Thursday, October 30, 2014

FUN-MAZA-MASTI छोटी बहन के साथ--17

 FUN-MAZA-MASTI
 छोटी बहन के साथ--17

 विभा से समीना का दर्द बर्दास्त नहीं हुआ तो वो मुझसे बोली, "भैया... ये दोनों उस बेचारी का जान ले लेंगे"। उसकी आवाज रूआँसी हो गई थी। मैंने उसको समझाया, "धत्त पगली..., देखो चुप-चाप... सीखो यह सब..."। तभी बेचारी को तकलीफ़ में देख कर सगीर उसके ऊपर से उतर गया और तब समीना भी हड़बडाते हुए अब्दुल के लन्ड के ऊपर से उठी और जोर-जोर से साँस खींच कर अपने को थोडा आराम में किया और फ़िर जब वो अच्छा महसूस करने लगी तब अब्दुल ने उसको एक बार फ़िर से अपने सीने से चिपटा कर उसको चूमने लगा और अपने लन्ड को उसकी बूर की फ़ाँक पर रगडने लगा। समीना समझ गई कि उसको अभी और चुदाना होगा, सो वो भी अपने कमर को उपर उठाई जिससे कि अब्दुल आराम से अपने लन्ड को उसकी बूर में घुसा दिया। अब अब्दुल के ऊपर लेट कर समीना अब्दुल को चोदने लगी। तभी एक बार फ़िर से सगीर समीना की गाँड को सहलाने लगा और समीना एक बार सर सर घुमा कर सगीर को देखी...। इसके बाद सगीर ने उसकी खुली हुई गाँड में अपना लन्ड घुसा दिया। सगीर और अब्दुल एक बार फ़िर उसकी जवानी लूटने लगे थे। पर लगातार धक्का लगते रहने से दोनों समीना की दोनों छेद के भीतर हीं झडे और जब दोनों ने अपना-अपना लन्ड बाहर निकाला तो समीना पसीने से लतपथ अपने गाँड और बूर में मर्दाना रस भरे हुए बिस्तर पर निढाल सी पड गई। रूही और शफ़ा भी पास में लेटी समीना की ऐसी चुदाई देख रही थी। उन दोनों की बूर भी सफ़ेद रस से सराबोर थी। समीना ने अपना हाथ उन दोनों की तरफ़ बढाया तो उन दोनों से उसका हाथ थाम लिया... लगा तीनों एक दूसरे को सांत्वना दे रही हैं। तभी मासीमा ने सब लडकियों से कहा, "अब चलो तुम लोग, नहा-धो कर कुछ खा कर आराम कर लो... अब रात में एक बार फ़िर से एक-एक के साथ सो लेना... कल से काम पर लगा दुँगी तुम सब को"। फ़िर सब लडकियाँ यह सुन कर उठी, और अपने कपडे समेटने लगी। तभी मासीमा को नसरीन और जुबैदा का विरोध याद आया और उसने फ़रमान जारी किया, "केवल तुम दोनों बहन यहाँ रुकोगी और सब से बारी-बारी से चुदोगी फ़िर खाना मिलेगा... साली तुम दोनों बहनों को रंडी नहीं बनना था न... सो अब देखो कि कैसे तुम दोनों को महारानी बनाती हूँ"। उसने नसरीन की साडी उठा कर उससे दो पट्टी फ़ाडी और फ़िर फ़रीद को देते हुए बोली, "दोनों बहन की आँख पर पट्टी बाँध कर चोदो लगातार जब तक साली की अकड नहीं खत्म होती है। पता भी न चले दोनों को कि कब कौन चोद रहा है हरामजादी को... मुझे थप्पड़ मारती है कुतिया" कहते हुए उसने नसरीन को एक थप्पड़ लगा दिया और बाकी लडकियों को ले कर चली गई।

