Saturday, November 22, 2014

FUN-MAZA-MASTI एक भाई ऐसा भी -3

FUN-MAZA-MASTI

 एक भाई ऐसा भी -3

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अब आगे
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काजल : "प्लान....? कैसा प्लान...और किसलिए.."

केशव : "देखो दीदी...आजकल दीवाली का टाइम है..और इस टाइम सभी लोग जुआ खेलते हैं...वैसे जुआ खेलने वाले तो पूरा साल खेलते हैं पर इन दिनों और भी ज़्यादा और बड़ी-2 गेम्स होती है ...और इसलिए वो कल में इतने पैसे जीत कर लाया था...''

काजल : "हाँ ...तो ..? "

केशव : "तो अगर हम लोग ये जुआ खेले...मेरा मतलब है की तुम...तो शायद काफ़ी पैसे आ सकते हैं...मेरे जितने भी दोस्त है वो सब खेलने वाले हैं...उनके साथ खेलेंगे..और मुझे पूरा विश्वास है की आप ही जीतोगे ..आप देख रहे हो ना, किस तरह के पत्ते आते हैं हर बार आपके पास...''

काजल का तो दिमाग़ ही घूम गया उसकी बात सुनकर..

काजल : "तू पागल हो गया है....तू चाहता है की में तेरी तरह जुआ खेलूं ..और वो भी तेरे उन आवारा दोस्तों के साथ...तुझे शर्म नही आएगी की तेरी बहन बाहर जाकर जुआ खेले...कभी सुना है तूने की कोई लड़की जुआ खेलती है...तुझे पता भी है की कितनी बदनामी होगी हमारी...''

बोलते-2 उसकी आवाज़ काफ़ी तेज हो गयी थी गुस्से की वजह से.

केशव आराम से सब सुनता रहा और आख़िर मे बोला : "दीदी....सबसे पहले तो ये ख्याल मन से निकाल दो की लड़कियाँ ये काम नही करती...ये दीवाली के दिन है...और इन दिनों लड़कियाँ और औरतें ही सबसे ज़्यादा खेलती हैं...चाहे शगुन के लिए ही सही पर इन दिवाली के दिनों में जुआ खेलना शुभ माना जाता है..और आपको कहीं बाहर नही जाना है खेलने, मैं उन्हे यहीं बुला लूँगा...अपने घर पर..और आपको मेरे होते हुए किसी से भी डरने की जरुरत नही है...आप शायद नही जानती की मेरा कितना दबदबा है इस मोहल्ले में...कोई आपकी तरफ आँख उठा कर भी नही देख सकता...''

काजल उसकी बात सुनती रही..शायद उसको वो सब सही लग रहा था अब..

काजल (थोड़े नरम स्वर मे) : "पर...माँ हॉस्पिटल में है और हम लोग ऐसे घर मे बैठकर जुआ खेलेंगे...माना की तेरे दोस्त तेरे सामने नही बोलेंगे...पर पीछे से तो हर कोई यही कहेगा ना की माँ हॉस्पिटल मे है और इन्हे जुआ खेलने की पड़ी है..''

केशव : "ये सब मै माँ के लिए ही कर रहा हू...कल मेरी डॉक्टर् से बात हुई थी..उन्हे घर लाने के लिए..तो उन्होने कहा था की या तो 10 दिन तक उनका हॉस्पिटल मे रहकर इलाज करवा लो...या फिर घर लेजाकर एक इंजेक्शन रोज लगवाना, 5 दीनो तक..जो करीब 3000 का एक है..हम उन्हे कल ही घर ले आएँगे...और इन पैसों से उनका घर पर ही इलाज करवाएँगे..''

काजल को उसकी बात मे तर्क नज़र आया...क्योंकि ये बात डॉक्टर ने उसे भी कही थी...पर इतने पैसे कहाँ से लाती वो, यही सोचकर उसने उस बात पर ज़्यादा ध्यान नही दिया था..कहने को तो ये सरकारी हॉस्पिटल था पर उसमे भी उनके पैसे लग ही रहे थे....और रोज -2 आने-जाने की मशक्कत भी अलग से करनी पड़ती थी.अगर माँ को घर ले आएँ तो ये सारी चिंता और परेशानी ख़त्म हो जाएगी.

