Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI एक भाई ऐसा भी -17

FUN-MAZA-MASTI
 
 एक भाई ऐसा भी -17

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अब आगे
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 उसने चाल को डबल करते हुए 4 हज़ार कर दिया और इस बार अपने अंडरवीयर को पूरा नीचे खिसका कर लंड और टटटे पूरी तरह से उजागर कर दिए काजल के सामने और उनसे रगड़कर उसने हर बार की तरह चाल चली...

अब आलम ये था की राणा काजल के सामने नीचे से लगभग नंगा होकर बैठा था...उसका पठानी लंड अपने पूरे शबाब पर था..लगभग 9 इंच के आस पास...जो केशव से भी बड़ा था...अपने सामने ऐसे खड़े हुए लंड को देखकर काजल तो पागल सी हुई जा रही थी..ऐसा नज़ारा देखने को मिलेगा, उसने तो सोचा भी नही था.

पर साथ ही साथ उसका ध्यान गेम पर भी था...अब इतना तो उसे पता चल ही गया था की सामने से जब डबल चाल आए, इसका मतलब सामने वाले के पास भी बाड़िया पत्ते आए हैं...4 हज़ार की ब्लफ तो नही करेगा कोई...

उसने भी 4 हज़ार नीचे फेंकते हुए शो माँग लिया...

काजल ने पत्ते नीचे रखे...और राणा ने भी अपने पत्ते उसके सामने फेंक दिए..जिन्हे देखकर उसके मन में फिर से एक बार मायूसी छा गयी...वो समझ गयी की राणा अपनी जगह पर सही है...और उसके टोटके उसपर तभी भारी पड़ते हैं जब वो थोड़ा बड़-चड़कर उन्हे करता है...

और इस बार काजल ने भी सोच लिया की उसे क्या करना है..

और जब अगली गेम शुरू हुई तो काजल ने बिना राणा की तरफ देखे, अपनी टी शर्ट के गले की जीप नीचे करी..और ऐसा करते ही उसके दूधिया मुम्मे राणा की भूखी आँखों के सामने प्रकट हो गये..वो किसी दूध के पर्वत की तरह कठोरता लिए हुए कड़क अंदाज में खड़े हुए थे...सिर्फ़ निप्पल को छोड़कर सब सॉफ दिख रहा था राणा को...

काजल ने नोट लिया और उन्हे अपने दूधिया पर्वत पर घिसा...और उसे नीचे फेंक दिया..

राणा को और क्या चाहिए था...वो अपनी तरकीब में कामयाब हो गया था..अब वो इस खेल को एक नये आयाम तक ले जाना चाहता था....


 
राणा तो जैसे इसी पल का वेट कर रहा था...उसने भी अपनी पेंट और अंडरवीयर घुटनो से नीचे खिसका दिया..और हज़ार के नोट को बुरी तरह से घिस कर नीचे फेंक दिया.

काजल के सामने अब राणा का लंड पूरी तरह से नंगा था...उपर से नीचे तक...एकदम कठोर, कुतुब मीनार की तरह खड़ा था वो..काजल की आँखो में उसके लंड को पाने का लालच साफ़ झलक रहा था..राणा भी इस गेम के ज़रिए ज़्यादा देर तक तड़पना नही चाहता था..पर उसे बोले भी तो कैसे बोले...वो कुछ बोलने ही वाला था की नीचे से किसी के उपर आने की आवाज़ आई...

राणा ने झट से अपनी पेंट उपर खींच ली..और काजल ने भी अपनी जीप को बंद कर लिया..


 उपर आने वाला केशव के अलावा कौन हो सकता था..उसके हाथ मे दारू का ग्लास था..शायद राणा और काजल के उपर आते ही नीचे दारू शुरू हो चुकी थी...केशव की हालत देखकर सॉफ लग रहा था की उसे चढ़ चुकी है..

केशव : "कौन जीत रहा है अभी तक....ह्म्*म्म्म''

राणा : "यार केशव...तेरी बहन ने तो मेरी हालत ही खराब कर रखी है...देख ना कितने नोट ले गयी मेरे...''

