Thursday, November 6, 2014

FUN-MAZA-MASTI जेठ जी के अहसान --2

FUN-MAZA-MASTI

 जेठ जी के अहसान --2
 भैया ने मुझे पूरी तरह से अपने कंट्रोल में कर लिया था ! मुझे चारों तरफ से घेर रखा था ! मैंने वादे के मुताबिक अपने आप को ढीला छोड़ दिया था !जो भी करना था , उनको ही करना था !मुंह को खुलवा के उन्होंने अपनी जीभ अंदर डाल दी ! मैंने अपनी जीभ अंदर खींच रखी थी !उन्होंने मेरे मुंह पर दवाब बनाया और मेरी जीभ को अपने जीभ के बीचों बीच रखकर चूसने लगे ! जब भी में जीभ हटाने का प्रयास करती , वो मुंह दबाकर विरोध करते और मैं ढीला छोड़ देती ! उनका दोनों हाथ मेरी दोनों चूचियों को हलके हलके मसल रहे थे ! उन्होंने अपना पूरा बोझ अपनी कोहनी और पैर पर बैलेंस किया हुआ था ,जिससे बीच में जगह बनी हुई थी और मैं दबा हुआ भी महसूस नहीं कर रही थी ! उनके विशाल गठीले शरीर के आगे मैं बिलकुल छुप सी गयी थी ! वैसे तो मैं भी बिलकुल दुबली नहीं थीं , पर मेरे शरीर पर कोई मोटापा नहीं था ! अपने फिगर, कपड़े और अपनी सफाई का मैं पूरा ध्यान रखती थी ! गावं आने से पहले ही मैंने पूरे बाल साफ़ किये थे ,बगल में और चूत के आसपास मैं रोज क्रीम लगाती थी ,जिससे वो बिलकुल मुलायम रहते थे ! मेरी चूची भैया के हाथों रौंदी जा रही थी ! भैया के हाथों में बिलकुल फिट हो गए थे ,जैसे उनके लिए ही नाप से बने हों ! मेरे चूचियों की घुंडियों को भैया ने अपने दो उँगलियों के बीच फसा लिया और उसको भी आहिस्ता आहिस्ता मसलने लगे ! कमाल का कंट्रोल था ,एक ही हथेली की ऊँगली अलग तरीके से काम कर रहे थे और हथेली अलग तरीके से !भैया दवाब भी इतना ही बना रहे थे ,जितना मैं बर्दाश्त कर पा रही थी ! कभी जान बूझ कर जोर से दबा देते थे , तो मेरी आह निकल जाती थी ! मेरे मुंह का सारा रस वो पीते जा रहे थे ! मैंने कभी इतनी गहरी किस नहीं की थी ! कभी कभी तो सांस रुकने लगती थी !एक साथ मेरे तीन अंग भैया का जुल्म सह रहे थे ! बदन कह रहा था कि ये हसीं पल कभी खत्म न हो , पर जमीर मुझे धिक्कार रहा था ! अभी मुश्किल से दो तीन मिनट बीते होंगे , और मैं टूटने के कगार पर थी , पर दीपक का ख्याल आते ही वापस अपने होश सम्हाल लेती थी ! अब भैया ने चूमना धीमा कर दिया था , होठ को धीरे से हटाकर मेरे गालों को चाटने लगे , फिर कान और गर्दन !जब वो कान के पीछे और गर्दन को चारो तरफ से चूमते चाटते थे , तो उनकी गर्म साँसे मुझे पागल कर देते थे !थोड़ी देर बाद वो चूचियो तक पहुंच गए ! कभी बायीं चूची तो कभी दायीं चूची मुंह में लेते और हल्का सा दांत मेरे निप्पल पर लगा देते ,मेरी सीत्कार निकल जाती थी ! मेरी चूत का तनाव बढ़ता जा रहा था, लगता था अभी बिस्फोट हो जायेगा ! चूत से पानी लगातार निकल रहा था ,जो मेरी जांघों से होकर बिस्तर गीला कर रहा था ! मेरे गोर चिट्टे बदन पर अब लाल लाल निशान बनने लगे थे !भैया जब भी चूची जोर से चूसते तो मुझे लगता कि अगर मेरा बच्चा होता तो मुझे ऐसा ही महसूस होता ! आज पहली बार मुझे पता लग रहा था कि मेरे बदन मुझे इतना सुख दे सकते है ! पूरी जिंदगी में जो नहीं मिला वो आज ५ मिनट में मिल गया था !जब भैया ने चूमना शुरू किया था तो दीपक मेरे दिमाग पर छाए हुए थे , पर अब वो बीच बीच में याद आ रहे थे और मैं अपना नियंत्रण बनाने कि कोशिश कर रही थी !