काजल : "पर असली में खेलते हुए अगर मैं हार गयी तो, मेरा मतलब है की अगर खेलते हुए लक्क ने मेरा साथ नही दिया तो ??"

केशव : "आप उसकी चिंता मत करो , मै सब संभाल लूंगा "

काजल चुप हो गयी....केशव समझ गया की वो उसकी बातों पर विचार कर रही है.

केशव : "दीदी...आप इतना मत सोचो...आजकल तो सभी के घर पर जुआ चलता है...कल भी मै अपने दोस्त गुल्लू के घर पर ही खेल रहा था...और उसकी बीबी को तो आप जानती ही हो, रूबी, वो भी खेल रही थी उसके साथ...अब ऐसा त्योहार का माहोल हो तो घर की औरतों का भी थोड़ा बहुत एंटरटेनमेंट हो जाता है...''

काजल तो पहले ही मान चुकी थी...केशव बेकार मे अभी तक उसे मनाने के लिए इधर-उधर की बातें कर रहा था..

वो जैसे ही बोला 'और वो जो मेरा दोस्त है ना.....'

काजल : "ओके ..बाबा ...समझ गयी....अब चुप कर जा....समझ गयी मैं...''

काजल ने हंसते हुए कहा तो केशव भी खुशी के मारे उछल पड़ा...और प्रेम भाव मे आकर वो काजल से लिपट गया..


 केशव : "ओह ...दीदी ....मुझे पता था की आप ज़रूर समझोगी...भले ही ये ग़लत तरीका है पैसे कमाने का..पर हमें इस समय इन पैसो की बहुत ज़रूरत है...''

काजल की साँसे तेज हो गयी...दरअसल केशव के जिस्म से निकल रही मर्दाना खुशबु उसे सम्मोहित सी कर रही थी...ऐसा लग रहा था की जैसे कोई नशा है जो केशव के शरीर से निकल कर उसकी सांसो मे समा रहा है..और ये सब महसूस करते-2 कब उसके निप्पल बाहर निकल कर केशव को चुभने लग गये, उसे भी पता नही चला...और केशव को लगा की शायद उसके गले मे पड़ा हुआ लॉकेट चुभ रहा है उसके सीने मे..पर फिर उसे याद आया की वो तो काफ़ी उपर बँधा है...और तब उसे एहसास हुआ की ये कोई लोकेट नही बल्कि कुछ और है...जो दोनो तरफ से एक बराबर चुभ रहा है..और उसे समझते देर नहीं लगी की वो क्या है

अब उत्तेजित होने की बारी केशव की थी...उसने लाख कोशिश की पर उसके लंड ने उसकी एक नही मानी और एकदम से तन कर खड़ा हो गया..जिसे काजल ने भी अपने पेट पर महसूस किया..

और ये था उसके शरीर पर किसी खड़े लंड का पहला एहसास...

भले ही रात के समय वो कितने ही लड़को के लंड खड़े करके मज़े लेती थी पर उनके एहसास को महसूस करने का ये पहला अवसर था उसके लिए और इस एहसास ने उसके शरीर को पसीने से भिगो दिया..और चूत को भी महका दिया

दोनो एकदम से अलग हो गये...और एक दूसरे से नज़रें चुराते हुए इधर-उधर देखने लगे..

केशव : "ओके ..दीदी ...अब मै चलता हू...अपने रूम मे..गुड नाइट. और हां आप कल ऑफीस की छुट्टी कर लेना..हम दोनो सुबह ही हॉस्पिटल चलेंगे और माँ को घर ले आएँगे......''

काजल : "ओक....मै सुबह ऑफीस में फोन कर दूँगी...गुड नाइट..''

उस रात काजल ने अपने वर्चुअल आशिकों से कोई भी बात नही की...पर जम कर अपनी बिना बालों वाली चूत को रगड़ा...इतना रगड़ा की उसपर लाल निशान पड़ गये..और जब वो झड़ी तो उसके शरीर के कंपन से पूरा पलंग हिल गया..

