Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI भिखारी की हवस-15

FUN-MAZA-MASTI


 भिखारी की हवस-15
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अब आगे
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 भूरे के जाते ही नेहा ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और गंगू के पास पहुँची, नयी नवेली दुल्हन की तरह उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी, वो तो कब से गंगू के वापिस आने की प्रतीक्षा कर रही थी, उसकी चूत गाड़े पानी से भरकर बाहर रिसने को हो रही थी, पर गंगू को ऐसी हालत मे फिर से देखकर वो घबरा गयी, वो समझ गयी की शायद आज भी गंगू उसको संतुष्ट नही करेगा, क्योंकि उसने शराब पी रखी थी, वो अपने होश मे नही था..

पर जिस लड़की के सिर पर चुदाई का भूत सवार हो जाए, वो इतनी जल्दी हार नही मानती, उसने गंगू की पेंट खोलकर उसे नीचे उतार दिया, और उसके अंडरवीयर को भी खींच कर बाहर कर दिया...

गंगू का सोया हुआ अजगर उसकी टाँगो के बीच आराम कर रहा था..उसके देखते ही नेहा की साँसे तेज हो गयी...और उसके हाथ अपने आप ही चूत पर पहुँच गये और वो उसे कुरेदने लगी..अभी लाइट नही आ रही थी, नेहा ने एक लेम्प जलाकर उसको टांगा हुआ था, जिसकी मद्धम रोशनी मे वो नशे मे सोए हुए गंगू को प्यासी नज़रों से देख रही थी..

उसकी उंगलियो ने हरकत की और अगले ही पल उसके ब्लाउस के हुक खुलने शुरू हो गये..अपनी ब्रा को भी उसने नोच कर अपने शरीर से ऐसे अलग किया जैसे उसमे काँटे लगे हो...खुली हवा मे आते ही उसके गोल मटोल उरोजो ने गहरी साँस ली और वो अपनी शेप मे आ गये..उसके निप्पल उबलकर उठ खड़े हुए और उसकी मांसल छातियाँ पहले से कई ज़्यादा बड़ी दिखने लगी..

वो खिसककर गंगू के करीब पहुँची और अपने मुँह से गर्म साँसे छोड़ती हुई वो गंगू की टाँगो के बीच लेट गयी, उसके दोनो मुम्मे उसके घुटनो की कटोरियों पर पिसकर अंदर की तरफ घुस गये..और उसने अपनी लपलपाती हुई जीभ को सीधा लेजाकर गंगू के लंड के उपर रख दिया और उसको नीचे से उपर की तरफ ऐसे चाटना शुरू कर दिया जैसे वो लंड नही कोई आइस्क्रीम हो..

इंसान भले ही होश मे ना हो पर उसके शरीर के साथ जो कुछ भी हो रहा होता है, वो उसका दिमाग़ तुरंत महसूस कर लेता है और उसके अनुसार ही प्रतिक्रिया करता है.. गंगू के साथ भी यही हुआ, वो अपने नशे की दुनिया मे डूबा हुआ था और उसके लंड ने नेहा की गर्म जीभ के साथ मिलकर गाने गाना शुरू कर दिया, एक मिनट के अंदर ही अंदर गंगू का घोड़ा बेलगाम सा होकर नेहा के मुँह मे रेस लगा रहा था..

नेहा बड़े ही चाव से उसके लंड को चूस रही थी, उसको चाट रही थी, अपने होंठों के बीच उसकी बॉल्स को लेकर अपने दांतो से चुभला रही थी..गंगू भी बीच-2 मे कसमसा कर नशे से उभरने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि बेहोशी मे ही सही, उसको ये एहसास हो ही चुका था की उसके लंड को कोई चूस रहा है, और उसके सपनो मे इस वक़्त लच्छो थी, जो उसके लंड को नहाते हुए चूस रही थी..

नेहा ने जल्दी से अपना घाघरा भी उतार कर अपने जिस्म से अलग कर दिया, नीचे उसने कच्छी भी नहीं पहनी थी, जिस वजह से ऐसा लग रहा था जैसे उसकी टाँगो के बीच की टंकी खुली रह गयी है और उसमे से ढेर सारा पानी बहकर बाहर आ रहा है...उसने अपनी चूत से रिस रहे पानी को अपनी हथेली मे भरा और उसको गंगू के लंड से चोपड़ कर उसको चिकना बना दिया और फिर थोड़ा उपर होकर उसने अपनी ब्रेस्ट को उसके लंड के चारों तरफ लपेटा और उसको टिट फक्क करने लगी..ऐसा उसने उस दिन अस्तबल मे रज्जो को करते हुए देखा था..हर बार वो गंगू के उपर निकल रहे लंड के सिरे को चाट लेती और फिर वो उसकी छातियों की गहराई मे खो जाता..

