Wednesday, October 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI मम्मी और दीदी--3

FUN-MAZA-MASTI

 मम्मी और दीदी--3

 पन्डितने वहा जाते ही हमे कुछ देर पूजा के स्थान पर बिठाया और मन्त्र जाप करने लगा. यह नाटक कुछ समय चलने के बाद मैने उसे आन्खोसे इशारा किया कि अब बहुत हो चुका, चलो अपना काम निपटाओ. तुरन्त उसने अपना कारोबार खतम किया, जाते वक्त मम्मीसे बोला कि बाकी की विधी मै आपके सुपुत्र को समझा के चलून्गा और सुबह ५ बजे आउन्गा.

मुझे वो बाहर ले गया और कहने लगा अब सब तुम्हारे हाथ मे है, मैने कुछ अलगसे वस्त्र रखे है वोही पहनाना, तुम्हारा काम आसान हो जायेगा. मात्र ५ बजे तक का वक्*त है तुम्हारे पास, उसके बाद तो बाकीके लोग जाग जाते है और अपनी अपनी पूजा के लिये निकल पडते है, उस टाईम तुम्हे इस कमरे मे रहना ठीक नही होगा. बस अपना वादा याद रखना, मेरे नाम पे अपने शहर मे कोई धब्बा नही लगना चाहिये. मै समझ गया कि इससे ज्यादा कुछ करना उसके लिये सम्भव नही होगा. अब सचमुच सबकुछ मेरे हाथमे था अगर मै इस रात को कामयाब नही होता तो फिर ऐसा सुनहरा मौका कभी नही आता. मैने मन ही मन कुछ बाते तय कर ली और अन्दर रूम गया. मम्मी उसी पूजा स्थान पे बैठी थी, जैसे मै अन्दर आया तो उसने पूछा, अब आगे क्या विधी बतायी है पन्डितजी ने. मैने कहा पहले आप बाथरूम मे जा कर शुद्ध वस्त्र पहन लो, पन्डितजीने आज कुछ अलग वस्त्र रखे है जिनपर मन्त्र-जाप करके उन्हे शुद्ध किया है आप वो पहन लेना, मेरे लिये यह धोती रखी है. मम्मी ने कुछ पूछे बिना अन्दर जाके कपडे बदल लिये किन्तु जब वो आयी तो मुझे लगा कि मै सपना देख रहा हू, वो वस्त्र कैसा सिर्फ़ एक साडी थी, सफेद कलरकी, ना ब्लाउझ ना पेटिकोट और ना ही अन्दर कुछ, उनकी बडी बडी चुचिया लगभग नन्गी थी, मुझे अहसास हुआ की उनके स्तन का आगे का भूरा हिस्साभी दिखाई दे रहा था और फिर वो वो मुनके जैसे निप्पल........ पेट जरा सा फूला हुआ था और उसपर उनकी गहरी नाभी इतनी सेक्सी लग रही थी कि पूछो मत...... वो साडी घुटनोके नीचे तक तो थी लेकिन पतली होनेके कारण उनकी सुडौल जान्घे उससे साफ दिख रही थी. मम्मी इतनी ज्यादा कामुक लग रही है थी कि मेरा मन कह रहा था मारो गोली इस पूजा-विधी को और झपटकर.......मुझे उन्हे देखकर ‘राम तेरी गन्गा मैली’ वाली मन्दाकिनी याद आयी. आपको याद होगा कि दोपहर को मैने जब लेप लगाया तो उन्होने वो चोला पहना हुआ था और सुबह तेल लगाते हुए मैने आन्खोपे पट*टी बान्धी थी इसलिये उनके इस सेक्सी बदन का दर्शन मुझे ठीकसे नही हुआ था लेकिन अब की बात और थी, इस साडी मे वो लगभग ८०% नन्गी थी, उनका चेहरा शर्म से लाल हुआ था, जाहिर है वो कम्*फरटेबल नही थी, लेकिन क्या करती, पन्डितजी का कहना वो किसी हालत मे नही टालती.
खैर वो आके खडी हो गयी और पूछने लगी, बोलो अब क्या करना है. मै उनके रूप को निहारने मे इतना मगन था कि मुझे पता ही नही चला कि वो मेरा नाम पुकारे जा रही है. फिर वो करीब आयी और मुझे हिलाते हुए कहा बेटा बताओ ना , क्या सोच रहा है, अब आगे क्या करना है. मेरे दिमाग मे एक आयडिया आया, मैने कहा पन्डितजी ने आपको शुद्ध होके आने के लिये कहा है, आपको तेल लगाकर नहाना है, पन्डितजी ने मन्त्र-सिद्ध किया हुआ तेल दिया है. वो एक आसनपे बैठ गयी. मै उनके पीछे जाकर उनकी पीठ पे तेल रगडने लगा. सुबह मै यह काम खुले मे और पटटी बान्धे कर रहा था लेकिन इस बार मै एक बन्द कमरे मे था, आसपास कोई नही था और मेरी आन्खे पूरी खुली थी, मै सुकूनसे उन्हे तेल लगा रहा था, पीठ के बाद मैने उनकी जान्घोपे, कन्धोपे, बाहोपे यहातक कि उनकी चिकनी और गदराई हुई बगलमे भी तेल लगाया. उनकी बगल मे तेल लगाते हुए मम्मी किसी बच्ची की तरह हस रही थी और गुदगुदी होनेके कारण मुझसे छुडाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मैने भी जिद रखकर उनके सारे शरीर पर तेल लगा लिया, बस अब उनके स्तन और नितम्ब बचे थे और वो खास हिस्सा जो अभीतक मैने नही देखा था. लेकिन मै कोई जल्दबाजी नही करना चाहता था क्योन्कि इससे मेरा काम बिगड सकता था. तेल मालिश होने के बाद मैने मम्मी को नहाके आने के लिये कहा और वो बाथरूम मे चली गयी. अब मुझे क्या करना है इसका मुझे खुद पता