Tuesday, October 21, 2014

FUN-MAZA-MASTI दुनिया बदल गई

FUN-MAZA-MASTI

दुनिया बदल गई 
   
मैं शिमला में पढ़ रह थी. होस्टल में रहती थी. सलमा मेरी रूम पार्टनर थी. वो ज्यादातर नंगी लडकीयों की तस्वीरों वाली किताबें लाती और रात को उन्हें देखते हुए सोती. मैं इन चीजो से नफ़रत करती थी. लेकिन वो कई दफा मुझे सेक्सी कहानियाँ सुनती. मुझे कहानी सुनते सुनते सेक्स में रूचि होने लगी. लेकिन हुआ ये कि बहुत जल्द वो दूसरे कमरे में शिफ्ट कर डी गई और मैं अब सेक्सी कहानीयों को मिस करने लगी. 
कुछ दिन के बाद हमारी कोलेज की कई लड़कियां हमारी कुछ लेडी लेक्चरर्स के साथ रेणुका झील घूमने गई. रात को हम वहीँ रुकने वाले थे. रात को एक सरकारी रेस्ट हाउस में रुकने का इंतज़ाम  हुआ.लेकिन कुछ ही देर के बाद पता चला कि सरकारी अफसर भी आये हैं तो हम सभी दस लड़कीयों और हमारी तीन लेडी लेक्चरर्स को सिर्फ तीन कमरों में सोने को कहा गया. मैं जिस कमरे में थी उस कमरे में हमारी एक लेक्चरार भी सोने के लिए आई. शर्मीला मेडम हमसे करीब दस साल बड़ी थी लेकिन बहुत ही फेशन में रहती थी. रात को मैं और मेडम एक ही पलंग पर लेटे. लेटते ही शर्मीला मेडम ने मुझे अपनी बाँहों में भरा और बोली " तुम बहुत ही चिकनी लड़की हो यार. हमारे साथ मजा किया करो." मैं डर गई. मतलब समझ में नहीं आया. मेडम ने कहा " क्या तुम भी ऐसी छुई मुई जैसी शर्मा रही हो. अरे लडको की कौन बात कर रहा है. हम तो आपस में ही मजा करने की बात कर रहे हैं." जब मन फिर भी नहीं समझी तो मेडम ने मेरे गालों को जोर से चूमा. मेरे बदन में सरसराहट दौड़ गई. मेडम ने मुझे और कसकर जकड लिया और लगातार मेरे गालों पर चुम्बन बरसाने लगी. मैं अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन मेडम की पकड़ मजबूत थी. कुछ ही देर में मेरे दोनों गाल पूरे गीले हो गए. मेडम ने कहा " तुम भी ना , क्या तुम इतना होने के बाद भी इतनी ठंडी हो." मैं कुछ ना बोली. अब मेडम ने मेरे गरदन के नीचे अपनी जीभ से ऐसा चुम्बन किया कि मेरी गर्दन एक ही बार में पूरी भीग गई. मैंने बड़ी मुश्किल से अपने को छुड़ाया. लेकिन जब मुझे नींद आ गई तो मेडम ने  पता नहीं कब मुझे पता चले बिना मेरे कुर्ती के बटन धीरे धीरे खोल दिए और मेरे सीने के उभारों को चूमने लगी. मेरी हालत ख़राब होने लगी. मैंने फिर से बड़ी मुश्किल से अपने को अलग किया और करवट बदलकर लेट गई. लेकिन मेडम यहाँ भी नहीं रुकी. उसने मुझे पीठ के पीछे से दबाकर जकड़ा और अपनी कमर के नीचे के हिस्से से मेरे पीछे के निचले हस्से दो दबाने लगी. किसी तरह से मैंने सहन  कर रात बताई.
सवेरे मेडम लगातार मुझे देखती और आँख मार देती. हम कोलेज लौट आये लेकिन मेडम मुझे अक्सर मिलते ही कहती " जन्दगी जीना सीखो चिकनी. मजे करो. कोई दिन रात बिताओ ना मेरे साथ." मैं मेडम से दूर रहने लगी.  लेकिन मेडम लगता मेरे पीछे पड़ी रहती. 
एक बार फिर ऐसा हुआ कि हमारे होस्टल में मरम्मत का काम हो रहा था. आधा होस्टल बंद किया गया और एक ही कमरे में चार-पांच लडकीयों को एक सप्ताह के लिए रहने को कहा गया. मेरा कमरा भी खल कराया आया. शर्मीला मेडम ने चल चलकर मुझे अपने कमरे में बुला लिया. मैं फिर से फंस गई थी. पहली रात थी. मैं और मेडम कमरे में अकेले.थे. मैं अपनी किताब पढ़ रही थी कि तभी मेडम मेरे सामने आई और एक एक कर के अपने कपडे खोलने लग और पलंग पर फेंकने लगी. जब उसने अपनी ब्रा उतारी तो मन उसके स्तनों को देखती रह गई. मेडम सारी पहनती थी इसलिए कभी हमें पता नहीं चला था. मेडम के स्तन बहुत ही बड़े और उभरे हुए थे. बिलकुल भी लटक नहीं रहे थे. मेडम ने फिर अपनी पेंटी भी खोल दी. अब वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी. बिलकुल रति की तरह लग  रही थी. सेक्स की देवी.  मुझे ना जाने क्या हुआ. मैं लगातार  मेडम को देखने लगी. मेडम आगे बढ़ी और मेरा हाथ पकड़कर मुझे  खड़ा कर दिया. मैं मूर्ति बन गई थी. मेडम ने एक एक कर मेरे सारे कपडे उतार दिए. अब हम दोनों पूरी तरह से नंगी थी. मेडम ने आगे बढ़कर मुझे अपनी बाहों में भर लिया. मुझे मेडम के स्तनों के दबाव से अपने स्तन दबते दिखे और मुझ पर एक नशा छा गया. 