 दोनों बहन अब गिडगिडाने लगी थी, जब तक सब साथ थी कुछ हिम्मत भी था... अब तो दोनों नंगी पाँच मुस्टन्डों से घिरी थी और सब हँसते हुए अपना लन्ड हिला रहे थे। फ़रीद जो उन सब का लीडर था उसने कैमरा को एक स्टैन्ड पर फ़िक्स कर दिया और दोनों को बाकियों ने बिस्तर पर ला पटका। दोनों का सर बीच बिस्तर पर था और पैर एक-दुसरे से ऊलटी दिशा में बिस्तर से नीचे लटक रहा था। फ़रीद और सगीर दोनों की तरफ़ पट्टी ले कर बढे और दोनों आने वाले समय को याद कर के जोर-जोर से रो पडी। जुबैदा तो थोडा शान्त भी थी... जो हो रहा था होने दे रही थी, पर उसकी बडी बहन नसरीन अपने सर झटक रही थी जिससे उसकी आँख पर पट्टी बाँधने के लिए सगीर को सज्जाद की मदद लेनी पडी। दोनों अब फ़ूट-फ़ूट कर रो रही थीं और उन सब को अल्लाह का वास्ता दे रही थी।। मेरी बहन विभा की आँखों में आँसू भर आए... बेचारी मेरी तरफ़ देख कर बोली, "बहुत दर्दनाक है... कैसे कसाई जैसा इन दोनों को सब मिल कर पकडे हुए हैं। बेचारी दोनों को ये लोग अल्लाह के नाम पर भी नहीं छोड रहे..."। मैंने कहा, "बंग्लादेश जैसे गरीब जगह में मुस्लिम लडकी इतने उम्र तक कुँवारी बची यही अल्लाह की कृपा समझो... मुसलमान के लिए लडकी एक खेत है, जिसको कोई भी मर्द जब और जैसे चाहे जोत सकता है। उनके यहाँ लडकी के लिए यही शब्द का प्रयोग है... अब दोनों खेत को जोतने की तैयारी हो रही है... देखो और मजे लो"। अब वो सीधे मुझसे बोली, "आप भी तो एक लडका हैं... आप ऐसे किसी लडकी को कर सकते हैं?" मैंने उसको ऊसकाते हुए कहा, "क्यों नहीं... अभी कहोगी तो तुम्हारा खेत जोत देंगे... मेरा लन्ड तो तुम्हारे लिए कब से बेचैन है... तुम तो जानती हो कि हमको बहन चोदने में ज्यादा मजा आता है... आ जाओ एक बार इस लन्ड पर खुद से चढ जाओ... छोडों पीरीयड सीरीयड का चक्कर..."। उसने अब थोडा मुस्कुराते हुए अपना नजर फ़िर से फ़िल्म की तरफ़ कर लिया.. जहाँ मासूम अपने ९" के लन्ड को करीब ६" तक जुबैदा की चूत में घुसा कर उसको चोद रहा था और उसे समझा रहा था कि वो उसके भीतर आधा हीं घुसाया है, जबकि उसकी बड़ी बहन को पलट कर उसकी कसी हुई गाँड पर अब्दुल अपना लन्ड दबा रहा था और वो दर्द से बिलबिला रही थी। सगीर उसकी चुतड़ को फ़ैलाए हुए था और सज्जाद उसके बदन को बिस्तर पर दबा कर स्थिर किए हुए था। विभा यह देख कर बोली, "ओह राम.... बेचारी को कम से कम जैसे उसकी छेद को खोले थे वैसे खोल कर घुसाते... कैसे छटपटा रही है... ओह बेचारी"। मैंने कहा, "उसका सजा मिल रहा है थप्पड़ चलाने का..."। नसरीन बार-बार अपना पैर बिस्तर पर पटक रही थी और किसी तरह से नीचे से बच निकलने की फ़िराक में थी, पर उसको तीन मुस्टन्डे पकड कर बिस्तर पर दबाए हुए थे और एक मादरचोद उसकी गाँड़ में लन्ड घुसाने पर भिरा हुआ था। बहुत कशमकश के बाद अब्दुल अपना सुपाडा भीतर घुसा दिया... नसरीन जोर-जोर से चीख रही थी और कभी अल्लाह की दुहाई देती तो कभी अपने माँ-बाप को बचाने के लिए पुकारती। अब सगीर ने उसका चुतड छोड दिया और उसकी चूचियों के नीचे अपना हाथ घुसा कर उसकी चूचियों को पकड़ लिया। अब्दुल अब उसकी गाँड मारने लगा था और फ़िर वो पूछा, "बोल... अब भी कुछ कमी है तुम्हारे रंडी होने में... तो वो भी पूरा कर दूँ? हरामजादी... अब इसी छेद से तुम्हारे बाप को जो पैसा दिया है वो वसूल होगा साली। तुम दोनों बहन को तो वही माँ-बाप भेजा है इस चकलाघर पर रंडी बनने के लिए। अभी बात कराता हूँ तुमको तेरे बाप से", और उसने सगीर को ईशारा किया।

 सगीर उठ कर एक फ़ोन से दो-तीन बार की कोशिश के बाद उसके बाप को फ़ोन लगाया और उसको गाली देते हुए बोला, "साले हरामी, अपनी बेटी को समझा के नहीं भेजा है यहाँ... हरामजादी कुतिया यहाँ नौटंकी कर रही है। साले अगर वो हमलोग का पैसा नहीं वसूल करवाई तो आ कर साले तेरी गाँड फ़ाड देंगे.... लो साले समझाओ अपनी बेटी को..." और उसने रोती हुई नसरीन के कान में फ़ोन सटा दिया, "ले बात कर अपने बाप से... बहुत पुकार रही है... बोलो आ कर बचा ले अब तुमको"। नसरीन रोती रही फ़िर जब उसको लगा कि फ़ोन सच में कान से लगा हैं तो रो-रो कर बोलने लगी, "अब्बू.... हमें बचा लो, यहाँ से ले जाओ... यहाँ हमलोग को बहुत दर्द दे रहे हैं सब मिल कर.... ..... ....... ..... हाँ पाँच लोग हैं... हम दोनों बहन का आँख भी बांध दिए हैं.... ..... ..... हम दोनों बहुत कोशिश किए पर अपनी... नहीं बचा सके। सब जबर्दस्ती हम दोनों से .... कर लिए। अभी भी मेरे ऊपर चढे हुए हैं.... बाप रीईईए.... बहुत दर्द हो रहा है।... .... जुबैदा भी इसी बिस्तर पर है.... वो भी रो रही है। आँख बँधा हुआ है सो मुझे नहीं पता कि उसके साथ क्या हो रहा है.... .... ..... .... .... नहीं वो तो पहले हो गया... अब दुबारा मुझे और जुबैदा को पकड़ लिए हैं... अभी मुझे पलट कर चढे हुए हैं... ... बहुत दर्द हो रहा है... आअह्ह्ह.... ओह्ह्ह माँआआअ.... नहीं... उसमें नहीं... ... उसमें का दर्द तो कम हो गया है अब.... अभी दुसरी जगह पर कर रहे हैं.... हाँ घुसाए हुए हैं.... बोल रहे हैं कि हम दोनों को अब जोर यही करना होगा..... हाँ अभी उनकी हेड जो है बोल गई है कि आज रात में भी हम लोग को इन्हीं लोग के साथ सोना होगा और कल से पैसा मिलेगा.... ओह अब्बू... आपको पता है कि... यहाँ क्या होगा.... या अल्लाह... छीः ... तो आपको सिर्फ़ पैसा चाहिए.... इसीलिए हमको यहाँ भेजे.... पर अब्बू... हमलोग तो रोज - रोज यह दर्द सह कर मर जाएँगे.... नहीं पीछे से जो अभी हो रहा है वो तो बहुत ज्यादा है.... और ये लोग पाँच हैं अभी... इसके बाद चार और मेरे से ... .... करेंगे। नहीं अब्बू आप उनको बोल दीजिए कि धीरे और प्यार से करें.... बाप रे... आह... .....आह..."। और वो फ़ुट-फ़ुट कर रोने लगी। अब सगीर ने बात करना शुरु कर दिया और साफ़-साफ़ कहा, "हाँ... दोनों शुरु से नौटंकी कर रही थी... हम सब को थप्पड़ मारा तो सजा मिली है... हाँ अभी उसकी गाँड मारी जा रही है... चूत की सील तो कब का खुल गई... हाँ अभी हम सब मिल कर दोनों बहन को पूरा से रगड़एंगे.... नहीं नहीं हमारे यहाँ कोई रियायत नहीं होती है... प्यार से वो चुदी है साली कि हम उसको प्यार से चोदें.... चुप रह साले... अब भेज दुँगा एक वीडीयो साले तुम्हारे पार भी बेटियों की... देख लेना मादरचोद... कैसे बनी तेरी बेटियाँ रंडी... हाँ कल से रुपए कमाने लगेगी.... ठीक है, ठीक है... कल बात करवा दुँगा।" और उसने फ़ोन काट दिया... और फ़िर करीब १०-१२ सेकेण्ड बाद फ़िल्म खत्म हो गई।