नही था, मैने बाथरूमके दरवाजेमे कोई सुराग ढून्ढनेकी कोशिश की, लेकिन कुछ नही था, उस रूम मे इधर उधर ताकाझाकी कर ली, वहा पे कुछ तेल की शीशी और एक-दो धार्मिक किताबे मिली और तो कुछ नही था. अब आगे मम्मी को क्या बताया जाये इस सोच मे डूबा हुआ था कि मुझे एक तरकीब सूझी. मैने उस रूम के कोने से एक चद्दर और एक पुरानीसी मन्त्रोवाली किताब ढून्ढ निकाली, उस पर कुछ फूल और चन्दन की पावडर रख दी और मम्मीके आने का इन्तजार करने लगा. कुछही समय मे मम्मी नहा के वापस आयी, उसने वही साडी लपेटी थी, लेकिन बाल गिले होनेसे वो और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी. बाहर आतेही उन्होने अपने बाल एक जूडेमे बान्ध लिये, यह करते हुए उनके हाथ उपर उठ गये और उनकी साफ सुथरी बगलका हिस्सा साफ दिखाई दिया, जो बहुत सेक्सी लग रहा था. मैने उन्हे उस फर्शपे बिछाई चद्दर पे लेटने को कहा, वो कुछ बोले बिना लेट गयी, मैने उस किताब को पढके मन्त्र-जाप करने का नाटक करते उनके पैरकी उन्गलियोको सहलाने लगा. उनकी गोरी गोरी नाजुक उन्गलिया इतनी सुन्दर लग रही थी कि मैने नीचे झुककर उन्हे चूम लिया. मेरे होन्टोका स्पर्श पाकर मम्मी चौन्क गयी और बोली, बेटा यह क्या कर रहे हो. मैने उन्हे समझाया, पन्डितजीने यह विधी बतायी है, इसी किताबकी आधारपर, और मैने उन्हे वो किताब दिखा दी, उसमे कुछ मन्त्र जरूर लिखे थे, लेकिन क्या लिखे थे इसका उन्हे पता नही था. मैने बात और आगे बढाते हुए कहा कि यह बडी विचित्र विधी है, पन्डितजी बता रहे थे कि दीदीका जो दोश है कही ना कही उसकी जड आपमे भी है, और इस लिये मुझे आपसे आप का दोश हटाना है. मै जानता था कि मम्मी पन्डित की बात कभी नही टालेगी और न ही उन्हे पूछने जायेन्गी कि क्या वाकई उन्होने ऐसी विधी बतायी है इसलिये मै निश्चिन्त था. मैने उनके पैर से लेकर उसकी सारी उन्गलिया एक एक करके चूसने लगा, मम्मी को गुदगुदी हो रही थी और बीच बीच मे वो खिलखिलाकर हसती थी. उन्गलिया चूसते समय मैने अपना एक हाथ उनके पैरका घुटने के नीचेका हिस्सा सहलाने लगा, उन्होने विरोध नही किया इसे मैने उनकी अनुमति समझा और फिर उनका घुटना सहलाने लगा. फिर उनका पैर छोडकर मैने मेरा मुह उनके पाव पर लाया और फिर जहा पहले मेरा हाथ था वहा पे मै किस करने लगा, चूसने लगा हलकेसे काटने लगा. मम्मी अब आन्खे बन्द किये पडी थी, उनकी सासोसे और बीच बीच मे भरी सिसकियोसे उनके मन के अन्दरकी बात जाहिर हो रही थी. मै औन्धे बैठ गया, मेरा लन्ड अब गमछेका तम्बू बनाकर खडा था, मैने मम्मी के दोनो पैर साथ मे रख दिये और बारी बारी उनके घुटने चूमने लगा. फिर थोडा आगे झुककर मैने डरते हुए उनकी साडी उनकी जान्घोसे उपर उठा दी, मुझे डर था कि कही वो मना ना कर दे, लेकिन मम्मीकी आन्खे बन्द की बन्द रही, उन्होने मुह से कुछ नही कहा, बस थोडासा कसमसायी. मैने वो इशारा अनुमतिके तौरपे लिया और उनकी साडी यहातक उपर उठा दी कि वो साडी अब केवल उनकी चूत और आजूबाजूका थोडा हिस्सा ढक रही थी, मम्मीकी केले के खम्बे जैसे सुडौल, गोरी, चिकनी और मादक जान्घे देखकर मै अपने आप पे काबू नही कर सका और झपटकर मम्मीकी उन जान्घोपे तडातड चुम्मे जड दिये, मम्मी मेरे इस हमलेसे सकपका गई और उन्होने अपनी जान्घे सिमटकर पास खीन्च ली, इस क्रिया की वजहसे उनके पैर थोडे उपर आ गये और सीधे मेरे खडे लन्डपे जा धडके. जैसेही मम्मीके पैरोको मेरे खडे लन्ड का अहसास हुआ, उन्होने फिरसे पैर नीचे रख दिये, और मुझे बाहोसे पकड लिया. यह कसौटी की घडी थी, अब अगर मै पीछे हट जाता या मम्मी मुझे मना कर देती तो शायद हम दोनो पास कभी नही आते, लेकिन मम्मी ने कापते हुए स्वर मे पूछा, यह क्या कर रहे हो बेटा, मुझे.......मुझे.......बडा अजीबसा लग रहा है, क्या यह विधी मे जरूरी है यह सब कुछ.............मै जानता था कि वो अजीबसा लगना क्या था, वास्तव मे मम्मी बुरी तरह उत्तेजित हो चुकी थी, उन्हे डर था कि अगर बात आगे बढती तो वो शायद खुदपे काबू न रख पाती. लेकिन मै अब पीछे हटनेवाला नही था, मैने फट्से जबाब दिया कि हा मम्मी यही विधी पन्डितजी मुझे बताके गये है, उन्होने कहा था कि थोडी कठिनाई होगी मगर............और मैने बात को आधा छोड दिया, मम्मी फिर चुप हो गयी और लेट गयी.

