Tuesday, October 21, 2014

FUN-MAZA-MASTI कुँवारी कन्या के साथ

FUN-MAZA-MASTI


कुँवारी कन्या के साथ

प्रेषक : जहाँपनाह 
चूत की मल्लिकाओ और लण्डों के पुजारी 
आज तुम्हारा भोंसड़ा फाड़ने की बारी है हमारी 
जहाँपनाह के दरबार में 
चूत सजी भयानक काले लण्ड के इन्तजार में.... 
सर्दियों का दौर था, चारों तरफ हमारे लण्ड का शोर था। 
मैं बचपन से ही गर्म किस्म का इंसान हूँ, हसीन लड़की या औरत मेरी कमजोरी है ! मेरा लण्ड 9 इंच का है जिसकी प्यास बुझाना सबके बस की बात नहीं ! 
मैं अपनी पहली कहानी लेकर आपके सामने आ रहा हूँ क्योंकि मैं चाहता हूँ कि आप मुझे मेरे लण्ड की प्यास बुझाने का कोई उपाय बताएँ ! मेरा पहला सेक्स आपके सामने हाज़िर है ... 
बिचपुरी का वो कॉलेज है जहाँ के लण्ड बहुत ही मशहूर हैं। 
मैं कॉलेज से अपने कमरे पर जा रहा था, जहाँ मैं अकेला रहता हूँ। मैंने कभी कोई साथी कमरे में नहीं रखा क्योंकि रात में मेरे सेक्स की आग जाग जाती है, मैं आग में जलने लगता हूँ और आप सोच ही सकते हैं कि मेरे साथ में रहने वालों का क्या हाल होगा? 
मेरे कई दोस्त मेरे लण्ड का स्वाद ले चुके हैं ! यह तो मेरी यौनेच्छा की बात है। 
मुझे कमरे तक पहुँचने के लिए गर्ल-हॉस्टल के सामने से बस पकड़नी पड़ती है। मैं सड़क पर खड़े होकर गाड़ियों को हाथ दे रहा था कि तभी एक लम्बी कार मेरे सामने आकर रुकी, शीशा खुला, मैं देखते ही मानो होश खो बैठा ! ऐसा फिगर मैंने तब तक नहीं देखा था, 
36-24-32, 
क्या चूचियाँ थी ! 
गोरे गाल बिल्कुल दूध की तरह, 
गुलाबी होंठ जैसे बुला रहे हों कि आओ हमें चूस लो ! 
काले और लम्बे बाल, जो खुले हुए थे, उसकी उम्र लगभग 18 साल होगी, वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मुझे लगा कि मैं खड़े-खड़े झड़ जाऊँगा। 
उसने पूछा- कहाँ जाना है आपको? 
.........बोदला ! 
उसने अंदर आने का इशारा किया और मैं चुम्बक की तरह आगे वाली सीट पर बैठ गया। मेरी नज़र उसकी चूचियों से हट ही नहीं रही थी, उसके गोरे गालों को चूमने का मन कर रहा था। उसने लाल रंग का शॉर्ट टॉप और काले रंग की जींस पहन रखी थी। 
क्या देख रहे हो? उसने कहा। 
तो मैं झिझक गया ....नहीं कुछ तो नहीं ! आप इतनी सुन्दर हैं कि कोई भी आपको देखता ही रह जाएगा ! 
उसने अपना हाथ गेयर की तरफ बढ़ाया और मेरी घुटने पर रख दिया। 
तभी मेरा लौड़ा और तन गया ! मैंने अपने लण्ड को दोनों हाथों से छिपा रखा था ताकि वो देख ना ले ! 
उतारते समय उसने अपना विज़िटिंग कार्ड देकर अगले दिन आने को कहा। 
सॉरी, मैं उसका नाम बताना भूल गया- उसका नाम आकांक्षा था। 
अगले दिन मैं दिए पते पर पहुँच गया ! 
दरवाजा खुला, आज आकांक्षा कल से ज्यादा स्मार्ट लग रही थी ! 
उसने मुझे चाय के लिए पूछा, मैंने मना कर दिया। 
आकांक्षा उंगली का इशारा करके अपने बेडरूम में चली गई। पीछे पीछे मैं भी चला गया। वो अपने कपड़े उतारने लगी ! 
तुम कल क्या देख रहे थे ? 
मैंने सोचा कि तुम्हें आज सब कुछ दिखा देती हूँ..... 
इतना सुनते ही मैंने उसके होंठ चूस लिए, वो तड़प उठी जैसे बिन पानी मछली ! 
आकांक्षा ने आज काले रंग की ब्रा और काले रंग की ही पैंटी पहन रखी थी। उसका जिस्म फूलों की तरह महक रहा था ! 
उसने अपने काले और लम्बे बाल खोल कर कहा- देख लो, जो देखना चाहते हो ! जितना करीब से चाहो ! 
मैं भूखे शेर की तरह टूट पड़ा ! 
मैं उसकी गोल-मटोल चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। 
