Saturday, October 11, 2014

FUN-MAZA-MASTI आंटी के साथ मस्तियाँ-3

FUN-MAZA-MASTI



आंटी के साथ मस्तियाँ-3



अंकल कह रहे थे- डॉली… 6 महीने का समय तो बहुत होता है। इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे जी सकूँगा। जरा सोचो 6 महीने तक तुम्हें नहीं चोद सकूँगा।
आप तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे यहाँ रोज…!’
क्या मेरी जान बोलो ना.. शरमाती क्यों हो..? कल तो मैं जा ही रहा हूँ, आज रात तो खुल कर बात करो। तुम्हारे मुँह से ऐसी बातें सुन कर दिल खुश हो जाता है।
मैं तो आपको खुश देखने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ। मैं तो यह कह रही थी, यहाँ आप कौन सा मुझे रोज चोदते हैं।आंटी के मुँह से चुदाई की बात सुन मेरा लंड फनफनाने लगा।
डॉली यहाँ तो बहुत काम रहता है इसलिए थक जाता था। वापस आने के बाद मेरा प्रमोशन हो जाएगा और उतना काम नहीं होगा। फिर तो मैं तुम्हें रोज चोदूँगाबोलो मेरी जान रोज चुदवाओगी ना..
मेरे राजा.. सच बताऊँ मेरा दिल तो रोज ही चुदवाने को करता है, पर आपको तो चोदने की फ़ुर्सत ही नहींक्या कोई अपनी जवान बीवी को महीने में सिर्फ़ दो-तीन बार ही चोद कर रह जाता है?’
तो तुम मुझसे कह नहीं सकती थी?’
कैसी बातें करते हैं? औरत जात हूँ.. चोदने में पहल करना तो मर्द का काम होता है। मैं आपसे क्या कहती? चोदो मुझे? रोज रात को आपके लंड के लिए तरसती रहती हूँ।
डॉली तुम जानती हो मैं ऐसा नहीं हूँ। याद है अपना हनीमूनजब दस दिन तक लगातार दिन में तीन-चार बार तुम्हें चोदता था? बल्कि उस वक़्त तो तुम मेरे लंड से घबरा कर भागती फिरती थीं।
याद है मेरे राजालेकिन उस वक़्त तक सुहागरात की चुदाई के कारण मेरी चूत का दर्द दूर नहीं हुआ था। आपने भी तो सुहागरात को मुझे बड़ी बेरहमी से चोदा था।
उस वक़्त मैं अनाड़ी था मेरी जान…’
अनाड़ी की क्या बात थीकिसी लड़की की कुंवारी चूत को इतने मोटे, लम्बे लंड से इतनी ज़ोर से चोदा जाता है क्या? कितना खून निकाल दिया था आपने मेरी चूत में से, पूरी चादर खराब हो गई थी। अब जब मेरी चूत आपके लंड को झेलने के लायक हो गई है तो आपने चोदना ही कम कर दिया है।
अब चोदने भी दोगी या सारी रात बातों में ही गुजार दोगी?’ यह कह कर अंकल आंटी के कपड़े उतार कर नंगी करने लगे।
डॉली, मैं तुम्हारी यह कच्छी साथ ले जाऊँगा।
क्यों? आप इसका क्या करेंगे?’
जब भी चोदने का दिल करेगा तो इसे अपने लंड से लगा लूँगा।
कच्छी उतार कर शायद अंकल ने लंड आंटी की चूत में पेल दिया, क्योंकि आंटी के मुँह से आवाजें आने लगीं- अयाऊवूअघ.. आह.. आह.. आह.. आह !
डॉली आज तो सारी रात फ़ुद्दी लूँगा तुम्हारी…’
लीजिए ना.. आआहहकौन रोक रहा है? आपकी चीज है.. जी भर के चोदिएउई माआ…’
थोड़ी टाँगें और चौड़ी करो.. हाँ अब ठीक है.. आह.. पूरा लंड जड़ तक घुस गया है..’
आआआ.. …’
डॉली, चुदाई में मज़ा रहा है मेरी जान?’
हूँआआआह..’
डॉली..’
जी..’
अब 6 महीने तक इस खूबसूरत चूत की प्यास कैसे बुझाओगी?’
आपके इस मोटे लंड के सपने ले कर ही रातें गुजारूँगी।
मेरी जान, तुम्हें चुदवाने में सचमुच बहुत मज़ा आता है?’
हाँ.. मेरे राजा बहुत मज़ा आता है क्योंकि आपका ये मोटा लम्बा लंड मेरी चूत को तृप्त कर देता है।
डॉली मैं वादा करता हूँ, वापस आकर तुम्हारी इस टाइट चूत को चोद-चोद कर फाड़ डालूँगा।
फाड़ डालिए ना, उई मैं भी तो यही चाहती हूँ।
सच.. अगर फट गई तो फिर क्या चुदवाओगी?’
हटिए भी आप तो, आपको सचमुच ये इतनी अच्छी लगती है?’
तुम्हारी कसम मेरी जानइतनी फूली हुई चूत को छोड़ कर तो मैं धन्य हो गया हूँ और फिर इसकी मालकिन चुदवाती भी तो कितने प्यार से है।
जब चोदने वाले का लंड इतना मोटा तगड़ा हो तो चुदवाने वाली तो प्यार से चुदवाएगी ही.. मैं तो आपके लंड के लिए उई.. .. बहुत तड़फूंगी.. आख़िर मेरी प्यास तोआआयही बुझाता है।
अंकल ने सारी रात जम कर आंटी की चुदाई कीसवेरे आंटी की आँखें सारी रात ना सोने के कारण लाल थीं।
अंकल सुबह 6 महीने के लिए मुंबई चले गए। मैं बहुत खुश था, मुझे पूरा विश्वास था कि इन 6 महीनों में तो मैं आंटी को अवश्य ही चोद पाऊँगा।
हालाँकि अब आंटी मुझसे खुल कर बातें करती थीं लेकिन फिर भी मेरी आंटी के साथ कुछ कर पाने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी।
मैं मौके की तलाश में था।
अंकल को गए हुए एक महीना बीत चुका था। जो औरत रोज चुदवाने को तरसती हो उसके लिए एक महीना बिना चुदाई गुजारना मुश्किल था।
आंटी को वीडियो पर पिक्चर देखने का बहुत शौक था। एक दिन मैं इंग्लिश की बहुत सेक्सी सी ब्लू-फिल्म ले आया और ऐसी जगह रख दी, जहाँ आंटी को नजर जाए।
उस पिक्चर में 7 इन्च लम्बे लौड़े वाला तगड़ा काला आदमी एक किशोरी गोरी लड़की को कई मुद्राओं में चोदता है और उसकी गाण्ड भी मारता है।
जब तक मैं कॉलेज से वापस आया तब तक आंटी वो पिक्चर देख चुकी थीं।
मेरे आते ही बोलीं- यह तू कैसी गंदी-गंदी फ़िल्में देखता है?
अरे आंटी आपने वो पिक्चर देख ली? वो आपके देखने की नहीं थी।
तू उल्टा बोल रहा है.. वो मेरे ही देखने की थी.. शादीशुदा लोगों को तो ऐसी पिक्चर देखनी चाहिए.. हे रामक्या-क्या कर रहा था वो लम्बा-तगड़ा कालू.. उस छोटी सी लड़की के साथ.. बाप रे…!’
क्यों आंटी, अंकल आपके साथ ये सब नहीं करते हैं?’
तुझे क्या मतलब…? और तुझे शादी से पहले ऐसी फ़िल्में नहीं देखनी चाहिए।
लेकिन आंटी अगर शादी से पहले नहीं देखूँगा तो अनाड़ी रह जाऊँगा। पता कैसे लगेगा कि शादी के बाद क्या किया जाता है।
तेरी बात तो सही है.. बिल्कुल अनाड़ी होना भी ठीक नहीं.. वरना सुहागरात को लड़की को बहुत तकलीफ़ होती है। तेरे अंकल तो बिल्कुल अनाड़ी थे।
आंटी, अंकल अनाड़ी थे क्योंकि उन्हें बताने वाला कोई नहीं था। मुझे तो आप समझा सकती हैं लेकिन आपके रहते हुए भी मैं अब तक अनाड़ी हूँ। तभी तो ऐसी फिल्म देखनी पड़ती हैं और उसके बाद भी बहुत सी बातें समझ नहीं आती। खैर.. आपको मेरी फिकर कहाँ होती है?’
राज, मैं जितनी तेरी फिकर करती हूँ उतनी शायद ही कोई करता हो। आगे से तुझे शिकायत का मौका नहीं दूँगी। तुझे कुछ भी पूछना हो, बे-झिझक पूछ लिया कर। मैं बुरा नहीं मानूँगी। चल अब खाना खा ले।
तुम कितनी अच्छी हो आंटी।मैंने खुश हो कर कहा।
अब तो आंटी ने खुली छूट दे दी थी, मैं किसी तरह की भी बात आंटी से कर सकता था लेकिन कुछ कर पाने की अब भी हिम्मत नहीं थी।
मैं आंटी के दिल में अपने लिए चुदाई की भावना जागृत करना चाहता था।
अंकल को गए अब करीब दो महीने हो चले थे, आंटी के चेहरे पर लंड की प्यास साफ ज़ाहिर होती थी।
एक बार रविवार को मैं घर पर था, आंटी कपड़े धो रही थीं, मुझे पता था कि आंटी छत पर कपड़े सूखने डालने जाएगीं।
मैंने सोचा क्यों ना आज फिर आंटी को अपने लंड के दर्शन कराए जाएँ, पिछले दर्शन तीन महीने पहले हुए थे।
मैं छत पर कुर्सी डाल कर उसी प्रकार लुंगी घुटनों तक उठा कर बैठ गया।
जैसे ही आंटी के छत पर आने की आहट सुनाई दी, मैंने अपनी टाँगें फैला दीं और अख़बार चेहरे के सामने कर लिया।
अख़बार के छेद में से मैंने देखा की छत पर आते ही आंटी की नजर मेरे मोटे, लम्बे साँप के माफिक लटकते हुए लंड पर गई।
आंटी की सांस तो गले में ही अटक गई, उनको तो जैसे साँप सूंघ गया, एक मिनट तक तो वो अपनी जगह से हिल नहीं सकीं, फिर जल्दी कपड़े सूखने डाल कर नीचे चल दीं।
आंटी कहाँ जा रही हो, आओ थोड़ी देर बैठो।मैंने कुर्सी से उठते हुए कहा।
आंटी बोली- अच्छा आती हूँतुम बैठो मैं तो नीचे चटाई डाल कर बैठ जाऊँगी।
अब तो मैं समझ गया कि आंटी मेरे लंड के दर्शन जी भर के करना चाहती हैं, मैं फिर कुर्सी पर उसी मुद्रा में बैठ गया।
थोड़ी देर में आंटी छत पर आईं और ऐसी जगह चटाई बिछाई जहाँ से लुंगी के अन्दर से पूरा लंड साफ दिखाई दे।
उनके हाथ में एक उपन्यास था जिसे पढ़ने का बहाना करने लगीं लेकिन नज़रें मेरे लंड पर ही टिकी हुई थीं।
मेरा 8′ लम्बा और 4′ मोटा लंड और उसके पीछे अमरूद के आकार के अंडकोष लटकते देख उनका तो पसीना ही छूट गया।
अनायास ही उनका हाथ अपनी चूत पर गया और वो उसे अपनी सलवार के ऊपर से रगड़ने लगीं। जी भर के मैंने आंटी को अपने लंड के दर्शन कराए।
जब मैं कुर्सी से उठा तो आंटी ने जल्दी से उपन्यास अपने चेहरे के आगे कर लिया, जैसे वो उपन्यास पढ़ने में बड़ी मग्न हों।
मैंने कई दिन से आंटी की गुलाबी कच्छी नहीं देखी थी। आज भी वो नहीं सूख रही थी।
मैंने आंटी से पूछा- आंटी बहुत दिनों से आपने गुलाबी कच्छी नहीं पहनी?
तुझे क्या?’
मुझे वो बहुत अच्छी लगती है। उसे पहना करिए ना।
मैं कौन सा तेरे सामने पहनती हूँ?’
बताईए ना आंटी कहाँ गई, कभी सूखती हुई भी नहीं नजर आती।
तेरे अंकल ले गए हैं.. कहते थे कि वो उन्हें मेरी याद दिलाएगी।आंटी ने शरमाते हुए कहा।
आपकी याद दिलाएगी या आपके टांगों के बीच में जो चीज़ है उसकी?’
