Sunday, November 9, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--40

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--40

अब आगे
**********

 रश्मि (शरमाते हुए) : "क्या देख रहे हो...?"

विक्की की ज़ुबान पर तो जैसे कोई ताला लग गया था...वो बोलता भी तो क्या.

रश्मि : "सब कुछ तो देख चुके हो उस दिन...आज कुछ अलग थोड़े ही है...और वैसे भी, अभी तो ये ढके हुए हैं...उस दिन तो तुमने इन्हे बिना कपड़ो के देखा था...''

विक्की : "उस दिन तो अंधेरा था आंटी...पर आज....आज दिन के उजाले में और वो भी पानी से भीगे हुए....ऐसे लग रहे हैं ये जैसे ...जैसे...पानी मे आग उतार दी हो आपने...''

रश्मि उसकी बात सुनकर शरमा गयी....अभी तक दोनो एक दूसरे से चिपक कर खड़े हुए थे..

काव्या बीच पानी में सोच रही थी की काश उसके पास उसका मोबाइल होता इस समय...दोनो की पिक खींच लेती वो..पर वो तो कमरे मे ही रह गया.

विक्की का मन तो ऐसे ही चिपक कर खड़े रहने का कर रहा था...पर वो काव्या के सामने ऐसा नही करना चाहता था...वो काव्या की तरफ चल दिया...तैरते हुए वो काव्या के पास पहुँचा और एक ही झटके मे उसकी गोल ट्यूब को उलट दिया और वो फिर से गहरे पानी मे गोते लगाने लगी..

विक्की ठहाके मारकर हँसने लगा...किनारे पर खड़ी रश्मि भी अपनी बेटी को ऐसे डूबते देखकर घबरा सी गयी...पर अगले ही पल विक्की ने काव्या को एक हाथ से पकड़ा और किनारे की तरफ तैरने लगा...

काव्या को गुस्सा तो बहुत आया पर वो कुछ बोलकर माहौल बिगाड़ना नही चाहती थी...

रश्मि : "ऐसे मत करो विक्की...देखो ना, बेचारी की क्या हालत हो गयी है...''

विक्की : "अरे यहाँ सब मज़े लेने के लिए आते हैं...आप भी मज़े लो...''

अब तक उसे ये तो पता चल ही चुका था की दोनो में से किसी को भी तैरना नही आता...

और अब उसे इसी बात का फायदा उठाना था.


काव्या और रश्मि दोनो की हँसी एकदम से गायब हो गयी...और काव्या के शरीर ने तो एक कंपन के साथ अपनी उत्तेजना का संकेत भी दे डाला..वो भले ही लाख कोशिश कर रही थी विक्की के स्पर्श को इग्नोर करने की , पर वो ऐसा कर ही ना पाई..और अचानक उसे अपनी नाभि के 6 इंच नीचे कुछ जलन सी महसूस हुई...एकदम से खुजली सी होने लगी...ऐसा लगा की उसने वहाँ खुज़ाया नही तो पता नही उसके साथ क्या हो जाएगा...वो तड़प सी उठी..और उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए पानी के अंदर डाल दिया..और बीच मे उसका हाथ विक्की के हाथ से टकरा गया..और पता नही क्या चल रहा था उसके दिमाग़ मे, उसने विक्की के हाथ को भी खींचते हुए अपने साथ लिया और नीचे लेजाकर छोड़ दिया...ठीक अपनी पानी मे सुलग रही चूत के आगे..और विक्की की परवाह किए बगैर उसने अपनी पेंटी मे उंगलियाँ घुसेड़ी और बड़ी ही बेदर्दी से बाहर उभरे हुए चूत के होंठों को मसल दिया..

''आआआआआआआआअह्ह्ह्ह्ह , उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ,स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ''

आस पास के लोगो का शोर और पानी की आवाज़ मे उसकी सिसकारी दब कर रह गयी...पर विक्की ने सुन ही ली ...वो तो पहले से ही समझ गया था की वो क्या करना चाहती है...पर देखना चाहता था की उसके सामने ही वो ऐसा दुस्साहस कर पाती है या नही...पर उसने कर दिया..

