Thursday, October 30, 2014

FUN-MAZA-MASTI बदलाव के बीज--51

 FUN-MAZA-MASTI
 बदलाव के बीज--51

अब आगे...

 तब भाभी ने अपनी दूसरी चाल चली;

रसिका भाभी: पिताजी (बड़के दादा) रात को मैं साउंगी कहाँ?

बड़के दादा: क्यों? तुम बड़े घर में सो जाना, हमेशा वहीँ तो सोती हो तुम|

रसिका भाभी: वो पिताजी ... आज तो घर में हम तीन ही हैं| मुझे वहाँ अकेले सोने में डर लगता है| ऐसा कीजिये आप यहाँ रसोई के पास सो जाइये और मैं, वरुण और मानु जी बड़े घर में सो जाते हैं|

बड़के दादा: जैसे तुम ठीक समझो|

अब भाभी की बात सुन के मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं| मैं तो जैसे पलक झपकना ही भूल गया| कैसी औरत है ये जो अपने ही ससुर से कह रही है की उसे मेरे साथ सोना है? अब बड़के दादा तो रसोई के पास अपनी चारपाई पे लेट गए| अब मुझे और रसिका भाभी को बड़े घर में सोना था...वो भी अकेले!! अब मैं अपनी चारपाई खींच के स्नान घर के पास ले गया और भाभी की चारपाई प्रमुख दरवाजे से कुछ बारह कदम दूरी पर थी| मेरी और भाभी की चारपाई में करीब पंद्रह फुट की दूरी थी| अब मैं लेट गया पर नींद नहीं आ रही थी| पिछले दो-तीन दिनों से मैंने रसिका भाभी के हाथ का बना कुछ भी नहीं खाया था| एक बस चाय का सहारा था जो बड़की अम्मा सुबह-शाम बनाया करती थीं, पर आज तो वो भी नहीं मिली क्योंकि अम्मा चलीं गई थी| इसलिए आज पेट बिलकुल खाली था और ऊपर से जो मैं ठन्डे पानी से नहाया था तो शरीर ठण्ड से काँप अलग रह था|

मैं आँख बंद किये सीधा लेटा था और दायें हाथ से अपनी आँखों को ढक रखा था| आँखें बंद किये भौजी को याद कर रहा था... सोच रहा था की अगर वो यहाँ होती तो हम कितनी बातें करते... नेहा की भी याद आ रही थी| मेरी बगल में ही वरुण लेटा था, मैंने उससे कहा की "बेटा आप आज मम्मी के पास सो जाओ"| ताकि आज भाभी उसे उठाने के बहाने फिर मुझसे छेड़खानी ना करें| पर मेरी बात भाभी ने आगे खुद ही पूरी कर दी; "बेटा आओ मेरे पास सो जाओ| चाचा को आराम से सोने दो|" शायद वो मुझे खुश करने के लिए कह रहीं हो पर मैंने उन्हें जरा भी तूल नहीं दी| मैं फिर अपने ख्यालों में डूब गया .... भौजी को याद करके मन थोड़ा खुश हुआ| वो उनका हर बार जिद्द करना...मुझसे नाराज होना... और जब वो टूटी-फूटी अंग्रेजी बोला करती थीं वो सब मुझे बहुत याद आ रहा था| खड़ी की सुइयाँ तेजी से भागने लॉगिन और रात के करीब दो बजे होंगे, जब मुझपे उस घायल शेरनी ने हमला किया| मैंने एक चादर ओढ़ रखी थी, जिसे एक झटके में भाभी ने खींच लिया और इससे पहले मैं कोई प्रतिक्रिया करता वो मेरे ऊपर लेट गेन... वो भी नंगी! उनके शरीर पे कपडे का एक टुकड़ा भी नहीं था| एक दम से उन्होंने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ लिया, पता नहीं उनमें इतनी ताकत कहाँ से आ जाती थी| मैं खुद को छुड़ाने की भरपूर कोशिश करने लगा पर कोई फायदा नहीं था| वो मुझे Kiss करने की कोशिश करने लगीं और मैं बार-बार अपना मुँह इधर-उधर घुमा लेता था|

अब अगर मैंने भाभी की वो कातिल जवानी की तारीफ नहीं की तो आप लोग मुझे ही गालियां दोगे| पर मैं बता दूँ ये तारीफ सिर्फ आपके लिए है, मेरे लिए ये बस एक जब्बर्दस्ती का काम है जो मैं सिर्फ आपके लिए कर रहा हूँ|

एक दम गोरा बदन .... दूध से सफ़ेद उनके बूब्स*.... भूरे रंग के निप्पल.... बालों का जुड़ा बना हुआ.... चूत पे बालों का घना जंगल जो मुझे बिलकुल पसंद नहीं है| छत्तीस की कमर और मुलायम टांगें तो मेरे पाँव से रगड़ खा रहीं थी|

(मैं बूब्स और चूत जैसे शब्द का प्रयोग केवल और केवल रसिका भाभी के लिए कर रहा हूँ| मैं इसका प्रयोग कभी भी भौजी के लिए नहीं करूँगा| क्योंकि जो मजा "स्तन" या "योनि" कहने में है वो बूब्स कहने में नहीं!"