हट मक्कार.. तूने भी तो मेरी एक कच्छी मार रखी है, उसे पहनता है क्या? पहनना नहीं, कहीं फट ना जाए।आंटी मुझे चिढ़ाते हुए बोलीं।
फटेगी क्यों? मेरे कूल्हे आपके जितने भारी और चौड़े तो नहीं हैं।
अरे बुद्धू, कूल्हे तो बड़े नहीं हैं लेकिन सामने से तो फट सकती है। तुझे तो वो सामने से फिट भी नहीं होगी।
फिट क्यों नहीं होगी आंटी?’ मैंने अंजान बनते हुए कहा।
अरे बाबा, मर्दों की टांगों के बीच में जोवोहोता है ना, वो उस छोटी सी कच्छी में कैसे समा सकता है और वो तगड़ा भी तो होता है, कच्छी के महीन कपड़े को फाड़ सकता है।
वो’.. क्या आंटी?’ मैंने शरारत भरे अंदाज में पूछा।
आंटी जान गईं कि मैं उनके मुँह से क्या कहलवाना चाहता हूँ।
मेरे मुँह से कहलवाने में मज़ा आता है?’
एक तरफ तो आप कहती हैं कि आप मुझे सब कुछ बताएँगी और फिर साफ-साफ बात भी नहीं करती। आप मुझसे और मैं आपसे शरमाता रहूँगा तो मुझे कभी कुछ नहीं पता लगेगा और मैं भी अंकल की तरह अनाड़ी रह जाऊँगा। बताइए ना..!’
तू और तेरे अंकल दोनों एक से हैं। मेरे मुँह से सब कुछ सुन कर तुझे ख़ुशी मिलेगी?’
हाँ.. आंटी बहुत ख़ुशी मिलेगी और फिर मैं कोई पराया हूँ।
ऐसा मत बोल राजतेरी ख़ुशी के लिए मैं वही करूँगी जो तू कहेगा।
तो फिर साफ-साफ बताईए आपका क्या मतलब था।
मेरे बुद्धू भतीजे जी, मेरा मतलब यह था कि मर्द का वो बहुत तगड़ा होता है औरत की नाज़ुक कच्छी उसे कैसे झेल पाएगी? और अगर वो खड़ा हो गया तब तो फट ही जाएगी ना।
आंटी आपनेवोवोक्या लगा रखी है, मुझे तो कुछ नहीं समझ रहा।
अच्छा अगर तू बता दे उसे क्या कहते है तो मैं भी बोल दूँगी।आंटी ने लजाते हुए कहा।
आंटी मर्द के उसको लंड कहते हैं।
हाँमेरा भी मतलब यही था।
क्या मतलब था आपका?’
कि तेरा लंड मेरी कच्छी को फाड़ देगा। अब तो तू खुश है ना?’
 
हाँ आंटी बहुत खुश हूँ। अब ये भी बता दीजिए कि आपकी टांगों के बीच में जो है, उसे क्या कहते हैं।
उसे..! मुझे तो नहीं पता.. ऐसी चीज़ें तो तुझे ही पता होती हैं, तू ही बता दे।
आंटी उसे चूत कहते हैं।
हाय.. तुझे तो शर्म भी नहीं आतीवही कहते होंगे।
वही क्या आंटी?’
ओह हो.. बाबा, चूत और क्या।आंटी के मुँह से लंड और चूत जैसे शब्द सुन कर मेरा लंड फनफनाने लगा। अब तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
मैंने आंटी से कहा- आंटी, इसी चूत की तो दुनिया इतनी दीवानी है।
अच्छा जी तो भतीजे जी भी इसके दीवाने हैं।
हाँ मेरी प्यारी आंटी किसी की भी चूत का नहीं सिर्फ़ आपकी चूत का दीवाना हूँ।
तुझे तो बिल्कुल भी शर्म नहीं है। मैं तेरी आंटी हूँ।आंटी झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोलीं।
अगर मैं आपको एक बात बताऊँ तो आप बुरा तो नहीं मानेंगी?’
नहीं राजभतीजे-आंटी के बीच तो कोई झिझक नहीं होनी चाहिए और अब तो तूने मेरे मुँह से सब कुछ कहलवा दिया है, लेकिन मेरी कच्छी तो वापस कर दे।
सच कहूँ आंटी, रोज रात को उसे सूंघता हूँ तो आपकी चूत की महक मुझे मदहोश कर डालती है। जब मैं अपना लंड आपकी कच्छी से रगड़ता हूँ तो ऐसा लगता है जैसे लंड आपकी चूत से रगड़ रहा हो।












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