भैया अब बिस्तर पर बैठ गए थे, अपने दोनों पैर मोड़ कर ! मेरे दोनों पैर उन्होंने अपने दोनों तरफ फैला दिए और मेरी कमर के नीचे दो तकिये लगा दिए ! अब उनके मुंह के सामने मेरी चूत थी ! मैंने इससे ज्यादा शर्मिंदगी कभी महसूस नहीं किया था ! शायद मैं दीपक को भी ये नहीं करने देती !भैया नें कमर के नीचे हाथ डाल कर मेरे निचले हिस्से को ऊपर उठा लिया और भैया ने मेरी गुदा के छेद से नाभी तक जीभ फिरानी शुरू कर दी ! मैं एक खिलोने कि तरह उनके हाथ में थी ! कितनी ताक़त थी उनके हाथों में और उतनी ही नाजुक उनका स्पर्श था मेरे अंगो के लिए ! उनके चाटने से मेरी हालत पागलों वाली हो गयी थी ! चूर फड़फड़ा रहे थे ! हर स्पर्श से बदन सिहरन से भर जाता ! पूरा कमरा चाटने कि आवाज़ से संगीतमय हो गया था ! अब उन्होंने मेरे चूत को अपना निशाना बनाया !जीभ अंदर बाहर करने लगे !एक हाथ कि ऊँगली भी मेरे चूत के आस पास ही फिसल रही थी ! अचानक पता नहीं भैया ने कौन सी जगह छू दी, मुझे एक करंट सा अनुभव हुआ और मेरे चूत ने जोर से पानी का फौवारा मारा ! मुझे लगा ,जैसे मैंने झटके में जोर से पेशाब कर दिया हो !भैया का पूरा चेहरा भीग गया होगा , सोच कर ही मैं शर्म से मरी जा रही थी !पिछले कुछ देर में मुझे दीपक बिलकुल याद नहीं आये , पर जैसे ही भैया ने मुझे नीचे रखा , दीपक मेरी नज़रों के सामने महसूस होने लगे ! मैंने बहुत मुश्किल से अपने को सम्हालने कि कोशिश की, पर न तो शरीर काम कर रहा था , न ही मन ! आज मुझे समझ में आ गया था कि, औरत क्यों अच्छी चुदाई के आगे, लोक लाज की परवाह नहीं कर पाती है ! मैंने हल्का सा आँख खोलने कि कोशिश की ! दीवार पर टंगी घड़ी अभी भी ढाई मिनट का टाइम बचा हुआ बता रही थी ! मैं अब निराश होने लगी थी ! पता नहीं भैया अब क्या करने वाले है ! वैसे अगर वो इस वक़्त अपना लण्ड भी मेरी चूत के अंदर डाल देते , तो मैं शायद मन नहीं कर पाती ! लेकिन भैया की ये बात मुझे बहुत अच्छी लगी, कि उन्होंने अपना लण्ड अभी तक इन सब से अलग रखा था ! भैया अब मेरे बराबर करवट लेकर लेट गए थे ! एक हाथ को मेरे सर के पीछे से ले जाकर मेरी बायीं चूची को मुट्ठी में लेकर दबाने और सहलाने लगे ! दूसरा हाथ मेरी चूत पर हाथ फ़िर रहा था !फिर अचानक एक ऊँगली मेरी चूत में डाल दी ! मेरी चीख निकली पर तब तक उन्होंने जीभ मेरे मुंह में घुसेड़कर कर मेरे मुंह को बंद कर दिया ! फिर से एक साथ भैया के हाथ ,मुंह ,ऊँगली सब अलग अलग काम कर रहे थे !मैं हैरान थी कि , इतना परफेक्शन कितनी प्रैक्टिस के बाद आया होगा , वो भी एक बिना शादी किये हुए 45 साल के ऊपर के इंसान को ! मैं चुप चाप लेटी थी , फिर भी थक के चूर थी , और वो पुरे जोश के साथ लगे हुए थे ! एक बार ख्याल आया कि काश दीपक में ये सारे गुण होते , तो पराया मर्द मुझे हाथ लगाता, इससे पहले मैं जान दे देती !