राणा ने काजल की जाँघ के नीचे दबे नोटों की तरफ इशारा करते हुए कहा..

केशव तो नशे मे था, ये सुनकर वो और मस्ती मे आ गया..और उसने झुक कर काजल को गले से लगा लिया..और उसके चेहरे पर चूम भी लिया : " ये तो मेरी चेम्पियन है...देखना अभी तू...तेरे सारे पैसे लूट लेगी..''

राणा : "मैं तो कब से लुटने के लिए बैठा हू...पता नही कब लूटेगी ये...''

राणा की बात केशव के तो उपर से निकल गयी..पर काजल की तिरछी निगाहों और स्माइल ने सब बयान कर दिया की वो समझ चुकी है की राणा क्या कहना चाहता है..

काजल : "केशव , तुम नीचे जाओ अब...ऐसे डिस्टर्ब करोगे तो मैं इसको लूटूँगी कैसे...''

उसने अपने होंठों को दाँत तले दबाकर कहा..

रसगुल्ले को निचोड़ने से जिस तरह से रस निकलता है, वैसे ही रस टपक गया काजल के होंठों से, जब उसने अपने दाँतों के बीच उन्हे भींचा..

राणा तो उसके रसीले होंठों को चूसने के लिए पागल सा हुआ जा रहा था..और अब तो काजल ने भी लाइन देनी शुरू कर दी थी...पर उसने भी सोच लिया था, अभी तक जैसे चल रहा था, वैसे ही चलने देगा..क्योंकि खेल खेलने में और धीरे-2 बेपर्दा करने मे जो मज़ा उसे मिल रहा था,वो उसे खोना नही चाहता था..

केशव : "ओके ...ओके ...मैं जा रहा हू ....मैं तो बस राणा के लिए ये पेग बना कर लाया था...चीयर्स ...''

और दारू का पेग राणा को देकर केशव नीचे चल दिया..

राणा ने वो पेग एक ही साँस मे पी डाला...एक गर्मी सी उतरती चली गयी उसके सीने के अंदर..और एक झटके में पीने से हल्का सरूर भी एकदम से ही आ गया..


 अपनी नशीली आँखों से काजल को देखते हुए उसने अपनी पेंट एक बार फिर से नीचे खिसका दी..वैसे तो ब्लाइंड चलने की बारी काजल की थी..पर फिर भी उसने एक नोट लिया और थोड़ा सा मुरझा गये लंड को फिर से घिसकर खड़ा कर लिया..

काजल ने भी बड़े ही सेक्सी तरीके से राणा को देखते हुए अपनी टी शर्ट की जीप खोली, पहले की तरह ही उसकी छातियाँ उभरकर बाहर निकल आई..और फिर उसने वो किया जो अभी तक राणा ने सोचा भी नही था..और जिसे देखने के लिए वो ये सब ड्रामा कर रहा था अभी तक...

काजल ने अपना दाँया हाथ अंदर की तरफ घुसेड़ा और अपने बांये मुम्मे को कान से पकड़कर बाहर ले आई..उसके पिंक कलर के निप्पल्स देखकर राणा की आँखे ही चुंधिया गयी...और राणा की आँखो की भूख को देखते-2 काजल ने अपना नोट उसपर रगड़ा और बड़े ही स्टाइल से उसे नीचे लहरा दिया..

और अपने मुम्मे को अंदर करने की भी जहमत नही उठाई काजल ने...उसका एक उभार अब पूरी तरह से नंगा होकर बाहर लटक रहा था..

राणा : "काजल....क्या कमाल के बूब्स है तुम्हारे...मन कर रहा है इन्हे दबोच लू...चूस लू...निचोड़ डालु...''

काजल पर तो पहले से ही ठरक सवार थी...राणा की ऐसी गंदी बातें सुनकर वो और भी ज़्यादा उत्तेजना से भर उठी..

