम्म्म्ममममममममम ..''

अब नेहा की बर्दाश्त से बाहर था सब...वो पलटकर भूरे से लिपटना चाहती थी और उसके होंठों को चूसना चाहती थी..पर भूरे ने उसे दीवार से दबा कर रखा हुआ था, उसने नेहा को पलटने ही नही दिया...पीछे से मिल रहे दबाव की वजह से नेहा के दोनो मुम्मे ब्लाउस से निकल कर उपर की तरफ आ चुके थे...और सिर्फ़ निप्पल्स को छोड़कर उसके दोनो स्तन पूरी तरह से बाहर थे..और पीछे खड़े हुए भूरे को वो सॉफ दिख रहे थे...भूरे ने अपने हाथ उपर किए और नीचे की तरफ से थोड़ा और ज़ोर लगाकर उसके स्तनों को उपर की तरफ धक्का दिया...और अगले ही पल, नेहा के ब्लाउस के उपर के दोनो हुक खुल गये और किसी ज्वालामुखी की तरह उसके दोनो स्तन बाहर की तरफ उबल कर निकल आए...

उसके लंबे और कठोर निप्पल पथरीली दीवार से घिसकर बुरी तरह से पिस गये...और ठंडे पत्थर से मिल रही थरथराहट को महसूस करते हुए नेहा ने का शरीर झनझना उठा..और उसने खुद ही अपने हाथ उपर करते हुए अपने दोनो मुम्मे पकड़े और उन्हे पूरी तरह से अपने ब्लाउस से बाहर निकाल कर भूरे की नंगी आँखो के सामने परोस दिया..

पर भूरे तो उसे पूरी तरह से गर्म कर देना चाहता था...वो अभी भी उसके स्तनों को हाथ नही लगा रा था...और नेहा की हालत ये थी की वो बार-2 पलटने के लिए ज़ोर लगती ताकि वो भूरे से लिपट सके...उससे अपने मुम्मे चुसवा सके...पर जब वो नही हो सका तो उसके हाथों को पकड़ कर वो उपर की तरफ ले जाने लगी...ताकि उसके कठोर मुम्मों में जो मीठा दर्द हो रहा है , भूरे उन्हे दबाकर वो दर्द मिटा सके..पर भूरे ने अपने हाथ वहीं उसके पेट पर जाम से कर दिए थे...फिर नेहा ने कोशिश की उसके हाथों को नीचे अपनी चूत की तरफ ले जाने की..पर इस बार भी भूरे ने अपने हाथों को नही हिलने दिया...अब भला एक ताकतवर मर्द के सामने उसकी क्या चलती...

फिर नेहा ने अपनी गोल मटोल गांड को उसके लंड के उपर घुमाना शुरू कर दिया...उसकी गांड में से जैसे आग के भभके निकल रहे थे...शायद उसकी चूत की गर्मी ही थी जो पीछे तक भूरे को महसूस हो रही थी...और उसी गर्मी की आँच मे तपकर उसके लंड का सोना पिघलने सा लग गया...और उसके हाथों की पकड़ ढीली पड़ गयी...और नेहा ने बिना कोई देरी किए उसके हाथों को पकड़ा और अपने कठोर हो चुके मुम्मो पर रखकर उपर से ज़ोर से दबाव डालकर उन्हे दबा दिया...

''अहह ...... उम्म्म्मममममममम.... दबाआआाआ इन्हे ........... ज़ोर से......... अहह....''

औरत मर्द के सामने कितनी भी कमजोर हो, पर अपनी काम वासना से वो अच्छे - अच्छो को पछाड़ सकती है

भूरे भी उसके सामने टिका नहीं रह सका और वो समझ गया की ये पूरी तरह से गर्म हो चुकी है...

वैसे दोस्तो, औरत को पूरी तरह से गर्म करके चुदाई करने के दो फायदे होते है ... एक तो वो पागलों की तरह चुदाई करवाती है...वाइल्ड तरीके से...और दूसरा की वो लगातार कई बार झड़ सकती है...एक तो बिल्कुल शुरूवात मे ही, क्योंकि वो पूरी तरह से गर्म होगी ...और बाद में अंत तक ,जब तक उसका पार्टनर उसे चोदता रहेगा ..और एक ही बार मे अनेक चुदाई का मज़ा किसे नही पसंद आएगा...