भैया ने अपनी कारवाही जारी रखी , कभी ये चूची तो कभी वो चूची ! कभी ऊँगली कि स्पीड बढ़ा देते और कभी घटा देते ! कभी उस अनजाने स्पॉट को दबा देते ! उन्होंने जीभ से मेरे मुंह के अंदर का कोना कोना चूस लिया था ! मुझे पता भी न चला कि मैं मस्ती में सीत्कार मार रही थी ,भैया के जीभ को चूस रही थी और एक हाथ से भैया कि पीठ को सहला रही थी !सब कुछ अपने आप चल रहा था , मुझे कुछ पता नहीं था कि मेरे साथ क्या हो रहा है , कौन सी शर्त थी और हार जीत पर क्या होना था !फिर अचानक चूत में एक जोर का भूचाल आया और सबकुछ शांत सा हो गया ! भैया ने हलके से जीभ बाहर निकली ,और मेरे कान में बोले, सोना बेटा, तुम शर्त हार गयी हो ! मैं जैसे बेहोशी से जागी ! मुंह से मुश्किल से निकला कैसे ? भैया बोले , बेटे मैंने तुम्हारे अंदर सिर्फ ऊँगली रखी है ! मुझे झटका सा लगा , ध्यान दिया तो महसूस हुआ कि भैया कि ऊँगली मेरी चूत में स्थिर है और मैं नीचे से उसे अंदर बाहर कर रही हूँ !फिर ध्यान में आया कि मैं भैया कि पीठ भी सहला रही हूँ ! मैं जैसे नींद से जागी , निराशा भरी नज़रों से भैया को देखा और हारे हुए जुआरी कि तरह सर झुका लिया,अभी भी ३० सेकंड बचे थे !अब मैं समझ गयी कि भैया ने मुझे छल से जीत लिया था ! मेरे लिए अपनी बात से वापस होना नामुमकिन था !मुझे बहुत जोर कि पेशाब आ रही थी ! बाथरूम जाना था, पर हिल नहीं पायी! भैया ने मेरी नाइटी बिस्तर से उठाकर , टेबल पर रख दिया और अपना कुर्ता उतार दिया ! बालों से भरा चौड़ा सीना मेरे सामने था ! भैया ने पजामा भी उतार दिया !अब सिर्फ अंडरवियर में मेरे सामने थे ! मेरी सूनी ऑंखें आंसुओं से भरी हुई थी ! दीपक आज मुझसे दूर हो रहा था , और भैया मेरे चूत के ख्यालों में मुस्करा रहे थे ! उनके बिस्तर पर लेटने से पहले ही मैंने कहा , मुझे बाथरूम जाना है !उन्होंने सहारा दिया , पर मैं सम्हल नहीं पायी और उनकी बाँहों में झूल गयी ! उन्होंने मेरी हालत समझी और मुझे गोद में उठा लिया, और बाथरूम की तरफ चल पड़े ! उनके बालों से भरे सीने में मेरे मुंह था , अजीब सी मरदाना खुश्बू मुझे पागल करने लगे ! भैया ने मुझे सीट पर बिठाया और खुद बाहर चले गए ! जाते जाते दरवाजे को ठीक से लगाते गए !उन्होंने कहा , मैं बाहर हूँ , आवाज़ दे देना ! मैंने लगातार पता नहीं कितनी देर तक पेशाब किया , बाथरूम में आवाज़ गूँज रही थी ! फिर पता नहीं मुझमे कहाँ से इतनी हिम्मत आई , मैंने दरवाज़े तक पहुँच कर अंदर से बाथरूम बंद कर ली ! दीपक मेरे दिमाग पर फिर से हावी थे ! मैंने सोच लिया की कम से कम आज नहीं चुदूँगी ! भैया बाहर से आवाज़ लगाते रहे , मुझे वादाखिलाफी करने के लिए कोसते रहे , पर मैंने कहा भैया , आज प्लीज मुझे माफ़ कर दो ! मैंने वादा नहीं तोड़ा है ,पर आज में इस हालत में नहीं हूँ ! चिड़ियों के चहचहाने की आवाज़ आने लगी थी , यानि सुबह हो चुकी थी ! भैया सुबह के सैर के लिए निकल गए थे शायद.....

