Monday, October 13, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--36

 FUN-MAZA-MASTI
 सौतेला बाप--36

अब आगे
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 एक तरफ तो समीर अपनी नयी सेक्रेटरी को चोदने के सपने देख रहा था...और दूसरी तरफ उसकी बीबी किसी और के लंड के लिये तडप रही थी...यानी विक्की के लिये...और विक्की को ये बात पता थी की ये आंटी तो अब कभी भी उसे चुदवा लेगी, पर साथ ही साथ वो उसकी रसीली बेटी काव्या को चोदना चाहता था, जिसके उपर उसकी नजर काफी समय से थी. और वो काव्या अपने नये पापा समीर के लंड की दीवानी हुई पडी थी , कुल मिलाकर सभी एक दूसरे की गांड के पीछे लाइन लगा कर खडे थे

फ्राइडे को श्वेता सुबह ही काव्या के घर आ गयी...दोनो घंटो तक विक्की नाम की मुसीबत से निपटने की तरकीबे सोचते रहे..पर उनकी समझ मे कुछ भी नही आ रहा था..क्योंकि ज़्यादातर तरकीबो मे श्वेता खुद ही विक्की से चुदने की बाते कर रही थी..पर काव्या ऐसा नही चाहती थी...उसके हिसाब से अगर विक्की ने श्वेता को चोद दिया तो उसको भी एक ना एक दिन वो चोद ही देगा...क्योंकि श्वेता के थ्रू वो काफ़ी ऐसी बातों का पता कर सकता था जिन्हे अगर वो जान जाए तो काव्या का बचना नामुमकिन था.

और फिर सैटरडे भी आ ही गया...काव्या का दिल जोरो से धड़क रहा था..पर अंदर ही अंदर वो रोमांच से भी भर रही थी...और साथ ही साथ उसके अंदर एक अहंकार की भावना भी आ रही थी..अहंकार इसलिए की उसकी जवानी के पीछे अब तक कितने लंड पड़े हुए थे...वो कोई फिल्मी हेरोइन जैसी तो नही थी..पर फिर भी उसके पीछे इतने लोग पड़े है...जैसे विक्की...श्वेता का भाई नितिन...दत्त अंकल..और अब उसके पापा समीर भी उसमे दिलचस्पी लेने लगे हैं...जिनके लंड की खुद दीवानी हुई पड़ी है

और एक ऐसी लड़की के लिए, जो अभी तक ढंग से जवान भी नही हुई है..उसके लिए इतने लोग मचलते है, ये एक एहंकार की भावना का निर्माण करने के लिए काफ़ी है.

उसने सोच लिया की जो होगा देखा जाएगा...और अपनी माँ के कहे अनुसार एक टी शर्ट और जींस पहन कर तैयार होकर बैठ गयी..

उस दिन समीर जल्दी ही अपने ऑफीस के लिए निकल गया...आख़िर नयी-2 सेक्रेटरी जो आई थी उसके ऑफीस मे..रोज़ी के हुस्न का दीदार करने के लिए वो किसी स्कूल के बच्चे की तरह तड़प रहा था.

समीर के जाते ही रश्मि ने विक्की को फोन कर दिया...और कन्फर्म कर लिया की वो सही समय पर आ रहा है ना.. और उसके बाद वो खुद बाथरूम मे जाकर रगड़ -2 कर नहाने लगी...उसने अपने शरीर से बाल सॉफ किए...अपनी चूत को भी चमकाया...जैसे आज ही विक्की उसकी चूत को चोद देगा...

और फिर पूरी बॉडी पर डियो स्प्रे लगाने के बाद उसने एक सेक्सी सा ब्लाउस ओर साड़ी पहन ली, जिसमे से उसके आधे नंगे उभार सॉफ दिखाई दे रहे थे...माथे पर बिंदिया और माँग मे सिंदूर लगाकर वो इतनी सेक्सी लग रही थी की वो खुद ही अपना ऐसा सेक्सी रूप देखकर शरमा गयी...

