Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI एक भाई ऐसा भी -15

FUN-MAZA-MASTI

 एक भाई ऐसा भी -15

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अब आगे
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अब तो राणा किसी भी तरह काजल को इंप्रेस करना चाहता था...उसने जीवन के कान में बोल दिया की अब वो बिना उसकी हेल्प के खेलेगा...क्योंकि ये बात वो भी जानता था की जब जीवन उसकी हेल्प नही करता तो वो हारता ही है...और काजल के हाथो हारकर वो उसे खुश करना चाहता था और इंप्रेस भी..

जीवन समझ गया की राणा बावला हो गया है लोंडिया देखकर...पर वो कर भी क्या सकता था...उसके पैसे तो थे नही जो वो चिंता करता..वो आराम से पीछे होकर बैठ गया और खेल देखने लगा.

अगली गेम शुरू हुई.

सबने बूट के 100-100 रुपए बीच मे डाल दिए..सबसे पहली ब्लाइंड चलने की बारी राणा की ही आई, उसने ब्लाइंड के लिए सीधा 500 रुपय बीच मे फेंक दिए..

गणेश की तो पहले से ही फटी पड़ी थी..उसने अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास 2,3,5 आया था...यानी सबसे छोटे और बेकार पत्ते..उसने अपना माथा पीट लिया और पत्ते नीचे फेंक दिए..

अब बिल्लू की बारी थी, उसने भी ब्लाइंड के 500 नीचे फेंक दिए..

काजल तो जैसे जानती ही थी की वो ही जीतेगी, उसने ब्लाइंड को डबल करते हुए 1000 रुपए बीच में फेंक दिए..इतनी दरियादिली तो जीवन ने भी किसी में नही देखी थी..राणा भी रैरान सा होकर रह गया, वो समझ रहे थे की वो अपनी नादानी मे ऐसे 1000 की ब्लाइंड खेल गयी...पर राणा भी पीछे रहने वालो से नही था...उसे तो काजल को वैसे भी इंप्रेस करना था..इसलिए उसने भी ब्लाइंड को .डबल करते हुए 2000 बीच में फेंक दिए..

और इन दोनो के बीच बेचारा बिल्लू फँस कर रह गया...2000 की ब्लाइंड चलने का उसे शोंक कोई नही था..उसने झट से पत्ते उठा लिए..और उन्हे देखते ही उसके दिल की धड़कन तेज हो गयी..उसके पास सीक़वेंस आया था..8,9,10.

उसने अपनी खुशी को चेहरे पर नही आने दिया, और कुछ सोचने के बाद 4000 की चाल चल दी.

बिल्ली जैसे बंदे की तरफ से चाल आती देखकर केशव समझ गया की उसके पास ज़रूर बढ़िया पत्ते ही आए होंगे..उसने काजल को पत्ते उठाने के लिए कहा..पहले तो काजल ने मना कर दिया, क्योंकि वो कल से एक भी गेम नही हारी थी..और उसे विश्वास था की ये गेम भी वही जीतेगी..पर केशव के ज़िद करने के बाद उसने पत्ते उठा लिए.

राणा की नज़रें गेम से ज़्यादा काजल का शरीर नापने मे लगी थी...वो उसके हर अंग को अपनी आँखों से चोद रहा था...अपने होंठों पर जीभ फिराता हुआ राणा भूखी नज़रों से काजल को घूरे जा रहा था..वो सोचने लगा की काश इस वक़्त काजल बिना कपड़ों के उसके सामने बैठी होती , वो तो अपनी सारी दौलत लुटा देता उसके उपर..

वैसे भी बिना ब्रा के वो लगभग नंगी हालत मे ही थी...क्योंकि काफ़ी गोर से देखने पर उसके उभारों के उपर हल्के-2 भूरे रंग के निप्पल सॉफ दिखाई दे रहे थे...पर शायद इस बात का काजल और केशव को एहसास नही था, क्योंकि पास से देखने मे कुछ नही दिख रहा था, दूर बैठे राणा को वो साफ़ दिख रहा था, शायद कपड़े के रंग की वजह से ऐसा था. वैसे एक बात और भी है, ऐसे ठरकी लोगों को अंदर तक का सामान दिख ही जाता है, लड़कियां कितना भी छुपाना चाहे, ठरकी लड़के उनके कपड़े भेदकर सब पता लगा लेते हैं, और यहाँ तो काजल खुल्लम खुला सब दिखती हुई सी बैठी थी , वो भला कैसे बच पाती रना की चुदासी भरी नजरों से

और इधर केशव और काजल भी अपनी खुशी कंट्रोल नही कर पा रहे थे...उनके पास पत्ते आए ही ऐसे थे..केशव तो पुराना खिलाड़ी था, इसलिए उसने खुशी के भाव चेहरे पर नही आने दिए, पर काजल के चेहरे की चमक बता रही थी की इस बार भी उसका जलवा चलने वाला है..

केशव ने भी 4000 की चाल चल दी..


 अब राणा को भी पत्ते उठाने ही पड़े, क्योंकि जिसके लिए वो पैसे लूटा रहा था वो तो खुद ही चाल चल बैठी थी.