पूरा उजाला होने पर मैं तैयार होकर नीचे आई ! घर पर अब बहुत ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं थी , सिर्फ घर के ही लोग रह गए थे ! सबने कल तक चले जाना था , मेरी भी ट्रेन कल रात की थी और वो भी भैया के साथ !ख्याल आते ही बदन काँप गया ! कब तक बच सकती हूँ, ट्रेन में भी दीपक हमेश फर्स्ट AC का टिकट लेते थे ! यानि दो बर्थ वाला केबिन मिला तो पूरी रात छोटे से केबिन में मैं और भैया ! परसो हम सुबह दिल्ली पहुंचेंगे और रात में दीपक की अमेरिका की फ्लाइट है !उसके बाद दस दिन सिर्फ मैं और भैया , मेरे बचने की कोई सूरत नहीं ! सोचते सोचते ही पैन्टी में गीलापन महसूस किया !मुझे अपने शरीर से बहुत शिकायत थी , वो अब मेरा साथ बिलकुल नहीं दे रहे थे ! हालत ऐसी थी मेरी कि, भैया अगर मुझे छू भी दें तो शरीर उत्तेजना से भर जाता था !
भैया दो दिन पहले तक ऐसे बिलकुल नहीं थे !अभी भी दिन में अगर हम आमने सामने होते , तो वो बिलकुल नार्मल लगते !आखिर ऐसा हुआ क्या ? मैंने एक एक बात याद करनी शुरू की ! हो सकता है उस रात मैं बहुत ज्यादा थकी थी , दवा खाने के बाद सो गयी थी , बगैर कपड़े बदले ! भैया जब देर रात को दीपक को स्टेशन छोड़ लौटे होंगे , तो मुझे अस्त व्यस्त देखा होगा !कमरे की लाइट भी मैंने बंद नहीं की थी .और साड़ी .पैन्टी ,पेटीकोट सब साटन की, बहुत सेक्सी दिखी होगी भैया को ! मुझे बेहोश सा देखकर कुछ लालच आ गया हो, छूने का , कोई हलचल ना देखी हो तो चूम चाट भी लिया हो ! पर दूसरी रात...... हे भगवान मुझे याद आया की कहीं फिर से मैं वैसी ही हालत में तो नहीं थी . उसपर मैंने ब्रा और पैन्टी भी नहीं पहनी थी ! कहीं भैया ने ये तो नहीं सोच लिया की मैंने जान बूझकर ब्रा पैन्टी नहीं पहनी, कि उन्हें खोलने और पहनाने की जरुरत ना पड़े ! मुझे अपनी गलती का अहसास हो रहा था ! लेकिन फिर मैंने सोचा , चाहे जो भी हो , मैं कैसी भी हालत में क्यों ना रहूँ ,उनको कोई हक़ नहीं बनता इस तरह बहु के साथ पेश आने का ! अभी इन उलझनों में खोई ही थी की सास ने आवाज़ दी !सास अकेले ही बैठी थी , मुझसे इधर उधर की बात करने लगी !फिर उन्होंने बोला , बेटी एक चीज़ मांग सकती हूँ तुमसे ! जी , आप आज्ञा दीजिये . मांगने की क्या जरुरत है , मैंने कहा !बेटी पहले कसम खा की तू मन नहीं करेगी !अगर तूने मना किया तो मेरा मरा मुंह देखेगी ! मैंने तुरंत हाँ कर दी ! सास बोली , बेटी तुमलोग नए ज़माने की हो ,मॉडर्न हो , तुम्हे जल्दी बच्चा नहीं चाहिए , फिगर ख़राब हो जायेगा ,ऐसा सोचती हो !लेकिन अब मैं ज्यादा जीनेवाली नहीं हूँ , खानदान का वारिस देख के जाना चाहती हूँ ! बड़े ने शादी नहीं की , छोटा दिमाग और शरीर से अपाहिज है !अब सिर्फ दीपक है ,जो खानदान आगे बढ़ा सकता है ! लोगों ने बातें बनानी शुरू कर दी है , तीन तीन बेटों के होते मेरा खानदान अभी तक वारिस को तरस रहा है ! मुझे अगले दो महीनों में बच्चे की खुशखबरी मिलनी चाहिए ! तुम्हारे लिए मैंने शाम को गावं की सभी बहुओं को खाने पर बुलाया है !