उधर विक्की भी थोडा सज संवर कर निकला आज...अपनी शेव बनवा कर और बाल कटवाने के बाद वो भी किसी हीरो जैसा ही लग रहा था..उसने एक वाइट कलर की टी शर्ट पहनी और जान बूझकर दिए गये टाइम 1 बजे के बाद ही वहां पहुँचा..

रश्मि बड़ी ही बेसब्री से उसका इंतजार कर रही थी...जैसे ही बाहर के चोकीदार ने इंटरकाम पर बताया की कोई विक्की नाम का लड़का आया है तो उसने जल्द से जल्द उसको अंदर भेजने के लिए कहा..

उसके आते ही रश्मि ने कहा : "इतनी देर क्यो लगा दी...''

पर विक्की तो उसके हुस्न को देखकर पागल हुए जा रहा था...उसकी नेट वाली साड़ी के नीचे से झाँक रहे उरोजों को देखकर एक पल के लिए तो उसने खुद को चूतिया कहा...क्योंकि ऐसा माल हर किसी की किस्मत मे नही होता...और वो तो खुद ही उसके लंड की दीवानी हुई पड़ी थी...उससे चुदवाना चाहती थी..पर उसको टरका रहा था , ऐसे मे ज़रा भी गड़बड़ हो जाए तो काव्या के साथ-2 विक्की को रश्मि जैसी सेक्स बोंम्ब से भी हाथ धोना पड़ेगा...

उसने बड़ी ही मुश्किल से अपने आप पर काबू किया और बोला : "बस...वो बाल कटवाने मे देरी हो गयी...''

उसने चिकने चेहरे को देखकर रश्मि ने कहा : "तभी आज इतना स्मार्ट लग रहा है. ....''

और फिर उसने बड़े ही बेबाक तरीके से अपने होंठों पर जीभ फेराई..

उसके इशारे को नरंदाज करते हुए वो बोला : "आंटी...काव्या कहाँ है...''

रश्मि : "वो अपने कमरे मे ही है ...तुम उपर चले जाओ...सीधे हाथ पर पहला कमरा है उसका...और उसके साथ वाला ही मेरा बेडरूम है...''

अपनी बात कहकर वो खुद ही हंस पड़ी...विक्की भी उसका उतावलापन देखकर हंस दिया..और उपर की तरफ चल दिया.

काव्या के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था...थोड़ी देर पहले ही वो सीडियो के उपर खड़ी होकर विक्की और अपनी माँ के बीच की बाते सुन रही थी...और साथ ही साथ अपनी माँ की हरकतें भी नोट कर रही थी..एक बार के लिए तो उसको भी शक हुआ की कही उसकी माँ, विक्की का साथ इसलिए तो नही दे रही की वो खुद उसकी दीवानी हो चुकी है...पर फिर ये सोचकर की 'भला वो ऐसा क्यो करेगी', उसने वो विचार दिमाग से झटक कर निकाल दिया.

विक्की के उपर आने से पहले वो सीधा जाकर अपने बेड पर बैठ गयी...और एक बुक हाथ मे लेकर पड़ने का नाटक करने लगी

विक्की : "हाय ....क्या मै अंदर आ सकता हू...''


विक्की को देखकर एक पल के लिए तो काव्या ठिठक सी गयी....क्योंकि उसका ऐसा रूप उसने पहली बार देखा था...इससे पहले तो वो हमेशा गंदे कपड़ो में ...बिखरे बालो में ..हल्की दाढ़ी में ...सिगरेट फूंकता हुआ ही दिखाई देता था...

पर आज वो इतना सॉफ सुथरा बन कर आया था ... जैसा बॉय फ्रेंड लड़की चाहती है...ठीक वैसा ही..

काव्या ने कुछ नही कहा और फिर से अपनी बुक मे कुछ पड़ने की कोशिश करने लगी..