उसने मन ही मन कहा 'तो कर ले ना राणा...रोका किसने है तुझे..'

अब एक लड़की होकर उसने अपनी तरफ से इतना कुछ कर दिया, और कुछ करके वो एक रंडी जैसी नही बनना चाहती थी..

राणा भी उसकी हालत का अंदाज़ा लगाता हुआ अंदर से खुश हो रहा था..अब एक बात तो पक्की थी की वो उसकी चुदाई कर ही लेगा..केशव के उपर आने से पहले राणा अपनी तरफ से पहल करके प्यार का खेल शुरू करना चाहता था..पर अब जब काजल ने खुद ही अपने जिस्म की नुमाइश करनी शुरू कर दी है , इसका मतलब वो भी उतनी ही उतावली है जितना की वो, और एक उतावली लड़की से प्यार करवाने में जो मज़ा मिलता है, वो अपना उतावलापन दिखाकर उसे प्यार करने मे नही है..राणा वैसे भी अपने आप को किसी राजा से कम नही समझता था..वो आराम से लेट कर मज़े लेने वालो में से था, यानी सामने वाली से अपने आप को प्यार करवाकर मज़ा लेने वालो में से...

राणा ने काजल की आशा के अनुसार कुछ नही किया और फिर से अपनी गेम के अंदर घुस गया..हज़ार के दो नोट लिए और उन्हे लंड से मसल कर नीचे फेंक दिया.

काजल थोड़ी हैरान ज़रूर हुई पर फिर ये सोचकर की शायद वो केशव के नीचे बैठे होने की वजह से घबरा रहा है, इसलिए कुछ नही कर रहा ..

काजल : "अब शायद केशव उपर नही आएगा...वो सब पीने मे मस्त हो चुके हैं..''

जैसे वो राणा को ये बताना चाहती हो की कर ले घोंचू , जो भी करना है, केशव नही आने वाला अब उपर..


 राणा भी उसकी बात का मतलब समझ गया, फिर भी उसने बात घुमा दी और बोला : "हाँ ...पर उसका अपना घर है, कभी भी आ सकता है...ऐसे खेल के बीच में डिस्टर्ब नही होना चाहता मैं बार -2...''

काजल समझ नही पा रही थी की उसके मन मे आख़िर चल क्या रहा है...ऐसा भी कोई चूतिया होता है क्या जो एक लड़की के नंगे मुम्मे को देखकर भी अडिग रहे...और वो भी राणा जैसा हरामी, जो उसे देखकर गली में भी छेड़ता था...और अब जब वो खुद उसके सामने ऐसी हालत मे बैठी है, वो साधु बना बैठा है.

काजल ने भी ठान लिया की वो भी रम्भा बनकर इस विश्वामित्र की तपस्या भंग करके दिखाएगी..

पर अब तक बीच मे काफ़ी पैसे इकट्ठे हो चुके थे...और वो ये भी देखना चाहती थी की इस बार उसका टोटका सही काम कर रहा है या नही..इसलिए उसने अपने पत्ते उठा लिए..

उसके पास 5 का पेयर आया था...वो खुश हो गयी...और इसी खुशी मे उसने अपने दूसरे मुम्मे को भी बाहर खींच निकाला और राणा की अदालत के सामने नंगा कर दिया..

अब तो राणा का ईमान बुरी तरह से डोलने लगा..सिर्फ़ गले वाले हिस्से से बाहर निकालने की वजह से उसके दोनो मुम्मे अकड़ से गये थे...और उसे जिप भी चुभ रही थी उनपर..वो कभी इधर से तो कभी उधर से उन्हे सहलाने लगी..

राणा का ध्यान उसके मुम्मों के साथ-2 गेम पर भी था..काजल की तरफ से चाल आती देखकर उसने भी पत्ते उठा लिए..उसके पास चिड़ी का कलर आया था..उसने भी अपने लंड से रगड़कर 4 हज़ार की चाल चल दी..

