Wednesday, November 12, 2014

FUN-MAZA-MASTI बदलाव के बीज--60

 FUN-MAZA-MASTI
 बदलाव के बीज--60


 भौजी: Don’t yo tell me that your “little princess” ordered all this?

मैं: mmm… As a matter of fact she did!

भौजी गुस्से में मुंह बना के मुझे देखने लगती हैं|

मैं: Oh Come on Yaar…. It’s nothing! Just a Veg Biryani, Makhni Dal, Shahi Paneer and Rumali Rotis.

भौजी: आप ना..... (भौजी कहते-कहते रुक गईं और मुझसे रूठ गईं)

मैंने नेहा को गोद से उतार और बाथरूम में हाथ धोने भेज दिया| फिर मैं उनके पास गया और घुटनों पे बैठ के उनके चेहरे को ऊपर किया और होठों पे kiss किया| तब जाके उनका गुस्सा शांत हुआ|

भौजी: अब कितने पैसे बचे हैं आपके पास?

मैं: काफी हैं!!!

भौजी: एक-दो दिन रुकने के लिए काफी हैं?

मैं: (पूरा आत्मविश्वास दिखाते हुए कहा) हाँ!

जबकि ऐसा नहीं था| मेरे पास सिर्फ ३००/- बचे थे| ५००/- का किराया और ३००/- का खाना-पीना| कुछ मेरे पास पहले से भी थे! इतने में नेहा बहार आ गई और हम खाने के लिए सोफे पे बैठ गए|

मैं: मैं नीचे अंकल से पूछ रहा था की बहार हालात कैसे हैं? उन्होंने बताया की अभी कुछ शान्ति है पर इस समय कोई टैक्सी या जीप नहीं मिलेगी| साथ ही साथ मैंने पिताजी को फ़ोन भी कर दिया|

भौजी: क्या बात हुई पिताजी से?

मैं: उन्हें साड़ी बात बताई और वो कह रहे थे की तुम लोग रुके कहाँ हो? तो मैंने उन्हें ये बताया की हम धर्मशाला में ठहरे हैं| दो कमरे बुक हैं, एक मेरा और एक आपका और नेहा का|

भौजी: अच्छा किया जो आपने फोन करके बता दिया| अब कम से कम घर में कोई चिंता तो नहीं करेगा|

फिर खाना शुरू हुआ...मैं नेहा को खिला रहा था और भौजी मुझे| खान-खाते खाते नौ बज गए और थोड़ी देर बाद बैरा भी आ गया बर्तन लेने| मैंने उसे फिर से टिप दी और कुछ लाने को भी कहा, वो ख़ुशी-ख़ुशी चला गया| भौजी ने मुझे उससे खुसुर-फुसुर करते देख लिया था|

भौजी: क्या कह रहे थे आप उससे?

मैं: कुछ नहीं|

भौजी: जूठ.... बताओ अब क्या मंगाया है आपने?

मैं: कुछ नहीं बाबा!

आधे घंटे बाद वो बैरा तीन ग्लास गर्म दूध ले आया जो मैंने रिसीव किया और दरवाजा लॉक अकरके बैठ गया|

भौजी: आपको पता है ना मैं दूध नहीं पीती?

मैं: हाँ... पर फिर मैं आपको जैसे-तैसे पिला भी तो देता हूँ|

भौजी: ना.... आपने भी मुझे उस दिन एक Kiss के लिए बहुत तड़पाया था ना?

मैं: ठीक है... मैं भी नहीं पियूँगा|

भौजी: तो मंगाया क्यों?

मैं: ताकि हम दोनों पी सकें|

भौजी: अच्छा बाबा...आप जीते.... मैं हारी!

तब जाके उन्होंने वो दूध पिया|


दूध पीने के बाद मैंने नेहा को अपनी गोद में लिया और उसे सुलाने के लिए कहानी सुनाई| भौजी भी मेरे पास ही बैठी थीं और मेरे कंधे पी सर रख के कहानी सुनने लगीं| कहानी सुनते-सुनते नेहा सो गई, फिर मैंने उसे सोफे पी ठीक से लिटाया और एक चादर ओढ़ा दी क्योंकि AC ओन था| तबतक भौजी उठ के अपने कपडे उतार रहीं थी| अब हमारे पास कपडे तो थे नहीं बदलने को...क्योंकि वो बैग पिताजी के पास रह गया था|भौजी अपनी साडी उतार रहीं थी और मैं खड़ा उन्हें देख रहा था| तभी भौजी ने नजर उठा के मेरी ओर देखा और कहा;

भौजी: क्या देख रहे हो?