विक्की अंदर आकर उसके पास बैठ गया, वो तो जब से इस घर मे आया था, वहाँ की भव्यता देखकर हैरान हुआ जा रहा था..और काव्या के कमरे मे घुसकर उसके ठाट बाट देखकर भी उसका वही हाल था..

विक्की ने जब देखा की काव्या कुछ ज़्यादा ही भाव खा रही है तो वो सीधा मुद्दे पर आ गया

वो बोला : "लगता है तुम्हे मेरा यहा आना सही नही लगा..ठीक है...मैं वापिस जाता हू...अब सीधा तुम्हारे बाप से ही बात करूँगा...और उन्हे सब सच-2 बता दूँगा..''

इतना कहकर वो पलटकर जैसे ही जाने लगा...काव्या उछलकर बेड से कूदी और भागकर उसने विक्की का हाथ पकड़ लिया और उसे अंदर खींचने लगी

काव्या : "अरे...तुम तो नाराज़ हो गये...''

विक्की ने भी ये मौका नही छोड़ा...आज पहली बार काव्या के शरीर ने छुआ था उसको....ऐसा रेशमी एहसास तो उसे आज तक नही हुआ था..उसने काव्या की कमर पर हाथ रखकर उसे अपने सीने से लगा लिया...और दोनो के चेहरे एक दूसरे के बिल्कुल सामने आ गये..काव्या ने तो एकदम से ऐसे बर्ताव की उम्मीद भी नही की थी..दोनो की साँसे आपस मे टकराने लगी..

काव्या तो हमेशा से ही महकती रहती थी...पर आज विक्की के मुँह से भी माउथ फ्रेशनर की अच्छी सी महक आ रही थी...जिसे सूँघकर काव्या पर एक खुमारी सी चढ़ रही थी.

विक्की कुछ देर तक तो उसके भोले से चेहरे को देखता रहा और फिर अचानक बिना किसी वार्निंग के उसने उसके गुलाबी होंठों को चूम लिया...और ये सब इतना जल्दी हुआ की जब तक वो उसको धक्का देती, वो एक स्मूच भी कर चुका था उसके होंठों पर...


काव्या चिल्लाई :"ये क्या बदतमीज़ी है...यू बास्टर्ड ....तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे चूमने की...''

विक्की ने भी अपना रंग दिखाया : "ज़्यादा मत बोल तू अब...तूने ही मुझे यहा बुलाया है...और तू तो जानती है की मेरे दिल मे तू कब से बसी हुई है...और अब तो तूने खुद अपने घर पर ऐसे-2 झूट बोल रखे है की तुझे भी पता है की उन्हे जानकार तेरे माँ -बाप पर क्या असर होगा ...अब तूने मेरा नाम ले ही लिया है तो मेरा भी तो हक बनता है ना कुछ वसूल करने का...''

और इतना कहकर वो भद्दी सी हँसी हँसने लगा..

काव्या समझ गयी की वो फँस चुकी है...पर जैसा की उसने और रश्मि ने सोच रखा था, उसने सीधा विक्की से पूछा : "आख़िर तुम चाहते क्या हो...''

विक्की की नज़रें उसके शरीर पर घूम गयी...काव्या ने शरमाते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया..

विक्की ने ये मौका भी नही छोड़ा और वो सीधा जाकर उसकी उभरी हुई गांड से लिपट गया...और अपने हाथों को उसने उसके पेट पर रख कर उसके जिस्म को अपने से सटा लिया.

काव्या का शरीर काँप उठा..पर इस बार उसने विक्की को कुछ नही कहा...

विक्की का लंड उसकी गांड पर दबाव बनाकर अपनी हालत का आभास करा रहा था.

ऐसी गद्देदार गांड का अनुभव विक्की ने भी अपनी लाइफ मे पहली बार किया था...वहा पर लगते ही वो किसी बावले सांड़ की तरह उसकी गांड पर अपने लंड का दबाव डालने लगा.