 तो सीन ये था की भाभी मुझे बेतहाशा चूमने की कोशिश कर रहीं थीं पर चूँकि उनके हाथ मेरे हाथों को रोकने में व्यस्त थे इसलिए वो कामयाब नहीं हो रहीं थी| इधर मेरा लंड जो अपने ऊपर भाभी की चूत की गर्मी झेल रहा था वो भी भी अपनी ताकत दिखाने को तरस रहा और पजामे में तम्बू बना चूका था| अब भाभी को भी अपनी चूत पे नीचे से मेरे लंड की आंच महसूस कर रहीं थी;

रसिका भाभी: हाय मानु जी..... देखो अब तो आपके लंड ने भी बगावत कर दी| देखो वो भी कितना प्यासा है... बुझा लेने दो उसे अपनी प्यास|

मैं: कभी नहीं... हटो मुझ पर से| (मैं छटपटाने लगा)

रसिका भाभी: बड़े जालिम हो तुम... और स्वार्थी भी!

मैं: हटो मुझ पर से ....छोडो मेरा हाथ!!! (मैं गुस्सा दिखाते हुए बोला)

रसिका भाभी: ऐसे कैसे कल से आज तक तीन थप्पड़ खा चुकी हूँ.... इसका जुरमाना तो तुम्हें भरना ही पड़ेगा| बहुत जबर्दस्स्त हाथ है तुम्हारा बस एक गलती करते हो.... अपनी ये ताकत मेरी प्यास बुझाने में लगाओ ना की मेरे गाल लाल करने में|

मैं: बहुत हो गया अब... आअह्ह्ह्ह्ह्ह

मैंने अपनी पूरी ताकत लगाईं और अपना सीधा हाथ उनसे छुड़ा लिया और छिटक के दूर जा खड़ा हुआ.... मैंने तुरंत नीचे पड़ी चादर उठाई और भाभी के मुँह पे फेंक के मारी|

मैं: Enough !!! (मैंने चिल्ला के कहा)
पर उस गंवार औरत पे क्या फर्क पड़ना था... अरे उसे समझ ही नहीं आया होगा|

मैं: भाभी बहुत हो गया... आपने अपनी साड़ी शर्म हाय बेच खाई| अब इस चादर से को खुद को ढको|

रसिका भाभी: क्यों ढकूँ?

मैं: मुझे नहीं देखना आपको इस तरह!

रसिका भाभी: तो तुम अपनी आँखें बंद कर लो| खुद तो कभी अपना लंड दिखाते नहीं जो.. और जब मैं अपनी चूत दिखा रही हूँ तो वो भी नहीं देखि जाती तुम से!!!

मैं: मुझे क्या आपने अपने जितना गिरा हुआ समझा है|

रसिका भाभी: अच्छा एक बात बताओ की तुम मुझसे इतना दूर क्यों भागते हो .... मानो मुझसे नफरत करते हो| मैंने तुम से माँगा ही क्या है? यही न की एक बार मेरी प्यास बुझा दो ! बस... मैंने तुमसे कोई जायदाद तो नहीं माँग ली? पता है जिस तरह तुम मुझसे से व्यवहार करते हो... मुझे तो लगता है की तुम कुंवारे हो.... कुंवारा मतलब तो समझ ही गए होगे तुम?

मैं: जो आप चाहते हो वो मैं नहीं कर सकता क्योंकि मैं आपसे प्यार नहीं करता| मैं ये सब उसी के साथ करूँगा जिससे मैं प्यार करता हूँ|

रसिका भाभी: पर मैं तो तुमसे प्यार करती हूँ|

मैं: सिर्फ अपने काम के लिए .... और आप मुझे दिल से प्यार नहीं करते बस उस नीचे वाले मुँह में कुछ डालने के लिए ये सब कर रहे हो|

रसिका भाभी: हाय... तुम उतने भी ना समझ नहीं जितना बनते हो|

मैं आगे उनसे कुछ नहीं बोला और पैर पटकता हुआ अपने कमरे में जा के चारपाई पे बैठ गया और सर झुका के सोचने लगा| इतने में भाभी उठ के मेरे सामने नंगी खड़ी होगी| वो चौखट पे अपने कंधे टिका के खड़ी थीं और और डायन हाथ उनकी कमर पे था जिससे उनकी गांड का उभार साफ़ दिख रहा था| 


उनके बूब्स आगे की ओर निकले हुए साफ़ दिख रहे थे| मैंने एक नजर उन्हें देखा और फिर अपना तौलिया उठा के उनकी ओर बढ़ा;

रसिका भाभी: कहाँ जा रहे हो तौलिया ले के?
मैं कुछ नहीं बोला पर मुझे स्नान घर की ओर जाता देख वो समझ गईं की मैं कहाँ जा रहा हूँ|

रसिका भाभी: मानु इतनी रात को नहाओगे तो ठण्ड लग जाएगी| पानी बहुत ठंडा है! मान जाओ!!!

