Monday, December 1, 2014

FUN-MAZA-MASTI एक भाई ऐसा भी -13

FUN-MAZA-MASTI

 एक भाई ऐसा भी -13

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अब आगे
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 काजल ने आख़िरी वक़्त मे सारिका के सिर को पकड़कर उपर खींच लिया और उसके रस से भीगे होंठों को पकड़कर अपने मुँह मे दबोच लिया...

और सारिका ने अपनी उंगलियों को अपने होंठों की जगह लगाकर काजल की चूत को मसलना जारी रखा..

और सारिका के होंठों को चूस्टे हुए, उसकी उंगलियों को अपनी चूत पर महसूस करते हुए काजल बुरी तरह से झड़ने लगी..



उसकी चूत में से देसी घी निकलकर सारिका की उंगलियों को भिगो गया..

और काजल निढाल सी होकर उस स्लेब से नीचे आ गयी...और सोफे पर धम्म से जाकर बैठ गयी...

पर उसे मालूम था की अब उसे सारिका को भी ऐसा ही एहसास देकर झाड़ना होगा...उसने साथ बैठी सारिका को पकड़कर उसकी चूत में अपनी 2-3 उंगलियाँ पेल दी और बिना किसी वॉर्निंग के अंदर बाहर करने लगी..

सारिका भी सोफे पर लेट सी गयी....और उसने काजल के गले मे हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया...केशव तो दूर बैठा उन्हे ऐसा करते हुए देख रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे उन दोनो के बीच रेसलिंग हो रही है...



काजल ने सारिका को घोड़ी बनाया और उसकी चूत को पीछे से चाटने लगी...साथ ही साथ वो अपनी जीभ से उसकी गांद के छेद को भी कुरेद रही थी...ये काम केशव ने भी कई बार किया था उसके साथ..पर आज काजल के द्वारा ऐसा करना उसे उससे भी ज़्यादा पसंद आ रहा था..


और फिर वही हुआ, जिसके लिए इतनी मेहनत की जा रही थी...सारिका एक बार फिर झड़ने लगी...अपनी सहेली के मुँह के अंदर ही उसने अपना सारा जूस निकाल दिया...

''अहह ........ ओह माय गॉड ................. काजल .................. यू आर अमेजिंग ............... आई एम लविंग इट ....''

और उसके मुँह के उपर अपनी गद्देदार गांड रगदकर उसने बचा खुचा रस उसके चेहरे पर मल दिया...

दोनो के चेहरे पर एक अजीब सी खुशी थी..

दोनो एक दूसरे को चूमने लगी..और चेहरे और होंठों पर लगे रस का पता भी नही चला की कहाँ चला गया...दोनो के चेहरे ऐसे चमक रहे थे जैसे किसी ब्यूटी पार्लर से होकर आई हो..

और उन दोनो के दमकते चेहरे देखकर केशव के लंड का खून दुगनी तेज़ी से दौड़ने लगा ..

और दोनो सहेलियो ने भी आँखो -2 में इशारा करके एक दूसरे का ध्यान केशव के हिनकते लंड की तरफ खींचा...

और फिर दोनो मुस्कुराती हुई सी केशव की तरफ चल दी..

ऐसे ही...

नंगियाँ ...


 केशव समझ गया की अब वो पल आ गया है जिसका उसे कब से इंतजार था...यानी काजल की चुदाई का.

वो अपने लंड को मसल-2 कर काजल की लश्कारे मार रही चूत को देखे जा रहा था..वो फूल कर डबलरोटी जैसी हो गयी थी..और गोर से देखने पर पता चला की वो थिरक भी रही है...जैसे एक अलग से दिल धड़क रहा हो उसकी चूत के अंदर..

वो दोनो जैसे ही केशव के बेड के पास पहुँची, मैन गेट की घंटी ज़ोर से बजने लगी

टिंग टोंग ......................... टिंग टोंग ................... टिंग टोंग

कोई बाहर खड़ा होकर लगातार घंटी बजाए जा रहा था..और केशव की तो झाँटे सुलग उठी घंटी की आवाज़ सुनकर

''अब कौन आ मरा...अपनी माँ चुदवाने ....''

ये शायद पहली बार था जब ऐसी गाली केशव ने दी थी...काजल के सामने..

उसने काजल को इशारा करके खिड़की खोलकर बाहर झाँकने को कहा, जहाँ से देखा जा सकता था की बाहर कौन है..वो तो नंगी थी...फिर भी अपने भाई की बात मान कर उसने धीरे से खिड़की खोली और थोड़ा सा खोल कर बाहर झाँका, बाहर केशव का दोस्त बिल्लू था

काजल : "बिल्लू है बाहर...ये इस वक़्त क्या करने आ गया...''

इस बीच सारिका भी शायद समझ चुकी थी की अब ये खेल यहीं ख़त्म करना पड़ेगा..इसलिए उसने तो अपने कपड़े समेट कर पहनने भी शुरू कर दिए थे..