उनके साथ बातें करो, कुछ पूछना हो , सीखना हो खुल कर बातें कर लेना !सब के सब या तो माँ बन चुकी हैं या बननेवाली हैं !मेरे मुंह से बस इतना निकला ..."जी" ! मैं किचेन की तरफ जाने लगी तो सास ने अपनी आवाज़ थोड़ी रूखी करके कहा की बहू,बिना खुशखबरी के गावं मत आना ,शहर में ही अपनी मनमानी करो ! मेरे ऊपर जैसे एक और बम फट गया ! अभी भैया के कारण दिमाग ख़राब था अब सास ने एक और सरदर्द दे दी ! मैं बहुत दुखी थी ! सास को जवाब नहीं दे सकती थी ,नहीं तो बोल देती की मैं तो खुद ही माँ बनने को मरी जा रही हूँ , लेकिन कैसे बनूँ !हम तो कुछ यूज़ भी नहीं करते , अब बच्चे नहीं ठहरे तो मैं क्या करूँ ! मैं दीपक को अभी टेंशन नहीं देना चाहती थी , सोचा कि अमेरिका से लौटने पर बताउंगी !
शाम के पार्टी के लिए मैं तैयार होकर आँगन में आ गयी ! ननद ने देखते ही कह दिया , भाभी किस पर बिजली गिरानी है, दीपक भैया तो यहाँ है नहीं ! मैं सच में बहुत सेक्सी लग रही थी ! क्रीम कलर कि प्योर सिल्क कि साड़ी , ब्लाउज और अंदर साटन वाली फैंसी ब्रा पैन्टी !चिकनाहट ऐसी कि कपड़े बार बार फिसल रहे थे !गहरे लाल रंग कि लिपस्टिक और बिंदी क़यामत ढा रहे थे !मैंने गावं की बहुओं के खूबसूरती कि बहुत तारीफ सुनी थी , इसलिए मैंने अपने को सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी !सास का आर्डर था की मैं दुल्हन की तरह लगूँ! पार्टी शुरू हो गयी थी ! इस गावं के लोग कहाँ से ढूंढ के बहुएं लाते हैं , एक से एक बढ़कर ख़ूबसूरत ! मैं बस उनसे कपड़ों के मामले में आगे थी क्योंकि मेरे कपड़ों की फिटिंग और सलीका सब से अलग और सुन्दर था !सब मेरी तारीफ़ कर रहे थे , एक बहू मेरे लिए गज़रा लायी थी , बालों में लगा दिया ! ये सिर्फ बहुओं की पार्टी थी , सिर्फ नौकरानी ही सर्व कर रही थी ! हम आपस में बातें करने लगे , हंसी मज़ाक करने लगे ! एक ने कहा दीदी , आप कितनी लकी हो , जब आपको बच्चा होगा तो डाक्टर घर में ही है ! मैंने कह दिया, नहीं नहीं मैं तो शहर में ही दिखाउंगी किसी लेडी डाक्टर से , वो मेरे जेठ है ! दूसरी ने कहा , तो क्या हुआ बहन , हैं तो वो डाक्टर; यहाँ जितने भी बहुएं आई हैं ,सबके डाक्टर वही हैं ! और बहन , आज तक सभी के सभी नार्मल डिलीवरी हुई है ! एक दो बहुओं ने शहर में डाक्टर को दिखाया , ऑपरेशन करना पड़ा , और बहुत तकलीफ उठानी पड़ी !हमारे डाक्टर से तो दूर गावं से लोग आते हैं इलाज़ कराने ! गावं की सबसे खूबसूरत बहू 'चंपा' थी , जो दीपक के दोस्त कमल की बीवी थी ! क्या खूबसूरती थी , कोई हीरोइन की तरह लगती थी , मैंने अपनी ज़िन्दगी में इससे खूबसूरत औरत नहीं देखी थी , एक साल का बेटा था, पर मस्त माल लग रही थी ! उसने मुझसे पुछा की आप अकेली जा रही हैं , जेठ जी के संग , मुझे कुछ अटपटा सा लगा सवाल , पर मैंने सिर्फ हाँ में सर हिला दिया ! मैं जेठ जी जिक्र तक से दूर रहना चाहती थी , पर पूरी पार्टी में उन्हीं की बातें हो रही थी ! मैं तो पहले से जली भुनी थी , पार्टी में उनकी तारीफ़ ने और मेरा दिमाग ख़राब कर दिया ! कम से कम किस्मत के मामले में जेठ जी बहुत धनी थे ! एक से एक सुन्दर औरतें , और सब के सब खुद चल के जाती थी ,जेठ जी से अपने चूत की जांच कराने ! मैंने मन ही मन में सोचा की ऐसे आदमी को शादी की क्या जरुरत ! मैं अगर इनकी बीवी होती तो रोज़ झगड़ा करती !
