Thursday, October 30, 2014

FUN-MAZA-MASTI छोटी बहन के साथ--18

 FUN-MAZA-MASTI
 छोटी बहन के साथ--18

 मैंने विभा को कहा, "बहुत मस्त फ़िल्म थी.... मजा आ गया..., चल मेरी जान अब एक बार चूस कर निकाल दे मेरा पानी भी... तीन-चार दिन बाद तो तेरी बूर चूस कर निकालेगी मेरा पानी..." और मैंने विभा को आँख मारी। वो शर्माते हुए उठी और मेरे लन्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी। अब तक वो लन्ड चूसाई में सही तरीके से ट्रेनिंग कर ली थी। अगला पाँच दिन मुझे कुछ टैक्स संबन्धित केस की वजह से वकीलों और दफ़्तरों में गुजरे... सवेरे घर से निकता तो थका हारा ८-९ बजे तक लौटता और फ़िर खा-पी कर सो जाता। विभा की सील तोडनी है, मुझे याद तो था पर मैं फ़्रेश मूड से उसको चोदना चाहता था। वो मेरी कुंवारी भोली-भाली बहन थी जिसको मुझे रंडी बनाना था। संयोग ऐसा हुआ कि जब मैं फ़्री हुआ तो मुझे पुरी जाने का संयोग बन गया। मेरा एक पैतृक मकान पुरी में था जिसके दोनों किरायेदार ने मुझे बुलाया था। चार महिने से मैं गया नहीं था सो किराया भी काफ़ी बाकी हो गया था और मकान में कुछ रिपेयर का भी काम हुआ था जो मुझे देख कर किरायदारों से हिसाब कर लेना था। वहाँ करीब एक सप्ताह लग जाना था। मैं अब इतना इन्तजार नहीं करना चाहता था। मैंने विभा को भी साथ चलने को कहा। वो जाना नहीं चाहती थी तो मैंने कहा, "चलो न साथ में वहीं रहेंगे होटल में... वहाँ तुम मेरी बीवी रहना और हमलोग वहीं सुहागरात मनाएँगे। नये महौल में तुम्हें झिझक-शर्म भी नहीं लगेगा"। मेरे ऐसे समझाने से वो तैयार हो गई। उसके पास वैसे भी कोई चारा था नहीं। मैं लगातार कुछ समय से उस पर चुदाने के लिए दबाब बनाए हुए था। हम पहले बस से पटना आए और फ़िर पटना में हमारे पास समय था करीब ६ घन्टे का। मैंने उसको सम्झा दिया कि अब इस शहर में तो कोई हमलोग को पहचानता नहीं है सो अब वो थोडा खुल कर मेरे साथ घुमे जैसे कोई बीवी अपने नये पति के साथ घुमती है। मैंने उसकी झिझक तोडने के लिए मौर्या कौम्प्लेक्स में उसको साथ ले कर सेक्सी किस्म की ४ ब्रा-पैन्टी खरीदी। दुकान में दो महिलाएँ खरीदारी कर रही थीं और दो सेल्स-गर्ल तथा उस दुकान का मालिक एक बुजुर्ग था। मैंने दो नन्हीं सी बिकनी-टाईप ब्रा-पैन्टी, एक लाल और एक काली खरीदी... और फ़िर कुछ बहुत हीं सेक्सी और हौट अन्डर्गार्मेन्ट्स माँगे।

 वहाँ मौजुद महिलाएँ जो ३५-३६ के आस-पास की थी, एक बार मेरे और विभा पर नजर डाली और फ़िर मुँह फ़ेर लिया। उस सेल्स-गर्ल ने तब एक कार्टून निकाल कर हमदोनों के सामने रख दिया कि यह सब इम्पोर्टेड है, थोड़ा महँगा है पर स्पेशल है। मैन एगौर किया कि वो दोनों महिलाएँ अब हमे कनखियों से देख रही थीं और हमारे बारे में हीं फ़ुसफ़ुसा रही थी। मैंने विभा को इशारा किया तो वो उस कार्टून से कुछ पैकेट निकाली। सब पैन्टी हीं था.... तो मैंने प्रश्नवाचक नजरों से सेल्स-गर्ल को देखा तो वो मुस्कुराते हुए बोली, "ब्रा भी मिल जाएगा... सब के सेट के साथ है, हमलोग उन्हें अलग-अलग