Thursday, October 30, 2014

FUN-MAZA-MASTI घर का बिजनिस -20

FUN-MAZA-MASTI

 घर का बिजनिस -20

 वो रात मैंने दीदी की चुदाई में गुजारी। सुबह जब मैं उठा तो 10:00 बज चुके थे और मैं इसी तरह बेड पे नंगा ही पड़ा हुआ था। मैं उठा और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया। मैंने नहाकर कपड़े पहन लिए और नाश्ते के लिए बाहर निकला तो देखा कि अरविंद साहब भी आए बैठे थे और दीदी को सोफे पे ही किस कर रहे थे और ऋतु रूम से उन दोनों के लिए शराब लेकर आ रही थी। जो कि उसने टेबल पे रख दी और मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा दी और सर झुकाकर वहाँ से चली गई।

ऋतु के जाते ही मैंने किचेन में अम्मी को आवाज दी- “अम्मी प्लीज़्ज़ बहुत भूख लगी है नाश्ता दे दो…”

मेरी आवाज सुनकर अरविंद साहब ने अपना सर उठाया और मेरी तरफ देखकर हँसते हुये बोले- अरे यार, क्या इतनी देर तक सोते रहते हो?

मैंने भी हँसते हुये कहा- “क्या करूं अरविंद साहब? काम ही ऐसा है हमें रात-रात भर जागना पड़ता है…”

अरविंद साहब भी हँस पड़े और बोले- हाँ यार, ये तो है। अच्छा एक बात पूछूं गुस्सा तो नहीं करोगे?

मैं- अरे नहीं सर, आप बोलो क्या बोलना है, मैं भला गुस्सा क्यों करूंगा?

अरविंद- अच्छा, जब तुम अपनी बहनों को इस तरह चुदवाते हुये देखते हो तो क्या तुम्हारा दिल नहीं करता कि तुम भी इनकी चुदाई करो?

मैं- “अरविंद साहब, बात ये है कि अगर दिल करता भी है तो क्या हुआ? हमें पैसे खुद चोदने के लिए नहीं मिलते बलकि आप जैसों से चुदवाने के मिलते हैं…”

अरविंद शराब का पेग दीदी के हाथ से लेकर एक ही सांस में पीते हुये बोला- और अगर मैं कहूं कि तुम मेरे साथ मिल के अपनी बड़ी बहन की चुदाई करो तो?

मैं- नहीं सर, ऐसा किस तरह हो सकता है भला?

अरविंद- यार, तुम सिर्फ़ इतना बताओ, जितना मैं पूछ रहा हूँ बाकी मेरा काम है?

मैं- “ठीक है सर, भला मैं आपको नाराज तो नहीं कर सकता। लेकिन आप ऐसा क्यों चाहते हैं ये समझ में नहीं आ रहा…”

अरविंद- सच तो ये है कि मैं देखना चाहता हूँ कि बहन भाई या खूनी रिश्तों में चुदाई से कितना मजा आता है?
मैं- “ओके सर, आप जब चाहो मैं मना नहीं करूंगा आपको…”

अरविंद मेरी बात सुनकर कुछ सोच में पड़ गये और बोले- “तो ऐसा है कि जब मैं कहूं और जहाँ कहूं तुम अंजली को अपने साथ ले आना और फिर वहाँ इसकी चुदाई करोगे…”

मैं- “ठीक है, मैं तैयार हूँ…” और तब तक मेरा नाश्ता भी आ चुका था और मैं नाश्ता करने में लग गया।

और अरविंद दीदी की चूचियां को मसलने में लग गया। नाश्ता करने के बाद मैं वहाँ से उठ गया और ऋतु के रूम की तरफ चल पड़ा। जैसे ही मैं रूम में दाखिल हुआ तो मुझे अपने रूम में आता देखकर ऋतु थोड़ा घबरा गई और खड़ी हो गई।

मैं- क्या हुआ ऋतु? तुम मुझे देखकर खड़ी क्यों हो गई?

ऋतु- “न…नहीं तो भाई, बस ऐसे ही आओ बैठो…”

मैं ऋतु के पास जाकर बेड पे बैठ गया और ऋतु का हाथ पकड़कर नीचे की तरफ खींचा और बोला- तुम भी बैठो ना खड़ी क्यों हो? ऋतु सर झुकाकर बैठ गई और अपने होंठ काटने लगी। उस वक़्त ऋतु का जिश्म हल्का सा कांप भी रहा था।

मैं- ऋतु मेरी जान, क्या बात है? मेरा यहाँ आना तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या?

ऋतु- नहीं तो भाई, आपने ऐसा क्यों सोचा है?

मैं- “यार, मेरे रूम में आने से तुम घबरा रही हो ना इसलिए पूछ लिया…”

ऋतु- नहीं भाई, ऐसी कोई बात नहीं है। भला मैं क्यों घबराऊँगी आपसे?

मैं- “अच्छा, ऐसा है कि जब तुम्हारा डर खतम हो जाए तो मेरे रूम में आ जाना ओके…” मैं इतना बोलकर वहाँ से उठा और अपने रूम की तरफ चल पड़ा।

जैसे ही मैं ऋतु के रूम से बाहर आया तो पायल ने मुझे देख लिया और मेरा हाथ पकड़कर अपने रूम में ले गई और बोली- हाँ भाई, क्या बात हुई ऋतु से?

मैंने कहा- पहले तुम बताओ, कल वो तुम्हें क्या बोल रही थी?

पायल ने मेरी तरफ देखा और नाराज होते हुये बोली- “भाई जब तक आप नहीं बताओगे मैं भी नहीं बताऊँगी…”

मैंने पायल को अपनी तरफ खींच लिया और अपने सीने से लगाकर बोला- “जान, क्यों नाराज हो रही हो अपने भाई से? चल बताता हूँ…” और जो दीदी और ऋतु के साथ बातें हुई थी सब बता दिया।

पायल मेरी बातें सुनकर सोच में पड़ गई और कुछ देर के बाद बोली- भाई, अगर मैं आपको एक काम कहूं तो आप करोगे क्या?

मैं- हाँ पायल, क्यों नहीं? तुम बताओ तो सही क्या काम है?

पायल- “भाई, आप कसम खाओ… जिससे आप सबसे ज्यादा प्यार करते हो उसकी कसम खाओ कि आप मेरी बात मानोगे…”

मैं- अरे यार, जब मैंने बोल दिया है कि मैं तुम्हारी बात मानूंगा तो फिर कसम कहाँ से आ गई?

पायल- “भाई, आप मेरे इतमीनान के लिए ही कसम खा लो प्लीज़्ज़…”

मैं- “ओके बाबा, और पायल के सर पे ही हाथ रखकर कसम खा ली…” जिससे पायल भी खुश हो गई।

पायल- “थैंक्स भाई, आपने आज ये तो बता दिया कि आप सबसे ज्यादा मेरे साथ प्यार करते हो…” और मेरे साथ और भी ज्यादा लिपट गई और मुझे किस करने लगी।

कुछ देर के बाद मैंने पायल को खुद से अलहदा किया और उसे बेड पे बिठा दिया और कहा- “हाँ, अब बताओ क्या बात थी? जिसके लिए तुमने मुझसे कसम ली है…”

पायल- “भाई, मैं चाहती हूँ कि आप पहली बार खुद करो ऋतु के साथ…”


 मैं हैरानी से पायल की तरफ देखते हुये बोला- पायल, ये क्या बोल रही हो तुम? तुम्हें पता है कि इस काम के लिए घर में कोई भी नहीं मानेगा?

पायल- हाँ भाई पता है, लेकिन आपको उसकी गाण्ड मारने की इजाजत तो मिल ही चुकी है ना उसके बाद अगर मोका मिले तो चोद डालो साली को, बाद में कोई क्या कर सकता है?

मैं पायल की बात सुनकर अंदर से खुश हो गया। क्योंकि बात तो पायल ने ठीक ही कही थी कि जब फुद्दी खुल ही गई हो तो कोई क्या कर सकता है? लेकिन पायल से बोला- लेकिन पायल, तुम ऐसा क्यों चाहती हो?

पायल- “भाई, मैं आपसे कुछ भी नहीं छुपाऊँगी। लेकिन अभी आप मुझसे कुछ नहीं पूछो प्लीज़्ज़…”

मैं- ठीक है पायल, मैं कोशिश करूंगा कि ये काम कर सकूं…” और वहाँ से उठकर सीधा अपने रूम में आ गया।

रूम में आया तो अम्मी ऋतु के साथ मेरे बेड पे बैठी हुई थी। मुझे देखते ही अम्मी ने कहा- “आलोक बेटा, मैं चाहती हूँ कि आज से तुम अपनी छोटी बहन की रोजाना मालिश कर दिया करो ताकि इसका जिश्म भी थोड़ा सेट हो जाए…”

मैंने ऋतु की तरफ देखा जो कि सर को झुकाकर अपनी उंगलियों को मरोड़ रही थी और कहा- “जी अम्मी, जैसे आप कहो। मैं ऋतु की रोजाना मालिश कर दिया करूंगा…”