अब मेरे लिये मैदान खुला था, मैने आधा छोडा हुआ मेरा काम फिरसे शुरु किया, मम्मी ने अपनी जान्घे एक दूसरे से सटाकर रखी थी, मैने मेरा हाथ बीचमे डालकर उन्हे थोडा अलग किया और उनकी जान्घोके अन्दरवाला हिस्सा सहलाना और चूमना शुरु किया. जैसे जैसे मै उनकी चूतके पास जाता वैसे ही मुझे उनकी चूतसे निकलती हुई सुगन्धका अहसास होता था, मम्मीकी जान्घे गिली हुई थी इसका मतलब था कि वो भी मस्तायी हुई थी और चोदने के लिये बेकरार थी. मैने उन्हे कहा की आप उठ के खडी हो जाईये, मुझे विधी करना आसान हो जायेगा. वो खडी हो गयी, फिर मैने वो तेल की शीशी हाथ मे ले ली और कुछ मन्त्र कहने का नाटक करते हुए वो तेल बिलकुल थोडासा लेकर उनकी टान्गोपे मलना शुरु किया, लेकिन इस बार मैने पाव से लेकर सीधे उनकी जान्घोतक हाथ घुमाया, जान्घोके पीछेवाले हिस्सेपर भी मैने रगड लिया, बीच बीचे मे मेरे हाथ उनकी नितम्बोको छू लेते थे, मम्मी आन्खे बन्द करके लम्बी आहे भर रही थी, मैने उनके थोडा पीछे करके एक दीवारकी तरफ सटा दिया. अब वो ज्यादा हिल नही सकती थी, मैने फिर बडे आरामसे उनकी चिकनी जान्घे और फिर उनकी गुदाज नितंबोपर मसलना शुरु किया, बीच मे मैने उनकी जान्घोपर हलकेसे दात गडाए और मम्मी चिहुक उठी, लेकिन दूर हटी नही. मैने थोडे आत्मविश्वाससे कहा कि मम्मी आप अपनी टान्गे थोडी दूर किजिए. मुझे यह सब कहने करने का साहस कहा से आया पता नही, लेकिन मम्मी अब मेरी बात पूरी तरहसे मान रही थी, उन्होने अपनी टान्गे थोडी फैला दी और मै उनकी जान्घोके बीचमे तेल मलने लगा. उनकी चूत की तरफ जैसे मेरा हाथ बढने लगा वो थोडीसी छटपटायी, लेकिन मैने साहस बान्धकर उनके जान्घोपर और कूल्होपर मसलना जारी रखा. लेकिन मैने जानबूझकर उनकी चूत पर हाथ फेरना टाल दिया, उसके इर्द-गिर्द हाथ फेरता रहा. कई बार मेरी उन्गली सीधी उनकी चूत के फूले हुए बाहरी हिस्से को छूती और मम्मी ऐसा झटका देती मानो उन्हे बिजली का करन्ट लगा हो. मै उन्हे और उत्तेजित करना चाहता था इसलिये मैने उनकी चूत मे हाथ नही डाला. फिर मै उपर उठा और तेल लगा हाथ उनके साडी का पीछे वाला हिस्सा हटाकर उसमे हाथ डाल दिया. मम्मी अपना चेहरा दिवार से सटाकर चुप खडी थी, उनके मुह्से मात्र सिसकिया निकल रही थी. मैने उनकी पीठ मसलना शुरु किया, मम्मी कुछ बोल नही रही थी लेकिन मुझे सहयोग भी दे रही थी, मैने साडी थोडीसी उपर उठाकर उनकी नन्गी पीठ पर हलके हलके चुम्बन जडना शुरु किया, धीरे धीरे उपर आकर मैने उनके भरे हुए कन्धोपे दात गडा लिये, मुझे अब उनके वक्षोका उपर से नजारा दिख रहा था और मेरी तना हुआ लन्ड उनकी गान्डपे धक्के मार रहा था. पहली बार जब मेरा लन्ड उनकी गान्ड को टच कर गया तो मैने झट्से मेरी कमर पीछे ले ली, लेकिन उनकी तरफ से कोई परेशानी नही यह देखकर मैने आरामसे मेरीए लन्ड उनकी गान्डकी दरार मे रगडना शुरु किया, उपर मेरे हाथ उनकी पीठ मसल रहे थे और कभी हलकेसे उनकी बगल से आगे जाकर उनके बूब्स को भी छू लेते. इसतरह मै और मम्मी एकदम एक दूसरेसे चिपके हुए थे, यह मेरे सुख की परमसीमा थी, अब मै जान गया कि मम्मी भी अभी मस्ती के मूडमे मे है, कोई भी औरत अपने जवान बेटेको अधनन्गी अवस्था मे इस तरह चिपकने नही देती. मेरे सब्र का फल शायद मुझे मिलने वाला था.