रखते हैं... कुछ लोग अकेले हीं खरीदते हैं इन्हें मंहगे होने की वजह से, और कुछ अलग-अलग तरह के सेट बनाते हैं मिक्स-ऐन्ड-मैच करके"। विभा इन नन्ही पैन्टियों को देख कर अचंभित थी। असल में मैं भी पहली बार ऐसी पैन्टी देख रहा था जिसमें कुछ छुपने की गुन्जाईश ही नहीं थी। मैंने एक गुलाबी पैन्टी पसन्द की, जो सिर्फ़ मोटा धागा था जिसमें सामने की तरफ़ एक ईंच का एक टुकड़ा सिला हुआ था जो शायद बूर के ऊपरी भाग को जहाँ लड़कियाँ मसल-सहला कर मस्त होती हैं, बस उसी भाग को ढक सकता था। विभा उसको देख कर धीरे से बोली, "यह क्या चीज हुआ"। सेल्स-गर्ल को तो सामान बेचना था, मेरी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोली, "अरे भाभी जी... ये सब आयटम हनीमून कपल्स में बहुत हिट है, फ़िर अगर भैया को पसन्द है तो लेने दीजिए... अब तो यह सब उन्हीं की मर्जी का रहे तो अच्छा है न"। मैंने भी कहा, "सही तो है... एक-आध तो ऐसा अभी होना चाहिए"। विभा बुदबुदाई, "इसको धो कर सुखाना भी एक समस्या है"। सेल्स-गर्ल ने चट से उसको अलग करते हुए पूछा, "इसके साथ की गुलाबी ब्रा दूँ या कोई और गहरे रंग का सेट बना दूँ?" मैंने कहा, "गुलाबी वाले हीं दीजिए, वैसे भी गुलाबी दुनिया की हर लडकी का फ़ेवरेट कलर है"। फ़िर मैंने एक जालीदार थौंग पसन्द किया नीले, पीले और नारंगी रंग का हल्की कढाई किया हुआ और उसके साथ का हीं ब्रा भी लिया। चारों कपड़ों की कुल कीमत ७००० हुआ, जो मैंने दे दिया और फ़िर विभा का हाथ अपने हाथ में ले कर दुकान से बाहर आ गया और एक लीवाईस की दुकान से एक डेनीम की कैप्री और एक लगभग स्लीव-लेस टी-शर्ट खरीदा, फ़िर एक होटल में खाने के बाद हम ट्रेन पकडने स्टेशन आ गए। ट्रेन का इंतजार करते समय मुझे याद आया कि मैंने पहली बार अपनी बहन स्वीटी को एक ट्रेन में हीं चोदा था और वही लम्हा मुझे बहनचोद बनाया था। अब मैं सोच रहा था कि अगर मैंने टिकट एसी३ की जगह एसी१ में लिया होता तो आराम से ट्रेन में हीं उसी रात को विभा की सील तोडता। मैंने स्टेशन पर टिकट अपग्रेड करना चाहा, पर उस ट्रेन में एसी१ था हीं नहीं और एसी२ में अपग्रेड होने से फ़ायदा नहीं था, मुझे पता था कि वहां भी दो और लोग होंगे और विभा जैसी लडकी अपना सील टुडवाते हुए चीखे नहीं हो नहीं सकता है। मुझे पता था कि उसके छुईमुई बने रहने से उसकी बूर बहुत कसी हुई है २० साल की उमर होने के बाद भी। सो मैंने तय किया कि लौटने के समय ट्रेन में बहन को चोदने का काम पूरा कर लुँगा, क्योंकि तब तक विभा होटल के बन्द कमरे में कई बार चुद कर बिना चीखे-चिल्लाए चुदाने लायक बन चुकी होगी। फ़िर ट्रेन आने के बाद हम उस में बैठ कर पुरी की तरफ़ चल दिए।