और ये काम भूरे ने कई बार किया था...इसलिए वो औरतों की ये कमज़ोरी अच्छी तरह से जानता था...


 अब तो सिर्फ़ देरी थी उसे खुला छोड़ने की...ताकि वो आराम से उसकी चुदाई कर सके..और उसने अगले ही पल नेहा को अपने चुंगल से आज़ाद कर दिया...और वो किसी बावली कुतिया की तरह से पलटी और उछल कर उसकी गोद मे चड गयी..उसके गले मे अपनी बाहें डाली...अपनी छातियों को भूरे के सीने से लगाया और अपने होंठों से भूरे के होंठ दबोच कर ज़ोर-2 से सक्क करने लगी...ऐसे जैसे कोई ड्रेकुला अपने शिकार का खून चूसता है..

भूरे तो उसके शरीर की गर्मी देखकर मस्त ही हो गया..उसने अपने हाथ नीचे करते हुए उसके ब्लाउस के बचे हुए बटन खोले और जैसे ही उसके दोनो कबूतर आज़ाद हुए उसने नीचे मुँह करके उन्हे अपने दांतो मे दबोच लिया और ज़ोर-2 से चूसने लगा..

नेहा की चीख पूरे सुनसान किले मे गूँज गयी..

''अहह ..आआआआआआआआआआआअहह ...... ओह.... ज़ोर से काटो इन्हे................चूसो मत...............दाँत से काट ओ................... अहह ....उम्म्म्मममममम''

और नेहा ने भूरे के सिर को अपनी छाती मे दबोच कर उसके कानों को अपने मुँह मे भरा और चूसना शुरू कर दिया..

नेहा की इस हरकत से भूरे का लंड पेंट फाड़कर बाहर निकलने को अमादा हो गया...उसने नेहा को नीचे उतारा और अपनी जींस की चैन खोलने लगा...नेहा ने झपटकर उसके हाथ पीछे किए और खुद उसकी जीप खोली...उसकी पेंट को नीचे खिसकाया और एक ही झटके मे उसके लंबे लंड को बाहर निकाल कर अपने मुँह मे डाल लिया....और ज़ोर-2 से चूसने लगी..

भूरे ने उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी आँखे बंद कर ली....उसके दाँतो से बचने के लिए वो उसे धीरे चूसने को कह रहा था..पर नेहा पर तो जैसे आज कोई प्यासी चुड़ैल सवार थी....वो उसके हर अंग को चूस्कर सारा रस निकाल लेना चाहती थी.

''ओह .....नहााआआअ .........................थोड़ा धीरे ......अहह...... अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........''

5 मिनट तक वो उसका लंड चूसती रही....और अपने हाथ से अपनी चूत के उपर भी मालिश करती रही...

भूरे भी उसकी रसीली चूत को चूसना चाहता था....उसने नेहा को रोका और उसे उपर उठाया...और उसकी कमर मे हाथ रखकर उसे उसी झरोखे मे बिठा दिया, जहाँ से वो बाहर का नज़ारा देख रहे थे...नेहा एकदम से डर गयी...क्योंकि झरोखे के पीछे की तरफ काफ़ी गहराई थी...अगर वो नीचे गिरती तो सीधा गेट की एंट्री के पास जाकर गिरती...

पर भूरे ने उसकी टाँगो को अपनी कमर से लपेट लिया और उसकी साड़ी को धीरे-2 उपर करना शुरू किया...नेहा ने भी अपनी गांड उचका कर साड़ी और पेटीकोट को अपनी गांड के नीचे दबा लिया...और अब भूरे के सामने थी एक दम सफाचट चूत ...जिसमें से पानी रिस-रिसकर बाहर निकल रहा था...और नीचे के पत्थर को भी भिगो रहा था.

भूरे ने अपना मुँह सीधा उसकी चूत पर लगाया और अपनी जीभ निकाल कर उसे लंबा करके चाटा ...