उसकी चूत मे फिर से पानी इकट्ठा होकर बहने लगा..वो घूम कर 69 की पोजिशन मे आ गयी..और जैसे ही उसने अपनी गीली चूत को गंगू के मुँह के उपर रखकर दबाया, गंगू की गर्म जीभ निकलकर उसके अंदर दाखिल हो गयी और वो बड़े ही मज़े से उसे चाटने लगा...

उसके मुँह से एकदम से निकला : "अहह ....... लच्छो ....''

नेहा समझ गयी की वो इस वक़्त उस छोटी लड़की के बारे मे सोच रहा है...और कोई बीबी होती तो उसका अभी के अभी रिमांड ले लेती, पर ये नेहा थी, जो अपनी यादश्त भूलकर ये भी भूल चुकी थी की एक पत्नी की जिंदगी मे किसी दूसरी औरत की बात करना भी कितना बड़ा जुर्म है..पर वो इस वक़्त अपनी ही मस्ती मे डूबकर अपनी चूत चटवा रही थी और उसका लंड चूस रही थी.


 और कुछ देर तक ऐसे ही करते रहने के बाद वो अचानक पलटी और उसने झुककर अपने ही रस मे सने गंगू के चेहरे को बिल्ली की तरह चाटना शुरू कर दिया...और साथ ही साथ उसकी चूत ने भी नीचे होते हुए उसके उबलते हुए लंड को अंदर लेने की तैयारी शुरू कर दी...

और जैसे ही गंगू का लंड नेहा की गर्म चूत से टकराया, नेहा की साँसे एक पल के लिए रुक गयी..और फिर अगले ही पल उसने एक जोरदार झटका देते हुए अपने आप को पूरा का पूरा उसके लंड पर धराशायी करवा दिया और गंगू का रॉकेट उसकी चूत की परतों को भेदता हुआ अंदर तक विलीन हो गया..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म। ''

नेहा के मुंह से एक आनंदमयी सिसकारी निकल गयी

और इसके साथ ही गंगू की आँखे खुल गयी...अब तक तो उसके सपने मे लच्छो ही घूम रही थी, पर ऐसा जोरदार झटका लगते ही उसकी खुली आँखो के सामने एकदम से नेहा का चेहरा झूमता हुआ देखकर वो भी एक पल के लिए सकते मे आ गया...वो सोचने लगा की ये एकदम से कैसे हो गया...अभी कुछ देर पहले तो वो बार मे था...फिर पता नही कहा से लच्छो आ गयी और वो उसके लंड को चूसती रही और अब ये नेहा, जो उसके लंड पर किसी फिल्मी गाने की तरह थिरक रही है...

उसने अपने हाथ उपर करते हुए नेहा के मुम्मे पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए और खुद नीचे से धक्के मारकर उसकी लय से लय मिलाने लगा..

''ओह गंगू...... कितना नशा करते हो तुम भी ...... ये भी नही सोचते की घर पर मैं अकेली हू......तुम्हारे लिए ........चुदने के लिए ......''

नेहा ने बड़े ही प्यार से अपनी शिकायत करते हुए नीचे झुककर फिर से गंगू को चूम लिया...

गंगू ने भी उसके चुम्बन का जवाब अपने ताकतवर धक्को से दिया और अगले दस मिनट तक लगातार आसन बदल-2 कर उसने नेहा की चूत की सारी गर्मी निकाल दी...उसके बाद तो नेहा मे इतनी भी हिम्मत नही बची की वो उठकर अपनी चूत को धोने के लिए चली जाए...गंगू ने लगातार धक्के मारकर उसे करीब 3 बार झाड़ा था..

फिर दोनो ऐसे ही एक दूसरे से नंगे लिपट कर सो गये.

अगली सुबह गंगू और नेहा फिर से नदी पर जाकर नहाए, पर ज़्यादा भीड़ होने की वजह से वो कुछ ज़्यादा नही कर पाए वहां ...और वैसे भी अब उन्हे खुलकर बाहर कुछ भी करने की आवशयक्ता नही थी, नेहा अब खुलकर घर मे ही उससे चुदवा सकती थी. वहां गंगू को लच्छो भी दिखाई दी, पर उसको वो अभी कुछ और दीनो तक तरसाना चाहता था, ताकि आराम से उसकी कच्ची जवानी का मज़ा ले सके.

अब गंगू के सामने फिर से एक समस्या थी, वो अपने सारे पैसे कल जुए मे हार चुका था, और अब उसके पास कुछ भी नही बचा था, वो फिर से अपने फटे पुराने कपड़े पहन कर भीख माँगने के लिए निकल पड़ा..

पूरा दिन घूमते रहने के बाद वो शाम को घर की तरफ चल दिया, आज उसके पास भीख के करीब 160 रुपय आए थे, वो उनसे अपने और नेहा के लिए कुछ खाने के लिए खरीदने लगा..

और खाना लेते हुए वो सोच रहा था की ये भी क्या दिन है, कल तक उसके पास इतने पैसे थे की वो एक-दो महीने तक बिना भीख माँगे आराम से खा-पी सकते थे, पर जुए ने सब गड़बड़ कर दिया...उसने मन ही मन सोच लिया की वो अब कभी भी जुआ नही खेलेगा..

वो अपनी सोच मे डूबा ही हुआ था की पीछे से भूरे ने आकर उसे पुकारा : "अरे गंगू....यार कहा है तू सुबह से...मैं तेरे घर गया था..पर तू पहले ही निकल चुका था..''

गंगू ने उसकी तरफ गुस्से मे देखा, भूरे समझ गया की वो कल वाली बात से नाराज़ है..पर अगले ही पल वो बोला : " अच्छा सुन, तुझे नेहाल भाई ने बुलाया है...चल जल्दी से...वहाँ इक़बाल भाई भी आए हुए हैं, उन्होने बोला है की मैं तुझे लेकर वहाँ जल्दी से पहँचु ''

गंगू की आँखो के सामने फिर से नोटो की गड्डियां तैरने लगी...वो बोला : "पर काम क्या है...''

उसकी रूचि बनते देखकर भूरे बोला : "भाई, ये तो मुझे भी नही बताया उन्होने, पर नेहाल भाई बोले की काफ़ी बड़ा काम है और पैसे भी काफ़ी ज़्यादा मिलेंगे...और ख़ासकर तुझे बुलाया है, कह रहे थे की ऐसा काम गंगू भिखारी ही कर सकता है..''

गंगू ने सोचा की ऐसा क्या काम है जो उसके गुंडों की फौज नही बल्कि वो कर सकता है...वो मन ही मन फिर से अपनी किस्मत को सराहता हुआ भूरे के साथ निकल पड़ा..

पर वो ये नही जानता था की आज जो उसके साथ होने वाला है वो उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल देगा...


 भूरे और गंगू एक कार मे बैठकर शहर के एक 5 स्टार होटल मे पहुँचे, इतना आलीशान होटल था वो की उसके फर्श पर गंगू के पैर भी फिसल रहे थे..वो काफ़ी संभाल-2 कर चल रहा था, भूरे उसको लेकर लिफ्ट से 15वें माले पर गया और एक कमरे के सामने पहुँच कर उसने बेल बजाई..

कुछ ही देर मे दरवाजा खुल गया और दरवाजा खोलने वाले को देखकर उसकी आँखे चमक उठी..


वो मुम्मैथ ख़ान थी..वो भी गंगू को देखकर मुस्कुरा दी...उसकी मोटी-2 छातियों पर लगे निप्पल गंगू को देखने के साथ ही चमकने लगे..शायद उसको भी वो सब एक ही पल मे याद आ गया था, जिसके बारे मे सोचकर गंगू का भी लंड खड़ा हो चुका था, वो बड़ी ही मुश्किल से उसको अपने हाथ से छुपाता हुआ अंदर आ गया.

वो एक आलीशान सुइट था...जिसमे बाहर सोफा लगा हुआ था और अंदर की तरफ 3 बड़े-2 बेडरूम थे..मुम्मेथ ने उन दोनों को सोफे पर बिठाया और खुद अंदर कमरे मे चली गयी.

वहाँ पहले से ही 5 लोग बैठे थे...वो देखने मे काफ़ी ख़तरनाक लग रहे थे..भूरे भी शायद उन्हे नही जानता था, इसलिए वो एक दूसरे से बोल भी नही रहे थे...बस घूर-घूरकर एक दूसरे को देखने मे लगे थे.

थोड़ी ही देर मे मुम्मैथ बाहर आई और उसने गंगू से कहा : "तुम चलो अंदर, बॉस ने बुलाया है ...''

भूरे भी साथ ही उठ खड़ा हुआ तो मुम्मैथ बोली : "तुम यही बैठो...सिर्फ़ गंगू को बुलाया है..''

उसकी बात सुनकर तो भूरे की झाँटे सुलग उठी..ऐसे अपमान की उम्मीद नही थी उसको...और वो भी एक रंडी के हाथों..

पर वो कुछ नही कर सकता था, जलता भुनता सा वो वहीं बैठ गया.

गंगू अंदर गया..वहाँ एक बड़े से सोफे पर इक़बाल और नेहाल बैठे थे..गंगू को अंदर आता देखकर नेहाल भाई बोले : " आजा मेरे शेर....तुझसे मिलने को तो कब से तरस रहा था मैं ...आ जा ...''

नेहाल भाई से पहली बार मे ही अपने को इतना मान मिलता देखकर गंगू भी खुश हो गया...वो लंगड़ाता हुआ आगे आया और दोनो से हाथ मिलाकर वहीं उनके सामने वाले सोफे पर बैठ गया

नेहाल : "गंगू, ये है इक़बाल भाई...जिनके यहाँ से तूने उस दिन माल निकलवाया था..काफ़ी खुश हुए ये तेरे कारनामे से...वो मुम्मैथ भी काफ़ी तारीफ कर रही थी इनसे तेरे काम की...इसलिए ये तुझसे मिलना चाह रहे थे...''

गंगू ने उन्हे देखा...और ना जाने क्यो उसको लगा की उसने इक़बाल भाई को पहले भी कहीं देखा है..भारी भरकम सा शरीर था उनका..रोबीला चेहरा...घनी मूँछे...देखने मे ही गेंगस्टर लगता था वो..काफ़ी सोचने की कोशिश की उसने, पर याद नही आया गंगू को..

इक़बाल बोला : "गंगू, मुझे टाइम और पैसे की उतनी ही कदर है, जितनी सही आदमी की..और तू एक सही आदमी है ,और मेरे पास एक ऐसा काम है जो तू अच्छी तरह से कर सकता है..''

गंगू पूरा ध्यान लगाकर उसकी बातें सुनने लगा..

इक़बाल ने अपनी जेब से हज़ार के नोटो की एक गड्डी निकाली और उसके सामने रख दी...

इक़बाल : "ये तू रख ले अभी...बाद मे और भी दूँगा..''

गंगू की आँखे फैल गई, एक लाख रुपए अपने सामने देख कर..वो बोला : "पर ... काम क्या है..''

इक़बाल : "पिछले महीने मैने एक लड़की खरीदी थी...दुबई से ...बिल्कुल कच्चा माल था वो...कुँवारी..खूबसूरत... और ऐसी ही लड़कियाँ मेरी कमज़ोरी है... पर वो जो थी ना, उस जैसा कोई हो ही नही सकता था... पूरे डेढ़ करोड़ मे खरीदा था उसको..और जब उसको लेकर वापिस इंडिया आया, तो रास्ते में ही वो भाग गयी... बस तब से उसके लिए तड़प रहा हूँ ...''

गंगू समझने की कोशिश करने लगा..वो बोला : "पर इसमे मैं क्या कर सकता हू...ये तो पुलिस का काम है...वो ज़्यादा जल्दी उसको ढूंड सकती है..''

उसकी बात सुनकर नेहाल और इक़बाल दोनो हँसने लगे , नेहाल बोला : "गंगू.... हमारे धंधे मे पुलिस की कोई मदद नही लेता... फिर चाहे वो काम लीगल ही क्यो ना हो... और ये काम तो वैसे भी काफ़ी पेचीदा है... ये लड़की कोई मामूली लड़की नही है...दिल्ली के एक बहुत बड़े घराने की इकलौती लड़की है...जो पता नही कैसे इन दुबई वालो के हत्ते चढ़ गयी...और वहीं से नीलामी मे इक़बाल भाई ने उसको खरीदा...इन्हे तो बाद मे उसकी स्टोरी पता चली थी की वो असल मे है कौन...पर तब तक देर हो चुकी थी..अब माल खरीदा था तो उसका मज़ा लेना भी तो बनता ही था ना..बस फिर क्या था...ये भाई तो रास्ते मे ही शुरू हो गये, अपने होटेल जाने तक का भी वेट नही किया...बस,साली रास्ते से ही भाग गयी....ये रही उसकी फोटो ...''

और नेहाल ने एक फोटो निकाल कर उसके सामने रख दी...जिसे देखते ही गंगू की समझ मे सब आ गया..

ये लड़की और कोई नही नेहा थी...जो उसके साथ उसकी झोपड़ी मे रह रही थी..

गंगू का दिमाग़ तेज़ी से चलने लगा...नेहा जब उसको मिली थी तो काफ़ी सुबह का समय था, शायद वो सीधा एरपोर्ट से ही आ रहे थे...और उस समय वो मोटा आदमी जो उसकी इज़्ज़त लूटने की कोशिश कर रहा था, वो और कोई नही, ये इक़बाल ही था, इसलिए गंगू को उसका चेहरा जाना पहचाना सा लग रहा था..पर शायद इक़बाल उसको नही पहचान पा रहा था,क्योंकि उस वक़्त वो भिखारी के वेश मे था...और अब वो टी शर्ट और जीन्स पहन कर खड़ा था उसके सामने..

ओहो...यानी, जो लड़की इतने दिनों से उसके साथ भिखारी की जिंदगी जी रही है, वो एक उँचे घराने की रईस औलाद है..और जिसकी कच्ची जवानी को चखने के लिए इक़बाल ने डेढ करोड़ रुपय खर्च कर दिए,उसकी जवानी को गंगू ने फ्री मे ही चोद दिया..

पर जो भी हुआ था नेहा के साथ, वो काफ़ी बुरा था..

गंगू ने बड़ी मुश्किल से अपने आप पर कंट्रोल किया की जो उसके मन मे चल रहा है, वो बाहर ना दिखे

वो बोला : "पर इसमें मैं क्या कर सकता हू...''


 इक़बाल : "ये लड़की सेंट्रल मार्केट के पास से गायब हुई थी उस दिन..तू इसके आस पास के इलाक़े को पूरी तरह से छान डाल, तू तो एक भिखारी है,इसलिए हर घर मे जाकर चेक करना तेरे लिए काफ़ी आसान है...मेरे आदमी ये सब नही कर सकते..उनके पीछे तो वैसे भी पुलिस पड़ी है आजकल, इसलिए नये लड़को से काम करवाने पड़ रहे हैं आजकल,तभी तो उस दिन वाला काम भी तुझसे करवाया था भूरे ने..और जब मुझे पता चला की तू पेशे से एक भिखारी है तो मुझे लगा की मेरा ये काम तू ही कर सकता है...इसकी फोटो रख ले...और साथ मे ये फोन और ये पिस्टल भी...''

कहकर इक़बाल ने उसके सामने दोनों चीज़े रख दी..और बोला : "कही भी दिखाई दे तो बस मुझे कॉल कर दियो ..और इसके साथ कोई भी हो तो उसको वहीँ के वहीं टपका दियो ...बाकी मैं संभाल लूँगा..''

वो आगे बोला : "बस, एक बार ये शनाया मिल जाए...''

गंगू : "शनाया ???"

इक़बाल : "हाँ , शनाया, यही इसका नाम है...बस एक बार मिल तो जाए ...साली की ऐसी चुदाई करूँगा की महीने तक हिल भी नही सकेगी बिस्तर से...'' वो अपने लंड को मसलते हुए बोला

गंगू का तो खून ही खोल उठा ये सुनकर....पर फिर उसको आश्चर्य भी हुआ अपने आप पर, की नेहा यानी शनाया के लिए वो इतना पोसेसिव कैसे हो रहा है...उसके सामने एक लाख रूपए पड़े थे..वो अगर चाहता तो अभी के अभी ये बोलकर की वो लड़की तो उसके घर पर ही है,वो और भी रूपए कमा लेता, पर ना जाने क्यो वो अब तक चुप था, और अब इक़बाल की ये बात सुनकर तो वो गुस्से मे भी आ चुका था..पता नही क्या हो रहा था उसको...क्या फील कर रहा था वो इस वक़्त शनाया के बारे में, ये बात उसकी समझ मे नही आ रही थी अभी.

उसका एक मन तो किया की वो मना कर दे...पर अगर उसने मना कर दिया तो ये काम कोई और करेगा...क्या पता भूरे को ही मिल जाए ये काम और वो तो शनाया की फोटो देखते ही पहचान लेगा, और फिर शनाया के साथ-2 उसकी भी खैर नही होगी...वो गहरी सोच मे डूब गया की क्या किया जाए, कैसे निकला जाए इस मुसीबत से..