 रास्ते में हीं मैंने उसको बता दिया कि अब वो मेरी बीवी की तरह बर्ताव करे जिससे सब को लगे कि हम दोनों नया शादी-शुदा जोडा हैं। विभा भी अब समझ गई थी और थोडा खुलने लगी थी। ट्रेन में हम एक नौर्मल जोडे की तरह रहे और फ़िर अगली सुबह करीब ९ बजे पुरी पहुँच गए। इसके बाद हम एक थ्री-स्टार बढिया होटल में रुके, और फ़िर मैं करीब नहा-धो और हल्का नाश्ता वगैरह करके हम करीब ११ बजे अपने किरायेदारों से मिलने चल पडे। मैंने विभा से कहा कि वो अब तो यहाँ एक सेक्सी माल के रूप में अपने को ढाले तो उसने मुझसे पूछा कि वो क्या पहने। मैंने उससे कहा कि वो बिना ब्रा के वही नई वाली कैप्री और टी-शर्ट पहन ले। विभा की लम्बाई, मेरी छोटी बहन स्वीटी जिसे मैं पहले हीं चोद चुका था, उससे कम है पर बदन स्वीटी से ज्यादा भरा हुआ है...उसकी चूच्ची ३६ साईज की है। उसकी चूच्चियाँ टी-शर्ट में कस गई और ब्रा नहीं पहनने से उसके निप्पल दिखने लगे। अब मेरी बहन असल में एक माल दिख रही थी। पुरी वैसे भी एक हनीमून वाली जगह है और वहाँ अक्सर ऐसे जोडे दिख जाते हैं। मेरे साथ जब विभा चल रही थी तब उसकी चूच्ची ऊछल रही थी, और होटल से निकलते समय सब की नजर उसकी ऊछलती चूचियों पर टिक रही थी। मैंने टैक्सी ली और विभा के साथ निकल गया। जल्दी हीं हम अपने मकान पर थे। दो मंजीले मकान के ऊपर वाले हिस्से में एक बुजुर्ग दम्पति रहते थे। साल भर की नौकरी और बची थी। अपनी बेटी की शादी कर चुके थे और अब बेटे की शादी करने वाले थे। नीचे के हिस्से में एक बैंक मैनेजर रहते थे जिनके तीन बच्चे थे, दो लडकियाँ और एक सबसे छोटा लडका। भाभी जी मस्त थी, सो मैं हमेशा नीचे हीं बैठता था और ऊपर वाले किरायेदार को नीचे हीं बुला लेता था। विभा को लेकर जब मैं पहुँचा तो मैंने उसका परिचय अपनी गर्लफ़्रेन्ड की तरह कराया। सब मेरी बहन को गहरी नजर से देख रहे थे कि बिना शादी किए वो मेरे साथ घुम रही है। मैंने कहा, "इसका परिवार बहुत मौड है... सो मैंने जब कहा कि मैं पुरी जा रहा हूँ, ये दोनों भाई-बहन भी साथ में घुमने चले तो इसकी मम्मी ने इसके भाई को रोक लिया कि दोनों बच्चे एक साथ चले जाएँगे तो घर सुना हो जाएगा"। भाभी जी मुस्कुराते हुए बोली, "अरे तो बेटी को घर पर रोक कर बेटा को भेज देते..."। मैंने भी उनके बात को समझते हुए कहा, "हाँ... पर तब मुझे मजा नहीं आता न... मुझे तो विभा के साथ हीं मजा आएगा यहाँ पर...", इस बात पर सब समझ गए और माहौल हँसीवाला बन गया।

 हम लोग करीब दो घन्टे वहाँ रहे और फ़िर करीब ३ बजे होटल आ गए। होटल लौटते समय तक विभा को ऐसे अपने को सब की आँख का तारा बनते हुए देख कर अच्छा लगने लगा था और अब वो भी मजे से अपनी चूची ऊछाल कर चल रही थी। कमरे में आने के बाद... मैंने उसको कहा, "अब सील तुडवा लो फ़िर हम लोग मजा लेंगे।" उसने कहा, "अगर कोई होटल का आदमी हीं किसी काम से आ गया तब..., रात में करेंगे तो ठीक रहेगा"। मैंने उसको समझाया, "कोई नहीं आएगा... होटल का सब जानता है कि जवान लडका-लडकी जब कमरे में हो तो क्या होता है, वो बिना हमारे बुलाए यहाँ नहीं आएँगे। अगर कुछ होगा तो रुम के फ़ोन पर बात करेंगे।" मैंने उसको अपने तरफ़ खींच कर उसको चुमने लगा फ़िर कहा, "और अगर कोई आ गया तो अच्छा है... कोई गवाह तो होगा कि मेरी बहन विभा अब कुँवारी नहीं बची..."। विभा का चेहरा शर्म से लाल हो गया मेरी इस बात को सुनकर। मैं अब विहा को अपनी गोदी में बिठा कर चुमने लगा था और वो भी अब साथ में मुझे चुम्मा दे रही थी। मैंने उसकी टी-शर्ट के ऊपर से हीं उसकी मस्त गोल चुचियों को सहलाना शुरु कर दिया था और वो अब जोर-जोर से मुझे चुम्मा लेने लगी थी। अपने हाथ नीचे सरकाते हुए मैं ने उसकी कैप्री के बटन खोल दिए और उसकी चेन को सरार दिया जिससे उसकी कैप्री इतना ढीला हो गई कि मैं अपना हाथ भीतर घुसा सकूँ। उसकी झाँटों को सहलाते हुए मैं ने उसकी बूर की फ़ाँक को छुआ और वो सिहर उठी। मैंने अब उसको अपने से अलग किया और फ़िर पहले खुद नंगा हो गया। विभा सामने बैठ कर देखती रही। फ़िर मैंने उसके कपडे उतार दिए। दोनों भाई-बहन अब मादरजात नंगे हो गए थे और फ़िर मैंने उसका हाथ पकडा और बिस्तर पर ले आया। मैं अब जल्दी से जल्दी उसकी सील तोड लेना चाहता था। वैसे भी उसकी बूर का रोँआँ-रोंआँ मेरा देखा हुआ था। मैंने उसको सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर चढने की तैयारी करने लगा। कुँवारे लडकी तो सिर्फ़ चुदाई की बात के अनुमान से हीं गीली हुई जा रही थी। विभा ने थोडा घबड़ाते हुए पूछा, "बहुत दर्द होगा न भैया...?" मैंने प्यार से उसका होठ चुमा और कहा, "हट पगली... कोई दर्द नहीं होगा। इस दर्द से डरोगी तो माँ कैसे बनोगी? हर लडकी को माँ तो बनना ही होता है और बच्चा पैदा करने में जितना दर्द होता है उसकी तुलना में आज वाला दर्द कुछ नहीं है। सबसे बडी बात कि जब लडकी को लंड से चोदा जाता है तो पुरुष-प्रधान समाज की वजह से लगता है कि मर्द ही लडकी का शरीर भोग लिया है... असल में लडकी हीं मर्द को भोगती है। अंत में मेरा सारा वीर्य जो मेरे शरीर में बनता है अंत में आज तुम्हारे शरीर में चला जाएगा। तुम तो चाहो तो एक साथ ८-१० लडके को ठन्डा कर सकती हो, पर लड़का एक साथ ३-४ या ज्यादा-से-ज्यादा ५ लड़की को चोदते-चोदते टन्न बोल जाएगा।" विभा सब बात सुन कर बोली, "मेरी तो एक के डर से हालत पंचर है... पर अब कोई गुन्जाईश बाकी नहीं है अब तो आप बिना मेरे में घुसे मानिएगा नहीं... आ जाइए" कहते हुए वो खुद अपना जाँघ खोल दी और उसकी झाँटों के झुरमुट से उसकी चूत की फ़ाँक चमकने लगी।

 मैं अब उसके ऊपर आ गया और फ़िर खुब आराम से उसके बदन को अपने बदन से दाब कर झकड लिया। वो मुझे इस तरह से दबा कर पकडते देख बोली, "ऐसे क्यों जकड़ रहे हैं भैया... मैं अब भाग थोडे रही हूँ, थोडा साँस लेने लायक तो रहने दीजिए भैया"। मैंने उसके छाती पर अपने दबाव को कम करते हुए कहा, "अब तो ठीक है...", वो कुछ बोली नहीं तो मैंने उसको कहा, "अपने हाथ से मेरे लन्ड को अपनी छेद पर लगाओ न बहन"। वो थोडा झिझकते हुए वैसा की पर अपनी आँख बन्द कर ली। मैंने कहा, "आँख खोल कर भरपूर नजर से देखो मेरा चेहरा.... अब जब मैं तुम्हारे में घुसाऊँगा तो तुमको देखना चाहिए कि किसका लन्ड तुमको चोद रहा है। आज हीं नहीं, जब भी कभी किसी से चुदो तो जब उसका लौडा बूर की भीतर घुस रहा हो तो जरुर उस मर्द की आँख में आँख डाल कर देखो। लड़की का यह अधिकार है कि वो जाने कि कब कौन उसको चोद रहा