पार्टी खत्म हो गयी थी , मैं भी सास से इज़ाज़त लेकर अपने रूम की तरफ चल पड़ी ! अभी तक तो पार्टी में ख्याल ही नहीं था की भैया मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे ! देवर आज थोड़ा परेशान कर रहा था , इसलिए भैया शाम से ही रूम में ही थे , उसे रात को नींद की दवा देकर सुलाया जाता था ! मैंने नीचे अंदर से दरवाज़ा बंद किया और रूम में आ गयी ! भैया मेरे पलंग पर एक कोने में बैठे,मोबाइल पर कुछ कर रहे थे, पूरा रूम खुश्बू से भरा हुआ था ! भैया ने सुगंध वाली अगरबत्ती चारो कोने में जला रखी थी ! मैंने पुछा की ये कैसी खुशबु है , उन्होंने कहा कि मच्छर ज्यादा थे , इसलिए जला दी है ! मैं भी पलंग पर दूसरे कोने में बैठ गई ! थोड़ी देर तक हम दोनों ही चुप रहे , फिर भैया बोले 'अच्छी लग रही हो' ! मैंने जवाब नहीं दिया ! मैंने सोच लिया था कि एक आखिरी कोशिश जरूर करुँगी , अपने सुहागन का फ़र्ज़ निभाने की ! इस वक़्त दीपक मेरे दिलो दिमाग पर छाए थे ! भैया ने कहा ,कपडे बदलने हैं क्या ? मैंने कहा ,नहीं, पहले आप से बात करनी है ! भैया मेरे तरफ देखने लगे ! मेरा चेहरा तमतमा रहा था , मैंने अपनी आवाज़ कड़ी की , और कहा देखिये भैया , मैं दीपक को ये सारी बातें बताने वाली हूँ, जो कुछ भी आपने किया मेरे साथ ! अगर आप आगे कुछ ना करने का वादा करें तो मैं इस बात को यहीं दफ़न कर दूँगी ! भैया ने कहा .'और तुम्हारी प्रॉमिस' ? मैं आपके पैर पकड़कर आपसे माफ़ी मांग लुंगी ! भैया बोले ये चीटिंग है ! अचानक पता नहीं कहाँ से मेरे अंदर इतनी ताक़त और हिम्मत कहाँ से आई , मैं लगभग चीखते हुए उन पर गालियों की बौछार कर दी , कुत्ते हो , कमीने हो ,अपनी बहू की इज़्ज़त लूटने वाले हवसी हो आप ! आपने अपनी बहनो के साथ भी यही किया होगा ! मेरे स्वर थोड़े नरम पड़े , मैं मज़बूर थी , पता था , रोते हुए बोली ' अगर फिर भी आपको लगे की आपको अपनी बहू की इज़्ज़त लूटनी है , तो लीजिये मैं आपके सामने खुद नंगी होती हूँ, जितना लूटना है लूट लीजिये अपने छोटे भाई की पतिव्रता पत्नी को ! मेरी आखों में आंसू थे ,और मैंने अपना आँचल अपने चूचियों पर से उतारकर , बिस्तर पर रख दिया ! मेरी साँसें जोर जोर से चल रहे थे , और चूचियाँ सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रही थी ! भैया की आँखें नम हो रही थी , उन्होंने कहा ,'मैंने जो भी किया बहुत मज़बूर होकर किया '! मैंने फिर तेज़ आवाज़ में कहा , कोई मज़बूरी नहीं हो सकती , आपको शादी कर लेनी चाहिए इन सब के लिए , क्यों ढोंग कर रहें हैं आप अपने 'मेहरबानी' का !