''अहह ........ ओह ...मार गाइिईईईईईईईईईईईईईई ....... उम्म्म्मममम''

नेहा ने भूरे के सिर को अपनी चूत पर ज़ोर से दबा कर और चाटने के लिए कहा...नेहा को तो ऐसा लग रहा था मानो वो हवा मे उड़ रही है...ऐसा एहसास उसने आज तक नही किया था.

और उसी एहसास मे उड़ते-2 कब वो झड़ गयी उसे भी पता नही चला...

और झड़ने के बाद वो निढाल सी होकर भूरे के कंधे पर झूल गयी...भूरे ने भी अपने होंठों पर जमी उसकी चूत की मलाई को सॉफ किया और उसे नीचे उतारा...झड़ने के बाद उसका शरीर नम सा हो चुका था...उसे दोबारा गर्म करने की ज़रूरत थी...उसने नेहा को नीचे मिट्टी पर ही लिटा दिया...और उसके उपर लेटकर अपने लंड को सीधा उसकी चूत में पेल दिया..

''अहह. ............................. उम्म्म्मममममममममममम।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।मममममममम''

ये दूसरी चीख थी...जो उसके मुँह से निकली थी.....अपनी टाँगो को नेहा ने भूरे की कमर मे लपेट दिया...और उसके गले मे बाहें डालकर उसे अपनी तरफ खींचा और ज़ोर से स्मूच करती हुई अपनी कमर हिलाने लगी..

नेहा की नर्म चूत में जाकर भूरे के लंड में जैसे आग सी लग गयी...वो ज़ोर-2 से धक्के देते हुए उसकी चूत मारने लगा....अपने मुँह में उसने उसके निप्पल को भरा और उसका दूध भी पिया...ऐसे चुदाई करते हुए निप्पल को मुँह मे लेने से उसके लंड की स्पीड थोड़ी कम हुई तो नेहा ने खुद ही उसके सिर को पीछे करते हुए अपने निप्पल्स निकलवाए ताकि वो खुलकर चुदाई कर सके ...

अब भूरे ने उसकी दोनो टाँगो को हवा मे पकड़ा और ज़ोर -2 से धक्के लगाने लगा...और वो लगभग 20 मिनट तक ऐसे ही धक्के मारता रहा...जैसे ही उसका निकलने वाला होता तो वो रुक जाता और फिर से धक्के मारता....

ऐसा करके वो अपना झड़ना तो रोक लेता,पर नेहा हर बार झड़ जाती , उसे भी पता नही चला की वो कितनी बार झड़ी

और अंत मे जब भूरे से और रोका नही गया तो वो नीचे झुक गया और नेहा के होंठों को अपने मुँह मे दबोच कर अपना सारा का सारा रस उसकी चूत में ही निकाल दिया...

''अहह ,.,.,...........ये ले साली..................इतने दिनों तक जो तूने तड़पाया है...उसका इनाम है ये...................''

और उसके उपर से लुढ़क कर वो नीचे उसकी बगल में ही गिर गया..

और गहरी साँसे लेने लगा.

तभी उसका मोबाइल बज उठा...वो भूरे का फोन था.


उसने टाइम देखा... 7:30 हो रहे थे.... यानी पिछले डेढ़ घंटे से वो नेहा की चुदाई कर रहा था.

उसने फोन उठाया

गंगू : "हम निकल रहे हैं.....बस इक़बाल भाई आ ही रहे हैं बाहर...तू तैयार रहना..''

इतना कहकर ही उसने फोन रख दिया.

भूरे ने नेहा को जल्दी से अपने कपड़े ठीक करने के लिए कहा...क्योंकि अब उनके पास ज़्यादा वक़्त नही था..

पर वो तो अपनी ही मस्ती मे डूबी पड़ी थी....जैसे कोई सुहाना सपना देख रही हो..उसकी आँखो की खुमारी अभी तक नही उतरी थी...

भूरे ने उसे उपर से नीचे तक देखा...काम की मूरत लग रही थी वो ....आधी नंगी ज़मीन पर लेटी हुई ... उसके दोनों स्तन उपर की तरफ मुँह करके जैसे अभी भी उसे बुला रहे थे..

मन तो भूरे का भी नही भरा था..पर अभी कुछ और करने का टाइम नही था..