उसको गहरी सोच मे डूबा देखकर नेहाल बोला : "क्या सोचने लगे गंगू...इतना पैसा कमाने मे तुझे सालों लग जाएँगे...ये कम है तो ये ले, और पैसे ले, पर ये काम जल्द से जल्द कर दे..''

इतना कहते हुए नेहाल भाई ने हज़ार के नोटो की दो और गड्डियां निकाल कर रख दी उसके सामने..यानी अब गंगू के सामने पड़े थे पूरे तीन लाख रूपए ..

गंगू की समझ मे नही आ रहा था की नेहाल क्यो इतनी दिलचस्पी ले रहा है इस काम मे..पर अभी के लिए ज़्यादा सोचना सही नही था, उसने जल्दी से सामने रखा सारा समान अपने थेले मे भरा और बोला : "ठीक है , मैं आज से ही इस काम पर लग जाता हू..''

और वो बाहर निकल आया..

उसका उड़ा हुआ सा चेहरा देखकर बाहर बैठा भूरे बोला : "क्या हुआ गंगू...क्या काम बोले अंदर ..बोल ना..''

पर वो कुछ नही बोला, वो बाहर निकल ही रहे थे की मुम्मेथ ख़ान ने गंगू को इशारे से अपने पास बुलाया, वो भूरे को बाहर जाने का इशारा करके उसके पास गया, बाकी के सभी लोग काफ़ी दूर बैठे थे, मुम्मेथ फुसफुसा कर बोली : "अगली बार कब मिलेगा...जब से तूने वो चुदाई की है, सच मे किसी का भी लेने मे मज़ा नही आता...''

गंगू के माइंड मे अचानक एक आइडिया आया...वो बोला : "तुम अपना नंबर दे दो...मैं बात करके जल्द ही मिलता हू..''

उसने जल्दी से अपना नंबर एक पेपर टिश्यू पेपर पर लिखकर उसको दे दिया, और गंगू बाहर निकल आया..

भूरे ने लाख कोशिश कर ली, पर गंगू ने उसको बाद मे कुछ नही बताया की अंदर क्या काम मिला है..

वो अच्छी तरह से जानता था की जिस दिन भूरे को ये सब पता चल गया, उसी दिन शनाया इक़बाल के नीचे पहुँच जाएगी...और ये बात सुनकर की वो इतने दिनों से गंगू के साथ ही थी, और उस दिन भी उसको बचाने वाला गंगू ही था, वो उसको भी मार डालेंगे...

अब तो उसकी जान का फंदा बन चुकी थी ये शनाया ...उसको इक़बाल से बचाकर रखने मे ही उसकी भी भलाई थी...वो अब किसी भी कीमत पर शनाया को नही खोना चाहता था...पर वो ऐसा क्यो करना चाहता था, इसका जवाब उसको नही मिल रहा था.

अब उसके पास तीन लाख रुपए और एक रिवॉल्वर थी..एक बार तो उसके मन मे आया की शनाया को लेकर वो दूसरे शहर मे चला जाए..पर ये डर भी था की अगर इक़बाल के लोगो ने उसको वहाँ भी ढूंड लिया तो दोनो का क्या हश्र होगा..भागने वालो के लिए तो पूरी दुनिया छोटी पड़ जाती है..

गंगू को ध्यान आया की इक़बाल ने बताया था की वो दिल्ली के एक बड़े घर की लड़की है...तो ज़रूर उसके घर वालो ने कोई ना कोई इश्तिहार दिया होगा...अख़बारो में ..या कंप्लेंट कराई होगी...वहां से उसके बारे मे पता चल सकता है...और फिर उसको वापिस घर भेजकर वो उसकी जान बचा सकता है...और पुलिस को इक़बाल और नेहाल के बारे में बताकर अपना पीछा भी छुड़वा सकता है..

पर ये सब सोचने मे ही आसान लग रहा था, वो सब होगा कैसे..

पर सबसे पहले तो ये जानना था की इक़बाल के साथ-2 नेहाल भी क्यो इतना उतावला हो रहा था शनाया का पता जानने के लिए..और इसका पता सिर्फ़ एक इंसान ही लगा सकता है..

उसने जल्दी से अपना वो मोबाइल फोन निकाला जो इक़बाल ने दिया था और मुममेथ ख़ान का नंबर लगाया..

गंगू : "हेलो....मैं गंगू बोल रहा हू ...''






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