ठीक है , मैं तुम्हें अपनी प्रॉमिस से आज़ाद करता हूँ , पर तुमने जो आरोप मेरे ऊपर लगाये हैं , उसका जवाब इस मोबाइल में है , देख लो ! मेरे तेवर कम नहीं हुए थे , बोल पड़ी , मेरी फिल्म बना ली होगी ,और आप कर भी क्या सकते हैं ! तभी मोबाइल से मेरे पति की आवाज़ आई ........
दीपक : भैया , आज माँ मुझसे कह रही थी कि, मुझे एक महीने के अंदर बहू के माँ बनने की खुश खबरी दो , नहीं तो मैं तुम्हारी दूसरी शादी कर दूंगी !
भैया : मैं समझा दूंगा , तू फिक्र मत कर !
दीपक : क्या समझा देंगे भैया , आपको तो पता है कि मैं बाप नहीं बन सकता , मेरे अंदर कमज़ोरी है !
भैया : तू ठीक हो जायेगा मेरे भाई , दवा कर रहा हूँ ना मैं तेरी , बस 5 - 6 साल की बात है !
दीपक : कोई गारंटी तो नहीं है ना भैया कि मैं ठीक हो जाऊँगा , और माँ का क्या !भैया ये बेकार कि बातें हैं , आप वैसा ही करेंगे जैसा मैंने आपको कहा है !आप अपने भाई के बच्चे के बाप बनेंगे ! पिछले 8 महीने से मैं आपको समझा रहा हूँ , कि आप 'सोना' के साथ सेक्स कर लो और उसको माँ बना दो !
भैया : तू पागल हो गया है , वो मेरी बेटी कि तरह है , बहू है वो मेरी , मैं ये पाप नहीं कर सकता !मैं कोई और इंतज़ाम कर दूंगा , किसी भरोसे के आदमी का वीर्य उसके गर्भ में ट्रांसप्लांट करा दूंगा , या अगर वो तैयार हो गई तो सेक्स करा दूंगा !लेकिन मैं ये पाप नहीं करूँगा !
दीपक: वाह भैया , तीन भाई हैं हम और हमारा खानदान कोई और आगे बढ़ाएगा , मैं ये नहीं होने दूंगा ! आपको करना ही होगा सेक्स !
भैया : देख अगर ये बात है तो वीर्य मैं डोनेट कर दूंगा ! पर मैं उसको छू नहीं सकता , मुझे ये सोच कर भी अपने पर घिन आती है !
दीपक :भैया, आपका वीर्य अगर उसके गर्भ में जाता है , तो आपको अच्छा लगेगा लेकिन सेक्स नहीं , ये मेरी समझ में नहीं आया ! देखिये भैया , मैं उसे अपने जान से ज्यादा प्यार करता हूँ , मैंने उसे अधूरे सेक्स के बाद तड़पते हुए देखा है ! उसको हक़ है कि पति उसको पूरा संतुष्ट करे ! बदन कि भूख अगर उसे किसी और मर्द के पास ले गयी , तो मेरा क्या होगा !मैं खुद चाहता हूँ कि उसको पूरा सेक्स का आनंद मिले , और मुझे आपसे ज्यादा सही आदमी कोई नहीं लगता !घर कि बात घर में रहेगी , खानदान को वारिस भी मिल जायेगा , माँ भी खुश, मैं भी खुश ! और आपने भी तो शादी नहीं की, वो हम दोनों भाइयों की पत्नी रहेगी, आप भी पत्नी सुख ले पाएंगे !