मेरी बात सुनकर अम्मी मेरे रूम से निकल गई और जाते वक़्त आँख भी मार गई जिससे मैं समझ गया कि अम्मी क्या चाहती हैं। अम्मी के जाने के बाद मैंने ऋतु से कहा- “चलो अलमारी से कोई चादर निकालो और बेड पे बिछा दो ताकि तेल से बेडशीट खराब ना हो जाये…”

ऋतु फौरन उठी और अलमारी से एक चादर निकालकर बेड पे बिछाने लगी और मैं वहाँ खड़ा उसे ये सब करता देखता रहा।

चादर बिछाने के बाद ऋतु अपना सर झुकाकर बेड के पास ही खड़ी हो गई। लेकिन अब मुझे समझ में नहीं आ रहा थी कि मैं क्या करूं? और ऋतु को क्या कहूं? खैर मैंने अपनी हिम्मत बढ़ाई और वापिस मुड़ा और दरवाजा लाक कर दिया और फिर अलमारी से एक चादर निकालकर अपने कपड़े उतार के चादर बाँध ली और ऋतु की तरफ देखे बिना ही लाइट आफ कर दी जिससे रूम में काफी अंधेरा हो गया था। लेकिन खिड़की से आने वाली रोशनी भी इतनी थी कि हम एक दूसरे को देख सकते थे।

मैंने ऋतु से कहा- “चलो अपने कपड़े उतारो और बेड पे लेट जाओ ताकि मैं तुम्हारी मालिश कर दूँ…”

ऋतु ने मेरी बात सुनी लेकिन कुछ नहीं बोली और सर झुकाकर चुपचाप खड़ी रही तो मैं आगे बढ़ा और जाकर ऋतु के कंधों पे अपने हाथ रख दिए और कहा- “देखो ऋतु, तुम बहन हो मेरी और मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूँ। मुझसे इतना क्यों शर्मा रही हो? चलो शाबाश जल्दी से कपड़े उतारो अपने…”

जब ऋतु फिर भी नहीं हिली तो मैंने कहा- “चलो ऐसा करो कि तुम यहाँ अपने कपड़े उतार के अपने ऊपर एक चादर ले लो मैं तब तक बाथरूम से होकर आता हूँ…”

जब मैं बाथरूम से वापिस आया तो देखा कि ऋतु बेड पे उल्टी लेटी हुई थी और उसके ऊपर एक चादर थी जो कि उसने मुझसे शरम की वजह से ओढ़ रखी थी और उसके कपड़े बेड के साथ ही रखी चेयर पे पड़े हुये थे। मैंने बगल से तेल की बोतल उठा ली और ऋतु के पास बेड पे बैठ गया और अपने काँपते हाथों से ऋतु के ऊपर पड़ी चादर को हटाने लगा लेकिन ऋतु ने ऊपर के दोनों किनारे अपने हाथों में पकड़ रखे थे जिससे चादर नीचे नहीं हुई तो मैंने बगल से पकड़कर चादर उसके ऊपर से हटा दी जिससे ऋतु का नंगा और सफेद जिश्म और उसकी सेक्सी गाण्ड मेरी आँखों के सामने बिल्कुल नंगी हालत में आ गई जो कि मुझे पागल कर देने के लिए काफी थी।

अब मैंने अपना हाथ बढ़ा के ऋतु की गाण्ड पे रखा तो मेरी छोटी और मासूम बहन जिसको हम सब घर वाले इस गंदगी में घसीट रहे थे एकदम से काँप गई।

अब मैंने अपना हाथ अपनी बहन की गाण्ड से हटा लिया और तेल की बोतल से तेल उसकी कमर और गाण्ड पे गिराने लगा। क्योंकि तेल हल्का सा ठंडा था जिससे ऋतु के जिश्म में झुरझुरी सी हुई लेकिन फिर से ऋतु आराम से लेट गई।

अब मैं ऋतु की बगल में बैठा अपने हाथों को आजादी से अपनी छोटी बहन की कमर और गाण्ड पे घुमाने लगा और तेल मलने लगा। मेरे इस तरह मालिश करने से ऋतु को अब सकून के साथ मजा भी आ रहा था, जिसका अंदाजा मुझे उसकी हल्की आवाज में निकलने वाली सिसकियों से हो रहा था।