उसने जल्दी से नेहा को अपनी बाहों मे उठाया..और उसे लेकर एक कोने मे चला गया..जहाँ से नीचे का मैन गेट भी दिख रहा था..और वो छुपकर भी बैठे हुए थे..

भूरे ने नेहा को एक चट्टान पर बिठा दिया..और उसके कपड़े झाड़कर साफ़ करने लगा..उसके ब्लाउस के बटन सही से लगाए..उसके मुम्मों को बड़ी मुश्किल से वापिस अंदर ठूसा ...और फिर उसकी साड़ी को सही ढंग से उसके शरीर पर लपेटा..

नेहा बस बुत सी बनकर उसे निहार रही थी...और फिर अचानक वो किसी बिल्ली की तरह भूरे पर झपट पड़ी और उसे ज़ोर-2 से स्मूच करने लगी.

भूरे भी सोचने लगा की कितनी गरम औरत है ये....अभी-2 कई बार झड़ी है पर फिर भी चुदाई का ख़याल आ रहा है...वो तो नही जानती थी की आगे क्या होने वाला है...पर भूरे आने वाले ख़तरे को अच्छी तरह से जानता था.

जैसा की उसने और गंगू ने प्लान बनाया था की वो किसी भी तरह इक़बाल को अकेले उस जगह पर लाएँगे..और फिर दोनों मिलकर उसे वहीं गोली मार देंगे...और अभी तक सब कुछ प्लान के हिसाब से ही चल रहा था.

भूरे ने बड़ी मुश्किल से नेहा को शांत करवाया...क्योंकि उसे दूर से इक़बाल की गाड़ी आती हुई दिख गयी थी...गंगू और इक़बाल नीचे उतरे और अंदर की तरफ आ गये...थोड़ी सी सीडियां चड़ने के बाद वो उपर के हिस्से में आ गये जहाँ भूरे पहले से छुप कर बैठा था...उसने अपनी जेब से अपनी गन निकाल ली..एक गन तो पहले से ही गंगू के पास थी...बस अब इक़बाल को ठोकने की देर थी.

उपर आते ही इक़बाल बोला : "ये कैसी जगह है गंगू...और कहाँ है वो औरत...जो शनाया को लाने वाली थी..''

इक़बाल के हाथ मे एक ब्रीफ़कसे भी था...शायद वो उसमे 20 लाख रूपए लेकर आया था.

गंगू थोड़ी देर तक चुप रहा और बोला : "अभी बुलाता हूँ ..''

और उसने ज़ोर से आवाज़ लगाई : "बाहर आ जाओ...मेहमान आ गया है...''

भूरे ने नेहा को वहीं छिपे रहने के लिए कहा....और अपनी गन लोड करता हुआ बाहर निकल आया.

भूरे को देखते ही इक़बाल चोंक गया : "भूरे.......तू ......तू यहाँ क्या कर रहा है.... ??"

भूरे ने अपनी गन उसकी तरफ तान दी...और बोला : "तेरा इंतजार....''

और उसी पल गंगू ने भी अपनी गन निकाल ली और इक़बाल के हाथ से उसका ब्रीफ़सेस छीनकर और गन को उसकी तरफ तानता हुआ वो भी भूरे के साथ आकर खड़ा हो गया..

इक़बाल ने दोनों के हाथ मे चमक रही गन को देखा और घबरा गया....पर अगले ही पल वो ज़ोर-2 से ठहाका लगाकर हँसने लगा...

गंगू और भूरे एक दूसरे को प्रश्न भरी नज़रों से देखने लगे..

इक़बाल : "सालों ....मेरी ही आस्तीन मे रहकर मुझे ही काटने चले हो...इक़बाल नाम है मेरा...इक़बाल...मुझे मारना तुम जैसे चूहों का काम नहीं है...''

और अगले ही पल पता नही कहाँ से दो फायर हुए और दोनो की गन उनके हाथ से छिटककर दूर जा गिरी...


 गंगू तो ठीक था पर भूरे का हाथ बुरी तरह से ज़ख्मी हो गया और उसके हाथ से काफ़ी खून भी निकल रहा था.

उन्होने गोली चलने वाली दिशा की तरफ देखा तो वहाँ से नेहाल अपने 5 आदमियो के साथ आता हुआ दिखाई दिया..