और वो ये सोचकर मुस्कुरा उठी की जब वो किसी के लंड की वजह से झड़ेगी तो शायद ये पलंग टूट ही जाएगा..

केशव भी अपने कमरे मे जाकर पूरा नंगा हो गया..और अपने हाथ में लंड लेकर ज़ोर-2 से हिलाने लगा..वो चाहता नही था की इस समय उसकी बहन काजल का ख़याल भी आए..इसलिए वो अपनी आँखे बंद करके सारिका के बारे में सोचने लगा..उसके नंगे शरीर के बारे मे सोचने लगा..उसे कैसे चोदा था वो याद करने लगा..पर अपने ऑर्गैस्म के करीब जाते-2 कब सारिका का चेहरा काजल मे बदल गया, वो भी समझ नही पाया...और अंत मे आकर जब उसके लंड से पिचकारियाँ निकली तो उस सफेद पानी के साथ -2 उसके मुँह पर भी काजल का ही नाम था..

''अहह ....ओह काजल...... उम्म्म्मममममममममम''

फिर वो सब कुछ साफ़ करके सो गया...ऐसे ही नंगा.

अगली सुबह काजल की नींद जल्दी खुल गयी...जो उसकी हमेशा की आदत थी...भले ही उसे आज ऑफीस नही जाना था पर नहा धोकर वो 8 बजे तक तैयार हो गयी...घर की सफाई भी कर ली...वो रोज 8 बजे तक निकल ही जाती थी घर से..और केशव घर पर सोता रहता था...वो 10 बजे उठता और करीब 12 बजे तक हॉस्पिटल पहुंचता था रोज...यही था दोनो का नियम पिछले एक महीने से...

काजल नीचे किचन मे अपने लिए चाय बना ही रही थी की बाहर का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई...उसने बाहर भी झाड़ू लगाया था इसलिए दरवाजा खुला ही रह गया था..वो किचन से निकल कर जब तक बाहर निकली तो उसने देखा की सारिका जल्दी से अंदर घुसी और उसने दरवाजा अंदर से बंद किया और हिरनी की तरह छलाँगें लगाती हुई वो उपर केशव के कमरे की तरफ चल दी..

उसने एक टी शर्ट और स्कर्ट पहनी हुई थी , जिसमे वो बड़ी सेक्सी लग रही थी

काजल के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान तैर गयी...सारिका को शायद नही पता था की आज काजल घर पर ही है...और शायद उसके ऑफीस चले जाने के बाद पीछे से घर पर आना उसका रोज का नियम था...

काजल ने सोचा 'अच्छा, तो ये कारण है केशव के रोज इतनी लेट हॉस्पिटल पहुंचने का, सारिका कभी मेरे सामने तो घर पर आ नहीं सकती , इसलिए मेरे ऑफिस जाने के बाद के टाइम पर ही आई है ,अब मज़ा आएगा...उपर का सीन देखने लायक होगा'

उसने जल्दी से गैस को बंद किया और दबे पाँव उपर चल दी..

अपनी पुरानी सहेली और अपने प्यारे भाई को रंगे हाथों पकड़ने.



 
सारिका भागती हुई सी केशव के रूम मे पहुँची..वो चादर तान कर सो रहा था..

सारिका : "गुड मॉर्निंग जानू...देखो मैं आ गयी...''

पर वो जाग रहा होता तो जवाब देता न...रात को वो ना जाने कितनी देर तक अपनी बहन और जुए के बारे मे सोचता रहा था..

सारिका : "अब ये नाटक छोड़ो...मुझे पता है तुम जाग रहे हो...नीचे का दरवाजा तुमने मेरे लिए ही खोलकर रखा था ना आज...''

पर फिर भी कोई जवाब नही मिला..

सारिका आगे बड़ी और उसने एक ही झटके मे केशव की चादर खींच कर अलग कर दी..

और जो उसने सामने देखा , उसे अपनी आँखो पर विश्वास नही हुआ..

केशव मादरजात नंगा होकर सो रहा था...और उसका 8 इंच का लंड पूरा खड़ा होकर हुंकार रहा था..अब ये मॉर्निंग इरेक्शन था या फिर वो कोई सपना देखा रहा था, ये अलग बात थी.