चाल के उपर चाल आती देखकर काजल डर गयी...अब इतना तो वो समझने ही लगी थी की ऐसी हालत मे गेम किसी की भी हो सकती है...वैसे भी एक पेयर ही तो आया था उसके पास और वो भी काफ़ी बड़ा नही था..इसलिए उसने मन मसोस कर शो माँग लिया..और अपने दोनो मुम्मों से अच्छी तरह से पैसे रगड़ने के बाद उन्हे नीचे फेंक दिया..

उत्तेजना और उपर से लगातार मिल रही रगड़ाई से उसके निप्पल लाल हो चुके थे...और बुरी तरह से अकड़ भी गये थे..काजल को हल्का -2 दर्द भी होने लगा था उनमे..जो किसी के दबाने से ही निकलने वाला था..

काजल ने अपने पत्ते राणा के सामने फेंक दिए..

बीच मे लगभग 30 हज़ार रुपय थे..

राणा ने उसके पत्ते देखे..उसके पत्ते तो बड़े थे ही..इसलिए वो जीत ही चुका था ये गेम ..पर इस समय उसे इन पैसों से ज़्यादा अपने प्लान की चिंता थी...जिसे अपनाकर वो उसे धीरे-2 नंगा कर देना चाहता था..

राणा ने उसके पत्ते देखे और अपने पत्ते बिना उसे दिखाए उल्टे करके वापिस गड्डी में रख दिए और बोला : "ओह्ह्ह्ह .....ये गेम तो तुम जीत गयी...''


 और खुशी से फूली ना समाते हुए काजल ने एक बार और जोरदार चीख मारकर वो सारे पैसे अपनी तरफ खींच लिए..राणा के पत्ते देखने की उसने भी जहमत नही उठाई...उसके मुम्मे बुरी तरह से हिल रहे थे...राणा ने जान बूझकर ये गेम हारी थी..ताकि काजल यही समझे की अपने मुम्मे नंगे करने वाले टोटके की वजह से ही वो ये बाजी जीती है..

राणा (थोड़ा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए) : "तुम अपने टोटके मुझसे ज़्यादा चला रही हो अब...मैं भी देखता हू की अगली गेम तुम कैसे जीतोगी ..''

इतना कहते हुए उसने अपनी पूरी की पूरी पेंट और साथ मे अंडरवीयर भी उतार दिया

अब वो नीचे से नंगा होकर बैठा था काजल के सामने..

काजल ने पत्ते बाँटे और राणा के नंगे बदन को निहारती रही...उसका तो बस मन कर रहा था की टूट पड़े वो राणा के उपर..पर उससे पहले वो उसके बचे हुए पैसों को जीतना चाहती थी...अभी भी राणा के पास लगभग 20 हज़ार रूपए बचे थे...और काजल ने ये सोच लिया था की वो इसी गेम में वो सारे पैसे जीत लेगी..

और उसके बाद वो करेगी सब...जिसे सोचकर ही उसकी चूत से पानी निकले जा रहा है...

पर उससे पहले वो खेल को थोड़ा और गर्म करना चाहती थी..ताकि राणा जो अपनी तरफ से ये ड्रामे कर रहा है, वो बंद कर दे..और उसपर टूट पड़े, इसलिए जैसे ही उसकी ब्लाइंड की बारी आई, उसने अपनी टी शर्ट को उपर उठाया और गले से घुमा कर निकाल फेंका..

अब वो टॉपलेस होकर बैठी थी राणा के सामने...

राणे ने अपने हाथ मे हज़ार का नोट पकड़ा हुआ था, जिसे वो अपने लंड पर घिस रहा था..काजल के टॉपलेस होते ही वो उसकी सुंदरता देखता रह गया...और कब उसके हाथ से नोट निकल कर गिर गया उसे भी पता नही चला..

और वो उसके उपर से नंगे बदन को देखते हुए ज़ोर-2 से मूठ मारने लगा..

काजल भी उसकी हालत देखकर मुस्कुरा दी..

अब खेल सच मे काफ़ी गर्म हो चुका था.




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