वो मुझसे लिपट गई। 
मुझे लगा कि मुझसे भी ज्यादा गर्म लोग हैं इस दुनिया में, जो जिस्म की आग में तप रहे हैं ! 
मैंने आकांक्षा के जिस्म से आखिरी कपड़े भी अलग कर दिए ! 
अब वो मेरे कपड़े उतारने लगी तो मैं उसकी पीठ सहलाने लगा। 
मैंने धीरे से उसके कान को काट लिया, उसके मुँह से उफ्फ्फ्फफ्फ़ की आवाज़ आई। वो मुझसे सांप की भांति लिपट गई। 
मैंने उसे उठा कर उसकी चूचियों को मुँह में लेना चाहा तो उसने पहले चूत की तरफ इशारा किया। 
मैं तभी चूत की तरफ मुड़ गया ! 
आकांक्षा की चूत बिलकुल टमाटर की तरह लाल और अंगूर की तरह छोटी थी। 
मैंने चूत को मुँह में ले लिया और जोर जोर से चाटने लगा ! उसके मुँह से आह आहह की आवाज़ निकलने लगी। 
उसने एक हाथ से मेरा लण्ड सहलाना शुरु कर दिया। उसका एक हाथ मेरे सर पर था, वो मुझे ऐसे दबा रही थी कि मानो कह रही हो- मेरी चूत में घुस जाओ ! 
इतनी कामुक औरत मैंने अपनी जिंदगी में नहीं देखी ! 
मैं कोमल के ऊपर आ गया। अब मेरा लण्ड उसके मुँह में था और मैं उसकी चूत का स्वाद ले रहा था ! 
वो लण्ड को ऐसे चूस रही थी कि जैसे लग रहा था कि काट कर खा जाएगी ! 
मैं उसे मना नहीं कर पाया, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था ! 
20-25 मिनट तक हम एक दूसरे को चाटते रहे ! इस बीच वो दो बार पानी छोड़ चुकी थी मगर मेरा निकल ही नहीं रहा था ! 
मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकालना चाहा तो जिद करने लगी- मुझे पानी पीना है ! 
मैंने समझाया- चूत में डालेंगे तो पी लेना ! 
वो मान गई ! 
मैंने उसके होंट चूसना शुरु कर दिए और एक हाथ से आकांक्षा की चूची मसलने लगा। वो मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी। उसका हाथ मेरी पीठ को सहला रहा था। वो जिस्म की आग से तप रही थी। उसने मुझे अपनी ओर खींचा जैसे कह रही हो- मेरे जिस्म में समा जाओ ! 
मैंने उसके जिस्म को ऐसे चाटना शुरु किया जैसे वो कोई लॉलीपॉप हो ! 
वो उफ़ उफ़ उफ़ किये जा रही थी और कह रही थी- फाड़ दो ! मेरी चूत फाड़ दो ! मेरी प्यास बुझा दो ! जानू मेरी चूत को चोद कर भोसड़ी बना दो ! मेरी प्यास बुझा दो ! मेरे जिस्म को ठंडा कर दो ! मेरी आग बुझा दो ! 
करीब 30 मिनट तक मैं उसे चाटता रहा ! 
उसने मुझे ऊपर खींच लिया- डाल दो, डालो न ! क्यों तड़पा रहे हो ? प्लीज डाल दो जानू ! मेरी जान, मेरी चूत में घुस जाओ ! 
मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा ही था कि वो दर्द के मारे रो उठी, मैं समझ गया कि वो कुंवारी बुर थी ! 
बिस्तर पर खून ही खून ! 
वो डर गई ! 
मैंने उसे समझाया कि ऐसा पहली बार में होता है, बस थोड़ी देर में सब ठीक हो जायेगा। 
मैं जोर जोर से झटके मार रहा था और आकांक्षा भी मेरा साथ दे रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे दर्द हो ही न रहा हो ! 
मैंने पूछा तो बोली- दर्द से बड़ी प्यास है ! पहले मेरी प्यास बुझ जाये ! प्लीज फाड़ डालो ! होने दो दर्द ! फट जाने दो मेरी चूत को ! 
मेरा 9 इंच का लण्ड उसकी योनि के अंदर ऐसे जा रहा था जैसे कोई गर्म छड़ हो ! और वो बार बार कह रही थी- साली को फाड़ दो ! मेरी चूत को फाड़ दो ! मेरी जान, मेरे प्यारे राजा ! 
मैं उसकी चूत चोद ही रहा था कि अचानक दरवाज़ा खुला ! 
अब मेरे पैरों तले जमीन नहीं रही !







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