विक्की को शरारत सूझी , उसने काव्या का हाथ पकड़कर वापिस बाहर निकाला और उसे सामने के पाइप को पकड़ने को कहा, वो बोला : "ऐसा मत करो काव्या...पानी मे बेलेंस बना कर रखना ज़रूरी है...दोनो हाथों से पकड़ो ये पाइप ...''

और अब सिर्फ़ उसका हाथ था अंदर पानी में ...ठीक उसकी चूत के सामने..ठंडे पानी में भी उसे चूत की भभक महसूस हो रही थी...उसकी चूत के आस पास का पानी हल्का गुनगुना सा था...

और दूसरी तरफ, विक्की के ऐसा करने से काव्या की तड़प और भी बढ़ चुकी थी...अपनी चूत को मसलकर एक पल के लिए तो उसे आराम मिला था, पर अगले ही पल वो आराम फिर से जलन मे तब्दील हो गया...और इसी मौके की तलाश मे था विक्की...उसने अपना हाथ उपर करते हुए सीधा उसकी चूत को हल्के से छू दिया...बस..यही वो पल था जब काव्या अपना मिशन विशन भूल कर अपने पूरे भार के साथ उसके हाथ पर लेट सी गयी..उसके चेहरे पर एक संतुष्टि का भाव साफ़ नज़र आ रहा था..क्योंकि काव्या की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलने के साथ ही उसने अपने पंजे मे उसकी भरंवा चूत को ज़ोर से पकड़कर मसल दिया था...ऐसी ताक़त से अपनी चूत पर दबाव महसूस करना काव्या के लिए किसी सूनामी के झटके जैसा था...उसका पूरा शरीर पानी मे हिचकोले सा खाने लगा..

और विक्की ने अपना दूसरा हाथ भी धीरे-2 नीचे करते हुए रश्मि की चूत तक पहुँचा दिया...रश्मि से डरने की तो कोई ज़रूरत ही नही थी उसे...वो तो खुद कब से विक्की के लंड को लेने को आतुर थी...और उसकी ऐसी हरकतों का तो वो इंतजार ही कर रही थी...और विक्की के हाथ को नीचे पहुचने से पहले ही रश्मि थोड़ा और उपर खिसक आई और खुद ही उसके हाथ पर अपनी चूत दे मारी...

एक और गर्म चूत का एहसास मिलते ही विक्की का लंड तो बाहर निकलने को तड़पने सा लगा...

पर वो ऐसा कर नही सकता था...उसके दोनो हाथ तो बिज़ी थे...उसने और आगे चलने की सोची...और अगले ही पल उसने दोनो की पेंटीस एक साथ नीचे खिसका दी...और अपनी बीच वाली उंगली दोनो की चूत के अंदर खिसका दी.

विक्की की हरकत से उन दोनो को ही कोई परेशानी नही हुई...पर कोई उन्हे देख तो नही रहा , ये सोचकर रश्मि और काव्या दोनो ही आस पास देखने लगी...और ये देखकर की वहाँ मोजूद हर कोई अपने ग्रूप या साथी मे ही मस्त है, दोनो ने एक दूसरे की तरफ भी देखा..दोनो की ही आँखो मे गुलाबीपन था..चेहरे पर चमक थी..पर शायद ये नही जानती थी की दोनो की चूत में एक ही बंदे की उंगली थी..अभी तक तो दोनो यही समझ रही थी की सिर्फ़ उसकी ही चूत से वो मज़े ले रहा है...इसलिए एक दूसरे से आँखे चुराते हुए वो सामने की तरफ देखने लगे..

 और फिर कुछ सोचकर विक्की बोला : "ऐसे तो मज़ा भी नही आएगा...चलो तुम्हे तैरना ही सीखा देता हू...आप दोनो एक काम करो...वो साइड मे लगा पाइप पकड़ लो..उल्टे होकर...और अपने शरीर को पानी मे ढीला छोड़ दो..तैरने दो...और पीछे से अपने पैर चलाओ...''