मैं अब भी कुछ नहीं बोला और स्नान घर में घुस गया| स्नान घर में दिवार करीब चारफूट ऊँची है| तो जब कोई खड़ा हो के नहाता है तो गर्दन से ऊपर का भाग साफ़ दिखाई देता है| मैं उसी दिवार की आड़ लेके नहा रहा था| मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी, फिर पजामा उतार और आखिर में अपना कच्छा भी उतार के उसी दिवार पे रख दिया| जैसे ही मैंने पहला लोटा पानी का डाला तो मेरी कंप-कंपी छूट गई...बर्फ सा ठंडा पानी था... मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे| मैंने साबुन लगा के रगड़ के नहाना शुरू कर दिया;

रसिका भाभी: हाय ...मानु जी... अब कौन सी मिटटी में खेल के आये हो जो इतना रगड़-रगड़ के नहा रहे हो?

मैं: आपकी वजह से नहाना पड़ रहा है| (गुस्से में)

रसिका भाभी: अरे बाबा मैंने क्या कर दिया?

मैं: जब-जब आप मुझे छूते हो आपकी गंध मेरे शरीर में बस जाती है| उसी गंध को छुड़ाने के लिए मैं इतना रगड़-रगड़ के नहा रहा हूँ|

रसिका भाभी: हाय दैया मैं इतनी बड़ी अछूत हूँ? और अगर मेरी महक तुम्हें इतना तंग करती है तो मेरे हाथ का बना खाना कैसे कहते हो? (उन्होंने मुझे ताना मार)

मैं: हुंह...पिछले दो दिनों से मैंने आप के हाथ का बना कुछ भी नहीं खाया|

रसिका भाभी: तो जो मैं खाना परोस के देती हूँ उसे क्या तुम फेंक देते हो?

मैं: मैं अन्न की इज्जत करता हूँ| जो झना आप परोस के देते हो उसे मैं आपके ही सपूत वरुण को खिला देता हूँ|

रसिका भाभी: तो ये बताओ की अपनी भौजी के साथ जो चिपके रहते हो तो उनकी महक नहीं बस जाती तुम्हारी नाक में?

मैं: उनके मन में मेरे लिए वासना नहीं है| प्यार है... इज्जत है|

रसिका भाभी: हाँ भाई हमारे मन में तो सिर्फ वासना ही भरी है!



 इतना कहके उन्होंने फिर से अपनी ओछी हरकत की| वो मेरे सामने अपनी टांगें खोल के उकड़ूँ होक बैठ गईं और अपनी झांटों वाली चूत मुझे दिखाते हुए उसमें ऊँगली करने लगी| मैंने मुंह फेर लिया, पर जब मैंने कनखी आँखों से देखा तो वो अब भी मेरी ओर देख के अपनी चूत में ऊँगली कर रहीं थीं और हस्त मैथुन कर रहीं थी| मैं उन पे ध्यान नहीं देना चाहता था पर वो जान-बुझ के अपने मुंह से सिस्कारिया निकाल रहीं थी जिससे मेरा ध्यान भंग हो रहा था| मैंने जल्दी से अपना नहाना खत्म किया और नए कपडे पहन के (कुरता-पजामा) पहन के बहार आ गया, सामने देखा तो जमीन पे भाभी की चूत से जो पानी निकला था वो जमीन पे पड़ा हुआ था| मैं नाक सिकोड़ के छत पे भाग गया| अब जो कुछ अभी हुआ था उससे ये बात तो साफ़ थी की मैं नीचे नहीं सो सकता वरना ये सुबह तक मुझे नोच खायेंगी| मैं छत के सबसे दूर वाले कोने पे बैठ गया और पेरापेट दिवार से पीठ लगा के बैठ गया| मुझे बहुत जोर की ठण्ड लग रही थी और बुरी तरह काँप रहा था| पर मैं नीचे नहीं जाना चाहता था.... करीब एक घंटे बाद मैंने छत से नीचे आँगन में झाँका तो देखा भाभी चारपाई पे ब्लाउज और पेत्तिसोअत पहने लेती हुई हैं| मैं वापस अपनी जगह बैठ गया और उम्मीद करने लगा की अब सुबह होगी...अब सुबह होगी... और ऐसे करते-करते सुयभ हो ही गई| साड़ी रात आँख खोले जागता रहा, और जैसे ही सूरज की किरण मेरे ठन्डे पड़ चुके शरीर पे पड़ी तो दिल ने कुछ रहत की साँस ली|



हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator