Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI भिखारी की हवस-17

FUN-MAZA-MASTI 


 भिखारी की हवस-17
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अब आगे
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 पैसो की कमी तो अब थी ही नही गंगू के पास, इसलिए उसने पहले अपना हुलिया सही करने की सोची..सबसे पहले तो उसने पूरे दिन के लिए एक टैक्सी किराए पर ली ..फिर वो सीधा उसी मसाज पार्लर मे गया, जहाँ उसको दिया और प्राची ने पिछली बार मज़े दिए थे...उस दिन दिया तो मिली नही पर प्राची ने गंगू को देखते ही पहचान लिया और वो उसको लेकर अंदर केबिन मे आ गयी..

अंदर जाते ही गंगू ने सीधा पाँच हज़ार निकाल कर प्राची के हाथ मे रख दिए और बोला की आज मेरा हुलिया ऐसा कर दो जैसे फिल्मी हीरो का हो..

पर उसके काले चेहरे को देखकर वो बात सही नही बैठ रही थी...फिर भी प्राची ने हंसते हुए उसके चेलेंज को स्वीकार किया और अपने काम मे जुट गयी..इतने पैसे तो उसको शायद ही किसी ने दिए हो आजतक..उसने गंगू के बाल सही से काटे, उसकी शेव बनवाई..उसके शरीर के सारे बाल निकाल कर उसको बिल्कुल चिकना बना दिया..और पूरे शरीर पर इंपोर्टेड क्रीम लगा कर जमकर मालिश करी..अंत मे उसने गंगू को जब नहलाया तो गंगू भी अपने अक्स को देखकर हैरान रह गया..सिर्फ़ उसकी लंगड़ी टाँग ही माइनस पॉइंट थी, वरना उपर से नीचे तक वो किसी हीरो से कम नही लग रहा था..

प्राची ने गंगू के लॅंड को हाथ मे लेकर उसको हेंड जॉब देने की कोशिश की पर उसने मना कर दिया, क्योंकि वो अपने लॅंड की गर्मी को मुम्मेथ ख़ान के लिए बचाकर रखना चाहता था.

उसके बाद वो एक बड़े से माल मे गया और आधे घंटे मे ही उसके शरीर पर नये कपड़े थे, जिनकी वजह से वो काफ़ी डेशिंग लग रहा था...उसने नेहा के लिए भी काफ़ी शॉपिंग की और बाहर निकल कर उसने वो सारा समान गाड़ी मे ही रख दिया और मुम्मेथ के घर की तरफ चल दिया..

अब उसके दिमाग़ मे जो योजना थी, वो मुम्मेथ की जानकारी के आधार पर ही निर्भर थी..पर वो अच्छी तरह से जानता था की मुम्मेथ से जानकारी निकलवाने के लिए पहले उसको पूरी तरह से खुश भी करना पड़ेगा..

उसने नीचे से ही फोन कर दिया की वो पहुँच गया है, मुम्मेथ ने भी कहा की रास्ता क्लीयर है, वो सीधा उपर आ गया.

उसको शायद पता नही था की जब से गंगू ने दोबारा मिलने का वादा किया था, तब से उसकी चूत किसी नये पक्षी की तरहा चहचहा रही थी..जिसमे वो किसी भी हालत मे गंगू के लॅंड को पिलवाकर उसकी तड़प शांत करवाना चाहती थी..

गंगू ने जैसे ही बेल बजाई, मुम्मेथ ने झट से दरवाजा खोलकर उसको अंदर खींच लिया और एक ही झटके मे दरवाजा बंद कर दिया.

उसने एक लाल रंग की छोटी सी नेट वाली नाइट ड्रेस पहनी हुई थी..बिना किसी अंडरगार्मेंट्स के..जिसमे उसकी गोरी-2 चुचियाँ और मोटी-2 जांघे बड़ी सेक्सी लग रही थी.

उसने गंगू के बदले हुए रूप को देखा तो वो और भी प्यासी हो उठी..एक तो पहले से ही अपने लंबे लॅंड की वजह से वो गबरू जवान लगता था..अब उसके हुलिए ने भी उसको एक सेक्सी रूप दे दिया था...वो किसी बिल्ली की तरह से उसपर झपट पड़ी और वहीं गेलेरी मे ही उसके बदन से लिपट कर उसको चूमने लगी..

इतनी गर्म औरत से निपटने का शायद पहला मौका था गंगू का, क्योंकि मुम्मेथ अपने भारी भरकम जिस्म से धक्के मार-मारकर उसको उत्तेजित कर रही थी...उसने गंगू को वही गेलेरी की दीवार से सटा दिया और अपनी दोनो बाहों को उसके गले मे बाँध कर लटक सी गयी...गंगू के पास और कोई चारा नही बचा था, इसलिए उसने उसकी गांड के नीचे हाथ रखकर उसे हवा मे उठा लिया..भले ही उसके मुम्मे और जांघे काफ़ी मोटे थे पर उसका वजन ज़्यादा नही था..गंगू के हाथों मे आते ही वो पूरी तरह से अड्जस्ट हुई और ज़ोर-2 से उसके होंठों को चूसने लगी...

''उम्म्म्मममम ...... पुचहssssssssssssssssssssss ...अहहssssssssssssssssss .....उम्म्म्ममममममममम ... ओह गंगू ........ चूसो मेरे होंठ .....अहह ....ज़ोर से ............ काटो मत ............... बस चूसो .............. उम्म्म्ममममममममssssssssssssssssssssssssssssssss ...अहह ....''

गंगू ने उसको सामने वाली दीवार से टीका दिया और मुम्मेथ ने अपनी दोनो टांगे गंगू की कमर से लपेट दी..और उसने अपने दोनो हाथ उपर करते हुए एक रोड को पकड़ लिया..गंगू ने अपने दोनो हाथों से उसके मुम्मे पकड़े और ज़ोर से उमेठ दिए...मुम्मेथ को दर्द तो हुआ पर मीठा वाला .....उसने चिल्लाते हुए अपनी दोनो ब्रेस्ट को एक ही बार मे नंगा कर दिया और उन्हे गंगू के चेहरे के सामने परोस दिया..

''आआआआआआअहह ............... उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ गंगू ................ और ज़ोर से दबाओ ..............अहह ...तरस रहे है ये कब से .............. चूसो इन्हे ................. निचोड़ डालो सालों को ................ रग़ड़ डालो अपने हाथो से ................ दिखाओ अपना रफ़ स्टाइल ज़रा .............अहह sssssssssssssssssssssssss ''


 गंगू को दोबारा याद दिलाने की ज़रूरत नही पड़ी उसके बाद मुम्मेथ को.... वो किसी जंगली की तरह उसपर टूट पड़ा ...उसने अपने दाँये हाथ से उसकी नाईटी के कपड़े को खींचकर फाड़ दिया और उसके शरीर से अलग करते हुए दूर फेंक दिया...और नीचे होते हुए उसने अपने पैने दांतो से उसके उभरे हुए निप्पल को दबोचा और ज़ोर से काट लिया.....वो वार इतना जोरदार था की मुम्मेथ ने गंगू के सिर को ज़ोर से अपनी छाती मे दबा कर उस दर्द को बड़ी मुश्किल से संभाला...

''अहह ........ येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ....... काट इन्हे ................कुत्ते की तरह चबा जा मेरे निप्पल ..................... अहहsssssssssssssssssssssssssssssssssssss ''

गंगू पर तो जैसे अब कोई पागलपन सवार था...वो मुम्मेथ को अपनी गोद मे उठाए हुए ही सीधा अंदर की तरफ गया और उसके वॉटर वाले गद्दे के उपर पटक दिया...वो जितना अंदर तक गयी उतना ही उपर की तरफ भी उछली..गंगू के लिए ये नया अनुभव था..उसने वॉटर बेड आज से पहले कभी नही देखा था, देखता भी कैसे..एक भिखारी की जिंदगी मे ऐसी चीज़ो की कोई जगह नही होती..

बेड पर उपर नीचे उछल कर जब मुम्मेथ का शरीर शांत हुआ तो उसकी बदहवासी देखकर गंगू ने एक ही झटके मे उसका नीचे वाला कपड़ा भी खींचकर बाहर निकाल फेंका..अब वो उस वॉटर बेड पर,सफेद चादर के उपर,नंगी पड़ी थी...उसकी चूत से पानी निकल कर नीचे बह रहा था...गंगू ने उसकी दोनो टांगो को उपर उठाया..और उसकी आँखो मे देखता हुआ अपनी जीभ से उसकी दोनो टाँगो और जांघों को चाटता हुआ नीचे तक आया और फिर एक ही झटके मे, किसी शिकारी की तरह उसने अपने मुँह से उसकी मचल रही चूत को पकड़ लिया और उसके गीले होंठों को अंदर निगल कर उन्हे चूसने लगा.

''उम्म्म्मममममममममममममम ...... येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स माय डार्लिंग गंगू ............... अहह ...... मररर्र्र्र्र्ररर गयी मैं तो ............ ओफफफफफफफफफफफफ्फ़ ...क्या फीलिंग है रे .................. अहह ...कहाँ से सीखा है तू ये सब ................. अययईीीईईईईईईईईईईईईईईई ...... अपनी जीभ से चोद मुझे गंगू.............अहह ....''

गंगू ने अपनी लंबी जीभ को कड़ा करते हुए उससे उसकी मखमली चूत की चुदाई करनी शुरू कर दी...वो हर बार सूखी हुई अंदर जाती और चूत के रस मे भीगकर ही बाहर निकलती, जिसे गंगू चट कर जाता....कभी वो अपनी जीभ से उसकी चूत को नीचे से उपर तक चाट्ता, कभी उसकी क्लिट को अपने होंठों मे लेकर चुभलाता...कभी अपनी उंगली अंदर डालकर अंदर की लाली को बाहर उभारता और उसे चूसता ...ऐसे करते-2 मुम्मेथ ख़ान दो बार झड़ गयी...

अब उससे सबर नही हो रहा था...वो जल्द से जल्द गंगू के लॅंड को अपनी चूत मे लेना चाहती थी...पर इतनी देर से उसकी सेवा करते-2 गंगू का लॅंड थोड़ा ढीला सा होकर बैठ चुका था...मुम्मेथ को पता था की उसको कैसे तैयार करना है...उसने गंगू को वॉटर बेड पर लिटाया और अपने थन लटका कर वो उसकी टाँगो के बीच बैठ गयी..और धीरे-2 अपने चेहरे को नीचे करते हुए उसने एक ही झटके मे उसके लॅंड को दबोचा और खाना शुरू कर दिया...पहले आगे का हिस्सा और फिर धीरे-2 पूरा ही निगल गयी उसको...ऐसा ट्रीटमेंट मिलते ही उसका लॅंड दोबारा खड़ा होने लगा और देखते ही देखते वो अपने आकार मे वापिस आने लगा...और जैसे-2 वो बड़ा हो रहा था, मुम्मेथ को उसे अपने मुँह मे रखना मुश्किल हो रहा था, गंगू अपने हाथो को सिर के नीचे रखे देख रहा था की कैसे मुम्मेथ के मुँह से उसका लॅंड किसी अजगर की तरह बाहर निकल रहा है...ऐसा लग रहा था की वो अपने मुँह से गंगू के लॅंड को उगल रही है..और जब गंगू का लॅंड पूरे आकार मे आ गया तो सिर्फ़ उसके आधे हिस्से को ही अपने मुँह मे रख पाई वो...

उसके बाद मुम्मेथ ने उसको अपनी थूक से भिगो-2 कर ऐसा चिकना किया की एक ही बार मे वो किसी भी संकरी से संकरी चूत मे उतर जाए...और फिर उछलकर वो उसपर जा चढ़ी ...जैसे घोड़े पर चड़ते है, ठीक वैसे ही..और जैसे ही उसने गंगू के लॅंड को अपनी चूत पर रखा..गंगू ने अपने हाथ से अपने लॅंड को पकड़कर वही रोक दिया..और बोला : "तुम्हे मैने कहा था ना..मुझे कुछ जानकारी चाहिए..''

ऐसे मौके पर अगर कोई रोक ले तो क्या हाल होता है, ये तो वही जानता है जिसपर ये बीती है..और ये हाल अब मुम्मेथ का भी हो रहा था..वो तो पहले से ही कुछ भी बताने के लिए राज़ी थी..पर गंगू जानता था की जो जानकारी वो चाहता है, वो मुम्मेथ बाद मे शायद ना दे पाए, इसलिए पूरी तस्सल्ली कर लेना चाहता था.

मुम्मेथ : "अहह .....साले ......ऐसे मौके पर क्यो बोल रहा है.........जल्दी कर ........अंदर डाल.........जो बोलेगा बता दूँगी..........अभी मत तड़पा मुझे.............जल्दी से इसको अंदर डाल और चोद मुझे ......... उम्म्म्मममममममममममम...''

और गंगू ने उसकी बात मानते हुए अपने हाथ को पीछे खींच लिया...और मुम्मेथ सीधा उसके उपर बैठती चली गयी....उसकी आँखे बंद थी..पर चेहरे पर आ रहे संतुष्टि के भाव बता रहे थे की अंदर जाता हुआ लंबा खंबा कितने मज़े दे रहा है उसको...वो नीचे झुक गयी और गंगू के चेहरे पर किस्सेस की झड़ी लगा डाली...गंगू ने भी अपने दोनो हाथ उसके मुम्मों पर जमा दिए और नीचे से धक्के मारने लगा..

''अहह ......गंगू ................क्या लंड है तेरा.........साले ..........ऐसा मज़ा तो आज तक किसी ने नही दिया...........अहह ....उम्म्म्ममममममममम ..... ज़ोर से मार मेरी ..........आज फाड़ डाल मेरी चूत को ............ ज़ोर से झटके मार.... ज़ोर से. ....मुझे ज़ोर-2 से करना ही पसंद है...... कर ना साले . .........मार मेरी चूत ..''

गंगू ने अपने दोनो हाथ उसकी गांड पर रखे और उसे अपनी तरफ भींचकर नीचे से उसकी चूत मे अपने लॅंड को पिस्टन बनाकर लॅंड पेलने लगा...


 गंगू का चेहरा उसके मादकता से भरे मुम्मों के बीच फँसा हुआ था...और वो एक तरह से उसके फेस की मसाज कर रहे थे...वो कभी उनपर दाँत मारता, कभी उसका दूध पीने लग जाता..कभी जीभ से चाट्ता...और कभी दांतो से निशान बनाता...

और फिर एक जोरदार चीत्कार के साथ मुम्मैत ख़ान झड़ने लगी...ऐसा झड़ना भी गंगू ने पहली बार देखा था....ऐसा लगा की उसके लॅंड पर किसी ने गर्म पानी की टंकी चला दी हो...उसकी चूत का रस पिघलकर बाहर आया और चादर को भिगो दिया..

अब बारी थी गंगू की...उसने मुम्मेथ को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत मे लॅंड पेल दिया...मुम्मेथ का सिर हर झटके से नीचे की तरफ होता चला गया...और आख़िर मे जाकर उसका चेहरा नीचे की गीली चादर पर जा टिका , जहाँ उसकी चूत के रस ने कीचड़ मचा रखा था...

गंगू ने उसकी गांड को अपने दोनो हाथों मे थाम कर ऐसे झटके दिए की जब आख़िर मे जाकर वो झड़ने लगा तो उसके लंड से ज़्यादा घर्षण की वजह से आग सी निकल रही थी...जिसकी वजह से उसका लॅंड सुलग सा रहा था...

और आख़िर मे गंगू के लंड से जब प्रेशर के साथ रस बाहर निकालने लगा तो उसने वो मुम्मेथ की चूत के अंदर ही निकाल दिया...ये भी नहीं पूछा की वो प्रेगञेन्ट होना चाहती है या नही...अपनी तरफ से उसने अपना योगदान करते हुए उसकी चूत को अपने रस से भर दिया..

''अहहssssssssssssssssssssssssssssss ...... ले साली...............सारा माल अपनी चूत के अंदर ही ले आज................अहह .....ओहssssssssssssssssssssssssssssssss .........''

और फिर वो भी हांफता हुआ सा उसके उपर गिर पड़ा..

कुछ देर मे दोनो सामान्य हुए...मुम्मेथ ने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और बोली : "चिंता मत करो...मैने टेबलेट ले रखी है...''