उसकी बात सुनकर रश्मि तो एकदम से अपनी बड़ी सी गांड पानी मे उभार कर उल्टी लेट गयी...पर काव्या अभी भी सकुचा रही थी.

विक्की : "काव्या....तुम अगर ऐसे ही मुँह लटका कर रही तो यहाँ रुकने का कोई फायदा नही है...चलो चलते है घर...''

विक्की जानता था की काव्या का कोई ना कोई मोटिव तो ज़रूर है , जिसके लिए वो इतनी आसानी से यहाँ आने के लिए तैयार हो गयी है...और ऐसे वापिस जाने की धमकी सुनकर वो ज़रूर तैरना सीखने के लिए तैयार हो जाएगी..

और हुआ भी ऐसा ही..विक्की के ऐसा कहने की देर थी की काव्या बोल पड़ी : "अरे नही विक्की....ऐसी कोई बात नही है...मैं एंजाय तो कर रही हू...चलो आओ...सिख़ाओ मुझे तैरना...''

इतना कहकर वो भी अपनी माँ के साइड मे जाकर उल्टी हो गयी और अपना शरीर पानी में छोड़ दिया..

विक्की को तो सुनाई दिया 'चलो आओ...सिख़ाओ मुझे चुदाई करना..'

और विक्की की आँखो के सामने तो वो सीन भी आ गया, जिसमे वो पानी के अंदर ही अंदर काव्या को पूरा नंगा करके बुरी तरह से चोद रहा था..


अब विक्की बीच मे खड़ा था और उसके अगल-बगल दोनो माँ बेटियों की भरी हुई गांड और चिकनी सपाट पीठ थी...दोनो ही एक दूसरे को मात दे रही थी..रश्मि की गांड चौड़ी और फेली हुई होने के साथ -2 आकर्षक थी..पर काव्या की छोटी होने के बावजूद काफ़ी बाहर निकली हुई और बिल्कुल कसी हुई सी थी...जैसे कोई हवा भरा हुआ बेलून ..पिन मारते ही फट जाए..इतनी टाइट थी उसकी गांड ..

दोनो माँ बेटियाँ पानी मे पैर मारकर पानी उछाल रही थी...और हंस भी रही थी..

विक्की के हाथ हरकत मे आ गये...उसने अपने हाथों को दोनो के पेट के नीचे लगा कर दोनो को सपोर्ट दिया..ताकि उनके शरीर पानी मे उपर तैरते रहे...और जान बूझकर उसने दोनो की नाभि मे अपनी उंगली डाल दी..और घुमाने भी लगा..जिसकी वजह से एक-2 सूत करके उसकी उंगली अंदर घुसने लगी...


 काव्या और रश्मि दोनो की हँसी एकदम से गायब हो गयी...और काव्या के शरीर ने तो एक कंपन के साथ अपनी उत्तेजना का संकेत भी दे डाला..वो भले ही लाख कोशिश कर रही थी विक्की के स्पर्श को इग्नोर करने की , पर वो ऐसा कर ही ना पाई..और अचानक उसे अपनी नाभि के 6 इंच नीचे कुछ जलन सी महसूस हुई...एकदम से खुजली सी होने लगी...ऐसा लगा की उसने वहाँ खुज़ाया नही तो पता नही उसके साथ क्या हो जाएगा...वो तड़प सी उठी..और उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए पानी के अंदर डाल दिया..और बीच मे उसका हाथ विक्की के हाथ से टकरा गया..और पता नही क्या चल रहा था उसके दिमाग़ मे, उसने विक्की के हाथ को भी खींचते हुए अपने साथ लिया और नीचे लेजाकर छोड़ दिया...ठीक अपनी पानी मे सुलग रही चूत के आगे..और विक्की की परवाह किए बगैर उसने अपनी पेंटी मे उंगलियाँ घुसेड़ी और बड़ी ही बेदर्दी से बाहर उभरे हुए चूत के होंठों को मसल दिया..