भैया : फालतू बातें मत कर यार ! ये सब मुझसे नहीं होगा !
दीपक : भैया मैं नपुंसक का कलंक नहीं झेल सकता , माँ जिद करेगी तो मैं सुसाइड कर लूंगा , लेकिन शादी नहीं करूँगा !
भैया : (रोते हुए ) मत बोल भाई ऐसा , मैंने तुम दोनों भाइयों के लिए अपनी सारी खुशियां क़ुर्बान कर दी , अब तू ऐसा कुछ नहीं करेगा ! तू जैसे कहता है , मैं वैसे ही करूँगा ! तू क़सम खा मेरी की फिर कभी ऐसा सोचेगा भी नहीं !
दीपक: ठीक है , पर आप भी क़सम खाओ की मैं जैसा कहूँगा वैसा ही करेंगे ! देखिये भैया , मैंने आप की दी हुई दवा बदल दी है ! रात में जब आप मुझे स्टेशन छोड़ कर लौटेंगे ,वो गहरी नींद में होगी , फिर आप उसके साथ सेक्स कर लेना !
भैया : नहीं दीपक ! मैं सेक्स उसकी मर्ज़ी से ही करूँगा ! हाँ , मैं कोशिश करूँगा कि उसमे सेक्स कि भूख जगे , और वो खुद मेरे पास आये ! जहाँ तक मैं उसे जानता हूँ , वो मुझे जलील ही करेगी , पर तुम्हारे लिए और अपने परिवार के लिए मैं सब सह लूंगा !
दीपक :भैया , ये सारी बातें आपके मोबाइल में रिकॉर्ड हो रही है ! आगे से भी हमारी हर कॉल रिकॉर्ड होगी ,आपके मोबाइल में ! आपको जब सही लगे, आप उसे ये सुना देना !
5 सेकंड के बाद फिर दीपक बोले "सोनू ,मेरी जान , तुमको मेरी क़सम है , भैया के साथ मेरे जैसा ही व्यव्हार करना ! जब भी वो तुम्हारे साथ हों , समझना मैं तुम्हारे साथ हूँ !मैं तुम्हारे पांव पड़ता हूँ , इस नामर्द पति कि इज़्ज़त रखना , मुझे शर्मिंदगी का मौका मत देना !सच कहता हूँ ,जब मुझे तुम्हारे और भैया के सेक्स कि खबर मिलेगी,मैं दुनिया का सबसे खुस्किस्मत इंसान हूँगा ! प्लीज जानू , कसम है तुझे , पूरा एन्जॉय करो ज़िन्दगी , मैं भी तो हूँ तुम्हारे साथ !मैं ,भैया और तुम , मज़ा आ जायेगा ! कुछ मत सोचो !"
पुरे कमरे में सन्नाटा था !भैया कि आँखों से झड़ झड़ आंसू गिर रहे थे ! सच में , कित्तने महान थे भैया ! मैं अपने आप को बहुत छोटा महसूस कर रही थी ! मुझे अपने सारे गुनाहों कि माफ़ी मांगनी है भैया से ! मेरा पति खुद चाहता है , और भैया मज़बूर हैं , मेरा फ़र्ज़ बनता है कि मैं आगे बढूँ और इस टूटते परिवार को सम्हालूँ ! आज मुझमें बहुत हिम्मत आ गयी थी , मैं उठकर भैया के पास बैठ गयी !उनके चेहरे को अपने दोनों हाथों में लिया और अपने होंठ उनके होंठों पर टिका दिए !धीरे धीरे उनका एक हाथ उठाकर अपनी एक चूची पर टिका दिया ! भैया ने मुंह खोल दिया था , दुसरे हाथ से मुझे बाँहों में ले लिया था ,और मैं उनका जीभ चूसने लगी,और भैया मेरी चूची सहलाने लगे









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