गंगू को क्या फ़र्क पड़ रहा था..वो तो बस उससे अपनी जानकारी निकलवाने के लिए उतावला हो रहा था..

गंगू : "तुमने कहा था की मुझे कुछ भी बताओगी ..जो मैं जानना चाहता हू..''

मुम्मेथ : "हाँ ....बोलो.....''

गंगू : "मुझे इक़बाल भाई के बारे मे सब कुछ बताओ...वो कहाँ रहता है...कहाँ जाता है, किससे मिलता है...क्या-2 धंदे है उसके...सब जानना है मुझे..''

उसकी बात सुनकर एक पल के लिए तो मुम्मेथ की आँखे फैल गयी...और फिर वो ज़ोर से ठहाका मारकर हँसती हुई बोली : "हा हा हा......तुझे क्या लगता है...मैं तुझे ये सब बता दूँगी...''

गंगू ने साईड मे रखी अपनी पेंट मे से पिस्टल निकाल कर उसके सिर पर लगा दी..

मुम्मेथ को इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नही थी..

मुम्मेथ : "अरे....तू तो नाराज़ हो गया....इसको हटा...मुझे इससे बड़ा डर लगता है...''

गंगू ने पिस्टल हटा दी...और फिर मुम्मेथ की तरफ सवालिया नज़रो से देखा

मुम्मेथ : "देख गंगू...मुझे नही पता की तू ये सब क्यो जानना चाहता है...पर सच मान, मुझे उसके बारे मे कुछ नही पता...वो ज़्यादातर दुबई मे ही रहता है...और इंडिया जब भी आता है तो या तो मेरे पास या फिर ...''

गंगू : "हा हाँ ....बोल "

मुम्मेथ :"या फिर वो नेहाल भाई के वर्सोवा वाले बंगले पर ठहरता है...वो जगह समुंदर के किनारे पर है...और उसके बंगले के चारों तरफ इतने आदमियो का पहरा रहता है की कोई परिंदा भी पर नही मार सकता..''

गंगू : "तुझे तो पता ही है इक़बाल भाई आजकल एक लड़की के पीछे पड़े हैं...और उसे पागलों की तरह ढूँढ रहे हैं...''

मुम्मेथ : "हाँ ....शनाया ..... उसे ढूँढने के लिए ही तो तुझे बुलवाया था इक़बाल ने...''

गंगू : "हाँ ....मुझे उस लड़की के बारे मे बता...उसके घर वालो के बारे मे...''

मुम्मेथ : "वैसे तो मैं ये बात तुझे कभी ना बताती..पर इक़बाल जिस तरह से उसको तवज्जो दे रहा है,उसे देखकर मुझे बड़ी जलन सी हो रही है...इसलिए में उसके बारे में तुझे बताती हू..''

और फिर मुम्मेथ ने शनाया के घर वालो के बारे मे सब कुछ गंगू को बता दिया.

फिर कुछ देर रुक कर वो बोली : "पर तू ये सब क्यो पूछ रहा है....तू पुलिस का खबरी तो नहीं बन गया या कहीं तू इक़बाल को जान से तो नही मारना चाहता ना..''

गंगू : "तूने ज़्यादा सवाल किए तो तुझे ज़रूर मार डालूँगा....तू एक फिल्मी हेरोइन है...मीडीया वालो को तेरा सारा कच्चा चिट्ठा बोल दिया ना तो कही की नही रहेगी...इसलिए अपनी ज़बान बंद रखियो...और मुझे मेरा काम करने दे...समझी..''

और फिर मुम्मेथ को एक-2 और धमकियाँ देकर और नेहाल के बंगले का पूरा पता लेकर वो वहाँ से निकल आया..

अब उसे अपनी योजना सफल होती नज़र आ रही थी...और इसके लिए उसको एक भरोसेमंद आदमी की ज़रूरत थी...और वो जानता था की वो काम कौन कर सकता है.


 गंगू सीधा भूरे के पास पहुँचा..अपनी तरफ से तो गंगू यही समझ रहा था की वो उसका दोस्त है..उसकी मदद ज़रूर करेगा...और अगर ज़रूरत पड़ी तो उसे पैसे भी देगा पर ये काम ज़रूर करवाएगा..