मैं: कुछ नहीं....

भौजी: लो आप ही उतार दो| (ऐसा कहते हुए उन्होंने साडी का एक कोना मेरी ओर बढ़ा दिया)

मैं: ना...आप ही उतारो|

भौजी ने साडी बड़ी अदा के साथ उतारी और उसे तहा के अलमारी में रख दिया| अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी| मुझे लगा की वो ऐसे ही सोयेंगी पर देखते ही देखते वो अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगीं, और ब्लाउज भी उतार के साडी के साथ रख दिया| मेरे सामने भौजी ब्रा और पेटीकोट में थीं| बहुत ही कामुक दृश्य था और उस एक पल के लिए मैं साड़ी चिंताएं भूल गया|

भौजी: आप ऐसे ही सोने वाले हो?

मैं: नहीं....

मैंने भी अपनी टी-शर्ट उतारी और जीन्स उतार के पलंग पी रख दी| ये मेरी बहुत बुरी आदत है की मैं अपने कपडे जहाँ-तहँ फेक देता हूँ| भौजी ने वो कपडे उठाये और तहा ने लगीं| इसी बीच में बाथरूम चला गया| जब मैं बाथरूम से निकला तो कमरे में बस एक लाल रंग का जीरो वाट का बल्ब जल रहा था और भौजी बिस्तर पी मेरी ओर करवट लेके लेटीं थीं और उन्होंने चादर ओढ़ रखी थी|

मैं: ठण्ड लग रही है तो AC बंद कर दूँ?

भौजी: नहीं... कपडे कम पहने हैं ना इसलिए...चलने दो!

मैं कच्छे और बनियान पहने था... तो मैंने AC थोड़ा धीमे कर दिए और मैं भी चादर के अंदर घुस गया| एक चादर के अंदर मैं और भौजी वो भी बस अपने inner garments में! वाओ!
मैं भी भौजी की ओर करवट लेके लेट गया पर उन्हें जरा भी स्पर्श नहीं किया| मेरे हाथ अपनी जगह थे| भौजी ने अपना हाथ उठा के मेरी कमर पे रखा, और तब मैंने भी अपना हाथ उठा के उनकी कमर पे रखा| दोनों की धड़कनें तेज होने लगीं थी...!!! हम दोनों प्यासी नजरों से एक दूसरे को देख रहे थे और बस मन कर रहा था की टूट पड़ो! मैंने ही पहल की और अपने होठों को उनके करीब लाया ओर उनकी आँखों में देखते हुए उनकी सहमति माँगी| जिसे उन्होंने बड़े प्यार से अपनी नजरें झुका कर दे दिया| मैंने उनके होठों को अपने होठों से छुआ और धीरे से उनके नीचले होंठ को अपने मुंह में suck कर लिया और उसे चूसने लगा| भौजी ने अपना हाथ मेरी कमर से हटा के मेरे सर के बालों में घुसा दिया और उँगलियाँ फिराने लगीं| मैंने अपने मुंह को थोड़ा और खोला और उनके दोनों होठों को मुंह में भर कर चूसने लगा| अब भौजी ने भी सहयोग देना शुरू कर दिया|उनकी तरफ से मिल रहे सहयोग के चलते मैंने उनके होठों को छोड़ दिया और उन्होंने अब अपनी जीभ मेरे मुख में प्रवेश करा दी| मैंने भी अपनी जिह्वा को खुला छोड़ दिया और मेरी जीभ उनकी जीभ से खेलने लगी| भौजी ने अपना हाथ मेरे बालों से हटा के मेरी बनियान के अंदर डाल दिया और अब मेरा भी मन कर रहा था की मैं खुद को Unleash कर दूँ उन पर.........| पांच मिनट के Smooch के बाद मैं उनके ऊपर आ गया|


मैंने उनकी ब्रा में हाथ डाला और उनके स्तनों को दबाने लगा| भौजी ने हाथ घुमा के अपनी ब्रा के हूकों को खोल दिया और मैंने बड़े प्यार से उसे खींच के उनसे अलग कर दिया| भौजी के स्तन एकदम नंगे मेरे सामने थे और मैंने उन पे अपने दाँत गड़ा दिए| भौजी सिसिया उठीं;

मैं: प्लीज आवाज मत करो.... नेहा जग जाएगी!

भौजी: आपने मेरे तन बदन में आग लगा दी है| अब ये आवाजें कैसे रोकूँ? स्स्स्स्स्स्स ....अह्ह्हह्ह !!!

मैंने सोचा बीटा तुहे ही थोड़ा आराम से करना होगा वरना इनकी आवाज से एह जाग जर्रूर जाएगी| मैंने थोड़े धीरे से भौजी के स्तन को दांतों से दबाया और चूसने लगा| भौजी मेरे सर को अपने स्तनों पे दबा रहीं थीं और मैं बारी-बारी से उनके स्तनों का पान कर रहा था| भौजी की धड़कनें बहुत तेज हो चलीं थीं और उनकी सांसें भी तेज होने लगीं थीं| मैंने उनके स्तनों को छोड़ा और धीरे-धीरे उन्हें Kiss करते हुए नीचे बढ़ा और उनके पेटीकोट के ऊपर आकर रूक गे| पेटीकोट का नाड़ा मैंने अपने दातों से खोला और उसे उतार के नीचे फेंक दिया| अब मुझे भौजी की पेंटी दिखी... पहले तो मैंने उस उँगलियों से छू के देखा...वो गीली हो चुकी थी|

मैं: You’re already Wet!

भौजी: You made me….

उनके चेहरे को देख के साफ़ लग रह था की उनके अंदर किस तरह की आग भड़की हुई है| मैंने उनकी पेंटी भी उतार फेंकी और उनकी योनि पे टूट पड़ा| दोनों हाथों के अंगूठों की मदद से मैंने उनकी योनि के द्वारों को खोला और अपनी जीभ अंदर डाल दी| उनकी योनि अंदर से रस से भर इहइ थी और मैं बड़े प्यार से उस रास को चाट रहा था| जितना चाटता उतना ही और निकलता...जैसे अंतहीन रस का भण्डार था| जब वो भाव नहीं रुका तो मैंने अपनी जीभ से उनकी योनि के द्वारों को अपनी जीभ से बारी-बारी से चूसना और कुरेदना शुरू कर दिया| अब तो जैस वो रस बहार आने को आमादा था और बहार की ओर रिसने लगा| मैंने उसकी एक भी बूँद बर्बाद नहीं की और चाटता रहा| फिर भी भौजी की तड़प शांत नहीं हुई...मैंने अपनी जीभ को उनकी योनि में पुनः प्रवेश कराया और जैसे लंड अंदर-बहार करते हैं, उसी प्रकार जीभ को भी अंदर-बहार करने लगा| भौजी कसमसाने लगीं और उनका शरीर कमान की तरह तन गया| मतलब भौजी झड़ने वालीं थीं| मैंने ये चुसाई जारी रखी और आगे दो मिनटों में भौजी के मुंह से; "आन्न्न्ह्ह्ह !!! स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स" की आवाज निकली और वो झड़ गईं, उनका सारा रस मेरे मुंह में समां गया| जब वो शांत हुईं तब मैंने अपना मुंह उनकी योनि से हटाया| मेरे मुंह से उनकी योनि से नबिक्ले रस का एक तार लटक रहा था! भौजी ने गपक के उसे अपने मुंह में भर लिया और मुझे अपने ऊपर खींच लिया| मैंने उनके माथे पे Kiss किया ताकि अभी-अभी जिस तूफ़ान ने उनके अंदर खलबली मचाई थी वो शांत हो जाए| करीब पांच मिनट बाद वो सामान्य हुईं और मैंने उनके गालों को चूमा|
 


 मैं: Are you comfortable?

भौजी ने हाँ में सर हिलाया|उन्होंने उठने की कोशिश, शायद वो चाहतीं थी की वो मेरे ऊपर आएं, पर मैंने उन्हें हिलने नहीं दिया|

मैं: क्या हुआ?

भौजी: अब मेरी बारी... (मतलब अब वह मेरा चूसना चाहतीं थीं)

मैं: नहीं.... अभी नहीं!