नेहाल : "हरामजादो ..... जिसका नमक खाया उसके साथ गद्दारी कर रहे हो...''

और इतना कहकर उसने फिर से वो गन उनकी तरफ तान दी...उन्हे जान से मारने के लिए..

इक़बाल चीखा : "नही नेहाल .... ऐसे नही मारना इन कुत्तों को .... ऐसे नही ... इन्होने तुझे ही नही इक़बाल को भी धोखा दिया है.... मुझे तो आज सुबह ही इनपर शक हो गया था, इसलिए तुझे मेरे पहुँचने के दस मिनट बाद आने को कहा था, मुझे आज तक पूरी दुनिया की पुलिस छू भी नही सकी और तुम दोनो मुझे मारने चले थे... बोल ...ऐसा क्यों किया ....बोल, नही तो तेरी खाल खींचकर बाहर निकाल दूँगा...और दोनो को तडपा-2 कर मारूँगा...मेरा काम तो किया नही, उपर से मुझे ही मारने चले हो ...''

पर दोनों में से कोई नही बोला....नेहाल ने अपने साथ आए आदमियों को इशारा किया और वो सब एक साथ गंगू और भूरे पर टूट पड़े...लाते-घूँसे खा-खाकर दोनो लहू लुहान से हो गये..

तभी नेहा चीखती हुई बाहर आई : "छोड़ दो इन्हे ..... मैं कहती हूँ छोड़ दो ....''

और वो भागती हुई आई और गंगू से लिपट गयी..

उसे देखते ही इक़बाल और नेहाल की आँखे फटी रह गयी

इक़बाल : "शनाया ...... ये यहाँ कैसे ....यानी इस कुत्ते को ये सच में मिल गयी थी....पर ये इसके लिए मुझसे क्यो दुश्मनी ले रहा था....''

तब तक नेहा यानी शनाया ने लहू लुहान गंगू को उपर उठाया और नेहाल के गुण्डो के सामने हाथ जोड़कर बोली : "भगवान के लिए इन्हे छोड़ दो ...मेरे पति को मत मारो ...''

इक़बाल और नेहाल उसकी बात सुनकर एक बार फिर से चोंक गये...और उपर से ये देखकर भी की शनाया उन्हे क्यो नही पहचान पा रही है ...

नेहल : "क्या बोली तू ...तेरा पति ....ये गंगू ... ये साला भिखारी ...साली हमें भूल गयी और इसे अपना पति बोल रही है ...''

नेहा सुबकति हुई सी बोली : "हाँ ....ये मेरे पति है ..... इन्हे छोड़ दो प्लीज़ ....मुझे नही पता की आप लोग कौन है ...पर ये मेरे पति है...इन्हे छोड़ दो....''

दोनो अपना सिर खुजलाने लगे...उनकी समझ मे नही आ रहा था की जिस लड़की को ढूँढने के लिए उन्होने 2 दिन पहले ही गंगू को बोला है, वो कैसे उसे अपना पति बोल रही है...

इक़बाल ने अपने आदमी के हाथ से गन ली और सीधा लेजाकर गंगू के सिर पर लगा दी : "बोल साले .... ये क्या कह रही है .....तुझे अपना पति क्यों बोल रही है ये....बोल ...नही तो मैं तेरा भेजा उड़ा दूँगा ...''

गंगू कुछ नही बोला

इक़बाल ने एकदम से वो गन नेहा की कनपटी पर लगा दी तो गंगू एकदम से चिल्ला उठा : "नही ....इसे कुछ मत कहो.....इसे कुछ नही पता ....''

और फिर गंगू ने उस दिन से लेकर अभी तक की सारी कहानी उनके सामने रख दी...

इक़बाल का तो खून खोल उठा सब कुछ सुनकर

इक़बाल : "भेन के लोडे......तो उस दिन तू था वहाँ रोड पर...जिसने मुझे मारा था...और तेरी ही वजह से ये मेरे हाथों से निकल गयी थी...''

और इतना कहते ही उसने एक जोरदार लात गंगू के पेट मे मारी...और वो दर्द से दोहरा होकर ज़मीन पर लेट गया..

भूरे तो पहले से ज़मीन पर पड़ा हुआ अपने घाव गिन रहा था.




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