Tuesday, October 21, 2014

FUN-MAZA-MASTI भाई बहन का प्यार--2

FUN-MAZA-MASTI

 भाई बहन का प्यार--2

 

मैंने कोई ध्यान नहीं दिया और मैं चूत सूंघने में मस्त था। तो निर्मला मेरे बाल खींच कर बोली- भैया, क्या कर रहे हो?

मैंने सिर उठा कर कहा- कुछ नहीं डार्लिंग ! तुम्हारी चूत ने तो मुझे पागल कर दिया है ! यह कह कर मैं उसकी चूची चूसने लगा और उंगली को चूत में डाल कर आगे पीछे करने लगा। तभी वो बोली- भैया, मुझे कुछ हो रहा है ! प्लीज़ आप मुझे छोड़ दो !

मैंने कहा- क्या हो रहा है?

तो बोली- मेरी चूत से कुछ आने वाला है !

मैंने कहा- प्लीज़ रुको ! और मैं मुँह को नीचे ले कर चूत में जीभ डाल कर चूत को चाटने लगा औऱ एक हाथ से उसकी चूची को मसलने लगा और वो पूरी पागलों की तरह होकर बोली- प्लीज़ भैया ! जल्दी कऱो ! नहीं तो मैं मर जाऊँगी !

मैं जल्दी जल्दी उसकी चूत को चाटने लगा और हाथ से उसकी चूची मसलने लगा। करीब पाँच मिनट में ही वो ज़ोऱ से आऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ कर के झड़ गई और सारा चूतरस (प्रेमरस) मेरे मुँह में छोड़ दिया। मैंने पूरा माल चाट चाट कर साफ किया।

तभी मैंने उससे पूछा- मज़ा आया या नहीं ?

तो शरमाते हुए बोली- भैया प्लीज़ !

मैंने कहा- अब आगे का खेल खेलें या नहीं?

तो बोली- इससे आगे का खेल कौन सा है?

मैंने उसे सीधे ही कहा- अब मैं तुझे चोदूँगा !

तो बोली- कैसे?

मैंने लंड हाथ में लेकर हिलाते हुए उसकी चूत पर हाथ रखकर कहा- मैं इसे तुम्हारी चूत में डाल कर ज़ोऱ से चोदूँगा !
तो बोली- भैया, प्लीज़ आप अभी मुझे छोड़ दो ! आप कल कर लेना !

मैंने कहा- क्यों?

तो बोली- मुझे कहीं जाना है ! और मैं पहले ही लेट हो गई हूँ ! प्लीज़ मुझे जाने दें, मैं आपसे वादा करती हूँ !

तो दोस्तो, मैंने भी कोई जबरदस्ती न करते हुए उसके चूचुक को मुँह में लेकर हल्का सा काट कर कहा- मैं तुझे बहुत प्यार करता हूँ, मैं तेरे साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं करूंगा ! तुम जब तुम्हारी मर्जी हो, मुझे बुला लेना, मैं हाज़िर हो जाऊंगा !

मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर आकर हाल में बैठ कर टीवी. चला कर सोफ़ा पर बैठ गया। तभी वो पाँच मिनट के बाद निर्मला बाहर आई, मुझसे बोली- तुम आए क्यों थे?

मैं भी भूल गया था कि मेरे पास कैश का बैग था। मैंने कहा- तुम्हारे कमरे में मेरा कैश का बैग पड़ा है, मैं कैश देने आया था। लेकिन बुआ घर में नहीं थी तो मैंने सोचा कि तुम को दे दूँ। तो बोली- बैग कहाँ है?

मैंने कहा- तुम्हारे कमरे में कुर्सी के पास रखा है, तुम मुझे बैग ला कर दे दो।

निर्मला बैग लेने कमरे में गई। मैं भी पीछे गया और निर्मला को पकड़ कर घुमाया और उसके वक्ष मसलते हुए चूमने लगा। वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर घुमाने लगी। करीब़ पाँच मिनट के बाद हम अलग हुए और मैंने बैग निर्मला के हाथ में देकर कहा- यह बैग अपने पापा को दे देना और सेल पर बात करा देना ! और मैंने अपना सेल नम्बर उसे दे दिया।

और मैंने भी उसका सेल नम्बर ले लिया। उसको कहा- यह बात तुम किसी से मत करना और मैं भी किसी से नहीं कहूँगा, क्योंकि इसमें तुम्हारी और मेरे खानदान का इज़्ज़्त का सवाल है।

निर्मला बोली- मैं नहीं कहूँगी !