पर सारिका की आँखो मे एक अजीब सी चमक आ गयी..वो तो वैसे भी उसके लंड की दीवानी थी और अभी भी चुदवाने के लिए ही आई थी..उसने केशव को ऐसी गहरी नींद मे सोते हुए आज तक नही देखा था..और ना ही कभी नंगा सोते हुए..वो हमेशा शॉर्ट्स और टी शर्ट पहन कर ही सोता था..

पर उसे क्या पता की कल रात को क्या-2 हुआ केशव के साथ...और अपनी बहन काजल के बारे मे सोचकर मूठ मारने के बाद उसने कपड़े पहनने की जहमत भी नही उठाई और ऐसे ही सो गया..ये भी बिना सोचे समझे की सुबह किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा..

सारिका के होंठ सूख गये उसके लंड को देखकर..पर नीचे के होंठ गीले हो गये..उसका एक हाथ अपनी चूत पर चला गया...और दूसरे से वो अपनी ब्रेस्ट को मसलने लगी...और धीरे-2 चलती हुई वो केशव के पलंग पर बैठ गयी..

इसी बीच काजल भी उपर आ चुकी थी...और दरवाजे के बाहर छुपकर वो उनकी रासलीला देख रही थी.

पर जब उसने अंदर देखा तो उसके होश ही उड़ गये...उसका भाई पलंग पर नंगा लेटा हुआ था..यानी सो रहा था...और उसका लंड बिल्कुल उपर की तरफ मुँह करके हुंकार रहा था...ये काजल की जिंदगी का पहला लंड था जो उसने अपनी आँखो से देखा था...और वो भी अपने खुद के भाई का...उसकी भी हालत सारिका जैसी हो गयी...उपर के होंठ सूख गये और नीचे के गीले हो गये.

सारिका तो निश्चिंत थी की उन दोनो के अलावा कोई भी घर पर नही है...और किसी और के एकदम से आने की भी आशा नही है..क्योंकि दरवाजा वो खुद बंद करके आई है.

काजल ने देखा की सारिका के होंठ थरथरा रहे हैं...जैसे वो केशव के लंड को अपने मुँह मे लेकर चूसना चाहती हो...वो बाहर खड़ी होकर खुद इतनी उत्तेजित हो रही थी, अंदर खड़ी हुई सारिका का पता नही क्या हाल हो रहा होगा..

अचानक काजल ने देखा की अपने दोनो हाथ उपर करके सारिका ने अपनी टी शर्ट को उतार कर नीचे फेंक दिया...नीचे उसने एक सेक्सी सी ब्रा पहनी हुई थी...जिसमे उसके 32 साइज़ के बूब्स क़ैद थे...फिर काजल के देखते ही देखते सारिका ने अपनी स्कर्ट भी उतार दी...और अब वो उसके भाई के कमरे मे सिर्फ़ ब्रा-पेंटी मे खड़ी थी..पेंटी की हालत देखकर काजल समझ गयी की वो कितनी ज़्यादा उत्तेजित है...क्योंकि वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.

आज पहली बार काजल ने अपनी सहेली को ऐसी हालत मे देखा था...कपड़ो में तो वो साधारण सी ही लगती थी...पर अब उसका कसा हुआ बदन किसी लिंगरी मॉडेल से कम नही लग रहा था...बिल्कुल सही आकार के बूब्स थे उसके...सपाट पेट और भरी हुई सी गांड ...

वो उसकी सुंदरता का अवलोकन कर ही रही थी की सारिका ने एक और दुसाहसी कदम उठाते हुए पहले अपनी पेंटी और फिर ब्रा भी खोल कर नीचे गिरा दी..और अब वो पूरी नंगी होकर खड़ी थी उस छोटे से कमरे मे...जहाँ उसका भाई गहरी नींद मे सोया हुआ था...

काजल समझ गयी की अब ये क्या करने वाली है...वैसे भी कल रात को ही केशव ने बता दिया था की वो उसके साथ फकिंग कर चुका है...इसलिए उसे अभी चुदाई के लिए तैयार होते देखकर काजल को ज़्यादा आष्चर्य नही हुआ..





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