उसने अपने पत्ते देखे...और जीवन को भी दिखाए...भले ही उसने पहले उसकी हेल्प लेने से मना कर दिया था, पर २-२ चाल आने के बाद उसने जीवन की सलाह लेनी ही उचित समझी , पत्ते तो उनके पास अच्छे ही आए थे...कुछ देर सोचने के बाद जीवन ने उसे चाल चलने के लिए कहा...शायद ये सोचकर की काजल के पास कुछ खास नही होगा..और ना ही बिल्लू के पास...

यहाँ राणा एक बार फिर से काजल को इंप्रेस करने के चक्कर मे चाल को डबल करते हुए 8000 पर ले गया, अब बारी फिर से बिल्लू की थी...उसके पास पत्ते तो काफ़ी जबरदस्त थे, पर एक प्राब्लम भी थी...वो आज के लिए सिर्फ़ 30 हज़ार रुपय ही लाया था घर से...अगर ऐसी 2-3 चाले और चलनी पड़ी तो वो आगे खेल ही नही पाएगा..पर फिर भी एक चाल और चलनी तो बनती ही थी...ये सोचकर की शायद सामने से कोई पीछे हट जाए और वो दूसरे से शो माँग ले, ऐसे मे जितने भी आ जाएँ, वही बहुत है.

पर हर जुवारी यहीं ग़लती कर देता है और हारता चला जाता है.

काजल की बारी आते ही केशव ने बिना किसी झिझक के 8 हज़ार निकाल कर नीचे फेंक दिए.

और इस बार राणा ने चाल डबल नही की, पर चाल ज़रूर चल दी 8 हज़ार की..

अब तो बिल्लू का दिल धड़कने लगा...पत्ते तो उसके पास अच्छे ही थे...और जेब मे सिर्फ़ 16-17 हज़ार के आस पास बचे थे..

उसने मन को कड़ा करते हुए एक निर्णय लिया और 16000 बीच मे फेंकते हुए दोनो से शो माँग ली..

अब उसकी जेब मे कुछ भी नही बचा था...पर अंदर से उसे विश्वास था की वही जीतेगा..

अपने पत्ते बिल्लू ने नीचे फेंक दिए...और राणा की तरफ देखा...

राणा ने भी अपने पत्ते सामने रख दिए, उसके पास इक्के का कलर आया था...पर सीक्वेंस के आगे वो भी बेकार थे...बिल्लू खुश हो गया.

अब बारी थी काजल की..पर बिल्लू के पत्तो को देखने के बाद वो थोड़ी कन्फ्यूज़ थी..और वो किसलिए थी, वो भी जल्द ही पता चल गया..क्योंकि उसने जब अपने पत्ते सामने फेंके तो उसके पास भी सीक़वेंस था...और वो भी सेम टू सेम बिल्लू जैसा 8,9,10.

काजल तो ज़्यादा नही जानती थी खेल के बारे मे की ऐसी स्थिति मे क्या होता है..पर उन जुआरियों को वो पता था, और दोनो तरफ के पत्ते देखने के बाद जीवन एकदम से बोला : "ये बाजी काजल की हुई...उसके पास हुक्म का 10 है..''

और ये सही भी था...सेम पत्तो मे जब बाजी फँस जाती है तो सबसे बड़े पत्ते को देखा जाता है, जिसके पास हुक्म का आ जाए, वही जीत जाता है...

बिल्लू को तो विश्वास ही नही हो रहा था की उसकी किस्मत इतनी खराब भी हो सकती है, पहली बार ढंग के पत्ते आए और वो भी क्लैश कर गये काजल के साथ..और अंत मे वो जीत भी गयी...

करीब 45 हज़ार जीत गयी थी काजल एक ही झटके में .

वो तो खुशी से चिल्ला ही उठी...और सारे पैसे अपनी तरफ करते हुए उसके निप्पल्स भी पहले से ज़्यादा उभरकर बाहर आ चुके थे...और ये देखकर राणा बड़ा ही खुश हुआ..जैसे उसके सारे पैसे वसूल हो गये हो..राणा ने ये भी नोट किया की पैसे देखकर काजल कितनी खुश है..वो सोचने लगा की क्या पैसे देकर वो उसकी चूत भी ले सकता है..

पहली गेम ही इतनी मोटी हो गयी थी की आने वाली गेम्स मे क्या होगा ये सभी सोचने लगे..

पर बिल्लू की हालत खराब थी..वो अपने सारे पैसे हार चुका था, उसने केशव से कुछ पैसे उधार माँगे, क्योंकि उन दोनो मे पहले भी उधार चलता रहता था, और केशव वैसे भी काफ़ी माल जीत चुका था, इसलिए उसने बिल्लू को आगे खेलने के लिए 20 हज़ार रुपय उधार दे दिए.

एक बार फिर से गेम शुरू हुई...पर शुरू होने से पहले ही बिल्लू बोला : "देखो भाइयों, मेरे पास तो ज़्यादा पैसे है नही...इसलिए रिक्वेस्ट है की मोटी गेम मत खेलो...ब्लाइंड भी 500 से ज़्यादा नही और चाल भी 1000 से ज़्यादा नही...''