मैंने कहा- तुम्हारी फ्रेंड्स को भी नहीं बताना !

वो बोली- नहीं बताऊंगी भैया ! आप मुझे इतना भी बेवकूफ़ मत समझो !

मैंने कहा- ठीक है ! तुम मुझे फोन करोगी या मैं तुझे फोन करूँ?

तो बोली- मैं तुझे फोन करूंगी !

मैंने कहा- प्रॉमिस?

तो बोली- प्रॉमिस !

मैंने कहा- बाय !

और मैं घर से निकल गया और सीधा घर आकर सो गया। कब रात के नौ बजे, मुझे पता ही नहीं चला। मम्मी ने मुझे जगाया। मैं खाना खाकर घूमने चला गया, रात को ग्यारह बजे घर आकर सो गया।

अगले दिन मैं फोन का इन्तज़ाऱ करने लगा।

अगले दिन मैं फोन का इन्तज़ाऱ करने लगा। उसने फोन नहीं किया। करीब़ दो बजे तक इंतज़ार करने के बाद मैंने उसके सेल पर फोन किया पर उसने मेरा फोन नहीं उठाया और रिजेक्ट कर दिया। करीब़ 5-6 बार कोशिश की लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और फोन को स्विच-ऑफ़ कर दिया।

मैंने कपड़े बदले और उसके घर चला गया। घण्टी बजाई तो उसने दरवाज़ा खोला और बोली- तुम इस समय यहा क्यों आए हो?

मैंने जवाब दिया- तुम अपना फोन क्यों नहीं उठा रही हो? ओफ करके रखे हो ! इसलिए मैं सीधा यहाँ आया हूँ !

और मैंने अंदर आकर दरवाज़ा बंद किया और पूछा- मम्मी है?

तो बोली- वो अभी बाहर गई हैं !

मैंने पूछा- कब आएँगी?

तो बोली- आने में देऱी होगी !

फिर मैंने कहा- भाभी तो वो मायके गई हुई है !

मैंने चैन की सांस लेते हुए कहा- भगवान का लाख-लाख शुकर है।

मैंने उसको अपने बाहों में लिया और उस किस किया तो वो मुझसे छुड़ाते हुए बोली- भैया, मुझे छोड़ो ! प्लीज़ भैया !

मैंने कहा- निर्मला, क्यों मुझे इतना परेशान करती हो?

तो बोली- भैया परेशान तो आप कर रहे हैं !

फिर मैं किस करने लगा और एक हाथ चूची के ऊपर रख कर दबाने लगा। वो छटपटाने लगी और बोली- भैया प्लीज़ ! आप हाथ वहाँ से हटाओ !

मैंने कहा- क्या?

तो वो मेरा हाथ जो चूची के ऊपर था, हटाते हुए बोली- भैया दर्द करता है ! प्लीज़ आप हाथ मत रखो !

मैंने कहा- ओके ! और मैं उसका नीचे का होंठ को चूसते हुए दोनों हाथ उसकी पीठ पर फिरा रहा था और धीरे धीरे कमीज़ की ज़िप नीचे करने लगा।

मैं अब एक हाथ पीछे अंदर डाल कर उसकी नंगी पीठ पर फिराने लगा। जैसे ही मैंने उसकी नँगी पीठ को छुआ तो मुझे और उसे यानि दोनों को ऐसा करेंट लगा कि मैं व्यक्त नहीं कर सकता और वो एक दम घबराकर मुझे बोली- भैया, आप क्या कर रहे हैं !