मैने मम्मी को मेरी ओर मुखातिर किया. अब मम्मीकी पीठ दिवारसे सटी थी, और उनकी भरी हुई चुचिया मेरे नन्गे सीनेसे टकरा रही थी. मम्मीने अपनी आन्खे बन्द की थी लेकिन उनका चेहरा लाल हुआ था, होन्ट थरथरा रहे थे. मैने मेरे हाथ उनके मुलायम पेट पर लाकर धीरे धीरे उनका पेट सहलाने लगा. फिर शरारती अन्दाज मे मैने मेरी उन्गली उनकी नाभीमे घुसा दी और उसे अन्दर बाहर करने लगा. मम्मी बस लम्बी आहे भर रही थी. मैने सोचा कि अब वक्त आया है आगे बढने का. मैने उनका चेहरा कापते हुए हाथोमे लिया और बडे प्यारसे उनके माथेपे चूम लिया. यह घडी परिक्षा की थी, अगर मम्मी पीछे हट जाती या मुझे डाटती तो मामला बिगड जाता, लेकिन मम्मी ने बस ‘हम्म्म्म’ ऐसी आवाज की, मै समझ गया कि मम्मी नाराज नही बल्कि वो भी कुछ करना चाहती है. मैने हलकेसे उनकी दोनो आन्खोपर चूम लिया, फिर उनकी नाक पर......मुझे जन्नत का मझा आ रहा था, मम्मी की गरम सासे मेरी नाक को गर्मा रही थी, उनकी आहे मेरे दिल मे वासना बढा रही थी. और फिर मम्मी ने अपने हाथ उठाये और मेरे कन्धोपे रख दिये और उन्होने अपना नीचला होन्ट दातोतले दबा दिया और उनके मुह से ‘स्स्स्स्स्स’ की आवाज आयी. उनके चेहरे पे एक अजीबसी रौनक थी, तब मैने साहस करके उनके गुलाबी होन्टोपे अपने होन्ट रख दिये. ओह्ह्ह्ह्ह्ह...............ऐसा लगा कि मै स्वर्ग मे था, मम्मी के होन्ट मुलायम और बडे रसीले थे, कुछ देर मै बस उनके होन्टोको हलके हलके चूमता रहा, मुझे अन्दाजा नही था कि वो कैसा रिअ*ॅक्*ट करेगी, उनके हाथ मेरे कन्धोपेसे हटे तो नही थे. कुछ देर बाद मै खुद उनसे दूर हुआ. मम्मीने आन्खे खोली, मेरी नजर से नजर मिलायी. आगे क्या होगा इसका मुझे कतई अन्दाजा नही था, उन्होने मुझे अपने पास खीन्च लिया और मेरे होन्टोपे एक कसके चुम्मा जड दिया. अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और मैने भी बडे प्यारसे मम्मीका मुखचुम्बन आरभ किया, शुरु शुरु मे तो मै थोडा हिचकिचाया, और क्यू नही, जिन्दगी पहला चुम्बन, वो भी अपनी सगी मा से और इस हालतमे............यह अनुभव मेरे लिये बहुतही नया और अद्भुत था, लेकिन मम्मी का सहयोग देखकर मुझे भी जोष आ गया, और मै बडी सहजता उनके गुलाबी औत थोडे मोटे होन्ट चूसने लगा, मम्मी की मुह से बहुत सेक्सी आवाजे निकल रही थी और उनके हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे, उनके साडी का पल्लु कब का सरक गया था और मैने सीनेमे और उनके भरे हुए वक्षोके बीच मात्र एक पतलीसी साडीका फासला था. मम्मी की उत्तेजना की गवाही उनके सख्*त हुए निप्पल दे रहे थे, वो निपल मेरे सीनेमे गड रहे थे, मानो मुझे और भी भडका रहे थे. मैने इतनी देरसे मेरा हाथ मम्मीके चेहरेपर ही रखा था, मम्मीका सहयोग देखकर मुझे याद आया कि अब मै उनके इस खूबसूरत बदन का खूब मजा ले सकता हू. इस विचारसे मैने मेरा दाया हाथ नीचे लाया और मम्मीकी बायी चुची कसके पकड ली. ओफ्फ्फ्फ्फ.........मम्मीकी उमर ४० के उपर होनेके बावजूदभी उनकी चुची बहुत कसी हुई लग रही थी यहा तो कोई ब्रेसिअरका सहारा भी तो नही था, बडे टरबुजेकी तरह सख्*त और गोल चुचीको सहलाते हुए और मसलते हुए मुझे बहुत आनन्द मिल रहा था, मेरे मुह से मम्मीका मुह बिलकुल चिपका हुआ था और मम्मी अपनी जान्घोको मेरी जान्घोपे रगड रही थी. या तो व मेरे लन्डके सख्तपन का अन्दाजा ले रही थी या फिर उत्तेजनासे उनका भी पानी छूट रहा था. मैने सोचा कि इससे अच्छा मौका फिर आये ना आये, और मैने पीछे हटकर अपना मुह उनके मुह्से हटा लिया. वो सुखद स्पर्श छोडनेकी वजहसे मै थोडा व्याकुल जरूर हुआ लेकिन मुझे अगला एक और काम करना था जिसकेलिये मै बहुत समयसे तरस रहा था. मम्मी भी मेरी इस हरकतसे शायद थोडी नाराज हो गयी और उन्होने आन्ख खोली और नजरोसेही मुझे सवाल किया कि क्यो मै दूर गया. मैने उनके कन्धोपेसे सरके हुए पल्लु को खीन्च लिया और उनकी साडी निकालने की कोशिश करने लगा, मम्मी को तब समझमे आया कि मै क्यो पीछे हटा था, उन्होने फिरसे अपनी आन्खे बन्द कर ली, मानो उन्होने मुझे अनुमति दी कि जो करना है वो करो. मैने वो साडी खीन्च कर पहले तो उनके विशाल स्तन खुले कर दिये. मै पहली बार मम्मीके वक्ष इतने करीब से और इतने निर्वस्त्र देख रहा था. क्या नजारा था, क्या बताऊ, मेरी तो सासे रुक गयी, मम्मीके वक्ष बहुत सुडौल और सुन्दर थे, बगैर किसी सपोर्ट के वो बडे शानसे उनके सीने पे खडे थे, चुचियोका आगे का हिस्सा भूरे कलर का था, बडा बडा और गोल, और उसपर एक छोटी सुपारीकी तरह खडे उनके निप्पल.....कुछ मिनिट मै अपना होशोहवास खो कर सिर्फ यह नजारा देखता रहा, फिर आगे होकर मैने उन दोनो वक्षोको हाथ मे लिया, जैसे ही मैने उन्हे हाथ मे लेकर हलकेसे मसला मम्मी की मुह से एक ‘स्स्स्स्स्स’ जैसी आह निकल आयी. मैने अपना मुह नीचे करके उनके एक वक्ष को निपलसमेत मुह मे लिया और हलकेसे चूसना शुरु क्या, मेरी आन्ख अपने आप ही इस असाधारण सुखसे बन्द हो गयी, मैने दाये हाथ से मम्मीको अपने पास खीन्चके रखा था और बाये हाथ से मैने उनकी दायी चुची को पकडकर सहलाने लगा, मै उनके निप्पलपे उन्गली घुमा रहा था और मुझे महसूस हो रहा था कि मेरी इस क्रिया की वजहसे उनके निप्पल और भी सख्*त हो रहे थे. जैसे मेरा मम्मी का वक्ष चूसना तीव्र हो गया, वैसेही मेरे दूसरे हाथ का दबाव उनकी चुची पर बढता गया, मै बिलकुल बेहोश हो कर उनके वक्षोका आनन्द ले रहा था और वो मुह्से सेक्सी आवाजे निकाल कर मुझे बढावा दे रही थी. कुछ देर बाद मै उस अजीब अवस्था मे थोडा अनकम्फर्टेबल लगने लगा और मैने मजबूरन उनके वक्ष चूसना बन्द करके सीधा खडा हो गया. अब मम्मीने आन्खे खोल ली, उनका चेहरा लाल हुआ था और उसपर वासना साफ झलक रही थी. मैने उन्हे अपनी तरफ खीन्च लिया तो वो बडी सहजतासे मेरी बाहोमे आ गयी, मैने पहली बार मम्मी को इस तरह आलिन्गनबद्ध किया था, मुझे अपने आप पर बडा गर्व हो रहा था, आखिर मै मेरी चालसे मम्मी को अपने आप को समर्पित कराने मे कामयाब हो गया था. वो पन्डितक्ने काम बखुबी निभाया था. कुछ दिन पहले हम एक साधारण मा-बेटा थे और आज हम लगभग पूरे नग्न अवस्थामे एक दूसरेसे लिपटकर खडे थे. मम्मी की तो चुचियाभी नन्गी थी जो मै मेरे नन्गे सेनेपे महसूस कर रहा था. मैने कुछ देर मम्मीको यूही कसके बाहोमे भर लिया था और उनके सारे अन्गोपर हाथ फेर रहा था. फिर मैने उन्हे अपने अलग किया और उनकी साडी पूरी निकालने लगा, उन्होने भी गोल गोल घूमकर साडी निकालने मे मेरी मदद की, मम्मी धीरे धीरे नन्गी हो रही थी और मै आन्खे फाडफाडकर उनके यौवन का नजारा देख रहा था. मम्मी कमरके उपर तो पहलेसे नन्गी थी अब साडी निकलनेसे उनकी गोल गुदाज गान्ड भी नन्गी हो गयी, काफी कसी हुई लग रही थी उनकी गान्ड, पेट जरा सा फूला था, घूमते हुए साडी निकालनेमे उनकी मेरी तरफ पीठ हो गयी थी सो मै उन्हे आगेसे नही देख पा रहा था लेकिन पीछेसे मम्मी गजबकी सेक्सी लग रही थी, उनकी गोरी गोरी पीठ , बीचवाली दरार, कमर बहुत मोटी भी नही थी लेकिन नीचे उनके कूल्हे पूरी तरह फैले हुए और कसे हुए थे, नीचे उनकी गोरी जान्घे सेक्सी और खूबसूरत पैरोमे समाप्त हो रही थी. मैने पीछे से जाकर मम्मी को दबोच लिया, अब वो पूरी तरहसे नन्गी थी और मै केवल एक गमछा लपेटे हुए था, मेरा तना लन्ड उनकी गान्डपे रगडते हुए मैने उनकी गोरे कन्धोपर चूमना शुरु किया. मम्मीने अपने बाल एक जूडेमे बान्धे थे, उस जूडेको उपर उठाकर मैने उनकी गोरी गर्दन भी चूम ली और फिर मेरे हाथ उनकी बगलसे आगे लाकर उनके वक्षोको मसलना शुरु किया. मम्मी अब पूरी तरह मस्ती मे आयी थी, वो भी अपनी गान्डको पीछे धकेलती हुई मेरे लन्ड का स्पर्श पानेका आनन्द लुटा रही थी. मैने उनके कन्धोपे और गर्दनपे दातोसे हलकेसे काटा और फिर बेरहमीसे उनकी निप्पल उन्गलियोसे कुरेदना शुरु किया, मम्मी कसमसा गयी लेकिन मुह से बस सिसकारिया भरती थी. फिर उसने अपने आप को मुझसे अलग किया और वो उस रूममे मैने जो चद्दर बिछायी थी उस पर जाके खडी हो गयी. धीरे से वो मेरी तरफ मुडी और मुझे अपने खूबसूरत बदन का नजारा दिखाते हुए उन्होने अपने हाथ अपनी गर्दनके पीछे किये, हम दोनो मा-बेटा एक दूसरे की आन्खोमे देख रहे थे, मै उत्सुक था जानने के लिये कि अब मम्मी क्या कदम उठाती है. मम्मी उस चद्दरपर घुटने मोड कर बैठ गयी उन्होने हलकेसे मुस्कुराते हुए अपनी बालोका जूडा छोड दिया और उनके बाल आजाद हो के खुल गये, उन्होने गर्दन हिलाकर उन्हे और भी खुला कर दिया. उस अदा को देखकर मै तो मानो पागल हो गया. यह अदा से मानो वो मुझे बताना चाहती थी कि अब वो पूरी तरह से खुल गयी है, जैसे वो एक प्रेमिका है जो अपने प्रेमी को बता रही है कि मै तो अब तैय्यार हू, अब आके मुझे अपना लो. मैने आगे बढकर मम्मीको चित लिटा दिया और उनके बदनपर मै लेट गया, इस प्यारभरी दावत को मै बडे इत्मिनानसे एन्जॉय करना चाहता था. मम्मी से फिर किस करते हुए मैने उनकी बाहे उपर उठा ली, उनकी बगल का जो हिस्सा था वो मुझे बडा ही सेक्सी लग रहा था, मैने उन्हे पूछा, अम्मी अपके यहा बाल नही है तो वो शरमा के मेरी आगोशमे अपनी मुह छुपा ली, मुझे उनकी इस अदा इतनी पसन्द आयी कि मैने तडातड कई चुमबन उनके चेहरे पे और गर्दन पे जड दिये, फिर शरारत करके मैने उनकी बगल मे चूमा, गुदगुदी होनेकी वजहसे वो कसमसाने लगी और हसने लगी, मैने जबरन वहा पे मेरा काम जारी रखा और उनकी बगल का थोडासा फूला हुआ हिस्सा हलकेसे काटा. उनके बदन का एक एक हिस्सा चूमते चाटते हुए मै नीचे सरक गया, कुच और समय उनकी चुचियोपर बितानेपर मैने उनके पेट को चूमना शुरु किया. मम्मी जान गयी थी कि मेरा अगला स्थान कौनसा रहेगा. उस अन्दाजसे वो और भी शरमा गई, लेकिन मै अभी इस मकाम पर पहुचा था कि वहासे लौटना नामुमकिन था. मैने मम्मी की नाभीमे जीभ घुमायी जिससे उनको गुदगुदी हो गयी और वो दबे सुर मे हसने लगी लेकिन जैसे मै नीचे चूमता गया उनकी हसी सिसकारियोमे बदल गयी. आखिर मै उस जगह पर पहुचा जो जगह कोई माता अपने बच्चे को नही दिखाएगी, वासना की नजरसे तो हरगिज नही. मम्मी की चूतका उपरी हिस्सा एक पावरोटीकी तरह फूला हुआ था, और उसके नीचे उनके चूत के गुलाबी लिपलिपाते हुए होन्ट, जिनसे यौनरस बह रहा था और एक अनोखी खुशबूकी महक आ रही थी. मैने उस छेदमे उन्गली डाल दी और मम्मी ऐसे उछली मनो उन्हे बिजली का नन्गा तार छुआ हो, उनके मुह से आआआह्ह्ह........उफ्फ्फ्फ......इसतरह की आवाजे आ रही थी, लेकिन उन आवाजोमे मस्ती भरी थी, इन्कार नही था. मैने उस रसभरी चूत मे अपनी दो उन्गलिया घुसाकर निकाल दी और अपनी नाक के पास ले जाकर एक लम्बी सास ली. मम्मीकी चूतकी उस मादक खुशबूसे मै गनगना उठा और बिनाकुछ सोचे समझे मैने उनकी चूतसे मुह सटाकर चूमना शुरु किया. मम्मी उछल उछल कर अपनी कमर को झटके देने लगी. पहले तो मै इस मामले मे अन्जान होनेकी वजहसे बस कोई आईसफ्रूटकी तरह मम्मीकी चूत चाट रहा था, लेकिन अनजानेमे मेरी जीभ एक खास जगहपे जा धडकी और उस वक्*त मम्मीने जो आह भरी वो सुनकर मुझे लगा जैसे मेरा लन्ड पानी गिरा देगा. बस फिर क्या था, उसी जगह को सामने रखकर मैने मम्मी की चूतपे बेरहमीसे मेरी जीभ के वार करना शुरु किया, मम्मीभी अपनी कमर उछालकर मेरा साथ दे रही थी. मैने फिर थोडा और नीचे झुककर उनके चूतमे अन्दर तक मेरी जीभ डाल दी, मेरी नाक उनकी चूतकी टीटपर रगड रही थी और मेरी जीभ अन्दरतक उनकी चूतकी दिवारको रगड रही थी. मैने मेरे दोनो हाथोको मम्मीके सीनेपर ला कर उनकी चुचिया मसलना शुरु किया, मम्मीकी सिसकारिया सारे कमरे मे गून्ज रही थी. मम्मी अब मुहसे आहे भरनेके साथ जोरजोरसे बडबडा रही थी, हाय.......ये क्या हो रहा है मुझे, बेटा.......तुम तो........आआआह्ह्ह....स्स्स्स्स्स......और अभी, और..........मममम्म्म्म्म्म्म.....आह्ह्ह......मै.....मै......बेटा सम्भालो मुझे.......ऐसा कहकर मम्मीने मेरा सर अपनी चूतपर टाईट पकड लिया, मै भी बिना रुके उनकी चूत अपनी जीभसे चोद रहा था. और वो घडी आ गयी, मम्मी ने कसमसाकर मुझे पकड लिया, उनकी चूतसे रस की फुहार बहने लगी और मम्मी एकदम शान्त हो गयी, मै समझ गया कि वो झड गयी. मुझे अपने आप पर गर्व महसूस होने लगा, न ही मैने मम्मी को सिर्फ पटाया था, उन्हे ओरल सेक्स भी करवाया था और उन्हे उत्तेजना की चरमसीमा तक ला कर खुश करके छोडा था.

 मै मम्मी के पास लेट गया, मम्मी सुस्त हो कर आन्खे बन्द किये पडी थी, मैने उन्हे अब बेझिझक हो कर पास खीन्च लिया और उनके रसीले होन्टोपे एक जोरदार चुम्मा जड दिया, मेरे हाथ उनकी चुचियोन्की गोलाई नाप रहे थे और मेरा खडा लन्ड उनकी जान्घोपे रगड रहा था. कुछ देर बाद मम्मीने अपनी आन्खे खोली और मेरी तरफ देखकर बोली, यह क्या कर गये हम दोनो, यह पाप है, हम मा-बेटे है हमारे बीच मे ऐसे सबन्ध होना पाप है और वो भी इस जगह पे.......यह कहकर वो उठनेका प्रयास करने लगी, लेकिन मै अभी झडा नही था और यह सुनहरा मौका मै गवाना नही चाहता था, मैने उनके होन्टोपे मेरे होन्ट रख दिये और एक उन्गली नीचे ले जाकर सीधी उनकी चूतमे घुसा दी, मम्मी तिलमिला उठी लेकिन मेरे चुम्मा-चाटी और बाकी हरकतोसे वो भी अभी उत्तेजित हुई थी, मैने अब ज्यादा समय गवाना उचित नही समझा, मै झट्से उनके उपर चढ गया और उनकी जान्घे फैलाकर मेरा लन्ड सही निशाने पे रखा, मेरा पहला टाईम होनेकी वजहसे मुझे थोडी दिक्कत जरूर हुई लेकिन १-२ बार कोशिश करनेके बाद मेरा लन्ड मम्मीकी चूतमे घुस गया, मम्मी की मुहसे बस ‘आआआह्ह्ह्ह’ की आवाज आई, मैने फिर कमर आगे पीछे करके मम्मी को घचाघच चोदना शुरु किया, बीच मे मै प्यारसे उनके होन्टोको चूमता, और बेरहमीसे उनकी चुचिया मसलता, मम्मी मेरा साथ दे रही थी अपनी कमर उचकाकर वो मेरा लन्ड और अन्दर लेनेका प्रयास कर रही थी, अब वो पूरी तरह खुल चुकी थी, अब विधी वगैरा का कोई बहाना जरूरी नही थी, अब हम एक दूसरेसे इस तरह लिपट गये थे कि मानो २ प्रेमी हो और न मा बेटा. मुझे इसी बात का अहसास हुआ कि अब हमने जो रिश्तेकी दिवार तोडी है तो क्यू न दिल खोलके प्यार किया जाए, यह सोच कर मै भी मस्तीकी मूड मे आकर उन्हे चूमने लगा, मम्मीने उनकी जीभ मेरे मुह मे ठेल दी और हम दोनो मुखरस का आदान-प्रदान करने मे जुट गये, मम्मीके मुखरस का मादक स्वाद मुझे और गरमा रहा था. मेरी जान्घे मम्मीकी जान्घोपर थप थप की आवाज करती धडक रही थी, मम्मीने मुझे बाहोसे जकड लिया था और वो पल आ गया जो मै चाहता भी था और नही भी, मुझे लगा कि अब मेरा वीर्यपतन होने वाला है. मैने मम्मीको और कसके पकड लिया और मेरे धक्कोकी रफ्तार बढा दी, मम्मीने उनकी कमर बहुत ज्यादा स्पीडसे उछालनी शुरु कर दी.............और कुछ्ही पलोमे मेरे लन्डसे एक लहर दौड गई और मै मम्मीकी चूतमे मेरा वीर्य छोडने लगा, मम्मीभी शायद दुबारा झड रही थी, उन्होने मुझे कसके पकड रखा था, उनके नाखून मेरे पीठ मे गडे जा रहे थे और उनके गर्म होन्ट मेरे सीनेपर चूम रहे थे. हम दोनो निढाल हो कर एक दूसरे पर गिर गये. हमारी सासोकी आवाज के अलावा वहा कुछ सुनाई नही दे रहा था. कुछ पल ऐसेही लेटने के बाद मै मम्मीकी उपरसे उनके साईडपर लेट गया. मम्मी की आन्खे अभीभी बन्द थी, मै एक कोहनी उठाकर उन्हे निहारने लगा. कुछ देर बाद मम्मीने अपनी आन्खे खोली, मुझे यू घूरता देखकर वो शरमा गई और करवट लेकर मेरी ओर होकर बोली, क्या देख रहे हो. मैने बडे प्यारसे उन्हे और थोडा पास खीन्च लिया और कहा कि देख रहा हू आप कितनी सुन्दर हो और..........इतना कहकर मै रुक गया. मम्मी आगे की बात सुननेके लिये बेताब थी, उन्होने पूछा और क्या, बोलो बोलो. मैने कहा आप बहुत सेक्सी हो. मम्मी ने एक चपत मेरे सीनेपर मारी और बोली, हट शैतान. मुझे उनकी यह अदा बहुत पसन्द आयी, मैने प्यारसे उन्हे किस किया. इसी प्रकारकी मीठी मीठी बाते करते मुझे नीन्द आ गई और मै सो गया.
कुछ देर बाद मेरी नीन्द टूटी कुछ आवाजसे. मैने मोबाईलमे देखा तो सुबह के ४ बज गये थे, रूम की लाईट जल रही थी लेकिन मम्मीका पता नही था. मै थोडा डर गया कि कही मम्मी बुरा मानकर चली तो नही गई. लेकिन फिर बाथरूमसे आवाज आई और मम्मी बाहर आ गयी, उन्होने वही साडी पहनी थी, वास्तव मे उसे पहनी थी कहना गलत होगा, बस बदन पे लपेटी थी. मुझे जगा हुआ देखकर मुस्कुराई और बोली, क्या हुआ, नीन्द नही आ रही है क्या. मैने कहा आप भी तो जाग गई है. उन्होने कहा, हा मुझे बाथरूम जाना था, अभी फ्रेश होकर आ रही हू. इतना कहकर वो मेरी बाजूमे चद्दर पर अपने घुटनोपर बैठ गयी और कुछ ढून्ढने लगी. मैने पूछा क्या हुआ, क्या ढून्ढ रही है आप, मम्मी बोली, मेरे कानकी बाली यही कही गिर गई है और वो घोडी बनकर बाली खोजने लगी. इस पोझिशनमे उनकी गान्ड और चूत का थोडा हिस्सा उभरकर मेरे सामने आ गया. अब मै अपने आप पे कैसा काबू रखता. मैने उठकर उनके बडे और फूले चुतडोपर हाथ रख दिये. मेरा हाथ पा कर मम्मी हैरान हो गई और बोली, बेटा अब बस करो, रात मे हुआ सो हुआ, अब और नही. मैने कुछ जवाब न देते हुए आगे झुक गया और उनके चुतडोको चूमने लगा. पहले तो मैने अपनी जीभ उनकी चूत पे घुमायी और फिर उसे उनकी गान्ड पे ले आया, मै ऐसा कुछ करून्गा इसका मम्मी को अन्दाजा नही था, जैसेही मेरी जीभ उनके गान्डके छेदपर लगी वो उछल गयी और चूतड हिलाने लगी, मैने उनके कूल्होको मजबूतीसे पकडा और पहले उस गान्डके भूरे छेदपर जीभ फिराई और जीभ सख्त करके सीधी उस छेद के अन्दर घुसा दी. मम्मी सिसकी भरती हुई आहे भरने लगी, उफ्फ्फ........बेटे...........क्या कर रहे हो.........मैने उसकी तरफ ध्यान न देते हुए मेरी एक एक करके २ उन्गलिया उस फूली हुई चूतमे भी घुसेड दी. अब मेरा मुह मम्मीकी गान्ड ओए था, उन्गलिया चूतमे हरकत कर रही थी, मैने इस पोझिशनमे उनके लटकती चुचियोको मसलने लगा. इस तीन तरह के हमले से मम्मी बिलकुल मस्त हो गई और अपने होन्टोको दातोके नीचे दबाकर अपनी उत्तेजना जाहिर होनेसे रोकने लगी. लेकिन उनकी चूतसे निकलता हुआ ढेर सारा पानी उनकी अवस्था बता रहा था. मै घचाघच उन्गली पेलता जा रहा था, बीच मे उनके नितम्बोपर हलकेसे दात गडाता. फिर मैने मम्मीकी चूतसे उन्गली निकाल ली और मेरा मुह सीधे उनकी चूतपर लगा दिया. उनकी चूतसे बहुत सारा रस निकल रहा था जिससे मेरा मुह सराबोर हो गया.