केशव झल्लाता हुआ उठा और अपनी टी शर्ट पहन कर उसने पूरी खिड़की खोल दी और बाहर झाँक कर बोला : "बोल बिल्लू .... क्या काम है ..''

बिल्लू ने उपर देखा और बोला : "केशव भाई...जल्दी से दरवाजा खोलो...एक बहुत ज़रूरी बात करनी है...''

केशव (गुस्से में ) : "यार...शाम को तो मिल ही रहे हैं ना...तभी कर लेंगे...अभी मुझे सोने दे...''

वो किसी भी तरह उसे टरका देना चाहता था...क्योंकि इस वक़्त तो उसके सामने अपनी बहन की कुँवारी चूत घूम रही थी..

बिल्लू : "नही भाई...शाम को नही...अभी...शाम को राणा भी होगा ना यहाँ ...उसके बारे में ही बात करनी है...''

अब केशव का भी दिमाग़ ठनका ...ये राणा के लिए क्या बात करना चाहता है...उसको लेकर तो वो खुद कल रात से कितने प्लान बना रहा था...उसके जैसे बंदे से जुआ जीतने में कितना मजा मिलेगा, वो सब स्कीमें बना रहा था वो कल से..

केशव : "अच्छा रुक जा...मैं अभी आता हू...''

और इतना कहकर उसने खिड़की बंद कर दी...सारिका अपने कपड़े पहन चुकी थी और वो काजल के सूट की जीप को पीछे से बंद करने मे उसकी हेल्प कर रही थी..

काजल (नाराज़गी भरे स्वर मे) : "क्या केशव....तुम भी ना, उसको भगा नही सकते थे क्या...इतना सही सरूर बन चुका था ...साला एन टाइम पर आ टपका...''

केशव : "यार दीदी .... गुस्सा तो मुझे भी आ रहा है...पर अब मैं भी क्या करू...कोई ज़रूरी बात करनी है उसे...शाम के जुए के बारे में ...हम तो अब ये काम कभी भी कर लेंगे..''

काजल : "ओहो .... तब तो जाकर सुन ही लो .... शायद कोई काम की बात करने आया हो...और रही बात मेरी, तो मैने आज तक इतने साल वेट ही तो किया है...कुछ देर और सही...''

वो अपनी चूत को मसलते हुए बोली..

जुए के बारे मे दोनो भाई-बहन को ऐसे बात करते देखकर सारिका चोंक गयी और बोली : "जुआ .... इसका मतलब आजकल यहाँ जुआ चल रहा है....और ये काजल इसमे इतना इंटरस्ट क्यो ले रही है...''

केशव : "ये सिर्फ़ इंटरस्ट ही नही ले रही, बल्कि खेलती भी है...समझी....मैं नीचे चलता हू ,बाकी की कहानी तुम्हे दीदी सुना देगी.....''

और काजल वो सब सारिका को बताने लगी जिसे सुनकर सारिका हैरान होती चली गयी...और उन दोनो को वहीं बाते करता छोड़कर केशव नीचे आ गया और दरवाजा खोल दिया


 बिल्लू अंदर आकर सोफे पर बैठ गया.

केशव : "बोल बिल्लू , क्या बोलना चाहता है...''

बिल्लू : "केशव भाई..ये राणा साला बड़ा चालू हो गया है आजकल...''

केशव : "कैसे ....''

बिल्लू : "भाई...आप तो जानते ही हो, उसके पास पैसे की कमी तो है नही...पर साले को खेलना भी नही आता, ये भी वो जान ही चुका है...इसलिए आजकल जब भी वो खेलता है तो अपने साथ जीवन को रखता है...और जीवन के बारे मे तो आप जानते ही हो भाई, वो साला एक नंबर का जुवारी है...बड़े-2 केसिनो में जाकर जुआ खेलता है और हमेशा जीत कर ही आता है...और इसलिए उसको कोई भी अपने अड्डे पर या केसिनो में आकर खेलने नही देता..क्योंकि कोई भी उसके साथ खेलना नही चाहता..''

जीवन के साथ भी केशव कई बार खेल चुका था...उसकी किस्मत कह लो या हाथ की सफाई, वो कभी भी हारकर गेम से नही उठता था..और अब राणा के साथ जीवन का रहना सच में मुसीबत वाली बात थी..

केशव : "पर ऐसे कोई अपने साथ किसी को लाकर खेल नही खेल सकता...''

बिल्लू : "भाई, मैने भी यही बोला था राणा को, की अगर आना है तो अकेले आना, किसी को साथ मे लेकर जुआ खेलने का कोई रूल नही है अपनी गेंग मे..पर भाई, काजल और आप भी तो ऐसे हो, इसलिए मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया ''

केशव : "फिर, क्या बोला वो हरामी...''

बिल्लू : "बोलना क्या था भाई...सॉफ माना कर दिया...बोला, मेरे को चूतिया बना कर आजतक जीतने लोगो ने मेरा पैसा जीतना था वो जीत लिया...अब मेरे साथ खेलना है तो जीवन मेरे साथ रहेगा...जमता है तो बोलो...वरना रहने दो..''

केशव : "वो साला इतना अकलमंद लगता तो नही है....इसमे ज़रूर जीवन का कुछ किया धरा होगा...वरना उसे क्या पड़ी थी की अपने साथ जीवन को लेकर घूमता...''

बिल्लू : "भाई, आप समझे नही...राणा ने जीवन के साथ 50-50 की पार्टनरशिप कर रखी है...जो भी जीत का माल होगा, उसमे से दोनो मिलकर शेयर करेंगे...अब जीवन को जितना भी मिल रहा है, उसके लिए बहुत है...वैसे भी उसके साथ कोई जुआ नही खेलता..और दूसरी तरफ राणा के लिए भी फायदे का सौदा है...सुना है जब से उसने जीवन को साथ मे लिया है, वो हारा नही है अब तक...हमेशा जीतकर ही निकला है...अब पैसे जाने से अच्छा तो आने लगे है उसके पास...उसे भी ये पार्टनरशिप सही लग रही है...''

केशव गहरी सोच मे डूब गया..

केशव : "तो तू क्या चाहता है अब...''

बिल्लू (धीरे से) : "देखो भाई....मै यहाँ सिर्फ़ एक बात बोलने आया हू...अगर आप कहो तो राणा को हाँ बोल दू ..अगर ऐसा हो जाता है तो वो जीवन के साथ आएगा और वो दोनो मिलकर बैठेंगे..ऐसे मे अगर हम दोनो भी मिलकर खेले...मतलब दूसरो के लिए हम अलग ही होंगे...पर आपस मे हमारी भी पार्टनरशिप होगी...तो हम दोनो मिलकर उसे और गणेश को भी आसानी से हरा सकते हैं...''

केशव ने सोचा, ये साला मेरे साथ पार्टनरशिप की बातें कर रहा है..ये इतना भी नही जानता की उसके साथ काजल है, और उसकी किस्मत में तो हारना लिखा भी नही है..

पर अच्छी से अच्छी किस्मत भी साथ नही देती अगर जीवन हाथ की सफाई दिखाकर जुआ खेलने पर आ गया..ऐसे मे पार्टनरशिप करके कम से कम नुकसान झेलना पड़ेगा..

काफ़ी देर तक सोचने के बाद केशव बोला : "मुझे लगता है तू सही कह रहा है...हमे भी पार्टनरशिप कर लेनी चाहिए...''

इतना कहकर उसने बिल्लू से हाथ मिलाया और कुछ और बाते करके बिल्लू चला गया..

और जब बिल्लू बाहर जा रहा था तो उपर से सारिका और काजल नीचे उतर रही थी...उन दोनो को एक साथ देखकर उसके लंड में खुजली सी होने लगी..वो वहीं रुक गया और उपर से नीचे आ रही काजल और सारिका के उछलते हुए मुम्मे देखकर ठंडी आहें भरने लगा.

बिल्लू : "अरे वाह काजल ...लगता है पुरानी सहेलियो में फिर से दोस्ती हो गयी है...अच्छी जोड़ी लग रही है तुम दोनो की...''

उसकी ठरकी नज़रों को सारिका अच्छी तरह से पहचानती थी..क्योंकि वो बात तो काजल से कर रहा था पर उसकी नज़रें उसकी छातियों पर थी...और उसके उभरे हुए निप्पल्स देख कर वो उत्तेजित हो रहा था...शायद काजल जल्दबाज़ी मे बिना ब्रा के नीचे आ गयी थी..

अब सारिका को क्या पता था की बिना ब्रा के तो वो पिछले 2 दीनो से घूम रही है बिल्लू और गणेश के सामने..

काजल : "अब नज़र मत लगाओ हमारी दोस्ती को तुम....''

और इतना कहती हुई वो उसकी बगल से निकल कर अंदर की तरफ चल दी.

और जब सारिका बिल्लू के पास से निकलने लगी तो बिल्लू फुसफुसाकर बोला : "भर गयी हो पहले से ज़्यादा...''

ऐसी फब्तियाँ तो वो कई बार कस चुका था उसके उपर, जब भी वो गली से निकलती थी...पर वो तब भी उसको कुछ नही बोल पाती थी और ना ही अब बोल पाई..


 इसका ये मतलब नही था की वो डरती थी..बल्कि अंदर ही अंदर उसको ये सब अच्छा लगता था..अब हर लड़की तो खुलकर नही बोल पाती ना की उसे भी ये छेड़छाड़ पसंद है...बस मुँह फिरा कर आगे निकल जाती...और अपने पीछे घूमने वाले छिछोरे लड़को में एक और नाम शामिल कर लेती..

बिल्लू के जाने के कुछ देर बाद सारिका भी चली गयी...वैसे भी उसको काफ़ी देर हो चुकी थी.




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