काव्या ने कसमसाते हुए फिर से कहा : "बोलो विक्की....तुम चाहते क्या हो ...''

इस बार विक्की ने उसके कानो मे अपने होंठों को फँसाया और फुसफुसाते हुए कहा : "मैं तुझे नंगा करके तेरे ही बेड पर चोदना चाहता हू....तेरी चुचियो को चूसकर उसमे से सारा रस निकालना चाहता हू...तेरे पूरे बदन को अपनी जीभ से चाटकर तुझे चखना चाहता हू...तेरी चूत को अपने होंठों से चूसकर तेरा सारा रस पीना चाहता हू...और अपने लंबे लंड से तेरी चूत रॅफ तरीके से मारकर अपना सारा माल तेरे अंदर ही निकालना चाहता हू...और तेरी ये गांड ..इसको तो रात भर मारकर अंदर ही लंड को छोड़कर तेरे से लिपट कर सोना चाहता हू...''

विक्की का एक-2 शब्द उसके बदन के हर हिस्से मे करंट भर रहा था...इतनी गंदी तरह से उसने सब बोला था...पर पता नही क्यो काव्या को सब अच्छा लग रहा था..ऐसा गली का लोंडा , जो उसके शरीर से रॅफ तरीके से खेलकर उसकी हवस को शांत करे,उसे वो सब बोलता हुआ सुनकर ही वो बुरी तरह से गीली हो चुकी थी...और अपनी आँखे बंद करके वो सब इमेजिन भी करने लगी...उसने अपने अकड़ते हुए शरीर को विक्की की बाहों मे छोड़ दिया और उसका सहारा लेती हुई पीछे की तरफ झुक गयी..

विक्की समझ गया की मछली जाल मे फँस गयी है...उसने अपने दहकते हुए होंठ गोल किए और काव्या का पूरा कान अपने मुँह मे भर लिया ...और उसको चाशनी से भरे रसगुल्ले की तरह चूसने लगा...

काव्या तो तड़प ही उठी..

''अहह ....... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...... ऐसा मत करो प्लीईईईस....''

और अगले ही पल विक्की के चुंगल से आज़ाद होकर वो बाथरूम की तरफ भाग गयी और अंदर से दरवाजा बंद करके तेज साँसे लेने लगी..

विक्की भी दरवाजे के बाहर पहुँचा और धीरे से बोला : "देखो काव्या...ऐसे नाटक मत करो...मैं भी जानता हूँ की तुम्हे ये सब पसंद आ रहा है...फिर क्यो ऐसे नाटक कर रही है...चल जल्दी से बाहर निकल...तुझे तो अपनी माँ से डरने की भी कोई ज़रूरत नही है...उसने तो खुद ही मुझे तेरे कमरे मे भेजा है...ताकि मैं तेरी चूत मार सकूँ ...''


 आवेश मे आकर एकदम से विक्की ने सब उगल दिया...और विक्की के मुँह से ये सुनकर की उसकी माँ ने ही ये सब किया है, वो सकते मे आ गयी...और एक ही पल मे उसका दिमाग़ पूरी तरह से घूम गया...उसका सारा ध्यान विक्की से हटकर अपनी माँ की तरफ चला गया..और उसने हैरान होते हुए दरवाजा खोल दिया.

काव्या : "क्या कहा तुमने ....मेरी माँ ने भेजा है तुम्हे मेरे पास...यानी माँ खुद चाहती है की तुम मेरे साथ ये सब करो...यानी सेक्स करो...मेरी माँ ने कहा ये सब तुमसे ...''

विक्की समझ गया की अब झूट बोलने का कोई फायदा नहीं है ...और वैसे भी लड़कियो को सफाई देना तो उसने आज तक नही सीखा था..

विक्की : "हाँ ..हाँ ..तेरी माँ ने ही बोला था मुझे ...''

काव्या : "पर क्यो...उन्हे भला क्या मिलेगा अपनी ही बेटी को ऐसे ...तुमसे सेक्स करवाकर ...''