कुछ देर बाद मम्मीने झटका दे कर अपने आप को छुडा लिया और सीधी होकर मुझपर लेट गयी और प्यारसे मुझे चूमने लगी, उनकी भरी चुचिया मेरे सीनेपर रगड रही थी, मम्मी पागलोकी तरह बडबडाने लगी, मुझसे लिपट कर कहने लगी, जल्दी करो बेटा........आआआ.......अब बर्दाश्त नही होता.............मेरे अन्दर आग लगाई है तूने, अब उसे बुझा दे ...........फिर मैने उन्हे थोडा ऊन्चा होने का इशारा किया. ऐसे करने से उनकी चूत बराबर मेरे लन्ड के उपर आयी, मम्मीको मेरी चाल समझमे आयी, उन्होने मेरा लन्ड अपनेही हाथोसे उनकी चूतके छेद पर सेट कर के धीरे धीरे उसपे बैठ गयी. जैसे ही वो पूरा बैठ गयी मेरा लन्ड उनकी चूत के अन्दरतक धस गया. मम्मीकी चूत गजब की टाईट लग रही थी, मम्मी ने झुककर उनकी चुची मेरे मुह मे ठेल दी, मै नीचे से धक्के मारते हुए उन्हे चूसने लगा. मम्मी भी उछल उछलकर मेरा लन्ड और अन्दर लेनेकी कोशिश कर रही थी.........और इसी मे उनकी चूतसे ढेर सारा पानी निकल गया और मेरी जान्घे गीली हो गई. मम्मी सुस्त होकर मुझपर ढेर हो गई, लेकिन मै तो झडा नही था, मै अब पूरे मूड मे था, मैने उन्हे पीठ के बल लिटा दिया और उनपर चढकर घचाघच चोदने लगा, साथ मे उनकी चुचियोको बेरहमीसे मसलता था और उनके रसीले होन्टोको चूमता और चूसता भी था. मम्मी शुरुमे तो बस हिल रही थी, लेकिन मेरी ताबडतोड चुदाई से वो भी उत्तेजित हो गई, वो बोली ओह्ह्ह्ह बेटा.......और तेज और....और.....और जोरसे.........ऐसेही करो मुझे......... तेज मै अभी खतम होने वाली हू.......हाय राम...........यह क्या हो रहा है मुझे........और मुझे अहसास हुआ कि मेरा पानी निकलने वाला है. मै किसी जानवर की भान्ति गुर्राते हुए कमर तेजीसे आगे-पीछे करने लगा और कुछ ही पलोमे मेरे अन्डकोष से वीर्यकी एक और जबरदस्त फुहार छूटी और मै हाफते हाफते मम्मीके उअर गिर गया. हम दोनो पसीनेसे भीग चुके थे. मम्मीने मेरा बदन अपने बदन पर रखा था और वो प्यारसे मेरे बालोमे हाथ फेर रही थी. मुझे एक झपकीसी लग गयी.
थोडी देर बाद मम्मीने मुझे उठाया. मेरे वजनसे उन्हे दिक्कत होती होन्गी लेकिन उन्होने प्यारसे कुछ नही कहा. मै उनके बगल मे लेट गया, वो उठकर फिरसे बाथरूम हो कर आयी और दिवार को पीठ लगाकर बैठ गयी. मैने प्यारसे उनकी गोद मे अपना सर रख दिया और उन्होने भी मुझे बडे प्यारसे किस किया. मैने शरारत करते उनकी नन्गी चुचियोको मुह मे लिया और दूसरी को मसलने लगा. वो हस पडी लेकिन मुझे रोकते हुए बोली, अभी रुक जाओ, पन्डितजी आते होन्गे. हम दोनो बिलकुल नन्गे एक दूसरे के इतने करीब थे कि पूछो मत. एक बहुत शान्तसी भावना हम दोनो के मन मे थी. फिर मम्मीने उठ कर अपनी हमेशावाली साडी पहन ली, मैने भी अपने कपडे पहन लिये. सुबह के ५ बजने वाले थे, मै और मम्मी एकदम साधारण मा-बेटे की तरह बैठे थे, हमे देखकर किसी को शक नही होता कि कुछ समय पहले यह दोनो घमासान चुदाई मे लगे थे. मै और मम्मी बस उस पल का आनन्द ले रहे थे. और फिर दरवाजेपर खटखटानेकी आवाज आई. मैने जा कर दरवाजा खोला, जाने के पहले मम्मी के होन्टोपर किस जरूर किया, उन्होनेभी मुझे आगोशमे भरकर भरपूर साथ दिया. दरवाजा खोला तो सामने पन्डित था, उसने कहा कि अब बाकी के लोग आयेन्गे. मम्मी फिर हमारे कमरे मे चली गई. वो जातेही पन्डितने मुझे पूछा कि काम हुआ कि नही. मुझे लगा कि जो भी हुआ वो मेरे और मम्मीके बीच हुआ, इस गैर आदमी को क्यू बताया जाए, इसलिये मैने चेहरेपर नाराजी जताते हुए कहा कि वो नही मानी. पन्डित परेशान हो गया कि कही मै उसकी पोल खोल दून्गा. मैने उसे पूछा कि दीदी का रिश्ता तय हुआ क्या. उसने हामी भर दी तो मैने उसे तसल्ली दी कि मै शहर मे जा कर उसका पर्दाफाश नही करून्गा. वो मुझे कई बार शुक्रिया बोला और चला गया.

अब कमरे मे मै और मम्मी दोनो फिरसे अकेले थे, मैने दरवाजा बन्द करके मम्मीको बाहोमे भर लिया. मम्मीने मुझे प्यारसे चूमते हुए कहा, अभी नही बेटा, अब घर चलते है, फिर हम दोनो रहेन्गे, हमे कई मौके मिलेन्गे. मै समझ गया कि मम्मी कोई खतरा नही उठाना चाहती लेकिन वो मेरे साथ यौन सबन्ध बनाए रखनेके लिए राजी है. इस खुशीसे मैने उन्हे एक बार फिर चूम लिया और हम दोनो हमारे कमरेकी ओर चल पडे.






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