मैंने कोई जवाब नहीं दिया और पीठ पर हाथ फिराता रहा। फ़िर एक ही झटके में उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। अब मैं उसे चूम रहा था और दोनों हाथों को उसकी नंगी पीठ पर फिरा रहा था।

और फ़िर उसको एक ही झटके में बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले जाकर बेड पे लिटा दिया। मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे, सिर्फ चड्डी रह गई तो इतने में वो खड़ी हुई और बाहर जाने लगी। मैंने उसका हाथ झट से पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचा।

मैंने उससे कहा- कहां जा रही हो ?

वो बोली- भैया, आप क्या कर रहे हैं !

मैंने कहा- डार्लिंग मैं तो कुछ भी नहीं कर रहा हूँ, मैं तो कल की तरह तेरी सुंदरता देखना चाहता हूँ ! और तुझे प्यार करना चाहता हूँ !

तो बोली- भैया, प्लीज़, आप मुझे हाथ मत लगाओ !

मैंने उसके पास जाकर कहा- क्यों? तुझे अच्छा नहीं लगता?

वो बोली- नहीं भैया !

मैंने कहा- ठीक है ! मैं तुझे हाथ नहीं लगाऊँगा, तुम प्लीज़ एक बार मुझे अपनी सुंदरता दिखा दो !

वो बोली- प्लीज़, नहीं भैया !

मैंने कहा- कल भी तो मैंने सब देखा था !

तो बोली- मैं एक शर्त पर ही दिखाऊँगी !

मैंने कहा- ओके !

वो बोली- तुम मुझे दूर से ही देखोगे और मुझे हाथ भी नहीं लगाओगे !

मैंने कहा- ठीक है ! पर तुम भाग गई तो ?

निर्मला बोली- मैं नहीं भागूंगी !

मैंने दरवाज़े के पास जाकर कहा- अब तो तुम खुश हो?

वो बोली- ठीक है !
और वो मुझे देखने लगी और अपने कपड़े खोलने लगी, पूरे कपड़े उतारे लेकिन पेंटी नहीं उतारी और मुझे कहा- भैया लो मैंने पूरे कपड़े उतार दिए, अब आप भी कपड़े पहन कर मुझे जाने दीजिए !

मैंने कहा- नहीं ! तुमने पूरे कपड़े नहीं उतारे !

और मैं उसके पास गया, पेंटी पर हाथ लगाया और बोला- यह कौन उतारेगा ?

तो बोली- भैया प्लीज़ ! आपने क़हा था कि मेरे पास नहीं आओगे !

तो मैंने क़हा- मैं तेरे पास अपनी मर्ज़ी से नहीं आया, तुमने पेंटी नहीं उतारी तो मैंने सोचा कि मैं ही उतार देता हूँ !


तो बोली- छोड़ो मुझे और जाने दो !

मैंने कहा- रानी, अभी तो शुरुआत है !

मैंने उसको बाहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। और एक चूची मुँह लेकर चूसने लगा और एक हाथ से उसकी पेंटी उतारने लगा।

पेंटी को घुटनों तक ले आया और हाथ को उसकी चूत पर रखकर बोला- कितनी प्यारी चूत है ! ऐसी चूत तो मेरी पत्नी क़ी भी नहीं है।

अब मैं उसके मुँह को पकड़ कर चूमने लगा और उसका मुँह खोलकर जीभ अंदर डाल कर घुमाने लगा। एक हाथ उसकी चूत पर ही फिरा रहा था। अब चूत से भी पानी आने लगा था और मेरे हाथ गीले हो गए। मैंने गीला हाथ उसे दिखाते हुए कहा- निर्मला, देखा अब तेरी चूत भी साथ दे रही रही है !

निर्मला बोली- भैया मुझे जाने दो ! मैं यह सब आपके साथ नहीं कर सकती !

मैंने उसको कहा- डार्लिंग, मैं नहीं करूंगा ! और एक हाथ से उसकी चूची पर रख कर मसलने लगा और उसकी चूत में उंगली को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा। करीब पाँच से दस मिनट के बाद वो और गरम हो गई और सिसकारी लेते हुए बोली- भैया, प्लीज़ मुझे छोड़ दो !

मैंने कहा- अभी छोड़ देता हूँ !

और मैंने मुँह को उसकी चूत पर रखा और उसकी चूत चाटने लगा, पेंटी को निकाल कर फेंक दिया।











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