मैं उनके ऊपर ही पड़ा रहा और उनहीं बेतहाशा kiss करने लगा| वो भी मेरी Kiss का जवाब Kiss से ही दे रहीं थीं| जब मैं रुकता तो वो मेरे गालों को अपने मुंह में भर के काट लेतीं... कभी चूसतीं ... मेरा लंड में आई अकड़न अब मेरा बुरा हाल कर रही थी| लंड का उभार अब उन्हें भी अपनी योनि पे चुभने लगा था| उन्होंने एक हाथ नीचे ले जाके मेरे लंड पे रख दिया और उसे दबाने लगीं| मेरे मुंह से "आह!" निकली और वो समझ गेन की लंड पे पड़ रहे कच्छे का दबाव मुझे दर्द दे रहा है|

भौजी: आपके "उस" पर दबाव ज्यादा है| अपने inner garments उतार क्यों नहीं देते?
(भौजी ने "उस" कहते समय अपनी आँखों से नीचे की तरफ इशारा किया था|)

मैं: मुझे लगा आप उतारोगे!

भौजी मुस्कुरा दीं और मेरी बनियान उतार के नीचे फेंक दी| फिर उन्होंने मेरा कच्छा उतारना चाहा परन्तु उतार नहीं पाईं मैंने स्वयं कच्छे को थोड़ा नीचे सरकाया और फिर उन्होंने उसे अपनी लात के जोर से नीचे धकेला और फिर मैंने थड़ा सहयोग दिया और वो भी उतर के नीचे जा गिरा| अब मैं फिर से उनकी आँखों में झाँकने लगा...शायद उनकी अनुमति चाहता था| भौजी क्या समझीं ये नहीं जानता पर उन्होंने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ के दिशा दी और मैंने धीरे से Push किया और लंड उनकी योनि में प्रवेश कर गया| भौजी ने अपनी गर्दन को पीछे की और खींचा जैसे की कोई सख्त गर्म चीज उनकी योनि में उतर गई हो और "स्स्सह्ह्ह अह्ह्हह्ह" के साथ अपने अंदर उठ रहे तूफ़ान को दर्शाया| इधर मेरा हाल भी कुछ ऐसा ही था... उनकी योनि अंदर से धधक रही भट्टी जैसी थी,,,जिसके ताप ने मेरे लंड में रक्त का प्रवाह बढ़ा दिया था| मैंने धीरे-धीरे लंड को अंदर-भीतर करना शुरू किया| एक बार में मैं केवल आधा ही अंदर जा रहा था और भौजी सिसिया रहीं थीं|

भौजी: आपने पूरा अंदर नहीं किया ना?

मैं: नहीं...

भौजी: क्यों?

मैं: आप और जोर से चिलओगे!

भौजी: नहीं चिलाउंगी... प्लीज !!!

अब उनकी बात मैं कैसे टाल सकता था| पर मैं उन्हें कष्ट नहीं देना चाहता था, इसलिए मैने धीरे-धीरे लंड को अंदर Push करना शुरू कर दिया| चूँकि योनि अंदर से गीली थी इसलिए लंड बिना किसी अड़चन के अंदर फिसल रह था परन्तु जैसे ही समूचा लंड अंदर गया भौजी की आँखें खुली की खुली रह गईं| उनके मुंह से "आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म.....स्स्स्सआःह्ह्ह्ह्ह" जैसी आवाज निकलने लगीं|

मैं: Am I hurting you?

भौजी ने ना में सर हिलाया| मुझे लगा शायद वो इसे इंजॉय कर रहीं हैं और उस आनंद के कारन उनके मुँह से सिस्कारियां छूट रहीं हैं, और अब तो मुझे भी मजा आने लगा था, तो मैंने मौजों में बहते हुए अपनी रफ़्तार बढ़ा दीं| अब तो भौजी की आवाज में MOANING की आवाज आने लगी| मन ने कहा की उन्हें बहुत ननद आ रहा है, तू ब्रेक मत लगा| इसलिए मैं बिना रुके धक्के मारता रहा| जैसे ही मैं अंदर डालता तो भौजी का शरीर कमान की तरह उठने लगता, और निकालते ही वो वापस अपनी मुद्रा में लेट जातीं| रफ़्तार बढ़ चुकी थी और मैं अब चरमोत्कर्ष पे पहुँचने वाला था| उधर भौजी तो झड़ चुकीं थीं और मेरी छाती पे हाथ रख के मुझे रोकना चाह रहीं थीं पर मैं फिर भी Push करने में लगा हुआ था| आखिर एक जोर दार बिस्फोट के साथ मेरा वीर्य उनके गर्भ में समाता चला गया| जैसे ही वीर्य की आखरी बूँद उनके अंदर छूटी मैं उनसे अलग हो कर लेट गया| दोनों की सांसें तेज थीं और शरीर भी थका हुआ था| करीब पांच मिनट बाद धड़कनें और सांसें सामान्य हुईं|









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