 मैंने विभा को कहा, "बहुत मस्त फ़िल्म थी.... मजा आ गया..., चल मेरी जान अब एक बार चूस कर निकाल दे मेरा पानी भी... तीन-चार दिन बाद तो तेरी बूर चूस कर निकालेगी मेरा पानी..." और मैंने विभा को आँख मारी। वो शर्माते हुए उठी और मेरे लन्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी। अब तक वो लन्ड चूसाई में सही तरीके से ट्रेनिंग कर ली थी। अगला पाँच दिन मुझे कुछ टैक्स संबन्धित केस की वजह से वकीलों और दफ़्तरों में गुजरे... सवेरे घर से निकता तो थका हारा ८-९ बजे तक लौटता और फ़िर खा-पी कर सो जाता। विभा की सील तोडनी है, मुझे याद तो था पर मैं फ़्रेश मूड से उसको चोदना चाहता था। वो मेरी कुंवारी भोली-भाली बहन थी जिसको मुझे रंडी बनाना था। संयोग ऐसा हुआ कि जब मैं फ़्री हुआ तो मुझे पुरी जाने का संयोग बन गया। मेरा एक पैतृक मकान पुरी में था जिसके दोनों किरायेदार ने मुझे बुलाया था। चार महिने से मैं गया नहीं था सो किराया भी काफ़ी बाकी हो गया था और मकान में कुछ रिपेयर का भी काम हुआ था जो मुझे देख कर किरायदारों से हिसाब कर लेना था। वहाँ करीब एक सप्ताह लग जाना था। मैं अब इतना इन्तजार नहीं करना चाहता था। मैंने विभा को भी साथ चलने को कहा। वो जाना नहीं चाहती थी तो मैंने कहा, "चलो न साथ में वहीं रहेंगे होटल में... वहाँ तुम मेरी बीवी रहना और हमलोग वहीं सुहागरात मनाएँगे। नये महौल में तुम्हें झिझक-शर्म भी नहीं लगेगा"। मेरे ऐसे समझाने से वो तैयार हो गई। उसके पास वैसे भी कोई चारा था नहीं। मैं लगातार कुछ समय से उस पर चुदाने के लिए दबाब बनाए हुए था। हम पहले बस से पटना आए और फ़िर पटना में हमारे पास समय था करीब ६ घन्टे का। मैंने उसको सम्झा दिया कि अब इस शहर में तो कोई हमलोग को पहचानता नहीं है सो अब वो थोडा खुल कर मेरे साथ घुमे जैसे कोई बीवी अपने नये पति के साथ घुमती है। मैंने उसकी झिझक तोडने के लिए मौर्या कौम्प्लेक्स में उसको साथ ले कर सेक्सी किस्म की ४ ब्रा-पैन्टी खरीदी। दुकान में दो महिलाएँ खरीदारी कर रही थीं और दो सेल्स-गर्ल तथा उस दुकान का मालिक एक बुजुर्ग था। मैंने दो नन्हीं सी बिकनी-टाईप ब्रा-पैन्टी, एक लाल और एक काली खरीदी... और फ़िर कुछ बहुत हीं सेक्सी और हौट अन्डर्गार्मेन्ट्स माँगे।




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