है"। वो आँख खोल ली और नजर मिलाई तो मैंने अपना लन्ड उसकी बूर में घुसाना शुरु कर दिया। सुपाडा के भीतर घुसते ही उसको दर्द महसूस होना शुरु हुआ तो वो अपना बदन ऊमेठने लगी ताकि मेरे नीचे से निकल सके, पर तभी मैंने उसको एक क्षण के लिए कस के दबाया और जब तक वो कुछ समझे, मैंने अपना लन्ड एक झटके से उसकी कच्ची कुँवारी बूर में पेल दिया। वो दर्द से बिलबिलाई पर ऐसी बच्ची भी न थी कि अपनी पहली चुदाई बरदास्त न कर सकती, सो एक घुटी हुई सी चीख उसके मुँह से निकली पर वो जब तक कुछ समझे मैंने पहले धक्के के तुरंत बात एक लगातार अपने लन्ड को बाह्र खींच कर दो और करारे धक्के उसकी बूर में लगा दिए जिससे कि उसकी बूर की झिल्ली अच्छी तरह से फ़ट गई और तब मैंने देखा कि उसकी आँखों के कोर से दो-दो बुँद आँसू बह निकले। उसकी ऐसी दशा देख मुझे दया आ गई और मैं ने अपने लन्ड को पूरी तरह से बाहर निकाल दिया और प्यार से उसके होठ चुमने लगा। उसने भी रोते हुए कहा, "इसी के लिए न भैया आप इतना दिन से बेचैन थे, देख लीजिए आज आपसे हीं अपना पहली बार करवाई हूँ", कहते हुए उसने मुँह एक तरफ़ फ़ेर कर एक जोर की हिचकी ली और फ़फ़क कर रोने लगी। मैंने उसको पुचकारते हुए कहा, "तुम्हें अफ़सोस होगा तो मुझे बहुत पाप लगेगा, प्लीज तुम रोओ मत... तुम मेरी बहन हो"। वो तब अचानक मेरी तरफ़ मुडी और फ़िर बोली, "अब छोडिए यह सब बात... अब ठीक से मुझे कर दीजिए कि पता चले कितना मजा है इस काम में कि दुनिया का सब लोग इसी के चक्कर में है"। अब वो फ़िर से मेरी तरफ़ घुमी और मेरे से चिपकी। मैंने अब सब ठीक देख कर एक बार फ़िर से उसको अपने बाँहों के घेरे में ले कर, फ़िर से अपने को सही तरीके से उअस्के ऊपर करके अपने हाथ से उसकी सील टुटी बूर में अपना लन्ड घुसा दिया और फ़िर हल्के-हल्के चोदने लगा। जल्दी हीं उसके भीतर भी जवानी की आग झड़की और वो भी मेरे धक्के से ताल मिला कर अपने कमर ऊछालने लगी। कमरा में अब हच्च-हच्च... फ़च्च फ़च्च की आवाज गुँज रही थी। वो भी अब आह ओह करने लगी थी और मैं उसके जैसी छुईमुई लडकी के मुँह से निकल रहे ऐसे आवाज को सुन कर जोश में आने लगा था। जल्दी हीं मैंने उसकी जोरदार चुदाई शुरु कर दी और वो अब कराह उठी और फ़िर थोडा शान्त हो गई। मैं समझ गया कि उसको चरम सुख मिल गया है... अब मैंने १०-१२ और तेज धक्के लगाए कि मेरे लन्ड से भी पिचकारी छुटने लगी। बिना कुछ सोंचे मैंने अपनी बहन की ताजा-ताज चुदी हुई बूर के भीतर अपना सारा माल ऊडेल दिया। और उसके बदन पर निडः़आल सा पड गया। कुछ सेकेन्ड हम दोनों ऐसे ही शान्त पडे रहे और फ़िर जब मैंने अपना लन्ड बाहर खींचा को "पक" की आवाज हुई और मेरा सफ़ेद माल उसकी बूर से बाहर बह के उसकी गाँड़ की तरफ़ फ़ैलने लगा। मैंने एक बार फ़िर से उसको चुमा और बोला, "बधाई हो विभा डीयर,... अब तुम एक जवान लड़की बन गई हो, पहले जवान बच्ची थी, अब असल "माल" बन गई हो... बधाई हो"। मेरी बात सुनकर वो लजा गई और बोली, "सब आपका किया हुआ है"।

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