पर वो भला ये बात कैसे जानता की उसके मन मे तो खुद नेहा की चुदाई का नशा सवार है..वो कब से नेहा की जवानी का मज़ा लेने के लिए तड़प रहा है.

भूरे के घर पहुँचकर गंगू ने दरवाजा खड़काया और उसने दरवाजा खोला

भूरे : "अरे गंगू तू...इस वक़्त....आ जा ..अंदर आ''

गंगू ने अंदर जाकर देखा की उसका साथी कल्लन भी वहीं बैठा है और वो दोनो बैठकर शराब पी रहे हैं..

गंगू : "यार...तुझसे कुछ अकेले मे बात करनी है...कुछ ज़रूरी काम है..''

भूरे भी जानना चाहता था की इक़बाल भाई ने उसे कौन सा गुप्त काम दिया है , इसलिए उसने तुरंत कल्लन को वहाँ से जाने के लिए कहा..

उसके जाते ही भूरे बोला : "हाँ भाई...अब बोल..क्या काम है...''

गंगू को समझ नही आ रहा था की वो कैसे बात की शुरूवात करे..वो बोला : "देख भूरे...तुझे मैं अब अपना दोस्त मानता हू..इसलिए यहा आया हू तेरे पास...पर मेरी एक बात सुन ले..जो भी मैने कहा..अगर तूने मेरा साथ दिया तो ठीक, वरना मेरे रास्ते मे मत आइयो..''

भूरे तो समझ ही नही पा रहा था की वो बोल क्या रहा है..पर फिर भी वो चुप होकर उसकी बाते सुनता रहा..

गंगू : "तुझे तो पता भी नही की आज इक़बाल ने मुझे क्यो बुलाया था...''

भूरे : "हां ....वही मैं पूछने वाला था तुझसे...बता ना, क्या काम था ..''

गंगू ने अपनी जेब से नेहा यानी शनाया की फोटो निकाल कर रख दी उसके सामने..

भूरे : "अरे..ये तो नेहा भाभी की...यानी तेरी बीबी की फोटो है...इसका उनके काम से क्या लेना देना..''

गंगू : "वो लोग इसी को ढूंड रहे हैं...और इसका नाम नेहा नही बल्कि शनाया है...और ये चेन्नई के एक बहुत ही अमीर घराने की औलाद है...''

भूरे : "क्या ?????????????? नेहा भाभी...पर ये तो...तेरी बीबी है ना...तूने ही तो बताया था की...''

गंगू बीच मे ही बोल पड़ा : "नही...ये मेरी बीबी नही है....ये तो मुझे ऐसे ही एक दिन सड़क पर एक्सीडेंट के दौरान मिल गयी थी...''

और इतना कहकर उसने उस दिन का किस्सा और बाद की भी कहानी की कैसे उसकी यादश्त चली गयी और वो उसे अपना पति समझने लगी..और साथ ही साथ उसने उस दिन इक़बाल और नेहाल भाई के साथ हुई डील के बारे मे भी बता दिया..

भूरे हैरान होता हुआ वो सब सुन रहा था...उसका सारा नशा उतर चुका था..

भूरे : "अब तू मुझसे क्या चाहता है...''

गंगू : "ये सब जाने के बाद मेरे पास दो ही रास्ते थे...एक, या तो मैं नेहा को लेकर यहाँ से काफ़ी दूर निकल जाता..पर अगर ऐसा करता तो वो और उसके आदमी मुझे कहीं से भी ढूंड लेते और मुझे मारकर उस फूल सी लड़की को उस वहशी के हाथ सौंप देते...''

भूरे : "और दूसरा क्या है...जिसके बारे मे सोचकर तू मेरे पास आया है..''

वो भी शायद समझ रहा था की गंगू के दिमाग़ मे क्या चल रहा है..पर वो खुद गंगू के मुँह से सुनना चाहता था...

गंगू : "दूसरा रास्ता ये है की मैं इक़बाल और नेहाल भाई को ही मार दू ..ताकि ये डर हमेशा के लिए ही ख़त्म हो जाए...''






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