विक्की (मुस्कुराते हुए) : "वही ...जो मैं तुझे दूँगा...मेरा लंड ..''

इतना कहकर उसने बड़ी ही बेशर्मी से अपनी पेंट खोलकर नीचे खिसका दी और उसका लंड खड़ा होकर उसकी आँखो के सामने लहराने लगा..

और एक बार फिर से , काव्या का ध्यान अपनी माँ से हटकर वापिस विक्की की तरफ आ गया...वो तो उसके मोटे और लंबे लॅंड को देखकर हैरान ही रह गयी...ऐसा मस्त लंड तो सिर्फ़ मूवीस मे ही देखा था उसने...समीर और दत्त अंकल के तो बूढ़े थे...पर ये तो नितिन के लंड से भी बड़ा था ...उसको अंदर लेने की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत के पसीने छूटने लगे..

पर फिर से उसने अपनी भावनाओ पर नियंत्रण किया और कहा : "पर वो ऐसा क्यों चाहेगी ...उनकी तो अभी-2 शादी हुई है मेरे पापा से...उन्हे भला क्या दिलचस्पी हो सकती है तुम्हारे इसमे ..''

उसने विक्की के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा..

विक्की अपने लॅंड को अपने हाथ से पूचकारता हुआ उसके सामने आकर खड़ा हो गया...बिल्कुल पास ... और बोला : "ये तो मुझे भी पता है की उनकी अभी-2 शादी हुई है..पर एक बार औरत को चुदवाने की लत्त लग जाए तो वो हर उस लंड को लेना चाहती है, जो उसको अच्छा लगे...और जब से तेरी माँ ने मेरे इस पालतू लंड को देखा है, वो तो इसकी दीवानी हुई बैठी है...तभी तो वो ऐसे जतन कर रही है जिसमे वो पहले मुझे खुश करेगी...यानी तुझे चुदवाकर...और फिर खुद भी ऐश करेगी...मेरे लंड को अपने अंदर लेकर..''

विक्की के मुँह से अपनी माँ की साजिश का परदा फ़ाश होते देखकर एक पल के लिए तो काव्या को भी विश्वास नही हुआ की उसकी माँ ऐसा भी कर सकती है...पर फिर उसने खुद को अपनी माँ की जगह पर रखकर देखा..शायद वो सही भी थी...इतने सालो तक बिना पति के रहने के बाद जब उन्हे एक पति मिला तो उनके अंदर की औरत जाग उठी..और उसने जब विक्की के लंड को अपने आस पास देखा तो उससे भी चुदवाने की तैयारी कर बैठी..

''पर उन्होने देखा कैसे ? '' काव्या ने जब ये प्रश्न विक्की से पूछा तो वो बोला : "तुम्हे ये सब अभी बता दिया तो मेरा तो काफ़ी नुकसान हो जाएगा मेरी जान....''

काव्या समझ गयी की वो अड़ियल कुत्ता और कुछ बताने से तो रहा...काव्या के दिल मे अभी भी ये बात चल रही थी की शायद विक्की झूट बोल रहा है...उसकी माँ उसके साथ ऐसा कर ही नही सकती..

पर अगर वो ऐसा कर रही है तो ये उसके लिए फायदे का सौदा हो सकता है..क्योंकि फिर वो खुद उसके पति, यानी समीर से खुल कर चुद सकती है...एक बार अगर वो विक्की और अपनी माँ की चुदाई का सबूत, यानी कोई पिक्चर या मूवी बना ले तो उसकी माँ भी उसको समीर से खुलकर चुदाई करवाने से नही रोक सकती...

और ये विचार आते ही एक ही पल मे उसके चेहरे पर खुशी आ गयी..

वो सोचने लग गयी की अब विक्की को कैसे तैयार किया जाए की वो उसकी बात मानकर उसका इस योजना मे साथ दे..



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