दो मिनट के बाद मेडम ने मुझे हर जगह चूमते हुए मुझे नशे की दुनिया में पहुंचा दिया था. अब हम दोनों  एक दूजे को चूम रहे थे. मेडम ने अचानक मुझे सीधा लिटाया और मेरे कमर को चूमते चूमते स्तनों को मसलने लगी. जब मैं थोड़ी और बेकाबू हुई तो मेडम ने अचानक ही मेरे गुप्तांग पर अपने होंठ रखे और जोर से चूम लिया. मैं तड़प गई. लेकिन मेडम ने मुझे बार बार वहाँ चूमा. मुझे अन्दर  कुछ कुछ महसूस होने लगा था. कोई हलचल मेरे नीचले हिस्सों के भीतर महसूस हो रही थी. 
इसके बाद मेडम ने मेरी टांगें फैलाई और अपने नीचले हिस्से को दोनों टांगों के बीच में इस तरह से फिट किया जैसे कोई मर्द किसी औरत के साथ करता है, अब वो धीरे धीरे मेरे गुप्तांग और जननांग पर अपने दोनों निचले हिस्सों को रगडा रगडा कर मेरी हालत खराब करने लगी. मुझे अब यह लगने लगा था कि मैं मेडम की पकड़ में आ गई हूँ. मुझ पर नशा छाने लगा. मैंने अब मेडम को लिटाया और उसके साथ वो ही करने लगी जो अब तक मेडम ने मेरे साथ किया था. 
काफी देर तक हम दोनों एक साथ लिपटे हुए सोते रहे और मजा करते रहे. 
अगले दिन रात को फिर हम दोनों बिस्तर में थे. तभी मेडम ने मुझे एक लचीला सा लंबा चमकदार रबड़ का पाइप दिखलाया. उसने मुझे कहा कि इसे डिल्डो कहते हैं . हम दोनों नंगी थी. मेडम ने उस डिल्डो का एक सिरा अपने खुद के जननांग में धीरे से घुसाया. फिर मेडम ने मुझे अपने करीब बुलाया और मैंने अपनी टांगें फैला दी. मेडम ने डिल्डो के दूसरे हिस्से को मेरे जननांग में धीरे धीरे डालना शुरू किया, मुझे बहुत ही अच्छा लगा. अब हम दोनों एक दूजे की तरफ धीरे धीरे जोर लगाकर खिसकने लगी. इससे डिल्डो हम दोनों के अन्दर और ज्यादा गहराई तक घुसता चला गया. थोड़ी देर के बाद ही हम दोनों एक दूजे से एकदम सट गए. 
अब हम एक दूजे से दूर जाते और फिर करीब आते हम दोनों के मुंह से सिसकीयाँ निकलने लगी. अन्दर गुदगुदी होने लगी थी. हम दोनों लगातार ये करते रहे, इसके बाद हम दोनों ने अपनी अपनी टांगें कैंची की तरह फैलाई और आपस में क्रोस कर ली. अब हम अपने हाथों के बल जमीन से थोडा ऊपर उठे और एक दूसरे के तरफ दबाव बढाने लगी. इससे डिल्डो अन्दर बाहर होने लगा हम दोनों के जननांगों में . अब तो मुझे बहुत ही मजा आने लगा था. ऐसा लगने लगा कि हम ये लगातार करते ही रहें. लेकिन थोड़ी देर के अन्दर ही हम दोनों की हालत खराब होने लगी. अन्दर गुदगुदी के साथ साथ गीलापन बढ़ रहा था और हम कांपने लग गयी थी. मेडम और हम अपनी अपनी टांगें सीधी कर के एक दूजे से लिपट गई. अब हम दोनों के बूब्स आपस में मिल गे इथे. डिल्डो पूरी तरह से मूड गया था लेकिन हम दोनों  के ही अन्दर तक अभी भी था. अब हम दोनों एक दूसरे के होठों को बेतहाशा चूमने लगी. उतेजना बढती जा आरही थी. फिर अचानक ही मुझे ऐसा लगा कि मेरे अन्दर की हलचल एक दम तेज हो गई है और अन्दर से कुछ रस जैसा बाहर आने को है. मेडम को भी यही लगा और हम दोनों इतनी जोर से आपस में चिपटी  कि दोनों के बूब्स इतने बड़े होने के बाद भी पूरी तरह से दब गए . मेडम ने अपनी जीभ पूरी तरह से  मेरे मुंह में डाल दी. मैं काँप रही थी. मेरे अन्दर से बहुत कुछ बहकर बाहर आने लगा था. मुझे गीलापन महसूस हो रहा था. मेडम के साथ भी यही हो रहा था. मैंने मेडम की जीभ को अपने मुंह में  घुल जाने दिया. अब हम दोनों ही ठंडी हो चुकी थी. 
मेडम और मैं जब थोडा संभले तब अलग हुए. बाद में बाथरूम में जाकर पानी से सब गीलापन धोया और साफ़ किया. मेरी दुनिया बदल गई थी आज. 







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