कुछ देर तक इसी तरह तेल मलने के बाद मैं उठा और ऋतु की टाँगों के ऊपर घुटनों के करीब बैठ गया और अपने हाथों से उसकी गाण्ड को अच्छे से मसलने लगा जिससे कभी मेरे हाथ अपनी छोटी बहन की गाण्ड के सुराख को भी छू जाते लेकिन ऋतु अब किसी भी किश्म का ऐतराज नहीं कर रही थी लेकिन हाँ मजा जरूर ले रही थी अपने बड़े भाई के हाथों अपनी गाण्ड की मालिश करवाकर। फिर मैंने अपने हाथ ऋतु की गाण्ड से हटा लिए और उसके कंधों की तरफ बढ़ा दिए, जिसके लिए मुझे भी घुटनों से ऊपर होना पड़ा जिससे मेरा खड़ा और पूरा टाइट लौड़ा अपनी बहन की गाण्ड को छूने लगा तो मैंने अपने लण्ड के ऊपर पड़े कपड़े को हटा दिया। जिससे मेरा लण्ड ऋतु की गाण्ड को सही से छुआ तो हम दोनों बहन भाई के मुँह से एक साथ आअह्ह… की हल्की सी आवाज निकल गई। अब मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा अपनी बहन की गाण्ड के सुराख पे सेट किया और उसकी कमर और कंधों की मालिश करने लगा जिससे ऋतु के साथ मेरा भी मजे से बुरा हाल हो रहा था।


 मैंने अचानक ऋतु से कहा- ऋतु मजा आ रहा है ना मालिश में?

ऋतु ने भी बस- “हाँ भाई, बहुत अच्छा लग रहा है… बस इसी तरह करो, रुको नहीं प्लीज़्ज़…”

ऋतु की बात सुनकर मैं समझ गया कि लौंडिया तैयार है तो मैं थोड़ा पीछे हटा और ऋतु की गाण्ड को अपने दोनों हाथों से थोड़ा खोल दिया और ठीक उसकी गाण्ड के सुराख पे अच्छा खासा थूक फेंक दिया। एक तो तेल और दूसरा थूक लगाकर मैंने फिर से अपने लण्ड को ऋतु की गाण्ड के सुराख पे रख दिया और हल्का सा दबाने लगा।

लण्ड को ऋतु की गाण्ड पे दबाते ही मेरे लण्ड का आधा सुपाड़ा ऋतु की गाण्ड को खोलकर अंदर घुस गया तो ऋतु के मुँह से सस्सीई… की हल्की सी आवाज निकली। लेकिन उसने कुछ बोला नहीं तो मैंने फिर से दबाव बढ़ा दिया। जिससे मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपनी छोटी बहन की गाण्ड को खोलकर घुस गया। सुपाड़े के घुसने के बाद मैं वहीं रुक गया। क्योंकि मैं जानता था कि ऋतु इस वक़्त काफी तकलीफ में होगी। कुछ देर के बाद मैं फिर से अपने लण्ड को जोर देने लगा जिससे मेरा लण्ड फिर से आगे जाने लगा।

और करीब एक इंच और घुसा होगा कि ऋतु के मुँह से- “सस्स्सीई… भाई प्लीज़्ज़… रुको…” की आवाज निकल गई।

जिसे सुनते ही मैं वहीं रुक गया और ऋतु का दर्द खतम होने का इंतेजार करने लगा। कोई एक मिनट के बाद ही ऋतु ने अपने जिश्म को ढीला छोड़ दिया तो मैंने एक हल्का सा झटका दिया जिससे मेरा कोई 3” के करीब लण्ड अपनी बहन की गाण्ड में चला गया। इतना लण्ड घुसते ही ऋतु ने- “आऐ माँ… बस करो भाई… और नहीं करना… प्लीज़्ज़… मैं मर गई… ऊओ बस भाई… अभी निकालो बाहर दर्द हो रहा है…”

मैं अब वहीं रुका रहा और ऋतु के कंधों और कमर पे हाथ घुमाने लगा और कहा- “बस मेरी जान, आज इससे ज्यादा नहीं करूंगा। डरो नहीं बस आज के लिए इतना ही बर्दाश्त कर लो। ठीक है…”

मेरी बात सुनकर ऋतु ने हाँ में सर हिला दिया तो मैंने अपने लण्ड को वहीं जितना अंदर जा चुका था अंदर-बाहर करने लगा जिससे मैं कोई 3 मिनट में ही ऋतु की गाण्ड में ही फारिग़ हो गया, क्योंकि ऋतु की गाण्ड बड़ी टाइट थी और ऐसे लग रहा था कि जैसे वो मेरे लण्ड को भींच रही हो।

फारिग़ होने के बाद ऋतु ने उठकर अपनी गाण्ड को अच्छी तरह साफ किया और अपने कपड़े पहनकर मेरे रूम में से निकल गई।



 कहानी जारी है.

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