''आआआआआआआआअह्ह्ह्ह्ह , उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ,स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ''

आस पास के लोगो का शोर और पानी की आवाज़ मे उसकी सिसकारी दब कर रह गयी...पर विक्की ने सुन ही ली ...वो तो पहले से ही समझ गया था की वो क्या करना चाहती है...पर देखना चाहता था की उसके सामने ही वो ऐसा दुस्साहस कर पाती है या नही...पर उसने कर दिया..

विक्की को शरारत सूझी , उसने काव्या का हाथ पकड़कर वापिस बाहर निकाला और उसे सामने के पाइप को पकड़ने को कहा, वो बोला : "ऐसा मत करो काव्या...पानी मे बेलेंस बना कर रखना ज़रूरी है...दोनो हाथों से पकड़ो ये पाइप ...''

और अब सिर्फ़ उसका हाथ था अंदर पानी में ...ठीक उसकी चूत के सामने..ठंडे पानी में भी उसे चूत की भभक महसूस हो रही थी...उसकी चूत के आस पास का पानी हल्का गुनगुना सा था...

और दूसरी तरफ, विक्की के ऐसा करने से काव्या की तड़प और भी बढ़ चुकी थी...अपनी चूत को मसलकर एक पल के लिए तो उसे आराम मिला था, पर अगले ही पल वो आराम फिर से जलन मे तब्दील हो गया...और इसी मौके की तलाश मे था विक्की...उसने अपना हाथ उपर करते हुए सीधा उसकी चूत को हल्के से छू दिया...बस..यही वो पल था जब काव्या अपना मिशन विशन भूल कर अपने पूरे भार के साथ उसके हाथ पर लेट सी गयी..उसके चेहरे पर एक संतुष्टि का भाव साफ़ नज़र आ रहा था..क्योंकि काव्या की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलने के साथ ही उसने अपने पंजे मे उसकी भरंवा चूत को ज़ोर से पकड़कर मसल दिया था...ऐसी ताक़त से अपनी चूत पर दबाव महसूस करना काव्या के लिए किसी सूनामी के झटके जैसा था...उसका पूरा शरीर पानी मे हिचकोले सा खाने लगा..

और विक्की ने अपना दूसरा हाथ भी धीरे-2 नीचे करते हुए रश्मि की चूत तक पहुँचा दिया...रश्मि से डरने की तो कोई ज़रूरत ही नही थी उसे...वो तो खुद कब से विक्की के लंड को लेने को आतुर थी...और उसकी ऐसी हरकतों का तो वो इंतजार ही कर रही थी...और विक्की के हाथ को नीचे पहुचने से पहले ही रश्मि थोड़ा और उपर खिसक आई और खुद ही उसके हाथ पर अपनी चूत दे मारी...

एक और गर्म चूत का एहसास मिलते ही विक्की का लंड तो बाहर निकलने को तड़पने सा लगा...

पर वो ऐसा कर नही सकता था...उसके दोनो हाथ तो बिज़ी थे...उसने और आगे चलने की सोची...और अगले ही पल उसने दोनो की पेंटीस एक साथ नीचे खिसका दी...और अपनी बीच वाली उंगली दोनो की चूत के अंदर खिसका दी.

विक्की की हरकत से उन दोनो को ही कोई परेशानी नही हुई...पर कोई उन्हे देख तो नही रहा , ये सोचकर रश्मि और काव्या दोनो ही आस पास देखने लगी...और ये देखकर की वहाँ मोजूद हर कोई अपने ग्रूप या साथी मे ही मस्त है, दोनो ने एक दूसरे की तरफ भी देखा..दोनो की ही आँखो मे गुलाबीपन था..चेहरे पर चमक थी..पर शायद ये नही जानती थी की दोनो की चूत में एक ही बंदे की उंगली थी..अभी तक तो दोनो यही समझ रही थी की सिर्फ़ उसकी ही चूत से वो मज़े ले रहा है...इसलिए एक दूसरे से आँखे चुराते हुए वो सामने की तरफ देखने लगे..



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