उसकी बात सुनकर गणेश भी बोल पड़ा : "सही कहा बिल्लू....मेरे पास भी ज़्यादा माल नही है...ऐसे तो हम आधे घंटे में ही खाली होकर बैठ जाएँगे..आज तो पूरी रात का प्रोग्राम है ना..''

केशव तो मोटा माल जीत चुका था, इसलिए उसने आपत्ति उठाई : "अरे नही, ऐसा कैसे होगा...जिसकी जितनी मर्ज़ी होगी, वो उतना खेलेगा...''

और राणा ने भी उसका साथ दिया..वो बोला : "सही कहा केशव....ऐसे छोटी गेम में मज़ा ही नही आता...

तभी काजल बीच मे बोल पड़ी : "मेरे पास एक प्लान है...जो बड़ी ग़मे खेलना चाहते हैं, वो अलग खेले और जो छोटी खेलना चाहते हैं, वो अलग...''

उसकी बात सभी को जाच गयी...अब बड़ी गेम खेलने वालो में सिर्फ़ काजल और राणा ही थे...और उनके निकल जाने के बाद पीछे सिर्फ़ गणेश और बिल्लू ही बचते थे..क्योंकि जीवन और केशव तो सिर्फ़ साथ देने के लिए बैठे थे..

पर केशव का दिमाग़ बड़ी तेज़ी से चल रहा था...वो अच्छी तरह से जानता था की उसकी बहन को तो कोई हरा ही नही सकता...एक पर्सेंट शायद हो भी सकता है की वो हार जाए अगर राणा के साथ जीवन रहा तो...इसलिए राणा और जीवन को अलग करना ज़रूरी था...पर ऐसा क्या किया जाए की दोनो अलग हो जाए... और वो ये अच्छी तरह से जानता था की अगर काजल और राणा अकेले खेलेंगे तो काजल ही जीतेगी..

केशव अचानक से बोला : "एक काम करते हैं, मैं भी इस छोटे वाले ग्रुप में खेलता हूँ ...और जीवन तुम भी आ जाओ यहीं पर, तुम भी अपना हाथ आजमाओ...''

अपने ग्रूप मे शामिल करके वो जीवन और राणा की जुगलबंदी को तोड़ना चाहता था..जीवन ने इसलिए कुछ नही बोला क्योंकि वो जानता था की जुआ खेलकर वो जीतगा ही...और राणा इसलिए नही बोला की काजल के साथ अकेले में खेलने का मौका जो मिल रहा था उसको..

वो दोनो केशव की बात सुनकर खुश हो गये..

पर बिल्लू और गणेश को ये सब सही नही लगा...वो भी तो काजल के साथ खेलना चाहते थे...पर वो भी कुछ नही बोल पाए, क्योंकि छोटी गेम खेलने की बात तो उन्होने ही शुरू की थी, काजल के साथ खेलना है तो जेब मे माल होना चाहिए..वरना केशव और जीवन के साथ ही खेलो..

राणा और काजल सोफे से उठ खड़े हुए...

केशव ने अब ऐसी बात बोली जिसे सुनकर राणा की तो बाँछे ही खिल उठी...और बिल्लू और गणेश की रही सही मुस्कान भी जाती रही ..

केशव : "काजल, तुम एक काम करो...यहाँ ज़्यादा जगह तो है नही...तुम और राणा उपर मेरे कमरे में चले जाओ...वहाँ आराम से खेलना...हम लोग नीचे खेलते हैं...''

काजल को भी विश्वास नही हुआ की उसका भाई ऐसे क्यों बोल रहा है...लेकिन बात तो सही थी, नीचे के छोटे से कमरे मे ज़्यादा जगह तो थी नही...सिर्फ़ एक फाइव सीटर सोफा ही बिछा था..और बाकी की जगह पर टीवी ट्रॉल्ली, अलमारी और एक बड़ा सा शो केस रखा था

पर केशव ने ये बात इसलिए भी बोली थी की उन सभी के सामने अगर वो दोनो खेलेंगे, और बीच-2 मे अगर जीवन ने राणा की मदद करने की कोशिश की तो प्राब्लम हो जाएगी...इसलिए केशव नही चाहता था की वो वहाँ बैठकर खेले...जबकि अपनी जवान बहन को राणा जैसे ठरकी के साथ उपर भेजना काफ़ी ख़तरनाक था..पर ये सोचकर की वो भला उनके नीचे रहते क्या कर पायेगा , उसने उन्हे उपर जाने का आदेश दे डाला ..

काजल को कोई प्राब्लम नही थी...वो तो इतने पैसे जीतने के बाद हवा मे उड़ रही थी...और काजल के साथ उपर अकेले में खेलने के बारे में सोचकर राणा भी उसी हवा मे उसकी बगल मे उड़ रहा था..

काजल अपनी गांड मटकाती हुई उपर की तरफ चल दी...

और उसकी महीन नाईटी में थरक रही नंगी गांड को देखते -2 राणा भी सम्मोहित सा होकर उसके पीछे उपर चल दिया..





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